CLAT 2021 के लिए एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते है ,

देशभर के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी व अन्य संस्थानों में इंटेग्रेटेड एलएलबी और एलएलएम दाखिलों के लिए होने वाले कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट(clat 2021) के एडमिट कार्ड जारी हो गए हैं। आप कंसोर्टियम की वेबसाइट या नीचे दिए गए लिंक से सीधे अपना एडमिट कार्ड डाऊनलोड कर सकते हैं।
CLAT 2021 के लिए एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते है , लॉ प्रेप टुटोरिअल देहरादून की डायरेक्टर अकादमी दिशा उपाध्याय ने बताया की CLAT की प्रवेश परीक्षा 23 जुलाई को देशभर में ऑफलाइन मोड में आयोजित की जाएगी ,

CLAT दो घंटे की लंबी परीक्षा है जहां उम्मीदवारों को 150 प्रश्नों को हल करना होता है। कम से कम 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वालों को परीक्षा उत्तीर्ण माना जाता है और वे स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्र होते हैं। आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए नियमानुसार कट-ऑफ 35 प्रतिशत है।

उम्मीदवारों को परीक्षा समय से 30 मिनट पहले परीक्षा केंद्र पर पहुंचना होगा। उम्मीदवारों को परीक्षा केंद्र पर अपना एडमिट कार्ड और एक वैध आईडी प्रूफ ले जाना भी आवश्यक है परीक्षा के समापन से पहले किसी भी उम्मीदवार को परीक्षा केंद्र छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए, सभी उम्मीदवारों के लिए हर समय फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा। बोर्ड ने उम्मीदवारों को टीका लगवाने की भी सलाह दी है। परीक्षा हॉल में प्रवेश करने से पहले सभी उम्मीदवारों के लिए एक तापमान जांच आयोजित की जाएगी। निर्धारित तापमान से अधिक तापमान वालों को आइसोलेशन रूम में शिफ्ट किया जाएगा।

ऐसे डाऊनलोड करें CLAT एडमिट कार्ड
◆ आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
◆ एडमिट कार्ड लिंक पर क्लिक करें।
◆ विवरण का उपयोग करके लॉग-इन करें।
◆ एडमिट कार्ड उपलब्ध होगा, डाउनलोड करें और उसका प्रिंटआउट लें।

clat@consortiumofnlus.ac.in

 

शिक्षा मंत्री निशंक ने स्वास्थ्य कारणों के चलते दिया इस्तीफा

देहरादून-   केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
इस बात की पुष्टि रमेश पोखरियाल निशंक के ओएसडी ने की है। बताया जा रहा है कि खराब स्वास्थ्य के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया है। पीएम मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के साथ ही कई मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी भी हो गई। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया हैं। वहीं श्रम व रोजगार मंत्री संतोश गंगवार और देबोश्री चौधरी ने भी केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
प्रधानमंत्री के रूप में मई 2019 में 57 मंत्रियों के साथ अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल व विस्तार करने वाले हैं।

उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा रदद,इंटर मीडिएट बोर्ड की परीक्षाओं को फिलहाल स्थगित किया गया है। एक जून के बाद इस परीक्षा पर विचार किया जाएगा।

उत्तराखंड सरकार ने सीबीएसई की तर्ज पर उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षाओं को रदद करने का निर्णय किया है। एक लाख 48 हजार 355 छात्र-छात्राओं को अब परीक्षा नहीं देनी होगी। वहीं, इंटर मीडिएट बोर्ड की परीक्षाओं को फिलहाल स्थगित किया गया है। एक जून के बाद इस परीक्षा पर विचार किया जाएगा।
रविवार को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा सचिव आर मीनाक्षीसुंदरम को इसके निर्देश दे दिए। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बीते रोज इसके संकेत दे दिए थे। सीएम तीरथ रावत से सहमति मिलने के बाद शिक्षा मंत्री ने बोर्ड परीक्षाओं के बाबत यह निर्णय किया है। सीबीएसई पहले ही हाईस्कूल की परीक्षाएं रद्द और 12 वीं की परीक्षा स्थगित कर चुकी है।

