आईसीएआई द्वारा दिसंबर 2021 एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन का एक और मौका, 11 अक्टूबर से दो दिनों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को फिर से खोला गया

‘द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) सीए फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल कोर्सेस की दिसंबर 2021 परीक्षाओं के लिए रजिस्ट्रेशन करने से किसी कारणवश वंचित रह गये हैं, तो आपके लिए अब एक और मौका है। दिसंबर परीक्षा 2021 सभी कोर्सेज के लिए आवेदन 11 अक्टूबर से दो दिनों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को फिर से खोला गया है। जो उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन करना चाहते है। चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल कोर्सेस की दिसंबर 2021 परीक्षाओं के लिए रजिस्ट्रेशन करने से किसी कारणवश वंचित रह गये हैं, तो आपके लिए अब एक और मौका है। ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ ने विभिन्न कोर्सेस की सीए परीक्षाओं के लिए फॉर्म भरने के लिए अप्लीकेशन विंडो को 11 अक्टूबर 2021 से फिर से ओपेन करनी की घोषणा की है। हालांकि, स्टूडेंट्स को ध्यान देना चाहिए कि आईसीएआई द्वारा दिसंबर 2021 एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन विंडो सिर्फ दो दिनों के लिए ओपेन किया जाना है, यानि उम्मीदवार 12 अक्टूबर 2021 की रात 11.59 बजे तक पंजीकरण कर पाएंगे।जो उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे ICAI की आधिकारिक साइट icai.org के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

आईसीएआई द्वारा सीए दिसंबर 2021 परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन हेतु अप्लीकेशन विडों फिर से खोले जाने को लेकर 7 अक्टूबर 2021 को जारी नोटिस के अनुसार, यह निर्णय मौजूदा COVID-19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए और छात्रों के कल्याण और कल्याण के हित में, उनकी कठिनाई को कम करने के लिए लिया गया है। चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की फाइनल, इंटरमीडिएट (आईपीसी), इंटरमीडिएट, फाउंडेशन, पोस्ट क्वालिफिकेशन कोर्सेस के दिसंबर, 2021 एग्जाम के लिए अप्लीकेशन फॉर्म भरने का दो और दिनों का समय दिया जा रहा है। पोस्ट क्वालिफिकेशन कोर्सेस में बीमा और जोखिम प्रबंधन (आईआर) तकनीकी परीक्षा, अंतर्राष्ट्रीय कराधान – मूल्यांकन परीक्षण (आईएनटीटी-एटी) और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून और विश्व व्यापार संगठन (आईटीएल और डब्ल्यूटीओ), भाग 1 शामिल हैं।

चार्टर्ड अकाउंटेंट दिसंबर परीक्षा कार्यक्रम अगस्त में जारी किया गया था। परीक्षा 5 दिसंबर से शुरू होगी और 20 दिसंबर 2021 को समाप्त होगी। प्रवेश पत्र संस्थान द्वारा सही समय पर जारी किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स टेक्नोलॉजी (CIPET) का उद्घाटन किया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स टेक्नोलॉजी (CIPET) का उद्घाटन किया है। साथ ही उन्होंने राजस्थान में 4 मेडिकल कॉलेजों की नींव भी रखी। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने कोविड आपदा में आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया है। राजस्थान में 4 मेडिकल कॉलेजों के निर्माण का कार्यक्रम और इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स टेक्नोलॉजी का उद्घाटन इसी दिशा में एक अहम कदम है। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद थे। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े । इसके साथ ही पीएम मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र-आयुष्मान भारत और वैक्सीनेशन सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।

स्वास्थ्य क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। देश के साथ प्रदेश में विकास की धारा को नया मोड मिलेगा। इसके तहत दौसा, बांसवाड़ा, सिरोही और हनुमानगढ़ जिले में मेडिकल कालेज बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चारों जिलों में बनने वाले मेडिकल कालेज का वर्चुअल शिलान्यास किया।

