स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन पर वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

नमस्कार।

ये जो कार्यक्रम थोड़ा आपको विशेष लगता होगा, इस बार बजट के बाद हमने तय किया कि बजट में जो चीजें तय की गई हैं उन्हीं चीजों को ले करके अलग-अलग सेक्‍टर जिनका इस बजट के प्रावधानों से सीधा संबंध है, उनसे विस्‍तार से बात करें और एक अप्रैल से जब नया बजट लागू हो तो उसी दिन से सारी योजनाएं भी लागू हों, सारी योजनाएं आगे बढ़ें और फरवरी और मार्च, इसका भरपूर उपयोग इस तैयारी के लिए किया जाए।

बजट जब हमने पहले की तुलना में करीब एक महीना prepone किया हुआ है तो हमारे पास दो महीने का समय है। उसका maximum लाभ हम कैसे लें और इसलिए लगातार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से बात हो रही है। कभी infrastructure के संबंधित सबसे बात हुई, कभी defence sector से सं‍बंधित सबसे बात हुई। आज मुझे हेल्‍थ सेक्‍टर के लोगों से बात करने का मौका मिला है।

इस वर्ष के बजट में हेल्थ सेक्टर को जितना बजट आवंटित किया गया है, वो अभूतपूर्व है। ये हर देशवासी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बीता वर्ष एक तरह से देश के लिए, दुनिया के लिए, पूरी मानवजाति के लिए और खास करके हेल्थ सेक्टर के लिए एक प्रकार से अग्निपरीक्षा की तरह था।

मुझे खुशी है कि आप सभी, देश का हेल्थ सेक्टर, इस अग्निपरीक्षा में हम सफल हुए हैं। अनेकों की जिंदगी बचाने में हम कामयाब रहे हैं। कुछ महीनों के भीतर ही जिस तरह देश ने करीब ढाई हज़ार लैब्स का नेटवर्क खड़ा किया, कुछ दर्जन टेस्ट से हम आज करीब 21 करोड़ टेस्ट के पड़ाव तक पहुंच पाए, ये सब सरकार और प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर काम करने से ही संभव हुआ है।

साथियों,

कोरोना ने हमें ये सबक दिया है कि हमें सिर्फ आज ही महामारी से नहीं लड़ना है बल्कि भविष्य में आने वाली ऐसी किसी भी स्थिति के लिए भी देश को तैयार करना है। इसलिए हेल्थकेयर से जुड़े हर क्षेत्र को मजबूत करना भी उतना ही आवश्यक है। Medical equipment से लेकर medicines तक, Ventilators से लेकर vaccines तक, Scientific research से लेकर surveillance infrastructure तक, Doctors से लेकर एपीडेमयोलोजिस्ट तक, हमें सभी पर ध्यान देना है ताकि देश में भविष्य में किसी भी स्वास्थ्य आपदा के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहे।

पीएम- आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के पीछे मूलत: यही प्रेरणा है। इस योजना के तहत रिसर्च से लेकर Testing और Treatment तक देश में ही एक आधुनिक इकोसिस्टम विकसित करना तय किया गया है। PM आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना, हर spectrum में हमारी क्षमताओं में वृद्धि करेगी। 15वें वित्त आयोग, इसकी सिफारिशे स्वीकार करने के बाद हमारी जो लोकल बॉडीज हैं उनको स्वास्थ्य सेवाओं की व्‍यवस्‍थाओं के लिए 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त मिलने वाला है। यानि सरकार का जोर सिर्फ हेल्थ केयर में निवेश पर ही नहीं है बल्कि देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक हेल्थ केयर को पहुंचाने का भी है। हमें ये भी ध्यान रखना है कि हेल्थ सेक्टर में किया गया निवेश, स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाता है।

