रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे देहरादून, भाजपा विधायक दल की बैठक शाम 5 बजे होगी शुरू, किसके सिर सजेगा ताज आज बैठक में होगा फैसला

उत्तराखंड में सीएम के नाम पर सस्पेंस आज खत्म हो जाएगा। प्रदेश के पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में देहरादून में होने वाली बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग जाएगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी के देहरादून पहुंचने पर पार्टी के कई नेताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। मौके पर प्रदेश प्रभारी प्रह्लाद जोशी भी मौजूद रहे। इसके साथ ही विधायकों का बीजेपी कार्यालय पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। धन सिंह रावत भी भाजपा दफ्तर पहुंचे। अब इसके बाद  शाम 5 बजे मीटिंग शुरू होगी। पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक निजी होटल में बैठक करने के बाद BJP दफ्तर के लिए रवाना हो गए हैं। अब कुछ ही देर में बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक शुरू होगी

मुख्यमंत्री का ताज किसके सिर सजेगा, इसका फैसला आज हो जाएगा। विधायक मंडल दल की होने जा रही बैठक में बीजेपी विधायक दल के नेता चुना जाएगा। प्रदेश के पर्यवेक्षक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। उनकी मौजूदगी में देहरादून में होने वाली बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लग जाएगी।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड जीत मिलने के बाद नए सीएम चेहरे को लेकर मामला पेचीदा बना हुआ है। सीएम के लिए कई नेताओं के नामों पर मंथन चल रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी देहरादून पहुंच गए हैं। ये दोनों नेता उत्तराखंड बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक के पर्यवेक्षक होंगे। राजनाथ सिंह ही उत्तराखंड के अगले सीएम का नाम घोषित करेंगे। मुख्यमंत्री का ताज किसके सिर सजेगा, इसका फैसला आज बीजेपी के विधायक मंडल दल की बैठक में साफ हो जाएगा।जिसके बाद 23 मार्च को नए सीएम शपथ ले सकते हैं। आज होने वाली बैठक में विधायकों के अलावा सभी लोक सभा और राज्य सभा सांसद भी शामिल होंगे।

भाजपा विधायक दल की शाम पांच बजे होने वाली बैठक के बाद ही सिंह सीएम के नाम का ऐलान करेंगे। देहरादून पहुंचने के बाद राजनाथ सिंह एक प्राइवेट होटल में कुछ देर आराम करने के बाद भाजपा कार्यालय में शाम पांच बजे  बैठक में शामिल होने जाएंगे।

भाजपा प्रदेश कार्यालय में सुबह से ही कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ दिखने को मिल रही है। सीएम पद के लॉबिंग के बीच कार्यकर्ता भी अपने- अपने नेता के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। भाजपा कार्यालय में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। किसी भी कार्यकर्ता को बिना पास के पार्टी कार्यालय में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

विधायक मंडल दल की बैठक में मुख्यमंत्री का नाम तय हो जाएगा। 23 मार्च को मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री शपथ ले सकते हैं। सूत्रों के अनुसार 22 मार्च को देहरादून में झंडा जी का मेला है, इस कारण कानून व्यवस्था और यातायात व्यवस्था को देखते हुए 23 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह करने की तैयारी चल रही है।

सेना के शीर्ष कमांडरों की आज होगी बैठक, पूर्वी लद्दाख समेत एलएसी पर सुरक्षा हालात का करेंगे आकलन,सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच सोमवार से सैन्य कमांडरों का चार दिन का वार्षिक सम्मेलन शुरू हो रहा है। एलएसी के अलावा कश्मीर की सुरक्षा चुनौतियों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख इस बैठक में भाग लेंगे।चार दिनों की इस बैठक में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की उम्मीद है। एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ हफ्तों में नागरिकों की हत्या के परिप्रेक्ष्य में सैन्य कमांडर्स की यह बैठक काफी अहम है।

सेना ने एक बयान में कहा, ‘2021 का दूसरा सैन्य कमांडर सम्मेलन 25 से 28 अक्टूबर तक नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। सेना के कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष स्तरीय आयोजन है जो साल में दो बार अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है। ‘सेना ने कहा, ‘भारतीय सेना का शीर्ष नेतृत्व मौजूदा तथा उभरते सुरक्षा और प्रशासनिक पहलुओं पर मंथन करेगा ताकि सीमा के हालात और कोरोना महामारी की चुनौतियों की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना की भविष्य की कार्रवाई तय हो सके।

