भारतीय नौसेना में निकली नेवी अप्रेंटिस के 275 पदों पर भर्ती, जल्द करें ऑनलाइन आवेदन 

रक्षा मंत्रालय (नौसेना) ने अप्रेंटिस पदों के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए हैं। योग्य उम्मीदवार जो पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे अप्रेंटिसशिप इंडिया की आधिकारिक साइट apprenticeshipindia.org के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह भर्ती अभियान नेवल डॉकयार्ड अपरेंटिस स्कूल में अपरेंटिस के 275 पदों को भरेगा।ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तारीख 5 दिसंबर, 2021 तक है।

योग्यता

जो उम्मीदवार अपरेंटिस पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके पास 50 प्रतिशत अंकों के साथ SSC / मैट्रिक / 10वीं कक्षा होनी चाहिए और 65 प्रतिशत अंकों के साथ ITI सर्टिफिकेट होना चाहिए।

सिलेक्शन प्रोसेस

चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और इंटरव्यू शामिल हैं। योग्य उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा के लिए कॉल लेटर जारी किया जाएगा। लिखित परीक्षा ऑब्जेक्टिव टाइप प्रकार की होगी जिसमें 50 प्रश्न (मैथ के 20, जनरल साइंस के 20, जनरल नॉलेज के 10) होंगे, प्रत्येक प्रश्न में डेढ़ (1½) अंक होंगे

लिखित परीक्षा की योग्यता के क्रम में उम्मीदवारों को विभिन्न आरक्षण श्रेणियों और ट्रेडों में साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। साक्षात्कार उनके संबंधित ट्रेड में उम्मीदवारों के तकनीकी कौशल पर आधारित है। साक्षात्कार में अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों को एक चिकित्सा परीक्षा से गुजरना होगा।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

  • आवेदन करने की अंतिम तिथि: 5 दिसंबर, 2021
  • भरे हुए आवेदन भेजने की अंतिम तिथि: 14 दिसंबर, 2021
  • सभी ट्रेडों के लिए लिखित परीक्षा: 27 जनवरी, 2022
  • परिणाम की घोषणा: 29 जनवरी, 2022
  • साक्षात्कार की तिथि: 31 जनवरी, 1, 2 और 3 फरवरी, 2022
  • मेडिकल जांच : 7 फरवरी से 15 फरवरी, 2022

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की सचिवालय में अहम बैठक आज, नई खेल नीति समेत इन बड़े फैसलों पर लग सकती है मुहर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक आज मंगलवार को राज्य सचिवालय में होगी। बैठक में राज्य की नई खेल नीति के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, कृषि, उद्यान, राजस्व, पर्यटन, स्वास्थ्य से जुड़े प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है।इससे पहले कैबिनेट की बैठक ने 11 नवंबर को होना था, लेकिन इसे किसी कारणों से स्थगित कर दिया गया था।

सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खेल नीति का प्रस्ताव कैबिनेट में लाए जाने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के खिलाड़ियों के लिए खेल नीति में कई नए प्रावधान कर रही है। इससे राज्य के खेल और खिलाड़ियों, दोनों को फायदा होगा। बैठक में राशन डीलरों का अंशदान बढ़ाने, सरकारी क्षेत्र के उद्यानों को लीज पर देने व विभागीय सेवानियमावलियों के प्रस्ताव आ सकते हैं।

3 फीसदी महंगाई भत्ते के अलावा कर्मचारियों और सेवा नियमावली से जुड़े विषयों पर फैसले आ सकते हैं। आज होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में आगामी शीतकालीन सत्र से संबंधित भी कई विषय आ सकते हैं। आगामी 7 और 8 दिसम्बर को गैरसैंण में शीतकालीन सत्र होना है। शीतकालीन सत्र में लाए जाने वाले अध्यादेश और विधेयकों को लेकर कल कैबिनेट में मंजूरी दी जा सकती है।

इससे पहले मंत्रिमंडल की बैठक 11 नवंबर को होनी थी। लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रियों की कार्यक्रमों में व्यस्तता के कारण बैठक स्थगित कर दी गई थी। पिछली बैठक में सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों को दी थी बड़ी सौगात इससे पहले पिछले माह हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को बड़ी सौगात दी थी। एमबीबीएस के छात्रों की एक साल की निर्धारित चार लाख रुपये की फीस को 1.45 लाख रुपये कर दिया गया था। मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद उत्तराखंड में ही सेवाएं देने का बांड भरने वाले छात्रों के लिए 50 हजार रुपये शुल्क तय किया गया था।

देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में चारधाम तीर्थ पुरोहितों ने किया आंदोलन का एलान, आज करेंगे तीर्थपुरोहित कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध में चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत ने फिर से आंदोलन का एलान कर दिया है। 27 नवंबर 2019 को सरकार ने मंत्रिमंडल से देवस्थानम बोर्ड बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस दिन को चारों धामों के तीर्थपुरोहित व हकहकूकधारी काला दिन के रूप में मनाएंगे। देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर आंदोलन तेज होता जा रहा है। आज मंगलवार को चारों धामों के तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत दून में यमुना कॉलोनी स्थित सभी कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव कर रहे हैं। इसके साथ ही  सचिवालय का भी कूच किया जाएगा। इसके अलावा एक दिसंबर से चारों धामों के पूजा स्थल के साथ ही देहरादून में क्रमिक अनशन किया जाएगा।इसके अलावा 27 नवंबर को काला दिवस के रूप में मनाकर देहरादून में आक्रोश रैली निकाली जाएगी।

उत्तराखंड में चारधाम देवस्थानम को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी है। तीर्थपुरोहित इसे लगातार भंग करने की मांग करते आ रहे हैं। इस पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज तीर्थपुरोहितों ने ये फैसला लिया है। सोमवार को गांधी रोड स्थित अग्रवाल धर्मशाला में चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। जिसमें बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम से जुड़ी पंचायत एवं मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारियों ने शिरकत की।

बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 27 नवंबर को चारों धामों के तीर्थ पुरोहित काला दिवस के रूप में मनाएंगे। इस दिन देहरादून में देवस्थानम बोर्ड के विरोध में गांधी पार्क से सचिवालय तक आक्रोश रैली निकाली जाएगी। महापंचायत ने निर्णय लिया कि 23 नवंबर को यमुना कॉलोनी में मंत्रियों के आवासों का घेराव किया जाएगा।

महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने कहा कि लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग उठाई जा रही है, लेकिन सरकार कार्रवाई के बजाय सिर्फ आश्वासन दे रही है। जिस कारण तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश है। इसी क्रम में मंगलवार सुबह नौ बजे यमुना कालोनी स्थित सभी कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने आगे की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।

बैठक में चारधाम महापंचायत के संरक्षक संजीव सेमवाल, यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव लखन उनियाल, कोषाध्यक्ष अमित उनियाल, सह सचिव आलोक उनियाल, गंगोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पवन सेमवाल, गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल, कोषाध्यक्ष महेश सेमवाल, सह सचिव निखिलेश, महा पंचायत समन्वयक राजेश सेमवाल, गंगोत्री मंदिर के रावल मुकेश सेमवाल, ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित महापंचायत बदरीनाथ धाम के केंद्रीय अध्यक्ष उमेश सती, सचिव डीके कोठियाल, पंडा पुरोहित महासभा बदरीनाथ धाम के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी, दुर्गेश भट्ट, केदार सभा कार्यकारिणी सदस्य आचार्य संतोष त्रिवेदी, संजय तिवारी, चंडी प्रसाद तिवारी, सौरभ शुक्ला आदि मौजूद रहे।

जौनसार बावर के आराध्य देव चालदा महासू महाराज की डोली यात्रा में शामिल हुए पर्यटन मंत्री, 67 वर्षों बाद खत पट्टी समाल्टा में विराजमान होंगे चालदा महासू महाराज

देहरादून जौनसार बावर:- जौनसार बावर के आराध्य देव चालदा महासू देवता का 67 वर्षों बाद खत पट्टी समाल्टा में 23 नवम्बर को नवनिर्मित मन्दिर में विराजमान होंगे।आज समाल्टा खत के सभी ग्रामीण महिला पुरूष ने पारंपरिक वेशभूषा में हारूल नृत्य किया। देवता को लाने के लिए 400 लोगों ने महासू मंदिर के लिए प्रस्थान किया। इस दौरैान सभी ग्रामीण और श्रद्धालुओं ने महासू देवता के जयकारे लगाये।

