गोकशी के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा गाय भारतीय संस्कृति का हिस्सा है; उसे मौलिक अधिकार और राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा को हिंदुओं का मूल अधिकार बनाया जाना चाहिए। जस्टिस शेखर यादव की बेंच ने ये टिप्पणियां गोकशी के एक आरोपी जावेद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कीं।

एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने कहा कि गाय को मौलिक अधिकार देने और गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार को संसद में एक विधेयक लाना चाहिए और गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों को दंडित करने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा, “गोरक्षा का कार्य केवल एक धार्मिक संप्रदाय का नहीं है, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का कार्य देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक का है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।”

न्यायाधीश ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें और गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाएं।

सुप्रीम कोर्ट के नौ नए न्यायाधीशों ने ली शपथ, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 33 हो गई।

नौ नए न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कार्य क्षमता बढ़कर 33 हो गई।              अपने 70 साल के इतिहास में यह पहली बार था जब नौ न्यायाधीश एक बार में पद की शपथ ले रहे थे।

इसके साथ ही शीर्ष अदालत में रिक्तियां 10 से घटकर 1 रह गईं। सुप्रीम कोर्ट की स्वीकृत संख्या 34 है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने नौ नए न्यायाधीशों – जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका, विक्रम नाथ, जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, हेमा कोहली, बीवी नागरत्ना, सीटी रविकुमार, एमएम सुंदरेश, बेला त्रिवेदी और पीएस नरसिम्हा को पद की शपथ दिलाई।

नौ न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश 17 अगस्त को कॉलेजियम द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में की गई थी और बाद में 26 अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित की गई थी।

CLAT की परीक्षा कल 23 जुलाई 2021 को होगी, देहरादून में दो परीक्षा केंद्र बनाये गये |

देहरादून: संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा (क्लैट) का आयोजन 23 जुलाई को किया जाएगा। जिसके लिए दून में दो परीक्षा केंद्र बनाए गए हैैं। सिद्धार्थ ला कालेज में 498 स्टूडेंट्स व दून विश्वविद्यालय में 580 स्टूडेंट्स परीक्षा में भाग लेंगे । पेन और पेपर मोड पर आयोजित होने जा रही यह परीक्षा दोपहर दो बजे से चार बजे तक होगी। कोरोना को देखते हुए परीक्षा केंद्रों पर तमाम सुरक्षा उपाय भी किए गए हैैं। परीक्षा विशेषज्ञ एवं ला प्रेप दून के निदेशक एसएन उपाध्याय के अनुसार क्लैट में इंगलिश लैंग्वेज, करेंट अफेयर्स, लीगल रीजनिंग, लाजिकल रीजनिंग और क्वांटिटेटिव टेक्नीक से प्रश्न पूछे जाएंगे। बिना किसी तनाव के समझबूझ के साथ परीक्षा दें। आखिरी वक्त पर किसी भी नए विषय से परहेज करें और अपनी तैयारी को अच्छे से तराश लें।

समय प्रबंधन
परीक्षा में 5 व्यापक क्षेत्र होते हैं और पेपर बहुत लंबा भी होता है। इसलिए समय प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण है। एक ही प्रश्न पर बहुत ज्यादा समय देने से बचें।

समझबूझ से काम लें
कभी-कभी आप किसी लंबे प्रश्न या तर्कपूर्ण प्रश्न का उत्तर देते हुए आधे रास्ते में अटक सकते हैं। ऐसे में कीमती समय बर्बाद करने और नकारात्मक अंक एकत्र करने के बजाय आगे बढ़ें।

नतीजे के बारे में न सोचें
यदि पेपर कठिन है तो कटआफ कम और पेपर आसान है तो कटआफ अधिक होगा। तो, ऐसे में पहले ही अपनी सफलता-असफलता के बारे में पाजिटिव या निगेटिव धारणा, विचार बनाने से बचें। यह परीक्षा के दबाव को कम-ज्यादा कर सकता है। बेतहाशा अनुमान लगाने के बजाय समझदार प्रयास करना जरूरी है।

