उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा मंगलवार को दिल्ली से अचानक देहरादून पहुंचे,मंत्री हरक सिंह और विधायक काऊ से मुलाकात की

देहरादून :- उत्तराखंड की सियासी हवाओं की अटकलों के बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा दिल्ली से अचानक देहरादून पहुंचे। बहुगुणा ने मंगलवार को देहरादून पहुंचकर मंत्री हरक सिंह और विधायक काऊ के निवास पर जाकर उनसे लंबी मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक बहुगुणा ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि सभी एकजुट रहेंगे तो ठीक रहेगा। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव के संबंध में चर्चा की।

कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत और रायपुर क्षेत्र से विधायक उमेश शर्मा काऊ को साधने के लिए पार्टी हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को मोर्चे पर लगाया है।सूत्रों के मुताबिक, पार्टी केंद्रीय नेतृत्व ने इन अटकलों पर पूर्ण विराम लगाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा को मैदान में उतारा है। लंबे समय से तकरीबन उपेक्षित रहे बहुगुणा ने अपने साथियों से मुलाकात करने से पहले भाजपा प्रदेश कार्यालय का रुख किया। वहां उन्होंने प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार से मुलाकात की।

विधायक काऊ ने मुलाकात के बारे में पूछने पर बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा उनके गु्रप के नेता है। उन्हीं के नेतृत्व में हम भाजपा में शामिल हुए थे। साढ़े चार साल बाद वह उनके घर आए और कुशलक्षेम पूछी। साथ ही पार्टी संगठन की मजबूती और आगामी विधानसभा चुनाव में जीत के संबंध में चर्चा हुई। मंत्री हरक सिंह रावत से काफी प्रयासों क बाद भी फोन पर संपर्क नहीं हो पाया।

पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा ने कहा कि हमने कांग्रेस से विभाजन सिद्धांतों के आधार पर किया था। आज हम सभी साथ हैं और पूरी तरह से समर्पित हैं। बहुगुणा ने कहा कि हमारा आज भी यह मानना है कि उत्तराखंड का हित और विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुरक्षित है। पीएम मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है।पूर्व मुख्यमंत्री ने इस पर कहा कि कांग्रेस में विभाजन करने वाले हम नौ विधायक थे, यशपाल आर्य हमारे साथ नहीं थे।बहुगुणा ने कहा कि कुछ गलत भ्रांतियां फैली हैं। न तो कोई नाराज है न ही कोई कहीं जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी छोड़ने को लेकर जो चर्चाएं हो रही हैं, वो बे सिर-पैर की कहानी है। उसमें कोई सच्चाई नहीं है।

वर्ष 2016 के सियासी घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तब उनकी अगुआई में जिन नौ कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा का दामन थामा था, उनमें हरक सिंह रावत व उमेश शर्मा काऊ भी शामिल थे।सूत्रों के मुताबिक बहुगुणा ने मुलाकात के दौरान यह संदेश देने का प्रयास किया कि सभी एकजुट रहें। ये भी चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर फार्मूला, मनपसंद सीट समेत अन्य विषयों पर भी मंथन हुआ। अब देखने वाली बात होगी कि बहुगुणा की यह मुलाकात क्या असर दिखाती है।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने सिद्धार्थनगर से नौ मेडिकल कालेजों का किया उद्घाटन, वाराणसी में की प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना की शुरुआत की

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले पीएम मोदी का यह दौरा काफी अहम है और इसे मिशन यूपी 2022 के रूप में देखा जा रहा है। अपने दौरे के दौरान पीएम मोदी सिद्धार्थनगर से उत्तर प्रदेश के 9 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया। इसके बाद प्रधानमंत्री वाराणसी पहुंचे, जहां उन्होंने ‘प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ की शुरुआत की। पीएम मोदी 5 हजार 200 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की भी शुरुआत करेंगे।

