उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड भंग करने का किया एलान,सरकार के फैसले से तीर्थ पुरोहितों और साधु-संतों में खुशी की लहर

उत्तराखंड में देवास्थानम बोर्ड पर जारी विवाद के बीच राज्य सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग करने का फैसला किया है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर त्रिवेंद्र सरकार का फैसला पलट दिया। धामी ने बड़ा फैसला लेते हुए देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का एलान किया। दो साल पहले त्रिवेंद्र सरकार के समय चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अस्तित्व में आया था। तीर्थ पुरोहितों, हकहकूकधारियों के विरोध और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बोर्ड को मुद्दा बनाने से सरकार पर दबाव था।

देवास्थानम बोर्ड का साधु-संत लगातार विरोध कर रहे थे, जिसके बाद सरकार ने इसे भंग करने का फैसला किया है। पुरोहितों का कहना था कि इससे उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन होगा।उत्तराखंड सरकार ने देवस्थानम बोर्ड पर बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में बना देवास्थानम बोर्ड को रद्द कर दिया गया है। चारधाम हकहकूधारी तीर्थ पुरोहित महापंचायत के अध्यक्ष केके कोठियाल ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि देवस्थानम बोर्ड को कैंसिल करने के लिए पिछले दो सालों से संघर्ष किया जा रहा था। इससे पहले देवस्थानम बोर्ड पर फैसला लेने के लिए धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब कमेटी ने रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप थी।

मनोहरकांत ध्यानी कमेटी की रिपोर्ट के अध्ययन के लिए मुख्यमंत्री धामी ने महाराज की अध्यक्षता में सब कमेटी बनाई गई थी। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और यतीश्वरानंद को भी कमेटी का सदस्य बनाया गया। सब कमेटी ने कुछ ही घंटों में सिफारिश सीएम को सौंप दी थी । मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि पंडा, पुरोहितों और पुजारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा है। उधर, सीएम ने कहा कि एक-दो दिन में इस संदर्भ में निर्णय ले लिया जाएगा। कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद ने कहा कि सरकार तीर्थ पुरोहितों को निराश नहीं करेगी।

ध्यानी समिति ने रविवार शाम को अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिस पर उन्होंने इसकी जांच कर जल्द निर्णय लेने की बात कही थी। इस विधेयक के जरिए राज्य सरकार अपने दायरे में चारों धाम – बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री और गंगोत्री सहित राज्य के 51 मंदिरों को लाना चाहती थी।

देवास्थानम बोर्ड का साधु-संत लगातार विरोध कर रहे थे, जिसके बाद सरकार ने इसे भंग कर दिया।सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा- आप सभी की भावनाओं, तीर्थपुरोहितों, हक-हकूकधारियों के सम्मान और चारधाम से जुड़े सभी लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मनोहर कांत ध्यानी जी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है।

सरकार की इस मंशा की भनक लगते ही चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के साथ-साथ बाकी साधु-संत भी इस बिल के विरोध में उतर आए थे। राज्य में पिछले कई महीनों से इस बोर्ड के खिलाफ आंदोलन चलाया जा रहा था। पुरोहितों का कहना था कि इस बिल से उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन होता है। विधानसभा चुनाव से पहले संतों ने आंदोलन को और तीव्र करने की चेतावनी दी थी।

राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव और आंदोलन के तीव्र होने की आशंका के कारण धामी सरकार ने इस बोर्ड को लेकर एक समिति का गठन किया था। इस समिति की अध्यक्षता भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी कर रहे थे। जिसकी रिपोर्ट के बाद ही सरकार ने इस बिल को वापस लेने का फैसला किया है।

तीर्थ पुरोहितों ने 30 नवम्बर तक फैसला न होने पर मोदी की रैली के विरोध का निर्णय लिया गया है। चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने 30 नवंबर के बाद आंदोलन तेज करने का ऐलना किया था। तीन दिसंबर को रुद्रप्रयाग में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। चार दिसंबर को देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की होने वाली रैली का विरोध किया जाएगा। इसके लिए विरोध रैली निकाली जाएगी। महापंचायत ने देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ सरकार की घेरेबंदी तेज कर दी है।

विधेयक को पहली बार 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पेश किया था। उत्तराखंड विधानसभा ने दिसंबर 2019 में इस विधेयक को पारित कर दिया था। विधेयक के पारित होने के बाद से ही संत इसे वापस लेने की मांग कर रहे थे।

  • कब क्या हुआ
  • 27 नवंबर 2019 को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी।
  • 5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम प्रबंधन विधेयक पारित हुआ।
  • 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी।
  • 24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया।
  • 24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों का धरना प्रदर्शन
  • 21 जुलाई 2020 को हाईकोर्ट ने राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करने फैसला सुनाया।
  • 15 अगस्त 2021 को सीएम ने देवस्थानम बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी को बनाने की घोषणा की।
  • 30 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति में चारधामों से नौ सदस्य नामित किए।
  • 25 नवंबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी
  • 27 नवंबर 2021 को तीर्थ पुरोहितों ने बोर्ड भंग करने के विरोध में देहरादून में आक्रोश रैली निकाली।
  • 28 नवंबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री को अंतिम रिपोर्ट सौंपी।
  • 29 नवंबर 2021 को मंत्रिमंडलीय उप समिति ने रिपोर्ट का परीक्षण कर