राज्य में चार मई से बोर्ड परीक्षाएं थी, कोरोना महामारी की वजह से इस शैक्षिक सत्र में वैसे भी स्कूल ज्यादा समय के लिए नहीं खुल पाए थे। आनलाइन के जरिए ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार सरकार पहले परीक्षाओं को समय पर कराने के पक्ष में थी, पर राज्य में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ने पर सरकार को अपना इरादा बदलना पड़ा। अब इसके औपचारिक आदेश होने बाकी हैं।

बेहतर अंक के लिए मिलेगा मौका
हाईस्कूल के जिन छात्र-छात्राओं को लगेगा कि वो ज्यादा बेहतर अंक हासिल कर सकते हैं, उन्हें परीक्षा का मौका दिया जाएगा। बकौल पांडे, इंटर की परीक्षा के दौरान हाईस्कूले के ऐसे छात्र-छात्राओं को परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा, ‘हाईस्कूलों के छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रोन्नत किया जाएगा। अंक तय करने का फार्मूला भी तय किया जा रहा है। हाईस्कूल की परीक्षा देने के इच्छुक छात्रों को भविष्य में होने वाली इंटर की परीक्षा के साथ अलग से इम्तहान कराया जाएगा। सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता शिक्षक और छात्रों की जीवन सुरक्षा है। इसलिए यह निर्णय लेना पड़ा है।’उन्होंने कहा कि 10वीं के छात्र जिन्हें लगता है कि बिना परीक्षा के उनका रिजल्ट अच्छा नहीं होगा उन्हें इंटर परीक्षा के साथ ही पेपर देने का मौका दिया जाएगा। एक जून के बाद आगे फैैसला लिया जाएगाा।

CBSE कक्षा 10 वीं की परीक्षा रद्द, 12 वीं की परीक्षाएं स्थगित

माननीय प्रधानमंत्री ने विकासशील क्षेत्रों के मद्देनजर विभिन्न स्तरों पर आयोजित होने वाली परीक्षाओं की समीक्षा के लिए आज एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। केंद्रीय शिक्षा मंत्री, श्री रमेश पोखरियाल निशंक, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, स्कूल और उच्च शिक्षा सचिव और अन्य शीर्ष अधिकारी बैठक में शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि छात्रों की भलाई सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र छात्रों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए, साथ ही उनके शैक्षणिक हितों को नुकसान न पहुंचे।
अगले महीने से होने वाली X और XII बोर्ड परीक्षा का अवलोकन किया गया। CBSE द्वारा आयोजित कक्षा X और XII की बोर्ड परीक्षा 4 मई, 2021 से शुरू होने वाली है। देश में महामारी की स्थिति कई राज्यों में COVID 19 सकारात्मक मामलों का पुनरुत्थान देख रही है, कुछ राज्यों में दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित हुए हैं। । इस स्थिति में, 11 राज्यों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। स्टेट बोर्ड के विपरीत, सीबीएसई में एक अखिल भारतीय चरित्र है, और इसलिए, पूरे देश में एक साथ परीक्षा आयोजित करना आवश्यक है। महामारी और स्कूल बंद होने की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, और छात्रों की सुरक्षा और कल्याण को ध्यान में रखते हुए, यह निम्नानुसार तय किया गया है:
1. कक्षा 12 वीं के लिए बोर्ड परीक्षा 4 मई से 14 जून, 2021 के बीच आयोजित की जाती है। इन परीक्षाओं को उसके बाद आयोजित किया जाएगा। बोर्ड द्वारा 1 जून 2021 को स्थिति की समीक्षा की जाएगी, और विवरण बाद में साझा किया जाएगा। परीक्षाओं की शुरुआत से पहले कम से कम 15 दिनों का नोटिस दिया जाएगा।

2. दसवीं कक्षा के लिए 4 मई से 14 जून तक आयोजित होने वाली बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। कक्षा दसवीं बोर्ड के परिणाम बोर्ड द्वारा विकसित किए जाने वाले एक उद्देश्य मानदंड के आधार पर तैयार किए जाएंगे। कोई भी उम्मीदवार जो इस आधार पर उसे / उसे आवंटित अंकों से संतुष्ट नहीं है, उसे परीक्षा में बैठने के लिए एक अवसर दिया जाएगा, जब वह परीक्षा आयोजित करने के लिए अनुकूल होगा।

