इलाहाबाद हाईकोर्ट के यूपी में चुनाव टालने के अनुरोध पर बोले मुख्य निर्वाचन आयुक्त अगले हफ्ते टीम उत्तर प्रदेश का दौरा करेगी,इसके बाद उचित निर्णय लिया जाएगा, उत्तराखंड में छह बजे तक होगा मतदान

कोरोना  के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन  के बढ़ते संकट को देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से यूपी विधान सभा चुनाव टालने का अनुरोध किया है। कोर्ट ने प्रदेश में चुनावी रैलियों व सभाओं पर भी रोक के लिए कड़े कदम उठाने के लिए कहा है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन  के बढ़ते मामलों को देखते हुए यूपी में विधानसभा चुनाव टालने का सुझाव दिया है। इस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा का कहना है कि अगले हफ्ते टीम उत्तर प्रदेश का दौरा करेगी। इस दौरान स्थिति को लेकर समीक्षा की जाएगी और इसके बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।

विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की टीम दो मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा के नेतृत्व में दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर है। टीम में निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और अनूप पांडेय भी शामिल हैं। दौरे के दूसरे दिन मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस सुझाव को लेकर बयान दिया, जिसमें कोर्ट ने ओमिक्रोन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए रैलियों को टालने और चुनाव को स्थगित करने का सुझाव दिया।

कोर्ट ने कहा, यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां रैलियों में काफी भीड़ इकट्ठी हो रही है। ऐसे में चुनावी रैलियों पर रोक लगाई जानी चाहिए। इसपर उन्होंने यूपी का दौरा कर वहां की स्थितियों की समीक्षा करने के बाद उचित निर्णय लेने की बात कही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी चुनाव को टालने का पीएम और चुनाव आयुक्त से किया अनुरोध

जस्टिस शेखर कुमार यादव ने भारत सहित विश्व भर में बढ़ते ओमिक्रोन के खतरे का ज़िक्र करते हुए कहा कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। नए वेरिएंट के कारण तीसरी लहर के आने की संभावना है। ऐसे वक्त में उत्तर प्रदेश की रैलियों में भीड़ जुट रही है जो कि खतरे से खाली नहीं है।

जस्टिस शेखर यादव ने कहा कि दूसरी लहर में लाखों लोग संक्रमण के चलते अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे। इलाज के लिए भटकते दिखे। उस त्रासदी की यादें अब भी ज़हन में ताज़ा हैं। ग्राम पंचायत चुनाव और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों ने कई लोगों को संक्रमित कर दिया। ऐसे में कोर्ट निर्वाचन आयुक्त और प्रधानमंत्री से यह अपील करता है कि वे रैलियों में जुटने वाली भीड़ पर रोक लगाएं। क्योंकि अगर इसे रोका नहीं गया तो स्थिति दूसरी लहर से भी अधिक भयावह होगी।

कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रचार टीवी और समाचार पत्रों के माध्यम से करें। इतना ही नहीं कोर्ट ने तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए विधानसभा चुनावों को टालने का भी अनुरोध किया। कोर्ट ने कहा कि अगर संभव हो तो फरवरी मार्च में होने वाले विधानसभा चुनावों को एक दो महीने के लिए टालने पर भी विचार किया जाना चाहिए। क्योंकि लोगों की जिंदगी चुनावों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

उत्तराखंड में पांच नहीं छह बजे तक होगा मतदान

उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए निर्वाचन आयोग ने एक घंटे का समय बढ़ाया है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चन्द्रा ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान 100 बूथ की जिम्‍मेदारी महिला कर्मचारियों को सौंपी जाएगी। रैलियों के लिए 601 मैदान चिह्वनित किए गए हैं। कोविड संक्रमण रोकथाम की जिम्मेदारी आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग को सौंपी गई है।

निर्वाचन आयोग के सामने रखा उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों का खाका, (प्रदेश में एक ही पेज में कराए गए चुनाव : कांग्रेस)

उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारिया का जायजा लेने भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा, निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार, अनूप चंद्र पांडेय व भारत निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारी देहरादून पहुंचे। उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया।

देहरादून पहुंचकर यह टीम सबसे पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेगी। इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी व पुलिस अधीक्षक चुनाव के लिए की गई तैयारियों का प्रस्तुतिकरण आयोग के समक्ष करेंगे। राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी और स्टेट नोडल अधिकारी भी आयोग के समक्ष अभी तक की गई तैयारियों के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतिकरण देंगे।

शुक्रवार को आयोग की टीम स्वीप गतिविधियों के संबंध में जानकारी देगी। इसके साथ ही दिव्यांगजन, युवाओं, महिलाओं व 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं से भी वार्ता की जाएगी। इसके बाद आयोग की टीम निर्वाचन व्यय निगरानी समितियों के साथ बैठक करेगी। मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ भी आयोग की टीम की बैठक होगी।

कांग्रेस निर्वाचन आयोग को प्रदेश में चुनाव फेज में और जनवरी अंतिम सप्ताह या फिर फरवरी दूसरे सप्ताह से कराने का सुझाव दिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त को दिए सुझाव में कहां गया कि बर्फीले क्षेत्रों में प्रत्याशी को हर रोज चुनाव खर्च का ब्यौरा दिए जाने में छूट दी जाए।

कांग्रेस की ओर से मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे को दिए सुझाव पत्र में कहा गया कि प्रदेश में वर्ष 2002 में 14 फरवरी वर्ष 2007 में 21 फरवरी वर्ष 2012 में 30 जनवरी एवं वर्ष 2017 में 15 जनवरी को चुनाव हुए। वर्ष 2022 में भी इसी समय सारणी के अनुसार चुनाव कराए जाएं। अब तक चुनाव पूरे राज्य में एक ही पेज में कराए जाते रहे हैं। सुझाव है कि 2022 में भी नाम एक ही पेज में कराई जाए। वही निवासी अधिकारियों की ओर से बूथ स्तर पर वीवीपैट के बारे में मतदाताओं को जागरूक किया जा रहा है। इसकी एक वीडियो फिल्म कांग्रेस पार्टी को भी उपलब्ध कराई जाए ताकि हर मतदाता को ईवीएम एवं वीवीपैट के बारे में जानकारी दी जा सके।

कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मथुरादत्त जोशी ने कहा कि निर्वाचन आयोग को कुछ मौखिक सुझाव भी दिए गए। निर्वाचन आयोग से मिलने वालों में पूर्व मंत्री नवप्रभात प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट, पृथ्वीपाल चौहान, सूर्यकांत धस्माना, सोशल मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह व प्रदेश प्रवक्ता राजेश चमोली शामिल रहें।

सियासी दलों ने चुनाव आयोग से खर्च की सीमा बढ़ाने और प्रचार सामग्री के रेट घटाने का अनुरोध किया

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों की समीक्षा करने पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के सामने सियासी दलों ने चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने का मुद्दा उठाया। साथ ही बोलो और डोर टू डोर प्रचार के लिए कार्यकर्ताओं की सीमित संख्या का राइडर हटाने की मांग की।

आयोग के दल ने सियासी दलों के प्रतिनिधियों से कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए चुनाव प्रचार में कोविड-19 गाइडलाइन का कढ़ाई से पालन करने का अनुरोध किया।

बृहस्पतिवार को भाजपा की ओर से प्रदेश कोषाध्यक्ष पुनीत मित्तल विधायक विनोद चमोली अधिवक्ता और चुनाव मामलों के प्रभारी राजीव शर्मा बंटू व पुरुषोत्तम कंडवाल मुख्य चुनाव आयोग से वार्ता की। सीईसी ने पार्टी प्रतिनिधियों से शांतिपूर्ण निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव कराने में अपना पूर्ण सहयोग देने की अपील की।

