उत्तराखंड कैबिनेट बैठक: उत्तराखंड मन्त्रिमण्डल की गुरुवार को हुई बैठक में कई मुद्दों पर अहम फैसले लिए गए

उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने अपने घोषणा पत्र में किए गए वायदे को पूरा करना शुरू कर दिया है। गुरूवार को हुई धामी सरकार की कैबिनेट बैठक में सालभर में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देने का निर्णय लिया गया है। हालांकि इसका लाभ सिर्फ अंत्योदय राशन कार्ड धारकों को ​ही मिलेगा। इसके साथ ही कैबिनेट में 7 मुद्दों पर चर्चा हुई है।

कैबिनेट बैठक के मुख्य बिंदु…
1. प्रदेश के सभी अंत्योदय राशन कार्ड धारकों को साल में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देगी सरकार। 1,84,142 कार्ड धारको को मिलेगा लाभ।

2. अंतिम विधानसभा सत्रावसान की औपचारिक अनुमोदन प्रदान किया गया।

3. हरिद्वार जिला पंचायत निर्वाचन के संबंध में निर्णय लिया गया कि एडवोकेट जनरल से उक्त के संबंध में विधिक पहलू से अवगत करायेंगे। इसके पश्चात कैबिनेट निर्णय लेगी।

4. गेंहू खरीद से संबंधित हर वर्ष की तरह कृषकों को प्रति क्विंटल 20 रू. बोनस देने का निर्णय दिया गया।

5. गन्ना विभाग द्वारा शासकीय गारंटी दी जाती है इसके ऊपर प्रतिभूति शुल्क गन्ना विभाग को देना होता है, अधिनियम के अनुसार यह धनराशि गन्ना विभाग, शासन को निशुल्क रूप में देगा। यदि गन्ना मूल्य भुगतान के लिये गन्ना विभाग को धन की आवश्यकता होगी तो उसकी प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। यदि इस शुल्क को देने के लिये धन की आवश्यकता होगी तो सरकार वित्तीय सहायता देगी।

6. पशुपालन विभाग में कृत्रिम गर्भाधान के लिये जाने वाले कार्मिकों को पूर्व की भांति मैदान में 40 रू. और पहाड़ में 50 रू. दिया जायेगा।

7. श्री केदारनाथ निर्माण के संबंध में जिन भवनों को 1 मंजिल से बढ़ाकर 2 मंजिल करनी है उनके लिये संबंधित ठेकेदार को उसी दर पर कार्य करने की मंजूरी दी गयी।

कैबिनेट फैसला:- उत्तराखंड कैबिनेट ने 25 फैसलों पर लगाई मुहर, विधवा और वृद्धावस्था की बढ़ी पेंशन 

उत्तराखंड सरकार के मंत्रिमंडल की 2021 की अंतिम बैठक में 25 फैसलों पर मुहर लगी है। समाज कल्याण विभाग की तरफ से मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन को 1200 से बढ़ाकर 1400 करने के साथ ही पति पत्नी दोंनो को पेंशन देने पर भी मुहर लगी है। इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों में जांच में को बनने वाले पर्चे में अब हर साल बढ़ोतरी नहीं होगी।

प्रदेश कैबिनेट ने ठीक चुनाव से पहले समाज कल्याण विभाग से मिलने वाली विधवा और वृद्धावस्था पेंशन बढ़ा दी है। साथ ही सरकारी अस्पतालों में एक जनवरी से लागू होने वाली शुल्क बढ़ोत्तरी भी रोक दी है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट के बाद शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने प्रमुख फैसलों की जानकारी दी। उन्होने बताया कि पहले वृद्धावस्था और विधवा पेंशन के तहत प्रति माह 1200 रुपए मिलते थे, जिसे बढ़ाकर अब 1400 रुपए प्रति माह कर दिया गया है। इसके साथ ही यदि पति – पत्नी दोनों की उम्र साठ साल से अधिक है तो दोनों पेंशन के पात्र होंगे। पूर्व में पति या पत्नी में से एक को ही यह लाभ मिलता था। प्रदेश में विधवा पेंशनर की संख्या करीब डेढ़ लाख है, जबकि वृद्धावस्था पेंशन साढ़े चार लाख से अधिक हैं।