सिद्धार्थनगर आने वाले पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- ‘आज का दिन उत्तर प्रदेश के लिए, विशेषकर पूर्वांचल के लिए आरोग्य की डबल डोज लेकर आया है। यहां सिद्धार्थनगर में प्रदेश के नौ मेडिकल कालेज का उद्घाटन किया। इसके बाद पूर्वांचल से ही पूरे देश के लिए एक बहुत बड़ी योजना शुरू होने जा रही है।केंद्र और प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पूर्वांचल को पहले की सरकारों ने बीमारियों से जूझने के लिए छोड़ दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने वाराणसी में पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का शुभारंभ किया। इस दौरान उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में डबल इंजन की सरकार ने हर गरीब तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए बहुत ईमानदारी से प्रयास किया है। योगी सरकार से पहले जो सरकार थी, उसने अपने कार्यकाल में यूपी में सिर्फ 6 मेडिकल कालेज बनवाए थे। योगी जी के कार्यकाल में 16 मेडिकल शुरू हो चुके हैं और 30 नए मेडिकल कॉलेजों पर तेजी से काम चल रहा है। रायबरेली और गोरखपुर में बन रहे एम्स तो यूपी के लिए एक प्रकार से बोनस हैं।

इन मेडिकल कालेजों का हुआ लोकार्पण                                                                                      सिद्धार्थनगर में माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कालेज, देवरिया में महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कालेज, गाजीपुर में महर्षि विश्वामित्र मेडिकल कालेज, मीरजापुर में विंध्यवासिनी मेडिकल कालेज, प्रतापगढ़ में डाक्टर सोने लाल पटेल मेडिकल कालेज, एटा में वीरांगना अवंती बाई लोधी मेडिकल कालेज, फतेहपुर में महान योद्धा अमर शहीद जोधा सिंह और ठाकुर दरियांव सिंह मेडिकल कालेज, जौनपुर में उमानाथ सिंह मेडिकल कालेज और हरदोई मेडिकल कालेज।

 

देवस्थानम बोर्ड के संबंध में गठित उच्चस्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी,क्या रद्द होगा देवस्थान बोर्ड 

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के संबंध में उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने सोमवार को समिति के अध्यक्ष ध्यानी ने मुख्यमंत्री धामी से सचिवालय में मुलाकात की और उन्हें देवस्थानम बोर्ड के संबंध में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी।

समिति के अध्यक्ष ध्यानी ने कहा कि सरकार ने उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। रिपोर्ट के जरिये हमने सरकार का सही मार्गदर्शन करने के साथ अधिकारी ठीक ढंग से काम करें इसका उल्लेख किया है। साथ ही अधिनियम में जो त्रुटियां और अच्छाइयां हैं, उनका जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है।अभी इस बारे में कुछ सार्वजनिक नहीं किया गया है कि रिपोर्ट में समिति ने क्या सुझाव दिए हैं।लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या देवस्थान बोर्ड को रद्द कर तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों की मांग पूरी की जाएगी।

गौरतलब है कि चारों हिमालयी धामों—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों द्वारा देवस्थानम बोर्ड के विरोध में लंबे समय तक आंदोलनरत रहने के मद्देनजर धामी ने वरिष्ठ भाजपा नेता ध्यानी की अध्यक्षता में इस उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।

21 जुलाई को उत्तरकाशी दौरे में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह घोषणा करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम के परीक्षण और उस पर ‘सकारात्मक संशोधन’ का सुझाव देने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जा रही है।उन्होंने कहा था कि यह समिति अधिनियम के विधिक पहलुओं का आकलन कर यह सुनिश्चित करेगी कि इससे चारधाम यात्रा से जुड़े हक—हकूकधारियों, पुजारियों तथा अन्य हितधारकों के पारंपरिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्या के समाधान को पूर्व सांसद और पंडा-पुरोहित समाज से जुड़े मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की। समिति को तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। समिति ने चारधाम के हक-हकूकधारियों से बातचीत के बाद दो माह में ही अपनी अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली।

