राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द लेंगे भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड की सलामी, 11 दिसंबर को 387 जेंटलमैन कैडेट परेड में करेंगे कदमताल 

भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड 11 दिसंबर को होगी। परेड की सलामी इस बार राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द लेंगे। । इस बार 319 भारतीय और 68 विदेशी कुल 387 जेंटलमैन कैडेट परेड में कदमताल करेंगे। आईएमए प्रशासन पीओपी की तैयारियों में जुटा है। राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

आगामी 11 दिसंबर को होने वाली इंडियन मिलिट्री एकेडमी(आईएमए) में पासिंग आउट परेड (पीओपी) की सलामी इस बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ले सकते हैं। हालांकि, अभी इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। इधर, आईएमए में पीओपी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। जैंटलमैन कैडेट्स रोजाना रिहर्सल में पसीना बहा रहे हैं। लंबे अंतराल के बाद इस बार पीओपी में जेंटलमैन कैडेट्स के परिजनों को आने की अनुमति मिल गई है।

आईएमए की जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत ने बताया कि पीओपी से पहले तीन दिसंबर को ग्रेजुएशन सेरेमनी, आठ दिसंबर को कमांडेंट अवाॅर्ड सेरेमनी, 09 दिसंबर को कमांडेंट परेड, 10 दिसंबर को मल्टीएक्टीविटी डिस्प्ले व साउंड व लाइट शो का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद 11 दिसंबर को मुख्य परेड का आयोजन किया जाएगा। परेड में बतौर रिव्यूंग अफसर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद परेड की सलामी लेंगे। पीओपी को लेकर आईएमए प्रशासन ने तैयारियां लगभग पूरी कर ली है।

आईएमए की जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के दृष्टिगत पूर्व में पीओपी को सीमित दायरे में आयोजित किया जा रहा था। लेकिन इस बार जैंटलमैन कैडेट्स के परिजनों को अनुमति दी जा रही है। हालांकि मीडिया कवरेज का दायरा सीमित रखा गया है। पीओपी कार्यक्रम घर बैठे देखा जा सकेगा।कोरोना संक्रमण को देखते हुए पिछले जून में हुए पासिंग आउट परेड में परिजनों को परेड में आमंत्रित नहीं किया गया था। लेकिन इस बार आईएमए प्रशासन ने परिजनों को भी पीओपी में शामिल होने की अनुमति दे दी है। पिछले बार परिजनों के शामिल न होने से सैन्य अफसरों और उनके परिजनों ने जेंटलमैन केडेट्स के कंधों पर पीप्स, सितारे सजाए थे, लेकिन इस बार परिजन अपने लाडलों के कंधों पर पीप्स सजाएंगे। हालांकि इस दौरान कोविड गाइड लाइन का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

इसके लिए परेड का लाइव प्रसारण किया जाएगा। उधर, भारतीय सैन्य अकादमी में परेड़ के लिए तमाम तैयारियां की जा रही है। आईएमए की ऐतिहासिक चैटवुड बिल्डिंग के समीप फाइनल परेड की रिहर्सल चल रही है। आईएमए पीओपी को लेकर देहरादून जिला प्रशासन और देहरादून पुलिस सहित एलआईयू भी अलर्ट मोड पर आया गया है। पीओपी को लेकर यातायात पुलिस की ओर से ट्रैफिक डायवर्जन प्लान भी तैयार किया गया है।

भारतीय नौसेना में निकली नेवी अप्रेंटिस के 275 पदों पर भर्ती, जल्द करें ऑनलाइन आवेदन 

रक्षा मंत्रालय (नौसेना) ने अप्रेंटिस पदों के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए हैं। योग्य उम्मीदवार जो पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे अप्रेंटिसशिप इंडिया की आधिकारिक साइट apprenticeshipindia.org के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह भर्ती अभियान नेवल डॉकयार्ड अपरेंटिस स्कूल में अपरेंटिस के 275 पदों को भरेगा।ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तारीख 5 दिसंबर, 2021 तक है।