पुलिस के 4600 ग्रेड पे के मामले में कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को अधिकृत

पुलिसकर्मियों को ग्रेड पे के लिए नए साल का इंतजार करना होगा। पुलिस के 4600 ग्रेड पे के मामले में कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को अधिकृत किया। इस तरह से पुलिसकर्मियों के परिजनों का इंतजार लंबा हो गया है। पुलिसकर्मियों के 4600 ग्रेड पे की मांग को लेकर पुलिसकर्मियों के परिजनों की ओर से लगातार विरोध जारी है। 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस पर पुलिस लाइन में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 2001 बैच के 1500 पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की थी। लेकिन दो माह बाद भी शासनादेश जारी न होने से परिजन नाराज हैं। चुनाव की आचार संहिता नजदीक देख परिजनों ने आंदोलन तेज किया हुआ है। परिजनों को डीजीपी अशोक कुमार की और से 31 दिसंबर तक का आश्वासन दिया हुआ था। लेकिन 31 दिसंबर को भी कैबिनेट में फैसला न होने से पुलिसकर्मियों के परिजनों को निराशा हाथ लगी है। जिससे आंदोलन तेज होने के आसार हैं।

शुल्क बढ़ोत्तरी पर रोक 

कैबिनेट ने एक जनवरी से सभी सरकारी अस्पतालों में दस प्रतिशत शुल्क बढ़ोत्तरी को भी रोक दिया है। तय व्यवस्था के मुताबिक प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में हर साल एक जनवरी से सभी सेवाओं पर दस प्रतिशत शुल्क बढ़ जाता है। लेकिन अब कैबिनेट ने इस बढ़ोत्तरी को रोक दिया है।

टैक्स से राहत 

कैबिनेट ने नगर निकायों में शामिल गांवों के व्यावसायिक भवनों पर भी दस साल के लिए टैक्स छूट प्रदान कर दी है। यह छूट 2018 के बाद हुए विस्तार में शामिल गांवों पर लागू होगी। इन क्षेत्रों में आवासीय भवनों पर पहले ही यह छूट लागू है।

कैबिनेट के फैसले-

  • पीआरडी के मामले में सीएम अधिकृत किया।
  • अस्पतालों में ओपीडी शुल्क नहीं बढ़ेगा, सरकारी अस्पतालों में ओपीडी की पर्ची पर सालाना 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी नहीं होगी।
  • राज्य के सभी महाविद्यालयों में हर विकासखंड के एक इंटर कॉलेज में 214 योग प्रशिक्षितों को आउट सोर्स पर लगाने का फैसला किया।
  • वृद्धा एवं विधवा पेंशन को 1200 से बढ़ाकर 1400 रुपए किया।
  • नियमित नियुक्ति से प्रभावित अतिथि शिक्षकों को उनके गृह जनपद में नियुक्ति दी जाएगी।
  • महिला अतिथि शिक्षकों को मातृत्व अवकाश की मांग देय होगी।
  • नगर निकायों की सीमा विस्तार के बाद विस्तारित क्षेत्र में कमर्शियल टैक्स के संबंध में सीएम को अधिकृत किया।
  • नरेंद्रनगर में विधि संस्थान खोलने के लिए कैबिनेट की मंजूरी।
  • वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में अब पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाएगा।
  • हर जिले में डिस्ट्रिक टूरिज्म कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया।
  • नए महाविद्यालय में शिक्षकों के खाली पदों पर प्रधानचार्य 35 हजार रुपए प्रति माह पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती कर सकेंगे।
  • हड़ताल पर रहे मनरेगा कर्मचारियों को हड़ताल अवधि का वेतन मिलेगा। छुट्टियां एडजस्ट होंगी।

उत्तराखंड राज्य सरकार ने कोविड प्रतिबंधों को 20 नवंबर तक हटा दिया है, आज से नई गाइडलाइंस लागू 