आज 22 नवंबर को मोहना गांव से महासू देवता समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। वह चकराता के पास ठाणा गांव में (बागड़ी) रात्रि प्रवास करेंगे। 23 नवंबर को महासू देवता ठाणा गांव से खत समाल्टा के लिए चलेंगे। जिसके बाद नवनिर्मित मंदिर समाल्टा गांव में चालदा महासू देवता विराजमान होंगे। देव दर्शन को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

चकराता स्थित जौनसार बावर क्षेत्र के मोहना धाम में सोमवार को श्री चालदा महासू महाराज के दर्शनों और उनकी पावन डोली यात्रा में शामिल होने के लिए भक्तों का जनसमूह दिखाई दिया।प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज सोमवार को जौनसार बावर क्षेत्र स्थित मोहना धाम पहुंच कर चालदा महासू महाराज के दर्शन करने के साथ-साथ डोली यात्रा में भी शामिल हुए।

सतपाल महाराज ने कहा कि महासू देवता जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश तक माने जाने वाले देवों के देव इष्ट देव हैं। उन्होंने बताया कि चार भाई महासू में से चालदा महासू महाराज पवित्र मोहना धाम के भवन में विराजमान थे जो कि अब यहां से समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।

प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को जौनसार बावर क्षेत्र स्थित मोहना धाम पहुंच कर चालदा महासू महाराज के दर्शन किए और डोली यात्रा में भी शामिल हुए। चकराता स्थित जौनसार बावर क्षेत्र के मोहना धाम में सोमवार को चालदा महासू महाराज के दर्शन और उनकी पावन डोली यात्रा में शामिल होने के लिए भक्तों का अपार जनसमूह दिखाई दिया। इस अवसर पर सतपाल महाराज ने कहा कि महासू देवता जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश तक माने जाने वाले देवों के इष्ट देव हैं।

सतपाल महाराज ने बताया कि चार भाई महासू में से चालदा महासू महाराज पवित्र मोहना धाम के भवन में विराजमान थे जो कि अब यहां से समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। चालदा महाराज का आगमन मोहना गांव में 36 साल के बाद 23 नवम्बर 2019 में हुआ था। लगभग 2 वर्ष मोहना में रहने के पश्चात सोमवार को चालदा महासू महाराज की पावन डोली ने समाल्टा के लिए प्रस्थान किया।

उन्होंने कहा कि उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि उन्हें भी इस धार्मिक अनुष्ठान और चालदा महासू महाराज की पावन डोली यात्रा में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ है। मोहना गांव सात खतों मोहना, द्वार, विशलाड, बोन्दूर, तपलाड, अटगांव और बंणगांव का मुख्य केन्द्र है।

मोहना गांव सात खतों मोहना, द्वार, विशलाड, बोंदूर, तपलाड, अटगांव और बंणगांव का मुख्य केंद्र है। धार्मिक मान्यता है कि हूंणा भाट ब्राह्मण द्वारा खेत में चौथी सींह (हल की रेखा) लगते ही चालदा महाराज स्वयं ही प्रकट हुए थे। चालदा महाराज हमेशा क्षेत्र भ्रमण पर रहते हैं। वह एक स्थान पर अधिक समय तक निवास नहीं रहते, इसलिए उन्हें चालदा महाराज कहा जाता है।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र से किया सम्मानित

मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को जम्मू-कश्मीर में एक ऑपरेशन के लिए शौर्य चक्र (मरणोपरांत) दिया गया।शहीद मेजर विभूति को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। जिसे उनकी पत्नी लेफ्टिनेंट नितिका कौल और मां सरोज ढौंडियाल ने प्राप्त किया। मेजर विभूति जिस ऑपरेशन में शहीद हुए उसमें उन्होंने पांच आतंकवादी मारे गए और 200 किलो विस्फोटक बरामद किया गया।

दून निवासी विभूति ढौंडियाल जम्मू-कश्मीर में हुए 2019 में हुए सैन्य अभियान में शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ चले ऑपरेशन में शहीद हुए मेजर विभूति ढौंडियाल ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया था।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से लोहा लेने के दौरान एनकाउंटर में शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को भारत सरकार ने उनकी वीरता का इनाम दिया है। 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए सेना के मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को सोमवार को एक सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल ने पुलवामा आतंकी हमले के गुनहगार आतंकियों से लोहा लिया था और एक ऑपरेशन के दौरान पांच खूंखार आतंकियों को मारने के बाद देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।