भाजपा नेताओं ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि वह चुनाव खर्च की सीमा लोकसभा चुनाव के अनुपात में बढ़ाने पर विचार करें। उन्होंने चुनाव प्रचार से जुड़े सामग्री व वस्तुओं की दरों मैं कमी करने का अनुरोध किया। उनका कहना था कि रोड शो 5 गाड़ियों की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। पार्टी ने पड़ोसी राज्यों की सीमा को पूरी तरह से सील करने की आवश्यकता भी जताई। हाथ में डोर टू डोर प्रसाद में प्रत्याशी के साथ 5 से अधिक कार्यकर्ताओं के बंदिश को भी हटाने का अनुरोध किया।

नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान 24 दिसंबर को होंगे सेवानिवृत्त, जस्टिस संजय के मिश्रा को उत्तराखंड हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की अधिसूचना जारी

केंद्र सरकार ने बुधवार (22 दिसंबर) को उत्तराखंड हाईकोर्ट (भारत के संविधान के अनुच्छेद 223 के अनुसार) के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। यह नियुक्ति 24 दिसंबर से प्रभावी होगी।

उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस मिश्रा, जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान, मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखंड हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त होने पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय के कर्तव्यों का पालन करेंगे।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान 24 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने 7 जनवरी 2021 को उन्होंने तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से नैनीताल हाईकोर्ट में कार्यभार ग्रहण किया था।। उनके बाद वरिष्ठ न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा को उत्तराखंड हाईकोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की संस्तुति पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ये नियुक्ति की है। जस्टिस संजय कुमार को नियुक्ति से संबंधित केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के अपर सचिव राजेन्द्र कश्यप के हस्ताक्षर से जारी अधिसूचना बुधवार को हाईकोर्ट को प्राप्त हो चुकी है। 24 दिसंबर 1959 को जन्मे जस्टिस चौहान ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार 31 दिसंबर 2020 को संभाला था।

उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरएस चौहान के सम्मान में नैनीताल हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने एक विदाई समारोह आयोजित किया। नैनीताल क्लब में कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि देवभूमि में काम करने का मौका मिलना हमेशा उनकी यादों में रहेगा। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की बार ने हमेशा उनका सहयोग किया। सीनियर वकीलों से कहा कि वो अपने जूनियर वकीलों को सहयोग करें ताकि उनका भविष्य बेहतर हो। इस मौके पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अ‌वतार सिंह रावत ने कहा कि दुर्भाग्य से ​जस्टिस चौहान का कार्यकाल उत्तराखंड में बहुत कम रहा।

जस्टिस संजय मिश्रा उड़ीसा हाईकोर्ट से 11 अक्टूबर 2021 को ही उत्तराखंड हाईकोर्ट ट्रांसफर हुए थे। उन्होंने 1987 में दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि की डिग्री हासिल की। वह 1999 में जयपुर ज़िला न्यायालय में अपर ज़िला जज और 2009 में उड़ीसा हाईकोर्ट में जज बने थे। इससे पहले, बालंगीर से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस मिश्रा ने 1988 में वकालत शुरू की थी और 1999 में ज़िला जज परीक्षा में अव्वल स्थान हासिल किया था। जस्टिस मिश्रा ने एकलपीठ के तौर पर 39,217 और डिविज़न बेंच के जज के तौर पर 10,450 जजमेंट दिए थे। जस्टिस मिश्रा ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश सुंदरगढ़, विशेष न्यायाधीश सीबीआई और रजिस्ट्रार जनरल उड़ीसा हाई कोर्ट भी रह चुके हैं।

उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज हरीश रावत के ट्वीट से हिली कांग्रेस, पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली बुलाया, हरीश रावत और प्रीतम सिंह कल बैठक में शामिल होंगे

विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही उत्तराखंड कांग्रेस में भी कलह के संकेत मिलने लगे हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस का सबसे प्रमुख चेहरा और पूर्व सीएम हरीश रावत ही कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व से उनकी नाराजगी इस कदर बताई जाने लगी है कि वह पार्टी से नाता भी तोड़ सकते हैं। हरीश रावत प्रभारी देवेंद्र रावत से भी नाराज बताए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि नाराजगी दूर न होने पर हरीश कांग्रेस से नाता तोड़ सकते हैं।

उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर चल रही अंतरकलह ने पूरे सूबे में सियासी हलचल बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के प्रभारी की तरफ से एक दूसरे खेमे को ज्यादा तरजीह देने से हरीश रावत नाराज हैं। नाराजगी दूर न होने पर हरीश रावत बड़ा ऐलान कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि वह कांग्रेस छोड़ने या फिर राजनीतिक से ही संन्यास का ऐलान कर सकते हैं।

हरीश रावत को लेकर इस तरह की अटकलें उनके ट्वीट के कारण और भी तेज हो गई हैं। अपने ट्वीट में हरीश रावत ने ‘विश्राम’ शब्द का ज़िक्र किया है. वह नए साल में कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत ने कांग्रेस पार्टी के आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने लगातार तीन ट्वीट कर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा है। रावत ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं।

साथ ही उन्होंने कहा कि अब लग रहा है कि समय आ गया है. उनकी ये बातें कई सियासी मायनों से भरी हुई नजर आती हैं। अब हरीश रावत के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें भी तेज हो गई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि वो जल्द ही कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ सकते हैं। अगर ऐसा करते हैं तो उत्तराखंड में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका लग सकता है।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।’

उन्होंने आगे लिखा, ‘जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश_रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्” बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे।मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।’

कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत को उत्तराखंड चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया है। साथ ही उनके करीबी माने जाने वाले गोदियाल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान भी सौंपी है।इसके बावजूद वो पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

उनके इन बयानों को सियासी गलियारों में अलग-अलग तरीके से देखा जा रहा है। कुछ लोग उनकी बातों को रिटायरमेंट से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं कुछ इसे उनका बगावती तेवर बता रहे हैं। अगले कुछ ही महीनों में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में हरीश रावत की ये बातें कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं।

उत्‍तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीत‍िक उठापठक तेज हो गयी है। एक तरफ जहां दूसरे राजनीति‍क दल चुनाव की तैयारी में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस दूसरी मुसीबतों का सामना कर रही है, और मुश्‍क‍िल बढ़ी पूर्व मुख्यमंत्री के उस ट्वीट के बाद जिसमें उन्‍होंने संंगठन के कामकाज को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। इसे लेकर कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल शपाल आर्य और हरीश रावत को शुक्रवार 24 दिसंबर को पार्टी ने नई दिल्‍ली बुलाया है।

क्रिकेट खेलते वक्त चोटिल हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री के बाएं हाथ की उंगली में फैक्चर, डॉक्टरों ने चढ़ाया पलास्टर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बाएं हाथ के रिंग फिंगर में बीते मंगलवार को क्रिकेट खेलते वक्त चोट लग गई थी।मंगलवार को अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी में मुख्यमंत्री एकादश और भाजयुमो एकादश के बीच मैत्री मुकाबला खेला गया। मैच के दौरान सीएम धामी पिच पर गिर गए थे और उनके हाथ में चोट आ गई थी। हाथ में सूजन आने पर चिकित्सकों की सलाह के बाद वे दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय पहुंचे और एक्स-रे कराया। उनकी कलाई में हेयर लाइन फ्रैक्चर हुआ है। उनको चिकित्सकों ने प्लास्टर चढ़ाया है।