साथियों,

कोरोना के दौरान भारत के हेल्थ सेक्टर ने जो मजबूती दिखाई है, अपने जिस अनुभव औऱ अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, उसे दुनिया ने बहुत बारीकी से नोट किया है। आज पूरे विश्व में भारत के हेल्थ सेक्टर की प्रतिष्ठा और भारत के हेल्थ सेक्टर पर भरोसा, एक नए स्तर पर पहुंचा है। हमें इस भरोसे को ध्यान में रखते हुए भी अपनी तैयारियां करनी हैं। आने वाले समय में भारतीय डॉक्टरों की डिमांड विश्व में और ज्यादा बढ़ने वाली है और कारण है ये भरोसा। आने वाले समय में भारतीय नर्सेस, भारतीय पैरा मेडिकल स्टाफ की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ेगी, आप लिख करके रखिए। इस दौरान भारतीय दवाइयों और भारतीय वैक्सीनों ने एक नया भरोसा हासिल किया है। इनकी बढ़ती डिमांड के लिए भी हमें अपनी तैयारी करनी होगी। हमारे मेडिकल एजुकेशन सिस्टम पर भी स्‍वाभाविक रूप से लोगों का ध्‍यान जाएगा, उस पर भरोसा बढ़ेगा। आने वाले दिनों में दुनिया के और देशों से भी मेडिकल एजुकेशन के लिए, भारत में पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों के आने की संभावना भी बढ़ने वाली है। और हमें इसे प्रोत्‍साहित भी करना चाहिए।

कोरोना के दौरान हमने वेंटिलेटर और अन्य सामान बनाने में भी महारत हासिल कर ली है। इसकी वैश्विक डिमांड पूरी करने के लिए भी भारत को तेजी से काम करना होगा। क्‍या भारत ये सपना देख सकता है कि दुनिया को जिस-जिस आधुनिक medical equipment  की आवश्‍यकता है वो cost effective कैसे बने? भारत ग्‍लोबल सप्‍लायर कैसे बने? और affordable व्‍यवस्‍था होगी, sustainable व्‍यवस्‍था होगी, user friendly technology होगी; मैं पक्‍का मानता हूं दुनिया की नजर भारत की तरफ जाएगी और health sector में जरूर जाएगी।

साथियों,

सरकार का बजट निश्चित तौर पर एक कैटेलेटिक एजेंट होता है। लेकिन बात तभी बनेगी, जब हम सब मिल करके काम करेंगे।

साथियों,

स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार की अप्रोच, पहले की सरकारों की सोच से जरा अलग है। इस बजट के बाद आप भी ये सवाल देख रहे होंगे जिसमें स्‍वच्‍छता की बात होगी, पोषण की बात होगी, वेलनेस की बात होगी, आयुष का हेल्थ प्लानिंग होगा। ये सारी चीजें एक holistic approach के साथ हम आगे बढ़ा रहे हैं। यही वो सोच है जिसकी वजह से पहले हेल्थ सेक्टर को आमतौर पर टुकड़ों में देखा जाता था और टुकड़ों में ही उसको हैंडल किया जाता था।

हमारी सरकार Health Issues को टुकड़ों के बजाय Holistic तरीके से, एक integrated approach की तरह से और एक focus तरीके से देखने का प्रयास कर रही है। इसलिए हमने देश में सिर्फ Treatment ही नहीं Wellness पर फोकस करना शुरु किया है। हमने Prevention से लेकर Cure तक एक Integrated अप्रोच अपनाई है। भारत को स्वस्थ रखने के लिए हम 4 मोर्चों पर एक साथ काम कर रहे हैं।

पहला मोर्चा है, बीमारियों को रोकने का, मतलब कि Prevention of illness और Promotion of Wellness. स्वच्छ भारत अभियान हो, योग पर फोकस हो, पोषण से लेकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को समय पर सही केयर और ट्रीटमेंट हो, शुद्ध पीने का पानी पहुंचाने का प्रयास हो, ऐसे हर उपाय इसका हिस्सा हैं।

दूसरा मोर्चा, गरीब से गरीब को सस्ता और प्रभावी इलाज देने का है। आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जैसी योजनाएं यही काम कर रही हैं।

तीसरा मोर्चा है, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की Quantity और Quality में बढ़ोतरी करना। बीते 6 साल से AIIMS और इस स्तर के दूसरे संस्थानों का विस्तार देश के दूर-सुदूर के राज्यों तक किया जा रहा है। देश में ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज बनाने के पीछे भी यही सोच है।