उत्तराखंड :- 30 अप्रैल तक बंद रहेंगे सभी स्कूल,देहरादून में नाइट कर्फ्यू। कैबिनेट ने लिए कुछ अहम् फैसले,

राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए कैबिनेट ने राजधानी देहरादून में रात्रि कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। इसके अलावा चकराता व कालसी क्षेत्र को छोड़कर संपूर्ण देहरादून जिला, हरिद्वार जिला, नैनीताल नगर पालिका व हल्द्वानी नगर निगम क्षेत्र में कक्षा एक से 11वीं तक सभी स्कूल 30 अप्रैल तक बंद रखने पर भी कैबिनेट ने मुहर लगाई है। 10वीं व 12वीं की कक्षाओं की आफलाइन पढ़ाई पहले की तरह चलती रहेगी। कैबिनेट ने पिछली त्रिवेंद्र सरकार के गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने के निर्णय को भी स्थगित कर दिया है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक शुक्रवार देर शाम सचिवालय में हुई। इसमें 22 प्रस्तावों पर चर्चा हुई, जबकि दो स्थगित कर दिए गए। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सबसे महत्वपूर्ण निर्णय देहरादून में रात्रि 10 बजे से सुबह पांच बजे तक कर्फ्यू लगाने का लिया गया। देहरादून जिले में पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी आई है। राज्य में सबसे अधिक कोरोना संक्रमण के मामले देहरादून में ही हैं। इसके अलावा हरिद्वार, हल्द्वानी व नैनीताल में भी कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी आई है। इसके दृष्टिगत इन स्थानों में 30 अपै्रल तक स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया गया है।

कैबिनेट के फैसले

गैरसैंण कमिश्नरी के फैसले को स्थगित करने का निर्णय
कोविड-19 के चलते प्रोक्योरमेंट नियमों में छूट छह माह यानी सितंबर माह तक रहेगी जारी
टेंडर के बाद परफारमेंस सिक्योरिटी घटाकर तीन फीसद करने का निर्णय, बिडिंग सिक्योरिटी नहीं ली जाएगी
पीएम स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर को दिए जाने वाले ऋण में स्टांप शुल्क नहीं लिया जाएगा
जानकीचट्टी-यमुनोत्री तक पीपीपी मोड में बनने वाले रोपवे के लिए नए निजी निवेशक का होगा चयन, पुरानी कंपनी के साथ विवाद का समाधान करने पर सहमति
चिटफंड कंपनियों पर सख्ती, उत्तराखंड अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी नियमावली को मंजूरी, चिटफंड कंपनियों के खिलाफ शिकायत पर जांच कर सकेगी सरकार, संपत्ति सीज करने का अधिकार मिला
उत्तराखंड खनिज (अवैध खनन/परिवहन/भंडारण का निवारण) अधिनियम में संशोधन को गठित होगी कैबिनेट सब कमेटी
पूर्व स्वीकृत खनन पट्टों को निर्धारित अवधि तक जारी रखने की अनुमति, पर्वतीय क्षेत्रों में भंडारण को लेकर अन्य कैबिनेट सब कमेटी का गठन
प्रदेश में 2.20 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य, प्रति कुंतल खरीद 20 रुपये बोनस अतिरिक्त देने का निर्णय
मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना के तहत दो बेटियां होने पर माता व बच्चियों को मिलेगी मुफ्त किट

उत्तराखंड में स्कूल कुछ समय के लिए फिर हो सकते हैं बंद,रात्रिकालीन कर्फ्यू पर भी विचार

कोरोना संक्रमण बढ़ता देख सरकार एक बार फिर स्कूलों को कुछ समय के लिए बंद करने पर विचार कर रही है। शिक्षा विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है जो शुक्रवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों ने इसकी पुष्टि की।  सूत्रों के अनुसार, शिक्षा विभाग ने बोर्ड कक्षाओं को छोड़ बाकी कक्षाएं कुछ समय को बंद करने की सिफारिश की है। विभाग का मानना है कि बोर्ड परीक्षा होने से 10वीं और 12 वीं कक्षाएं को जारी रखना छात्रहित में उचित होगा।  साथ ही उम्र में बड़े होने से बोर्ड के छात्रों से कोरोना के मानकों का पालन आसानी से कराया जा सकता है।

