हरिद्वार आज सुबह सिडकुल स्थित रैपिड फैक्टरी में शार्ट सर्किट होने के कारण लगी आग

हरिद्वार :- सिडकुल में रैपिड फैक्‍टरी में गुरुवार सुबह शार्ट सर्किट के कारण भीषण आग लग गई। कंपनी में काम कर रहे कई कामगारों ने भागकर अपनी जान बचाई। कंपनी प्लास्टिक का दाना बनाती है। आग इतनी भीषण थी कि दमकल एक घंटे के प्रयास के बाद भी आग पर काबू नहीं पा सकी है। आग लगने की सूचना से आसपास के क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह सिडकुल स्थित रैपिड फैक्टरी में शार्ट सर्किट होने के कारण आग लग गई। आग इतनी भयंकर है कि जिसे देखकर आसपास के लोग दहशत में आ गए। अग्निशमन की चार गाड़ियां आग पर काबू पाने का प्रयास कर रही हैं पर अब तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका है।

सर्वोच्च न्यायलय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा लड़कियों को भी मिले राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज की प्रवेश परीक्षा देने का मौका

सर्वोच्च न्यायलय ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि दिसंबर में होने वाली राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (RIMC) की प्रवेश परीक्षा में लड़कियों को बैठने की भी अनुमति दी जाए और इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।सर्वोच्च न्यायलय ने गुरुवार को केंद्र सरकार को दिसंबर में होने वाले राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज (RIMC) में प्रवेश के लिए लड़कियों को प्रवेश परीक्षा देने की अनुमति देने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया। सर्वोच्च न्यायलय के पहले के निर्देश के बाद, सशस्त्र बलों ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिला उम्मीदवारों को अनुमति देने का निर्णय लिया है। केंद्र ने इस बारे में बुधवार को शीर्ष अदालत को सूचित किया। इस बीच, केंद्र ने बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से इस साल प्रवेश प्रक्रिया में महिलाओं के प्रवेश में छूट देने का अनुरोध किया।

केंद्र ने सर्वोच्च न्यायलय को बताया कि सेना, वायुसेना और नौसेना प्रमुखों ने एनडीए, नौसेना अकादमियों में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि एनडीए में लड़कियों को प्रवेश दिया जाएगा। वहीं सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि, ‘हमें उम्मीद है कि रक्षा बल महिलाओं की महत्वूपूर्ण भूमिका को महत्व देंगे। हम चाहते हैं कि वे अदालतों के हस्तक्षेप के बजाय लिंग आधारित भूमिकाओं में सक्रिय रुख अपनाएं।’ इससे पहले शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि नीतिगत निर्णय लैंगिक भेदभाव पर आधारित हैं।

बता दें कि इसको लेकर सर्वोच्च न्यायलय में एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि योग्य महिला उम्मीदवारों को उनके लिंग के आधार पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने के अवसर से वंचित कर दिया गया है, जो बाद में महिला अधिकारियों के लिए कैरियर में उन्नति के अवसरों में बाधा बन जाती है, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि उम्मीदवारों का चयन आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा, जिसके बाद लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले उम्मीदवारों का सेवा चयन बोर्ड द्वारा बुद्धि और व्यक्तित्व परीक्षण किया जाएगा। बता दें कि राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कालेज की प्रवेश परीक्षा दो विषयों – गणित और सामान्य योग्यता परीक्षा पर आधारित होगी। दोनों पेपर ढाई घंटे के होंगे। गणित का पेपर 300 अंकों का होगा और सामान्य योग्यता परीक्षा 600 अंकों की होगी।

देहरादून में सड़कों पर उतरे विभिन्न संगठनों के कर्मचारियों ने निकाली महारैली, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता की मांग 

देहरादून :- उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों की 18 सूत्री मांगों को लेकर बनाए साझा मंच उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने सचिवालय कूच किया।18 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति की ओर से आज मंगलवार को राजधानी में रैली निकाली । रैली में प्रदेशभर से समिति के सदस्य और विभिन्न संगठनों के सदस्य शामिल हुए। इस दौरान पुलिस ने उन्हें सैंट जोजफ्स के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। कर्मचारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता की मांग कर रहे हैं। इस महारैली के लिए ज्यादातर विभागों और निगमों से जुड़े कर्मचारी प्रदेशभर से दून पहुंचे। इसमें कलक्ट्रेट, तहसील, जल संस्थान, आरटीओ, विकास भवन, पेयजल निगम, उद्यान, पशुपालन, कृषि विभाग और रोडवेज आदि के कर्मचारी शामिल हुए हैं।

सचिवालय कूच के दौरान बड़ी संख्या में पहुंचे कर्मचारियों को पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इस दौरान कर्मचारी वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गए।  कर्मचारियोंने सीएम से मिलने का समय मांगा है। उनका कहना है कि जब तक उन्हें समय नहीं मिलेगा तब तक वे धरने से नही उठेंगे। वहीं, कर्मचारियों की पुलिस के साथ तीखी झड़प भी हुई। करीब दो घंटे तक प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के पीआरओ राजेश सेठी से कर्मचारियों की वार्ता हुई। उन्होंने मुख्यमंत्री से बातचीत की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के दौरे के बाद वार्ता का आश्वासन दिया है। इसके बाद कर्मचारी धरने से उठे।