चौथा मोर्चा है, समस्याओं से पार पाने के लिए मिशन मोड पर, focus तौर पर और समय सीमा में हमें काम करना है। मिशन इंद्रधनुष का विस्तार देश के आदिवासी और दूर-दराज के इलाकों तक किया गया है।

देश से टीबी के खिलाफ जंग और टीबी को खत्म करने के लिए दुनिया ने 2030 का टारगेट रखा है, भारत ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है। और मैं टीबी की तरफ इस समय विशेष ध्‍यान देने के लिए इसलिए कहूंगा कि टीबी भी infected person के droplets से ही फैलती है। टीबी की रोकथाम में भी मास्क पहनना, Early diagnosis और treatment, ये सारी बातें अहम हैं।

ऐसे में कोरोना काल में जो हमें अनुभव मिला है, जो एक प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान के common man तक पहुंच चुका है, अब उसी हमारी practices को हम टीबी के क्षेत्र में भी उसी मोड में काम करेंगे तो टीबी से जो हमें लड़ाई लड़नी है, बहुत आसानी से हम जीत सकेंगे। और इसलिए कोरोना का experience, कोरोना के कारण जन-सामान्‍य में जो जागृति आई है वो,  बीमारी से बचने में भारत के सामान्‍य नागरिक ने जो योगदान दिया है, उन सारी चीजों को देख करके लगता है कि इसी मॉडल को आवश्‍यक सुधार के साथ, addition-alternation के साथ अगर हम टीबी पर भी लागू करेंगे तो 2025 का टीबी मुक्‍त भारत का सपना हम पूरा कर सकते हैं।

इसी तरह आपको याद होगा, हमारे यहां खास करके उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर वगैरह जो क्षेत्र हैं जिसे पूर्वांचल भी कहते हैं, उस पूर्वांचल में दिमागी बुखार से हर वर्ष हजारों की तादाद में बच्चों की दुखद मृत्यु हो जाती थी। संसद में भी उसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए हमारे वर्तमान उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगीजी बहुत रो पड़े थे, उन बच्‍चों की मरने की स्थिति देख करके। लेकिन जब से वो वहां के मुख्‍यमंत्री बने, उन्‍होंने एक प्रकार से focus activity की। पूरी तरह जोर लगाया। आज हमें बहुत आशास्‍पद परिणाम मिल रहे हैं। हमने दिमागी बुखार को फैलने से रोकने पर जोर दिया, इलाज की सुविधाएं बढ़ाईं तो इसका अब असर भी दिख रहा है।

साथियों,

कोरोना काल में आयुष से जुड़े हमारे नेटवर्क ने भी बेहतरीन काम किया है। ना सिर्फ human resource को लेकर बल्कि immunity और scientific research को लेकर भी हमारा आयुष का infrastructure देश के बहुत काम आया है।

भारत की दवाओं और भारत की वैक्‍सीन के साथ-साथ हमारे मसालों, हमारे काढ़े का भी कितना बड़ा योगदान है, ये दुनिया आज अनुभव कर रही है। हमारी traditional medicine ने भी विश्‍व मन पर अपनी एक जगह बनाई है। जो  traditional medicine से जुड़े हुए लोग हैं, जो उसके उत्‍पादन के साथ जुड़े हुए लोग हैं, जो आयुर्वेदिक परम्‍पराओं से परिचित लोग हैं; हमारा फोकस भी ग्‍लोबल रहना चाहिए।

विश्‍व जिस प्रकार से योग को आसानी से स्‍वीकार कर रहा है, वैसे ही विश्‍व holistic health care की तरफ गया है। साइड इफेक्‍ट से मुक्‍त health care की तरफ विश्‍व का ध्‍यान गया है। उसमें भारत की traditional medicine बहुत काम आ सकती है। भारत की जो traditional medicine है, वो मुख्‍यत: herbal based हैं और उसके कारण विश्‍व में उसका आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ सकता है। Harm के संबंध में लोग निश्चिन्त होते हैं कि इसमें कुछ harmfull नहीं है। क्‍या हम उसको भी जोर लगा सकते हैं? हमारे हेल्‍थ के बजट को और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग मिलकर कुछ कर सकते हैं?

