बीजेपी के खिलाफ आग उगलने वाले सीपीआई नेता कन्हैया कुमार और मार-जिग्नेश मेवाणी राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए

बीजेपी के खिलाफ आग उगलने वाले सीपीआई नेता कन्हैया कुमार आज कांग्रेस में शामिल होंगे। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार आज कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लेंगे। कांग्रेस मुख्यालय में कन्हैया को पार्टी की सदस्यता दिलाई जाएगी। गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी कांग्रेस का दामन थाम लेंग। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहेंगे। सूत्रों के अनुसार, गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल इन दोनों युवा नेताओं और कांग्रेस के नेतृत्व के बीच बातचीत की मध्यस्थता की है।

कई चुनाव हार चुकी कांग्रेस अब खुद को बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी की नजर लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव पर भी है। जीत हासिल करने के लिए पार्टी जातीय समीकरणों के साथ युवाओं पर दांव लगाने जा रही। 2024 के चुनाव में जीत के लिए हिसाब-किताब बैठाए जा रहे हैं। कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल किया जा रहा है। माना जा रहा है कि कन्हैया को बिहार कांग्रेस की अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। कांग्रेस की सदस्यता लेने से पहले कन्हैया कुमार दोपहर 2:30 बजे दिल्ली के ITO स्थित शहीद-ए-आजम भगत सिंह पार्क जाएंगे। यहां वे भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इसके बाद वे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचेंगे। राहुल गांधी युवा नेताओं की नई टीम बना रहे हैं. उनमें कन्हैया की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।माना जा रहा है कि कांग्रेस कन्हैया कुमार का यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कई स्तरों पर उपयोग करना चाहती है।

मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया जेएनयू में कथित तौर पर देशविरोधी नारेबाजी के मामले में गिरफ्तारी के बाद सुर्खियों में आए थे। वह पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ भाकपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे, हालांकि वह हार गए थे। दूसरी तरफ, दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जिग्नेश गुजरात के वडगाम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज करेंगे विशेष किस्म वाली 35 फसलें फसलें राष्ट्र को समर्पित, किसानों से भी होगा संवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देश के किसानों को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं। । पीएम मोदी आज वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए फसल की 35 विशेष किस्में देश के किसानों को समर्पित करेंगे। फसलों की ये विशेष किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने विकसित की हैं। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों से निपटना है। इस अखिल भारतीय कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के संस्थान, राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र मिलकर कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष किस्म वाली 35 फसलें राष्ट्र को समर्पित करेंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने विशेष गुणों वालीं फसलों की ये किस्म तैयार की हैं। इसका उद्देश्य किसानों के सामने अधिक कमाई वाली फसलों के विकल्प उपलब्ध करवाने के साथ ही जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए जन जागरूकता पैदा करना भी है।नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस टॉलरेंस रायपुर के नए परिसर का लोकार्पण करेंगे। इस अवसर पर, पीएम मोदी कृषि विश्वविद्यालयों को ग्रीन कैंपस अवार्ड भी वितरित करेंगे। वहीं इस विषय पर पीएमओ ने जानकारी देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्में विकसित की गई हैं।

पीएम इस दौरान ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस टॉलरेंस’रायपुर के नए परिसर का भी लोकार्पण करेंगे। कृषि विश्वविद्यालयों को हरित परिसर पुरस्कार प्रदान करेंगे। पीएम कृषि में नई तकनीक का इस्तेमाल करने वाले किसानों से संवाद भी करेंगे। फसलों में चने की ऐसी एक फसल भी होगी जो आसानी से सूखे की मार झेल सकती है। अरहर की पैदावार बढ़़ाने के लिए रोग प्रतिरोधी फसल को भी शामिल किया गया है। इन फसलों में मुख्य रूप से मुरझाई और बंध्यता मोजेक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में, गेहूं की जैव-फोर्टिफाइड किस्में, बाजरा, मक्का और चना, क्विनोआ, पंखों वाला बीन और फैबा शामिल हैं।

 

पीएम मोदी ने आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन का किया आगाज, हर नागरिक का होगा आधार जैसा यूनीक हेल्थ कार्ड