लंबे समय से आंदोलनरत चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि बोर्ड का गठन उनके अधिकारों का हनन है।देवस्थानम अधिनियम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था जिसके तहत चार धामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया था। बोर्ड के गठन के बाद से ही चारधाम के तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अधिनियम व बोर्ड के कारण उनके हितों को चोट पहुंची है। वे बोर्ड को भंग करने की मांग उठा रहे हैं।

ओबीसी – ईडब्ल्यूएस आरक्षण के मामले पर नीट एमडीएस परीक्षा की काउंसलिंग पर SC ने लगाई रोक,जानें क्या है कारण

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एनईईटी-पीजी 2021 के लिए काउंसलिंग पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। काउंसलिंग पर रोक लगाने का अहम कारण ऑल इंडिया कोटा सीट्स, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नीट एमडीएस परीक्षा की काउंसलिंग को तब तक शुरू नहीं किया जाएगा, जबतक कोर्ट ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी – ईडब्ल्यूएस आरक्षण के मामले पर फैसला नहीं कर लेती।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की पीठ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के केंद्र और चिकित्सा परामर्श समिति (एमसीसी) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

केंद्र सरकार ने सोमवार को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि नीट पीजी काउंसलिंग 2021 तब तक शुरू नहीं होगी जब तक कि शीर्ष अदालत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच जाती। वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार द्वारा मामले का जिक्र किए जाने के बाद केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने तब एएसजी नटराज को हस्तक्षेप किया और केंद्र से आश्वासन मांगा कि शीर्ष अदालत के अंतिम निर्णय तक पहुंचने तक परामर्श आयोजित नहीं किया जाएगा। नटराज ने जवाब दिया, बिल्कुल आप कर सकते हैं, मेरे भगवान। श्री दातार कोई कठिनाई होने पर सीधे मुझसे संपर्क कर सकते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा नीट मेडिकल एडमिशन परीक्षा में ईडब्ल्यूएस और ओबीसी कोटे को शामिल करने का फैसला किया था। इस फैसले के मुताबिक ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत और ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशद सीटों पर आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। छात्रों और याचिकाकर्ता को मेडिकल काउंसलिंग कमेट (एमसीसी) द्वारा बस एक नोटिस जारी कर नए शैक्षणिक सत्र से नए आरक्षण नियम लागू करने को लेकर आपत्ति है। इस बाबत याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से एमसीसी के नोटिस को रद्द करने की मांग की है।

चारधाम रूट पर सदियों पुरानी पैदल ट्रैक की होगी खोजबीन,1200 किमी में 50 दिनों तक ढूढ़ेंगे रास्ते

आज चारधाम के पुराने मार्गों को खोजने के लिए 25 सदस्यों के दल को शुभकामनाएं देते हुए रवाना कर रहा हूँ। यह गर्व का क्षण है कि हमारे पास उत्तराखण्ड की पुरानी पगडंडियों का पता लगाने के लिए एक युवा बल है। यह हमारी सदियों पुरानी विरासत को संरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा : मुख्यमंत्री पुष्कर धामी

उत्तराखंड में शीतकालीन और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऋषिकेश से चारधाम तक पुराने रास्ते की तलाश की जाएगी। इसके लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। पहली बार 1200 किमी लंबे पैदल मार्ग (चारधाम ट्रेल) का खाका तैयार करने को 10 से 12 सदस्यीय रेकी टीम को सर्वे के लिए भेजा जा रहा है।केदारनाथ-बदरीनाथ सहित चारधाम के पुराने पैदल ट्रैक खोजे जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सोमवार को इन पुराने मार्गों को खोजने के लिए 25 सदस्यों के दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने ट्रैक द हिमालय के साथ मिलकर यह अभियान शुरू किया है। इसके तहत विशेषज्ञों के 25 सदस्यों का दल चारधाम ट्रैक पर पुराने मार्गों को खोजने के लिए 1200 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करेगा।