योग्यता

जो उम्मीदवार अपरेंटिस पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके पास 50 प्रतिशत अंकों के साथ SSC / मैट्रिक / 10वीं कक्षा होनी चाहिए और 65 प्रतिशत अंकों के साथ ITI सर्टिफिकेट होना चाहिए।

सिलेक्शन प्रोसेस

चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और इंटरव्यू शामिल हैं। योग्य उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा के लिए कॉल लेटर जारी किया जाएगा। लिखित परीक्षा ऑब्जेक्टिव टाइप प्रकार की होगी जिसमें 50 प्रश्न (मैथ के 20, जनरल साइंस के 20, जनरल नॉलेज के 10) होंगे, प्रत्येक प्रश्न में डेढ़ (1½) अंक होंगे

लिखित परीक्षा की योग्यता के क्रम में उम्मीदवारों को विभिन्न आरक्षण श्रेणियों और ट्रेडों में साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। साक्षात्कार उनके संबंधित ट्रेड में उम्मीदवारों के तकनीकी कौशल पर आधारित है। साक्षात्कार में अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों को एक चिकित्सा परीक्षा से गुजरना होगा।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

  • आवेदन करने की अंतिम तिथि: 5 दिसंबर, 2021
  • भरे हुए आवेदन भेजने की अंतिम तिथि: 14 दिसंबर, 2021
  • सभी ट्रेडों के लिए लिखित परीक्षा: 27 जनवरी, 2022
  • परिणाम की घोषणा: 29 जनवरी, 2022
  • साक्षात्कार की तिथि: 31 जनवरी, 1, 2 और 3 फरवरी, 2022
  • मेडिकल जांच : 7 फरवरी से 15 फरवरी, 2022

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र से किया सम्मानित

मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को जम्मू-कश्मीर में एक ऑपरेशन के लिए शौर्य चक्र (मरणोपरांत) दिया गया।शहीद मेजर विभूति को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। जिसे उनकी पत्नी लेफ्टिनेंट नितिका कौल और मां सरोज ढौंडियाल ने प्राप्त किया। मेजर विभूति जिस ऑपरेशन में शहीद हुए उसमें उन्होंने पांच आतंकवादी मारे गए और 200 किलो विस्फोटक बरामद किया गया।

दून निवासी विभूति ढौंडियाल जम्मू-कश्मीर में हुए 2019 में हुए सैन्य अभियान में शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ चले ऑपरेशन में शहीद हुए मेजर विभूति ढौंडियाल ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया था।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से लोहा लेने के दौरान एनकाउंटर में शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को भारत सरकार ने उनकी वीरता का इनाम दिया है। 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए सेना के मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को सोमवार को एक सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल ने पुलवामा आतंकी हमले के गुनहगार आतंकियों से लोहा लिया था और एक ऑपरेशन के दौरान पांच खूंखार आतंकियों को मारने के बाद देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।

 

तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करते हुए बोले पीएम मोदी- मैं क्षमा मांगता हूं, किसानों को समझा नहीं पाया, तपस्या में कमी रह गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यह बड़ा ऐलान देश के नाम अपने संबोधन में किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। मोदी सरकार पिछले पिछले साल कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई थी। लेकिन कई किसान संगठन इन कानूनों का लगातार विरोध कर रहे थे।केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज में देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्‍चे मन और पवित्र हृदय से यह कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्‍या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिये के प्रकाश जैसा सत्‍य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। ।उन्होंने कहा कि सरकार ने नाराज किसानों को समझाने का हरसंभव प्रयास किया। कई मंचों से उनसे बातचीत हुई, लेकिन वो नहीं माने। इसलिए, अब तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया गया है।

मोदी ने कहा, ‘आज गुरु नानकदेव जी का प्रकाश पर्व है। यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको, पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।

पीएम मोदी ने कहा, ‘कृषि में सुधार के लिए तीनों कानूनों का देश के किसानों, संगठनों ने इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। साथियों हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित में, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी। लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। भले ही किसानों का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा था। हमने बातचीत का प्रयास किया। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया।

