उत्तराखण्ड सरकार ने नकल और गड़बड़ी रोकने के लिये कड़ा कानून लाया है

सीएम धामी ने कहा कि हमारी सरकार ने यह पहले ही तय कर लिया था कि भर्ती परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाएंगे। देश का सबसे कड़ा नकल विरोधी कानून हम लेकर आ रहे हैं।

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उत्तराखंड में जल्द ही देश का सबसे सख्त नकलरोधी कानून लागू होने वाला है। इसमें नकल माफिया को उम्रकैद, 10 करोड़ तक जुर्माना और नकल माफिया से मिलकर नकल करने वाले अभ्यर्थियों को भी 10 साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। प्रस्ताव राजभवन भेज दिया है। अगर राजभवन इस पर 12 फरवरी से पहले मुहर लगा देता है तो यह कानून पटवारी-लेखपाल भर्ती से ही लागू हो जाएगा।

नकल माफिया पर यह होगी कार्रवाई

  • कोई व्यक्ति, परीक्षा केंद्र के प्रबंधतंत्र, कोचिंग संस्थान, प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा के आयोजन में किसी भी जुड़े लोग पेपर लीक या अनुचित साधनों में शामिल पाए गए तो उन्हें आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा मिलेगी।
  • कोई परीक्षार्थी अगर नकल करते हुए पकड़ा गया तो तो उसे तीन साल की जेल और कम से कम पांच लाख के जुर्माने की सजा मिलेगी। अगर वही परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में दोषी पाया जाता है तो उसे दस साल कारावास की सजा और कम से कम 10 लाख जुर्माना लगेगा।
  • अगर कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोपपत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच साल के लिए उस पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। दोष सिद्ध होने पर 10 साल के लिए सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार कर दिया जाएगा। अगर कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो उसे पांच से दस साल सजा के साथ ही आजीवन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार कर दिया जाएगा।
  • गैर जमानती अपराध बना पेपर लीक, संपत्ति कुर्क होगी
  • प्रदेश में अब नकल का अपराध संज्ञेय, गैर जमानती और अशमनीय बन जाएगा। इसके अलावा नकल माफिया अनुचित साधनों का इस्तेमाल कर जो भी संपत्ति अर्जित करेंगे, उसे सरकार कुर्क कर लेगी।

India-US: विदेश संबंधों पर अमेरिकी कमेटी की पहली बैठक में ही भारत बना चर्चा का केंद्र, चीन पर कही गईं ये बातें

इसी हफ्ते रिपब्लिकन कांग्रेसी माइकल मैककॉल की अध्यक्षता में कमेटी की 118वीं बैठक हुई। इस दौरान कमेटी ने अपनी प्राथमिकता और निगरानी वाले मुद्दों को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया।

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अमेरिका ने दुनिया के बाकी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए नई हाउस फॉरेन रिलेशंस कमेटी बनाई है। इस कमेटी ने भारत-अमेरिका के रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है। कहा गया है कि अमेरिका-भारत के द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर विशेष रूप से कमेटी की नजर है। खासतौर पर दोनों देशों रक्षा-आर्थिक क्षेत्रों, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए काम करेंगे। इसी हफ्ते रिपब्लिकन कांग्रेसी माइकल मैककॉल की अध्यक्षता में कमेटी की 118वीं बैठक हुई। इस दौरान कमेटी ने अपनी प्राथमिकता और निगरानी वाले मुद्दों को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया।

कमेटी ने भारत को लेकर क्या-क्या कहा?
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के रैंकिंग सदस्य डेमोक्रेट ग्रेगरी मीक्स ने इस बैठक के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘समिति भारत के प्रति अमेरिकी नीति और द्विपक्षीय सहयोग के निरंतर विस्तार की समीक्षा करेगी। सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग, विस्तारित भूमिकाओं के अवसर, मिशन और क्षमताओं और आतंकवाद विरोधी प्रयासों सहित अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।’

कमेटी ने कहा, ‘हम अमेरिका-भारत आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे। जिसमें प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल उद्योगों में द्विपक्षीय प्रयासों पर चर्चा शामिल है। इसके अलावा चतुर्भुज सुरक्षा संवाद प्रयासों में भारत की भागीदारी और भारत-प्रशांत क्षेत्र में इसकी उपस्थिति को बढ़ाने के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।’ समिति ने आगे कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांगों के प्रभावों की भी समीक्षा होगी।