दल द्वारा यह अभियान लगभग 50 दिनों तक चलाया जाएगा। दल पुराने चार धाम और शीतकालीन चार धाम मार्ग को खोजने का काम करेगा। सीएम धामी ने ट्रेकर्स को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह गर्व का क्षण है कि हमारे पास उत्तराखंड की पुरानी पगडंडियों का पता लगाने के लिए एक युवा बल है। यह पहल हमारी सदियों पुरानी विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस अभियान से उत्तराखंड में साहसिक खेलों को भी बढ़ावा मिलेगा।

दशकों पहले चारधाम यात्रा ऋषिकेश से पैदल मार्ग से होती थी। सड़क सुविधा न होने के कारण तीर्थ यात्री इसी रास्ते से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के दर्शन करने पहुंचते थे। पैदल रास्ते पर चट्टियां होती थीं, जहां पर यात्री रात्रि विश्राम करते थे। यातायात और सड़क सुविधा से प्राचीन रास्ता बंद हो गया है। शीतकालीन व साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार व पर्यटन विभाग ने चारधाम के इस पुराने रास्ते को संवारने की कवायद शुरू कर दी है।

चारधाम यात्रा पहले ऋषिकेश से पैदल होती थी। जिसमें यात्री ऋषिकेश, देवप्रयाग, टिहरी होते हुए यमुनोत्री, गंगोत्री धाम के दर्शन कर बूढ़ाकेदार, केदारनाथ, त्रियुगीनारायण, ऊखीमठ, चोपता, गोपेश्वर होते हुए बदरीनाथ पहुंचते थे। रेकी टीम इस रास्ते का सर्वे कर पूरा खाका तैयार करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान पर्यावरण जागरूकता फैलाने, होमस्टे, स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने में भी सहायक सिद्ध होगा। इस अवसर पर पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, अपर सचिव युगल किशोर पंत, मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्नल अश्विनी पुंडीर, अपर निदेशक विवेक सिंह चौहान, अपर निदेशक श्रीमती पूनम चंद आदि मौजूद रहे।

सेना के शीर्ष कमांडरों की आज होगी बैठक, पूर्वी लद्दाख समेत एलएसी पर सुरक्षा हालात का करेंगे आकलन,सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच सोमवार से सैन्य कमांडरों का चार दिन का वार्षिक सम्मेलन शुरू हो रहा है। एलएसी के अलावा कश्मीर की सुरक्षा चुनौतियों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख इस बैठक में भाग लेंगे।चार दिनों की इस बैठक में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की उम्मीद है। एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ हफ्तों में नागरिकों की हत्या के परिप्रेक्ष्य में सैन्य कमांडर्स की यह बैठक काफी अहम है।

सेना ने एक बयान में कहा, ‘2021 का दूसरा सैन्य कमांडर सम्मेलन 25 से 28 अक्टूबर तक नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। सेना के कमांडरों का सम्मेलन शीर्ष स्तरीय आयोजन है जो साल में दो बार अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है। ‘सेना ने कहा, ‘भारतीय सेना का शीर्ष नेतृत्व मौजूदा तथा उभरते सुरक्षा और प्रशासनिक पहलुओं पर मंथन करेगा ताकि सीमा के हालात और कोरोना महामारी की चुनौतियों की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना की भविष्य की कार्रवाई तय हो सके।

दिल्ली में होने वाली इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और टॉप कमांडर्स पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध में देश की सैन्य तैयारी की समीक्षा करेंगे। दोनों देशों के बीच पिछले 17 महीनों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के कई बिंदुओं पर टकराव जारी है।अधिकारी ने बताया कि सैन्य कमांडर्स अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत और उपमहाद्वीप क्षेत्र में पैदा हुई सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा कर सकते हैं।सेना ने एक बयान में कहा, “सेना कमांडरों के दूसरे सम्मेलन का आयोजन 25-28 अक्टूबर तक नई दिल्ली में किया जाएगा। हर साल अप्रैल और अक्टूबर महीने में आयोजित होने वाला सैन्य कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है।”

