इलाहाबाद विश्वविद्यालय पुरातन छात्र परिषद का अधिवेशन इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स सभागार में धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय पुरातन छात्र परिषद का अधिवेशन इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स सभागार में धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। अधिवेशन में उत्तराखंड के साथ ही देश के कई राज्यों के पुरातन छात्र पहुंचे थे। इस दौरान जहां पुरातन छात्रों ने विवि के गौरवशाली इतिहास के साथ ही छात्र जीवन के यादगार पलों को याद किया, वहीं विवि में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताने के साथ ही गौरवशाली इतिहास को दोबारा स्थापित करने का संकल्प लिया।

अधिवेशन के मुख्य अतिथि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायमूर्ति एवं उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष वीके बिष्ट ने कहा कि जीवन में सफलता का मूल मंत्र समयबद्धता है। प्रयागराज सिर्फ तीन नदियों का संगम नहीं, बल्कि विचारधाराओं का भी संगम है। विवि ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के साथ देश के विकास में अहम योगदान दिया है। प्रयागराज की पवित्र भूमि पर ही चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया। विवि महान साहित्यकारों, लेखकों, कवियों, वैज्ञानिकों और प्रशासनिक अधिकारियों की कर्मस्थली रही है।

न्यायमूर्ति एमएम घिल्डियाल ने कहा कि विवि  महान साहित्यकारों महादेवी वर्मा, डॉ. रामकुमार वर्मा, भगवती चरण वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फिराक गोरखपुरी, डॉ. हरिवंश राय बच्चन जैसे लोगों की कर्मस्थली रही है और शिक्षा के क्षेत्र में विवि ने जो योगदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इस दौरान पुरातन छात्रों ने विवि में पढ़ाई के दौरान बिताए गए पलों को याद करते हुए कई संस्मरण भी सुनाए। इस मौके पर आयोजक मंडल के अध्यक्ष रवींद्र गोडबोले, प्रवीण टंडन, मनीष तिवारी, अपर सचिव ओंकार सिंह, अधिवक्ता सिद्धनाथ उपाध्याय और हंसादत्त (कमिश्नर सुगरकेन उत्तराखंड आदि मौजूद थेे। कई दशक बाद मिले तो आंखें डबडबा गईं।

अधिवेशन में तमाम ऐसे पुरातन छात्र शामिल हुए जो विवि में पढ़ाई के चार दशक बाद मिले। कई पुरातन छात्र अपने साथियों को पहचान ही नहीं पाए। जान पहचान होने के बाद एक-दूसरे के गले मिलकर पुराने दिनों को याद किया।  कई ऐसे पुरातन छात्र भी मिले जिन्होंने विवि में पढ़ाई करने के साथ ही नौकरी की, लेकिन कभी मिल नहीं पाए।
कई ने 40 साल बाद समोसे और जमीन की नमकीन का जमकर लुत्फ उठाया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कलाकारों ने गीत गाकर समा बांध दिया, जिसका पुरातन छात्रों ने जमकर आनंद उठाया। इस दौरान हास्य व्यंग का भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। हास्य कलाकार बलबीर सिंह खिचड़ी ने पुरातन छात्रों को जमकर गुदगुदाया।

उत्तराखंड में आज से हरेला लोकपर्व शुरू, हरेला पर्व से मानी जाती है उत्तराखंड में सावन की शुरुआत, पुष्कर सिंह धामी ने पौधरोपण कर की शुरुआत

देवभूमि उत्तराखंड में आज से हरेला लोकपर्व का उत्सव शुरू हो गया है। वैसे तो उत्तराखंड में कई महत्वपूर्ण लोक पर्व हैं और इनमें से एक है ‘हरेला’। हरेला उत्तराखंड का लोक पर्व ही नहीं बल्कि हरियाली का प्रतीक भी है। उत्तराखंड में सावन की शुरुआत हरेला पर्व से मानी जाती है।इस पर्व का विशेष महत्व होता है और इस साल यह पर्व आज यानि 16 जुलाई को मनाया जा रहा है। हमारे पूर्वज बहुत दूरदर्शी थे इसलिए उन्होंने विज्ञान को लोक पर्व से पिरोकर रखा। लोकपर्व हरेला से पौधरोपण को बढ़ावा मिलता है। इससे वायुमंडल में आक्सीजन, भूजल संग्रहण के साथ वातावरण में हरियाली रहती है।  यह लोकपर्व खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने  अपने आवास पर पौधरोपण कर हरेला पर्व की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि हरेला पर्व हरियाली का प्रतीक है। इसको हरित क्रांति के रूप में मनाना होगा, तभी हम पर्यावरण को संरक्षित रख सकते हैं। इसमें जन जन की भागीदारी होनी चाहिए।  मान्यता है कि हरेला पर्व पर लगाया पौधा सूखता नहीं है।