क्वांटिटेटिव एबिलिटी
क्लैट के इस सेक्शन में प्रश्नों को हल न करना बड़ी गलती होगी। गणित के बुनियादी ज्ञान के साथ, कोई भी आसानी से सभी प्रश्नों को हल कर सकता है और उन्हेंं सही कर सकता है। यह निश्चित रूप से अच्छे स्कोर को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

प्रश्नों का चयन बुद्धिमानी से करें, स्मार्ट बनें
ऐसे प्रश्न करें जिसपर आप पूरी तरह से आश्वस्त हैैं और ऐसे प्रश्नों को छोड़ दें जो आपकी क्षमता से बाहर हैं। दिए गए विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ को चुनें। चुने गए प्रश्नों का अच्छा, सटीक उत्तर लिखें। आसान, मध्यम और कठिन प्रश्नों की पहचान करने के लिए अपने कौशल का उपयोग करें।

CLAT 2021 के लिए एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते है ,

देशभर के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी व अन्य संस्थानों में इंटेग्रेटेड एलएलबी और एलएलएम दाखिलों के लिए होने वाले कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट(clat 2021) के एडमिट कार्ड जारी हो गए हैं। आप कंसोर्टियम की वेबसाइट या नीचे दिए गए लिंक से सीधे अपना एडमिट कार्ड डाऊनलोड कर सकते हैं।
CLAT 2021 के लिए एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते है , लॉ प्रेप टुटोरिअल देहरादून की डायरेक्टर अकादमी दिशा उपाध्याय ने बताया की CLAT की प्रवेश परीक्षा 23 जुलाई को देशभर में ऑफलाइन मोड में आयोजित की जाएगी ,

CLAT दो घंटे की लंबी परीक्षा है जहां उम्मीदवारों को 150 प्रश्नों को हल करना होता है। कम से कम 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वालों को परीक्षा उत्तीर्ण माना जाता है और वे स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्र होते हैं। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए नियमानुसार कट-ऑफ 35 प्रतिशत है।

उम्मीदवारों को परीक्षा समय से 30 मिनट पहले परीक्षा केंद्र पर पहुंचना होगा। उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र पर अपना एडमिट कार्ड और एक वैध आईडी प्रूफ ले जाना भी आवश्यक है परीक्षा के समापन से पहले किसी भी उम्मीदवार को परीक्षा केंद्र छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, सभी उम्मीदवारों के लिए हर समय फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा। बोर्ड ने उम्मीदवारों को टीका लगवाने की भी सलाह दी है। परीक्षा हॉल में प्रवेश करने से पहले सभी उम्मीदवारों के लिए एक तापमान जांच आयोजित की जाएगी। निर्धारित तापमान से अधिक तापमान वालों को आइसोलेशन रूम में शिफ्ट किया जाएगा।

ऐसे डाऊनलोड करें CLAT एडमिट कार्ड
◆ आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
◆ एडमिट कार्ड लिंक पर क्लिक करें।
◆ विवरण का उपयोग करके लॉग-इन करें।
◆ एडमिट कार्ड उपलब्ध होगा, डाउनलोड करें और उसका प्रिंटआउट लें।

clat@consortiumofnlus.ac.in

 

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक सम्पन्न, कोरोना काल में सोशल मीडिया के द्वारा तेज किया जाएगा पुरानी पेंशन बहाली आन्दोलन – Dr. D.C. पसबोला