पीएम मोदी ने कहा, ‘’साल 2014 के बाद से राजस्थान में 23 नए मेडिकल कॉलेजों के लिए केंद्र सरकार ने स्वीकृति दी थी, इनमें से 7 मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं। आज बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा में नए मेडिकल कॉलेज के निर्माण की शुरुआत हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘’मुझे उम्मीद है कि इन नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण राज्य सरकार के सहयोग से समय पर पूरा होगा. देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की जो कमियां मुझे अनुभव होती हैं, बीते 6-7 सालों से उसे दूर करने की निरंतर कोशिश जारी है।’

पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘’6-7 सालों में 170 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो गए हैं। 100 से ज़्यादा नए मेडिकल कॉलेज पर काम तेज़ी से चल रहा है। साल 2014 में देश में मेडिकल की अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की कुल सीटें 82 हज़ार के करीब थीं, आज इनकी संख्या बढ़कर 1,40,000 सीट तक पहुंच रही है।’’

पीएम मोदी न कहा कि आज भारत में कोविड वैक्सीन की 88 करोड़ से ज़्यादा डोज़ लग चुकी है. राजस्थान में भी 5 करोड़ से अधिक डोज़ लग चुकी हैं.

 

उत्तराखंडः नैन‍ीताल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कोविड नियमों का पालन कराते हुए चारधाम यात्रा शुरू कराए उत्तराखंड सरकार

नैनीताल :- उत्तराखंड चारधाम यात्रा करीब ढाई महीने के गतिरोध के बाद यात्रा पर लगी रोक हटा दी गई. अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में हाई कोर्ट ने कुछ प्रतिबंधों के साथ यह रोक हटा दी.। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद अपने 26 जून के निर्णय को वापस लेते हुए सरकार को कोविड के नियमों का अनुपालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने के आदेश दे दिए है।सरकार ने बीती सुनवाई में कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया लेकिन कोर्ट ने समयाभाव के चलते अगली सुनवाई के लिए 16 सितम्बर की तिथि नियत की थी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।

हाईकोर्ट ने 26 जून 2021 को कोविड की वजह से चार धाम यात्रा पर रोक लगाई थी। इस आदेश के खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय में एसएलपी दायर की। सर्वोच्च न्यायलय ने इस आदेश पर कोई रोक नही लगाई। अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस ले ली है। सरकार ने राज्य में कोविड के केस कम होने, एसएलपी वापस लेने का हवाला देते हुए कोविड के नियमो का अनुपालन करते हुए यात्रा अनुमति की याचना की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 26 जून 2021 के आदेश पर लगी रोक हटा दी। सच्चिदानन्द डबराल ने यह जनहित याचिका बाहरी राज्यों से आ रहे लोगों की राज्य की सीमा पर ही कोविड के जांच के लिए दायर की गई थी। कोर्ट ने जनहित याचिका मे कुम्भ मेला और चारधाम यात्रा का भी संज्ञान लिया।

कोविड नियमों का पालन कराते हुए इन अनिवार्य शर्तों के साथ मंज़ूरी

हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक बद्रीनाथ धाम में 1200 भक्त या यात्रियों, केदारनाथ धाम में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री धाम में कुल 400 यात्रियों के लिए इजाज़त दी गई है. साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक धाम पर पहुंचने वाले हर भक्त या यात्री के लिए कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन के दोनों डोज़ का सर्टिफिकेट भी अनिवार्य किया है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी ज़िलों में ज़रूरत के मुताबिक पुलिस फोर्स लगाने को कहा है. साथ ही निर्देश हैं कि भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), एनवी रमना को एक युवा लड़की द्वारा लिखे गए एक पत्र के आधार पर जनहित याचिका दर्ज की

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मामलों की भौतिक सुनवाई के लिए अदालतों को फिर से खोलने के मुद्दों पर विचार करने के लिए एक जनहित याचिका (PIL) याचिका दर्ज की है।इस बात का खुलासा CJI को सम्मानित करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज विनीत सारन ने किया