 

देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में चारधाम तीर्थ पुरोहितों ने किया आंदोलन का एलान, आज करेंगे तीर्थपुरोहित कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत ने फिर से आंदोलन का एलान कर दिया है। 27 नवंबर 2019 को सरकार ने मंत्रिमंडल से देवस्थानम बोर्ड बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस दिन को चारों धामों के तीर्थपुरोहित व हकहकूकधारी काला दिन के रूप में मनाएंगे। देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर आंदोलन तेज होता जा रहा है। आज मंगलवार को चारों धामों के तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत दून में यमुना कॉलोनी स्थित सभी कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव कर रहे हैं। इसके साथ ही  सचिवालय का भी कूच किया जाएगा। इसके अलावा एक दिसंबर से चारों धामों के पूजा स्थल के साथ ही देहरादून में क्रमिक अनशन किया जाएगा।इसके अलावा 27 नवंबर को काला दिवस के रूप में मनाकर देहरादून में आक्रोश रैली निकाली जाएगी।

उत्तराखंड में चारधाम देवस्थानम को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी है। तीर्थपुरोहित इसे लगातार भंग करने की मांग करते आ रहे हैं। इस पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज तीर्थपुरोहितों ने ये फैसला लिया है। सोमवार को गांधी रोड स्थित अग्रवाल धर्मशाला में चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। जिसमें बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम से जुड़ी पंचायत एवं मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारियों ने शिरकत की।

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 27 नवंबर को चारों धामों के तीर्थ पुरोहित काला दिवस के रूप में मनाएंगे। इस दिन देहरादून में देवस्थानम बोर्ड के विरोध में गांधी पार्क से सचिवालय तक आक्रोश रैली निकाली जाएगी। महापंचायत ने निर्णय लिया कि 23 नवंबर को यमुना कॉलोनी में मंत्रियों के आवासों का घेराव किया जाएगा।

महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने कहा कि लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग उठाई जा रही है, लेकिन सरकार कार्रवाई के बजाय सिर्फ आश्वासन दे रही है। जिस कारण तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है। इसी क्रम में मंगलवार सुबह नौ बजे यमुना कालोनी स्थित सभी कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने आगे की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।

बैठक में चारधाम महापंचायत के संरक्षक संजीव सेमवाल, यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव लखन उनियाल, कोषाध्यक्ष अमित उनियाल, सह सचिव आलोक उनियाल, गंगोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पवन सेमवाल, गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल, कोषाध्यक्ष महेश सेमवाल, सह सचिव निखिलेश, महा पंचायत समन्वयक राजेश सेमवाल, गंगोत्री मंदिर के रावल मुकेश सेमवाल, ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित महापंचायत बदरीनाथ धाम के केंद्रीय अध्यक्ष उमेश सती, सचिव डीके कोठियाल, पंडा पुरोहित महासभा बदरीनाथ धाम के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी, दुर्गेश भट्ट, केदार सभा कार्यकारिणी सदस्य आचार्य संतोष त्रिवेदी, संजय तिवारी, चंडी प्रसाद तिवारी, सौरभ शुक्ला आदि मौजूद रहे।

तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र, धन सिंह और मदन कौशिक का किया विरोध, देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में आज गंगोत्री बाजार रहेगा बंद

केदारनाथ धाम के दर्शनों को गए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को सोमवार को केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध के बीच ही त्रिवेंद्र रावत ने बाबा केदार के दर्शन किए।पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी। तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं और इसे भंग करने की मांग कर रहे हैं।तीर्थपुरोहितों का विरोध अब भी जारी है। वहीं, मंत्री धन सिंह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को भी तीर्थ पुरोहितों ने घेर लिया।

चारधामों में यात्रा व्यवस्था और प्रबंधन के लिए सरकार की ओर से देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था, जिसका शुरुआत से ही तीर्थ पुरोहित विरोध कर रहे। बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर महापंचायत ने लंबा आंदोलन भी किया था। अब एक बार फिर तीर्थ पुरोहित मुखर हो गए हैं। उन्होंने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के केदारनाथ पहुंचने पर विरोध किया। उनका कहना है कि त्रिवेंद्र रावत ही देवस्थानम को लाने वाले हैं।

उत्तराखंड सरकार की ओेर से देवस्थानम बोर्ड भंग करने को लेकर कोई सकारात्मक कार्यवाही न करने पर गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में आज गंगोत्री बाजार बंद रहेगा। रविवार को गंगोत्री धाम में श्री पांच मंदिर गंगोत्री समिति, तीर्थ पुरोहितों, हकहकूक धारियों तथा स्थानीय व्यापारियों की एक बैठक संपंन हुई थी। जिसमें सभी तीर्थ पुरोहितों, व्यापारियों एवं हकहकूक धारियों ने देवस्थानम बोर्ड भंग न होने पर नाराजगी व्यक्त की।साथ ही तीर्थ पुरोहित भी गंगोत्री मंदिर की नियमित पूजा के अलावा अन्य तीर्थ यात्रियों के आग्रह पर होने वाली पूजा-पाठ नहीं कराएंगे। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को रद करने के बजाय सरकार अब तीर्थ पुरोहितों को भ्रमित कर रही है।