जुलाई माह के शुरु के 9 दिन में मक्‍का, गेहूं, उड़द, सरसों और भट को रिंगाल की टोकरी में रोपित किया जाता है। कुछ दिनों में ही इसमें अंकुरित होकर पौधे उग जाते हैं, उन्हें ही हरेला कहते हैं। इसके बाद 10वें दिन हरेला त्योहार के दिन इसे काटा जाता है और फिर इसका पूजन करते हैं और इसे हरेला पतीसना कहा जाता है। फिर यह देवता को अर्पित किया जाता है और घर की बुजुर्ग महिला सभी सदस्यों को हरेला लगाती है इन पौधों को देवताओं को अर्पित किया जाता है। इसके बाद घर के बुजुर्ग इसे काटते हैं और छोटे लोगों के कान और सिर पर रखकर आशीर्वाद देते हैं।

हरेला पर्व पर इस बार भाजपा प्रदेशभर में पौधरोपण का अभियान चलाकर पांच लाख पौधे रौपेगी। भाजपा की ओर से जगह-जगह आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम के तहत प्रदेश में करीब 60 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। आज वन विभाग द्वारा आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में पौधरोपण के बाद सीएम  ने कहा कि देहरादून को क्लीन सिटी ग्रीन सिटी बनाने का अभियान शुरू किया गया है। संस्थाओं द्वारा वृक्षारोपण का कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है और यह कार्यक्रम अगले एक महीने तक चलेगा।

सीएम ने कहा कि दो साल बाद शुरू हो रही कांवड़ शिव भक्त यात्रा में इस बार लगभग छह करोड़ शिव भक्त देव भूमि उत्तराखंड में पहुंचेंगे। कावड़ यात्रा के संबंध में उन्होंने कहा की यात्रा को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। शिव भक्तों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं उठाने दी जाएगी।

उत्तराखंड में धामी सरकार के 100 दिन हुए पूरे, 2025 तक उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने का प्रयास

 उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दूसरे कार्यकाल का 100 दिन बृहस्पतिवार को पूरा हो गया    मुख्यमंत्री धामी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मैं अपने प्रदेश की सवा करोड़ जनता को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हम 2025 तक उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने हेतु प्रतिबद्ध हैं और पूर्ण समर्पण भाव के साथ इस दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं । हमने 100 दिन में अच्छा कार्य किया है और आगे भी अच्छा कार्य करने के साथ नया कीर्तिमान बनायेंगे। समृद्ध तथा आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड का निर्माण किया जाएगा।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपने हर वादे को पूरा करने में जुटे हैं। जनवरी में हुए विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को लगातार दूसरी बार जीत मिली थी लेकिन धामी खुद अपनी सीट खटीमा से हार गए थे। बाद में चंपावत सीट पर 31 मई को हुए उपचुनाव में उन्होंने 55 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की।

 उन्होंने कहा कि 100 दिन में हमने राज्य के विकास की जो आधारशिला रखी है, वह 2025 में उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। इसके लिए विभागों को अगले पांच वर्षों में पर्यटन, पलायन, स्वरोजगार, अवस्थापना विकास सहित राज्य की तरक्की से जुड़े क्षेत्रों में किए जाने वाले कार्यों की विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया है। सभी विभागों से विकास का रोडमैप मांग लिया गया है जिस पर सरकार आने वाले सालों में अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने अंतोदय परिवारों को साल में तीन सिलिंडर मुफ्त दिए, बुजुर्ग दंपत्तियों, दिव्यांगों, वृद्धों आदि की पेंशन में बढ़ोतरी की।राज्य में समान नागरिक संहिता लागू होगी जिसके लिए हमने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए एक कमेटी बनाई है। उत्तराखंड भ्रष्टाचार मुक्त होगा तो कार्यसंस्कृति में सुधार आएगा। जिस प्रकार आय से अधिक संपत्ति के मामले में आईएएस अधिकारी डॉ. रामविलास यादव को जेल की हवा खिलाई गई।

विपक्ष : ‘पूरी तरह विफल है सरकार’