कोरोना के दौरान हमारी परंपरागत औषधियों की ताकत देखने के बाद हमारे लिए खुशी का विषय है और आयुर्वेद में traditional medicine में विश्‍वास करने वाले भी सभी और उससे अलग हमारे medical profession से जुड़े हुए लोगों के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य सेंटर- WHO, भारत में अपना Global Centre of Traditional Medicine भी शुरू करने जा रहा है। Already उन्होंने announcement कर दिया है। भारत सरकार उसकी प्रक्रिया भी कर रही है। ये जो मान-सम्‍मान मिला है इसको दुनिया तक पहुंचाना हमारा दायित्‍व बनता है।

साथियों,

Accessibility और Affordability को अब नेक्स्ट लेवल पर ले जाने का समय है। इसलिए अब हेल्थ सेक्टर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल हेल्थ मिशन, देश के सामान्य नागरिकों को समय पर, सुविधा के अनुसार, प्रभावी इलाज देने में बहुत मदद करेगा।

साथियों,

बीते सालों की एक और अप्रोच को बदलने का काम तेज़ी से किया गया है। ये बदलाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत ज़रूरी है। आज हम Pharmacy of the World, इस बात पर गर्व करते हैं, लेकिन आज भी कई बातों के लिए जो Raw Material है उसके लिए हम विदेशों पर निर्भर हैं।

दवाओं और Medical Devices के Raw Material के लिए देश की विदेशों पर निर्भरता, विदेशों पर गुजारा करना हमारी इंडस्ट्री के लिए कितना बुरा अनुभव रहा है, ये हम देख चुके हैं।  ये सही नहीं है। इसलिए गरीबों को सस्ती दवाएं और उपकरण देने में भी ये बहुत बड़ी कठिनाई पैदा करते हैं। हमें इसका रास्‍ता खोजना ही होगा। भारत को हमें इन क्षेत्रों में आत्‍मनिर्भर बनाना ही होगा। इसके लिए चार विशेष योजनाएं इन दिनों शुरू की गई हैं। बजट में भी उसका उल्‍लेख है, आपने भी अध्‍ययन किया होगा।

इसके तहत देश में ही दवाओं और मेडिकल उपकरणों के Raw Material के उत्पादन के लिए Production Linked Incentives दिए जा रहे हैं। इसी तरह, दवाएं और Medical Devices बनाने के लिए मेगा पार्क्स के निर्माण को भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

साथियों,

देश को सिर्फ last mile health access ही नहीं चाहिए बल्कि हमें हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में, दूर-दराज के क्षेत्रों में…जैसे हमारे यहां जब इलेक्‍शन होता है तो रिपोर्ट आती है, एक मतदाता था वहां भी पोलिंग बूथ लगा; मुझे लगता है कि हेल्‍थ सेक्‍टर में भी और एजुकेशन दो विषय हैं कि जहां एक नागरिक होगा, तो भी हम पहुंचेंगे। ये हमारा मिजाज होना चाहिए और हमें इस पर जोर देना है। उस पर हमें पूरी कोशिश करनी है। और इसलिए सभी क्षेत्रों में health excess पर भी हमें जोर देना है। देश को wellness centres चाहिए,  देश को district hospitals चाहिए, देश को critical care units चाहिए, देश को health surveillance infrastructure चाहिए, देश को आधुनिक labs चाहिए, देश को telemedicine चाहिए, हमें हर स्तर पर काम करना है, हर स्तर को बढ़ावा देना है।

हमें ये सुनिश्चित करना है कि देश के लोग, चाहे वो गरीब से गरीब हों, चाहे वो सुदूर इलाकों में रहते हों, उन्हें best possible treatment मिले और समय पर मिले। और इन सभी के लिए जब केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और देश का प्राइवेट सेक्टर, मिलकर काम करेंगे, तो बेहतर नतीजे भी मिलेंगे।