रात्रिकालीन कर्फ्यू पर भी सरकार गंभीर: सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि कोरोना के चलते रात्रिकालीन कर्फ्यू पर भी विचार है। कुछ राज्यों ने कोरोना काबू करने को नाइट कर्फ्यू का प्रयोग लागू भी किया है। स्कूलों पर उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी पहलुओं का लगातार अध्ययन किया जा रहा है। जनहित में जो भी उचित होगा, सरकार वही निर्णय करेगी।उत्तराखंड में गुरुवार को कोरोना के 787 नए मरीज मिले और तीन संक्रमितों की मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में कुल मरीजों की संख्या 105498 हो गई है। जबकि मरने वालों का आंकड़ा 1744 पहुंच गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार गुरुवार को देहरादून में 239, हरिद्वार में 277, अल्मोड़ा में 16, बागेश्वर में छह, चमोली में दस, चम्पावत में एक, नैनीताल में 132, पौड़ी में आठ, पिथौरागढ़ में छह, रुद्रप्रयाग में 12, टिहरी में 39, यूएस नगर में 34 और उत्तरकाशी में सात नए संक्रमित मरीज मिले हैं।

टीकाकरण का रिकार्ड, एक ही दिन में एक लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण
देहरादून। 
राज्य में कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही टीकाकरण कराने वालों की संख्या में अप्रत्याशित बढोत्तरी हो गई है। गुरुवार को टीकाकरण के पुराने सभी रिकार्ड ध्वस्त हो गए और रिकार्ड एक लाख से अधिक लोगों ने कोरोना से बचाव के लिए टीका लगाया। ंस्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार गुरुवार को राज्य भर में बनाए गए 718 टीकाकरण बूथों पर कुल 107658 लोगों को टीके लगाए गए। 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से यह पहली बार है जब राज्य में एक ही दिन में एक लाख से अधिक लोगों को कोरोना के टीके लगाए गए हैं। इसके साथ ही राज्य में टीके की एक डोज लगाने वालों की संख्या एक लाख 66 हजार के पार पहुंच गई है। जबकि एक डोज लगाने वालों का आंकड़ा 10 लाख को पार कर गया है। राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ कुलदीप सिंह मार्तोलिया ने बताया कि टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाई जा रही है ताकि कम से कम समय में राज्य की ज्यादा से ज्यादा आबादी को कवर किया जा सके।

उत्तराखंड : उत्तराखंड में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) रुड़की बना नया हॉटस्पॉट, 80 छात्रों को हुआ कोरोना

उत्तराखंड में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। उत्तराखंड में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) रूड़की के 80 छात्र कोरोना की चपेट में आ चुके हैं जिसके बाद पांच हॉस्टल को सील कर दिया गया है और इन्हें कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है।
आईआईटी रूड़की की मीडिया सेल प्रभारी सोनिका श्रीवास्तव ने बताया कि एक हॉस्टल को कोविद केयर सेंटर में बदल दिया है। वहीं, आईआईटी रुड़की प्रशासन ने छात्रों को अपने कमरों में ही खुद को आइसोलेट करने के लिए निर्देश दिया है। आपको बता दें कि मंगलवार तक 60 छात्रों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। फिर बुधवार को संस्थान में हरिद्वार जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित आरटी-पीसीआर टेस्ट में 20 और छात्रों कोरोना पॉजिटिव पाए गए।

सोनिका श्रीवास्तव ने बताया कि इंस्टीट्यूट में 80 कोरोना पॉजिटिव छात्रों पाए जाने के बाद हरिद्वार जिला स्वास्थ्य विभाग ने कॉटले, कस्तूरबा, सरोजिनी, गोविंद भवन और विज्ञान कुंज नाम के पांच हॉस्टल को सील कर दिया है और इन्हें कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है। उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट में 3000 छात्र हैं जिसमें से लगभग 1200 छात्र इन 5 हॉस्टल में रहते हैं।

सोनिका ने आगे बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में गंगा भवन हॉस्टल को कोविड केयर सेंटर के रूप में बदल दिया है जहां, संक्रमित छात्रों का इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा, एक गेस्ट हाउस और एक अन्य प्रतिष्ठान को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है।वहीं, हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके झा ने बताया कि हमने संक्रमण का पता लगाने के बाद इंस्टीट्यूट से लगभग 2000 छात्रों और कर्मचारियों के आरटी-पीसीआर नमूने लिए थे। मंगलवार तक, 60 छात्रों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और फिर बुधवार को 20 और छात्रों की रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण पाया गया।

राज्य गठन के बीस वर्ष बीतने के बाद भी राज्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से वंचित क्यों?