चीन के प्रभाव को कम करने की होगी कोशिश
कमेटी ने चीन की दुनिया में बढ़ती शक्तियों को लेकर भी मंथन करने को कहा। इसमें बताया गया है कि चीन जिस तरह से दुनिया में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है, वो खतरे की आहट है। चीन ने 2013 में एक बुनियादी ढांचा परियोजना शुरू किया है, जो बिजिंग के वैश्विक प्रभाव को बढ़ा रहा है। इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है। ये अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में परिवर्तन का एक खतरनाक माध्यम है। इसके जरिए चीन पूरी दुनिया को काबू करने की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में अब चीन के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों और संधियों की भी समीक्षा होगी।

प्रदेश में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आस अब तक अधूरी

प्रदेश में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आस अब तक अधूरी है। इसे लेकर दावे तमाम हुए जमीन आवंटित की गई और प्रारंभिक कार्य के लिए बजट भी। पर विश्वविद्यालय कई साल बाद भी मैं नहीं आ सकता ऐसे में विधि क्षेत्र में शरीर बनाने के इच्छुक छात्र छात्राओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मासले में हस्तक्षेप की मांग की है। मुख्यमंत्री ने डेड माह पहले प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मुख्यमंत्री व उच्च न्यायालयों की मुख्य न्यायाधीशो के संयुक्त कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय संचालित होगा। युवाओं की मांग है कि विवि सत्र 2022 -23 से संचालित किया जाए।

दरअसल राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का मामला 10 साल से भी अधिक समय से लटका हुआ है पहले विश्वविद्यालय की स्थापना नैनीताल में होनी थी पर इस में जमीन की उपलब्धता का पेंच फंस गया। जिसके बाद सरकारों में भी इस और मजबूत इच्छाशक्ति दिखाने से गुरेज किया। साल 2017 में भाजपा की सरकार बनने पर इस और कदम उठाए गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने विधानसभा क्षेत्र विवि का शिलान्यास किया, पर मामला आगे नहीं बढ़ा।कुछ समय पहले विवि के प्रारंभिक कार्यों के लिए 50लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई।

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLU) ने शुक्रवार, 23 दिसंबर को CLAT 2023 का रिजल्ट जारी किया

क्लैट 2023 के नतीजे शुक्रवार, 23 दिसंबर को घोषित किए गए। विधि पाठ्यक्रमों के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए पूरे देश में CLAT का आयोजन किया जाता है।

इस वर्ष अधिकांश परिणाम एक बार फिर लॉ प्रेप ट्यूटोरियल से थे। साहिल गुप्ता ने ऑल इंडिया रैंक 2 हासिल की और नव्या नायर ने 6वीं रैंक हासिल की। आरक्षित श्रेणियों के शीर्ष अखिल भारतीय रैंक धारक भी लॉ प्रेप ट्यूटोरियल के छात्र हैं: – ज्ञानंकित ने एससी वर्ग में एआईआर 1 और ओबीसी वर्ग में श्रुति भुकर ने एआईआर 2 हासिल किया।

उत्तराखंड से लॉ प्रेप ट्यूटोरियल देहरादून के छात्र: अनिरुद्ध चौहान, रिया, प्रांजल जोशी, आकांक्षा, आदित्य जोशी, अभिज्ञान झा, भवीनी, ऐशनी और अन्य छात्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में जाएंगे।

अन्य अखिल भारतीय रैंक धारक केवी साई ईश्वर (एआईआर 3 ईडब्ल्यूएस), नताली स्मृति (एआईआर 7), श्लोक रंजन   (एआईआर 8), सनथ बीएस (एआईआर 23), तनिष्क सूद (एआईआर 24), तेजस भूपेश (एआईआर 32) और हैं। कई दूसरे।