सेना ने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए एक संस्थागत मंच है, जिसके जरिए भारतीय सेना महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों पर विचार-विमर्श करती है। यह कॉन्फ्रेंस सैन्य मामले विभाग और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वार्तालाप के लिए भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व का एक औपचारिक मंच भी है।

बयान के मुताबिक, “इस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व द्वारा वर्तमान/उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक पहलुओं पर मंथन किया जाएगा, ताकि सीमाओं पर स्थिति और कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई चुनौतियों की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना के लिए भविष्य की रूपरेखा तैयार की जा सके।”

सम्मेलन के दौरान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैन्य कमांडरों को संबोधित करेंगे और उनके साथ संवाद करेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरन बिपिन रावत, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुख भी इस सम्मेलन के दौरान तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।

चारधाम में जमकर हुई बर्फबारी, बर्फ की सफेद चादर से ढका केदारनाथ धाम,उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों पर रविवार शाम को बर्फबारी होने से ठंड में इजाफा हो गया है। वहीं, केदारनाथ धाम में रविवार देर शाम जमकर बर्फबारी हुई।उत्तराखंड स्थित भगवान शिव के 11वें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ धाम में सोमवार भोर से हो रही बर्फबारी ने स्वच्छ, धवल चादर सरीखा रूप ले लिया है। बर्फबारी से हवाई सेवा पर प्रभावित हुई है। राहत बल यहां लगातार बर्फ हटाने का काम कर रहे हैं।इस बीच सांयकालीन आरती के लिए  श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा। श्रद्धालु छाता लेकर पूजा करते नजर आए। वहीं, रात भी बर्फबारी हुई तो सुबह धाम बर्फ से सराबोर नजर आया।

देवस्थानम बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. हरीश गौड़ ने आज यहां बताया कि रविवार शाम केदारनाथ धाम में बारिश के बाद बफर्बारी शुरू हुई। उन्होंने बताया कि हेलीपैड एवं रास्ते से बर्फ हटाई जा रही है।बेहद सर्द मौसम के बादवजूद चार धाम यात्रा जारी है। गौड़ ने बताया कि ऋषिकेश चारधाम बस टर्मिनल एवं हरिद्वार बस अड्डे से तीर्थयात्री चारधाम को लगातार प्रस्थान कर रहे हैं। ऋषिकेश में विभिन्न विभागों यथा- देवस्थानम बोर्ड एवं यात्रा प्रशासन संगठन सहित पुलिस, चिकित्सा- स्वास्थ्य, परिवहन, पर्यटन, नगर निगम, संयुक्त रोटेशन के हेल्प डेस्क यात्रियों की सहायता मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बदरीनाथ धाम, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए सड़क मार्ग सुचारू है।

विश्व विख्यात केदारनाथ धाम की अंतिम चरण की यात्रा शुरू हो गई है।केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने में अब मात्र 11 दिन का समय शेष है। नवम्बर को केदारनाथ के कपाट बंद हो जाएंगे। अंतिम चरण की यात्रा में भक्तों का भारी हुजूम उमड़ रहा है। तीन दिन तक यात्रा पर मौसम ने ब्रेक लगा तो श्रद्धालू मायूस हो गए। लेकिन, जैसे ही यात्रा दुबारा शुरू हुई तो श्रद्धालुओं का हुजूम सोनप्रयाग के पुल पर देखने को मिला।पुल पर बेतहाशा भीड़ दिख रही है। हजारों की संख्या में भक्त केदारनाथ धाम में ही रात्रि प्रवास कर रहे हैं। कंपकपाती ठंड के बीच भक्तों के जयकारे सर्द मौसम को गर्म बना दे रहे हैं।