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुबह 11 बजे वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत सभी नागरिकों को एक विशिष्ट डिजिटल हेल्थ आइडी मुहैया कराई जाएगी जिसमें उसकी सेहत से जुड़ी सभी सूचनाएं दर्ज होंगी। पीएम ने इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में डिजिटल हेल्थ मिशन के पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। फिलहाल, छह केंद्र शासित प्रदेशों में इसका पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है।

आयुष्यमान भारत डिडिटल हेल्थ मिशन के तहत देश के सभी नागरिकों का एक हेल्थ आईडी बनेगा जो उनके हेल्थ खाते के रूप में भी काम करेगी। इससे व्यक्तिगत स्वास्थ रिकार्ड को मोबाइल एप की मदद से जोड़ा और देखा जा सकेगा। इसके तहत, हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री और हेल्थकेयर फैसिलिटीज रजिस्ट्रियां , आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों दोनों ही मामलों में सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक कलेक्शन के रूप में कार्य करेंगी। यह चिकित्‍सकों, अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए व्यवसाय में भी आसानी को सुनिश्चित करेगा।

यूनिक हेल्थ कार्ड बन जाने के बाद मरीज को डॉक्टर से दिखाने के लिए फाइल ले जाने से छुटकार मिलेगा। डॉक्टर या अस्पताल रोगी का यूनिक हेल्थ आईडी देखकर उसका पूरा डेटा निकालेंगे और सभी बातें जान सकेंगे। उसी आधार पर आगे का इलाज शुरू हो सकेगा। आपकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री डिजिटल फार्मेट में अपडेट होगी। आप किसी दूसरे शहर, अस्पताल में भी यूनीक आईडी से डॉक्यूमेंट्स देख सकेंगे। इससे डॉक्टर्स को इलाज करने में आसानी होगी। यह कार्ड ये भी बताएगा कि उस व्यक्ति को किन-किन सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। रोगी को आयुष्मान भारत के तहत इलाज की सुविधाओं का लाभ मिलता है या नहीं, इस यूनिक कार्ड के जरिये पता चल सकेगा।

कार्ड में मेडिकल रिकार्ड से जुड़ी सभी जानकारियां दर्ज होगी। यहां तक कि पिछली बार किस दवा का आप पर क्या असर हुआ था वह भी पता चल जाएगा। दवा बदली गई तो क्यों? इससे इलाज के दौरान डॉक्टर को केस समझने में मदद मिलेगी। हेल्थ आईडी के लिए सबसे पहले तो जिस व्यक्ति की आईडी बनेगी उससे मोबाइल नंबर और आधार नंबर लिया जाएगा। इन दो रिकॉर्ड की मदद से यूनिक हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा। इसके लिए सरकार एक हेल्थ अथॉरिटी बनाएगी जो व्यक्ति का एक-एक डेटा जुटाएगी। जिस व्यक्ति की हेल्थ आईडी बननी है, उसके हेल्थ रिकॉर्ड जुटाने के लिए हेल्थ अथॉरिटी की तरफ से इजाजत दी जाएगी। इसी आधार पर आगे का काम बढ़ाया जाएगा। हेल्थ कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं होगा। यह आपकी इच्छा पर निर्भर करेगा कि आप कार्ड बनवाना चाहते हैं या नहीं।

हेल्थ आईडी पब्लिक हॉस्पिटल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर या वैसा हेल्थकेयर प्रोवाइडर जो नेशनल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर रजिस्ट्री से जुड़ा हो, किसी व्यक्ति की हेल्थ आईडी बना सकता है। https://healthid.ndhm.gov.in/register पर खुद के रिकॉर्ड्स रजिस्टर करा कर भी आप अपनी हेल्थ आईडी बना सकते हैं।

नई दिल्ली:- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का भारत बंद, दिल्ली से सटी सीमाओं पर भारी जाम कई राज्यों में प्रदर्शन किया जा रहा है।

नई दिल्ली:- केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पूरे देश में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किए गए भारत बंद का असर दिखने लगा है।संयुक्त किसान मोर्चा के आज ‘भारत बंद’ के ऐलान के चलते दिल्ली से सटी सीमाओं, पंजाब, बिहार समेत देश के कई राज्यों में प्रदर्शन किया जा रहा है। भारत बंद को किसानों के अलावा कई राजनीति दलों और सामाजिक संगठनों का समर्थन मिल रहा है। तीनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले 40 से अधिक किसान संगठनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। अनेक सामाजिक संगठनों और राजनैतिक दलों ने भारत बंद का समर्थन किया है। इस दौरान दिल्ली से सटी सीमाओं जैसे गाजीपुर और सिंघु बार्डर पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई जगहों पर रोड जाम किया गया है। इसकी वजह से ट्रैफिक डायवर्ट भी किया गया है।इस बंद को कई राजनीतिक दलों ने भी समर्थन दिया है। किसान संगठनों द्वारा यह बंद सोमवार सुबह 6 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक के लिए किया गया है।