दिल्ली में होने वाली इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और टॉप कमांडर्स पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध में देश की सैन्य तैयारी की समीक्षा करेंगे। दोनों देशों के बीच पिछले 17 महीनों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के कई बिंदुओं पर टकराव जारी है।अधिकारी ने बताया कि सैन्य कमांडर्स अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत और उपमहाद्वीप क्षेत्र में पैदा हुई सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा कर सकते हैं।सेना ने एक बयान में कहा, “सेना कमांडरों के दूसरे सम्मेलन का आयोजन 25-28 अक्टूबर तक नई दिल्ली में किया जाएगा। हर साल अप्रैल और अक्टूबर महीने में आयोजित होने वाला सैन्य कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है।”

सेना ने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए एक संस्थागत मंच है, जिसके जरिए भारतीय सेना महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों पर विचार-विमर्श करती है। यह कॉन्फ्रेंस सैन्य मामले विभाग और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वार्तालाप के लिए भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व का एक औपचारिक मंच भी है।

बयान के मुताबिक, “इस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व द्वारा वर्तमान/उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक पहलुओं पर मंथन किया जाएगा, ताकि सीमाओं पर स्थिति और कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई चुनौतियों की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना के लिए भविष्य की रूपरेखा तैयार की जा सके।”

सम्मेलन के दौरान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे और उनके साथ संवाद करेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरन बिपिन रावत, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुख भी इस सम्मेलन के दौरान तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।

रक्षा मंत्री ने गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की संगोष्ठी को संबोधित किया,पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की तारीफ की

रक्षा मंत्री ने गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की संगोष्ठी को संबोधित किया। इस दौरान उन्‍होंने राष्ट्रीय विकास में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया। इसमें इंदिरा के अलावा और कई महिलाओं का जिक्र किया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सेमिनार को संबोधित किया। संबोधन में रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल कई साल तक देश की कमान संभाली, बल्कि युद्ध के समय भी नेतृत्व किया।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में रानी लक्ष्मीबाई और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का भी जिक्र किया और कहा कि राष्ट्रीय विकास में महिला शक्ति की भूमिका को लेकर भारत का अनुभव सकारात्मक रहा है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका पर बातचीत करना ठीक है, लेकिन सुरक्षा और राष्ट्र-निर्माण के सभी क्षेत्रों में उनके व्यापक योगदान को पहचाना जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘देश की रक्षा और लोगों के अधिकारों के लिए इतिहास में महिलाओं के हथियार उठाने के अनेक उदाहरण हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने न केवल कई वर्षों तक देश का नेतृत्व किया। उन्होंने युद्ध के समय भी ऐसा किया। हाल ही में प्रतिभा पाटिल भारत की राष्ट्रपति और भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर थीं। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 1971 का युद्ध जीता, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ। सिंह ने कहा कि पालक और रक्षक के तौर पर सदियों से महिलाएं भूमिका निभाती आ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘सरस्वती ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा की देवी हैं, तो मां दुर्गा रक्षा, शक्ति, विनाश और युद्ध की देवी हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारत उन कुछ देशों में शामिल है जिन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी के लिए जल्द पहल की और महिलाओं की भर्ती स्थायी कमीशन के रूप में सेना में होने लगी है। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘महिलाएं 100 साल से अधिक समय से भारतीय सैन्य नर्सिंग सेवा में गौरव के साथ सेवाएं दे रही हैं। भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती 1992 में शुरू हुई थी। अब सेना की अधिकतर शाखाओं में महिला अधिकारियों की भर्ती की जाने लगी है।’’ उन्होंने कहा कि अगले साल से महिलाएं राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगी।

चीफ आफ डिफेंस स्‍टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि आज दुनिया के हर देश में महिलाएं आर्म्‍ड फोर्स में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवाएं दे रही हैं। भारतीय सेना में महिला सैनिकों का प्रशिक्षण कठिन है और इससे विभिन्न परिस्थितियों में उन्हें अपने कार्यों को अंजाम देने में मदद मिली है। आज, युद्ध के नजरिए से पुरुषों और महिलाओं की भूमिका के बीच का अंतर धुंधला होता जा रहा है… महिलाओं ने अपनी क्षमताएं साबित की है और वे भविष्य में भी ऐसा ही करती रहेंगी।उन्‍होंने ये बात एससीओ -इंटरनेशनल वेबिनार में सशस्‍त्र सेना में महिलाओं की भूमिका के विषय पर बोलते हुए कही है।