उत्तराखंड में कोरोना कर्फ्यू में लगी सभी बंदिशें राज्य सरकार ने हटा दी हैं।राज्य सरकार ने दो नवंबर को जारी एसओपी में परिवर्तन करते हुए सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और मनोरंजन से संबंधित क्रियाकलापों में सौ प्रतिशत की छूट प्रदान कर दी है।

उत्तराखंड में कोरोना मरीजों के मामलों में आई कमी और त्योहारों को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार ने कोविड प्रतिबंधों को हटा दिया है। 20 नवंबर तक के लिए नई एसओपी जारी की गई है।मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने मंगलवार को पूर्व से घोषित एसओपी में संशोधन का आदेश जारी कर दिया है। सरकार ने निर्देश दिए हैं कि मास्क,सामाजिक दूरी और अन्य नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा।

नई एसओपी के अनुसार कोविड संक्रमण की संख्या में आई कमी को देखते हुए विवाह समारोह में 100 प्रतिशत क्षमता के साथ एवं कोविड प्रोटोकॉल के तहत सम्मिलित होने की अनुमति है।

राज्य के समस्त कोचिंग संस्थान जो विद्यार्थियों / अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण एवं कोचिंग प्रदान करते हैं वह कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए सौ प्रतिशत क्षमता  के साथ खुलेंगे । इस व्यवस्था को संबंधित संस्थानों द्वारा प्रोत्साहित किया जाएगा।

मंगलवार को जारी एसओपी के तहत कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए प्रदेश में अब सभी वाणिज्यिक प्रतिष्ठान 100 प्रतिशत क्षमता के साथ खुलेंगे। इनमें जिम, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल, सैलून, स्वीमिंग पूल, मनोरंजन पार्क, थियेटर, ऑडिटोरियम, खेल मैदान, खेल संस्थान, स्टेडियम, होटल, रेस्तरां, भोजनालय आदि एसओपी के तहत कोविड प्रोटोकॉल के तहत खोले जाएंगे। एसओपी में खाद्य पदार्थों की होम डिलीवरी को प्रोत्साहित करने को कहा गया है।खेल संस्थान, स्टेडियम एवं खेल के मैदान को खेल विभाग द्वारा जारी मानक प्रचलन विधि एवं कोविड प्रोटोकॉल के तहत खोला जायेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। इसलिए लापरवाही की गुंजाइश नहीं है। जब त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है, लोगों को खुद से सावधान रहना होगा। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें और मास्क, सैनिटाइजर इत्यादि का प्रयोग बराबर करते रहें।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,उत्तराखंड को बनाएंगे देश का नंबर वन पर्यटन हब, ‘स्विटज़रलैंड को मात कर सकता है उत्तराखंड’, चारधाम के 73 टूरिस्ट स्पॉट चिह्नित

देहरादून :- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक आयोजन में यह ऐलान किया कि अगले दस सालों के भीतर उत्तराखंड को पर्यटन के मामले में नंबर वन राज्य बनाया जाएगा और देश के टूरिज़्म हब के रूप में विकसित किया जाएगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने राज्य में पर्यटन सुविधा एवं निवेश प्रकोष्ठ व पर्यटन मंत्रालय के तहत ईको टूरिज्म विंग का गठन करने और पंडित नैन सिंह सर्वेयर पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान को पर्यटन विभाग को सौंपने की घोषणा की। अभी नैन सिंह सर्वेयर पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान को खेल विभाग संचालित करता है। साथ ही कहा कि इस वर्ष नवंबर में रामनगर में साहसिक पर्यटन पर आधारित निवेश सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सोमवार को उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद और फिक्की फ्लो के सहयोग से मालसी स्थित एक फार्म में आयोजित उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने विश्व पर्यटन दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस फेस्ट के दूसरे दिन का उद्घाटन दीप जलाकर किया। यहां मुख्यमंत्री ने पर्यटन पर आधारित प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया।