बुधवार को हाथ में सूजन आ जाने पर सीएम धामी सुबह दून अस्पताल पहुंचे। यहां उनके हाथ का एक्सरे कराया गया, जिसमें फैक्चर निकला। डॉक्टरों ने उनके हाथ पर एक हफ्ते के लिए कच्चा प्लस्टर चढ़ाया है। इसके बाद करीब एक महीने के लिए उनके हाथ पर पक्का पलास्टर चढ़ सकता है। डॉक्टरों ने उन्हें आराम की भी सलाह दी है। इस दौरान सीएम धामी ने अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया। उन्होंने अस्पताल में एमआरआई मशीन को शीघ्र स्टॉल करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कप्तानी में मुख्यमंत्री एकादश की टीम ने सात ओवर के मैच में दो विकेट खोकर 49 रन बनाए। मुख्यमंत्री धामी ने नाबाद 14 रनों की पारी खेली। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भाजयुमो की टीम राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या के नेतृत्व में निर्धारित सात ओवर में एक विकेट खोकर 45 रन ही बना सकी। मुख्यमंत्री एकादश ने यह मुकाबला चार रनों से जीत लिया। मैच के अंत में मुख्यमंत्री और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रदेश के मेधावी खिलाड़ियों को सम्मानित भी किया।

सीएम धामी ने कहा कि क्रिकेट मैच खेलकर उन्हें अपने स्कूल-कालेज के दिन याद आ गए। पहले क्रिकेट के प्रति उनकी दीवानगी इस कदर थी कि वे दोस्तों के साथ विभिन्न शहरों में जाकर क्रिकेट खेलते थे। बाद में राजनीति में सक्रियता बढऩे के कारण उन्हें खेलने का समय नहीं मिला। मुख्यमंत्री एकादश में काबीना मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, विधायक सहदेव पुंडीर, विधायक देशराज कर्णवाल आदि शामिल थे।

ओमिक्रोन वैरिएंट का असर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से राज्यों के लिए दिशा-निर्देश जारी

देश में ओमिक्रोन के केस बढ़ने के बाद अब केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से राज्यों के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। कोरोना के इस नए वैरिएंट के मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) पहले ही इसकी संक्रमण की गति को लेकर चेतावनी दे चुका है। अब तक 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक यह वैरिएंट पहुंच गया है और इसके 210 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

देश में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए केन्द्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर चेताया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की चिट्ठी में वॉर रूम फिर से एक्टिव करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा राज्यों से कहा गया है कि नाइट कर्फ्यू लगाने, बड़ी सभाओं पर पाबंदी, शादियों और अंतिम संस्कार कार्यक्रमों में लोगों की संख्या कम करने जैसे फैसलों को भी लागू करें।

राजेश भूषण ने कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट पहले आए डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले तीन गुना ज्यादा संक्रामक है। लिहाजा हमें और मुस्तैद होने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी सेवाओं को सक्रिय किए जाने के साथ ही जिला और स्थानीय स्तर पर सख्त रोकथाम की कार्रवाई की जानी चाहिए। हमें प्राथमिकता के आधार पर कंटेनमेंट जोन और बफ़र ज़ोन बनाए जाने की जरुरत है।

दूसरी तरफ दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को बताया कि लोक नायक अस्पताल में भर्ती कोरोना वायरस के ओमिक्रोन स्वरूप से संक्रमित 34 मरीजों में से तीन का कोई यात्रा इतिहास नहीं है। मंत्री के मुताबिक राजधानी में ओमिक्रोन मामलों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अभी देश से डेल्टा वैरिएंट पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में डेल्टा और ओमिक्रोन मिलकर घातक रूप धारण कर सकते हैं। ओमिक्रोन को लेकर कहा जा रहा है कि यह तेजी से फैलता जरूर है, लेकिन कोरोना के अन्य वैरिएंट की तरह घातक नहीं है।