किसान इस दौरान इंमरजेसी सेवा को छोड़कर सभी चीजों को बंद करेंगे। भारत बंद को लेकर ये तय किया गया है कि इस दौरान किसान रास्तों और हाईवे पर धरना देंगे। सरकारी दफ्तरों के सामने प्रदर्शन होगा। किसान दिल्ली के बार्डर का भी घेराव करेंगे। किसानों के इस भारत बंद को विपक्ष का समर्थन मिला है। भारत बंद की वजह से दिल्ली में कई रास्तों का बंद किया गया है तो कई जगह रूट डायवर्ट किया गय़ा है।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आज किसानों के भारत बंद का असर मेट्रों के संचालन पर भी पड़ा है। दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) ने ट्वीट किया है कि पंडित श्री राम शर्मा का प्रवेश/निकास बंद कर दिया गया है।

भारतीय किसान यूनियन(भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने भारत बंद पर कहा है कि एम्बुलेंस, डाक्टर या आपात स्थिति में जाने वाले लोग जा सकते हैं। हमने कुछ भी सील नहीं किया है हम सिर्फ एक संदेश भेजना चाहते हैं। हम दुकानदारों से अपील करते हैं कि वे अपनी दुकानें अभी बंद रखें और शाम 4 बजे के बाद ही खोलें। उन्होंने कहा कि बाहर से यहां कोई किसान नहीं आ रहा।

उत्तराखंड: कृषि कानून के खिलाफ भारत बंद आज, राज्य में दुकानें बंद, जगह-जगह किसानों का प्रदर्शन, पुलिस ने की सुरक्षा की व्यापक तैयारियां

देहरादून:- कृषि कानून के खिलाफ किसान संगठनों के आज सोमवार को किसानों का भारत बंद है।। इसके बाद राज्य में पुलिस ने अपनी तैयारियां तेज़ कर दी हैं। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में भारत बंद को व्यापारियों का पूर्ण समर्थन मिला है। उत्तराखंड के रुद्रपुर, नानकमत्त्ता, खटीमा, काशीपुर, रुड़की सहित अन्य शहरों में सभी छोटी-बड़ी दुकानें व्यापारियों ने स्वयं ही बंद रखीं। प्रशासन की ओर से बंद के दौरान किसी भी तरह की अराजकता को बदर्शत नहीं करने की सख्त हिदायत भी दी गई है। कहा कि भारत बंद को सफल बनाने के लिए सभी किसान एकसाथ हैं। काशीपुर में भारत बंद को लेकर जगह-जगह चक्का जाम जारी है।

डीजीपी अशोक कुमार ने सभी जिला प्रभारियों को 27 सितंबर को प्रस्तावित भारत बंद को लेकर विशेष सतर्कता बरतने को कहा है। डीजीपी ने सभी जनपद प्रभारी लोगों से सम्पर्क बंद को शांतिपूर्वक रखने की अपील करें। यदि कोई बंद के दौरान जबरदस्ती करे तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही सभी जिलाधिकारी के साथ मिलकर, सेक्टर मजिस्ट्रिेट भी नियुक्त करवा लें। डीजीपी ने सोशल मीडिया पर अफवाह उठाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में 40 किसान संगठनों ने 27 सितंबर को भारत बंद करने की लोगों से अपील की है। भारत बंद का आह्वान सुबह 06 बजे से शाम 04 बजे तक किया गया है। विपक्षी दल भी अब कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की जंग में शामिल होने के संकेत दे रहे हैं। विपक्षी दलों ने किसान संगठनों के 27 सितंबर को बुलाए गए भारत बंद के समर्थन का ऐलान कर इस मुद्दे पर सरकार की राजनीतिक घेरेबंदी पर फोकस बढ़ाने के इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। अब तक किसान संगठनों को नैतिक समर्थन दे रहे विपक्षी खेमे के कई दलों ने तो इस बंद के समर्थन में सड़क पर उतरने का भी ऐलान कर दिया है।

भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य दीनदयाल उपाध्याय की 105वीं जयंती पर पीएम मोदी बोले पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन किया समर्पित

देहरादून :- साल 1916 में आज के दिन ही भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था। दीनदयाल उपाध्याय को आज भी एक राष्ट्रवादी नेता के तौर पर याद किया जाता है। वे गरीबों और दलितों के हक के लिए हमेशा लड़े। लेकिन, इतने बड़े नेता होने के बावजूद, उनके देहांत के 53 साल बाद भी आज तक यह नहीं पता लगाया जा सका कि उनकी मृत्यु कैसे हुई।दीनदयाल उपाध्याय महज तीन साल के थे जब उनके पिता का देहांत हो गया। 7 साल के हुए तो माता का हाथ भी उनके सिर से उठ गया. मुश्किलों में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और 1937 के करीब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय को देश आज याद कर रहा है। देशभर में आज उनकी 105वीं जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम दिग्गजों ने उन्हें नमन किया है। आज ही के दिन यानी 25 सितंबर 1916 को दीनदयाल का यूपी के मथुरा में जन्म हुआ था। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा,’एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए पंडित जी को नमन किया है। उन्होंने लिखा,’ दूरदर्शी राजनीतिज्ञ पं. दीनदयाल उपाध्याय जी ने समय समय पर विभिन्न चुनौतियों व समस्याओं के निराकरण के लिए अपने विचार-दर्शन से देश का मार्गदर्शन किया। पंडित जी के एकात्म मानववाद व अंत्योदय के मंत्र सदैव हमें जनकल्याण व राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करते रहेंगे। उन्हें कोटिशः नमन।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा,’ एकात्म मानववाद जैसे प्रगतिशील आर्थिक विचार के प्रणेता एवं अंत्योदय के लिए आजीवन काम करने वाले ‘महामानव’ पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन। सेवा और समर्पण का उनका मंत्र हमें प्रेरणा देता है। उनके विचार और दर्शन भारत की आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करते रहेंगे।

साल 1951 में संघ की मदद से श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की शुरुआत की थी। उस समय संघ ने संगठन की देखरेख का जिम्मा दीनदयाल उपाध्याय को दिया. यहां से उपाध्याय के राजनीति करियर की शुरुआत हुई। साल 1953 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी के निधन के बाद दीनदयाल उपाध्याय ने ही जनसंघ की सारी जिम्मेदारियां संभाली। वे 15 साल तक जनसंघ के महामंत्री रहे और पार्टी को मजबूती दी। उन्होंने जनसंघ को जन-जन तक पहुंचाया। इसके बाद 1967 में वे पार्टी के अध्यक्ष बने।

 

जातिगत जनगणना पर लालू ने केंद्र पर जातिगत जनगणना कराने से इनकार करने को लेकर निशाना साधा

बिहार में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राजनीति जारी है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर 2021 में जातिगत जनगणना कराने से इनकार करने को लेकर निशाना साधा है।लालू ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि जनगणना में सांप, बिच्छू तोता, मैना, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, बिल्ली, सूअर और सियार समेत सभी पशु-पक्षी, पेड़-पौधे गिने जाएंगे, लेकिन पिछड़े -अति पिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी।

लालू ने भाजपा और संघ से पूछा सवाल

लालू यादव ने भाजपा और संघ से सवाल पूछा है कि आखिर उन्हें पिछड़ों और अति पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों हैं। लालू ने कहा, जातिगत जनगणना कराने से सभी वर्गों का भला होगा और सब की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा। लालू ने आरोप लगाया कि भाजपा और संघ पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के साथ बहुत बड़ा धोखा कर रहा है।

लालू ने कहा अगर केंद्र सरकार जनगणना फॉर्म में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर देश की कुल आबादी के 60 फीसदी से अधिक लोगों की जातीय जनगणना नहीं कर सकती तो ऐसी सरकार और इन वर्गों के चुने हुए सांसदों और मंत्रियों पर धिक्कार है।लालू ने जनता से ऐसे सांसदों और मंत्रियों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की।

नीतीश कुमार की पार्टी को उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाएगी।जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने भी कहा कि अभी जातिगत जनगणना शुरू नहीं हुई है. भले ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जातिगत जनगणना कराने में तकनीककठिनाई की बात कही है, मगर केंद्र सरकार इस मुद्दे पर अब तो कोई निर्णय नहीं लिया है