प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान करते हुए आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर लौटने का आग्रह किया। मोदी ने कहा, ‘मैं आज अपने सभी आंदोलनरात किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि गुरुपर्व के पवित्र दिन आप अपने-अपने घर लौटें, अपने खेतों में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें। आइए, एक नई शुरुआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह जानकारी भी दी कि जीरो बजट खेती की तरफ प्रभावी कदम बनाने के लिए एक कमिटी के गठन का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा, ‘आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और फैसला लिया है। जीरो बजट खेती, यानी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर, क्रॉप पैटर्न के वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा।’

क्लैट (CLAT) की अगले वर्ष दो परीक्षाएं आयोजित की जाएगी

देश के राष्ट्रीय कानून विधि विश्वविद्यालय के लिए आयोजित कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) की विधि प्रवेश परीक्षा 2022 -23 सत्र की अगले साल आयोजित की जाएगी।

कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज की एग्जीक्यूटिव कमेटी और जनरल बोर्ड की मीटिंग में यह तय किया गया कि क्लैट 2022 और क्लैट 2023 की परीक्षा का आयोजन अगले साल 2022 में ही किया जायेगा। इस तरह वर्ष 2022 में क्लैट की दो परीक्षाएं आयोजित की जाएगी।

क्लैट (CLAT) 2022 परीक्षा की तारीख 8 मई 2022 निर्धारित की गई है। जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जनवरी में शुरू होगी। विगत सालो में क्लैट (CLAT) परीक्षा मई में होती थी, COVID-19 के कारण कई बार स्थगित किया गया था। लेकिन इस बार क्लैट की परीक्षा 8 मई 2022 को आयोजित की जाएगी।इस वर्ष क्लैट परीक्षा का आयोजन की जिम्मेदारी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रायपुर को दी गई है। क्लैट (CLAT) 2023 की परीक्षा इसी वर्ष 18 दिसंबर, 2022 को आयोजित की जाएगी।इसके लिए जून में ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

क्लैट कंसोर्टियम ने  काउंसलिंग फीस को लेकर बड़ा फैसला लिया है।अब जनरल कैटेगरी के कैं‌डिडेट्स को कांउसलिंग फीस 50 हजार के जगह 30 हजार रुपये देने होंगे। और एससी(SC), एसटी(ST), ओबीसी(OBC),  ईडब्ल्यूएस(EWS), बीसी(BC) तथा दिव्यांग कैंडिडेट्स को 20 हजार रुपये शुल्क देना होगा।

लॉ प्रेप टुटोरिअल दून के निर्देशक एस. एन. उपाध्याय ने बताया कि क्लैट 2022 -2023 की परीक्षा वर्ष 2022 में आयोजित की जाएगी। जिससे की सत्र को नियमित किया जा सके। इस व्यवस्था से छात्रों को फायदा होगा।

पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड को तीन श्रेणियों में पुरस्कार, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा तीन श्रेणियों में पुरस्कार मिलने से उत्तराखंड का मान बढ़ा

उत्तराखंड ने पर्यटन के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता साबित करते हुए शुक्रवार को तीन श्रेणियों में राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल किए। इसमें राज्य को बेस्ट वाइल्डलाइफ, बेस्ट एडवेंचर और बेस्ट स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन का अवॉर्ड मिला है।नयी दिल्ली में केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को ये पुरस्कार प्रदान किए गए है।पर्यटन सर्वेक्षण और पुरस्कार कार्यक्रम में देश के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों को नौ श्रेणियों में अलग-अलग पुरस्कार दिए गए। इनमें से उत्तराखंड को तीन पुरस्कार मिले हैं। भारत के बेहतरीन पर्यटन स्थलों को नौ श्रेणियों में दिए गए पुरस्कारों में से उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान को सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव गंतव्य, ऋषिकेश को सर्वश्रेष्ठ साहसिक खेल गंतव्य और केदरानाथ को सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक गंतव्य पुरस्कार मिला ।

