सुप्रीम कोर्ट के नौ नए न्यायाधीशों ने ली शपथ, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 33 हो गई।

नौ नए न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कार्य क्षमता बढ़कर 33 हो गई।              अपने 70 साल के इतिहास में यह पहली बार था जब नौ न्यायाधीश एक बार में पद की शपथ ले रहे थे।

इसके साथ ही शीर्ष अदालत में रिक्तियां 10 से घटकर 1 रह गईं। सुप्रीम कोर्ट की स्वीकृत संख्या 34 है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने नौ नए न्यायाधीशों – जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका, विक्रम नाथ, जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, हेमा कोहली, बीवी नागरत्ना, सीटी रविकुमार, एमएम सुंदरेश, बेला त्रिवेदी और पीएस नरसिम्हा को पद की शपथ दिलाई।

नौ न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश 17 अगस्त को कॉलेजियम द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में की गई थी और बाद में 26 अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित की गई थी।

CLAT 2021 की ऑनलाइन पहली काउंसलिंग स्टार्ट हो गयी है , 1 अगस्त को पहली सूचि जारी होगी |

CLAT Result 2021 घोषित किए जाने के साथ ही देश के टॉप विधि विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया (CLAT Counseling process 2021) शुरू कर दी गई है | पहले चरण की काउंसलिंग के नतीजे 1 अगस्त को जारी किए जाएंगे | लॉ प्रेप ट्यूटोरियल देहरादून के निदेशक सिद्धनाथ उपाध्याय ने बताया कि यह काउंसलिंग ऑनलाइन हो रही है, सीट आवंटन मेरिट कम भागीदारी यानी इसको और प्रवेश के समय दी गई वरीयता के कर्म के आधार पर होगी | दाखिले के लिए काउंसलिंग के न्यूनतम 5 राउंड होंगे और छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान आवंटित सीटों को सुरक्षित करने के लिए 50 हजार रुपए जमा करने होंगे |

यह रहेगा काउंसलिंग का कार्यक्रमपहले चरण की काउंसलिंग के नतीजे 1 अगस्त को जारी किए जाएंगे | छात्रों को अपनी वैधता के हिसाब से आवंटित सीटों को सुरक्षित करने के लिए शुल्क जमा करना होगा | दूसरे चरण की काउंसलिंग के लिए 9 अगस्त तक सूची जारी होने की उम्मीद है, जिन अभ्यर्थियों के नाम इस सूची में होंगे उनके लिए काउंसलिंग 9 और 10 अगस्त को होगी | यह काउंसलिंग भी ऑनलाइन ही कराई जाएगी | तीसरी, चौथी और पांचवी सूची 13 अगस्त से 20 अगस्त के बीच जारी होगी | हर सूची के बाद छात्र के पास केवल 2 दिन का समय होगा |

इस दौरान उसे सीट ब्लॉक करने के लिए अपने डाक्यूमेंट्स को अपलोड करके फीस जमा करना अनिवार्य होगा | इस प्रक्रिया के बाद अगर किसी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में कोई सीट खाली होगी तो अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालयों की व्यक्तिगत वेबसाइट पर उसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी | उस पर दी गई कटऑफ के आधार पर अलग से आवेदन करना होगा | जो छात्र CLAT 2021 परीक्षा में उपस्थित हुए हैं, वे ऑफिशियल वेबसाइट consortiumofnlus.ac.in पर जाकर अपना रिजल्ट (CLAT Result 2021) चेक कर सकेंगे |

आधिकारिक साइट पर जारी कैलेंडर के अनुसार CLAT 2021 काउंसलिंग रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है | यह 30 जुलाई (12 दोपहर) तक चलेगी |  उम्मीदवारों को अपनी पसंद के एनएलयू में अपनी सीटों को ब्लॉक करने के लिए 50,000 रुपये का भुगतान करना होगा | ऑफिशियल नोटिस में यह भी कहा गया है, “यदि उम्मीदवार जिन्हें पहली से चौथी Allocation लिस्ट में सीटें आवंटित की गई हैं, वे अपना प्रोविजनल एडमिशन वापस लेना चाहते हैं, तो वे इसे 18 अगस्त, 2021 को या उससे पहले कर सकते हैं |इस तारीख के बाद, सीट को ब्लॉक करने और वेटिंग उम्मीदवारों को नुकसान में डालने के लिए काउंसलिंग फीस से 10 हजार रुपये काट लिए जाएंगे |

