उतराखण्ड के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के सीटों पर फीस 50 हजार हुई

देहरादून :- उत्तराखंड सरकार ने दून-हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल छात्रों के लिए एक बार फिर से बांड की व्यवस्था लागू करने जा रही है। दो साल पहले सरकार ने हल्द्वानी और दून मेडिकल कॉलेज में बांड की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। इसके बाद दोनों मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को चार लाख रुपये सालाना फीस चुकानी पड़ रही थी।इस फीस का छात्र काफी समय से विरोध कर रहे हैं। सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि छात्र हित को देखते हुए फिर से दून और हल्द्वानी में बांड की व्यवस्था लागू की जाएगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग को इसके लिए प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं। अगली कैबिनेट में इस पर मुहर लगाई जाएगी। अभी सिर्फ श्रीनगर मेडिकल कालेज में ही छात्रों को यह सुविधा मिल रही थी।

एमबीबीएस के छात्र लगातार सरकारी कॉलेजों में फीस कम करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस का मुद्दा उठा। मामले में यह तथ्य सामने आया कि वर्ष 2019 में यह व्यवस्था की गई थी कि बांड से केवल पर्वतीय जिलों के मेडिकल कॉलेजों (श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज) में ही पढ़ाई की सुविधा दी जाएगी। मैदानी जिलों के मेडिकल कॉलेजों दून मेडिकल कॉलेज व हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में बांड की व्यवस्था खत्म कर दी थी। बांड भरकर एमबीबीएस की सालाना फीस 50 हजार रुपये है जबकि बिना बांड चार लाख रुपये फीस है।

सरकार की इस सहमति के बाद अब दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में पचास हजार सालाना फीस पर छात्रों को एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश मिल जाएगा। जबकि अभी बिना बांड के यह फीस चार लाख रुपये सालाना है। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में भी बांड की फीस पचास हजार रुपये है। बांड वाले डॉक्टरों को एक साल मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप और दो साल राज्य में नौकरी करनी होगी।

बांड भरने वालों के लिए भी नियम काफी सख्त हैं। मेडिकल कॉलेजों में जूनियर और सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों की कमी को देखते हुए बांड से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को पहले एक साल मेडिकल कॉलेजों में सेवा देनी होती है। उसके बाद दो साल तक दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर सेवा देनी हाती है। इसके बाद दो वर्ष तक जिला चिकित्सालयों या दुर्गम के चिकित्सालयों में सेवा की अनिवार्यता होती है।