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा कि कोविड-19 के बाद उत्तराखंड पर्यटन, ‘वेलनेस टूरिज्म’ और आयुष के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा, ‘‘तीन श्रेणियों में पुरस्कार मिलने से उत्तराखंड का मान बढ़ा है और इससे हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं।’’सरकार एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा दे रही है। महाराज ने कहा कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क वन्यजीव प्रेमियों के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है। जहां सैलानी रोमांच के साथ-साथ एक अलग ही जोश और उत्साह का अनुभव करते हैं। पर्यटन क्षेत्र में तीन श्रेणियों में पुरस्कार मिलना उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है। पर्यटन मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशों के अनुसार केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. जिससे केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को भविष्य में सुविधा मिलेगी। सरकार ने विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। जिससे चारधाम यात्रा के बंद होने के बाद उनके वैकल्पिक तीर्थ स्थलों को शीतकालीन चारधाम के रूप में विकसित करना पड़ रहा है।

केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में देश के पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कोरोना के बाद से उत्तराखंड पर्यटन, स्वास्थ्य पर्यटन और आयुष के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता से सदियों से देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। उत्तराखंड एडवेंचर लवर्स की पसंदीदा जगहों में से एक बनता जा रहा है।

लखीमपुर हिंसा:सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के अनुरोध पर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर 15 नवंबर तक का समय दिया 

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड में आज होने वाली सुनवाई को टाल दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अगली सुनवाई होनी थी, लेकिन इसे सोमवार यानी 15 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया है। बताया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर सुनवाई को आगे के लिए टाला गया है। यूपी की ओर से पेश वकील ने सोमवार तक का समय मांगा था। उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की निगरानी किसी अन्य ‘अलग उच्च न्यायालय’ के एक पूर्व न्यायाधीश से दैनिक आधार पर कराने के सुझाव पर शीर्ष अदालत को अवगत कराने के लिए शुक्रवार को उप्र को 15 नवंबर का समय प्रदान कर दिया। लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ”क्या आप मुझे सोमवार तक का समय देंगे? मैंने इसे लगभग पूरा कर लिया है।

पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा, ”मामले को सोमवार को सूचीबद्ध किया जाए।”शीर्ष अदालत ने 8 नवंबर को जांच पर असंतोष व्यक्त किया था। पीठ ने सुझाव दिया था कि जांच में ”स्वतंत्रता और निष्पक्षता” को बढ़ावा देने के लिए, एक ”अलग उच्च न्यायालय” के एक पूर्व न्यायाधीश को दैनिक आधार पर इसकी निगरानी करनी चाहिए।

पीठ ने यह भी कहा था कि उसे कोई भरोसा नहीं है और वह नहीं चाहती कि राज्य द्वारा नियुक्त एक सदस्यीय न्यायिक आयोग मामले की जांच जारी रखे।राज्य सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई हिंसा की जांच के लिए नामित किया था।राज्य सरकार को एक अन्य उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश द्वारा जांच की निगरानी के सुझाव पर अपने रुख के बारे में सूचित करने के लिए कहा गया था।

पीठ ने कहा था कि यह जांच उसकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं चल रही है और उसने अभी तक की जांच के संबंध में विशेष जांच दल से संबंधित कुछ मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। पीठ ने कहा था, ‘‘पहली नजर में ऐसा लगता है कि एक आरोपी विशेष (किसानों को कुचले जाने के मामले में) को किसानों की भीड़ द्वारा राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पिटाई संबंधी दूसरे मामले में गवाहों से साक्ष्य हासिल करने के नाम पर लाभ देने का प्रयास हो रहा है।’’

शीर्ष अदालत ने गिरफ्तार किए गए 13 आरोपियों में से एक आशीष मिश्रा का मोबाइल फोन जब्त करने इस मामले में विशेष जांच दल की काफी आलोचना की थी। इस मामले में जब्त किए गए बाकी फोन किसानों को कथित रूप से कुचले जाने की घटना के गवाहों के थे।न्यायालय ने कहा था, “हम दैनिक आधार पर जांच की निगरानी के लिए एक भिन्न उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने के पक्ष में हैं और फिर देखते हैं कि अलग-अलग आरोप पत्र कैसे तैयार किए जाते हैं।”