 

शीतकाल के लिए आज बंद हो जाएंगे भगवान बदरी विशाल के कपाट, 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया मंदिर

उत्तराखंड में बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल में 6 महीनें के लिए आज 20 नवंबर  शनिवार को शाम 6.45 बजे विधि-विधान से बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंदी की धाम में भव्य और परम्परा के अनुसार तैयारियां की जा रहीं हैं। भगवान के मंदिर से लेकर सिंहद्वार को बीस कुंतल गेंदा, कमल समेत अन्य फूलों से  सजाया जा रहा है। भगवान के दर्शन और कपाट बंद होने के दर्शन के साक्षी बनने के लिये बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी बदरीनाथ धाम पहुंचे  भगवान के दर्शन और कपाट बंद होने के दर्शन के गवाह बनने के लिए भारी संख्या में भक्त भी बदरीनाथ धाम पहुंचे हैं।

शुक्रवार को भगवान बदरी विशाल के मंदिर के कपाट बंद होने से पहले हो रही पंच पूजाओं के तहत मां लक्ष्मी मंदिर में नित्य पूजा के साथ मां लक्ष्मी को बदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह में आने की प्रार्थना की गई ।रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने मां लक्ष्मी माता को स्त्री वेष में बुलावा भेजा । गुरुवार को भगवान बदरीनाथ की महाभिषेक पूजा के बाद शीतकाल में वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो गया था । जिसके बाद वेद उपनिषदों को सम्मानपूर्वक मंदिर संरक्षण में रखा गया। जिसके बाद शुक्रवार को मां लक्ष्मी का आह्वान किया गया और कढ़ाई भोग का आयोजन किया गया।शुक्रवार तक बदरीनाथ में  1 लाख 91 हजार से अधिक श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर चुके हैं।

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंदी से पूर्व भगवान के दर्शन के लिये श्रद्धालुओं का बदरीनाथ आने का सिलसिला जारी है।उन्होंने कहा केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए पहले ही बंद हो चुके हैं.

चारधाम यात्रा पर पांच लाख रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंचे हैं। जिनमें बदरीनाथ धाम में 1,91,106, केदारनाथ धाम में 2,42,712, गंगोत्री में 33,166 और यमुनोत्री में 33,306 तीर्थयात्री दर्शन-पूजन को आए थे। इस तरह चारधाम यात्रा में कुल 5 लाख 290 श्रद्धालु शामिल हुए।

तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करते हुए बोले पीएम मोदी- मैं क्षमा मांगता हूं, किसानों को समझा नहीं पाया, तपस्या में कमी रह गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यह बड़ा ऐलान देश के नाम अपने संबोधन में किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। मोदी सरकार पिछले पिछले साल कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई थी। लेकिन कई किसान संगठन इन कानूनों का लगातार विरोध कर रहे थे।केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज में देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्‍चे मन और पवित्र हृदय से यह कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्‍या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिये के प्रकाश जैसा सत्‍य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। ।उन्होंने कहा कि सरकार ने नाराज किसानों को समझाने का हरसंभव प्रयास किया। कई मंचों से उनसे बातचीत हुई, लेकिन वो नहीं माने। इसलिए, अब तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया गया है।

मोदी ने कहा, ‘आज गुरु नानकदेव जी का प्रकाश पर्व है। यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको, पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।

पीएम मोदी ने कहा, ‘कृषि में सुधार के लिए तीनों कानूनों का देश के किसानों, संगठनों ने इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। साथियों हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित में, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी। लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। भले ही किसानों का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा था। हमने बातचीत का प्रयास किया। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया।

प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान करते हुए आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर लौटने का आग्रह किया। मोदी ने कहा, ‘मैं आज अपने सभी आंदोलनरात किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि गुरुपर्व के पवित्र दिन आप अपने-अपने घर लौटें, अपने खेतों में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें। आइए, एक नई शुरुआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह जानकारी भी दी कि जीरो बजट खेती की तरफ प्रभावी कदम बनाने के लिए एक कमिटी के गठन का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा, ‘आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और फैसला लिया है। जीरो बजट खेती, यानी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर, क्रॉप पैटर्न के वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा।’