उत्तराखंड शहीद सम्मान यात्रा 21 अक्तूबर को चमोली जिले के सवाड़ से और 24 अक्तूबर को पिथौरागढ़ जिले से शुरू होगी, चमोली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पिथौरागढ़ में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे शुभारंभ

देहरादून:- उत्तराखंड में 21 अक्टूबर से बीजेपी सरकार शहीद सम्मान यात्रा की शुरुआत कर रही है। यह गढ़वाल और कुमाऊं से अलग-अलग शुरू होगी। इसके लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 24 अक्टूबर को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले जाएंगे।उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि शहीद सम्मान यात्रा 21 अक्तूबर को चमोली जिले के सवाड़ से और 24 अक्तूबर को पिथौरागढ़ जिले से शुरू होगी।

उत्तराखंड के सैन्य कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि पीएम मोदी जब देहरादून आए थे तब उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड देवभूमि है, वीरों की भूमि है। पीएम ने कहा था कि उत्तराखंड में चार धाम हैं, पांचवां धाम सैन्य धाम उत्तराखंड में होना चाहिए। हम उसे पूरा कर रहे हैं। देश की सेना में 17.5 फीसदी सैनिकों की पूर्ति उत्तराखंड करता है। देश की सरहद पर तैनात हर पांचवां सैनिक उत्तराखंड से है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार देहरादून में सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है, जिस तरह लोग उत्तराखंड में चारधाम के दर्शनों को आते हैं उसी तर्ज पर अब लोग देहरादून में सैन्यधाम को देखने आएंगे। सैन्यधाम का निर्माण प्रदेश के शहीदों के आंगन की मिट्टी से किया जा रहा है।

भारत की सेना के दो शहीद बाबा जसवंत सिंह और बाबा हरभजन सिंह जिनकी पूजा होती है, उन दोनों के मंदिर भी सैन्यधाम में बनेंगे। वहां संग्रहालय भी बनाया जाएगा। शहीद सम्मान यात्रा का शुभारंभ चमोली जिले के ग्राम सवाड़ और पिथौरागढ़ के ब्लॅाक मूनाकोट से होगा।

उन्होंने कहा कि शहीद सम्मान यात्रा 21 अक्टूबर को गढ़वाल के सवाड़ गांव से और 24 अक्टूबर को कुमाऊं में पिथौरागढ़ के मूनाकोट से शुरू होगी। 21 अक्टूबर को चमोली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसकी शुरुआत करेंगे और 24 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पिथौरागढ़ से इसका शुभारंभ करेंगे।

सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री से मिलकर उन्हें यात्रा का शुभारंभ करने के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय रक्षा मंत्री को उत्तराखंड में बनने वाले सैन्यधाम की प्रगति से भी अवगत कराया। रक्षा मंत्री ने राज्य के शहीदों के आंगन की पवित्र मिट्टी को सैन्यधाम में लाने के विचार का खुले दिल से स्वागत किया। उन्होंने राज्य में हो रहे विकास कार्यों पर भी खुशी जताई। कहा कि राज्य सरकार सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों के हित में संवेनशीलता से काम कर रही है।सैनिक कल्याण मंत्री ने बताया कि रक्षा मंत्री ने देहरादून स्थित गोरखा मिलिट्री इंटरमिडिएट कॉलेज एवं कैब्रियन हॉल स्कूल की लीज बढ़ाने पर भी सहमति प्रदान की है।

27 नवंबर को यात्रा देहरादून में पूरी होगी। जोशी ने कहा कि हमने राज्य भर के 1734 शहीद परिवारों से संपर्क किया है। देहरादून में स्थापित किए जा रहे सैन्य धाम के लिए प्रदेशभर के शहीद सैनिकों के घर-आंगन की मिट्टी को देहरादून में पहुंचाया जा रहा है। सरकार ने 21 अक्तूूबर से शहीद सम्मान यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया है। सैन्यधाम में लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से शहीदों की वीर गाथाओं को भी सुनाया और दिखाया जाएगा। इस यात्रा के जरिये लोगों में देशभक्ति जागृत होगी।