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई), एनवी रमना को एक युवा लड़की द्वारा लिखे गए एक पत्र के आधार पर जनहित याचिका दर्ज की गई थी, जिसमें बताया गया था कि कैसे स्कूल फिर से खुल गए हैं लेकिन अदालत अभी भी पूर्ण शारीरिक मोड में वापस आने के लिए अनिच्छुक है।
न्यायमूर्ति सरन ने कहा, “एक युवा लड़की ने कल सीजेआई को भी लिखा था कि जब स्कूल खुल गए हैं तो अदालतें क्यों नहीं। सीजेआई ने इसे एक जनहित याचिका के रूप में नोट किया है और इस पर जल्द ही सुनवाई होगी।”

हालांकि कई उच्च न्यायालयों और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सीमित शारीरिक सुनवाई फिर से शुरू कर दी है, फिर भी अधिकांश मामलों की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से की जा रही है।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाइब्रिड माध्यम से 1 सितंबर को सीमित शारीरिक सुनवाई शुरू की थी। उसी के अनुसार, वकीलों के पास किसी विशेष मामले में वर्चुअल या फिजिकल मोड का विकल्प चुनने का विकल्प होता है।

मार्च 2020 में COVID-19 के प्रकोप के बाद से भारत में न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कार्य कर रहे हैं।

भिकियासैंण नगर पंचायत में तीन दिनों से नहीं है वैक्सीन दूरदराज इलाकों से आए लोगों को बिना वैक्सीनेशन के ही वापस लौटना पड़ा घर

नगर पंचायत भिकियासैंण में विगत तीन दिनों से कोविड वैक्सीन उपलबध नही होने से लोग अपने घरों से वापस जा रहे थै।विगत शनिवार से राजकीय इंटर कॉलेज भिकियासैंण मे कोविड -19 के -18 से 44 साल उम्र तक के -लोगों को वैक्सीन नहीं लगी ,और न ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भिकियासैंण में -45.से ऊपर वाले उम्र वालो को लगी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर पीयूष रंजन ने  बताया कि वैक्सीन बुधवार तक पहुँचने की उम्मीद जताई जा रही है जैसे -जैसे   उपलब्ध होगी, उसी के तहत सभी को वैक्सीन लगाई जायेगी। उन्होने कहा वैक्सीन   उपलब्धता पर आफलाईन के लोगों को भी वैक्सीन लगाई जायेगी।

देहरादून :- उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ बेहद चिंतित,विशेषज्ञों ने दिया उत्‍तराखंड में 10 दिन कोरोना कर्फ्यू का सुझाव।

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते संक्रमण की रोकथाम को कदम नहीं उठाए गए तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं। राज्य में कम से कम 10 कोरोना कर्फ्यू लगाया जाना चाहिए।
उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते संक्रमण की रोकथाम को कदम नहीं उठाए गए तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ हुई बैठक में विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सख्ती जरूरी है। इसके लिए राज्य में कम से कम 10 कोरोना कर्फ्यू लगाया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में विशेषज्ञों के साथ न सिर्फ मंथन किया, बल्कि कोरोना संकट से निबटने के लिए सुझाव भी मांगे। स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के कुलपति डा.विजय धस्माना के अनुसार उन्होंने बैठक में साफ तौर पर कहा कि राज्य में हालात बिगड़ने की तरफ अग्रसर हो रहे हैं। ऐसे में सरकार को सख्त कदम उठाना बेहद आवश्यक है।