लॉ प्रेप ट्यूटोरियल के अनुसार देहरादून के निदेशक श्री एस.एन. उपाध्याय, ”हमें अपने छात्रों पर गर्व है जिन्होंने तैयारी के लिए बहुत कम समय होने के बावजूद बहुत मेहनत की है। साथ ही, हमें अपने वास्तविक परिणामों पर गर्व है। जो छात्र परीक्षा में सफल नहीं हो सके उन्हें निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि यह केवल पहला कदम है। कई विकल्प उपलब्ध हैं और सफलता 150 अंकों या 2 घंटे के पेपर से नहीं आती है। अपना आत्मविश्वास न खोएं, अपनी गलतियों से सीखें और भविष्य के लिए तैयार रहें। लॉ प्रेप ट्यूटोरियल जल्द ही उन छात्रों के लिए एक सत्र आयोजित करेगा जो परीक्षा में सफल नहीं हो सके। ”

इलाहाबाद विश्वविद्यालय पुरातन छात्र परिषद के अधिवेशन में पुरातन छात्रों ने विवि के गौरवशाली इतिहास को किया याद

इलाहाबाद विश्वविद्यालय पुरातन छात्र परिषद का अधिवेशन इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स सभागार में धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। अधिवेशन में उत्तराखंड के साथ ही देश के कई राज्यों के पुरातन छात्र पहुंचे थे। इस दौरान जहां पुरातन छात्रों ने विवि के गौरवशाली इतिहास के साथ ही छात्र जीवन के यादगार पलों को याद किया, वहीं विवि में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताने के साथ ही गौरवशाली इतिहास को दोबारा स्थापित करने का संकल्प लिया।

अधिवेशन के मुख्य अतिथि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायमूर्ति एवं उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष वीके बिष्ट ने कहा कि जीवन में सफलता का मूल मंत्र समयबद्धता है। प्रयागराज सिर्फ तीन नदियों का संगम नहीं, बल्कि विचारधाराओं का भी संगम है। विवि ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के साथ देश के विकास में अहम योगदान दिया है। प्रयागराज की पवित्र भूमि पर ही चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया। विवि महान साहित्यकारों, लेखकों, कवियों, वैज्ञानिकों और प्रशासनिक अधिकारियों की कर्मस्थली रही है।

न्यायमूर्ति एमएम घिल्डियाल ने कहा कि विवि  महान साहित्यकारों महादेवी वर्मा, डॉ. रामकुमार वर्मा, भगवती चरण वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फिराक गोरखपुरी, डॉ. हरिवंश राय बच्चन जैसे लोगों की कर्मस्थली रही है और शिक्षा के क्षेत्र में विवि ने जो योगदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इस दौरान पुरातन छात्रों ने विवि में पढ़ाई के दौरान बिताए गए पलों को याद करते हुए कई संस्मरण भी सुनाए। इस मौके पर आयोजक मंडल के अध्यक्ष रवींद्र गोडबोले, प्रवीण टंडन, मनीष तिवारी, अपर सचिव ओंकार सिंह, अधिवक्ता सिद्धनाथ उपाध्याय और हंसादत्त (कमिश्नर सुगरकेन उत्तराखंड आदि मौजूद थेे। कई दशक बाद मिले तो आंखें डबडबा गईं।

अधिवेशन में तमाम ऐसे पुरातन छात्र शामिल हुए जो विवि में पढ़ाई के चार दशक बाद मिले। कई पुरातन छात्र अपने साथियों को पहचान ही नहीं पाए। जान पहचान होने के बाद एक-दूसरे के गले मिलकर पुराने दिनों को याद किया।  कई ऐसे पुरातन छात्र भी मिले जिन्होंने विवि में पढ़ाई करने के साथ ही नौकरी की, लेकिन कभी मिल नहीं पाए।
कई ने 40 साल बाद समोसे और जमीन की नमकीन का जमकर लुत्फ उठाया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कलाकारों ने गीत गाकर समा बांध दिया, जिसका पुरातन छात्रों ने जमकर आनंद उठाया। इस दौरान हास्य व्यंग का भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। हास्य कलाकार बलबीर सिंह खिचड़ी ने पुरातन छात्रों को जमकर गुदगुदाया।

 केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कक्षा 12वीं तथा 10वीं का परिणाम घोषित किया, दोनो ही कक्षाओं में लड़कियों का रिजल्‍ट लड़कों से बेहतर रहा 