मंत्रालय ने कहा है कि वैज्ञानिक आंकड़ों से पता चलता है कि डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन वैरिएंट तीन गुना अधिक संक्रामक है। इसलिए अत्यधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। कनार्टक ने 30 दिसंबर से दो जनवरी तक पार्टी जैसे आयोजनों पर रोक लगा दी है। कई अन्य राज्यों ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं।

भारत में ओमिक्रोन की ताजा स्थिति यह है कि यह वैरिएंट 14 राज्यों में फैल गया है जहां 220 मरीज हैं। देश में ओमिक्रोन कितनी तेजी से बढ़ रहा है, इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा रहा है कि 17 दिसंबर को 100 केस थे और 21 दिसंबर को यह आंकड़ा 200 पार हो गया। यानी महज चार दिन में केस दोगुना हो गए हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में जिस तरह से हाहाकार मचा है, उसे देखते हुए लोगों को सबक सिखना चाहिए। देश में एक बड़ा वर्ग अभी भी मास्क लगाने और शारीरिक दूरी का पालन जैसे नियमों की अनदेखी कर रहा है। यह लापरवाही कभी भी घातक रूप से सकती है।

महाराष्ट्र में फिर बंद हो सकते हैं स्कूल

महाराष्ट्र उन राज्यों में शामिल है जहां ओमिक्रोन के सबसे ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। इस बीच, महाराष्ट्र की स्कूल शिक्षा मंत्री प्रो वर्षा एकनाथ गायकवाड़ से एएनआई से कहा है कि यदि ओमिक्रोन के मामलों में वृद्धि जारी रहती है, तो हम स्कूलों को फिर से बंद करने का निर्णय ले सकते हैं। हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।

जम्मू और कश्मीर में परिसीमन फार्मूला का विरोध, कश्मीरी पार्टियों को मंजूर नहीं जम्मू और कश्मीर का परिसीमन फार्मूला

परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 7 सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इनमें 6 जम्मू और 1 कश्मीर में बढ़ाई जाएंगी। इस संशोधन के बाद विधानसभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 43 जम्मू में, जबकि 47 सीटें कश्मीर में होंगी। इस प्रस्ताव का कश्मीर के गैर भाजपाई दलों ने पुरजोर विरोध किया है।

आयोग की सोमवार 20 दिसंबर को दिल्ली में बैठक हुई थी जिसमें बीजेपी के दो सांसद और एनसी के तीन सांसद भी शामिल हुए थे। बैठक में आयोग ने सभी सदस्यों के साथ विधान सभा में सीटों के प्रस्तावित आबंटन को साझा किया और उन्हें 31 दिसंबर तक अपने विचार सामने रखने को कहा। आयोग ने विधान सभा में सात सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिनमें से छह जम्मू में होंगी और एक कश्मीर में। इसी के साथ विधान सभा में कुल सीटों की संख्या 90 हो जाएगी।

इनमें से जम्मू की सीटें 37 से बढ़कर 43 हो जाएंगी और कश्मीर की सीटें 46 से बढ़कर 47। जनसंख्या के आधार पर? बीजेपी को छोड़ कर कश्मीर में चुनाव लड़ने वाली सभी पार्टियों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है।2011 की जनगणना के मुताबिक, कश्मीर में 68 लाख 88 हजार 475 जनसंख्या है, यह राज्य की करीब 54.93% आबादी है। इसके पास 46 सीटें हैं, जो कि विधानसभा में प्रतिनिधित्व के हिसाब से 52.87% बैठती है। इसी तरह जम्मू में 53 लाख 78 हजार 538 लोग रहते हैं। इसके पास विधानसभा में 37 सीटें और वहां प्रतिनिधित्व 42.52% है।कश्मीरी पार्टियों की मांग है कि सीटों का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर होना चाहिए। घाटी की राजनीतिक पार्टियां तर्क देती हैं कि कश्मीर घाटी की आबादी जम्मू के मुकाबले 15 लाख ज्यादा है और ऐसे में इसे विधानसभा में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

