हरादून और ऋषिकेश के प्रमुख अस्पतालों के कोविड बेड कोरोना मरीजों से भर गए हैं। बेड खाली नहीं होने से बुधवार को गंभीर कोरोना मरीजों के सामने इलाज का संकट पैदा हो गया। उन्हें एंबुलेंस में आक्सीजन सपोर्ट पर लिटाकर दिनभर अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े। इस तरह के नाजुक हालात से देहरादून को पहली बार दो चार होना पड़ा है। कोरोना मरीज बढ़ने से देहरादून में इलाज के इंतजाम कम पड़ने लगे। दून अस्पताल में बुधवार सुबह सात बजे ही आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड फुल हो गए। सुबह के वक्त एक घंटे के भीतर वहां से करीब 20 मरीजों को वापस लौटना पड़ा।
इन सभी मरीजों को शहर के निजी अस्पतालों में ले जाया गया। प्राइवेट अस्पताल कैलाश, मैक्स, इंद्रेश और सीएमआई में आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड खाली नहीं होने पर फिर से गंभीर मरीजों को कुछ घंटे बाद दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा। हालात बिगड़ते देख दून अस्पताल की गैलरी में ऑक्सीजन बेड लगाए गए। वहां भर्ती होने के लिए मरीजों को डेढ़ से दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा।
दून अस्पताल इमजरेंसी के बाहर दिनभर एक वक्त में कम से कम पांच से सात एंबुलेंस खड़ी थीं, उनमें ऑक्सीजन सपोर्ट पर गंभीर मरीज लेटे हुए थे। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि गंभीर मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत आ रही है। आईसीयू और वेटिंलेटर खाली नहीं हैं। ऑक्सीजन बेड का इंतजाम कर उन्हें भर्ती करने का प्रयास किया जा रहा है।
ऋषिकेश में भी स्थिति खराब
ऋषिकेश में एम्स और राजकीय चिकित्सालय में भी 81 सामान्य बेड को छोड़ सभी ऑक्सीजन बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर फुल हो गए हैं। यहां से भी मरीज जौलीग्रांट और फिर आईसीयू नहीं मिलने पर देहरादून पहुंच रहे हैं।
माेर्चुरी के बाहर भीड़
दून अस्पताल में मच्र्यूरी के बाहर सुबह से लोगों की भीड़ लगी है। उनको यहां पहले एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ रहा है। एंबुलेंस खाली नहीं मिलने की वजह से उन्हें बाहर से मनमानी कीमत चुकाकर शव ले जाने के लिए इंतजाम करना पड़ रहा है। अस्पताल से बुधवार दोपहर 12 बजे से डेढ़ बजे तक आठ शवों को ले जाया जा चुका था।
श्मशान में भी लगाना पड़ा नंबर
कोविड श्मशान घाट पर भी लोगों को अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। वहां राजधानी दून के साथ ही जौलीग्रांट तक से शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं। यहां मुख्य सड़क पर वाहनों की लंबी लाइन लगी है। श्मशान घाट पर भी लोगों से अंतिम संस्कार के लिए मनमाने तरीके से रुपये लिए जाने की शिकायत लोग कर रहे हैं।
अस्पतालों में तीन गुना तक बढ़ी ऑक्सीजन की मांग, फिलहाल किल्लत नहीं
राज्य में कोरोना संक्रमण में तेजी और गंभीर मरीजों की संख्या में इजाफे से ऑक्सीजन की मांग तीन गुना तक बढ़ गई है। मांग में बढ़ोत्तरी की वजह से कुछ स्थानों पर ऑक्सीजन की कीमतों में उछाल भी आया है। हालांकि राज्य भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है और कहीं भी किल्लत जैसी नौबत नहीं है। यह अलग बात है कि संक्रमण में बेतहाशा वृद्धि और गंभीर मरीज अचानक बढ़ने से भविष्य में ऑक्सीजन संकट की नौबत आ सकती है। पेश है हिन्दुस्तान की रिपोर्ट।
दून में डिमांड बढ़ी, किल्लत नहीं
राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है। दून अस्पताल में रोजाना पांच से छह टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है जो पहले दो टन के आसपास थी। श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में छह टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है। दोनों अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले यूनिवर्सल गैस कंपनी के संचालक विजय दीक्षित ने बताया कि रुड़की से ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिल रही है। उन्होंने कहा कि मांग में दो से तीन गुना इजाफा हुआ है लेकिन अभी कोई परेशानी नहीं है। जिलाधिकारी डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी ना हो इसके लिए नोडल अधिकारी तय कर दिए गए हैं। ऑक्सीजन की कमी होने पर तत्काल व्यवस्था करने और स्थिति से अवगत कराने को कहा गया है।
ऑक्सीजन के दामों में 40 फीसदी इजाफा
हरिद्वार के अस्पतालों में आक्सीजन की भारी मांग की वजह से आक्सीजन के दामों में 40 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।— जिले में अधिकांश मरीज होम आइसोलेशन में रह रहे हैं और इस वजह से घर में ऑक्सीजन सिलेंडरों की डिमांड बढ़ रही है। जिले में ऑक्सीजन की कोई कमी तो नहीं है लेकिन मांग बढ़ने की वजह से प्राइवेट से सिलेंडरों की कीमत बढ़ गई है। हालांकि जिले के अस्पतालों में ऑक्सीजन की स्थिति पर्याप्त बनी हुई है। जिले में 51 आईसीयू बेड हैं और अभी सभी बेड खाली चल रहे हैं।
हल्द्वानी में तीन गुना हुई खपत
हल्द्वानी के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग तीन गुना हो गई है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज समेत सात निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इन अस्पतालों में रोजाना 200 ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत होती थी जो अब बढ़कर 600 के पार पहुंच गई है। हालांकि ऑक्सीजन सप्लाई में कहीं कोई दिक्कत नहीं है और दामों में भी इजाफा नहीं हुआ है। इसके अलावा पिथौरागढ़, यूएसनगर, चम्पावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों में भी आक्सीजन की कोई कमी नहीं है।
पर्वतीय जिलों में कोई समस्या नहीं
गढ़वाल के पर्वतीय जिलों में भी आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। मरीज काफी कम होने की वजह से अस्पतालों में आईसीयू और वेंटीलेटर बेड खाली हैं और आक्सीजन सिलेंडर भी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में हैं। रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी और पौड़ी जिलों में ऑक्सीजन सप्लाई पर्याप्त मात्रा में हो रही है।
रुड़की व श्रीनगर में पर्याप्त उत्पादन
रुड़की के मंगलौर में ऑक्सीजन प्लांट में 700 सिलेंडर की क्षमता प्रतिदिन है। चौबीस घंटे प्लांट काम कर रहा है। करीब नब्बे फीसदी काम हो रहा है। प्लांट से राज्य में कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इधर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्लांट में भी ऑक्सीजन का उत्पादन लगातार किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के दो प्लांट एक दिन में 12 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।
राज्य में क्षमता से कई गुना ऑक्सीजन उत्पादन
निदेशक स्वास्थ्य एसके गुप्ता ने बताया कि राज्य के सभी प्लांटों में मौजूदा समय में एक दिन में तकरीबन 350 क्यूबिक मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जबकि राज्य के अस्पतालों की कुल ऑक्सीजन डिमांड प्रतिदिन 125 क्यूबिक मीट्रिक टन के करीब चल रही है। ऑक्सीजन की मांग में कुछ दिनों में इजाफा हुआ है लेकिन यह बहुत सामान्य है और किल्लत जैसी कोई बात नहीं है। इसके अलावा भविष्य की जरूरतों को देखते हुए उत्पादन बढ़ाने के प्रयास भी हो रहे हैं।
राज्य में बेड की कमी नहीं है, लेकिन संक्रमण के बाद सभी लोग आईसीयू और वेंटिलेटर की डिमांड कर रहे हैं। इस वजह से अस्पतालों पर भारी दबाव है। प्राइवेट अस्पतालों में सिफारिशों की वजह से भी क्रिटिकल बेड भर गए हैं। राजधानी दून में दिक्कतों को देखते हुए एम्स, दून और रायपुर कोविड केयर सेंटर में आईसीयू बेड बढ़ाए जा रहे हैं, जबकि कोरोनेशन अस्पताल को भी कोविड अस्पताल में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है।