उत्तराखंड : विधान सभा की पहली महिला स्पीकर बनी रितु खंडूरी भूषण, निर्विरोध हुआ चुनाव, आज से संभाला पद

 उत्तराखंड विधानसभा में शनिवार को प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत की अध्यक्षता में ऋतु खंडूड़ी भूषण सर्वसम्मति से विधानसभा की अध्यक्ष चुनी गईं। रितु खंडूरी राज्य की पांचवीं विधानसभा की पहली महिला स्पीकर चुनी गई हैं। उन्होंने गुरुवार को विधानसभा में अपना नामांकन दाखिल किया था। नामांकन प्रक्रिया में एकमात्र नामांकन आने के कारण रितु खंडूरी निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गईं। प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत ने विधानसभा परिसर के सभागार में रितु खंडूरी भूषण को सदन का अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की. इसके बाद सदन के नेता, प्रोटेम स्पीकर और मंत्रियों सहित विपक्ष के सदस्यों ने नए अध्यक्ष को बेंच पर बिठाया।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ऋतु खंडूड़ी को शुभकामनाएं दी। उन्‍होंने कहा कि राज्य विधानसभा की पहली महिला अध्यक्ष चुने जाने पर मैं उन्‍हें बधाई देता हूं। वह सदन को अच्छे से चलाएंगी और उनके नेतृत्व में हमारी विधानसभा नया इतिहास रचेगी।

अब तक ये रहे हैं विधानसभा अध्यक्ष

नाम कब  से  कब तक
  • प्रकाश पंत
                           12 मार्च 2001 से 14 मार्च 2002 (अंतरिम सरकार)
  • यशपाल आर्य
                                                            15 मार्च 2002 से 11 मार्च 2007
  • हरबंस कपूर
12 मार्च 2007 से 13 मार्च 2012
  • गोविंद सिंह कुंजवाल
26 मार्च 2012 से 20 मार्च 2017
  • प्रेमचंद अग्रवाल
23 मार्च 2017 से 21 मार्च 2022

रितु खंडूरी ने उत्तराखंड के छठवें विधानसभा अध्यक्ष के पद पर पीठासीन हुई है। इस दौरान प्रोटेम स्पीकर सहित सदन के सभी सदस्यों द्वारा नए स्पीकर को बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई। विधानसभा की अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद रितु ने कहा की वह सदन को आश्वस्त करना चाहती हैं कि अपने संपूर्ण क्षमताओं से उच्च से उच्च संसदीय आदर्शों तथा परंपराओं का निर्वहन करने का प्रयास करेंगी। उन्होंने  सभी सदस्यों से सदन के संचालन में सहयोग करने की अपील की| उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही का सफल संचालन सभी सदस्यों के सहयोग पर निर्भर करता है।

उन्होनें कहा कि  उत्तराखंड राज्य के इतिहास में पहली बार महिला को सम्मान देते हुए सम्मानित सदन का अध्यक्ष चुना गया है पंचम विधानसभा का निर्विरोध रूप में सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने जाने पर पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों का आभार व्यक्त किया। गौरतलब है कि वर्ष 2000 से उत्तराखंड विधानसभा में स्व0 प्रकाश पंत, यशपाल आर्य, स्व0 हरबंस कपूर, गोविंद सिंह कुंजवाल तथा  प्रेमचंद अग्रवाल अध्यक्ष पद पर पीठासीन रहे हैं| वहीं स्वo काजी मोहिउद्दीन, स्व हरबंस कपूर,  मातवर सिंह कंडारी, डॉ शैलेंद्र मोहन सिंघल एवम  बंशीधर भगत प्रोटेम स्पीकर नियुक्त हुए हैं।

रितु खंडूरी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी हैं। प्रदेश के नैनीताल में 29 जनवरी 1965 को उनका जन्म एक फौजी परिवार में हुआ था। उन्होंने मेरठ के रघुनाथ गर्ल्स कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उन्होंने पत्रकारिता में डिप्लोमा भी हासिल किया है। साल 2006 से लेकर 2017 तक उन्होंने नोएडा की ऐमिटी यूनिवर्सिटी में फैकल्टी के रूप में भी काम किया है।ऋतु खंडूड़ी लंबे समय से समाजसेवा में भी ऐक्टिव रही हैं। साल 2017 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर यमकेश्वर सीट से चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। इस साल 2022 के चुनाव में कोटद्वार से जीत हासिल की।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल बोले, विधान सभा, सचिवालय में याचिका मिलने के बाद होगा सदस्यता पर निर्णय

देहरादून :- विधान सभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यदि कांग्रेस विधायक राजकुमार और निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार के मामले में विधान सभा सचिवालय में कोई याचिका आती है तो फिर उस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस विधायक राजकुमार और निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार के भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। उत्तराखंड के सियासी इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पाला बदलने की यह पहली घटना नहीं है। मार्च 2016 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस के नौ विधायकों ने पार्टी छोड़ने का एलान कर तत्कालीन हरीश रावत सरकार के लिए संकट पैदा कर दिया था। ये विधायक इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। तब विधानसभा अध्यक्ष ने दलबदल कानून के तहत इन नौ विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी थी।

अब कांग्रेस विधायक और एक निर्दलीय विधायक के पाला बदलकर भाजपा का दामन थामने के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि इनकी विधानसभा की सदस्यता रहेगी अथवा जाएगी। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मसले को तूल देने के संकेत भी दिए हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कह चुके हैं कि विधानसभा अध्यक्ष से भाजपा में शामिल हुए विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का अनुरोध किया जाएगा।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि ऐसे मामलों में जब तक कोई याचिका नहीं आती, तब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। याचिका आने के बाद संबंधित विधायक को नोटिस भेजा जाता है और प्रकरण में सुनवाई की जाती है। इसके पश्चात ही कोई निर्णय लिया जाता है।