बिहार सरकार में मंत्री संजय कुमार झा ने कहा, जातिगत जनगणना का नीतीश कुमार पिछले 30 सालों से उठा रहे हैं। इस मुद्दे पर हमारे पार्टी का रुख बिल्कुल साफ है हमें उम्मीद है कि जाति का जनगणना के मुद्दे पर कोई सकारात्मक कदम उठाया जाएगा।हम सबको प्रधानमंत्री के निर्णय का इंतजार है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 2021 की जनगणना में पिछड़े वर्गों की जाति जनगणना प्रशासनिक रूप से है कठिन

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पिछड़ा वर्ग की जाति जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और बोझिल है। साथ ही कहा कि इस तरह की जानकारी को जनगणना के दायरे से बाहर करना एक सचेत नीति निर्णय है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने 2021 की जनगणना में ओबीसी की गणना नहीं करने का फैसला किया है। SC में हलफनामा दाखिल कर सरकार ने कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा पिछड़े वर्गों (Other Backward Caste) की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से काफी जटिल काम है और इससे पूरी या सही सूचना हासिल नहीं की जा सकती है। सरकार का कहना है कि जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना नीतिगत फैसला है।

पिछड़ा वर्गों की जनगणना को लेकर केंद्र का रुख इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 10 दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जाति गणना की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दायर किया है, उसके मुताबिक सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (SECC), 2011 में काफी गलतियां एवं अशुद्धियां हैं। ऐसे में उस पर भरोसा या उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

केंद्र ने खामियों को सामने रखते हुए कहा है कि 1931 जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि कुल जातियां 4,147 थीं लेकिन 2011 SECC में 46 लाख से ज्यादा पता चलते हैं। सरकार ने कहा है कि यह आंकड़ा वास्तव में हो ही नहीं सकता, संभव है कि इनमें कुछ जातियां उपजातियां रही हों।सरकार ने बताया है कि जनगणना करने वाले कर्मचारियों की गलती और गणना करने के तरीके में गड़बड़ी के कारण आकंड़े विश्वसनीय नहीं रह जाते हैं।

केंद्र की ओर से यह हलफनामा महाराष्ट्र की ओर से दाखिल एक याचिका के जवाब में दाखिल किया गया जिसमें कोर्ट से केंद्र व अन्य संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि एसईसीसी 2011 का मूल डाटा उपलब्ध कराया जाए जो कई बार मांगने के बाद भी मुहैया नहीं कराया गया है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया कि केंद्र ने पिछले साल जनवरी में एक अधिसूचना जारी की है जिसमें जनगणना 2021 के दौरान एकत्र की जाने वाली सूचनाओं की श्रृंखला निर्धारित की गई है और इसमें अनुसूचित से संबंधित जानकारी सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है। जाति और अनुसूचित जनजाति लेकिन जाति की किसी अन्य श्रेणी को संदर्भित नहीं करता है। साथ ही कहा गया कि जनगणना के दायरे से किसी भी अन्य जाति के बारे में जानकारी को बाहर करना केंद्र सरकार द्वारा लिया गया एक सचेत नीति निर्णय है।

सरकार ने यह भी कहा है कि जनगणना कराने का काम एडवांस्ड स्टेज में है और अब मानदंडों में बदलाव नहीं किया जा सकता है। वैसे भी कोरोना महामारी के चलते प्रक्रिया में थोड़ी देर हो गई है। सरकार ने आगे कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ओबीसी जातिगत जनगणना कराने को लेकर कोई भी निर्देश बड़े पैमाने पर भ्रम पैदा करेगा और सरकार के नीतिगत फैसले में भी दखल होगा, जबकि सरकार ने सेंसस 2021 में OBC जाति जनगणना न कराने का फैसला किया है।’