सीएम धामी ने पर्यटन विभाग और फिक्की फ्लो के एक संयुक्त आयोजन में सोमवार को कहा कि राज्य के पर्यटन को विकसित करने के लिए कई तरह से सोचा जा रहा है। उत्तराखंड को इस लिहाज़ से स्विटरज़रलैंड से भी बेहतर विकसित किया जा सकता है।कुछ अहम घोषणाएं करते हुए धामी ने नैनसिंह सर्वेयर पर्वतारोहण ट्रेनिंग संस्थान को खेल विभाग से पर्यटन विभाग को सौंपने को कहा। वहीं, रामनगर में एडवेंचर टूरिज़्म के लिए नवंबर में निवेश सम्मेलन की घोषणा भी की। ईको टूरिज़्म की मदद से पर्यटन को स्थायी व्यवसाय के तौर पर बढ़ावा देने की बात भी उन्होंने कही।

पर्यटन व्यवसाय से संबंधित सभी प्रस्तावों पर पर्यटन विभाग कार्रवाई करेगा। इसमें उद्योग विभाग का हस्तक्षेप नहीं रहेगा। शहरी विकास विभाग और आवास विभाग उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए परियोजना शुरू करेगा। ईको टूरिज्म विंग की मदद से पर्यटन व्यवसाय को स्थायी व्यवसाय के रूप में विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उत्तराखंड से विशेष लगाव है। उनके नेतृत्व में चल रही विभिन्न विकास योजनाओं से उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा। चार धाम यात्रा में यात्रियों को किसी तरह की तकलीफ न हो, इसके लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरसंभव कोशिश की जा रही है।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, हमारा मूल मंत्र है कि हम श्रेष्ठ सर्विस प्रोवाइडर बनें। पर्यटकों को जितनी अधिक सुविधाएं मिलेंगी, पर्यटन व्यवसाय को उतना ही लाभ मिलेगा। हम प्रदूषण रहित पर्यटन पर भी ध्यान दे रहे हैं। इसके लिए जल्द ही पर्यटन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शुरू किया जाएगा। राज्य में विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। उद्योग मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से अनेक महत्वपूर्ण स्थल हैं। इस मौके पर पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर, फिक्की की राज्य संयोजक डा. नेहा शर्मा, किरन टोडरिया आदि मौजूद रहे।

 

चारधाम यात्रा तय समय के लिए होती है इसलिए इसके बाद इन इलाकों में पर्यटन की रफ्तार कम न हो इसके लिए सरकार एडवेंचर स्पोर्ट्स और टूरिज्म एक्टिविटी पर ध्यान दे रही है। सरकार ने 13 नए ट्रैकिंग प्लेस में 73 स्पॉट्स को चिह्नित कर लिया है। पंचकोटी से नई टिहरी, औली से गौरसू, मुनस्यारी से खलिया टॉप में तो रोप वे के लिए एमओयू भी हो चुका है। वहीं, कद्दूखाल से सुरकंडा और ठुलीगाड़ से पूर्णागिरी देवी मंदिर जैसे स्पॉट्स भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। यहां एंगलिंग, पैराग्लाइडिंग, ट्रेल रन, माउंटेन बाइकिंग, रिवर क्रॉसिंग, वॉटर रोलिंग, ऑफ-रोडिंग, हाइकिंग, सफारी शुरू करने की प्लानिंग है।

होम स्टे योजना के तहत सब्सिडी
इन जगहों पर पर्यटकों के लिए रहने की सुविधा के लिए ट्रैक्शन ट्रैकिंग होम स्टे योजना शुरू की गई है, जिसमें 40 एंट्रीज़ आ चुकी हैं। इस योजना में एक रूम के लिए 60 हज़ार की सब्सिडी दी जा रही है। हालांकि कई लोगों का मानना है कि उत्तराखंड सरकार को सब्सिडी के साथ यहां रोज़गार के साधन बढ़ाए जाने पर भी सोचना चाहिए।

उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट ने लोकायुक्त की नियुक्ति न होने पर नोटिस जारी कर, 4 हफ्ते में मांगा जवाब

नैनीताल :- लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग वाली यह याचिका हल्द्वानी के रवि शंकर जोशी ने दाखिल की है। याचिका में बताया गया है कि 2014 में सरकार ने एक्ट में बदलाव कर दिया और 2014 का संसोधन एक्ट बनाते हुए शर्त रख दी कि जिस दिन लोकायुक्त नियुक्त होगा, उसी दिन से एक्ट प्रभावी होगा।उच्च न्यायालय ने राज्य में लोकायुक्त नियुक्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई भी चार सप्ताह बाद होगी। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी की जनहित पर सुनवाई हुई।