चुनाव से पहले यह यात्रा राजनीतिक लिहाज से भी अहम है। राज्य में सैनिक-पूर्व सैनिक और उनके परिवार के ही करीब 4.5 लाख वोटर्स हैं। राजनीतिक लिहाज से यह संख्या काफी अहम है। पूर्व सैनिकों को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता रहा है और चुनाव में राष्ट्रवाद का मसला भी गरमाता है। अगले साल की शुरुआत में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हैं।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘पुष्कर सिंह धामी आखिरी ओवर में भेजे गए बैट्समैन हैं वह कमाल के बल्लेबाज़ साबित होंगे,उत्तराखंड के लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें हैं

देहरादून:-उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में होने वाले सियासी मैच में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कंधों पर ही पूरा दारोमदार होगा।भाजपा उन्हीं की कप्तानी में चुनाव लड़ेगी और वही पार्टी का चेहरा भी होंगे। पेशावर कांड के नायक वीर चंद्रसिंह गढ़वाली की प्रतिमा व स्मारक के लोकार्पण समारोह में राज्य के दौरे पर आए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस पर एक तरह से मुहर लगा दी। पुष्कर धामी ने बिल्कुल सही नारा दिया है कि सरकार का दृढ़ इरादा, बातें कम काम ज्यादा। राजनाथ ने कहा कि वास्तव में बातें कम होनी चाहिए, लेकिन काम ज्यादा होना चाहिए।भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को वह छात्र राजनीति के समय से जानते हैं और धामी की ऊर्जा, क्षमता और कुछ कर गुज़रने के जज़्बे के कायल रहे हैं।राजनाथ सिंह ने क्रिकेट की कमेंटरी शैली में कहा, ‘सीएम धामी को मैं ऐसे देखता हूं जैसे किसी 20-20 मैच के आखिरी ओवर में बल्लेबाज़ को भेजा गया हो। वह कमाल के बल्लेबाज़ साबित होंगे, उनसे सभी को बहुत उम्मीदें हैं.’ वास्तव में, राजनाथ सिंह का यह दौरा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के नज़रिये से अहम माना जा रहा है।

चुनावी मैच में कप्तान कौन होगा, इसके लिए पार्टी नेतृत्व पहले ही कह चुका है कि धामी ही कमान संभालेंगे। हाल में उत्तराखंड के दौरे पर आए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एवं पार्टी के उत्तराखंड चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी ने साफ किया था कि धामी की अगुआई में चुनाव लड़ा जाएगा और स्वाभाविक तौर पर वही चेहरा होंगे। इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री एवं प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम भी यह कह चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुख्यमंत्री की मुलाकातों से भी इसे बल मिला है।

उत्तराखंड के ऐतिहासिक पेशावर कांड के नायक कहे जाने वाले रॉयल गढ़वाल राइफल्स के मेजर रहे वीरचंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा के अनावरण के लिए पीठसैंण में राजनाथ सिंह शुक्रवार को एक सभा को संबोधित करने पहुंचे।यहां उन्होंने उत्तराखंड में वीरता की मिसाल रहे गढ़वाली नामों को श्रद्धांजलि दी और उनके सम्मान में वक्तव्य दिया। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत समेत उत्तराखंड भाजपा के नेताओं ने एयरपोर्ट पर सिंह का स्वागत किया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि गलवान में मातृभूमि की रक्षा के लिए हमारी सेना के वीर जवानों ने देश के मान सम्मान की रक्षा की। यह सुखद संयोग है कि आज जब वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा का अनावरण हो रहा है तो देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी नेतृत्व में पिछले साढे सात वर्षों में मिशन मोड में काम हुआ है। चालीस साल तक देश के पूर्व सैनिकों को ओआरओपी के लिए इंतजार करना पड़ा। मगर मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ओआरओपी लागू कर दिया।

गढ़वाली वीरों और चुनावों के अलावा राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के सामरिक और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के लिहाज़ से रणनीतिक महत्व पर भी बातचीत की। उन्होंने दावा किया की चीन सीमा से सटे आखिरी गांव माना तक सड़क काम जल्द पूरा होने वाला है। वहीं, नेपाल के साथ मित्र ही नहीं, बल्कि पारिवारिक देश जैसे संबंध सिंह ने बताए। लिपुलेख के रास्ते मानसरोवर यात्रा के आसान हो जाने के दावे के साथ ही सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड के सामरिक महत्व को देखते हुए Border Roads Organisation (BRO) द्वारा राज्य में 1000 किमी लम्बी सड़कों का निर्माण चल रहा है, जिसमें 800 किमी सड़क तो LAC और अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से सटी है।