डा.धस्माना ने अस्पतालों में आक्सीजन की स्थिति, रेमडेसिविर दवा की सप्लाई समेत अन्य कई बिंदुओं तरफ भी ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में कुल बेड की संख्या के 30 फीसद बेड में आक्सीजन सर्पोटेड सिस्टम और इसी हिसाब से प्लांट लगाए जाते हैं। जौलीग्रांट अस्पताल में भी ऐसा ही है। आक्सीजन सपोर्टेड बेड की संख्या बढ़ाने पर इसके लिए आक्सीजन की भी जरूरत पड़ेगी। इसकी व्यवस्था समेत अन्य उपायों की तरफ भी सरकार को ध्यान देना होगा।
देहरादून का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां राज्य के विभिन्न हिस्सों के अलावा हिमाचल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी मरीज आ रहे हैं। ऐसे में दबाव काफी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि आपात स्थिति को देखते हुए संपूर्ण चिकित्सा जगत सरकार का साथ देने को तैयार है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि आवश्यक सेवाओं और इंडस्ट्री को छोड़कर राज्य में 10 दिन का कोरोना कर्फ्यू लगाया जाना चाहिए। इससे स्थिति पर काफी हद तक नियंत्रण में मदद मिलेगी।

उत्तरखंड लॉकडाउन :- उत्‍तराखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार जरूर बढ़ी है, सरकार फिलहाल लाकडाउन के पक्ष में नहीं, सख्ती बरतेगी सरकार, विवाह समारोह में अब 50 व्यक्तियों को ही मिलेगी अनुमति

कोरोना संक्रमण की रफ्तार जरूर बढ़ी है, मगर सरकार प्रदेश में लाकडाउन के पक्ष में नहीं है। अलबत्ता, संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक में इस पर सहमति बनी। यह भी तय किया गया कि भीड़भाड़ रोकने के लिए राज्य में सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी जाए। इसके अलावा विवाह समारोहों में शामिल होने के लिए अधिकतम व्यक्तियों की संख्या 50 रखने का निर्णय लिया गया। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने इसकी पुष्टि की।

कोरोना के बढ़़ते मामलों को देखते हुए गुरुवार को बुलाई गई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक स्थगित कर दी गई थी। फिर तय किया गया कि मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक कर कोरोना संकमण की स्थिति पर विमर्श कर लिया जाए। इससे पहले मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों के साथ कोरोना संक्रमण से निबटने के उपायों पर विमर्श किया। इसमें चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि हालात पर नियंत्रण के राज्य में कम से कम 10 दिन कोरोना कफ्र्यू लगाया जाना चाहिए। शाम को मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में हुई मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक में राज्य में कोरोना की स्थिति पर गहन मंथन किया गया। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार तय हुआ कि फिलहाल सरकार लाकडाउन नहीं करेगी। अलबत्ता, कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य में भीड़भाड़ न होने पाए। इस कड़ी में सार्वजनिक कार्यक्रमों (सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक) के आयोजन पर परिस्थितियां सामान्य होने तक रोक लगाने पर सहमति बनी है।
यह भी तय किया गया कि विवाह समारोहों में अधिकतम 50 व्यक्तियों को ही शामिल होने की अनुमति दी जाए। अभी यह यह सीमा सौ व्यक्ति है। इस संबंध में संशोधित आदेश शासन द्वारा जारी किए जाएंगे। बैठक में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, सतपाल महाराज, बंशीधर भगत, डा.हरक सिंह रावत, गणेश जोशी, बिशन सिंह चुफाल, राज्यमंत्री डा.धन सिंह रावत व यतीश्वरानंद उपस्थित थे।

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक सम्पन्न, कोरोना काल में सोशल मीडिया के द्वारा तेज किया जाएगा पुरानी पेंशन बहाली आन्दोलन – Dr. D.C. पसबोला

