भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य दीनदयाल उपाध्याय की 105वीं जयंती पर पीएम मोदी बोले पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन किया समर्पित

देहरादून :- साल 1916 में आज के दिन ही भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था। दीनदयाल उपाध्याय को आज भी एक राष्ट्रवादी नेता के तौर पर याद किया जाता है। वे गरीबों और दलितों के हक के लिए हमेशा लड़े। लेकिन, इतने बड़े नेता होने के बावजूद, उनके देहांत के 53 साल बाद भी आज तक यह नहीं पता लगाया जा सका कि उनकी मृत्यु कैसे हुई।दीनदयाल उपाध्याय महज तीन साल के थे जब उनके पिता का देहांत हो गया। 7 साल के हुए तो माता का हाथ भी उनके सिर से उठ गया. मुश्किलों में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और 1937 के करीब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय को देश आज याद कर रहा है। देशभर में आज उनकी 105वीं जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम दिग्गजों ने उन्हें नमन किया है। आज ही के दिन यानी 25 सितंबर 1916 को दीनदयाल का यूपी के मथुरा में जन्म हुआ था। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा,’एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए पंडित जी को नमन किया है। उन्होंने लिखा,’ दूरदर्शी राजनीतिज्ञ पं. दीनदयाल उपाध्याय जी ने समय समय पर विभिन्न चुनौतियों व समस्याओं के निराकरण के लिए अपने विचार-दर्शन से देश का मार्गदर्शन किया। पंडित जी के एकात्म मानववाद व अंत्योदय के मंत्र सदैव हमें जनकल्याण व राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे। उन्हें कोटिशः नमन।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा,’ एकात्म मानववाद जैसे प्रगतिशील आर्थिक विचार के प्रणेता एवं अंत्योदय के लिए आजीवन काम करने वाले ‘महामानव’ पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन। सेवा और समर्पण का उनका मंत्र हमें प्रेरणा देता है। उनके विचार और दर्शन भारत की आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करते रहेंगे।

साल 1951 में संघ की मदद से श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की शुरुआत की थी। उस समय संघ ने संगठन की देखरेख का जिम्मा दीनदयाल उपाध्याय को दिया. यहां से उपाध्याय के राजनीति करियर की शुरुआत हुई। साल 1953 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी के निधन के बाद दीनदयाल उपाध्याय ने ही जनसंघ की सारी जिम्मेदारियां संभाली। वे 15 साल तक जनसंघ के महामंत्री रहे और पार्टी को मजबूती दी। उन्होंने जनसंघ को जन-जन तक पहुंचाया। इसके बाद 1967 में वे पार्टी के अध्यक्ष बने।