रविवार को यमुनोत्री धाम में सीजन की पहली बर्फबारी हुई थी। धाम में हल्की बर्फबारी होने से ठंड में भी इजाफा हो गया है। साथ ही बिजली सप्लाई ठप हो गई है। सुबह खिली धूप के साथ यमुनोत्री धाम व बंदरपूंछ और सप्त ऋषिकुंड का की पहाड़ियां सफेद चादर से लिपटी नजर आई।

रविवार को राजधानी देहरादून समेत आसपास के इलाकों में तेज हवा के साथ मूसलाधार बारिश हुई, वहीं पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एवं वरिष्ठ मौसम विज्ञानी विक्रम सिंह के मुताबिक आज मौसम साफ बना रहेगा। लेकिन आने वाले दिनों में पर्वतीय इलाकों में भारी बर्फबारी हो सकती है।

 

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सरकार को भेजा प्रस्ताव, पटवारी-लेखपाल भर्ती की प्रक्रिया में होगा बदलाव

विभाग से आए अधियाचन के हिसाब से इन भर्तियों के लिए पहले फिजिकल और फिर लिखित परीक्षा होनी चाहिए। इस नियम की वजह से आयोग पसोपेश में था कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं की फिजिकल कैसे कराई जाएगी। उत्तराखंड में चल रही पटवारी-लेखपाल भर्ती की प्रक्रिया का पैटर्न बदलने जा रहा है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा दिया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी भर्ती के तरीके को आयोग तय करेगा न कि विभाग।प्रदेश में पटवारी के 391 और लेखपाल के 163 पद मिलाकर कुल 554 पदों के लिए पटवारी-लेखपाल भर्ती होने जा रही है। आयोग के पास इस भर्ती के लिए एक लाख 43 हजार आवेदन आ गए हैं।

विभाग से आए अधियाचन के हिसाब से इन भर्तियों के लिए पहले फिजिकल और फिर लिखित परीक्षा होनी चाहिए। इस नियम की वजह से आयोग पसोपेश में था कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं की फिजिकल कैसे कराई जाएगी।आयोग ने बैठक कर तय किया है कि यह उसका अधिकार होना चाहिए कि भर्ती की प्रक्रिया क्या हो। आयोग ने एक प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिसमें कहा गया है कि पटवारी-लेखपाल सहित सभी भर्तियों में पैटर्न क्या होगा, यह आयोग ही तय करेगा। कोई भी विभाग तय नहीं करेगा कि उसकी प्रक्रिया क्या होगी। शासन से अनुमति मिलने के बाद ही पटवारी-लेखपाल भर्ती की गाड़ी आगे बढ़ेगी।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में आ रहे भारी भरकम आवेदन एक नई चुनौती बन रहे हैं। चार भर्तियां ऐसी हैं, जिनमें एक लाख से अधिक आवेदन आ गए हैं। आयोग के लिए अब इनकी परीक्षा कराना बड़ी चुनौती है। पटवारी-लेखपाल भर्ती में एक लाख 43 हजार आवेदन आए हैं। इसकी परीक्षा तिथि अभी तय नहीं है। कनिष्ठ सहायक इंटरमीडिएट स्तर भर्ती में एक लाख 19 हजार आवेदन आए हैं, जिनकी परीक्षा 31 अक्तूबर को प्रस्तावित है। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा के लिए भी एक लाख 57 हजार आवेदन आ चुके हैं जबकि प्रयोगशाला सहायक के लिए 90 हजार आवेदन आ गए हैं। इतने भारी भरकम आवेदनों की वजह से आयोग को परीक्षा में मुश्किलें पेश आ रही हैं।

चुनाव आचार संहिता से भर्तियां प्रभावित हो सकती हैं सरकार की कोशिशों के चलते अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने नई भर्तियों के आवेदन तो मंगा लिए हैं लेकिन इनकी परीक्षाओं पर विधानसभा चुनाव की छाया पड़ना तय माना जा रहा है।दिसंबर में चुनाव आचार संहिता लगने की संभावनाओं के बीच आयोग अभी इंतजार कर रहा है। आयोग का कहना है कि अगर आचार संहिता लग गई तो प्रशासन के अधिकारी उसमें व्यस्त हो जाएंगे। तब परीक्षाएं चुनाव के बाद ही होंगी।