उत्तराखंड देहरादून– राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि अब पुनः आंदोलन को ऑनलाइन मोड पर ले जाने का वक़्त है। इस बार कर्मचारियों के साथ हो रहे पेंशन सम्बन्धी अन्याय को जनता के पास पहुंचाया जाएगा।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के कुमाऊँ मण्डल प्रभारी योगेश घिल्डियाल ने कहा कि ओपीएस में सरकारी तनख़्वाह की तरह ही पे कमीशन और डीए लागू होता है, वहीं एनपीएस में ये दोनों चीज़ें नदारद हैं. ‘पे कमीशन’ जहां हर 10 साल में पेंशन को गुणात्मक रूप से बढ़ा देता है, वहीं डीए के चलते भी कुछेक प्रतिशत बढ़ौतरी हर छः महीने में हो जाती है. जबकि एनपीएस में पेंशन आपको इन पांच इंश्योरेंस कंपनीज़ में से एक से मिलनी है. वो क्यूं ही हर साल, छः महीने में आपके पैसे बढ़ाए।
महिला मोर्चा की गढ़वाल मण्डल प्रभारी रश्मि गौड़ ने कहा कि आज मै तो यही सोचती हूँ कि जब हम रिटायर होंगे, तब क्या होगा।क्योंकि पुरानी पेंशन तो बुढ़ापे का सहारा है।हम अपनी इज्जत से जी सकते है।किसी के आगे हाथ नही फैला सकते।जिन लोगो की पेंशन है वे स्वाभिमान से अपना जीवन यापन कर रहे है।चाहे उनकी सन्तान उन्हें दे या ना दे इससे उन्हें कोई फर्क नही पड़ता है।इसलिए पुरानी पेंशन जरूरी है। मै अपने पिता श्री को देखती हूँ ।वो अपनी पेंशन के कारण स्वाभिमान से जीते है। आज भी वो 40000 रु पेंशन पाते है। माँ और पिताजी अपनी सारी जरुरतो को पूरा करते है और सम्मानपूर्वक जिंदगी जी रहें है।पुरानी पेंशन ही न्याय संगत हे।इसलिए हमे पुरानी पेंशन चाहिए और ले कर रहेंगे।पुरानी पेंशन के लिए लड़ेंगे और ले कर रहेंगे।

प्रान्तीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला ने कहा कि
पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) का शेयर मार्केट से कोई संबंध नहीं था।पुरानी पेंशन में हर साल डीए जोड़ा जाता था।पुरानी पेंशन व्यवस्था में गारंटी थी कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा उसे पेंशन के तौर पर मिलेगा।अगर किसी की आखिरी सैलरी 50 हजार है तो उसे 25 हजार पेंशन मिलती थी। इसके अलावा हर साल मिलने वाला डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी।नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था।जीपीएफ एकाउंट में कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था।जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी। इसके विपरीत नई पेंशन व्यवस्था (NPS) वर्ष 2004 से लागू हुई न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस)न्यू पेंशन स्कीम एक म्‍यूचुअल फंड की तरह है।ये शेयर मार्केट पर आधारित व्यवस्था है।पुरानी पेंशन की तरह इसमेें पेंशन में हर साल डीए नहीं जोड़ा जाता। कोई गारंटी नहीं है कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा ही उसे पेंशन के तौर पर मिले। एनपीएस के तहत जो टोटल अमाउंट है, उसका 40 प्रतिशत शेयर मार्केट में लगाया जाता है। कर्मचारी या अधिकारी जिस दिन वह रिटायर होता है, उस दिन जैसा शेयर मार्केट होगा, उस हिसाब से उसे 60 प्रतिशत राशि मिलेगी. बाकी के 40 प्रतिशत के लिए उसे पेंशन प्लान लेना होगा।पेंशन प्लान के आधार पर उसकी पेंशन निर्धारित होगी।नई व्यवस्था में कर्मचारी का जीपीएफ एकाउंट बंद कर दिया गया है।