एनसी के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपना विरोध जताते हुए एक ट्वीट में कहा कि सीटों के इस आबंटन का 2011 की जनगणना के आंकड़े समर्थन नहीं करते। उन्होंने आयोग पर बीजेपी के राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया।

इसके अलावा एनसी सांसद और आयोग के एसोसिएट सदस्य हसनैन मसूदी ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि उन्होंने आयोग से कहा कि परिसीमन जिस जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत किया जा रहा है उसके खिलाफ अदालत में मुकदमा चल रहा है और ऐसे में उसके तहत फैसले नहीं लिए जा सकते।

महबूबा मुफ्ती ने कहा- इनकी कोशिश लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की है। जनगणना के आंकड़ों को भी ध्यान में नहीं रखा जा रहा है। एक क्षेत्र को 6 और कश्मीर को बस एक सीट दी जा रही है। यह कमीशन बीजेपी को सियासी फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है। मजहब और क्षेत्रवाद के आधार पर बंटवारा किया जा रहा है। कोशिश यह है कि अगस्त 2019 में जो कदम उठाया गया था, उसके आधार पर सरकार बनाई जाए।

पूर्व मंत्री और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चीफ सज्जाद गनी लोन ने कहा- परिसीमन कमीशन की सिफारिशें हमें कतई मंजूर नहीं हैं। ये उन लोगों के लिए बड़ा झटका है जो लोकतंत्र में यकीन करते हैं। अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी ने भी सिफारिशों को खारिज कर दिया। कहा- आबादी और जिलों को आधार बनाया जाना चाहिए था।

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के चीफ गुलाम अहमद मीर ने कहा- SC और ST के लिए तो सीटें पहले से रिजर्व हैं। जहां तक परिसीमन की बात है तो इसे आबादी के आधार पर होना चाहिए। 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू और कश्मीर की आबादी 1.22 करोड़ है। आबादी के लिहाज से तो परिसीमन नहीं हो रहा।

इसके अलावा लद्दाख की चार सीटें भी थीं। 2019 में राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिए गए। लेकिन नए प्रस्ताव के अनुसार आबादी के आंकड़ों में इतना फर्क होने के बावजूद जम्मू में कश्मीर से बस चार ही सीटें कम रह जाएंगी। यानी विधान सभा में जम्मू के प्रतिनिधित्व का अनुपात बढ़ जाएगा।

उत्तराखंड के ब्रांड एंबेसडर बने भारतीय बल्लेबाज ‘ऋषभ पंत’, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दी बधाई

इंडियन क्रिकेट टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत को उत्तराखंड का ‘ब्रांड एंबेसडर’ नियुक्त किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर पंत को ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए एक वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा “भारत के बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक, युवाओं के आदर्श और उत्तराखंड के लाल श्री ऋषभ पंत जी को हमारी सरकार ने राज्य के युवाओं को खेलकूद एवं जन-स्वास्थ्य के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘राज्य ब्रांड एंबेसडर’ नियुक्त किया है।

राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने क्रिकेटर ऋषभ पंत को राज्य एंबेसडर नियुक्त किया। राज्य सरकार के मुताबिक उत्तराखण्ड के युवाओं को खेलकूद एवं जन स्वास्थ्य के प्रति प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से भारत के क्रिकेट खिलाड़ी ऋषभ पंत को राज्य ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडिया कॉल के माध्यम से क्रिकेटर ऋषभ पंत से वार्ता कर उन्हें शुभकामनाएं दी, साथ ही उन्हें उत्तराखण्ड आने का निमंत्रण भी दिया।

पंत ने ट्वीट किया, “पुष्कर सिंह धामी सर, उत्तराखंड के लोगों के बीच खेल और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए यहां का ब्रांड एंबेसडर बनाने का शुक्रिया। लोगों के बीच यह संदेश देने के लिए मैं पूरी कोशिश करूंगा और मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आप देश को फिट बनाने के लिए ऐसे कदम उठा रहे हैं। रुड़की के एक छोटे से कस्बे से आने के बाद मुझे विश्वास है कि यहां के लोगों के अंदर कई क्षेत्रों में देश को गौरव महसूस कराने की क्षमता है।”