मुख्यमंत्री योगी और धामी ने सुलझाया यूपी-उत्तराखंड का 21 साल पुराना विवाद

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच पिछले 21 साल से विवादित परिसंपत्तियों को लेकर दोनों ही राज्यों को बड़ी सफलता मिली है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पांच कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर सीएम योगी आदित्यनथ से मुलाकात की। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  ने गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच करीब 30 मिनट तक बैठक चली। इसके बाद दोनों मुख्यमंत्री प्रदेश के अफसरों के साथ बैठे और सालों से चले आ रहे विवादों का निपटारा किया। दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच हुई इस बातचीत से पिछले 21 सालों से चला आ रहा यूपी-उत्तराखंड परिसंपत्ति विवाद समाप्त हो गया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि बैठक में दोनों राज्यों के बीच चल आ रहा परिसंपत्ति विवाद खत्म हो गया है। ये दोनों ही राज्यों के लिए ऐतिहासिक दिन है। इतना ही नहीं, सीएम धामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगले 15 दिनों में 5700 हेक्टेयर भूमि पर दोनों राज्यों का संयुक्त रूप से सर्वे होगा। सर्वे के आधार पर जितनी भूमि की उत्तर प्रदेश को जरुरत है वो उन्हें मिल जाएगी। जितने मकान की जरुरत है वो उत्तर प्रदेश को मिल जाएगा। बाकी सब उत्तराखंड को मिल जाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार बनवास-किच्छा बैराज का पुननिर्माण कराएगी।हरिद्वार स्थित अलकनंदा होटल को एक माह के भीतर उत्तराखंड को सौंपा जाएगा और सीएम योगी इस मौके पर वहां रहेंगे। किच्छा में बस स्टॉप की जमीन उत्तराखंड को मिल जाएगी। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम करीब 205 करोड़ रुपए की धनराशि उत्तराखंड को भुगतान करेगा। इसी तरह, आवास विकास का मुद्दा हल किया गया है। यूपी और उत्तराखंड के बीच आवास विकास की 50-50 प्रतिशत बटवारा होगा।उत्तर प्रदेश सरकार उत्तराखंड वन विभाग को 90 करोड़ रुपये देगी।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया और उन्हें धन्यवाद दिया। कहा कि दोनों राज्यों के बीच छोटे-बड़े भाई के संबंध हैं। मेरा यूपी से पुराना रिश्ता है। मेरे सभी शैक्षणिक दस्तावेज यूपी के हैं। योगी जी ने दिल खोलकर हमारी बातों को माना। हमारा मकसद सभी का सम्मान और सभी का विकास है।

उत्तराखंड: आज परिसंपत्तियों के मसले को सुलझाने के लिए लखनऊ में योगी-धामी करेंगे बैठक, उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के बीच क्या है परिसंपत्ति विवाद?

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही परिसंपत्तियों के बटवारे का मसला अभी तक नहीं सुलझ पाया है। इसे लेकर समय-समय पर मुख्यमंत्री से लेकर सचिव स्तर तक की बैठकें हो चुकी हैं।उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बना है, तभी से दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे का विवाद बरकरार है। अब इस विवाद को सुलझाने के लिए बड़े स्तर पर कोशिश की जा रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दो दिन के लखनऊ दौरे पर है और आज उनकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्ति विवाद को लेकर बैठक होगी। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यूपी ने अभी तक उसे पूरी परिसंपत्तियां ट्रांसफर नहीं की है। जिसके बाद आज सीएम पुष्कर सिंह धामी यूपी दौरे पर हैं। आज की बैठक में सीएम धामी सिंचाई, ऊर्जा, परिवहन, कृषि, आवास-विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, वन एवं कृषि विभाग के लंबित मुद्दे चर्चा करेंगे। वहीं सीएम धामी के साथ कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, मुख्य सचिव एसएस संधू और सचिव पुनर्गठन रंजीत सिन्हा भी लखनऊ पहुंचे हैं।

