कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की, दूसरी सूची में 11 में से 10 सीटों पर नए चेहरे

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 53 प्रत्याशियों की पहली सूची के बाद सोमवार देर रात 11 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।सोमवार को जारी कांग्रेस प्रत्याशियों की दूसरी सूची की बात करें तो वर्ष 2017 के चुनाव में पार्टी ने अब तक 30 नए चेहरों पर भरोसा किया है। दूसरी सूची में 11 में से 10 नए चेहरे हैं। पार्टी की दूसरी सूची में भी तीन महिलाओं को टिकट दिया गया है। जबकि पहली सूची में भी तीन महिलाओं के नाम बाहर आए थे। इस तरह से पार्टी अभी तक 64 प्रत्याशियों की सूची में छह महिलाओं को टिकट दे चुकी है।

कुमाऊं की रामनगर सीट पर पिछली बार के प्रत्याशी रहे रणजीत रावत को बड़ी पटखनी देते हुए पूर्व सीएम हरीश  रावत टिकट झटकने में कामयाब रहे हैं। इस सीट पर दोनों नेताओं के बीच कांटे की टक्कर थी।हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं लैंसडाउन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। चौकाने वाली बात है कि कांग्रेस ने पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल सहित छह कद्दावर नेताओं के टिकट काट दिए हैं।

सीट उम्मीदवार
डोईवाला – मोहित उनियाल शर्मा
कैंट- सूर्यकांत धस्माना
ऋषिकेश- जयेंद्र रमोला
ज्वालापुर – बरखा रानी
झबरेड़ा – वीरेंद्र जाती
खानपुर – सुभाष चौधरी
लक्सर – डा.अंतरिक्ष सैनी
रामनगर – हरीश रावत
लालकुआं – संध्या डालाकोटी
कालाढूंगी – डॉ. महेंद्र पाल
लैंसडौन – अनुकृति गुसाईं

इन सीटों का रेाका:
नरेंद्र नगर
टिहरी
सल्ट
हरिद्वार ग्रामीण
रुड़की
चौबट्टाखाल

भाजपा से निष्कासित होने के बाद हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस बनाएगी सरकार, कांग्रेस के लिए अब पूरी तन-मन से काम करेंगे

भाजपा ने हरक सिंह रावत को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है। इसको लेकर हरक सिंह रावत का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने इतना बड़ा फैसला लेने से पहले एक बार भी उनसे बात तक नहीं की। उन्होंने ये भी साफ किया कि अगर मैं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल न हुआ होता तो चार साल पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुका होता।

हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस ही सरकार बनाएगी। रावत ने कहा कि वह कांग्रेस के लिए अब पूरी तन-मन से काम करेंगे। रावत के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत पक्की है। बीजेपी ने हरक को रविवार देर रात पार्टी से निष्कासित कर अंतिम समय में ही सही सरकार से बर्खास्त कर उनके बगावती तेवरों से हो रहे नुकसान की भरपाई करने का प्रयास किया है।

उन्होंने पार्टी के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि ये फैसला लेने से पहले मुझसे बात तक नहीं की गई है। उन्होंने ये भी कहा कि मुझे मंत्री बनने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है। मैं सिर्फ काम करना चाहता हूं।

भाजपा सरकार में हरक सिंह रावत पहले ही दिन से असहज नजर आ रहे थे।  लेकिन अंतिम साल में उन्होंने अपने बयानों और मेल मुलाकातों से भाजपा को ही असहज करके रखा हुआ था। अब चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरु होने से चंद घण्टे पहले उनकी कांग्रेस में वापसी की प्रबल संभावना को देखते हुए आखिरकार भाजपा को आखिरकार उनसे अपने रिश्ते फिर से परिभाषित करने पड़ गए हैं।

कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत पिछले पाँच सालों से बार बार भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन की मखौल उड़ा रहे थे। यही कारण रहा कि अब कांग्रेस में जाने की चर्चाओं के बीच भाजपा को उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा। दरअसल डॉ हरक सिंह रावत पिछले पांच सालों में कई बार पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर चुके थे। डॉ हरक सिंह रावत को लेकर भाजपा के ग्रास रुट कार्यकर्ताओं में पहले से ही नाराजगी थी। उनके साथ ही कॉंग्रेस से आये नेताओ को पार्टी में ज्यादा ही तवज्जो दिए जाने से पार्टी में अंदरखाने खासी नाराजगी थी।

आम कार्यकार्ता बाहर से आए नेताओं को कभी भी तवज्जो नहीं चाहते थे। इसके बावजूद डॉ हरक सिंह रावत और उनके सहयोगी पार्टी को पांच सालों तक चलाते रहे। भाजपा नेतृत्व ने हर सम्भव कोशिश की की हरक सिंह रावत को पार्टी से जोड़ा रखा जाए लेकिन अब पानी सर से ऊपर होने और उनके कांग्रेस में शामिल होने के निर्णय के बाद पार्टी को उनके खिलाफ कदम उठाना पड़ा।
बहू के लिए टिकट मांग दिखा रहे थे बागी तेवर
लैंसडोन से बहू अनुकृति गुसाईं के लिए टिकट की मांग को लेकर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत लगातार बागी तेवर अपनाए हुए थे। भाजपा कोर कमेटी की बैठक में पहुंचने की बजाय दिल्ली के चक्कर काट रहे थे। पार्टी पर लगातार दबाव बनाए हुए थे। हरक सिंह रावत हमेशा दबाव की राजनीति के लिए जाने जाते रहे हैं।वह भाजपा पर लगातार हर बार किसी न किसी चीज के लिए दबाव बनाए हुए थे। पहले उन्होंने कोटद्वार मेडिकल कालेज के नाम पर कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी देकी र भाजपा को असहज किया।

भाजपा का कड़ा संदेश
भाजपा के इस फैसले के अनुशासन के लिहाज से कड़ा संदेश माना जा रहा है। पिछले काफी समय से हरक बगावती तेवर अपनाए हुए थे। पिछले दिनों कैबिनेट बैठक में इस्तीफे की धमकी दे चुके रावत लगातार कांग्रेस नेताओं के संपर्क में भी थे। हरक के आगे हर बार घुटने टेकने से खुद भाजपा के भीतर पसंद नहीं किया जा रहा था। हरक को बर्खास्त कर भाजपा ने साफ कर दिया है कि अब वो किसी दबाव में आने वाली नहीं है।