ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिला 12.8 फीट का शिवलिंग,कोर्ट ने जगह को सील करने का दिया आदेश

ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम सोमवार को पूरा हो गया। सर्वे टीम 17 मई को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। तीसरे दिन सर्वे का काम पूरा होने के बाद हिंदू पक्षकारों एवं सूत्रों ने बड़ा दावा किया है। सूत्रों का कहना है कि सर्वे के तीसरे दिन मस्जिद परिसर में शिवलिंग, 15वीं शताब्दी की मूर्तियां एवं एक कांस्य प्रतिमा भी मिली है। जबकि सर्वे टीम का हिस्सा सोहनलाल आर्य का दावा है कि ‘नंदी को उनके बाबा मिल गए और जितना सोचा गया था उससे कहीं ज्यादा साक्ष्य मिला है।’ शिवलिंग मिलने के दावे की पुष्टि कोर्ट की तरफ से हो गई है। वाराणसी सिविल कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि जिस जगह पर शिवलिंग मिला है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाए। इस स्थान पर किसी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं होगी। शिवलिंग की सुरक्षा में सीआरपीएफ के जवान तैनात होंगे।

बता दें कि एक अर्जी दाखिल की गई थी, जिसमें अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है। जिसके बाद वाराणसी सिविल कोर्ट ने जगह को सील करने का आदेश दिया है। वाराणसी सिविल कोर्ट ने जिला प्रशासन को कहा है कि जिस जगह पर शिवलिंग मिला है उसे सील किया जाए। शिवलिंग को संरक्षित और सुरक्षित करते हुए किसी को भी जाने की इजाजत न दी जाये। हालांकि मुस्लिम पक्ष सभी दावों को खारिज कर रहा है। उनका कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है और रिपोर्ट अभी कोर्ट के समक्ष पेश होनी है।

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद वाराणसी कोर्ट ने जिलाधिकारी (DM) और केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) को उस जगह को तुरंत सील करने का आदेश जारी किया है। वाराणसी कोर्ट ने जिले के डीएम को आदेश देते हुए कहा, कि जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है, उस जगह को तत्काल प्रभाव से सील कर दें। वहां किसी भी व्यक्ति को जानें की अनुमति न दें। बता दें कि, इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और सीआरपीएफ को दी गई है। इतना ही नहीं, अदालत ने अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय कर की है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, ‘डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को आदेशित किया जाता है कि जिस जगह को सील किया गया है, उस स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की पूर्णत: व्यक्तिगत जिम्मेदारी उपरोक्त समस्त अधिकारियों की मानी जाएगी।

तीन दिन तक हुई फोटोग्राफी – वीडियोग्राफी

शनिवार सुबह से शुरू हुए इस सर्वे को सोमवार सुबह 10.30 बजे खत्म कर दिया गया । कोर्ट के आदेश पर गठित टीम ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा किया । सर्वे टीम ने कहा कि अब सारे दस्तावेजों की एक रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में पेश की जाएगी । इस रिपोर्ट पर दोनों पक्षों की ओर से जिरह होगी , जिसके बाद ही कोई फैसला आएगा ।

मुस्लिम पक्ष बोला – दावे बेबुनियाद

जहां हिंदू पक्ष के वकील और अन्य लोगों के चेहरे पर एक सकारात्मक रुख नजर आया , वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील ने हिंदू पक्ष के दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है । हालांकि इस दौरान वह रुककर बात करने तक को तैयार नहीं हुए । उन्होंने हिंदू पक्ष के शिवलिंग मिलने के दावों को बेबुनियाद करार दिया ।