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने धामी सरकार के 100 दिनों के कार्यकाल को पूरी तरह विफल करार दिया और कहा, ”मात्र घोषणाएं करने से उपलब्धियां हासिल नहीं होतीं।” प्रति व्यक्ति कर्ज के मामले में प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। 2017 में उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति कर्ज 35,000 रूपये था जो 2022 तक भाजपा सरकार ने एक लाख चार हजार करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया।’’ उन्होंने कहा, ”धामी सरकार चारधाम यात्रा से लेकर विकास के मुददे तक हर मामले में विफल रही है। सरकार का बजट 2000 करोड रूपये के घाटे में है।”

फूलों की घाटी: उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी समय से पहले ही महकने लगी, एक जून से कर सकेंगे प्राकृतिक सौंदर्य के दीदार

उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में इस साल दो हफ्ते पहले ही फूल खिलने शुरू हो गए हैं। यहां इन दिनों आधा दर्जन से अधिक किस्मों के फूल खिल गए हैं। आम तौर से यहां फूल जून के महीने में खिलते हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार चूंकि बर्फ़ जल्दी पिघल गई है इसलिए फूल भी जल्दी खिलने लगे हैं। इस बार यहां कई किस्मों के फूल खिल रहे हैं।

फूलों की घाटी विभिन्न तरह के फूलों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। फूलों की घाटी इस बार समय से पहले ही महकने लगी है। घाटी में कई फूल खिलने लग गए हैं। घाटी में फूलों का समय से पहले खिलने का कारण उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फ का जल्दी पिघलना माना जा रहा है।

एक जून से घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी जाएगी, लेकिन इस बार घाटी में दो सप्ताह पहले ही कई तरह के फूल खिल चुके हैं, जिसमें पोटैंटिला, वाइल्ड रोज, मोरया लोगी, फूलीया, प्रिमुला आदि फूल शामिल हैं। 87.50 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली घाटी उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित है।

यहां पर बर्फ पिघलने के बाद फूलों के पौधों में नई कोंपलें आने लगती हैं और इसके साथ ही उनमें फूल खिलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस बार भी सर्दियों में अच्छी बर्फबारी हुई थी, लेकिन तेज गर्मी पड़ने से बर्फ तेजी से पिघल गई है, जिससे चलते यहां समय से पहले फूल खिलने शुरू हो गए हैं।

फूलों की घाटी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी का कहना है कि घाटी में इस वर्ष फूल खिलने का दौर दो सप्ताह पहले ही शुरू हो गया है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फ जल्द पिघलने के कारण ऐसा हो रहा है। अभी वहां कई तरह के फूल खिल चुके हैं। घाटी एक जून से पर्यटकों के लिए खोली जाएगी।

फूलों की घाटी जुलाई और अगस्त महीने में अपने चरम पर होती है। इस दौरान घाटी में 300 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। इसी समय यहां देश-विदेश के सबसे अधिक सैलानी फूलों का दीदार करने आते हैं। इन दो महीनों तक घाटी पर्यटकों से गुलजार रहती है

ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिला 12.8 फीट का शिवलिंग,कोर्ट ने जगह को सील करने का दिया आदेश

ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम सोमवार को पूरा हो गया। सर्वे टीम 17 मई को अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। तीसरे दिन सर्वे का काम पूरा होने के बाद हिंदू पक्षकारों एवं सूत्रों ने बड़ा दावा किया है। सूत्रों का कहना है कि सर्वे के तीसरे दिन मस्जिद परिसर में शिवलिंग, 15वीं शताब्दी की मूर्तियां एवं एक कांस्य प्रतिमा भी मिली है। जबकि सर्वे टीम का हिस्सा सोहनलाल आर्य का दावा है कि ‘नंदी को उनके बाबा मिल गए और जितना सोचा गया था उससे कहीं ज्यादा साक्ष्य मिला है।’ शिवलिंग मिलने के दावे की पुष्टि कोर्ट की तरफ से हो गई है। वाराणसी सिविल कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि जिस जगह पर शिवलिंग मिला है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाए। इस स्थान पर किसी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं होगी। शिवलिंग की सुरक्षा में सीआरपीएफ के जवान तैनात होंगे।

बता दें कि एक अर्जी दाखिल की गई थी, जिसमें अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है। जिसके बाद वाराणसी सिविल कोर्ट ने जगह को सील करने का आदेश दिया है। वाराणसी सिविल कोर्ट ने जिला प्रशासन को कहा है कि जिस जगह पर शिवलिंग मिला है उसे सील किया जाए। शिवलिंग को संरक्षित और सुरक्षित करते हुए किसी को भी जाने की इजाजत न दी जाये। हालांकि मुस्लिम पक्ष सभी दावों को खारिज कर रहा है। उनका कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है और रिपोर्ट अभी कोर्ट के समक्ष पेश होनी है।