पटवारी सहित अन्य भर्तियों में पैटर्न आयोग पर निर्भर करे, इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। इसके बाद आयोग अपने हिसाब से भर्तियों की परीक्षाएं कराएगा। पटवारी भर्ती में पहले फिजिकल की शर्त की वजह से यह दुश्वारी पेश आई है। बाकी परीक्षाओं की तिथियां आचार संहिता की संभावनाओं पर निर्भर करेंगी।
– संतोष बडोनी, सचिव, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग

सीमांत जिले पिथौरागढ़ में खत्म हुआ पेट्रोल-डीजल, थम गए वाहनों के पहिये, 200 रुपये किलो बिक रहा टमाटर

सीमांत जिले पिथौरागढ़ में डीजल और पेट्रोल खत्म गया है। ईधन नहीं मिलने से तमाम रुटों पर संचालित होने वाली टैक्सियां खड़ी हो गई हैं। वाहन चालक तेल के लिए पेट्रोल पंपों में भटकते रहे।पिथौरागढ़ की लाइफलाइन घाट-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग भूस्खलन के कारण चार दिन से बंद पड़ा है, जिस वजह से शहर में रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति पर खासा असर देखने को मिल रहा है। जिले का अन्य दुनिया से संपर्क कट जाने से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पिथौरागढ़ में इस समय टमाटर 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। बारिश थमने के तीन दिन बाद भी पिथौरागढ़ को जोड़ने वालीं सभी सड़कें बंद पड़ी हैं, जिसके चलते जिले में अब जरूरी सामान की किल्लत शुरू होने लगी है। जिले के ज्यादातर पंप पर जहां पेट्रोल और डीजल खत्म हो गया है, तो वहीं रसोई गैस और सब्जी जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई भी बाधित है।

पिछले चार दिनों से देश और दुनिया से कटे सीमांत जिले पिथौरागढ़ में अब जरूरी सामान की किल्लत होने लगी। जिले को जोड़ने वाले सभी मोटर मार्ग बंद होने से पिछले चार दिनों से पेट्रोल और डीजल के वाहन नहीं पहुंच रहे हैं। जिले में ईंधन लालकुआं डिपो से पहुंचता है। जिला मुख्यालय में दर्जन भर पेट्रोल पंप में आम आदमी के लिए पेट्रोल डीजल का कोटा गुरुवार को खत्म हो गया। जिले में अब केवल रिजर्व कोटे का ही तेल बचा हुआ है, जिसे सिर्फ आपातकालीन स्थितियों में ही उपयोग में लाया जा सकता है।

जिला मुख्यालय में सब्जियों का संकट गहरा गया है। मैदानी क्षेत्रों से सब्जियां नहीं पहुंचने के चलते टमाटर 200 रुपये किलो तक बिक रहा है, प्याज 80 पर पहुंच गया है। आम आदमी के लिए अब सब्जी का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है। सस्ता आहार माना जाने वाले अंडा भी आउट आफ स्टाक हो गया है।सड़कें बंद होने से पिथौरागढ़ के लिए मैदानी इलाकों से आने वाली गैस और सब्जी की गाड़ियां रास्ते में फंसी हुई हैं, जिससे यहां इन चीजों की भारी किल्लत होने लगी है। ऐसे में अगर सड़कें जल्द नहीं खुलीं तो हालात और भी खराब हो सकते हैं। मिली जानकारी के अनुसार, घाट-पिथौरागढ़ मुख्य राजमार्ग (ऑल वेदर रोड) के शुक्रवार को खुलने के आसार हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बोले, केंद्र सरकार ने 24 घंटे पहले उत्तराखंड में आपदा को लेकर अलर्ट जारी कर दिया था,केंद्र सरकार आपदा की इस घड़ी में पूरी तरह से देवभूमि उत्तराखंड के साथ है

