देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में चारधाम तीर्थ पुरोहितों ने किया आंदोलन का एलान, आज करेंगे तीर्थपुरोहित कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत ने फिर से आंदोलन का एलान कर दिया है। 27 नवंबर 2019 को सरकार ने मंत्रिमंडल से देवस्थानम बोर्ड बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस दिन को चारों धामों के तीर्थपुरोहित व हकहकूकधारी काला दिन के रूप में मनाएंगे। देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर आंदोलन तेज होता जा रहा है। आज मंगलवार को चारों धामों के तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत दून में यमुना कॉलोनी स्थित सभी कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव कर रहे हैं। इसके साथ ही  सचिवालय का भी कूच किया जाएगा। इसके अलावा एक दिसंबर से चारों धामों के पूजा स्थल के साथ ही देहरादून में क्रमिक अनशन किया जाएगा।इसके अलावा 27 नवंबर को काला दिवस के रूप में मनाकर देहरादून में आक्रोश रैली निकाली जाएगी।

उत्तराखंड में चारधाम देवस्थानम को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी है। तीर्थपुरोहित इसे लगातार भंग करने की मांग करते आ रहे हैं। इस पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज तीर्थपुरोहितों ने ये फैसला लिया है। सोमवार को गांधी रोड स्थित अग्रवाल धर्मशाला में चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। जिसमें बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम से जुड़ी पंचायत एवं मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारियों ने शिरकत की।

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 27 नवंबर को चारों धामों के तीर्थ पुरोहित काला दिवस के रूप में मनाएंगे। इस दिन देहरादून में देवस्थानम बोर्ड के विरोध में गांधी पार्क से सचिवालय तक आक्रोश रैली निकाली जाएगी। महापंचायत ने निर्णय लिया कि 23 नवंबर को यमुना कॉलोनी में मंत्रियों के आवासों का घेराव किया जाएगा।

महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने कहा कि लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग उठाई जा रही है, लेकिन सरकार कार्रवाई के बजाय सिर्फ आश्वासन दे रही है। जिस कारण तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है। इसी क्रम में मंगलवार सुबह नौ बजे यमुना कालोनी स्थित सभी कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने आगे की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।

बैठक में चारधाम महापंचायत के संरक्षक संजीव सेमवाल, यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव लखन उनियाल, कोषाध्यक्ष अमित उनियाल, सह सचिव आलोक उनियाल, गंगोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पवन सेमवाल, गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल, कोषाध्यक्ष महेश सेमवाल, सह सचिव निखिलेश, महा पंचायत समन्वयक राजेश सेमवाल, गंगोत्री मंदिर के रावल मुकेश सेमवाल, ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित महापंचायत बदरीनाथ धाम के केंद्रीय अध्यक्ष उमेश सती, सचिव डीके कोठियाल, पंडा पुरोहित महासभा बदरीनाथ धाम के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी, दुर्गेश भट्ट, केदार सभा कार्यकारिणी सदस्य आचार्य संतोष त्रिवेदी, संजय तिवारी, चंडी प्रसाद तिवारी, सौरभ शुक्ला आदि मौजूद रहे।

देवस्थानम बोर्ड के संबंध में गठित उच्चस्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी,क्या रद्द होगा देवस्थान बोर्ड 

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के संबंध में उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने सोमवार को समिति के अध्यक्ष ध्यानी ने मुख्यमंत्री धामी से सचिवालय में मुलाकात की और उन्हें देवस्थानम बोर्ड के संबंध में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी।

समिति के अध्यक्ष ध्यानी ने कहा कि सरकार ने उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। रिपोर्ट के जरिये हमने सरकार का सही मार्गदर्शन करने के साथ अधिकारी ठीक ढंग से काम करें इसका उल्लेख किया है। साथ ही अधिनियम में जो त्रुटियां और अच्छाइयां हैं, उनका जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है।अभी इस बारे में कुछ सार्वजनिक नहीं किया गया है कि रिपोर्ट में समिति ने क्या सुझाव दिए हैं।लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या देवस्थान बोर्ड को रद्द कर तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों की मांग पूरी की जाएगी।

गौरतलब है कि चारों हिमालयी धामों—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों द्वारा देवस्थानम बोर्ड के विरोध में लंबे समय तक आंदोलनरत रहने के मद्देनजर धामी ने वरिष्ठ भाजपा नेता ध्यानी की अध्यक्षता में इस उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।