सरकार ने साफ कहा है कि एसईसीसी 2011 सर्वेक्षण ‘ओबीसी सर्वेक्षण’ नहीं है जैसा कि आरोप लगाया जाता है, बल्कि यह देश में सभी घरों में जातीय स्थिति का पता लगाने की व्यापक प्रक्रिया थी। यह मामला गुरुवार को न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया। अब आगे की सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की मुलाकात होगी खास, वाशिंगटन में दिखेगा भारतीय कनेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने खास दौरे पर अमेरिका पहुंच चुके हैं और भारतीय समयानुसार गुरुवार देर रात को उनकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात होनी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की जब मुलाकात होगी, तब अमेरिका में इतिहास रचा जाएगा. ये पहली बार होगा जब कोई अमेरिकी सरकार में नंबर दो का व्यक्ति भारतीय मूल का है और एक भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत कर रहा है।ये मुलाकात बेहद खास होने जा रही है, क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई भारतीय मूल का अमेरिकी उप-राष्ट्रपति एक भारतीय प्रधानमंत्री का अमेरिकी धरती पर स्वागत कर रहा है।

अमेरिकी मीडिया भी इस मुलाकात को खास नज़रिए से देख रहा है, The Los Angeles Times अखबार ने लिखा है कि अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय के लिए ये एक ऐतिहासिक पल है. 56 साल की कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उप-राष्ट्रपति हैं, वह भारतीय मूल की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अमेरिकी दौरे की शुरुआत सीईओ के साथ मुलाकात से करने जा रहे हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलने से पहले कमला हैरिस से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग पर एक अमेरिकी अखबार का कहना है कि नरेंद्र मोदी-कमला हैरिस की मुलाकात अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को उनकी ताकतअहसास करवाएगी।

पहले फोन पर हो चुकी है दोनों की बातचीत

कमला हैरिस ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन जून को फोन पर बात की थी, लेकिन आमने-सामनेये पहली मीटिंग है। व्हाइट हाउस के मुताबिक, कमला हैरिस-पीएम मोदी की मुलाकात का फोकस भारत-अमेरिका की दोस्ती को मजबूत करना है। इनमें क्लाइमेट चेंज, हेल्थ, मानवाधिकार, लोकतंत्र समेत अन्य मसलों पर बात होगी।

कमला हैरिस एक अश्वेत पिता-भारतीय माता की संतान हैं. उनकी मां का भारत के तमिलनाडु के चेन्नई से नाता रहा है। जब कमला हैरिस ने उप-राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, तब यहां भारत में भी जश्न मना था।

कोरोना संकट के बीच पीएम मोदी का ये पहला बड़ा विदेशी दौरा है, इस दौरान पीएम मोदी कई अहम बैठकों में हिस्सा लेंगे। कमला हैरिस के साथ मुलाकात के अलावा अमेरिकन कंपनियों के सीईओ से मीटिंग भी है। साथ ही जो बाइडेन से द्विपक्षीय वार्ता होगी, क्वाड देशों के साथ साझा मीटिंग होनी है और ऑस्ट्रेलिया-जापान के पीएम से भी द्विपक्षीय वार्ता है।

PMO से उत्‍तराखंड पहुंची टीम,अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ सकते हैं केदारनाथ

देहरादून. उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र राज्य में सियासी सरगर्मियां बढ़ने जा रही हैं।अक्टूबर के महीने में भाजपा के शीर्ष नेता उत्तराखंड पहुंचेंगे। इसी सिलसिले में पीएम नरेंद्र मोदी का केदारनाथ दौरा अक्टूबर में संभव है। यहां काम का जायज़ा लेने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से एक टीम केदारनाथ पहुंची है। पीएमओ में सलाहकार भास्कर खुल्बे, आईएएस मंगेश घिल्डियाल अन्य अफसरों के साथ केदारनाथ पहुंचे हैं। ये टीम गुरुवार दोपहर 12 बजे तक यहां कामों और व्यवस्थाओं का निरीक्षण करेंगे। 6 अक्टूबर के बाद प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ दौरे पर आ सकते हैं।

चुनावी हलचलों के तहत बीजेपी अक्टूबर के महीने में पार्टी के शीर्ष नेताओं के उत्तराखंड दौरे तय कर रही है। फ़िलहाल प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री के दौरों को लेकर स्थान, दिन और समय के बारे में रूपरेखा बनाई जा रही है। इसी रूपरेखा के तहत केदारनाथ में व्यवस्थाओं का जायज़ा लेने पीएमओ से टीम पहुंची है, जिससे यह पूरी तरह तय माना जा रहा है कि पीएम मोदी यहां आने वाले हैं. गौरतलब है कि पीएम मोदी का दौरा केदारनाथ धाम के नवनिर्माण के लिहाज़ से भी अहम हो सकता है।