डॉ० पसबोला ने आगे स्पष्ट किया कि विरोध इन बातों पर है:-
1 जनवरी 2004 को जब केंद्र सरकार ने पुरानी व्यवस्था को खत्म कर नई व्यवस्था लागू की. एक बात साफ थी कि अगर राज्य चाहें तो इसे अपने यहां लागू कर सकते हैं. मतलब व्यवस्था स्वैच्छिक थी. उत्तराखंड में इसे 1 अक्टूबर 2005 को लागू कर दिया. पश्चिम बंगाल में आज भी पुरानी व्यवस्था ये लागू है।
पुरानी पेंशन व्यवस्था नई व्यवस्था की तरह शेयर बाजार पर आश्रित नहीं है, लिहाजा उसमें जोखिम नहीं था.
न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के 14 साल बाद भी यह व्यवस्था अभी तक पटरी पर नहीं आ सकी है।
नई स्कीम में कोई गारंटी नहीं है कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा ही उसे पेंशन के तौर पर मिले. क्योंकि शेयर बाजार से चीजें तय हो रही हैं।
नई व्यवस्था के तहत 10 प्रतिशत कर्मचारी और 10 प्रतिशत सरकार देती है. लेकिन जो सरकार का 10 प्रतिशत का बजट है, वही पूरा नहीं है।
उत्तराखण्ड में मौजूदा समय में 2.5 लाख कर्मचारी है. अगर उनकी औसत सैलरी निकाली जाए तो वह 25 हजार के आसपास है. इस हिसाब से कर्मचारी का 2500 रुपए अंशदान है. लेकिन इतना ही अंशदान सरकार को भी करना है. मोटे तौर पर सरकार के ऊपर कई हजार करोड़ का भार आएगा. लेकिन सरकार के पास इसके लिए बजट ही नहीं है।
नई व्यवस्था के तहत मान लीजिए अगर किसी की पेंशन 2000 निर्धारित हो गई तो वह पेंशन उसे आजीवन मिलेगी. उसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं होगा. पुरानी व्यवस्था में ऐसा नहीं था. उसमें हर साल डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी. विरोध शेयर मार्केट आधारित व्यवस्था को लेकर है. कर्मचारियों का कहना है कि मान लीजिए कि एक कर्मचारी एक लाख रुपये जमा करता है. जिस दिन वह रिटायर होता है उस दिन शेयर मार्केट में उसके एक लाख का मूल्य 10 हजार है तो उसे 6 हजार रुपये मिलेंगे और बाकी 4 हजार में उसे किसी भी बीमा कंपनी से पेंशन स्कीम लेनी होगी. इसमें कोई गारंटी नहीं है।
पहले जो व्यवस्था थी, उसमें नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था. उसमें कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था. जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था और सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी. नई व्यवस्था में जीपीएफ अकाउंट बंद कर दिया गया है।

कोरोना: भारत में चली कोरोना की ताजा लहर ने दुनिया को हैरान कर दिया,भारत में कोरोना के 3.14 लाख नए केस दर्ज होने के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा, अमेरिका को पछाड़ा

भारत इस वक्त दुनिया में कोरोना वायरस के महासंकट का एपिसेंटर बन गया है।भारत में चली कोरोना की ताजा लहर ने दुनिया को हैरान कर दिया है। गुरुवार को भारत ने एक दिन में दर्ज किए गए सबसे अधिक केस का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पहले अमेरिका में एक दिन में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए थे।
गुरुवार को भारत में कोरोना के 3.14 लाख नए केस दर्ज किए गए हैं। दुनिया में एक दिन में किसी एक देश में आए ये सबसे अधिक नए केस हैं। इससे पहले इसी साल जनवरी में अमेरिका में 3 लाख के करीब कोरोना के मामले दर्ज किए गए।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जनवरी 2021 में अमेरिका में 297,430 केस दर्ज किए गए थे. लेकिन इस आंकड़े को छूने के बाद से ही अमेरिका में लगातार केसोंकी संख्या कम होती गई है।
गुरुवार को भारत में कोरोना का आंकड़ा
•    24 घंटे में आए कुल केस: 3,14,835
•    24 घंटे में हुई मौतें: 2,104
•    एक्टिव केस की संख्या: 22,91,428

उत्तराखंड:देहरादून में आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड फुल ,मुसीबत में गंभीर मरीज, कोविड श्मशान घाट पर भी लोगों को अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा।