CM पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से की मुलाकात, राज्य के लम्बित मामलों के संबंध में जानकारी देते शीघ्र निस्तारण का किया अनुरोध।

दिल्ली/उत्तराखंड : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय श्रम एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने उनसे उत्तराखण्ड से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को पर्यावरण मंत्रालय में राज्य के लम्बित मामलों के संबंध में जानकारी देते इनके शीघ्र निस्तारण का अनुरोध है। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को उत्तराखण्ड के विकास में हर सम्भव सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।
वहीँ इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक से शिष्टाचार भेंट की।

देहरादून :- उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ बेहद चिंतित,विशेषज्ञों ने दिया उत्‍तराखंड में 10 दिन कोरोना कर्फ्यू का सुझाव।

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते संक्रमण की रोकथाम को कदम नहीं उठाए गए तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं। राज्य में कम से कम 10 कोरोना कर्फ्यू लगाया जाना चाहिए।
उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते संक्रमण की रोकथाम को कदम नहीं उठाए गए तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ हुई बैठक में विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सख्ती जरूरी है। इसके लिए राज्य में कम से कम 10 कोरोना कर्फ्यू लगाया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में विशेषज्ञों के साथ न सिर्फ मंथन किया, बल्कि कोरोना संकट से निबटने के लिए सुझाव भी मांगे। स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के कुलपति डा.विजय धस्माना के अनुसार उन्होंने बैठक में साफ तौर पर कहा कि राज्य में हालात बिगड़ने की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को सख्त कदम उठाना बेहद आवश्यक है।

डा.धस्माना ने अस्पतालों में आक्सीजन की स्थिति, रेमडेसिविर दवा की सप्लाई समेत अन्य कई बिंदुओं तरफ भी ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में कुल बेड की संख्या के 30 फीसद बेड में आक्सीजन सर्पोटेड सिस्टम और इसी हिसाब से प्लांट लगाए जाते हैं। जौलीग्रांट अस्पताल में भी ऐसा ही है। आक्सीजन सपोर्टेड बेड की संख्या बढ़ाने पर इसके लिए आक्सीजन की भी जरूरत पड़ेगी। इसकी व्यवस्था समेत अन्य उपायों की तरफ भी सरकार को ध्यान देना होगा।
देहरादून का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां राज्य के विभिन्न हिस्सों के अलावा हिमाचल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी मरीज आ रहे हैं। ऐसे में दबाव काफी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि आपात स्थिति को देखते हुए संपूर्ण चिकित्सा जगत सरकार का साथ देने को तैयार है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि आवश्यक सेवाओं और इंडस्ट्री को छोड़कर राज्य में 10 दिन का कोरोना कर्फ्यू लगाया जाना चाहिए। इससे स्थिति पर काफी हद तक नियंत्रण में मदद मिलेगी।

उत्तरखंड लॉकडाउन :- उत्‍तराखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार जरूर बढ़ी है, सरकार फिलहाल लाकडाउन के पक्ष में नहीं, सख्ती बरतेगी सरकार, विवाह समारोह में अब 50 व्यक्तियों को ही मिलेगी अनुमति

कोरोना संक्रमण की रफ्तार जरूर बढ़ी है, मगर सरकार प्रदेश में लाकडाउन के पक्ष में नहीं है। अलबत्ता, संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक में इस पर सहमति बनी। यह भी तय किया गया कि भीड़भाड़ रोकने के लिए राज्य में सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी जाए। इसके अलावा विवाह समारोहों में शामिल होने के लिए अधिकतम व्यक्तियों की संख्या 50 रखने का निर्णय लिया गया। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने इसकी पुष्टि की।