प्राइवेट सेक्टर, PM-JAY में हिस्सेदारी के साथ-साथ public health laboratories का नेटवर्क बनाने में PPP मॉडल्स को भी सपोर्ट कर सकता है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, नागरिकों के डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड और दूसरी Cutting Edge Technology को लेकर भी साझेदारी हो सकती है।

मुझे विश्वास है कि हम  सभी मिलकर एक मजबूत साझेदारी के रास्ते निकाल पाएंगे, स्वस्थ और समर्थ भारत के लिए आत्मनिर्भर समाधान तलाश कर पाएंगे। मेरा आप सबसे आग्रह है कि हम जो stake holders के साथ, इस विषय के जो ज्ञाता लोग हैं उनके साथ चर्चा कर रहे हैं…बजट जो आना था वो आ गया। बहुत सी आपकी अपेक्षाएं होंगी, वो शायद इसमें नहीं होगा। लेकिन उसके लिए ये कोई आखिरी बजट नहीं है…अगले बजट में देखेंगे। आज तो जो बजट आया है इसका तेज गति से ज्‍यादा से ज्‍यादा और जल्‍दी से जल्‍दी हम सब मिलकर implementation कैसे करें, व्‍यवस्‍थाएं कैसे विकसित करें, सामान्‍य मानवी तक पहुंचने में हम तेजी कैसे लाएं। मैं चाहूंगा कि आप सबका अनुभव, आपकी बातें आज भारत सरकार को बजट के बाद…हम पार्लियामेंट में तो चर्चा करते हैं। पहली बार बजट की चर्चा संबंधित लोगों से हम कर रहे हैं। बजट की पूर्व चर्चा करते हैं तब सुझाव की होती हैं…बजट के बाद चर्चा करते हैं तब समाधान की होती हैं।

और इसलिए आइए हम मिल करके समाधान निकालें, हम मिल करके बहुत तेज गति से आगे बढ़ें और हम सब मिल करके चलें। सरकार और आप अलग नहीं हैं। सरकार भी आप ही की है और आप भी देश के लिए ही हैं। हम सब मिल करके देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को ध्‍यान में रखते हुए हेल्‍थ सेक्‍टर का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य, तंदुरूस्‍त भारत के लिए हम सब इस बात को आगे बढ़ाएंगे। आप सबने समय निकाला है। आपका मार्गदर्शन बहुत काम आएगा। आप की सक्रिय भागीदारी बहुत काम आएगी।

मैं फिर एक बार…आपने समय निकाला, इसके लिए आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं और आपके मूल्‍यवान सुझाव हमें आगे ले जाने में बहुत काम आएंगे। आप सुझाव भी देंगे, साझेदारी भी करेंगे। आप अपेक्षाएं भी करेंगे, जिम्‍मेदारी भी उठाएंगे। इसी विश्‍वास के साथ…

 

बहुत-बहुत धन्यवाद !

प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित किया Transparency, Predictability और Ease of Doing Business के साथ हम रक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं – प्रधानमंत्री रक्षा क्षेत्र में विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है – नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री ने आज रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में कैसे आत्मनिर्भर बने, इस संदर्भ में आज का ये संवाद बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले हमारे यहां सैकड़ों ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां होती थीं। दोनों विश्व युद्धों में भारत से बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर भेजे गए थे। लेकिन आजादी के बाद अनेक वजहों से इस व्यवस्था को उतना मजबूत नहीं किया गया, जितना किया जाना चाहिए था।

प्रधानमंत्री ने बताया कि हमारी सरकार ने अपने इंजीनियरों-वैज्ञानिकों और तेजस लड़ाकू विमान की क्षमताओं पर भरोसा किया है और आज तेजस शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही तेजस के लिए 48 हजार करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2014 से ही हमारा प्रयास रहा है कि transparency, predictability और ease of doing business के साथ हम इस sector में आगे बढ़ रहे हैं। De-Licensing, de-regulation, export promotion, foreign investment liberalization, आदि के साथ हमने इस sector में एक के बाद एक कदम उठाए हैं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत ने डिफेंस से जुड़े ऐसे 100 महत्वपूर्ण डिफेंस आइटम्स की लिस्ट बनाई है, जिन्हें हम अपनी स्थानीय इंडस्ट्री की मदद से ही मैन्यूफैक्चर कर सकते हैं। इसके लिए टाइमलाइन इसलिए रखी गई है ताकि हमारी इंडस्ट्री इन ज़रूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य हासिल करने के लिए प्लान कर सकें।