21 जुलाई को उत्तरकाशी दौरे में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह घोषणा करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम के परीक्षण और उस पर ‘सकारात्मक संशोधन’ का सुझाव देने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जा रही है।उन्होंने कहा था कि यह समिति अधिनियम के विधिक पहलुओं का आकलन कर यह सुनिश्चित करेगी कि इससे चारधाम यात्रा से जुड़े हक—हकूकधारियों, पुजारियों तथा अन्य हितधारकों के पारंपरिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्या के समाधान को पूर्व सांसद और पंडा-पुरोहित समाज से जुड़े मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की। समिति को तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। समिति ने चारधाम के हक-हकूकधारियों से बातचीत के बाद दो माह में ही अपनी अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली।

लंबे समय से आंदोलनरत चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि बोर्ड का गठन उनके अधिकारों का हनन है।देवस्थानम अधिनियम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था जिसके तहत चार धामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया था। बोर्ड के गठन के बाद से ही चारधाम के तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अधिनियम व बोर्ड के कारण उनके हितों को चोट पहुंची है। वे बोर्ड को भंग करने की मांग उठा रहे हैं।

चारधाम रूट पर सदियों पुरानी पैदल ट्रैक की होगी खोजबीन,1200 किमी में 50 दिनों तक ढूढ़ेंगे रास्ते

आज चारधाम के पुराने मार्गों को खोजने के लिए 25 सदस्यों के दल को शुभकामनाएं देते हुए रवाना कर रहा हूँ। यह गर्व का क्षण है कि हमारे पास उत्तराखण्ड की पुरानी पगडंडियों का पता लगाने के लिए एक युवा बल है। यह हमारी सदियों पुरानी विरासत को संरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा : मुख्यमंत्री पुष्कर धामी

उत्तराखंड में शीतकालीन और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऋषिकेश से चारधाम तक पुराने रास्ते की तलाश की जाएगी। इसके लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। पहली बार 1200 किमी लंबे पैदल मार्ग (चारधाम ट्रेल) का खाका तैयार करने को 10 से 12 सदस्यीय रेकी टीम को सर्वे के लिए भेजा जा रहा है।केदारनाथ-बदरीनाथ सहित चारधाम के पुराने पैदल ट्रैक खोजे जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सोमवार को इन पुराने मार्गों को खोजने के लिए 25 सदस्यों के दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने ट्रैक द हिमालय के साथ मिलकर यह अभियान शुरू किया है। इसके तहत विशेषज्ञों के 25 सदस्यों का दल चारधाम ट्रैक पर पुराने मार्गों को खोजने के लिए 1200 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करेगा।

दल द्वारा यह अभियान लगभग 50 दिनों तक चलाया जाएगा। दल पुराने चार धाम और शीतकालीन चार धाम मार्ग को खोजने का काम करेगा। सीएम धामी ने ट्रेकर्स को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह गर्व का क्षण है कि हमारे पास उत्तराखंड की पुरानी पगडंडियों का पता लगाने के लिए एक युवा बल है। यह पहल हमारी सदियों पुरानी विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस अभियान से उत्तराखंड में साहसिक खेलों को भी बढ़ावा मिलेगा।

दशकों पहले चारधाम यात्रा ऋषिकेश से पैदल मार्ग से होती थी। सड़क सुविधा न होने के कारण तीर्थ यात्री इसी रास्ते से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के दर्शन करने पहुंचते थे। पैदल रास्ते पर चट्टियां होती थीं, जहां पर यात्री रात्रि विश्राम करते थे। यातायात और सड़क सुविधा से प्राचीन रास्ता बंद हो गया है। शीतकालीन व साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार व पर्यटन विभाग ने चारधाम के इस पुराने रास्ते को संवारने की कवायद शुरू कर दी है।

चारधाम यात्रा पहले ऋषिकेश से पैदल होती थी। जिसमें यात्री ऋषिकेश, देवप्रयाग, टिहरी होते हुए यमुनोत्री, गंगोत्री धाम के दर्शन कर बूढ़ाकेदार, केदारनाथ, त्रियुगीनारायण, ऊखीमठ, चोपता, गोपेश्वर होते हुए बदरीनाथ पहुंचते थे। रेकी टीम इस रास्ते का सर्वे कर पूरा खाका तैयार करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान पर्यावरण जागरूकता फैलाने, होमस्टे, स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने में भी सहायक सिद्ध होगा। इस अवसर पर पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, अपर सचिव युगल किशोर पंत, मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्नल अश्विनी पुंडीर, अपर निदेशक विवेक सिंह चौहान, अपर निदेशक श्रीमती पूनम चंद आदि मौजूद रहे।