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को उत्तराखंड के बारिश से प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। अमित शाह ने देवप्रयाग, पौड़ी, रामनगर, रामगढ़, रुद्रपुर और हल्द्वानी का सर्वेक्षण किया। उत्‍तराखंड में भारी बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। गृहमंत्री ने करीब दो घंटे सुबह 9.45 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक आपदा प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे किया।उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट स्थित राज्य अतिथि गृह में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।अमित शाह ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में केंद्र सरकार पूरी तरह से देवभूमि उत्तराखंड के साथ है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आपदा राहत को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं की जाएगी। राहत और बचाव कार्य को और तेज गति से अंजाम दिया जा रहा है। जल्द ही उत्तराखंड में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर दी जाएंगी। बैठक के पश्चात पत्रकारों से बातचीत करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने 24 घंटे पहले उत्तराखंड में आपदा को लेकर अलर्ट जारी कर दिया था। अधिकांश मोबाइल यूजर को समय पर मैसेज भी भेजे गए थे। जिसका परिणाम यह रहा कि इस भीषण आपदा में कम से कम जान माल का नुकसान हुआ। सरकार ने 24 घंटे पहले ही चार धाम यात्रा को रोक दिया था। जिसके परिणाम स्वरूप चारधाम यात्रा पर किसी भी तरह की आंच नहीं आई और अब यात्रा को शुरू भी कर दिया गया है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि आपदा के तत्काल बाद केंद्र व राज्य सरकार की सभी एजेंसियां सक्रिय हो गई थी। सेना, एनडीआरएफ, आइटीबीपी, एसडीआरएफ, पुलिस तथा दमकल दस्तों को समय रहते आपदा राहत कार्यों में लगा दिया गया। जिससे सरकार साढ़े तीन हजार नागरिकों को रेस्क्यू करने में सफल रही। इतना ही नहीं 16 हजार से अधिक नागरिकों को सरकार ने सुरक्षित भी किया। उन्होंने कहा कि नैनीताल हल्द्वानी तथा अल्मोड़ा की तीन सड़कों को छोड़कर शेष सभी सड़कों पर आवाजाही शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि कुछ स्थानों पर सड़कें 25 मीटर से अधिक क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिन्हें तैयार करने में कुछ वक्त लग सकता है। सभी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बिजली और पानी बहाल कर दिया गया है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि आपदा के पहले दिन से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष तौर पर उत्तराखंड में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र व राज्य के अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए थे। अमित शाह ने कहा कि केंद्रीय टीम नुकसान का आकलन करेगी। आपदा प्रबंधन की तरफ से पहले ही 250 करोड़ रुपए दिया गया है। केंद्र सरकार राज्य को पूरी सहायता देगी। राज्य सरकार अपने खजाने से भी आपदा राहत में खर्च कर रही है। इसके अलावा भारत सरकार के संयुक्त सचिव की देख-रेख में उत्तराखंड में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कराया जा रहा है। यदि आपदा राहत में और धन की जरूरत होगी तो केंद्र सरकार पूरी मदद करेगी।इस दौरान अमित शाह ने सीएम की पीठ भी थपथपाई और कहा कि धामी के नेतृत्व में अच्छा काम हुआ है। एनडीआरएफ, सेना और एसडीआरएफ सभी बारिश आने से पहले ही अलर्ट पर रहे। शाह ने कहा कि आपदा में अब तक 64 की मौत हुई हैं। 11 से अधिक लोग लापता हैं। ट्रेकिंग टीम भी लापता है। आपदा में 3400 लोगों को बचाया गया है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में प्रत्येक वर्ष इस तरह की आपदाओं से सामना करना पड़ता है। इसके लिए सरकार हिमालयी क्षेत्रों में तकनीकी विस्तार तथा आपदा प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार आपदा की इस घड़ी में पूरी तरह से देवभूमि उत्तराखंड के साथ है।इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त), राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज आदि मौजूद रहे।