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद वाराणसी कोर्ट ने जिलाधिकारी (DM) और केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) को उस जगह को तुरंत सील करने का आदेश जारी किया है। वाराणसी कोर्ट ने जिले के डीएम को आदेश देते हुए कहा, कि जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है, उस जगह को तत्काल प्रभाव से सील कर दें। वहां किसी भी व्यक्ति को जानें की अनुमति न दें। बता दें कि, इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और सीआरपीएफ को दी गई है। इतना ही नहीं, अदालत ने अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय कर की है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि, ‘डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को आदेशित किया जाता है कि जिस जगह को सील किया गया है, उस स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की पूर्णत: व्यक्तिगत जिम्मेदारी उपरोक्त समस्त अधिकारियों की मानी जाएगी।

तीन दिन तक हुई फोटोग्राफी – वीडियोग्राफी

शनिवार सुबह से शुरू हुए इस सर्वे को सोमवार सुबह 10.30 बजे खत्म कर दिया गया । कोर्ट के आदेश पर गठित टीम ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा किया । सर्वे टीम ने कहा कि अब सारे दस्तावेजों की एक रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में पेश की जाएगी । इस रिपोर्ट पर दोनों पक्षों की ओर से जिरह होगी , जिसके बाद ही कोई फैसला आएगा ।

मुस्लिम पक्ष बोला – दावे बेबुनियाद

जहां हिंदू पक्ष के वकील और अन्य लोगों के चेहरे पर एक सकारात्मक रुख नजर आया , वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील ने हिंदू पक्ष के दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है । हालांकि इस दौरान वह रुककर बात करने तक को तैयार नहीं हुए । उन्होंने हिंदू पक्ष के शिवलिंग मिलने के दावों को बेबुनियाद करार दिया ।

कोर्ट ने दिया ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन के बेटे हैं विष्णु जैन। उनके इस प्रार्थना पत्र को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया, जिसमें यह दावा किया गया है कि परिसर से शिवलिंग मिला है। इस अर्जी को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और जिला मजिस्ट्रेट बनारस को आदेश दिया है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है उसे स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दें और सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाता है। जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी और पुलिस कमिश्नर पुलिस कमिश्नरेट बनारस तथा सीआरपीएफ कमांडेंट बनारस को आदेशित किया जाता है कि जिस स्थान को सील किया गया है उस स्थान को संरक्षित एवं सुरक्षित रखने की पूर्णता व्यक्तिगत जिम्मेदारी उपरोक्त समस्त अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी। उपरोक्त सील किए गए स्थान के बाबत स्थानीय प्रशासन द्वारा क्या-क्या किया गया है इस के सुपरविजन की जिम्मेदारी पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ तथा मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ की होगी। वाद लिपिक को आदेशित किया जाता है इस आदेश की प्रति संबंधित अधिकारी को प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करें पे कमिशन रिपोर्ट पर सुनवाई हेतु पेश हो।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे को लेकर वाराणसी प्रशासन द्वारा आसपास के क्षेत्रों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। प्रशासन ने मस्जिद परिसर से 500 मीटर के दायरे में स्थित सभी दुकानों को सर्वे के दौरान बंद करने का आदेश दिया। साथ ही 2 किलोमीटर के दायरे में हर 100 तथा 200 मीटर की दूरी पर बैरिकेडिंग की गई है ताकि सर्वे के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी या माहौल बिगाड़ने की कोशिश ना की जाए। हालांकि की मस्जिद परिसर के पास काशी विश्वनाथ मंदिर में जाने के लिए भक्तों को छूट दी गई है मगर इन क्षेत्रों में मीडिया कर्मियों को जाने की इजाजत नहीं है।

चारधाम यात्रा: तीर्थयात्रियों की मौत पर केंद्र सरकार गंभीर, उत्तराखंड सरकार से मांगी रिपोर्ट, अब तक 28 तीर्थयात्रियों की मौत

चारधाम की यात्रा पर पहुंचने वाले 28 तीर्थयात्रियों की अब तक मौत हो चुकी है। वहीं सरकार का कहना है कि अधिकतर मौतें व्यवस्थाओं की कमी नहीं, बल्कि हार्ट अटैक से हुई हैं। सरकार ने केदारनाथ में NDRF और ITBP को पहली बार तैनात किया है। वहीं भीड़ को देखते हुए रजिस्ट्रेशन भी सी​मित कर ​दिए गए हैं।