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शुक्रवार को आखिरकार पहले 12वीं का रिजल्ट जारी किया और कुछ देर बाद में 10वीं का भी रिजल्ट जारी कर दिया। परीक्षा परिणाम जारी होते ही विद्यार्थी खुशी से झूम उठे। छात्र सीबीएसई बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in, cbresults.nic.in पर जाकर अपना परीक्षा परिणाम चेक कर सकते हैं। रिजल्ट चेक करने के लिए स्टूडेंट्स को रोल नंबर, डेट ऑफ बर्थ और स्कूल नंबर फिल करना होगा. इस बार सीबीएसई बोर्ड 12वीं की परीक्षा 26 अप्रैल 2022 से 15 जून 2022 तक आयोजित की गई थी। जिसमें करीब 14 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने अपना पंजीकरण करवाया था। इसी तरह सीबीएसई 10वीं परीक्षा के लिए भी लाखों छात्रों का इंतजार खत्म हो गया है। रिजल्ट चेक करने के लिए स्टूडेंट्स को रोल नंबर, डेट ऑफ बर्थ और स्कूल नंबर फिल करना होगा.

शिक्षा राज्य मंत्री ने ट्वीट किया, मैं शिक्षकों, माता-पिता और अभिभावकों के प्रयासों की भी सराहना करता हूं जो किसी भी छात्र की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैं सभी छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कहा कि दोनो ही कक्षाओं में लड़कियों का रिजल्‍ट लड़कों से बेहतर रहा है। सीबीएसई 10वीं रिजल्ट 2022 में लड़कियों ने लड़कों से 1.41 फीसदी बेहतर प्रदर्शन किया है। जिसमे लड़कियों का पास प्रतिशत 95.21 रहा, जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 93.80 रहा है। 12वीं की बोर्ड परीक्षा  में इस साल लड़कियों ने लड़कों से 3.29 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन किया है। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले गांव सिलारपुर की अंजलि ने 10वीं कक्षा में 500 में से 500 अंक लेकर प्रथम स्थान पाया है। वहीं  कक्षा 12वीं के परिणाम में बुलंदशहर के दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) की तान्या सिंह ने 500 में से 500 अंक हासिल कर परचम फहराया है।

इस साल कुल मिलाकर 14,44,341 स्टूडेंट्स ने 12वीं क्लास के बोर्ड एग्जाम के लिए रजिस्टर करवाया था, इसमें से 14,35,366 स्टूडेंट्स ने एग्जाम दिया है, जबकि पास होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 13,30,662 रही है।  इस साल त्रिवेंद्रम ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया। त्रिवेंद्रम का पास पर्सेंटेज 98.83 फीसदी रहा है। सीबीएसई बोर्ड में खराब प्रदर्शन करने वाले जिले में प्रयागराज शामिल रहा है, जहां पर 83.71 फीसदी स्टूडेंट्स ही पास हुए हैं। सीबीएसई बोर्ड ने बताया है कि कक्षा 12वीं के टर्म 1 के पेपर को 30 फीसदी की वेटेज दी गई है, जबकि टर्म 2 के पेपर की वेटेज 70 फीसदी रही है। सीबीएसई के अधिकारियों ने कहा कि अगले साल 2023 में सीबीएसई कक्षा 12वीं की परीक्षा 15 फरवरी से आयोजित की जाएगी।

द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति, भारत की पहली आदिवासी व दूसरी महिला राष्ट्रपति बनकर रचा इतिहास

द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी। द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराने के साथ ही भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया। द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद उनके ओडिशा स्थित पैतृक गांव और देश के बाकी हिस्सों में जश्न का माहौल है। लोग ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के जरिए जीत की खुशियां मना रहे हैं। मुर्मू ने देश के निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के 64 फीसदी से अधिक वोट हासिल किए। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। गुरुवार को हुई काउंटिंग में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) की प्रत्याशी द्रौपदी ने यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे राउंड की गिनती में ही हरा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने मुर्मू के घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी। विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने भी द्रौपदी मुर्मू को उनकी जीत पर बधाई देते हुए कहा ।  देश को उम्मीद है कि गणतंत्र के 15वें राष्ट्रपति के रूप में वे बिना किसी भय या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी।