हल्द्वानी के रवि शंकर जोशी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि सरकार ने 2013 में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए अधिनियम बनाया, जिसके सख्त प्रावधान थे, लेकिन 2014 में सरकार ने इस एक्ट में संशोधन कर दिया और यह शर्त रख दी कि जिस दिन लोकायुक्त की नियुक्ति होगी, उसी दिन से एक्ट प्रभावी होगा। आठ साल बीतने के बाद भी सरकार ने भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करने से बचाने के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति ही नहीं की।भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए उनके पास उच्च न्यायालय के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है, अगर सरकार राच्य में लोकायुक्त की नियुक्त कर देती तो उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ मामलों में लडऩे में मदद मिल सकेगी।

रविशंकर जोशी के अनुसार 2012 में खंडूरी सरकार के कार्यकाल में सशक्त लोकायुक्त बिल राज्य विधानसभा में पारित हुआ था लेकिन 2014 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में लोकायुक्त विधेयक को निरस्त कर नया लोकायुक्त बिल लाया गया, जिसे कभी लागू ही नहीं किया गया। त्रिवेंद्र सरकार ने लोकायुक्त बिल को संशोधन के लिए प्रवर समिति को सौंप दिया। 2017 में प्रवर समिति के पास भेजा गया बिल ठंडे बस्ते में पड़ा है।

अब 8 साल बीतने के बाद भी लोकायुक्त नियुक्त नहीं होने पर कोर्ट से मांग की गई है कि लोकायुक्त की नियुक्ति हो ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके। इस याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान व जस्टिस आलोक कुमार की बेंच ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति क्यों नहीं हो सकी।

हाईकोर्ट में रवि शंकर जोशी के वकील राजीव बिष्ट ने बताया कि 2013 में जो एक्ट सरकार लेकर आई थी, वह काफी मजबूत था. उसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर प्रावधान थे. पर बाद में इनमें बदलाव कर एक्ट को कमजोर कर दिया गया. राजीव बिष्ट ने बताया कि 2016 में भी ये मामला हाईकोर्ट में उठाया गया था लेकिन सरकार ने कहा कि ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है, जिसके बाद याचिका वापस ले ली गई. लेकिन साल 2018 में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2017 में एक्ट लाए गए हैं और एक्ट पास होने के तीन महीने के लोकायुक्त नियुक्त कर देंगे, जो अभी भी नहीं हुआ है. अधिवक्ता राजीव बिष्ट ने बताया कि अगर राज्य में लोकायुक्त नियुक्त होगा तो भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आएगी और कोर्ट में जो भ्रष्टाचार के मामले पेंडिंग हैं, उनमें भी कमी आएगी।

उत्तराखंड: राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने दिया इस्तीफा, यूपी चुनाव में बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ने की चर्चा

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद बुधवार को अपना इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपा है।बेनीरानी मौर्य उत्तराखंड की राज्यपाल के तौर पर बीती 26 अगस्त को अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं।राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने मीडिया से बातचीत करते हुए अपने 3 साल के कार्यकाल की जानकारी दी थी।

हाल ही में बेबीरानी मौर्य राज्यपाल पद पर तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद मीडिया से रूबरू हुई थीं। उन्होंने प्रदेश में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के मुद्दों पर जोर दिया था। उनका कहना था कि प्रदेश की महिलाएं मेहनती और जुझारू हैं। महिलाओं को राजभवन से जो बेहतर सहयोग किया जा सकता है उसके लिए आगे भी ठोस प्रयास किए जाएंगे।

राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि राजपाल बेबी रानी मौर्य आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश राजनीति में सक्रिय होना चाहती हैं।दो दिन पहले नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद से ही उनके इस्तीफा देने की चर्चाएं तेज होने लगी थीं। उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चाएं हैं। वहीं, अब प्रदेश के नए राज्यपाल की जिम्मेदारी किसे मिलेगी इसको लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है।