उत्तराखंड देहरादून– राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि अब पुनः आंदोलन को ऑनलाइन मोड पर ले जाने का वक़्त है। इस बार कर्मचारियों के साथ हो रहे पेंशन सम्बन्धी अन्याय को जनता के पास पहुंचाया जाएगा।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के कुमाऊँ मण्डल प्रभारी योगेश घिल्डियाल ने कहा कि ओपीएस में सरकारी तनख़्वाह की तरह ही पे कमीशन और डीए लागू होता है, वहीं एनपीएस में ये दोनों चीज़ें नदारद हैं. ‘पे कमीशन’ जहां हर 10 साल में पेंशन को गुणात्मक रूप से बढ़ा देता है, वहीं डीए के चलते भी कुछेक प्रतिशत बढ़ौतरी हर छः महीने में हो जाती है. जबकि एनपीएस में पेंशन आपको इन पांच इंश्योरेंस कंपनीज़ में से एक से मिलनी है. वो क्यूं ही हर साल, छः महीने में आपके पैसे बढ़ाए।
महिला मोर्चा की गढ़वाल मण्डल प्रभारी रश्मि गौड़ ने कहा कि आज मै तो यही सोचती हूँ कि जब हम रिटायर होंगे, तब क्या होगा।क्योंकि पुरानी पेंशन तो बुढ़ापे का सहारा है।हम अपनी इज्जत से जी सकते है।किसी के आगे हाथ नही फैला सकते।जिन लोगो की पेंशन है वे स्वाभिमान से अपना जीवन यापन कर रहे है।चाहे उनकी सन्तान उन्हें दे या ना दे इससे उन्हें कोई फर्क नही पड़ता है।इसलिए पुरानी पेंशन जरूरी है। मै अपने पिता श्री को देखती हूँ ।वो अपनी पेंशन के कारण स्वाभिमान से जीते है। आज भी वो 40000 रु पेंशन पाते है। माँ और पिताजी अपनी सारी जरुरतो को पूरा करते है और सम्मानपूर्वक जिंदगी जी रहें है।पुरानी पेंशन ही न्याय संगत हे।इसलिए हमे पुरानी पेंशन चाहिए और ले कर रहेंगे।पुरानी पेंशन के लिए लड़ेंगे और ले कर रहेंगे।

प्रान्तीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला ने कहा कि
पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) का शेयर मार्केट से कोई संबंध नहीं था।पुरानी पेंशन में हर साल डीए जोड़ा जाता था।पुरानी पेंशन व्यवस्था में गारंटी थी कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा उसे पेंशन के तौर पर मिलेगा।अगर किसी की आखिरी सैलरी 50 हजार है तो उसे 25 हजार पेंशन मिलती थी। इसके अलावा हर साल मिलने वाला डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी।नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था।जीपीएफ एकाउंट में कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था।जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी। इसके विपरीत नई पेंशन व्यवस्था (NPS) वर्ष 2004 से लागू हुई न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस)न्यू पेंशन स्कीम एक म्‍यूचुअल फंड की तरह है।ये शेयर मार्केट पर आधारित व्यवस्था है।पुरानी पेंशन की तरह इसमेें पेंशन में हर साल डीए नहीं जोड़ा जाता। कोई गारंटी नहीं है कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा ही उसे पेंशन के तौर पर मिले। एनपीएस के तहत जो टोटल अमाउंट है, उसका 40 प्रतिशत शेयर मार्केट में लगाया जाता है। कर्मचारी या अधिकारी जिस दिन वह रिटायर होता है, उस दिन जैसा शेयर मार्केट होगा, उस हिसाब से उसे 60 प्रतिशत राशि मिलेगी. बाकी के 40 प्रतिशत के लिए उसे पेंशन प्लान लेना होगा।पेंशन प्लान के आधार पर उसकी पेंशन निर्धारित होगी।नई व्यवस्था में कर्मचारी का जीपीएफ एकाउंट बंद कर दिया गया है।

