चारधाम राजमार्ग विस्तार मामले को लेकर आज भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चारधाम हाईवे परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। चीन सीमा से जुड़े इस राजमार्ग को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, जिस पर विस्तार से बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और केंद्र सरकार दोनों के तर्कों को सुना और अहम टिप्पणियां कीं। फिलहाल कोर्ट ने दोनों पक्षों से दो दिनों में लिखित सुझाव मांगा है और उसके बाद कोर्ट तय करेगा कि करीब 900 किलोमीटर लंबे इस ऑल वेदर हाईवे प्रोजेक्ट में सड़कों को और चौड़ाई किया जा सकता है या नहीं।सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि, ‘आज हम उस स्थिति का सामना कर रहे हैं जहां देश की रक्षा करनी पड़ती है। हम एक बहुत ही कमजोर स्थिति में हैं। हमें देश की रक्षा करनी है और यह सुनिश्चित करना है कि हमारी सेना के लिए जो भी सुविधाएं उपलब्ध हो सकती हैं उन्हें दी जाएं जैसे हिमालयी क्षेत्रों में सड़कें।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि, हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि इतनी ऊंचाई पर देश की सुरक्षा दांव पर है। क्या भारत के उच्चतम न्यायालय जैसा सर्वोच्च संवैधानिक न्यायालय हाल की कुछ घटनाओं को देखते हुए सेना की जरूरतों को दरकिनार कर सकता है? क्या हम कह सकते हैं कि पर्यावरण संरक्षण देश की रक्षा जरूरतों से ऊपर होगा? या हमें यह कहना चाहिए कि रक्षा चिंताओं का ध्यान इस तरह रखा जाना चाहिए ताकि आगे कोई पर्यावरणीय क्षति न हो।
’कोर्ट 8 सितंबर 2020 के उस आदेश में संशोधन के लिए केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को महत्वाकांक्षी चारधाम राजमार्ग परियोजना पर 2018 के परिपत्र का पालन करने के लिए का गया है। यह सड़क चीन सीमा तक जाती है। इस रणनीतिक 900 किलोमीटर की परियोजना का मकसद उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों-यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को हर मौसम में चालू रहने वाली सड़क सुविधा प्रदान करना है।
इस परियोजना के तहत 900 किलोमीटर लम्बी सड़क परियोजना का निर्माण हो रहा है।अभी तक 400 किमी सड़क का चौड़ीकरण किया जा चुका है।एक अनुमान के मुताबिक, अभी तक 25 हजार पेड़ों की कटाई हो चुकी है, जिससे पर्यावरणविद नाराज हैं।गैर सरकारी संगठन ‘Citizens for Green Doon’ ने एनजीटी के 26 सितंबर 2018 के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।एनजीटी ने व्यापक जनहित को देखते हुए इस परियोजना को मंजूरी दी थी। एनजीओ का दावा था कि इस परियोजना से इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।