कोर्ट ने दिया ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन के बेटे हैं विष्णु जैन। उनके इस प्रार्थना पत्र को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया, जिसमें यह दावा किया गया है कि परिसर से शिवलिंग मिला है। इस अर्जी को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और जिला मजिस्ट्रेट बनारस को आदेश दिया है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है उसे स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दें और सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाता है। जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी और पुलिस कमिश्नर पुलिस कमिश्नरेट बनारस तथा सीआरपीएफ कमांडेंट बनारस को आदेशित किया जाता है कि जिस स्थान को सील किया गया है उस स्थान को संरक्षित एवं सुरक्षित रखने की पूर्णता व्यक्तिगत जिम्मेदारी उपरोक्त समस्त अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी। उपरोक्त सील किए गए स्थान के बाबत स्थानीय प्रशासन द्वारा क्या-क्या किया गया है इस के सुपरविजन की जिम्मेदारी पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ तथा मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ की होगी। वाद लिपिक को आदेशित किया जाता है इस आदेश की प्रति संबंधित अधिकारी को प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करें पे कमिशन रिपोर्ट पर सुनवाई हेतु पेश हो।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे को लेकर वाराणसी प्रशासन द्वारा आसपास के क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। प्रशासन ने मस्जिद परिसर से 500 मीटर के दायरे में स्थित सभी दुकानों को सर्वे के दौरान बंद करने का आदेश दिया। साथ ही 2 किलोमीटर के दायरे में हर 100 तथा 200 मीटर की दूरी पर बैरिकेडिंग की गई है ताकि सर्वे के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी या माहौल बिगाड़ने की कोशिश ना की जाए। हालांकि की मस्जिद परिसर के पास काशी विश्वनाथ मंदिर में जाने के लिए भक्तों को छूट दी गई है मगर इन क्षेत्रों में मीडिया कर्मियों को जाने की इजाजत नहीं है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को अपने गांव पहुंचे, गांव पहुंचकर कैसे छलक पड़े सीएम योगी के आंसू

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के उत्‍तराखंड दौरे का आज दूसरा दिन है। बताया जा रहा है कि आज बुधवार को भी वह अपने गांव में ही प्रवास करेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने तीन दिन के दौरे पर उत्तराखंड में हैं। ऐसे में मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ अपनी मां सावित्री से मिलने के लिए अपने पैतृक गांव पंचूर पहुंचे। सीएम योगी का गांव पौड़ी गढ़वाल जिले में आता है, जहां घर पहुंचने पर उन्होंने अपनी मां से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को उत्तराखंड में अपने पैतृक गांव पहुंचे। पांच साल बाद सीएम योगी आदित्यनाथ जब अपने गांव पहुंचे तो भावुक हो गए। जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने यमकेश्वर के पंचूर गांव में कदम रखा तो उनके मन में वो तमाम यादें ताजा हो गईं, जो उनके बचपन से जुड़ी हुई थीं। संन्यास के 28 साल बाद पहली बार योगी आदित्यनाथ अपने घर में रात बिताएंगे। योगी से मिलने के लिए उनकी तीन बहनें पहले ही घर पहुंच चुकी हैं। वहीं, उनके तीनों भाई भी घर पर हैं। देखें किसका जिक्र करते वक्त योगी भावुक हो गए।

मंगलवार को सबसे पहले उन्होंने पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर में अपने गुरु महंत अवेद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद वे शाम को मुलाकात करने अपने गांव निकल गए। गांव जाने के लिए योगी ने पैदल पहाड़ी पर यात्रा की। इस प्रकार पांच साल बाद वे अपने गांव पंचूर पहुंचे।

सीएम योगी ने अपनी मां से मुलाकात से पहले भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद मुख्यमंत्री अपनी मां से मिलने पहुंचे। सीएम योगी पैदल ही अपने गांव पहुंचे थे। सीएम योगी ने अपनी मां से मिलने की एक फोटो भी ट्विटर पर शेयर की, जिसके कैप्शन में सिर्फ उन्होंने ‘मां’ लिखा।

वहीं मां का आशीर्वाद लेने से पहले सीएम योगी ने अपने स्कूल में पढ़ाने वाले गुरुओं से भी मुलाकात की। सीएम योगी ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि ‘आज मुझे यमकेश्वर, पौड़ी-गढ़वाल, उत्तराखंड में अपने स्कूल के गुरुजन के दर्शन एवं उनका सम्मान करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ।’ आपको बता दें कि सीएम योगी ने मंगलवार को यमकेश्वर में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण किया।

गौरतलब है कि उत्तराखंड के बेटे सीएम योगी आदित्यनाथ करीब पांच साल बाद अपने गांव पहुंचे थे। जैसे ही योगी अपने गांव पहुंचे, पूरा माहौल उत्सव में बदल गया। मां के अलावा सीएम योगी ने अपने परिवार के अन्य सदस्यों और आसपास के लोगों से भी मुलाकात की। रिपोर्ट के मुताबिक संन्यास के 28 साल बाद योगी आदित्यनाथ यहां रात को रूकेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरा, तीन मई को पैतृक गांव पंचूर पहुंचेंगे, गांव में जश्न की तैयारियां