पीठ ने सुनवाई के दौरान ही पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति रंजीत सिंह और न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन के नामों का सुझाव दिया था। पीठ का कहना था कि दोनों न्यायाधीश आपराधिक कानून के क्षेत्र में अनुभवी हैं और मामलों में आरोपपत्र दाखिल होने तक एसआईटी की जांच की निगरानी करेंगे।

चारधाम हाईवे परियोजना : केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा,केंद्र सरकार ने कहा देश की रक्षा के लिए चारधाम राजमार्ग का चौड़ीकरण जरूरी

चारधाम राजमार्ग विस्तार मामले को लेकर आज भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चारधाम हाईवे परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। चीन सीमा से जुड़े इस राजमार्ग को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, जिस पर विस्तार से बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और केंद्र सरकार दोनों के तर्कों को सुना और अहम टिप्पणियां कीं। फिलहाल कोर्ट ने दोनों पक्षों से दो दिनों में लिखित सुझाव मांगा है और उसके बाद कोर्ट तय करेगा कि करीब 900 किलोमीटर लंबे इस ऑल वेदर हाईवे प्रोजेक्ट में सड़कों को और चौड़ाई किया जा सकता है या नहीं।सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि, ‘आज हम उस स्थिति का सामना कर रहे हैं जहां देश की रक्षा करनी पड़ती है। हम एक बहुत ही कमजोर स्थिति में हैं। हमें देश की रक्षा करनी है और यह सुनिश्चित करना है कि हमारी सेना के लिए जो भी सुविधाएं उपलब्ध हो सकती हैं उन्हें दी जाएं जैसे हिमालयी क्षेत्रों में सड़कें।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि, हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि इतनी ऊंचाई पर देश की सुरक्षा दांव पर है। क्या भारत के उच्चतम न्यायालय जैसा सर्वोच्च संवैधानिक न्यायालय हाल की कुछ घटनाओं को देखते हुए सेना की जरूरतों को दरकिनार कर सकता है? क्या हम कह सकते हैं कि पर्यावरण संरक्षण देश की रक्षा जरूरतों से ऊपर होगा? या हमें यह कहना चाहिए कि रक्षा चिंताओं का ध्यान इस तरह रखा जाना चाहिए ताकि आगे कोई पर्यावरणीय क्षति न हो।

’कोर्ट 8 सितंबर 2020 के उस आदेश में संशोधन के लिए केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को महत्वाकांक्षी चारधाम राजमार्ग परियोजना पर 2018 के परिपत्र का पालन करने के लिए का गया है। यह सड़क चीन सीमा तक जाती है। इस रणनीतिक 900 किलोमीटर की परियोजना का मकसद उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों-यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को हर मौसम में चालू रहने वाली सड़क सुविधा प्रदान करना है।

इस परियोजना के तहत 900 किलोमीटर लम्बी सड़क परियोजना का निर्माण हो रहा है।अभी तक 400 किमी सड़क का चौड़ीकरण किया जा चुका है।एक अनुमान के मुताबिक, अभी तक 25 हजार पेड़ों की कटाई हो चुकी है, जिससे पर्यावरणविद नाराज हैं।गैर सरकारी संगठन ‘Citizens for Green Doon’ ने एनजीटी के 26 सितंबर 2018 के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।एनजीटी ने व्यापक जनहित को देखते हुए इस परियोजना को मंजूरी दी थी। एनजीओ का दावा था कि इस परियोजना से इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।

राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों और उपराज्यपालों का 51वां सम्मेलन, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में चौथा सम्मेलन

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों और उप राज्यपालों के 51वें सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपाल और उपराज्यपाल के 51वें सम्मेलन में भाग लिया।

राज्यपाल और उपराज्यपाल का ये सम्मेलन एक परंपरा है, जो 1949 से चली आ रही है। पहला सम्मेलन 1949 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी ने की थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ये चौथा सम्मेलन है।