डॉ० पसबोला ने आगे स्पष्ट किया कि विरोध इन बातों पर है:-
1 जनवरी 2004 को जब केंद्र सरकार ने पुरानी व्यवस्था को खत्म कर नई व्यवस्था लागू की. एक बात साफ थी कि अगर राज्य चाहें तो इसे अपने यहां लागू कर सकते हैं. मतलब व्यवस्था स्वैच्छिक थी. उत्तराखंड में इसे 1 अक्टूबर 2005 को लागू कर दिया. पश्चिम बंगाल में आज भी पुरानी व्यवस्था ये लागू है।
पुरानी पेंशन व्यवस्था नई व्यवस्था की तरह शेयर बाजार पर आश्रित नहीं है, लिहाजा उसमें जोखिम नहीं था.
न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के 14 साल बाद भी यह व्यवस्था अभी तक पटरी पर नहीं आ सकी है।
नई स्कीम में कोई गारंटी नहीं है कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा ही उसे पेंशन के तौर पर मिले. क्योंकि शेयर बाजार से चीजें तय हो रही हैं।
नई व्यवस्था के तहत 10 प्रतिशत कर्मचारी और 10 प्रतिशत सरकार देती है. लेकिन जो सरकार का 10 प्रतिशत का बजट है, वही पूरा नहीं है।
उत्तराखण्ड में मौजूदा समय में 2.5 लाख कर्मचारी है. अगर उनकी औसत सैलरी निकाली जाए तो वह 25 हजार के आसपास है. इस हिसाब से कर्मचारी का 2500 रुपए अंशदान है. लेकिन इतना ही अंशदान सरकार को भी करना है. मोटे तौर पर सरकार के ऊपर कई हजार करोड़ का भार आएगा. लेकिन सरकार के पास इसके लिए बजट ही नहीं है।
नई व्यवस्था के तहत मान लीजिए अगर किसी की पेंशन 2000 निर्धारित हो गई तो वह पेंशन उसे आजीवन मिलेगी. उसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं होगा. पुरानी व्यवस्था में ऐसा नहीं था. उसमें हर साल डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी. विरोध शेयर मार्केट आधारित व्यवस्था को लेकर है. कर्मचारियों का कहना है कि मान लीजिए कि एक कर्मचारी एक लाख रुपये जमा करता है. जिस दिन वह रिटायर होता है उस दिन शेयर मार्केट में उसके एक लाख का मूल्य 10 हजार है तो उसे 6 हजार रुपये मिलेंगे और बाकी 4 हजार में उसे किसी भी बीमा कंपनी से पेंशन स्कीम लेनी होगी. इसमें कोई गारंटी नहीं है।
पहले जो व्यवस्था थी, उसमें नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था. उसमें कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था. जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था और सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी. नई व्यवस्था में जीपीएफ अकाउंट बंद कर दिया गया है।

कोरोना: भारत में चली कोरोना की ताजा लहर ने दुनिया को हैरान कर दिया,भारत में कोरोना के 3.14 लाख नए केस दर्ज होने के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा, अमेरिका को पछाड़ा

भारत इस वक्त दुनिया में कोरोना वायरस के महासंकट का एपिसेंटर बन गया है।भारत में चली कोरोना की ताजा लहर ने दुनिया को हैरान कर दिया है। गुरुवार को भारत ने एक दिन में दर्ज किए गए सबसे अधिक केस का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पहले अमेरिका में एक दिन में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए थे।
गुरुवार को भारत में कोरोना के 3.14 लाख नए केस दर्ज किए गए हैं। दुनिया में एक दिन में किसी एक देश में आए ये सबसे अधिक नए केस हैं। इससे पहले इसी साल जनवरी में अमेरिका में 3 लाख के करीब कोरोना के मामले दर्ज किए गए।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जनवरी 2021 में अमेरिका में 297,430 केस दर्ज किए गए थे. लेकिन इस आंकड़े को छूने के बाद से ही अमेरिका में लगातार केसोंकी संख्या कम होती गई है।
गुरुवार को भारत में कोरोना का आंकड़ा
•    24 घंटे में आए कुल केस: 3,14,835
•    24 घंटे में हुई मौतें: 2,104
•    एक्टिव केस की संख्या: 22,91,428

नरेंद्र मोदी ने कहा- कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रतीकात्मक होना चाहिए कुंभ मेला,जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर बोले- भारी संख्या में कुम्भ स्नान करने न आएं श्रद्धालु