द्रौपदी मुर्मू की जीत तो तय थी। हालांकि, कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के विधायकों द्वारा की गई क्रॉस वोटिंग ने इस जीत को और पुख्ता कर दिया। यहां तक कि विपक्ष के उम्मीदवार अपने गृह राज्य झारखंड में भी बगावत को नहीं रोक पाए। मुर्मू को जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे राउंड में ही मिल गए। थर्ड राउंड के बाद उन्हें 5 लाख 77 हजार 777 वोट मिले। यशवंत सिन्हा को 2 लाख 61 हजार 62 वोट ही मिले। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों समेत 20 राज्यों के वोट शामिल हैं। तीन राज्य ऐसे रहे, जहां मुर्मू ने क्लीन स्वीप किया। आंध्र प्रदेश, नगालैंड और सिक्किम में उन्हें 100 फीसदी वोट मिले। मूर्म को आंध्र प्रदेश में उन्हें इतने वोट मिलना अहम है क्योंकि यहां भाजपा सत्ता में नहीं है।

पहले राउंड से ही बाहर हुए यशवंत
विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा मतगणना के पहले ही राउंड में बाहर हो गए थे। मुर्मू की पहले राउंड में वोट वैल्यू 3.78 लाख थी। जबकि, सिन्हा 1.45 पर टिके थे। इसके बाद तीसरे राउंड तक जीत का अंतर बढ़ता गया। आंकड़ों के मुताबिक, मुर्मू को 6,76,803 वोट मिले, जबकि सिन्हा को 3,80,177 वोट मिले। इस तरह द्रौपदी मुर्मू देश की नई राष्ट्रपति होंगी।

NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद उनके ओडिशा स्थित पैतृक गांव और देश के बाकी हिस्सों में जश्न का माहौल है। लोग ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के जरिए जीत की खुशियां मना रहे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई की मध्य रात्रि को खत्म हो रहा है। 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होगा।मुर्मू की जीत के बाद भाजपा दिल्ली में विजय जुलूस निकालेगी। ऐसा पहली बार होगा, जब राष्ट्रपति की जीत के बाद जुलूस निकाला जाएगा। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा राजपथ तक इस जुलूस की अगुआई करेंगे और भाषण देंगे।

उत्तराखंड में आज से हरेला लोकपर्व शुरू, हरेला पर्व से मानी जाती है उत्तराखंड में सावन की शुरुआत, पुष्कर सिंह धामी ने पौधरोपण कर की शुरुआत

देवभूमि उत्तराखंड में आज से हरेला लोकपर्व का उत्सव शुरू हो गया है। वैसे तो उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण लोक पर्व हैं और इनमें से एक है ‘हरेला’। हरेला उत्तराखंड का लोक पर्व ही नहीं बल्कि हरियाली का प्रतीक भी है। उत्तराखंड में सावन की शुरुआत हरेला पर्व से मानी जाती है।इस पर्व का विशेष महत्व होता है और इस साल यह पर्व आज यानि 16 जुलाई को मनाया जा रहा है। हमारे पूर्वज बहुत दूरदर्शी थे इसलिए उन्होंने विज्ञान को लोक पर्व से पिरोकर रखा। लोकपर्व हरेला से पौधरोपण को बढ़ावा मिलता है। इससे वायुमंडल में आक्सीजन, भूजल संग्रहण के साथ वातावरण में हरियाली रहती है।  यह लोकपर्व खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने  अपने आवास पर पौधरोपण कर हरेला पर्व की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि हरेला पर्व हरियाली का प्रतीक है। इसको हरित क्रांति के रूप में मनाना होगा, तभी हम पर्यावरण को संरक्षित रख सकते हैं। इसमें जन जन की भागीदारी होनी चाहिए।  मान्यता है कि हरेला पर्व पर लगाया पौधा सूखता नहीं है।

जुलाई माह के शुरु के 9 दिन में मक्‍का, गेहूं, उड़द, सरसों और भट को रिंगाल की टोकरी में रोपित किया जाता है। कुछ दिनों में ही इसमें अंकुरित होकर पौधे उग जाते हैं, उन्हें ही हरेला कहते हैं। इसके बाद 10वें दिन हरेला त्योहार के दिन इसे काटा जाता है और फिर इसका पूजन करते हैं और इसे हरेला पतीसना कहा जाता है। फिर यह देवता को अर्पित किया जाता है और घर की बुजुर्ग महिला सभी सदस्यों को हरेला लगाती है इन पौधों को देवताओं को अर्पित किया जाता है। इसके बाद घर के बुजुर्ग इसे काटते हैं और छोटे लोगों के कान और सिर पर रखकर आशीर्वाद देते हैं।