ऋषभ राजेंद्र पंत का जन्म रुड़की, उत्तराखंड में हुआ था। इनका पैतृक निवास ‘पिथौरागढ़’ जनपद के गंगोलीहाट तहसील के पाली नामक गाँव मे है। ऋषभ पंत घरेलू क्रिकेट दिल्ली के लिए खेलते हैं। पंत मुख्यतः बल्लेबाजी और विकेटकीपर के लिए जाने जाते हैं। इनके और भी रिकॉर्ड है। इन्हे भारत का ‘गिलक्रीस्ट’ कहा जाता है। ये अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिऐ जाने जाते हैं। उन्होंने दिल्ली में क्रिकेट कोचिंग ली। इसके बाद में यहीं की रणजी टीम से क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाया। फिलहाल पंत दक्षिण अफ्रीका दौरे पर हैं, जिसकी शुरुआत 26 दिसंबर से हो रही है।

केदारनाथ रोपवे विश्व के सबसे लंबे रोपवे की लिस्ट में होगा शामिल, घंटों का सफर मिनटों में होगा पूरा 

देहरादून :- केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बहुत जल्द रोपवे बनने जा रहा है। इस रोपवे की लंबाई करीब 11.5 किमी होगी। इसके बनने से सोनप्रयाग से केदारनाथ तक महज 25 मिनट में पहुंचा जा सकेगा। बता दें कि निर्माण उपरांत केदारनाथ रोपवे दुनिया के सबसे लंबे रोपवे की लिस्ट में शामिल हो जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने के अनुरूप नए कलेवर में निखर रहे केदारनाथ धाम  का सफर निकट भविष्य में और आसान होगा।इसके लिए सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे  निर्माण के मद्देनजर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है।न सिर्फ केदारनाथ, बल्कि हेमकुंड साहिब के लिए भी रोपवे की कसरत शुरू की गई है।इन रोपवे के निर्माण में निजी क्षेत्र भी रुचि दिखा सके, इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई है।

सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर के अनुसार केदारनाथ रोपवे के आकार लेने पर यह विश्व के सबसे लंबे रोपवे में शामिल हो जाएगा।इसकी लंबाई लगभग 11.5 किलोमीटर होगी और 25 मिनट में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पहुंचा जा सकेगा।केदारनाथ धाम समुद्रतल से करीब साढ़े ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। धाम में बाबा केदार के दर्शन करने आने के लिए श्रद्धालुओं को गौरीकुंड  से करीब 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। वहीं हेमकुंड साहिब तक पहुंचने को घांघरिया से लगभग पांच किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। अब सुगमता के लिए रोपवे निर्माण की तैयारी शुरू हो गई हैं।

पांच नवंबर को केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे पर काम होने की बात कही थी। इसी तरफ अब कवायद तेज कर दी गई है। पीएम मोदी के सपने के अनुरूप केदारनाथ धाम का सफर आने वाले समय में आसान होने वाला है। बता दें कि केदारनाथ के साथ ही हेमकुंड साहिब के लिए भी रोपवे की कोशिशें तेज हो गई हैं।

सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर के अनुसार प्रदेश में रोपवे निर्माण के मद्देनजर सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से एमओयू किया हुआ है। प्राधिकरण ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के रोपवे निर्माण के लिए डीपीआर बनाने का जिम्मा एक कंपनी को सौंपा है। इसके अलावा इस तरह की निविदा भी आमंत्रित की गई है, जिससे निजी क्षेत्र इन परियोजनाओं के लिए आगे आए। यदि ऐसा नहीं होता है तो सरकार इन दोनों रोपवे का निर्माण कराएगी।