कोरोना के बढ़़ते मामलों को देखते हुए गुरुवार को बुलाई गई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक स्थगित कर दी गई थी। फिर तय किया गया कि मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक कर कोरोना संकमण की स्थिति पर विमर्श कर लिया जाए। इससे पहले मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों के साथ कोरोना संक्रमण से निबटने के उपायों पर विमर्श किया। इसमें चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि हालात पर नियंत्रण के राज्य में कम से कम 10 दिन कोरोना कफ्र्यू लगाया जाना चाहिए। शाम को मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में हुई मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक में राज्य में कोरोना की स्थिति पर गहन मंथन किया गया। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार तय हुआ कि फिलहाल सरकार लाकडाउन नहीं करेगी। अलबत्ता, कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य में भीड़भाड़ न होने पाए। इस कड़ी में सार्वजनिक कार्यक्रमों (सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक) के आयोजन पर परिस्थितियां सामान्य होने तक रोक लगाने पर सहमति बनी है।
यह भी तय किया गया कि विवाह समारोहों में अधिकतम 50 व्यक्तियों को ही शामिल होने की अनुमति दी जाए। अभी यह यह सीमा सौ व्यक्ति है। इस संबंध में संशोधित आदेश शासन द्वारा जारी किए जाएंगे। बैठक में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, सतपाल महाराज, बंशीधर भगत, डा.हरक सिंह रावत, गणेश जोशी, बिशन सिंह चुफाल, राज्यमंत्री डा.धन सिंह रावत व यतीश्वरानंद उपस्थित थे।

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक सम्पन्न, कोरोना काल में सोशल मीडिया के द्वारा तेज किया जाएगा पुरानी पेंशन बहाली आन्दोलन – Dr. D.C. पसबोला

उत्तराखंड देहरादून– राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि अब पुनः आंदोलन को ऑनलाइन मोड पर ले जाने का वक़्त है। इस बार कर्मचारियों के साथ हो रहे पेंशन सम्बन्धी अन्याय को जनता के पास पहुंचाया जाएगा।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के कुमाऊँ मण्डल प्रभारी योगेश घिल्डियाल ने कहा कि ओपीएस में सरकारी तनख़्वाह की तरह ही पे कमीशन और डीए लागू होता है, वहीं एनपीएस में ये दोनों चीज़ें नदारद हैं. ‘पे कमीशन’ जहां हर 10 साल में पेंशन को गुणात्मक रूप से बढ़ा देता है, वहीं डीए के चलते भी कुछेक प्रतिशत बढ़ौतरी हर छः महीने में हो जाती है. जबकि एनपीएस में पेंशन आपको इन पांच इंश्योरेंस कंपनीज़ में से एक से मिलनी है. वो क्यूं ही हर साल, छः महीने में आपके पैसे बढ़ाए।
महिला मोर्चा की गढ़वाल मण्डल प्रभारी रश्मि गौड़ ने कहा कि आज मै तो यही सोचती हूँ कि जब हम रिटायर होंगे, तब क्या होगा।क्योंकि पुरानी पेंशन तो बुढ़ापे का सहारा है।हम अपनी इज्जत से जी सकते है।किसी के आगे हाथ नही फैला सकते।जिन लोगो की पेंशन है वे स्वाभिमान से अपना जीवन यापन कर रहे है।चाहे उनकी सन्तान उन्हें दे या ना दे इससे उन्हें कोई फर्क नही पड़ता है।इसलिए पुरानी पेंशन जरूरी है। मै अपने पिता श्री को देखती हूँ ।वो अपनी पेंशन के कारण स्वाभिमान से जीते है। आज भी वो 40000 रु पेंशन पाते है। माँ और पिताजी अपनी सारी जरुरतो को पूरा करते है और सम्मानपूर्वक जिंदगी जी रहें है।पुरानी पेंशन ही न्याय संगत हे।इसलिए हमे पुरानी पेंशन चाहिए और ले कर रहेंगे।पुरानी पेंशन के लिए लड़ेंगे और ले कर रहेंगे।

प्रान्तीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला ने कहा कि
पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) का शेयर मार्केट से कोई संबंध नहीं था।पुरानी पेंशन में हर साल डीए जोड़ा जाता था।पुरानी पेंशन व्यवस्था में गारंटी थी कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा उसे पेंशन के तौर पर मिलेगा।अगर किसी की आखिरी सैलरी 50 हजार है तो उसे 25 हजार पेंशन मिलती थी। इसके अलावा हर साल मिलने वाला डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी।नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था।जीपीएफ एकाउंट में कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था।जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी। इसके विपरीत नई पेंशन व्यवस्था (NPS) वर्ष 2004 से लागू हुई न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस)न्यू पेंशन स्कीम एक म्‍यूचुअल फंड की तरह है।ये शेयर मार्केट पर आधारित व्यवस्था है।पुरानी पेंशन की तरह इसमेें पेंशन में हर साल डीए नहीं जोड़ा जाता। कोई गारंटी नहीं है कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा ही उसे पेंशन के तौर पर मिले। एनपीएस के तहत जो टोटल अमाउंट है, उसका 40 प्रतिशत शेयर मार्केट में लगाया जाता है। कर्मचारी या अधिकारी जिस दिन वह रिटायर होता है, उस दिन जैसा शेयर मार्केट होगा, उस हिसाब से उसे 60 प्रतिशत राशि मिलेगी. बाकी के 40 प्रतिशत के लिए उसे पेंशन प्लान लेना होगा।पेंशन प्लान के आधार पर उसकी पेंशन निर्धारित होगी।नई व्यवस्था में कर्मचारी का जीपीएफ एकाउंट बंद कर दिया गया है।