सरकारी भाषा में ये Negative list है लेकिन आत्मनिर्भरता की भाषा में ये Positive List है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसके बल पर हमारी अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो भारत में ही रोज़गार निर्माण का काम करेगी। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता को कम करने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है, जिसकी वजह से भारत में बने प्रॉडक्ट्स की, भारत में बिकने की गारंटी है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि रक्षा के capital budget में भी domestic procurement के लिए एक हिस्सा reserve कर दिया गया है। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि manufacturing के साथ-साथ design और development में भी निजी क्षेत्र आगे आये और भारत का विश्व भर में परचम लहराएँ।

उन्होंने कहा कि MSMEs तो पूरे मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर के लिए रीढ़ का काम करती हैं। आज जो रिफॉर्म्स हो रहे हैं, उससे MSMEs को ज्यादा आजादी मिल रही है, उनको Expand करने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आज जो डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, वो भी स्थानीय उद्यमियों, लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को मदद करेंगे। यानि आज हमारे डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को हमें ‘जवान भी और नौजवान भी’, इन दोनों मोर्चों के सशक्तिकरण के रूप में देखना होगा।

 

प्रधानमंत्री 23 फरवरी को आईआईटी ,खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 फरवरी, 2021 को 12.30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आईआईटी, खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री भी उपस्थित रहेंगे।

प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, “मां भारती के अमर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उनके अदम्य साहस, अद्भुत शौर्य और असाधारण बुद्धिमत्ता की गाथा देशवासियों को युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी। जय शिवाजी।”

15 राज्यों ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधार प्रक्रिया पूरी की गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सुधार प्रक्रिया को पूरा करने वाले राज्यों में नवीनतम इन्हें 9,905 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई

‘कारोबार में सुगमता’ (ईओडीबी) सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है।

तीन और राज्य गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने व्यय विभाग द्वारा निर्धारित ’ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधारों को पूरा करने की सूचना दी है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) से सिफारिश प्राप्त होने पर व्यय विभाग ने इन तीन राज्यों को खुले बाजार से 9,905 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दी है।

इससे पहले, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना ने भी इस सुधार के पूरा होने की सूचना दी थी, जिसकी पुष्टि डीपीआईआईटी द्वारा की गई थी।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सहायता प्रदान करने वाले सुधारों को पूरा करने पर इन 15 राज्यों को 38,088 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई है। अनुमति दी गई अतरिक्त ऋण की राज्यवार राशि इस प्रकार है:-

क्र.सं. राज्य राशि (करोड़ रुपये में)
1. आंध्र प्रदेश 2,525
2. असम 934
3. गुजरात 4,352
4. हरियाणा 2,146
5. हिमाचल प्रदेश 438
6. कर्नाटक 4,509
7. केरल 2,261
8. मध्य प्रदेश 2,373
9. ओडिशा 1,429
10. पंजाब 1,516
11. राजस्थान 2,731
12. तमिलनाडु 4,813
13. तेलंगाना 2,508
14. उत्तर प्रदेश 4,851
15. उत्तराखंड 702

कारोबार में सुगमता से देश में निवेश के अनुकूल कारोबार के माहौल का महत्वपूर्ण सूचक है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार राज्य अर्थव्यवस्था की भविष्य की प्रगति तेज करने में समर्थ बनाएंगे। इसलिए भारत सरकार ने मई, 2020 में यह निर्णय लिया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में मदद हेतु सुधार करने वाले राज्‍यों को अतरिक्त ऋण जुटाने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस श्रेणी में निर्धारित सुधार इस प्रकार हैं:

(i)          जिला  स्तर व्यापक सुधार कार्य योजना के पहले आकलन को पूरा करना।

(ii)        विभिन्न अधिनियमों के तहत प्राप्त किए गए प्रमाण पत्रों, अनुमोदनों, लाइसेंसों के नवीनीकरण की जरूरतों को समाप्त करना।

(iii)       कम्पयूटरीकृत केंद्रीय औचक निरीक्षण प्रणाली को लागू करना। अधिनियमों के तहत जहां निरीक्षकों की तैनाती केन्द्रीय रूप से होती है उस निरीक्षक को बाद के वर्षों में उसी इकाई में कार्य न सौंपा जाए। बिजनेसमैन को निरीक्षण से पूर्व सूचना उपलब्ध कराई जाए और निरीक्षण के 48 घंटों के अंदर निरीक्षण रिपोर्ट अपलोड करना जरूरी होगा।

कोविड-19 महामारी के दौरान पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए संसाधन जरूरतों को देखते हुए भारत सरकार ने 17 मई, 2020 को राज्यों की ऋण लेने की सीमा उनके जीएसडीपी की 2 प्रतिशत बढ़ा दी थी। इस‍ विशेष विधान की आधी राशि राज्यों द्वारा किए गए नागरिक केन्द्रित सुधारों से जुड़ी थी। सुधारों के लिए चार नागरिक केन्द्रित क्षेत्रों की पहचान की गई थी जो इस प्रकार हैं – (ए) एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली लागू करना, (बी) ईज और डूइंग बिजनेस सुधार (सी) अर्बन लोकल बॉडी/यूटिलिटी सुधार (डी) ऊर्जा क्षेत्र सुधार।

अभी तक 18 राज्यों ने इन चार निर्धारित सुधारों में से कम-से-कम एक सुधार किया है और उन्हें सुधार से जुड़ी ऋण अनुमति प्रदान की गई है। इनमें से 13 राज्यों ने एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली लागू की है। 15 राज्यों ने ईज और डूइंग बिजनेस सुधार लागू किया है। 6 राज्यों ने स्थानीय निकाय सुधार लागू किए हैं और 2 राज्यों ने ऊर्जा क्षेत्र सुधार लागू किए हैं। अभी तक इन राज्‍यों को 86,417 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई है।

18 फरवरी को किसानों की ‘रेल रोको आंदोलन’ की तैयारी में

ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्ला ने सोमवार को NDTV से बातचीत में कहा कि किसान 18 तारीख को शांतिपूर्ण आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा, ‘रेल रोको आंदोलन भारत के इतिहास में कोई नया आंदोलन नहीं है. यह भी विरोध का एक तरीका है. ये सबकी नजरें खींचता है. सरकार से लेकर देशवासियों तक का. हम यह आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से करेंगे. हमने कल मसाल जुलूस भी पूरे देश में निकाला.’

उन्होंने कहा कि ’18 तारीख को हज़ारों किसान दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक रेल पटरी पर बैठेंगे.’ उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की बात कोई नहीं सुन रहा है, जबकि किसान लगातार खुदकुशी कर रहे हैं. मुल्ला ने कहा, ‘हमारे 240 लोग अब तक मर चुके, कोई बात नहीं सुन रहा है. रोज हर दो घंटे में दो किसान खुदकुशी कर रहे हैं. हम सबको खिलाते हैं. हम बिना खाए मर रहे हैं. कोई देखने वाला नहीं है.’

प्रधानमंत्री मोदी ने बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के शुभ अवसर पर देशवासियों को अपनी शुभकामनाएं दी हैं।
एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।‘

पटना में जांच के दौरान अड़ी लड़की बोली, नहीं खोलने दूंगी डिक्की;