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस से संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर शनिवार को संत समाज से उत्तराखंड के हरिद्वार में चल रहे कुंभ को ‘प्रतीकात्मक’ रखने की अपील की ताकि इस महामारी के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी जा सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज फोन पर स्वामी अवधेशानंद गिरी से बात करते हुए अनुरोध किया कि कुंभ मेला कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अब केवल प्रतीकात्मक होना चाहिए। अब तक दो शाही स्नान समाप्त हो गए हैं। वहीं, जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा हम प्रधानमंत्री की अपील का सम्मान करते हैं। मैं लोगों से निवेदन करता हूं कि बड़ी संख्या में कोविड-19 की स्थिति के मद्देनजर स्नान को न आएं और सभी नियमों का पालन करें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बताया कि आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि से आज फोन पर बात की। सभी संतों के स्वास्थ्य का हाल जाना। सभी संतगण प्रशासन को हर प्रकार का सहयोग कर रहे हैं। कहा मैंने इसके लिए संत जगत का आभार व्यक्त किया। मैंने प्रार्थना की है कि दो शाही स्नान हो चुके हैं और अब कुंभ को कोरोना के संकट के चलते प्रतीकात्मक ही रखा जाए। इससे इस संकट से लड़ाई को एक ताकत मिलेगी।
प्रधानमंत्री आवाहन का संत महात्माओं ने किया स्वागत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए हरिद्वार कुंभ के बाकी शाही स्नानं को प्रतीकात्मक करने के आवाहन का हरिद्वार के तमान संत महात्माओं ने स्वागत किया है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि सहित निरंजनी अखाड़ा के आचार महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि, आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि, जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महंत हरि गिरि, निरंजनी अखाड़े के सचिव श्री महंत रविंद्र पुरी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद और शंकराचार्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी आनंद भारती ने प्रधानमंत्री के आह्वान का स्वागत किया और इसे राष्ट्र, काल और परिस्थिति के अनुरूप बताया।
प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद स्वामी अवधेशानंद ने भी लोगों से भारी संख्या में कुंभ का स्नान करने के लिए हरिद्वार नहीं पहुंचने और सभी नियमों का पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान का हम सम्मान करते हैं ! जीवन की रक्षा महत पुण्य है। मेरा धर्म परायण जनता से आग्रह है कि कोविड की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए नहीं आएं एवं नियमों का निर्वहन करें!।’

कोविड-19 के कारण एक माह की अवधि के लिए सीमित कर दिए गए महाकुंभ के तीन शाही स्नान-महाशिवरात्रि, सोमवती अमावस्या और बैसाखी हो चुके हैं जबकि रामनवमी के पर्व पर आखिरी शाही स्नान होना है। कुंभ के लिए हरिद्वार पहुंचे साधु-संत और श्रद्धालु खासी संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्‍ट्रीय नर्सरी पोर्टल का किया शुभारंभ, बागवानी से जुड़े किसानों को मिलेंगे ये फायदे,पौधे खरीदने-बेचने के शौकीनों को मिली ऑनलाइन मंडी।इसके जरिए लोग फूल, फल, सब्जियों और मसालों के पौधे ऑनलाइन खरीद या बेच सकेंगे।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 13 अप्रैल (मंगलवार) को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा विकसित इस नए राष्‍ट्रीय नर्सरी पोर्टल का शुभारंभ किया है।इस अवसर पर तोमर ने कहा कि बागवानी के माध्यम से देश के युवा बड़े उद्यमी बनकर जीडीपी में योगदान दे सकते हैं। इस पोर्टल की मदद से आप देश के किसी भी हिस्से से पौधे खरीद या फिर बेच सकते हैं। इतना ही नहीं इससे आपकी पहुंच फूल, फल, सब्जियों और मसालों के पौधों की नर्सरियों तक आसान होगी। साथ ही अच्छी गुणवत्ता के पौधों की उपलब्‍धता, कीमत आदि के बारे में जानकारी प्राप्‍त कर पाएंगे।