हरेला पर्व पर इस बार भाजपा प्रदेशभर में पौधरोपण का अभियान चलाकर पांच लाख पौधे रौपेगी। भाजपा की ओर से जगह-जगह आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम के तहत प्रदेश में करीब 60 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। आज वन विभाग द्वारा आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में पौधरोपण के बाद सीएम  ने कहा कि देहरादून को क्लीन सिटी ग्रीन सिटी बनाने का अभियान शुरू किया गया है। संस्थाओं द्वारा वृक्षारोपण का कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है और यह कार्यक्रम अगले एक महीने तक चलेगा।

सीएम ने कहा कि दो साल बाद शुरू हो रही कांवड़ शिव भक्त यात्रा में इस बार लगभग छह करोड़ शिव भक्त देव भूमि उत्तराखंड में पहुंचेंगे। कावड़ यात्रा के संबंध में उन्होंने कहा की यात्रा को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। शिव भक्तों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं उठाने दी जाएगी।

प्रदेश में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आस अब तक अधूरी

प्रदेश में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आस अब तक अधूरी है। इसे लेकर दावे तमाम हुए जमीन आवंटित की गई और प्रारंभिक कार्य के लिए बजट भी। पर विश्वविद्यालय कई साल बाद भी मैं नहीं आ सकता ऐसे में विधि क्षेत्र में शरीर बनाने के इच्छुक छात्र छात्राओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मासले में हस्तक्षेप की मांग की है। मुख्यमंत्री ने डेड माह पहले प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मुख्यमंत्री व उच्च न्यायालयों की मुख्य न्यायाधीशो के संयुक्त कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय संचालित होगा। युवाओं की मांग है कि विवि सत्र 2022 -23 से संचालित किया जाए।

दरअसल राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का मामला 10 साल से भी अधिक समय से लटका हुआ है पहले विश्वविद्यालय की स्थापना नैनीताल में होनी थी पर इस में जमीन की उपलब्धता का पेंच फंस गया। जिसके बाद सरकारों में भी इस और मजबूत इच्छाशक्ति दिखाने से गुरेज किया। साल 2017 में भाजपा की सरकार बनने पर इस और कदम उठाए गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने विधानसभा क्षेत्र विवि का शिलान्यास किया, पर मामला आगे नहीं बढ़ा।कुछ समय पहले विवि के प्रारंभिक कार्यों के लिए 50लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई।

भारत में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 19 चीजों का नहीं होगा इस्तेमाल, बेचने और बनाने वालों को दंड का प्रावधान

सरकार द्वारा देश में  सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 19 चीजों पर प्रतिबंध लग गया है. आज से इन चीजों को बनाने, बेचने, इस्तेमाल करने, स्टोर करने और एक्सपोर्ट करने पर प्रतिबंध लग गया है. ये प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है, ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके. इनमें थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक होता है, जिसे सिर्फ एक बार इस्तेमाल करने के लिए बनाया जाता है या जिसे एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है. ऐसे प्लास्टिक न तो डि-कंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है. इनके टुकड़े पर्यावरण में जहरीले रसायन छोड़ते हैं, जो इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक होते हैं. इसके अलावा, सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा बारिश के पानी को जमीन के नीचे जाने से रोकता है, जिससे ग्राउंड वॉटर लेवल में कमी आती है.

अगस्त 2021 में अधिसूचित नियम और 2022 के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने के भारत के प्रयासों के तहत 31 दिसंबर, 2022 तक प्लास्टिक कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई को मौजूदा 75 माइक्रोन से 120 माइक्रोन में बदल दिया जाएगा। मोटे कैरी बैग सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के उद्देश्य से लाए जाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे और अधिकारियों की टीम को प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के अवैध उत्पादन, आयात, वितरण, बिक्री रोकने का काम सौंपा जाएगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगभग चार साल पहले अनुमान लगाया था कि भारत प्रतिदिन लगभग 9,200 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, या एक वर्ष में 3.3 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक। उद्योग के एक वर्ग ने दावा किया है कि देश में लगभग 70 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे को रिसायकल किया जाता है।

500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा
1 जुलाई से आम लोगों पर प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा। वहीं, औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा। ऐसे लोगों पर 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर पांच साल की जेल या दोनों सजा भी दी जा सकती है।