सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य कर्मचारियों को दिया गोल्डन कार्ड का तोहफा, क्या उत्तराखंड का सियासी पासा “गोल्डन कार्ड” के जरिए पलट सकते हैं सीएम धामी

सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार ने चुनाव में जाने से पहले राज्य कर्मचारियों को साधने के लिए एक बड़ी सौगात दी है। चुनावी साल में कर्मचारियों ने शिक्षक और कर्मचारियों के साथ मिलकर समन्वय समिति बनाकर आंदोलन कर रहे हैं। जो कि लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। ऐसे में राज्य कर्मचारियों की एक मांग पूरी कर सरकार राज्य कर्मचारियों को ये भरोषा दिलाने में कामयाब हुई है कि वे कर्मचारियों की अन्य मांगों पर भी जल्द सकारात्मक कदम उठाएंगे।बीते फरवरी माह से कर्मचारी आंदोलन कर रहे थे, जिसमें गोल्डन कार्ड की खामियों को दुुरुस्त करने की मांग की थी। 11 माह से अंशदान कटौती हो रही है लेकिन खामियों की वजह से उपचार नहीं मिल पा रहा था। जिससे लंबे समय से आंदोलन कर रहे कर्मचा​रियों की लंबित मांग पूरी हो गई है।

उत्तराखंड सचिवालय संघ ने गोल्डन कार्ड का शासनादेश जारी होने के बाद कहा कि आज उनके संघर्ष के बाद आखिरकार मुराद पूरी हो गई है। वहीं उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने गोल्डन कार्ड का शासनादेश आने के बाद बैठक बुलाई।चुनावी सीजन में जिस तरह से उत्तराखंड सरकार, वोटरों को लुभाने के लिए फैसले ले रही है, वैसे ही इन फैसलों पर कर्मचारी संगठन भी अपनी राजनीति चमका रहे हैं। गुरुवार को जैसे ही सरकार ने गोल्डन कार्ड पर शासनादेश जारी किया तो वैसे ही कर्मचारी संगठनों ने भी इस श्रेय लेने का मौका बना लिया। कई संगठनों ने खद को श्रेय देते हुए मुख्यमंत्री का आभार जताया।

उत्तराखंड सचिवालय संघ और उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति अपने-अपने स्तर से बड़े निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। राजनैतिक दल की तरह कर्मचारी संगठन भी इसे अपनी जीत बता रहे हैं। जो कि चुनावी साल में लाभ लेने में पीछे नहीं हैं। जिससे सरकार के सामने खुद के संगठनों को मजबूत साबित दिखा सकें। चुनाव से पहले प्रदेश के सभी कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनरों की मांगों के लिए उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति दोबारा से आंदोलन लड रही हैा जिसमें विभिन्न विभागों, निगमों की 14 सूत्री मांगों पर यह समिति एकजुट होकर लड़ाई लड़ रही हैा कर्मचारियों की एक जैसी मांगों को लेकर वर्ष 2019 में इस समन्वय समिति ने आंदोलन किया था, जिसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री स्व. प्रकाश पंत के साथ लिखित समझौता हुआ था। अब चुनाव से पहले सभी कर्मचारी और शिक्षक एक जुट होकर फिर से आंदोलन कर रहे हैा इस बार सचिवालय संघ अपने स्‍तर से अलग से पैरवी कर रहा हैा सीएम बनने केे बाद से पुष्कर सिंह धामी कर्मचारियों की मांगों को खुद सुलझा रहे हैं। जिसका असर दिख रहा हैा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद कर्मचारियों से वार्ता कर मामले को लेकर आश्वासन दे चुके थे। अब शासन ने आदेश भी जारी कर दिया है। राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों की अटल आयुष्मान योजना से बाहर कैशलेस इलाज की व्यवस्था करने की मांग सरकार ने पूरी कर दी है।कर्मचारियों की मांग पूरी विधानसभा चुनाव में जाने से पहले सरकार हर वर्ग को साधने में जुटी है। ऐसे में राज्य कर्मचारियों की भी बड़ी मांग को धामी सरकार ने पूरा कर दिया है। जिससे कर्मचारियों का गुस्सा काफी हद तक ठंडा होना तय है।

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने गोल्डन कार्ड का शासनादेश आने के बाद बैठक बुलाई। बैठक में राज्य सरकार के गोल्डन कार्ड सुधारों से संबंधित शासनादेश जारी होने पर स्वागत किया गया। समिति के प्रवक्ता अरुण पांडेय व प्रताप पंवार ने बताया कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने जो आश्वासन समन्वय समिति को दिया था, उसे आखिर पूरा कर दिया है।उन्होंने कहा कि योजना के तहत चिकित्सालयों की एक दो चिकित्सा सुविधा को ही पंजीकृत किया गया था जबकि समन्वय समिति पूरी चिकित्सा व्यवस्था का लाभ कैशलेस देने की मांग कर रही थी, जिसे मांग लिया गया है। उन्होंने अब इस योजना के सुचारू संचालन के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में शिकायत एवं निगरानी प्रकोष्ठ का गठन करने की मांग की है।