तोमर ने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने में बागवानी का क्षेत्र संभावित कृषि उद्यम के रूप में उभरा है। देश की पोषण सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन व रोजगार सृजन कार्यक्रमों में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। अर्थव्यवस्था को गति देने में बागवानी का क्षेत्र संभावित कृषि उद्यम के रूप में उभरा है. देश की पोषण सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन व रोजगार सृजन कार्यक्रमों में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है. बागवानी का क्षेत्र न केवल फसल विविधीकरण के लिए किसानों को कई प्रकार के विकल्प प्रदान करता है, बल्कि बड़ी संख्या में कृषि उद्योगों को बनाए रखने के लिए प्रचुर अवसर भी प्रदान करता है, जो रोजगार के बड़े अवसर पैदा करते हैं।

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय ने नर्सरियों के लिए ‘ऑनलाइन डिजिटल प्‍लेटफार्म’ स्थापित किया है, ताकि किसान/ उत्पादक और अन्य हितधारक अपने आसपास के क्षेत्रों में उपलब्‍ध क्‍वॉलिटी प्‍लांटिंग मटेरियल की उपलब्धता की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकें। इस पोर्टल के माध्‍यम से, नर्सरियों के संचालक अपनी प्रोफाइल प्रदर्शित कर सकेंगे और बिक्री ऑफर डाल सकेंगे। प्‍लांटिंग मटेरियल के खरीदार भी सीधे ऑनलाइन पूछताछ कर सकेंगे और अपनी जरूरत से मिलते-जुलते बिक्री ऑफर देख पाएंगे।

राष्‍ट्रीय नर्सरी पोर्टल पर अभी तक 813 नर्सरियां रजिस्टर्ड हो गईं हैं, जबकि 205 खरीददारों ने खुद को रजिस्टर किया है। इस समय पोर्टल पर फलदार पौधों की 63 किस्मों की 1013 प्रजातियां, सब्जियों की 23 किस्मों की 339 प्रजातियां, फूलों की सात किस्मों की 118 प्रजातियां, मसालों की 15 किस्मों की 206 प्रजातियां और पौधारोपण के लिए 46 प्रजातियों के पौधे खरीद सकते हैं।

राष्‍ट्रीय नर्सरी पोर्टल से खरीददारों को नर्सरियों तक आसानी से पहुंचने में मदद

राष्‍ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा विकसित इस नए राष्‍ट्रीय नर्सरी पोर्टल से खरीददारों को नर्सरियों तक आसानी से पहुंचने में मदद मिलेगी और साथ ही वे क्‍वालिटी प्‍लांटिंग मेटेरियल की उपलब्‍धता, कीमत आदि के बारे में जानकारी प्राप्‍त कर पाएंगे. इसी तरह, नर्सरियों को भी बाजार मांग का पता चलेगा. खरीददारों का नर्सरियों से सीधा संपर्क होने से नर्सरियों को उनके प्‍लांटिंग मेटेरियल का बेहतर दाम मिल पाएगा व बेहतर उपज और क्‍वालिटी बनाए रखने के लिए समय से सलाह प्राप्‍त कर सकेंगे. यह पोर्टल नर्सरियों व खरीददारों के बीच दूरी खत्‍म करने में मदद करेगा व क्वालिटी प्‍लांटिंग मेटेरियल की आसान उपलब्‍धता सुनिश्चित करने में भी सहयोग करेगा।

कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला व कैलाश चौधरी, कृषि सचिव संजय अग्रवाल, NHB के प्रभारी एमडी व संयुक्त सचिव राजबीर सिंह, ऑल इंडिया नर्सरीमेन्स एसोसिएशन के महासचिव मुकुल त्यागी मौजूद थे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से भारत सरकार एवं विभिन्‍न राज्‍य सरकारों के अधिकारीगण, राज्‍य कृषि विश्‍वविद्यालयों के वैज्ञानिकगण, नर्सरीमेन्‍स एसोसिएशन और भारतीय बागवानी परिसंघ (सीआईएच) के सदस्‍यगण, प्‍लांटिंग मेटेरियल के खरीददार और किसानबंधु जुड़े हुए थे।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हुए कोरोना पॉजिटिव। मुख्यमंत्री ने खुद ट्वीटर के माध्यम से जानकारी दी

देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर ने बेहद भयानक रूप ले लिया। इसकी चपेट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आ गए हैं। आज उनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ अब सेल्फ आइसोलेशन में गए हैं।
मुख्यमंत्री ने खुद इसकी जानकारी ट्वीटर के माध्यम से दी है मुख्यमंत्री ने लिखा है कि शुरुवाती लक्षण दिखने पर मैने कोविड की जांच करवाई और मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है।

मैं सेल्फ आइसोलेशन में हूं और चिकित्सकों के परामर्श का पूर्णतः पालन कर रहा हूं। सभी कार्य वर्चुअली संपादित कर रहा हूं।

प्रदेश सरकार की सभी गतिविधियां सामान्य रूप से संचालित हो रही है। इस बीच जो लोग मेरे संपर्क में आए हैं वह अपनी जांच अवश्य करा लें और एहतियात बरतें।

सीएम योगी आदित्यनाथ का मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण टेस्ट कराया गया था। जिसकी आज मिली रिपोर्ट के अनुसार वह कोरोना पॉजिटिव हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब लखनऊ में अपने सरकारी आवास में सेल्फ आइसोलेशन में गए हैं। मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल, सचिव अमित सिंह, ओएसडी अभिषेक कौशिक भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं।

CBSE कक्षा 10 वीं की परीक्षा रद्द, 12 वीं की परीक्षाएं स्थगित

माननीय प्रधानमंत्री ने विकासशील क्षेत्रों के मद्देनजर विभिन्न स्तरों पर आयोजित होने वाली परीक्षाओं की समीक्षा के लिए आज एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री रमेश पोखरियाल निशंक, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, स्कूल और उच्च शिक्षा सचिव और अन्य शीर्ष अधिकारी बैठक में शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि छात्रों की भलाई सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र छात्रों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए, साथ ही उनके शैक्षणिक हितों को नुकसान न पहुंचे।
अगले महीने से होने वाली X और XII बोर्ड परीक्षा का अवलोकन किया गया। CBSE द्वारा आयोजित कक्षा X और XII की बोर्ड परीक्षा 4 मई, 2021 से शुरू होने वाली है। देश में महामारी की स्थिति कई राज्यों में COVID 19 सकारात्मक मामलों का पुनरुत्थान देख रही है, कुछ राज्यों में दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित हुए हैं। । इस स्थिति में, 11 राज्यों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। स्टेट बोर्ड के विपरीत, सीबीएसई में एक अखिल भारतीय चरित्र है, और इसलिए, पूरे देश में एक साथ परीक्षा आयोजित करना आवश्यक है। महामारी और स्कूल बंद होने की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, और छात्रों की सुरक्षा और कल्याण को ध्यान में रखते हुए, यह निम्नानुसार तय किया गया है:
1. कक्षा 12 वीं के लिए बोर्ड परीक्षा 4 मई से 14 जून, 2021 के बीच आयोजित की जाती है। इन परीक्षाओं को उसके बाद आयोजित किया जाएगा। बोर्ड द्वारा 1 जून 2021 को स्थिति की समीक्षा की जाएगी, और विवरण बाद में साझा किया जाएगा। परीक्षाओं की शुरुआत से पहले कम से कम 15 दिनों का नोटिस दिया जाएगा।

2. दसवीं कक्षा के लिए 4 मई से 14 जून तक आयोजित होने वाली बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। कक्षा दसवीं बोर्ड के परिणाम बोर्ड द्वारा विकसित किए जाने वाले एक उद्देश्य मानदंड के आधार पर तैयार किए जाएंगे। कोई भी उम्मीदवार जो इस आधार पर उसे / उसे आवंटित अंकों से संतुष्ट नहीं है, उसे परीक्षा में बैठने के लिए एक अवसर दिया जाएगा, जब वह परीक्षा आयोजित करने के लिए अनुकूल होगा।