चारों धामों में हर दिन भारी भीड़ उमड़ रही है। 3 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा पर पहुंचने वाले 28 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है।उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने चारधाम की व्यवस्थाओं पर कहा कि चारधाम यात्रा में पहली बार NDRF के जवानों को तैनात किया गया है, ITBP भी तैनात है, जबकि SDRF हले से मौजूद है। अगर जरूरत पड़ी तो सेना के लोगों को भी तैनात किया जाएगा।

तीर्थयात्रियों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली जिले के सीएमओ से रिपोर्ट मांगी है। विभाग ने मौत की वजह हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन और अन्य बीमारियां बताई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इससे पहले 23 तीर्थ यात्रियों की जानकारी देते हुए यमुनोत्री धाम में दस, केदारनाथ में आठ, गंगोत्री में तीन, बद्रीनाथ में दो तीर्थयात्रियों की मौत बताई​​​​थी। जिनमें 17 पुरुष और छह महिला यात्री शामिल है। इसमें से 5 मृतकों की उम्र 45 वर्ष से कम है और 18 की उम्र 50 साल से भी अधिक है।

पीएमओ के संज्ञान लेने के बाद हरकत में आया विभाग
बता दें कि चारधाम यात्रा में मृतकों का आं​कड़ा बढ़ने पर पीएमओ ने भी संज्ञान लिया था। इसके बाद राज्य सरकार हरकत में आई है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब राज्य सरकार को इस बार तीर्थयात्रियों के रिकॉर्ड पहुंचने की उम्मीद थी तो फिर स्वास्थ्य महकमा किस इतंजार में बैठा रहा। इससे स्वास्थ्य विभाग और सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं।

पीएमओ के संज्ञान लेने के बाद ही स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया है। बुधवार को स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. शैलेजा भट्ट ने मुख्य चिकित्साधिकारियों के साथ चारधाम यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा की। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग से संबंधित जिलों के सीएमओ को निर्देश दिए कि किसी भी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में कमी नहीं होनी चाहिए।

महानिदेशक ने सीएमओ को तीर्थयात्रियों की मौत पर विस्तृत रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। महानिदेशक ने बताया कि केदारनाथ यात्रा मार्ग में आठ स्थायी चिकित्सालय और 14 अस्थाई मेडिकल रिलीफ पोस्ट बनाए गए हैं। गंगोत्री मार्ग में 10 स्थायी चिकित्सालय व तीन अस्थाई मेडिकल रिलीफ पोस्ट, बदरीनाथ मार्ग पर 19 स्थायी चिकित्सालय तथा दो अस्थाई मेडिकल रिलीफ पोस्ट, यमुनोत्री मार्ग पर 11 स्थायी चिकित्सालय व चार अस्थाई मेडिकल रिलीफ पोस्ट कार्य कर रहे हैं।

यात्रियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए 132 डॉक्टरों को विभिन्न अस्पतालों में तैनात किया गया है। यात्रा मार्ग में आठ ब्लड बैंक व चार ब्लड स्टोरेज यूनिट भी संचालित हैं। यात्रियों को किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सूचना के लिए 104 हेल्प लाइन काम कर रही है। जबकि 108 आपातकालीन सेवा की 102 एंबुलेंस व एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस भी यात्रा के लिए संवेदनशील स्थानों पर तैनात की गई है।

मुूख्यमंत्री ने दो मंत्रियों को भी जिम्मेदारी सौंपी
सचिव स्वास्थ्य राधिका झा की ओर से भी यात्रा के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की समीक्षा कर एसडीआरएफ को मेडिकल टीम के साथ समन्वय करने के निर्देश दिए गए। जिससे आपातकालीन परिस्थितियों में यात्रियों को त्वरित सहायता प्रदान की जा सके। हालांकि जिस तरह का हूजूम चारधाम यात्रा में उमड़ रहा है। उसमें अब तक ये सभी तैयारियां कम ही नजर आ रही है।

पौने 3 लाख यात्री चारधाम दर्शन कर चुके हैं। जबकि साढ़े 9 लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराए जा चुके हैं। इधर मुूख्यमंत्री ने दो मंत्रियों को भी यात्रा की व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने की जिम्मेदारी सौंपी है। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को केदारनाथ और वन मंत्री सुबोध उनियाल को बद्रीनाथ की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