डॉ० पसबोला ने आगे स्पष्ट किया कि विरोध इन बातों पर है:-
1 जनवरी 2004 को जब केंद्र सरकार ने पुरानी व्यवस्था को खत्म कर नई व्यवस्था लागू की. एक बात साफ थी कि अगर राज्य चाहें तो इसे अपने यहां लागू कर सकते हैं. मतलब व्यवस्था स्वैच्छिक थी. उत्तराखंड में इसे 1 अक्टूबर 2005 को लागू कर दिया. पश्चिम बंगाल में आज भी पुरानी व्यवस्था ये लागू है।
पुरानी पेंशन व्यवस्था नई व्यवस्था की तरह शेयर बाजार पर आश्रित नहीं है, लिहाजा उसमें जोखिम नहीं था.
न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के 14 साल बाद भी यह व्यवस्था अभी तक पटरी पर नहीं आ सकी है।
नई स्कीम में कोई गारंटी नहीं है कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा ही उसे पेंशन के तौर पर मिले. क्योंकि शेयर बाजार से चीजें तय हो रही हैं।
नई व्यवस्था के तहत 10 प्रतिशत कर्मचारी और 10 प्रतिशत सरकार देती है. लेकिन जो सरकार का 10 प्रतिशत का बजट है, वही पूरा नहीं है।
उत्तराखण्ड में मौजूदा समय में 2.5 लाख कर्मचारी है. अगर उनकी औसत सैलरी निकाली जाए तो वह 25 हजार के आसपास है. इस हिसाब से कर्मचारी का 2500 रुपए अंशदान है. लेकिन इतना ही अंशदान सरकार को भी करना है. मोटे तौर पर सरकार के ऊपर कई हजार करोड़ का भार आएगा. लेकिन सरकार के पास इसके लिए बजट ही नहीं है।
नई व्यवस्था के तहत मान लीजिए अगर किसी की पेंशन 2000 निर्धारित हो गई तो वह पेंशन उसे आजीवन मिलेगी. उसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं होगा. पुरानी व्यवस्था में ऐसा नहीं था. उसमें हर साल डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी. विरोध शेयर मार्केट आधारित व्यवस्था को लेकर है. कर्मचारियों का कहना है कि मान लीजिए कि एक कर्मचारी एक लाख रुपये जमा करता है. जिस दिन वह रिटायर होता है उस दिन शेयर मार्केट में उसके एक लाख का मूल्य 10 हजार है तो उसे 6 हजार रुपये मिलेंगे और बाकी 4 हजार में उसे किसी भी बीमा कंपनी से पेंशन स्कीम लेनी होगी. इसमें कोई गारंटी नहीं है।
पहले जो व्यवस्था थी, उसमें नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था. उसमें कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था. जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था और सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी. नई व्यवस्था में जीपीएफ अकाउंट बंद कर दिया गया है।

कोरोना: भारत में चली कोरोना की ताजा लहर ने दुनिया को हैरान कर दिया,भारत में कोरोना के 3.14 लाख नए केस दर्ज होने के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा, अमेरिका को पछाड़ा

भारत इस वक्त दुनिया में कोरोना वायरस के महासंकट का एपिसेंटर बन गया है।भारत में चली कोरोना की ताजा लहर ने दुनिया को हैरान कर दिया है। गुरुवार को भारत ने एक दिन में दर्ज किए गए सबसे अधिक केस का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पहले अमेरिका में एक दिन में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए थे।
गुरुवार को भारत में कोरोना के 3.14 लाख नए केस दर्ज किए गए हैं। दुनिया में एक दिन में किसी एक देश में आए ये सबसे अधिक नए केस हैं। इससे पहले इसी साल जनवरी में अमेरिका में 3 लाख के करीब कोरोना के मामले दर्ज किए गए।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जनवरी 2021 में अमेरिका में 297,430 केस दर्ज किए गए थे. लेकिन इस आंकड़े को छूने के बाद से ही अमेरिका में लगातार केसोंकी संख्या कम होती गई है।
गुरुवार को भारत में कोरोना का आंकड़ा
•    24 घंटे में आए कुल केस: 3,14,835
•    24 घंटे में हुई मौतें: 2,104
•    एक्टिव केस की संख्या: 22,91,428

