लखीमपुर खीरी हिंसा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट देरी से भेजने पर जताई नाराजगी,अब 26 अक्टूबर को होगी सुनवाई

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में अब 26 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। इस महीने की शुरुआत में हुई हिंसक घटना के संबंध में एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राज्य सरकार द्वारा अंतिम क्षणों में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई।अदालत ने कहा है यूपी सरकार इस केस में अपने पैर पीछे खींच रही है। अदालत ने कहा है कि उन्हें ऐसा लगता है कि राज्य सरकार इस मामले में अपने पैर पीछे खींच रही है। भारत के मुख्य न्यायधीश की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि हमने कल रात तक इंतजार किया, लेकिन रिपोर्ट दाखिल नहीं हुआ। हालांकि, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत को बताया कि रिपोर्ट दाखिल कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 26 अक्टूबर को टाल दी और कहा कि एक दिन पहले रिपोर्ट देनी चाहिए। बता दें कि इस घटना में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। अदालत ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और पिछली सुनवाई में जांच में असंतोषजनक एक्शन के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई की थी। एक केंद्रीय मंत्री का बेटा भी इस घटना में मुख्य आरोपियों में शामिल है।

यूपी के लखीमपुर हिंसा मामले में जांच से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल होने में हुई देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इस मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने आज कहा है कि इस मामले की जांच में हुई प्रगति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, ‘हमें लगता है कि आप अपने पैर खींच रहे हैं। यह सुनिश्चित करें कि आप गवाहों की रक्षा करेंगे।’ बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई की अगुवाई वाली सर्वोच्च अदालत की बेंच ने कहा, ‘हमने पिछली रात तक इंतजार किया, लेकिन कुछ भी दाखिल नहीं हुआ।’ हालांकि, वकील हरिश साल्वे ने कोर्ट को सूचना दी कि रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही यूपी सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा, ‘हमने एक स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल किया है। सुनवाई शुक्रवार तक टाली जाए।’ इसपर अदालत ने कहा, ‘हमें यह रिपोर्ट अभी-अभी मिली है। हम कल देर शाम तक इंतजार करते रहे हैं। सुनवाई को टाला नहीं जा सकता।’ हालांकि, बाद में यूपी की ओर से सभी जानकारी न देने के कारण मामला अगले हफ्ते तक के लिए टाल दी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दी। कोर्ट ने कहा कि आपने कुल 44 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं उसमें से सिर्फ चार के बयान ही मजिस्ट्रेट के समक्ष हुए हैं और के बयान भी 164 में दर्ज होने चाहिए। सरकार ने कोर्ट से इसके लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से गवाहों को समुचित सुरक्षा देने को भी कहा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस एन वी रमना ने सवाल किया है कि , ‘अगर आप सुनवाई से कुछ मिनट पहले दाखिल करेंगे तो हम रिपोर्ट को कैसे पढ़ सकते हैं? हम उम्मीद करते हैं कि यह सुनवाई से कम से कम एक दिन पहले दाखिल की जाएगी। हमने कभी नहीं कहा कि इसे एक सीलबंद कवर में होना चाहिए। कल हमने 1 बजे तड़के तक इंतजार किया। यह क्या है……’ अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से अगले हफ्ते तक एक ताजा स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘आप कहते हैं कि आपने 44 गवाहों की जांच की है। 4 गवाहों का बयान 164 के तहत के हुआ है। बाकी ने अपना बयान क्यों नहीं दर्ज करवाया है? ‘ सीजेआई ने यह भी पूछा कि इस मामले में अबतक कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में हुई घटना में आरोपी माने जाने के छह दिन बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया। आरोप लगाया गया कि आरोपी की राजनीतिक संरक्षण को देखते हुए पुलिस ने कार्रवाई में देरी की।पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने एफआइआर में नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं किए जाने और पूछताछ के लिए नोटिस भेजने पर सवाल उठाते हुए पुलिस की जांच पर असंतुष्टि जताई थी। कोर्ट ने निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच के लिए मामला किसी और एजेंसी को देने पर भी प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। हालांकि, आशीष मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया है।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को मामले पर सुनवाई की। प्रधान न्यायाधीश को भेजे गए पत्रों में आग्रह किया गया था कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए। इसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआइ से भी समयबद्ध तरीके से जांच कराने की मांग की गई थी।