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ तीन मई से तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड जाएंगे। यहां पहुंचने के बाद वो पांच साल बाद अपनी मां से मिलने पांचूर गांव भी जाएंगे। लेकिन उससे पहले यमकेश्वर जाएंगे। जहां उनके आगमन को लेकर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। पौड़ी जिले में मौजूद योगी आदित्यनाथ के पैतृक गांव पंचूर गांव में जश्न की तैयारियां की जा रही हैं, गांव में भजन कीर्तन के साथ ही पूजा पाठ किया जाएगा।

पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर विकासखंड के अंतर्गत महायोगी गुरु गोरखनाथ महाविद्यालय बिथ्यानी में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का तीन मई को प्रस्तावित कार्यक्रम है।

जिसकी तैयारी के लिए उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत बिथ्यानी पहुंचे। योगी आदित्यनाथ की माता से मुलाकात कर उन्होंने उनका आशीर्वाद लिया। उन्होंने तैयारियों के संबंध में बैठक ली। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को समुचित व्यवस्था जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए।

कहते हैं मां और बच्चे का प्यार इस दुनिया में सबसे अलग है। भले ही वह बड़ा इंसान, बूढ़ा हो या कोई भी परिस्थिति हो। मां शब्द में प्रेम और ममता है। इसी प्रेम और ममता में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार अपनी मां से मिलने उत्तराखंड जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ का ये दौरा 3 दिन का होगा। मूल रूप से उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले योगी का गांव पौड़ी जिले की यमकेश्वर तहसील का पंचूर है। इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने गांव जाकर मां से मुलाकात करेंगे।

योगी आदित्यनाथ वर्ष 2017 में यूपी के सीएम बनने से पहले एक बार गांव आए थे। इसके बाद वह ऋषिकेश और उत्तराखंड तो कई बार आए, लेकिन गांव नहीं जा पाए थे। 20 अप्रैल, 2010 में उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट का निधन हो गया था, तब कोरोनाकाल की व्यस्तताओं के कारण वह नहीं पहुंच सके थे। दोबारा सीएम बनने के बाद उन्होंने गांव आकर मां से आशीर्वाद लेने की बात कही थी। इसी कार्यक्रम के तहत वह तीन मई को गांव पहुंच रहे हैं। यमकेश्वर के बिथ्याणी स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ महाविद्यालय में उनके आगमन को लेकर मंच निर्माण से लेकर अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं।

उत्तराखंड: आज परिसंपत्तियों के मसले को सुलझाने के लिए लखनऊ में योगी-धामी करेंगे बैठक, उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के बीच क्या है परिसंपत्ति विवाद?

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही परिसंपत्तियों के बटवारे का मसला अभी तक नहीं सुलझ पाया है। इसे लेकर समय-समय पर मुख्यमंत्री से लेकर सचिव स्तर तक की बैठकें हो चुकी हैं।उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बना है, तभी से दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे का विवाद बरकरार है। अब इस विवाद को सुलझाने के लिए बड़े स्तर पर कोशिश की जा रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दो दिन के लखनऊ दौरे पर है और आज उनकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्ति विवाद को लेकर बैठक होगी। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यूपी ने अभी तक उसे पूरी परिसंपत्तियां ट्रांसफर नहीं की है। जिसके बाद आज सीएम पुष्कर सिंह धामी यूपी दौरे पर हैं। आज की बैठक में सीएम धामी सिंचाई, ऊर्जा, परिवहन, कृषि, आवास-विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, वन एवं कृषि विभाग के लंबित मुद्दे चर्चा करेंगे। वहीं सीएम धामी के साथ कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, मुख्य सचिव एसएस संधू और सचिव पुनर्गठन रंजीत सिन्हा भी लखनऊ पहुंचे हैं।