चारधाम यात्रा 2022: श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच खुले बाबा केदार के कपाट, पीएम मोदी के नाम से की गई पहली पूजा, सीएम धामी ने लिया आशीर्वाद

केदारनाथ धाम के कपाट शुभ मुहूर्त में शुक्रवार सुबह 06 बजकर 26 ्मिनट खोल दिए गए। अब छह माह तक बाबा के भक्त धाम में ही आराध्य के दर्शन एवं पूजा-अर्चना कर सकेंगे। बाबा के मंदिर को दस क्विंटल फूलों से सजाया गया है। वहीं, बृहस्पतिवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली भक्तों के जयकारों के बीच अपने धाम पहुंची। विधि विधान के साथ बाबा की डोली को मंदिर के समीप विराजमान किया गया है। साथ ही अन्य धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया है।

6 मई शुक्रवार को प्रात: 6 बजकर 26 मिनट पर जय केदार के जयकारों के बीच भगवान केदारनाथ के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खुल गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की गई। सीएम धामी ने भी पूजा-अर्चना कर बाबा केदार का आशीर्वाद लिया। कपाट खुलने के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

आज वैदिक मंत्रोच्चार के साथ केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं। कपाट को खोले जाने के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हिस्सा लिया। चार धाम यात्रा के मौके पर केदारनाथ मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की गई। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूजा-अर्चना कर बाबा केदार का आशीर्वाद लिया।

बृहस्पतिवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली भक्तों के जयकारों के बीच अपने धाम पहुंची। विधि विधान के साथ बाबा की डोली को मंदिर के समीप विराजमान किया गया है। साथ ही अन्य धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया है।

शुक्रवार को आज प्रात: 6 बजकर 26 मिनट पर जय केदार के जयकारों के बीच भगवान केदारनाथ के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खुल गए। बाबा की पंचमुखी मूर्ति केदार मंदिर में विराजमान हुई। विधि विधान और धार्मिक परंपराओं के तहत भगवान केदारनाथ के कपाट खोले गए।

बाबा केदार की उत्सव डोली को मुख्य पुजारी द्वारा भोग लगाया गया और नित पूजाएं की गई, जिसके बाद डोली को सजाया गया। केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग, वेदपाठियों, पुजारियों, हक्क हकूकधारियों की मौजूदगी में कपाट पर वैदिक परंपराओं के अनुसार मंत्रौच्चारण किया गया और 6 बजकर 26 मिनट पर कपाट खोले गए। इस दौरान डोली ने मंदिर में प्रवेश किया।

सबसे पहले पुजारियों व वेदपाठियों ने गर्भगृह में साफ सफाई की और भोग लगाया। इसके बाद मंदिर के अंदर पूजा अर्चना की गई। सेना की बैंड की धुनों के साथ पूरा केदारनाथ भोले बाबा के जयकारों से गुंजायमान हो गया। इस दौरान केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग और मुख्यमंत्री पष्कर सिंह धामी सहित बीकेटीसी के सदस्य भी मौजूद रहे। मंदिर को दस क्विंटल फूलों से सजाया गया है।

पहले दिन केदारनाथ जी के दर्शन करने के लिए 12000 यात्रियों ने पंजीकरण कराया था। पंजीकरण सत्यापन के उपरांत ही तीर्थयात्रियों को दर्शन के लिए भेजा गया। पंजीकरण का कार्य सुचारु रुप से चल रहा है । यात्रा मार्ग पर सभी व्यवस्थाएं सुचारू कर दी गई हैं और यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

छह मई को केदारनाथ आ सकते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा संचालन की व्यवस्था पर उठाए सवाल

प्रधानमंत्री मोदी इस बार भी छह मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर यहां आ सकते हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री धामी के केदारनाथ के प्रस्तावित दौरे और वहां यात्रा की तैयारियों का जायजा लिए जाने के कार्यक्रम को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। यही नहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर भी सोमवार को केदारनाथ जा सकते हैं।

शासन में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अभी तक प्रधानमंत्री का कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं मिला है, लेकिन यदि वह आते हैं तो शासन-प्रशासन की ओर से तैयारियां पूरी हैं।

चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा संचालन की व्यवस्था पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने खुद सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि हेली सेवा से जाने वाले तीर्थ यात्रियों के साथ क्या होता है, सबको पता है। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि हेली सेवा में टिकटों की ब्लैक मेलिंग पर निगरानी रखी जाए। साथ ही हेलीपैड पर यात्रियों को किसी तरह की असुविधा या ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं तो इसके लिए शिकायत नंबर जारी किए जाएं।