बिहार में शरबबंदी है। ऐसा सरकार कहती है। कानून तोड़ने पर कार्रवाई भी होती है। सजा का प्रावधान भी है। इसके बाद तस्कर पुलिस को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। बस, ट्रेन, ट्रक, कार, बाइक और स्कूटी से शराब की सप्लाई होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बिहार की सीमा पर लगातार शराब पकड़े जाने के साथ घर के अंदर गाड़ी गई शराब भी मिल रही है। पुलिस थोड़ी सख्त हो रही है तो तस्करों ने नए हथकंडे अपना लिए हैं। अब शराब सप्लाई में लड़कियां उतर आई हैं। पटना में शनिवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां शराबबंदी को पुलिस की सख्ती भी फेल होती दिखी। पीरबहोर थाना क्षेत्र की पुलिस ने शराब के साथ एक लड़की को गिरफ्तार किया है। उसके पास से स्कूटी में रखी शराब की 18 बोतलें मिली हैं। आरोपित लड़की को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उससे पूछताछ की जा रही है।

बोनी कपूर और राजामौली की ‘फाइट’ में पीसमेकर बने अजय देवगन,

फिल्म प्रोड्सर बोनी कपूर और ‘बाहुबली’ डायरेक्टर एसएस राजामौली के बीच पिछले कुछ दिनो से तल्ख़ी देखी जा रही है। जब से राजामौली ने अपनी अपकमिंग फिल्म ‘आरआरआर’ की रिलीज़ डेट अनाउंस की है उसके बाद से बोनी कपूर उनसे सख़्त नाराज़ नज़र आ रहे हैं। बीते दिनों बॉलीवुड हंगामा से बात करते हुए बोनी कपूर ने कहा भी था कि, ‘राजामौली के अनाउंसमेंट के बाद मैं बहुत ज्यादा अपसेट हूं। ये बहुत ही अनैतिक बात है’।

अब बोनी और राजामौल की नराज़गी दूर करने के लिए अजय देवगन बीच में आ गए हैं। स्पॉटब्वॉय की खबर के मुताबिक अजय दोनों के बीच पीसमेकर का काम कर रहे हैं। एक्टर दोनों के बीच मीटिंग फिक्स कराने की कोशिश कर रहे हैं ताकी बात हो सके’। हालांकि अजय के सामने मुश्किल इस बात की है कि ना राजामौली मानने के लिए तैयार हो रहे हैं और न ही बोनी कपूर। वेबसाइट से बात करते हुए एक सूत्र ने बताया, ‘बोनी कपूर को लगता है कि वो सही नाराज़ हैं क्योंकि उन्होंने अपनी फिल्म ‘मैदान’ की रिलीज़ डेट 6 महीने पहले ही अनाउंस कर दी थी। वहीं राजामौली को लगता है कि दोनों फिल्में एक दूसरे से बिल्कुल अलग है, इसलिए दोनों के बीच कोई मुकाबला ही नहीं है। आरआरआर और मैदान में अजय के बिल्कुल अलग-अलग रोल हैं’। बताते चलें कि अजय देवगन ‘आरआरआर’ और ‘मैदान’ दोनों ही फिल्मों में नज़र आने वाले हैं।

केंद्रीय रक्षा मंत्री ने किया LCA की दूसरी प्रोडक्शन लाइन का उद्घाटन,

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) मंगलवार को बेंगलुरु पहुंचे। उन्होंने यहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के दूसरे LCA  (Light Combat Aircraft ) के प्रोडक्शन लाइन का  उद्घाटन किया।  डील के तहत वायुसेना को तेजस LCA की डिलिवरी मार्च 2024 में शुरू होगी। उन्होंने इसकी जानकारी अपने ट्विटर पर दी।

इस मौके पर रक्षामंत्री ने कहा, ‘हम कब तक देश की सुरक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहेंगे, हम लंबे समय तक​ निर्भर नहीं रह सकते। हम सभी का ये संकल्प है जो भी बनाना होगा उसे खुद बनाने की कोशिश करेंगे और सीमा और अपने स्वाभिमान की सुरक्षा करेंगे।’

उन्होंने दिल्ली से बेंगलुरु के लिए रवाना होने से पहले लिखा, ‘आज HAL के दूसरे LCA  के के प्रोडक्शन लाइन उद्घाटन के लिए बेंगलुरु जा रहा हूं और वहां 3 से 5 फरवरी तक आयोजित होने वाले एयरो इंडिया शो में शामिल होउंगा।’