76 साल के हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें जन्मदिवस पर शुभकामनाएं दी, बोले- विनम्र व्यक्तित्व ने बनाया सभी का प्रिय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के 76वें जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित कई दिग्गज नेताओं ने ट्वीट कर उन्हें बधाई संदेश दिया है।रामनाथ कोविन्द का जन्म 1 अक्टूबर 1945 में हुआ था और वो भारत के 14वें और राष्ट्रपति हैं। उन्हें 25 जुलाई 2017 को 14वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए। 25 जुलाई 2017 को भारतीय उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने उन्हें भारत के राष्ट्रपति के पद की शपथ दिलायी थी।

पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रपति जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। अपने विनम्र व्यक्तित्व के कारण, उन्होंने खुद को पूरे देश के लिए प्रिय बना लिया है। समाज के गरीब और हाशिए के वर्गों को सशक्त बनाने पर उनका ध्यान अनुकरणीय है। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं.’।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी राष्ट्रपति को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए कहा,” भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। उनकी बुद्धिमत्ता, बुद्धि और सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान के लिए हर कोई उनकी प्रशंसा करता है। उनके व्यापक अनुभव से राष्ट्र लाभान्वित हुआ है। उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करते हैं.”।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी राष्ट्रपति के जन्मदिन पर उन्हें बधाई दी है। ट्वीट कर उन्होंने लिखा,’राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। देश के हर वर्ग के कल्याण और समाज में समता व समरसता के प्रति आपकी प्रतिबद्धता प्रेरणीय है। आपके ज्ञान व अनुभव से देश को निरंतर लाभ मिला है। मैं ईश्वर से आपके उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना करता हूं।’

सीएम योगी ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर लिखा-जन सरोकारों के प्रति प्रतिबद्ध, भारत के प्रथम नागरिक माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रभु श्री राम से आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं समृद्ध व सुदीर्घ जीवन की प्रार्थना करता हूं।

भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य दीनदयाल उपाध्याय की 105वीं जयंती पर पीएम मोदी बोले पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन किया समर्पित

देहरादून :- साल 1916 में आज के दिन ही भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था। दीनदयाल उपाध्याय को आज भी एक राष्ट्रवादी नेता के तौर पर याद किया जाता है। वे गरीबों और दलितों के हक के लिए हमेशा लड़े। लेकिन, इतने बड़े नेता होने के बावजूद, उनके देहांत के 53 साल बाद भी आज तक यह नहीं पता लगाया जा सका कि उनकी मृत्यु कैसे हुई।दीनदयाल उपाध्याय महज तीन साल के थे जब उनके पिता का देहांत हो गया। 7 साल के हुए तो माता का हाथ भी उनके सिर से उठ गया. मुश्किलों में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और 1937 के करीब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय को देश आज याद कर रहा है। देशभर में आज उनकी 105वीं जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम दिग्गजों ने उन्हें नमन किया है। आज ही के दिन यानी 25 सितंबर 1916 को दीनदयाल का यूपी के मथुरा में जन्म हुआ था। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा,’एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए पंडित जी को नमन किया है। उन्होंने लिखा,’ दूरदर्शी राजनीतिज्ञ पं. दीनदयाल उपाध्याय जी ने समय समय पर विभिन्न चुनौतियों व समस्याओं के निराकरण के लिए अपने विचार-दर्शन से देश का मार्गदर्शन किया। पंडित जी के एकात्म मानववाद व अंत्योदय के मंत्र सदैव हमें जनकल्याण व राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे। उन्हें कोटिशः नमन।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा,’ एकात्म मानववाद जैसे प्रगतिशील आर्थिक विचार के प्रणेता एवं अंत्योदय के लिए आजीवन काम करने वाले ‘महामानव’ पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन। सेवा और समर्पण का उनका मंत्र हमें प्रेरणा देता है। उनके विचार और दर्शन भारत की आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करते रहेंगे।

साल 1951 में संघ की मदद से श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की शुरुआत की थी। उस समय संघ ने संगठन की देखरेख का जिम्मा दीनदयाल उपाध्याय को दिया. यहां से उपाध्याय के राजनीति करियर की शुरुआत हुई। साल 1953 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी के निधन के बाद दीनदयाल उपाध्याय ने ही जनसंघ की सारी जिम्मेदारियां संभाली। वे 15 साल तक जनसंघ के महामंत्री रहे और पार्टी को मजबूती दी। उन्होंने जनसंघ को जन-जन तक पहुंचाया। इसके बाद 1967 में वे पार्टी के अध्यक्ष बने।