इस बारे में बीजेपी ने दावा किया है कि चुनाव से पहले इस मसले को सुलझा लिया जाएगा। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा चूंकि इस समय दोनों राज्यों और केंद्र में बीजेपी की ही सरकारें हैं इसलिए इस विवाद के सुलझने का यह सही समय है। योगी और धामी की बैठक से पहले यह भी कहा जा रहा है चूंकि योगी उत्तराखंड के हैं और धामी उप्र से गहरा ताल्लुक रखते हैं इसलिए दोनों सीएम आपसी सामंजस्य से दोनों राज्यों के बीच चल रहे इस झगड़े को ठीक से सुलझा सकते हैं।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी अभी तक परिसंपत्तियों के बंटवारे का मामला अभी तक सुलझा नहीं है और इस संबंध में पिछली बैठक अगस्त 2019 में हुई थी। हालांकि इस बैठक के दौरान कई मुद्दों पर सहमति बनी, लेकिन ज्यादातर मामलों में कोई फैसला नहीं हो सका और उत्तराखंड को परिसंपत्तियां ट्रांसफर नहीं हुई। दोनों राज्यों के बीच सिंचाई विभाग के तहत हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और चंपावत में करीब 1315 हेक्टेयर जमीन पर फैसला होना है। इसके साथ ही उत्तराखंड को 351 भवनों के हस्तांतरण पर सहमति बनने के बाद भी ये भवन नहीं मिले हैं। जिसको लेकर आज दोनों राज्यों के बीच बातचीत होगी।

उत्तर प्रदेश ने अभी तक उत्तराखंड को हरिद्वार में सिंचाई के लिए गंगानहार से 665 क्यूसेक पानी देने के लिए मंजूरी नहीं दी है। वहीं उत्तराखंड के नाम पर किच्छा में सिंचाई विभाग की 0.346 हेक्टेयर भूमि ट्रांसफर करने को लेकर भी फैसला होना है। वहीं ऊर्जा निगम में मनेरी-भाली जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम से 420 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया था और इसका इस्तेमाल दूसरे काम के लिए किया जाता था। यह राशि भी उत्तराखंड को देनी है और इस पर भी फैसला होना बाकी है। इसके साथ ही आज की बैठक में। रामगंगा बांध, शारदा नहर, खटीमा पावर हाउस, मोहम्मदपुर पावर हाउस में बिजली उत्पादन में आ रही समस्याओं पर भी बातचीत होगी।

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने अभी तक उत्तराखंड परिवहन निगम को यात्री कर के 36 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। वहीं उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास बोर्ड की परिसंपत्तियों के वितरण फार्मूले पर भी दोनों राज्यों के भी फैसला लिया जाना है। जबकि उत्तर प्रदेश वन निगम ने सहमति के बावजूद उत्तराखंड वन निगम को 77.31 करोड़ का भुगतान नहीं किया है। जिसे आज सीएम धामी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने उठाएंगे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम और उत्तराखंड बीज एवं तराई बीज निगम के बीच खातों के सामंजस्य का मामला अभी कृषि विभाग में लंबित है।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच पिछले 21 सालों से परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद हल नहीं हो सका है।  उत्तराखंड के सिंचाई विभाग की 5500 से करीब 13,000 हेक्टेयर ज़मीन और 4000 इमारतों को लेकर विवाद है, जिन पर अब तक यूपी का ही कब्ज़ा है। उत्तराखंड परिवहन विभाग की 5000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर यूपी के साथ विवाद है, तो हरिद्वार में कुंभ और कांवड़ मेले की ज़मीन पर कब्ज़े को लेकर भी विवाद है।

टिहरी डैम पर भी अब तक उप्र मालिकाना हक लिये हुए है. कुल मिलाकर 11 विभागों की ज़मीन, भवन और संपत्तियों पर उत्तराखंड दावा करता है, जो अब तक यूपी के अधिकार में हैं और इनसे यूपी ही राजस्व वसूल रहा है।इस परिसंपत्ति विवाद को लेकर कई मामले विभिन्न अदालतों में भी पेंडिंग हैं। राजस्व, सिंचाई, जल विद्युत परियोजनाएं, परिवहन, पर्यटन व कार्मिकों के आवंटन से जुड़े विभागों के मामले उलझे हुए हैं।इन्हीं को हल करने के लिए दोनों मुख्यमंत्री बैठक करने वाले हैं।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड के बाद उत्तराखंड में भी फैली आग,आक्रोशित किसानों का प्रदेश के कई शहरों में प्रदर्शन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पुलिस ने हिरासत में लिया

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के साथ हुए हादसे की आग उत्तराखंड में भी फैल गई है। प्रदेश में किसानों ने डोईवाला,बाजपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, किच्छा आदि शहरों में विरोध किया। उन्होंने केंद्र एवं यूपी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। किसानों ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है।