उत्तराखंड:देहरादून में आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड फुल ,मुसीबत में गंभीर मरीज, कोविड श्मशान घाट पर भी लोगों को अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा।

हरादून और ऋषिकेश के प्रमुख अस्पतालों के कोविड बेड कोरोना मरीजों से भर गए हैं। बेड खाली नहीं होने से बुधवार को गंभीर कोरोना मरीजों के सामने इलाज का संकट पैदा हो गया। उन्हें एंबुलेंस में आक्सीजन सपोर्ट पर लिटाकर दिनभर अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े। इस तरह के नाजुक हालात से देहरादून को पहली बार दो चार होना पड़ा है। कोरोना मरीज बढ़ने से देहरादून में इलाज के इंतजाम कम पड़ने लगे। दून अस्पताल में बुधवार सुबह सात बजे ही आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड फुल हो गए। सुबह के वक्त एक घंटे के भीतर वहां से करीब 20 मरीजों को वापस लौटना पड़ा।

इन सभी मरीजों को शहर के निजी अस्पतालों में ले जाया गया। प्राइवेट अस्पताल कैलाश, मैक्स, इंद्रेश और सीएमआई में आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड खाली नहीं होने पर फिर से गंभीर मरीजों को कुछ घंटे बाद दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा। हालात बिगड़ते देख दून अस्पताल की गैलरी में ऑक्सीजन बेड लगाए गए। वहां भर्ती होने के लिए मरीजों को डेढ़ से दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

दून अस्पताल इमजरेंसी के बाहर दिनभर एक वक्त में कम से कम पांच से सात एंबुलेंस खड़ी थीं, उनमें ऑक्सीजन सपोर्ट पर गंभीर मरीज लेटे हुए थे। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि गंभीर मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत आ रही है। आईसीयू और वेटिंलेटर खाली नहीं हैं। ऑक्सीजन बेड का इंतजाम कर उन्हें भर्ती करने का प्रयास किया जा रहा है।

ऋषिकेश में भी स्थिति खराब
ऋषिकेश में एम्स और राजकीय चिकित्सालय में भी 81 सामान्य बेड को छोड़ सभी ऑक्सीजन बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर फुल हो गए हैं। यहां से भी मरीज जौलीग्रांट और फिर आईसीयू नहीं मिलने पर देहरादून पहुंच रहे हैं।

माेर्चुरी के बाहर भीड़
दून अस्पताल में मच्र्यूरी के बाहर सुबह से लोगों की भीड़ लगी है। उनको यहां पहले एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ रहा है। एंबुलेंस खाली नहीं मिलने की वजह से उन्हें बाहर से मनमानी कीमत चुकाकर शव ले जाने के लिए इंतजाम करना पड़ रहा है। अस्पताल से बुधवार दोपहर 12 बजे से डेढ़ बजे तक आठ शवों को ले जाया जा चुका था।

श्मशान में भी लगाना पड़ा नंबर
कोविड श्मशान घाट पर भी लोगों को अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। वहां राजधानी दून के साथ ही जौलीग्रांट तक से शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं। यहां मुख्य सड़क पर वाहनों की लंबी लाइन लगी है। श्मशान घाट पर भी लोगों से अंतिम संस्कार के लिए मनमाने तरीके से रुपये लिए जाने की शिकायत लोग कर रहे हैं।

अस्पतालों में तीन गुना तक बढ़ी ऑक्सीजन की मांग, फिलहाल किल्लत नहीं
राज्य में कोरोना संक्रमण में तेजी और गंभीर मरीजों की संख्या में इजाफे से ऑक्सीजन की मांग तीन गुना तक बढ़ गई है। मांग में बढ़ोत्तरी की वजह से कुछ स्थानों पर ऑक्सीजन की कीमतों में उछाल भी आया है। हालांकि राज्य भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है और कहीं भी किल्लत जैसी नौबत नहीं है। यह अलग बात है कि संक्रमण में बेतहाशा वृद्धि और गंभीर मरीज अचानक बढ़ने से भविष्य में ऑक्सीजन संकट की नौबत आ सकती है। पेश है हिन्दुस्तान की रिपोर्ट।