राज्यपालों और उपराज्यपालों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हम आज 2 साल के लंबे अंतराल के बाद मिल रहे हैं।कोविड-19 महामारी का सामना करने में विश्व का सबसे व्यापक और प्रभावी अभियान भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलाया गया एवं हमारे सभी कोरोना योद्धाओं ने त्याग और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वाह समर्पित रूप से किया। आज देश में 108 करोड़ से अधिक कोरोना टीकाकरण किये जा चुके है इसके साथ ही देश भर में टीकाकरण अभियान जारी है।

राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद उत्तराखंड की पांच प्रमुख हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से किया जाएगा सम्मानित

भारत रत्न के बाद देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कार आज प्रदान किए जाएंगे। राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हाल में सोमवार को आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले 141 लोगों को वर्ष 2020 के लिए और मंगलवार को 2021 के लिए 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित करेंगे।वर्ष 2020 और 2021 के लिए पद्म पुरस्कारों में सबसे बड़े पद्म विभूषण से सात-सात लोगों, पद्म भूषण से क्रमश: 16 और 10 लोगों और पद्म श्री से क्रमश: 118 और 102 लोगों को सम्मानित किया जाएगा।2020 में पद्म पुरस्कारों का वितरण कोरोना के कारण नहीं हो सका। इसलिए साल 2021 में ही दोनों साल के पद्म विजेताओं को एक साथ सम्मानित किया जा रहा है।

उत्तराखंड की पांच प्रमुख हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा जाएगा। सोमवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैस्को प्रमुख पर्यावरणविद डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पद्मभूषण, जबकि पर्यावरणविद कल्याण सिंह और डॉ.योगी एरन को पद्श्री सम्मान देकर सम्मानित करेंगे। इसके अलावा मंगलवार को चिकित्सा क्षेत्र में डॉ.भूपेंद्र कुमार सिंह और किसान प्रेम चंद शर्मा को पद्श्री सम्मान देकर सम्मानित करेंगे।

हैस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पर्यावरण पारिस्थितिकी और ग्राम्य विकास से जुड़े मुद्दों और नदियों को बचाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया जा रहा है।  डॉ.जोशी ने कहा कि वह इस पुरस्कार को सामाजिक, प्रकृति और पर्यावरण के लिए किए जा रहे सामूहिक प्रयासों को समर्पित करते हैं। वह संदेश देना चाहते हैं कि जो कोई हिमालय को किसी भी रूप में भोग रहा है, बदले में हिमालय को कुछ वापस भी करे। डॉ.जोशी हमेशा जल, जंगल, प्राण वायु आदि के बदले सकल पर्यावरण उत्पाद की वकालत करते रहे हैं। इसके अलावा ग्राम्य विकास को आर्थिकी से जोड़ते हुए कई उदाहरण पेश किए हैं। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम वर्ष 2006 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वर्षों से काम कर रहे कल्याण सिंह रावत ने उत्तराखंड में मैती आंदोलन के जरिये पर्यारण संरक्षण की दिशा में एक अनूठी परंपरा को जन्म दिया, जिसकी चर्चा आज विश्वभर में होती है। मैती आंदोलन के तहत गांव में जब किसी लड़की की शादी होती है तो विदाई के समय दूल्हा-दुल्हन को एक फलदार पौधा दिया जाता है। वैदिक मंत्रों के के साथ दूल्हा इस पौधे को रोपित करता है और दुल्हन इसे पानी से सींचती है। पेड़ को लगाने के एवज में दूल्हे की ओर से दुल्हन की सहेलियों को कुछ पैसे दिए जाते हैं। जिसका उपयोग पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में और समाज के निर्धन बच्चों के पठन-पाठन में किया जाता है। दुल्हन की सहेलियों को मैती बहन कहा जाता है। जो भविष्य में उस पेड़ की देखभाल करती हैं। पर्यावरण से जुड़े मैती आंदोलन की शुरुआत कल्याण सिंह रावत ने वर्ष 1994 में चमोली जिले के राइंका ग्वालदम में जीव विज्ञान के प्रवक्ता पद पर रहते हुए की थी।