हरादून और ऋषिकेश के प्रमुख अस्पतालों के कोविड बेड कोरोना मरीजों से भर गए हैं। बेड खाली नहीं होने से बुधवार को गंभीर कोरोना मरीजों के सामने इलाज का संकट पैदा हो गया। उन्हें एंबुलेंस में आक्सीजन सपोर्ट पर लिटाकर दिनभर अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े। इस तरह के नाजुक हालात से देहरादून को पहली बार दो चार होना पड़ा है। कोरोना मरीज बढ़ने से देहरादून में इलाज के इंतजाम कम पड़ने लगे। दून अस्पताल में बुधवार सुबह सात बजे ही आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड फुल हो गए। सुबह के वक्त एक घंटे के भीतर वहां से करीब 20 मरीजों को वापस लौटना पड़ा।

इन सभी मरीजों को शहर के निजी अस्पतालों में ले जाया गया। प्राइवेट अस्पताल कैलाश, मैक्स, इंद्रेश और सीएमआई में आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड खाली नहीं होने पर फिर से गंभीर मरीजों को कुछ घंटे बाद दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा। हालात बिगड़ते देख दून अस्पताल की गैलरी में ऑक्सीजन बेड लगाए गए। वहां भर्ती होने के लिए मरीजों को डेढ़ से दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

दून अस्पताल इमजरेंसी के बाहर दिनभर एक वक्त में कम से कम पांच से सात एंबुलेंस खड़ी थीं, उनमें ऑक्सीजन सपोर्ट पर गंभीर मरीज लेटे हुए थे। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि गंभीर मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत आ रही है। आईसीयू और वेटिंलेटर खाली नहीं हैं। ऑक्सीजन बेड का इंतजाम कर उन्हें भर्ती करने का प्रयास किया जा रहा है।

ऋषिकेश में भी स्थिति खराब
ऋषिकेश में एम्स और राजकीय चिकित्सालय में भी 81 सामान्य बेड को छोड़ सभी ऑक्सीजन बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर फुल हो गए हैं। यहां से भी मरीज जौलीग्रांट और फिर आईसीयू नहीं मिलने पर देहरादून पहुंच रहे हैं।

माेर्चुरी के बाहर भीड़
दून अस्पताल में मच्र्यूरी के बाहर सुबह से लोगों की भीड़ लगी है। उनको यहां पहले एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ रहा है। एंबुलेंस खाली नहीं मिलने की वजह से उन्हें बाहर से मनमानी कीमत चुकाकर शव ले जाने के लिए इंतजाम करना पड़ रहा है। अस्पताल से बुधवार दोपहर 12 बजे से डेढ़ बजे तक आठ शवों को ले जाया जा चुका था।

श्मशान में भी लगाना पड़ा नंबर
कोविड श्मशान घाट पर भी लोगों को अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। वहां राजधानी दून के साथ ही जौलीग्रांट तक से शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं। यहां मुख्य सड़क पर वाहनों की लंबी लाइन लगी है। श्मशान घाट पर भी लोगों से अंतिम संस्कार के लिए मनमाने तरीके से रुपये लिए जाने की शिकायत लोग कर रहे हैं।

अस्पतालों में तीन गुना तक बढ़ी ऑक्सीजन की मांग, फिलहाल किल्लत नहीं
राज्य में कोरोना संक्रमण में तेजी और गंभीर मरीजों की संख्या में इजाफे से ऑक्सीजन की मांग तीन गुना तक बढ़ गई है। मांग में बढ़ोत्तरी की वजह से कुछ स्थानों पर ऑक्सीजन की कीमतों में उछाल भी आया है। हालांकि राज्य भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है और कहीं भी किल्लत जैसी नौबत नहीं है। यह अलग बात है कि संक्रमण में बेतहाशा वृद्धि और गंभीर मरीज अचानक बढ़ने से भविष्य में ऑक्सीजन संकट की नौबत आ सकती है। पेश है हिन्दुस्तान की रिपोर्ट।

दून में डिमांड बढ़ी, किल्लत नहीं
राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है। दून अस्पताल में रोजाना पांच से छह टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है जो पहले दो टन के आसपास थी। श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में छह टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है। दोनों अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले यूनिवर्सल गैस कंपनी के संचालक विजय दीक्षित ने बताया कि रुड़की से ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिल रही है। उन्होंने कहा कि मांग में दो से तीन गुना इजाफा हुआ है लेकिन अभी कोई परेशानी नहीं है। जिलाधिकारी डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी ना हो इसके लिए नोडल अधिकारी तय कर दिए गए हैं। ऑक्सीजन की कमी होने पर तत्काल व्यवस्था करने और स्थिति से अवगत कराने को कहा गया है।