दून में डिमांड बढ़ी, किल्लत नहीं
राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है। दून अस्पताल में रोजाना पांच से छह टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है जो पहले दो टन के आसपास थी। श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में छह टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है। दोनों अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले यूनिवर्सल गैस कंपनी के संचालक विजय दीक्षित ने बताया कि रुड़की से ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिल रही है। उन्होंने कहा कि मांग में दो से तीन गुना इजाफा हुआ है लेकिन अभी कोई परेशानी नहीं है। जिलाधिकारी डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी ना हो इसके लिए नोडल अधिकारी तय कर दिए गए हैं। ऑक्सीजन की कमी होने पर तत्काल व्यवस्था करने और स्थिति से अवगत कराने को कहा गया है।

ऑक्सीजन के दामों में 40 फीसदी इजाफा
हरिद्वार के अस्पतालों में आक्सीजन की भारी मांग की वजह से आक्सीजन के दामों में 40 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।— जिले में अधिकांश मरीज होम आइसोलेशन में रह रहे हैं और इस वजह से घर में ऑक्सीजन सिलेंडरों की डिमांड बढ़ रही है। जिले में ऑक्सीजन की कोई कमी तो नहीं है लेकिन मांग बढ़ने की वजह से प्राइवेट से सिलेंडरों की कीमत बढ़ गई है। हालांकि जिले के अस्पतालों में ऑक्सीजन की स्थिति पर्याप्त बनी हुई है। जिले में 51 आईसीयू बेड हैं और अभी सभी बेड खाली चल रहे हैं।

हल्द्वानी में तीन गुना हुई खपत
हल्द्वानी के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग तीन गुना हो गई है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज समेत सात निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इन अस्पतालों में रोजाना 200 ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत होती थी जो अब बढ़कर 600 के पार पहुंच गई है। हालांकि ऑक्सीजन सप्लाई में कहीं कोई दिक्कत नहीं है और दामों में भी इजाफा नहीं हुआ है। इसके अलावा पिथौरागढ़, यूएसनगर, चम्पावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों में भी आक्सीजन की कोई कमी नहीं है।

पर्वतीय जिलों में कोई समस्या नहीं
गढ़वाल के पर्वतीय जिलों में भी आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। मरीज काफी कम होने की वजह से अस्पतालों में आईसीयू और वेंटीलेटर बेड खाली हैं और आक्सीजन सिलेंडर भी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में हैं। रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी और पौड़ी जिलों में ऑक्सीजन सप्लाई पर्याप्त मात्रा में हो रही है।

रुड़की व श्रीनगर में पर्याप्त उत्पादन
रुड़की के मंगलौर में ऑक्सीजन प्लांट में 700 सिलेंडर की क्षमता प्रतिदिन है। चौबीस घंटे प्लांट काम कर रहा है। करीब नब्बे फीसदी काम हो रहा है। प्लांट से राज्य में कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इधर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्लांट में भी ऑक्सीजन का उत्पादन लगातार किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के दो प्लांट एक दिन में 12 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

राज्य में क्षमता से कई गुना ऑक्सीजन उत्पादन
निदेशक स्वास्थ्य एसके गुप्ता ने बताया कि राज्य के सभी प्लांटों में मौजूदा समय में एक दिन में तकरीबन 350 क्यूबिक मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जबकि राज्य के अस्पतालों की कुल ऑक्सीजन डिमांड प्रतिदिन 125 क्यूबिक मीट्रिक टन के करीब चल रही है। ऑक्सीजन की मांग में कुछ दिनों में इजाफा हुआ है लेकिन यह बहुत सामान्य है और किल्लत जैसी कोई बात नहीं है। इसके अलावा भविष्य की जरूरतों को देखते हुए उत्पादन बढ़ाने के प्रयास भी हो रहे हैं।

राज्य में बेड की कमी नहीं है, लेकिन संक्रमण के बाद सभी लोग आईसीयू और वेंटिलेटर की डिमांड कर रहे हैं। इस वजह से अस्पतालों पर भारी दबाव है। प्राइवेट अस्पतालों में सिफारिशों की वजह से भी क्रिटिकल बेड भर गए हैं। राजधानी दून में दिक्कतों को देखते हुए एम्स, दून और रायपुर कोविड केयर सेंटर में आईसीयू बेड बढ़ाए जा रहे हैं, जबकि कोरोनेशन अस्पताल को भी कोविड अस्पताल में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है।