बृहस्पतिवार को स्वास्थ्य सचिव अमित सिंह नेगी ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। जिसमें कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों का कैशलेस सुविधा को अटल आयुष्मान योजना से अलग कर दिया गया है। कर्मचारियों व पेंशनरों को राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) के तहत इलाज की सुविधा मिलेगी। साथ ही केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की दरों पर कैशलेस इलाज किया जाएगा। योजना का संचालन राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के माध्यम से किया जाएगा, लेकिन गोल्डन कार्ड और आईटी सिस्टम की व्यवस्था पहले की तरह लागू रहेगी। योजना में कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए असीमित व्यय पर कैशलेस इलाज की सुविधा है। जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के माध्यम से सूचीबद्ध 2700 से अधिक अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा रहेगी। कर्मचारी संगठनों को मिली संजीवनी राज्य सरकार के निर्णय के बाद राज्य कर्मचारियों में नया उत्साह नजर आ रहा है।

बृहस्पतिवार को सचिवालय में हुई बैठक में 764 करोड़ के निवेश प्रस्तावों को स्वीकृति,मिलेंगे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर

उत्तराखंड में 764 करोड़ के औद्योगिक पूंजी निवेश को सरकार ने मंजूरी दे दी है। मुख्य सचिव एसएस संधु की अध्यक्षता में उद्योग विभाग के लिए गठित राज्य प्राधिकृत समिति ने 764.12 करोड़ के 14 निवेश प्रस्तावों को स्वीकृति मिल गई है। इन प्रस्तावों की स्वीकृति के बाद राज्य में तीन हजार से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

बृहस्पतिवार को सचिवालय में हुई बैठक में विभिन्न निवेशकों के निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। बैठक में इन कंपनियों के प्रस्ताव को मिली मंजूरी। ट्रांस हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के 16.32 करोड़, डिक्सन टेक्नोलाजी के 94 करोड़, बहल पेपर मिल लिमिटेड के 35 करोड़, जिप्पी खाद्य उत्पाद के 26.12 करोड़, कूल कैप्स के 28.37 करोड़, वी गार्ड कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के 50.17 करोड़, साइनोकैम लाइफसाइसेंज के 57.81 करोड़, केपीटी पाइपिंग के 23.78 करोड़, बालाजी टेक्नोमीडिया के 26.92 करोड़, महालक्ष्मी बिल्डवेल के 143.55 करोड़, मेटरो डेकोरेटिव के 157 करोड़ व केदार स्टेनलेस स्टील के 66.45 करोड़ रुपये।जिसमें निवेशकों की ओर से ऊधमसिंह नगर, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी जिले में नए उद्योग लगाने में पूंजी निवेश किया जाएगा।

सरकार का प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए निवेश पर विशेष फोकस है।उद्यमियों की समस्याओं का त्वरित निपटारा करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। जिससे सिंगल विंडो के माध्यम से पूंजी निवेश में तेजी आ रही है। बैठक में सचिव उद्योग अमित सिंह नेगी, उद्योग महानिदेशक रोहित मीणा, अपर सचिव वन नेहा वर्मा, निदेशक उद्योग सुधीर चंद्र नौटियाल समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।

कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश सरकार समयबद्ध रूप से निवेश प्रस्तावों के निस्तारण के के लिए संकल्पबद्ध है। इसी का परिणाम है कि निवेश प्रस्तावों को त्वरित मंजूरी दी जा रही है। इससे प्रदेश में रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

 

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल बोले, विधान सभा, सचिवालय में याचिका मिलने के बाद होगा सदस्यता पर निर्णय

देहरादून :- विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यदि कांग्रेस विधायक राजकुमार और निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार के मामले में विधान सभा सचिवालय में कोई याचिका आती है तो फिर उस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस विधायक राजकुमार और निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार के भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। उत्तराखंड के सियासी इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पाला बदलने की यह पहली घटना नहीं है। मार्च 2016 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस के नौ विधायकों ने पार्टी छोड़ने का एलान कर तत्कालीन हरीश रावत सरकार के लिए संकट पैदा कर दिया था। ये विधायक इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। तब विधानसभा अध्यक्ष ने दलबदल कानून के तहत इन नौ विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी थी।

अब कांग्रेस विधायक और एक निर्दलीय विधायक के पाला बदलकर भाजपा का दामन थामने के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि इनकी विधानसभा की सदस्यता रहेगी अथवा जाएगी। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मसले को तूल देने के संकेत भी दिए हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कह चुके हैं कि विधानसभा अध्यक्ष से भाजपा में शामिल हुए विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध किया जाएगा।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि ऐसे मामलों में जब तक कोई याचिका नहीं आती, तब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। याचिका आने के बाद संबंधित विधायक को नोटिस भेजा जाता है और प्रकरण में सुनवाई की जाती है। इसके पश्चात ही कोई निर्णय लिया जाता है।