उत्तर प्रदेश से अलग होकर पृथक प्रदेश के रूप में उत्तराखंड का गठन हुए 20 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। उत्तराखंड को राज्य घोषित करने के लिए व्यापक आंदोलन चलाया गया क्योंकि पहाड़ की जनता उत्तर प्रदेश मैं खुद को उपेक्षित महसूस कर रही थी। अपने सपनों के उत्तराखंड की मांग को लेकर जनान्दोलन चलाया गया और शहादत भी दी गई परंतु आज 20 वर्ष बाद यहां की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। राज्य गठन के बाद पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को लगता था छोटा राज्य होने के कारण इसका समुचित विकास होगा लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया। 20 वर्ष बाद भी एक नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना तक नहीं हो पाई जिसके कारण विधि की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों का रुख करना पड़ रहा है जिससे इस राज्य के विद्यार्थियों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उक्त संबंध में वर्ष 2011 में उत्तराखंड विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का गठन करने की घोषणा की गई।उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भवाली में उत्तराखंड विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया परंतु यह केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया और धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ।उक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में सन 2014 में दो जनहित याचिका प्रस्तुत की गई जिसमें उत्तराखंड में विधि विश्वविद्यालय के गठन  सम्बंधी समुचित आदेश पारित करने का निवेदन किया गया परंतु कुछ नहीं हुआ।तदोपरान्त सन् 2018 में राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 3(4) मैं संशोधन किया गया जिसके अनुसार उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का मुख्यालय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों के चयन के बाद सुनिश्चित करने का निर्णय किया गया। उक्त संबंध में दिनांक 13-04-2018 को राज्य के आफिसियक गजट में उक्त संशोधन को घोषित किया गया उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 के 7 वर्ष के बाद भी राज्य सरकार द्वारा मुख्यालय के लिए स्थल चयन का कार्य नहीं पूर्ण हो सका। इन परिस्थितियों के मध्य नजर माननीय उच्च न्यायालय ने 2014 में दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिनांक 19-06-2018 को निम्न आदेश पारित किए गये-

  1. यह कि राज्य सरकार उक्त आदेश के 3 महीने के अन्दर राज्य विधि विश्वविद्यालय प्रारंभ करें।
  2. यह कि राज्य सरकार को निर्देश दिए गए कि वह उक्त विश्वविद्यालय किसी सरकारी बिल्डिंग में या किसी प्राइवेट भवन में समुचित किराए पर लेकर भी विश्वविद्यालय प्रारंभ कर सकता है।
  3. यह कि राज्य सरकार तराई क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए उधम सिंह नगर या अन्य तराई क्षेत्र में 1800 एकड़ भूमि का चयन करके निर्माण कार्य प्रारंभ करें।
  4. कि उक्त विश्वविद्यालय में सितंबर 2018 से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ कर दिया जाए और इसके लिए आवश्यक अनुमति यों को बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया शीघ्राति शीघ्र प्राप्त कर लिया जाए।
  5. यह के आदेश की तिथि के 1 महीने के अंदर विश्वविद्यालय अधिनियम का विनियमन तैयार करें क्योंकि अभी तक उक्त अधिनियम हेतु आवश्यक विनियमन तक नहीं पारित किए गए हैं इसके लिए 1 महीने की समय सीमा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई।

इसके अतिरिक्त यह भी निर्देश दिए गए कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अधीन सभी नियुक्तियां जिसमें शैक्षणिक और प्रशासनिक शामिल हैं आदेश के 3 महीने के अंदर पूरी कर ली जाये।परंतु दुर्भाग्यवश 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक उक्त संबंध में कोई समुचित कार्यवाही नहीं की गई हालांकि माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा दिनांक 13-02-2019 को एक अधिसूचना जारी करते हुए यह कहा कि उत्तराखंड के देहरादून जिले में रानी पोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का मुख्यालय बनाया जाए।

माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन न करने के कारण माननीय उच्च न्यायालय में सन 2019 को न्यायालय की अवमानना के बाद दायर किया गया जिस के परीक्षण के बाद न्यायालय ने यह स्थापित किया कि 19-06-2018 को पारित आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया मात्र 13-02-2018 को माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा अधिसूचना जारी कर दिया गया लेकिन कोई कार्य नहीं किया गया।

उक्त अवमानना  याचिका के विरुद्ध में राज्य सरकार सुप्रीम न्यायलय में समीक्षा याचिका दायर की जिसके परीक्षण के उपरान्त सर्वोंच्च न्यायलय ने उच्च न्यायलय नैनीताल के आदेश पर स्थगनादेश पारित किया।

किसी भी राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य में मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें। जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा और आजीविका अनिवार्य क्षेत्र हैं परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा इस नवगठित राज्य में होता नहीं दिख रहा है।शिक्षा के क्षेत्र में यह राज्य पिछड़ता चला जा रहा है अन्य राज्यों से तुलना करें तो उत्तराखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एक्ट 2011 में विधानसभा में पारित किया गया तब से अन्य राज्यों में 9 एन एल यू स्थापित किए जा चुके हैं जिनमें नव गठित राज्य छत्तीसगढ़ झारखंड और हिमाचल अपने राज्य में इसकी स्थापना कर चुके हैं।

 

किसी भी राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना कितनी महत्वपूर्ण है इसका वर्णन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय अधिनियम में किया गया है।

  1. राष्ट्रीय विकास के लिए कानून कानूनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए।

2.सामाजिक परिवर्तन के लिए एक माध्यम के रूप में कानूनी प्रक्रिया बनाने के लिए कानून के ज्ञान को प्रोत्साहित करना।

  1. विधिक क्षेत्र में सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए एक भावना विकसित करने और कानूनी क्षेत्र में छात्रों और शोधों को अमल में लाने के लिए विधिक कौशल को विकसित करना।

इन उद्देश्यों को विकसित करने में उत्तराखंड की सरकार विफल रही है जनहित की अपेक्षा करके केवल अपने हितों की पूर्ति मैं संलग्न होने की राजनेताओं की प्रवृत्ति इस राज्य के विकास की सबसे बड़ी बाधा है।

राज्य में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसके गठन से इस राज्य के विद्यार्थियों को अपने राज्य के विश्वविद्यालय में आरक्षण मिलता है इसके अतिरिक्त गुणवत्ता पूर्व कानूनी शिक्षा मिलने से यहां के युवाओं को रोजगार के अतिरिक्त सरकार समाज और कंपनियों के लिए भी सक्षम नेतृत्व प्रदान करने का अवसर मिलेगा जो इस दुर्गम और पिछड़े प्रदेश के लिए प्राथमिकता समझा जाना चाहिए परंतु इस क्षेत्र में इस संबंध में सार्थक पहल अभी तक इंतजार है।

क्लैट के लिए आवेदन की तिथि को बढ़ाया गया है। अब 30 अप्रैल तक आवेदन कर सकते है।

कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज ने कॉमन लॉ ऐडमिशन टेस्ट-2021 (क्लैट) आवेदन तिथि बढ़ा दी गई है। लॉ में करियर बनाने के इच्छुक छात्र, छात्राएं 30 अप्रैल तक रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इससे पहले आवेदन की अंतिम तिथि 31 मार्च थी। परीक्षा 13 जून को आयोजित की जाएगी। यह परीक्षा देश के 22 राष्ट्रीय विधि विवि में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती। यूजी कोर्स में दाखिले के लिए सामान्य व अन्य पिछड़ा वर्ग छात्रों के लिए 45 फीसदी और अनुसूचित जाति व जनजाति छात्रों के लिए 40 फीसदी अंको‌ के साथ 12वीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इस दफा 12वीं की परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं भी आवेदन कर सकते हैं। एलएलएम पाठ्यक्रम दाखिले के लिए 50 फीसद अंकों के साथ एलएलबी होना चाहिए। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 45 फीसद अंक बाध्यता है। लॉ प्रेप दून के निर्देशक (एकेडमिक) दिशा उपाध्याय ने बताया कि पूर्व में क्लैट ऑनलाइन कराया जाता था। ऑनलाइन में होने वाली तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए परीक्षा ऑफलाइन मोड पर होने लगी है।पिछले साल कोरोनावायरस के कारण परीक्षा ऑनलाइन कराई गई। इस बार फिर परीक्षा ऑफलाइन कराने का फैसला लिया गया है। हालांकि कोरोनावायरस के मामलों को देखते हुए इसमें बदलाव भी किया जा सकता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक उद्देश्य भारत को 21वीं सदी में वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाना है और एनआईटी राउरकेला जैसे संस्थानों को इस राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगीः राष्ट्रपति कोविंद राष्ट्रपति ने एनआईटी राउरकेला के 18वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में शिरकत की

भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक उद्देश्य भारत को 21वीं सदी में वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाना है और एनआईटी राउरकेला जैसे संस्थानों को इस राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। वह ओडिशा के राउरकेला में आज (21 मार्च, 2021) एनआईटी राउरकेला के 18वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वी भारत में सरकार द्वारा संचालित दूसरे सबसे बड़े प्रौद्योगिकी संस्थान, एनआईटी राउरकेला ने इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। छह दशकों से ज्यादा समय से यह संस्थान देश में तकनीकी पेशेवरों के समूह को समृद्ध कर रहा है।

राष्ट्रपति ने इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि एनआईटी राउरकेला में पूरे देश और अन्य देशों के छात्र भी हैं, कहा कि इस 700 एकड़ के कैम्पस में पढ़ रहे 7000 से अधिक छात्रों का समुदाय समृद्ध विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। यह सीखने की प्रक्रिया को समृद्ध करता है और विभिन्न संस्कृतियों के बीच तालमेल को प्रोत्साहित करता है। यह राष्ट्रों के बीच लोगों से लोगों के संबंधों को भी मजबूत करता है।

तकनीकी शिक्षा में महिलाओं की कम भागीदारी के मुद्दे को उठाते हुए राष्ट्रपति ने बताया कि पूरे देश के जिन दीक्षांत समारोह में वह शामिल हुए हैं, उनमें से ज्यादातर में देखा कि छात्राएं छात्रों को लिबरल आर्ट्स, मानविकी, चिकित्सा विज्ञान, विधि और अन्य क्षेत्रों में पछाड़ रही हैं। फिर भी यह पाया गया कि प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक विषयों में महिलाओं का नामांकन कम है। एक हालिया सर्वे के मुताबिक, पूरे देश के इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में महिलाओं का नामांकन केवल 20 प्रतिशत है। उन्होंने जोर दिया कि लड़कियों को तकनीकी शिक्षा और उसमें विशिष्टता ग्रहण करने के लिए उसी तरह प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जैसे कि अन्य क्षेत्रों में वह कर रही हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की प्रगति और उत्कृष्टता राष्ट्रीय विकास में एक नया आयाम जोड़ेगी। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च स्तरों पर लैंगिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करेगी। यह महिलाओं को 21वीं सदी की दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक में मौजूदा बाधाओं से पार पाने में मदद करेगा।

“कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व” की तर्ज पर “विश्वविद्यालय के सामाजिक दायित्व” की आवश्यकता पर बात करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों और संस्थानों को अपने आसपास के समुदाय को सशक्त करने में योगदान अवश्य देना चाहिए। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि एनआईटी राउरकेला ने ‘उन्नत भारत अभियान’ के हिस्से के रूप में पांच गांवों को गोद लिया है और उन गांवों में कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ विज्ञान प्रयोगशालाओं को भी अपग्रेड कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस कैम्पस में स्थित पवार्टी एलिवेशन रिसर्च सेंटर, ओडिशा के कालाहांडी, बालांगिर और कोरापुट क्षेत्र के कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए काम कर रहा है। उन्होंने इन सराहनीय पहलों के लिए एनआईटी राउरकेला की प्रशंसा की।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वन का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नीति में परिकल्पना की गई है कि इंजीनियरिंग संस्थानों को मानविकी और कला पर जोर देने के साथ समग्र और बहुविषयक शिक्षा की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआईटी राउरकेला कुछ हद तक इस दृष्टिकोण को अपना चुका है। उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि यह संस्थान इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अन्य प्रमुख विशेषताओं को लागू करने के लिए भी काम करेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक उद्देश्य भारत को 21वीं सदी में वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाना है और एनआईटी राउरकेला जैसे संस्थानों को इस राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।