उत्तराखंड की सीमा से बाहर गए तो होना पड़ेगा क्वारंटाइन,बाहरी राज्यों से प्रवेश करने के लिए लोगों को स्मार्ट सिटी देहरादून के पोर्टल पर होम आइसोलेशन के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य

जिले में बाहरी राज्यों से प्रवेश करने के लिए लोगों को स्मार्ट सिटी देहरादून के पोर्टल पर पंजीकरण करना जरूरी होगा। बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिले में यह व्यवस्था बनाई गई। राज्य से बाहर गए लोगों को भी लौटने पर सात क्वारंटाइन रहना होगा। देहरादून के डीएम आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बाहरी राज्यों ने आने वाले पर्यटक, श्रद्धालुओं या अन्य लोगों को पोर्टल पर पंजीकरण के बाद ही जिले में प्रवेश दिया जाएगा। वहीं उन्हें कोरोना की बीते 72 घंटे कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। वहीं, राज्य से बाहर जाने वाले या बाहर से आ रहे लोगों को वापसी पर सात दिन के क्वारंटाइन रहना होगाा। इसकी स्वास्थ्य विभाग मानिटरिंग करेगा। ऐसे लोग बाहर जाने के लिए स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं।

होम आइसोलेशन के लिए पंजीकरण 
डीएम ने बताया कि जिले में ऐसे संक्रमित व्यक्ति जिन्हें स्वास्थ्य को देखते हुए चिकित्सालय में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है ऐसे व्यक्ति होम आइसोलेशन में जाने के लिए वेबसाइट https://dsclservices.org.in/self-isolation.php पर आवेदन कर पंजीकरण करा सकते हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग उनकी मानिटरिंग करने के साथ ही दवा और अन्य व्यवस्थाए कराएगा।

देहरादून के हालात: 24 घंटे 87 फीसदी बढ़ी संक्रमितों की संख्या
देहरादून। दून में कोरोना तेजी से रफ्तार पकड़ता जा रहा है। यहां संक्रमितों की प्रतिदिन संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि जल्द काबू नहीं किया गया तो परिणाम घातक हो सकते हैं। क्योंकि, अस्पतालों में अभी से हालात खराब हैं। आगे मरीज बढ़े रहे हैं। ऐसे में संभालना मुश्किल हो जाएगा। बुधवार को जिले में 1854 नए कोरोना संक्रमित मिले। यह संख्या मंगलवार को मिले संक्रमितों की 187 फीसदी है।जिले में मंगलवार को 999 लोग कोरोना संक्रमित मिले थे। बुधवार को यह संख्या 1876 पहुंच गई। इतना ही नहीं बीते कई दिनों में भी कोरोना के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण की दर के साथ ही मरीजों का औसत तेजी से उछाल ले रहा है। इससे बचने के लिए लोगों को अतिरिक्त एहतियात बरतने की जरूरत है। क्योंकि, जिले में कोरोना अस्पताल अभी से पैक हैं। जिले में बुधवार कोरोना संक्रमण के चलते 11 लोगों की जान गई। बुधवार शाम तक जिले में कोरोना मरीजों की कुल संख्या 44,778 पहुंच गई। इनमें 9,164 एक्टिव कोरोना केस हैं।

देवस्थानम बोर्ड ने चारधाम के कपाट खुलने की तिथियां घोषित, कोरोना गाइडलाइन का पालन अनिवार्य।

वस्थानम बोर्ड ने चारधाम के कपाट खुलने की तिथियां घोषित कर दी हैं। श्री केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई प्रात: पांच बजे और श्री बदरीनाथ धाम के 18 मई सुबह सवा चार बजे खुलेंगे।
मंगलवार को देवस्थानम बोर्ड ने धामों के कपाट खुलने की तिथियों की जानकारी दी है। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि श्री यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 14 मई को दोपहर 12:15 बजे खुलेंगे। श्री गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई को प्रात: 7 बजकर 31 मिनट पर खुलेंगे। कहा कि कोविड-19 से बचाव हेतु जारी एसओपी का पालन किया जाएगा और सभी के लिए मास्क पहनना, सामाजिक दूरी और सेनेटाइजेशन अनिवार्य रहेगा।