इस बारे में बीजेपी ने दावा किया है कि चुनाव से पहले इस मसले को सुलझा लिया जाएगा। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा चूंकि इस समय दोनों राज्यों और केंद्र में बीजेपी की ही सरकारें हैं इसलिए इस विवाद के सुलझने का यह सही समय है। योगी और धामी की बैठक से पहले यह भी कहा जा रहा है चूंकि योगी उत्तराखंड के हैं और धामी उप्र से गहरा ताल्लुक रखते हैं इसलिए दोनों सीएम आपसी सामंजस्य से दोनों राज्यों के बीच चल रहे इस झगड़े को ठीक से सुलझा सकते हैं।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद भी अभी तक परिसंपत्तियों के बंटवारे का मामला अभी तक सुलझा नहीं है और इस संबंध में पिछली बैठक अगस्त 2019 में हुई थी। हालांकि इस बैठक के दौरान कई मुद्दों पर सहमति बनी, लेकिन ज्यादातर मामलों में कोई फैसला नहीं हो सका और उत्तराखंड को परिसंपत्तियां ट्रांसफर नहीं हुई। दोनों राज्यों के बीच सिंचाई विभाग के तहत हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और चंपावत में करीब 1315 हेक्टेयर जमीन पर फैसला होना है। इसके साथ ही उत्तराखंड को 351 भवनों के हस्तांतरण पर सहमति बनने के बाद भी ये भवन नहीं मिले हैं। जिसको लेकर आज दोनों राज्यों के बीच बातचीत होगी।

उत्तर प्रदेश ने अभी तक उत्तराखंड को हरिद्वार में सिंचाई के लिए गंगानहार से 665 क्यूसेक पानी देने के लिए मंजूरी नहीं दी है। वहीं उत्तराखंड के नाम पर किच्छा में सिंचाई विभाग की 0.346 हेक्टेयर भूमि ट्रांसफर करने को लेकर भी फैसला होना है। वहीं ऊर्जा निगम में मनेरी-भाली जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम से 420 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया था और इसका इस्तेमाल दूसरे काम के लिए किया जाता था। यह राशि भी उत्तराखंड को देनी है और इस पर भी फैसला होना बाकी है। इसके साथ ही आज की बैठक में। रामगंगा बांध, शारदा नहर, खटीमा पावर हाउस, मोहम्मदपुर पावर हाउस में बिजली उत्पादन में आ रही समस्याओं पर भी बातचीत होगी।

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने अभी तक उत्तराखंड परिवहन निगम को यात्री कर के 36 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। वहीं उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास बोर्ड की परिसंपत्तियों के वितरण फार्मूले पर भी दोनों राज्यों के भी फैसला लिया जाना है। जबकि उत्तर प्रदेश वन निगम ने सहमति के बावजूद उत्तराखंड वन निगम को 77.31 करोड़ का भुगतान नहीं किया है। जिसे आज सीएम धामी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने उठाएंगे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम और उत्तराखंड बीज एवं तराई बीज निगम के बीच खातों के सामंजस्य का मामला अभी कृषि विभाग में लंबित है।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच पिछले 21 सालों से परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद हल नहीं हो सका है।  उत्तराखंड के सिंचाई विभाग की 5500 से करीब 13,000 हेक्टेयर ज़मीन और 4000 इमारतों को लेकर विवाद है, जिन पर अब तक यूपी का ही कब्ज़ा है। उत्तराखंड परिवहन विभाग की 5000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर यूपी के साथ विवाद है, तो हरिद्वार में कुंभ और कांवड़ मेले की ज़मीन पर कब्ज़े को लेकर भी विवाद है।

टिहरी डैम पर भी अब तक उप्र मालिकाना हक लिये हुए है. कुल मिलाकर 11 विभागों की ज़मीन, भवन और संपत्तियों पर उत्तराखंड दावा करता है, जो अब तक यूपी के अधिकार में हैं और इनसे यूपी ही राजस्व वसूल रहा है।इस परिसंपत्ति विवाद को लेकर कई मामले विभिन्न अदालतों में भी पेंडिंग हैं। राजस्व, सिंचाई, जल विद्युत परियोजनाएं, परिवहन, पर्यटन व कार्मिकों के आवंटन से जुड़े विभागों के मामले उलझे हुए हैं।इन्हीं को हल करने के लिए दोनों मुख्यमंत्री बैठक करने वाले हैं।