सचिवालय में चारधाम यात्रियों की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक में पर्यटन मंत्री ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं और उनके साथ अच्छा व्यवहार का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण(यूकाडा) के अधिकारियों से केदारनाथ हेली सेवा संचालन के बारे में जानकारी ली। 6 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं, लेकिन अभी तक हेली सेवा के पायलटों का वैरिफिकेशन नहीं हुआ है।

इस पर महाराज ने नाराजगी जताई। बैठक में गढ़वाल मंडल विकास निगम की प्रबंध निदेशक स्वाति एस भदौरिया ने अवगत कराया कि 20 मई तक केदारनाथ हेली सेवा की बुकिंग फुल हो चुकी है। इसके बाद 21 मई से पांच जून तक के लिए हेली सेवा की बुकिंग जल्द शुरू की जाएगी।

चारधाम यात्रा के लिए एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कराया ऑनलाइन पंजीकरण, केदारनाथ धाम के लिए सबसे अधिक पंजीकरण 

उत्तराखण्ड स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ चारों धामों सहित सिक्खों के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराने वाले श्रद्धालुओं की संख्या नित्य प्रति बढ़ती जा रही है।

प्रदेश में तीन मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण ने रफ्तार पकड़ ली है। अब तक एक लाख से अधिक तीर्थयात्री ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं। इसमें केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए सबसे अधिक यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। इस बार चारधाम यात्रा में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों के आने की उम्मीद है।

विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 03 मई को, केदारनाथ धाम के कपाट 06 मई और बदरीनाथ धाम के कपाट 08 मई को खोले जाएंगे। पर्यटन विभाग ने इस बार चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण की व्यवस्था अनिवार्य की दी है।

बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा करने के लिए तीर्थयात्री और श्रद्धालु पर्यटन विभाग की वेबसाइट registrationtouristcare.uk.gov.in पर आनलाइन पंजीकरण कर रहे हैं। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस बार पंजीकरण के साथ ही यात्रियों को क्यूआर कोड जारी किया जा रहा है। इससे न केवल यह पता लग सकेगा कि पंजीकरण करने वाले यात्री ने दर्शन किए हैं या नहीं। बल्कि तीर्थयात्रियों और उनके वाहनों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। क्यूआर कोड यात्रियों को दिये जाने वाले रिस्ट बैंड में रहेगा, जिसे प्रत्येक धाम में स्कैन किया जाएगा। इससे पर्यटन विभाग को यह पता रहेगा कि कौन सा यात्री कहां पर है। जब से प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की है तब से तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हर दिन पंजीकरण करने वालों की संख्या बढ़ रही है।

राज्य के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि 03 मई से 31 मई तक के लिए श्री यमुनोत्री धाम के लिए 15829, श्री गंगोत्री धाम के लिए 16804, श्री केदारनाथ धाम के लिए 41107 और श्री बद्रीनाथ – 29488 समेत 102508 तीर्थयात्री पंजीकरण कर चुके हैं।

उन्होंने बताया कि कोरोना से सामान्य होती स्थिति के बाद इस बार बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है। पहली बार तीर्थयात्रियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से पंजीकरण और सत्यापन की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है।

उन्होंने बताया कि पंजीकरण कराने वाले तीर्थयात्रियों के डेटा को संबंधित जिले के जिलाधिकारी और एसएसपी के साथ साझा किया जा रहा है। इससे स्थानीय प्रशासन को इस बात की जानकारी रहेगी कि किस दिन कितने तीर्थयात्री वहां पहुंच रहे हैं। इससे उन्हें स्थानीय स्तर पर व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी और तीर्थयात्री भी बिना किसी परेशानी के मंदिरों में दर्शन कर सकेंगे।

क्यूआर कोड दिए जाने के फायदे

यात्रियों को क्यूआर कोड जारी होने  से न केवल यह पता लग सकेगा कि पंजीकरण करने वाले यात्री ने दर्शन किए हैं या नहीं, बल्कि तीर्थयात्रियों और उनके वाहनों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। क्यूआर कोड यात्रियों को दिए जाने वाले रिस्ट बैंड में रहेगा। जिसे प्रत्येक धाम में स्कैन किया जाएगा। इससे पर्यटन विभाग को यह पता रहेगा कि कौन सा यात्री कहां पर है। पर्यटन विभाग के अनुसार चारधाम यात्रा में तीन से 31 मई तक के लिए एक लाख से अधिक यात्रियों ने पंजीकरण किया है।