पहाड़ी उत्पादों को भी मिलेगी पहचान,जानिए उत्तराखंड सरकार का फसलों की मार्केटिंग को का प्लान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के कृषि और बागवानी फसलों के वितरण के लिए एक मार्केटिंग कंपनी बनाने के निर्देश दिए। सीएम ने कृषि और उद्यान विभाग की समीक्षा करते हुए फल-सब्जी उत्पादन पर जोर दिया। साथ ही खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना में तेजी लाने समेत कई निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि कृषि-बागवानी की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने पर स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

कृषि सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम ने प्रस्तुतिकरण के जरिए से विभागीय प्रगति एवं कार्यकलापों की जानकारी दी। बैठक में कृषि उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल, मुख्य सचिव डॉ. एसएस सन्धु, एसीएस आनंदवर्द्धन, सचिव शैलेश बगोली आदि मौजूद रहे। उधर, शिक्षा क्षेत्र के लिए सीएम द्वारा की गई घोषणाओं की एसीएस आनंदवर्द्धन ने मंगलवार को समीक्षा की। इस दौरान सामने आया कि 155 घोषणाओं में 120 पूरी हो चुकी हैं। शेष 35 में से 31 पर कार्रवाई चल रही है जबकि चार को निरस्त किया जा रहा है।

राज्य गठन के बीस वर्ष बीतने के बाद भी उत्तराखंड राज्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से वंचित क्यों?

देहरादून :उत्तर प्रदेश से अलग होकर पृथक प्रदेश के रूप में उत्तराखंड का गठन हुए 20 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। उत्तराखंड को राज्य घोषित करने के लिए व्यापक आंदोलन चलाया गया क्योंकि पहाड़ की जनता उत्तर प्रदेश मैं खुद को उपेक्षित महसूस कर रही थी। अपने सपनों के उत्तराखंड की मांग को लेकर जनान्दोलन चलाया गया और शहादत भी दी गई परंतु आज 20 वर्ष बाद यहां की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। राज्य गठन के बाद पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को लगता था छोटा राज्य होने के कारण इसका समुचित विकास होगा लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया। 20 वर्ष बाद भी एक नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना तक नहीं हो पाई जिसके कारण विधि की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों का रुख करना पड़ रहा है जिससे इस राज्य के विद्यार्थियों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उक्त संबंध में वर्ष 2011 में उत्तराखंड विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का गठन करने की घोषणा की गई।उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भवाली में उत्तराखंड विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया परंतु यह केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया और धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ।उक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में सन 2014 में दो जनहित याचिका प्रस्तुत की गई जिसमें उत्तराखंड में विधि विश्वविद्यालय के गठन  सम्बंधी समुचित आदेश पारित करने का निवेदन किया गया परंतु कुछ नहीं हुआ।तदोपरान्त सन् 2018 में राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 3(4) मैं संशोधन किया गया जिसके अनुसार उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का मुख्यालय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों के चयन के बाद सुनिश्चित करने का निर्णय किया गया। उक्त संबंध में दिनांक 13-04-2018 को राज्य के आफिसियक गजट में उक्त संशोधन को घोषित किया गया उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 के 7 वर्ष के बाद भी राज्य सरकार द्वारा मुख्यालय के लिए स्थल चयन का कार्य नहीं पूर्ण हो सका। इन परिस्थितियों के मध्य नजर माननीय उच्च न्यायालय ने 2014 में दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिनांक 19-06-2018 को निम्न आदेश पारित किए गये-

1. यह कि राज्य सरकार उक्त आदेश के 3 महीने के अन्दर राज्य विधि विश्वविद्यालय प्रारंभ करें।

2. यह कि राज्य सरकार को निर्देश दिए गए कि वह उक्त विश्वविद्यालय किसी सरकारी बिल्डिंग में या किसी प्राइवेट भवन में समुचित किराए पर लेकर भी विश्वविद्यालय प्रारंभ कर सकता है।

3. यह कि राज्य सरकार तराई क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए उधम सिंह नगर या अन्य तराई क्षेत्र में 1800 एकड़ भूमि का चयन करके निर्माण कार्य प्रारंभ करें।