चुनाव 2022:-पूर्व सीएम हरीश रावत ने निकाली पदयात्रा,रावत ने कहा-‘उत्तराखंड में बीजेपी को हराकर ही दम लेंगे’

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मंगलवार को हरिद्वार दौरे पर थे।जहां हरीश रावत ने टिबड़ी स्थित अंबेडकर पार्क में सफाई अभियान कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे।यहां सफाई अभियान में शामिल होने के बाद उन्होंने बढ़ती महंगाई के मुद्दे को लेकर रानीपुर मोड़ से शंकर आश्रम तक पदयात्रा निकाली। इसके साथ ही पूर्व सीएम ने जेपी नड्डा के कांग्रेस पर उठाए सवाल पर भी पलटवार भी किया।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य में डबल इंजन स्टार्ट नहीं हो रहा है। जिससे प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह से ठप पड़े हैं। कांग्रेस 135 साल पुराना राजनीतिक दल है। कांग्रेस ने देश की आजादी की लड़ाई के अलावा देश के विकास में योगदान दिया। इसके साथ जुड़कर आप अपना रिश्ता बना रहे है। कहा कि जिन लोगों को उन्होने कांग्रेस का सदस्य बनाया है। वह कभी भी अपनी सदस्यता पर्ची दिखाकर मुझसे मिल सकते है और फोन पर बात कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के विकास के उन्नयन के लिए उल्लेखनीय काम किया। भाजपा सरकार ने कांग्रेस सरकार की योजनाओं को बंद कर दिया।

उन्होंने कहा की पहले भाजपा सरकार राफेल विमान में खाई कमीशन की चिंता करें बाद में हम पर आरोप लगाए।पूर्व मुख्यमंत्री ने सबसे पहले हरिद्वार नगर विधानसभा क्षेत्र के टिबड़ी में बाबा भीम राऊ अंबेडकर की मूर्ति का माल्यार्पण कर झंडारोहण किया और सफाई अभियान की शुरुआत की।इसके साथ ही हरीश रावत द्वारा महंगाई और बेरोजगारी को लेकर रानीपुर मोड़ से शंकर आश्रम तक पद यात्रा निकली गई।पूर्व सीएम हरीश रावत ने बताया वह कांग्रेस परंपरा को लेकर जन–जन तक अपने राजनीतिक संदेश पहुंचा रहे हैं।उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी का राजनीतिक संदेश बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को लेकर रचनात्मक सोच के साथ कांग्रेस पार्टी बढ़ रही है।

हरीश रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराखंड दौरे पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम तो जानना चाहते हैं कि नड्डा उत्तराखंड में दौरा करके क्या करते हैं।वो यहीं पर अड्डा बना कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस अब बीजेपी को हराकर ही दम लेगी। प्रदेश की जनता अब बीजेपी की करनी और कथनी को समझ चुकी है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार आने पर सर्वभौम पोषणहार योजना लाई जाएगी। एक परिवार को दो पेंशन का प्रावधान किया जाएगा। गैस सिलिंडर में दो सौ रुपये की सब्सिडी और बिजली की सौ यूनिट मुफ्त देने का काम किया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्त्ताओं से मुलाकात की। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल के साथ बैठक भी की। बाद में मीडिया से बातचीत में उन्होंने महंगाई के मुद्दे को लेकर भाजपा और केंद्र सरकार पर तीखे हमले बोले। उन्होंने कहा कि मौजूदा महंगाई केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता का प्रमाण हैं। महंगाई ने प्रत्येक घर का बजट बिगाड़कर अशांति पैदा कर दी है। गृहणियों की परेशानी बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के फैसले का श्रेय केंद्र की भाजपा सरकार ले रही है।पुरानी पेंशन बहाली को दिया समर्थन उन्होंने कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग का समर्थन किया। यह योजना फिर से लागू होनी चाहिए। हमने तय किया है कि इस मुहिम को चलाने वालों के साथ पार्टी खड़ी रहेगी। कांग्रेस की सरकार बनने पर इस समस्या के समाधान को विशेषज्ञों की समिति बनाई जाएगी। साथ में गोल्डन कार्ड स्कीम में पेंशन से होने वाली कटौती समाप्त की जाएगी। यही नहीं कटौती की गई धनराशि को भी वापस किया जाएगा।