श्री जावलकर ने बताया कि चारधाम यात्रा से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) की ओर से टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, मध्यप्रदेश समेत सुदूर भारत से तीर्थयात्री टोल फ्री नंबर 1364 अथवा 0135-1364 (अन्य प्रदेशों हेतु), 0135-2559898, 0135-2552627 और 0135-3520100 पर मौजूद कर्मचारी से पंजीकरण, यात्रा मार्गों की स्थिति, मौसम की जानकारी, बुकिंग की स्थिति, आनलाइन बुकिंग और हेलीकाप्टर सेवा आदि तमाम जानकारी ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा को तीर्थयात्रियों में इस बार कितना उत्साह है इसका अंदाजा कंट्रोल रूम में आने वाली फोन कॉल्स की संख्या से लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में रोजाना करीब 450-500 के बीच तीर्थयात्री कंट्रोल रूम में संपर्क कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी के मोरी ब्लाक के जखोल गांव में बिस्‍सू मेले में शामिल हुए, विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण का आयोजन 27 अप्रैल को

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मोरी ब्लाक के जखोल गांव में बिस्‍सू मेले में शामिल होने के लिए पहुंचे। शुक्रवार को जखोल में मुख्यमंत्री ने सोमेश्वर देवता मंदिर में पूजा अर्चना की। इस दौरान मोरी ब्लाक के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भव्य स्वागत किया। उन्होंने सोमेश्वर महादेव मंदिर का सौंदर्यीकरण करने, सीएचसी पुरोला का उच्चीकरण कर उप जिला चिकित्सालय बनाने, पीएचसी मोरी को सीएचसी करने, नैटवाड सांकरी जखोल मोटर मार्ग को हाॅट मिक्स प्लान के तहत तैयार करने और नौगांव में महाविद्यालय खोलने की घोषणा की।

रवांई जौनसार क्षेत्र में बिस्‍सू मेले की शुरूआत 13 अप्रैल से हो गई थी। जिसके बाद गांव-गांव में मेले आयोजित होते हैं। जिसमें ग्रामीण मेहमानों का अतिथि सत्कार करते हैं। साथ ही मेले में देवता की पूजा अर्चना और पारंपरिक लोक गीत लोक नृत्य भी प्रस्तुत करते हैं।ये मेले क्षेत्र की सुख समृद्धि के लिए आयोजित होते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मेले में पुरोला के विधायक दुर्गेश्वर लाल, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश चौहान, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान शामिल हुए हैं।
शुक्रवार को मोरी ब्लॉक के जखोल गांव में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बिस्सू मेले का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मां गंगा का हमारा यह राज्य एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। इसलिए यूसीसी (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लाना हमारा उद्देश्य है। हमने नीति और कानून विशेषज्ञों सहित एक समिति बनाने का निर्णय लिया है जो यूसीसी के संबंध में एक मसौदा तैयार करेगी।
इससे पूर्व सीएम धामी ने गुरुवार को खोली ब्लॉक पर्यटक स्थल बधाणीताल में दो दिवसीय बधाणीताल पर्यटन एवं बैसाखी मेले का शुभारंभ किया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बधाणीताल में पर्यटक आवास गृह बनाने, बधाणीताल का सौंदर्यीकरण और बरसिर-बधाणीताल मोटर मार्ग को हॉटमिक्स करने की घोषणा की थी।
पैनखण्डा की पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहर रम्माण मेला 2022 का शुभारम्भ बैशाखी के शुभ पर्व से भूमि क्षेत्रपाल देवता मन्दिर परिसर सलूड़-डुंग्रा में हो गया है। परम्परानुसार आशुतोष कुंवर के घर पर वर्ष भर की पूजा पाने के उपरान्त गुरुवार प्रातः सलूड़-डुंग्रा के गाणिया, कैंसा,पश्वा, पुजारियों और समस्त ग्रामवासियों की उपस्थिति में भूमि क्षेत्रपाल देवता की अश्रुपूर्ण विदाई हुई।
सलूड़ डूंग्रा गांव में होने वाला विश्व धरोहर रम्माण मेला इस साल 27 अप्रैल को होगा। गांव के पुरोहितों ने रम्माण मेले की तिथि घोषित की है। इस बार मेले में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पर्यटन मंत्री को भी आमंत्रित किया गया है।