जौनसार बावर के आराध्य देव चालदा महासू महाराज की डोली यात्रा में शामिल हुए पर्यटन मंत्री, 67 वर्षों बाद खत पट्टी समाल्टा में विराजमान होंगे चालदा महासू महाराज

देहरादून जौनसार बावर:- जौनसार बावर के आराध्य देव चालदा महासू देवता का 67 वर्षों बाद खत पट्टी समाल्टा में 23 नवम्बर को नवनिर्मित मन्दिर में विराजमान होंगे।आज समाल्टा खत के सभी ग्रामीण महिला पुरूष ने पारंपरिक वेशभूषा में हारूल नृत्य किया। देवता को लाने के लिए 400 लोगों ने महासू मंदिर के लिए प्रस्थान किया। इस दौरैान सभी ग्रामीण और श्रद्धालुओं ने महासू देवता के जयकारे लगाये।

आज 22 नवंबर को मोहना गांव से महासू देवता समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। वह चकराता के पास ठाणा गांव में (बागड़ी) रात्रि प्रवास करेंगे। 23 नवंबर को महासू देवता ठाणा गांव से खत समाल्टा के लिए चलेंगे। जिसके बाद नवनिर्मित मंदिर समाल्टा गांव में चालदा महासू देवता विराजमान होंगे। देव दर्शन को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

चकराता स्थित जौनसार बावर क्षेत्र के मोहना धाम में सोमवार को श्री चालदा महासू महाराज के दर्शनों और उनकी पावन डोली यात्रा में शामिल होने के लिए भक्तों का जनसमूह दिखाई दिया।प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज सोमवार को जौनसार बावर क्षेत्र स्थित मोहना धाम पहुंच कर चालदा महासू महाराज के दर्शन करने के साथ-साथ डोली यात्रा में भी शामिल हुए।

सतपाल महाराज ने कहा कि महासू देवता जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश तक माने जाने वाले देवों के देव इष्ट देव हैं। उन्होंने बताया कि चार भाई महासू में से चालदा महासू महाराज पवित्र मोहना धाम के भवन में विराजमान थे जो कि अब यहां से समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।

प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को जौनसार बावर क्षेत्र स्थित मोहना धाम पहुंच कर चालदा महासू महाराज के दर्शन किए और डोली यात्रा में भी शामिल हुए। चकराता स्थित जौनसार बावर क्षेत्र के मोहना धाम में सोमवार को चालदा महासू महाराज के दर्शन और उनकी पावन डोली यात्रा में शामिल होने के लिए भक्तों का अपार जनसमूह दिखाई दिया। इस अवसर पर सतपाल महाराज ने कहा कि महासू देवता जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश तक माने जाने वाले देवों के इष्ट देव हैं।

सतपाल महाराज ने बताया कि चार भाई महासू में से चालदा महासू महाराज पवित्र मोहना धाम के भवन में विराजमान थे जो कि अब यहां से समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। चालदा महाराज का आगमन मोहना गांव में 36 साल के बाद 23 नवम्बर 2019 में हुआ था। लगभग 2 वर्ष मोहना में रहने के पश्चात सोमवार को चालदा महासू महाराज की पावन डोली ने समाल्टा के लिए प्रस्थान किया।

उन्होंने कहा कि उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि उन्हें भी इस धार्मिक अनुष्ठान और चालदा महासू महाराज की पावन डोली यात्रा में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ है। मोहना गांव सात खतों मोहना, द्वार, विशलाड, बोन्दूर, तपलाड, अटगांव और बंणगांव का मुख्य केन्द्र है।

मोहना गांव सात खतों मोहना, द्वार, विशलाड, बोंदूर, तपलाड, अटगांव और बंणगांव का मुख्य केंद्र है। धार्मिक मान्यता है कि हूंणा भाट ब्राह्मण द्वारा खेत में चौथी सींह (हल की रेखा) लगते ही चालदा महाराज स्वयं ही प्रकट हुए थे। चालदा महाराज हमेशा क्षेत्र भ्रमण पर रहते हैं। वह एक स्थान पर अधिक समय तक निवास नहीं रहते, इसलिए उन्हें चालदा महाराज कहा जाता है।