ऑक्सीजन के दामों में 40 फीसदी इजाफा
हरिद्वार के अस्पतालों में आक्सीजन की भारी मांग की वजह से आक्सीजन के दामों में 40 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।— जिले में अधिकांश मरीज होम आइसोलेशन में रह रहे हैं और इस वजह से घर में ऑक्सीजन सिलेंडरों की डिमांड बढ़ रही है। जिले में ऑक्सीजन की कोई कमी तो नहीं है लेकिन मांग बढ़ने की वजह से प्राइवेट से सिलेंडरों की कीमत बढ़ गई है। हालांकि जिले के अस्पतालों में ऑक्सीजन की स्थिति पर्याप्त बनी हुई है। जिले में 51 आईसीयू बेड हैं और अभी सभी बेड खाली चल रहे हैं।

हल्द्वानी में तीन गुना हुई खपत
हल्द्वानी के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग तीन गुना हो गई है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज समेत सात निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इन अस्पतालों में रोजाना 200 ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत होती थी जो अब बढ़कर 600 के पार पहुंच गई है। हालांकि ऑक्सीजन सप्लाई में कहीं कोई दिक्कत नहीं है और दामों में भी इजाफा नहीं हुआ है। इसके अलावा पिथौरागढ़, यूएसनगर, चम्पावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों में भी आक्सीजन की कोई कमी नहीं है।

पर्वतीय जिलों में कोई समस्या नहीं
गढ़वाल के पर्वतीय जिलों में भी आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। मरीज काफी कम होने की वजह से अस्पतालों में आईसीयू और वेंटीलेटर बेड खाली हैं और आक्सीजन सिलेंडर भी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में हैं। रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी और पौड़ी जिलों में ऑक्सीजन सप्लाई पर्याप्त मात्रा में हो रही है।

रुड़की व श्रीनगर में पर्याप्त उत्पादन
रुड़की के मंगलौर में ऑक्सीजन प्लांट में 700 सिलेंडर की क्षमता प्रतिदिन है। चौबीस घंटे प्लांट काम कर रहा है। करीब नब्बे फीसदी काम हो रहा है। प्लांट से राज्य में कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इधर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्लांट में भी ऑक्सीजन का उत्पादन लगातार किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के दो प्लांट एक दिन में 12 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

राज्य में क्षमता से कई गुना ऑक्सीजन उत्पादन
निदेशक स्वास्थ्य एसके गुप्ता ने बताया कि राज्य के सभी प्लांटों में मौजूदा समय में एक दिन में तकरीबन 350 क्यूबिक मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जबकि राज्य के अस्पतालों की कुल ऑक्सीजन डिमांड प्रतिदिन 125 क्यूबिक मीट्रिक टन के करीब चल रही है। ऑक्सीजन की मांग में कुछ दिनों में इजाफा हुआ है लेकिन यह बहुत सामान्य है और किल्लत जैसी कोई बात नहीं है। इसके अलावा भविष्य की जरूरतों को देखते हुए उत्पादन बढ़ाने के प्रयास भी हो रहे हैं।

राज्य में बेड की कमी नहीं है, लेकिन संक्रमण के बाद सभी लोग आईसीयू और वेंटिलेटर की डिमांड कर रहे हैं। इस वजह से अस्पतालों पर भारी दबाव है। प्राइवेट अस्पतालों में सिफारिशों की वजह से भी क्रिटिकल बेड भर गए हैं। राजधानी दून में दिक्कतों को देखते हुए एम्स, दून और रायपुर कोविड केयर सेंटर में आईसीयू बेड बढ़ाए जा रहे हैं, जबकि कोरोनेशन अस्पताल को भी कोविड अस्पताल में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है।