डोईवाला में किसानों ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। तहसील में धरना प्रदर्शन कर किसान मोर्चा की ओर से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया है। किसान संयुक्त मोर्चा के बैनर तले सोमवार को तमाम किसानों ने गुरुद्वारा सिंह सभा में बैठक की और पूरे घटनाक्रम पर अपना रोष जताते हुए राष्ट्रपति से न्याय की मांग की।

मृतक किसानों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की। इस दौरान किसानों का एक जत्था लखीमपुर में घटनास्थल के लिए रवाना हुआ। लखीमपुर के लिए निकले किसान नेता प्रीतम सिंह संधू ने बताया कि लोकतंत्र की रक्षा करने वालों ने किसानों की बेरहमी से हत्या की है जिसका पूरे देश को दुख है। पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की मांग की जाएगी।

उत्तर प्रदेश में किसानों के साथ हुई दुर्घटना के विरोध में संयुक्त मोर्चा के बैनर तले सैकड़ों किसानों ने अपना रोष प्रकट किया। किसानों ने सड़क पर जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। तहसील पहुंचे किसानों ने यहां भी धरना देकर प्रदर्शन किया। लखीमपुर घटना मामले में हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज करने और केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा को हटाने की मांग किसानों ने की।

ऊधमसिंहनगर जिले के काशीपुर में किसानों ने कड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि वह काशीपुर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की आगामी रैली नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री की मंगलवार को काशीपुर में प्रस्तावित जनसभा का किसानों ने कड़ा विरोध किया है। चेतावनी दी है कि अगर मुख्यमंत्री काशीपुर आते हैं तो किसान हेलीपैड पर बैठ जाएंगे। ट्रैक्टर-ट्राली लेकर हेलीपैड में घुस जाएंगे और टेंट उखाड़ कर फेंक देंगे। किसी भी हालत में मुख्यमंत्री को काशीपुर में रैली नहीं करने दी जाएगी। किसानों से अब और शांति की उम्मीद सरकार न करे। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार सुबह सैकड़ों की संख्या में किसान काशीपुर नवीन मंडी में एकत्र हुए। किसानों ने रुद्रपुर पहुंचकर कलक्ट्रेट का घेराव करने की घोषणा की। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू ने पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री का काशीपुर आने पर कड़ा विरोध होगा। वहीं रुद्रपुर के कलक्ट्रेट गेट पर किसानों ने धरना प्रदर्शन किया। यहां किसानों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त करने और हत्यारों को फांसी की सजा देने की मांग की। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई।

भारतीय किसान यूनियन के देहरादून जिला अध्यक्ष सुरेंद्र खालसा ने कहा कि किसान आंदोलन को दबाने की यह सत्ता पक्ष की नाकाम कोशिश है। किसान शांतिपूर्वक ढंग से अपने आंदोलन को जारी रखेंगे। कांग्रेस नेता सागर मनवाल, मोहित उनियाल, आप नेता अशोक कपरवाण, राजू मौर्य ने भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार और दिल्ली की केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाया कि डबल इंजन की सरकार आज किसानों का उत्पीड़न कर रही है।इतना ही नहीं, अब किसानों के ऊपर जानलेवा हमले भी किए जा रहे हैं। इस मामले में ठोस कार्यवाही नहीं की गई तो संयुक्त मोर्चा के किसान एक बड़ा आंदोलन को बाध्य होंगे। कांग्रेस,आम आदमी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी किसान आंदोलन के साथ किसानों को न्याय देने की मांग राष्ट्रपति से की।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के बाद हुए बवाल की आग उत्तराखंड तक पहुंच गई है। प्रदेश भर में सोमवार सुबह से धरना, प्रदर्शन, पुतला दहन और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का दौर जारी है।

लखीमपुर खीरी की घटना और प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में देहरादून एसएसपी कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत लगभग 80 कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस हिरासत में ले लिया। जिसके बाद हरीश रावत पुलिस लाइन में ही तमाम कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठ गए। पुलिस अधिकारी वार्ता कर हरीश रावत को समझाने बुझाने का प्रयास करते रहे। इसी प्रकार गढ़वाल और कुमाऊं के कई क्षेत्रों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तार दी।

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल के आह्रवान पर आज प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों में मौनव्रत एवं सामूहिक गिरफ्तारी के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी सरकार का पुतला दहन किया।