4. कि उक्त विश्वविद्यालय में सितंबर 2018 से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ कर दिया जाए और इसके लिए आवश्यक अनुमति यों को बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया शीघ्राति शीघ्र प्राप्त कर लिया जाए।

5. यह के आदेश की तिथि के 1 महीने के अंदर विश्वविद्यालय अधिनियम का  विनियमन तैयार करें क्योंकि अभी तक उक्त अधिनियम हेतु आवश्यक विनियमन तक नहीं पारित किए गए हैं इसके लिए 1 महीने की समय सीमा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई।

इसके अतिरिक्त यह भी निर्देश दिए गए कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अधीन सभी नियुक्तियां जिसमें शैक्षणिक और प्रशासनिक शामिल हैं आदेश के 3 महीने के अंदर पूरी कर ली जाये।परंतु दुर्भाग्यवश 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक उक्त संबंध में कोई समुचित कार्यवाही नहीं की गई हालांकि माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा दिनांक 13-02-2019 को एक अधिसूचना जारी करते हुए यह कहा कि उत्तराखंड के देहरादून जिले में रानी पोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का मुख्यालय बनाया जाए।

माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन न करने के कारण माननीय उच्च न्यायालय में सन 2019 को न्यायालय की अवमानना के बाद दायर किया गया जिस के परीक्षण के बाद न्यायालय ने यह स्थापित किया कि 19-06-2018 को पारित आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया मात्र 13-02-2018 को माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा अधिसूचना जारी कर दिया गया लेकिन कोई कार्य नहीं किया गया।

उक्त अवमानना  याचिका के विरुद्ध में राज्य सरकार सुप्रीम न्यायलय में समीक्षा याचिका दायर की जिसके परीक्षण के उपरान्त सर्वोंच्च न्यायलय ने उच्च न्यायलय नैनीताल के आदेश पर स्थगनादेश पारित किया।

किसी भी राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य में मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें। जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा और आजीविका अनिवार्य क्षेत्र हैं परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा इस नवगठित राज्य में होता नहीं दिख रहा है।शिक्षा के क्षेत्र में यह राज्य पिछड़ता चला जा रहा है अन्य राज्यों से तुलना करें तो उत्तराखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एक्ट 2011 में विधानसभा में पारित किया गया तब से अन्य राज्यों में 9 एन एल यू स्थापित किए जा चुके हैं जिनमें नव गठित राज्य छत्तीसगढ़ झारखंड और हिमाचल अपने राज्य में इसकी स्थापना कर चुके हैं।

किसी भी राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना कितनी महत्वपूर्ण है इसका वर्णन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय अधिनियम में किया गया है।

1. राष्ट्रीय विकास के लिए कानून कानूनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए।

2.सामाजिक परिवर्तन के लिए एक माध्यम के रूप में कानूनी प्रक्रिया बनाने के लिए कानून के ज्ञान को प्रोत्साहित करना।

3. विधिक क्षेत्र में सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए एक भावना विकसित करने और कानूनी क्षेत्र में छात्रों और शोधों को अमल में लाने के लिए विधिक कौशल को विकसित करना।

इन उद्देश्यों को विकसित करने में उत्तराखंड की सरकार विफल रही है जनहित की अपेक्षा करके केवल अपने हितों की पूर्ति मैं संलग्न होने की राजनेताओं की प्रवृत्ति इस राज्य के विकास की सबसे बड़ी बाधा है।

राज्य में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसके गठन से इस राज्य के विद्यार्थियों को अपने राज्य के विश्वविद्यालय में आरक्षण मिलता है इसके अतिरिक्त गुणवत्ता पूर्व कानूनी शिक्षा मिलने से यहां के युवाओं को रोजगार के अतिरिक्त सरकार समाज और कंपनियों के लिए भी सक्षम नेतृत्व प्रदान करने का अवसर मिलेगा जो इस दुर्गम और पिछड़े प्रदेश के लिए प्राथमिकता समझा जाना चाहिए परंतु इस क्षेत्र में इस संबंध में सार्थक पहल अभी तक इंतजार है।