पहले चरण में सभी सरकारी दफ्तरों में गेट मीटिंग की गई। इस दौरान समिति के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से वार्ता भी की, लेकिन उचित भरोसा दिए जाने के बावजूद शासन ने समिति की मांगों पर गौर नहीं किया। दूसरे चरण में समिति ने सभी जिलों में धरना-प्रदर्शन किया व तीसरे चरण में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और कर्मचारियों के बीच एक अक्टूबर को वार्ता हुई। वार्ता में सकारात्मक हल नहीं निकलने पर समिति ने अपनी पूर्व प्रस्तावित महारैली को यथावत रखते हुए मंगलवार को सरकार के खिलाफ सचिवालय पर प्रदर्शन की बात कही है। प्रदेश स्तरीय हुंकार महारैली के बाद समिति बेमियादी हड़ताल करने का ऐलान भी कर सकती है।कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कार्मिकों की मांगों को पूरा करने की बात उठती है तो वित्त विभाग सदैव आर्थिक स्थिति का रोना रो देता है। बात यदि एसीपी की करें तो उसे लागू करने का व्यय वित्त विभाग उम्मीद से अधिक बढ़ाकर बता रहा, जबकि एसीपी से लाभ सिर्फ पदोन्नति से वंचित कार्मिक को ही मिलना है। इनकी संख्या बेहद कम है। समिति के प्रवक्ता अरुण पांडेय ने कहा कि सरकार या तो फैसला ले या फिर बेमियादी हड़ताल के लिए तैयार रहे।

समिति के प्रवक्ता अरुण पांडेय और प्रताप सिंह पंवार ने बताया कि हुंकार रैली के लिए सभी कर्मचारी परेड ग्राउंड में एकत्र हुए। यहां से तिब्बती बाजार, लैंसडौन चौक, कनक चौक होते हुए सचिवालय कूच किया।प्रताप सिंह पंवार ने बताया कि उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन, उत्तराखंड राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तरांचल फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन, उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ, उत्तराखंड राजकीय वाहन चालक महासंघ, वैयक्तिक अधिकारी कर्मचारी संघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट संघ, सिंचाई विभाग कर्मचारी महासंघ, निगम कर्मचारी महासंघ, रोडवेज संयुक्त कर्मचारी परिषद, फेडरेशन ड्राइंग इंजीनियर संघ सहित कई महासंघ उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के साथ आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं।

 

औद्योगिक विकास मंत्री गणेश जोशी ने हिमाद्रि इंपोरियम के नए शोरूम का उद्घाटन किया, हस्तशिल्प के प्रचार को खासी गंभीर राज्य सरकार

देहरादून:- औद्योगिक विकास मंत्री गणेश जोशी ने कहा राज्य सरकार , उत्तराखंड की पारंपरिक हस्तशिल्प कला के प्रचार-प्रसार को लेकर खासी गंभीर है। इसके लिए राज्य में शिल्प रत्न अवार्ड हर वर्ष चार हस्तशिल्पियों को यह अवार्ड दिया जाता रहा है। अब हर वर्ष 11 हस्तशिल्पियों को शिल्प रत्न अवार्ड प्रदान किया जाएगा। । यह अवार्ड राज्य की पारंपरिक हस्तशिल्प कला को जीवित रखने और उसके उत्थान के लिए प्रयत्नशील हस्तशिल्पियों को राज्य सरकार की तरफ से दिया जाता है।

गणेश जोशी ने सोमवार को पटेलनगर औद्योगिक क्षेत्र स्थित उद्योग निदेशालय परिसर में बने हिमाद्रि इंपोरियम के नए शोरूम का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति ही नहीं लोक कला भी गौरवमयी है। हस्तशिल्पी धातु, लकड़ी व भेड़ की ऊन से आकर्षक व सजावटी सामान तैयार करते हैं। इस तरह ये हस्तशिल्पी न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि राज्य की लोक कला को भी जीवित रखे हैं। हिमाद्रि की तरफ से इनको प्रोत्साहित किया जा रहा है। हिमाद्रि के आकर्षक पहाड़ी उत्पादों को प्रदेश के सभी होटल के स्वागत कक्ष में सुंदरीकरण के लिए इस्तेमाल करने की योजना उद्योग विभाग और सिडकुल को बनानी होगी। जिससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इन आकर्षक पहाड़ी उत्पाद से परिचित हो सकें। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि हिमाद्रि इंपोरियम में रखे जाने वाले उत्पादों की सूची तैयार करें। साथ ही बाहरी राज्यों के स्थानीय उत्पादों से उनकी तुलनात्मक रेट लिस्ट जारी करें।

धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने सुझाव दिया कि उद्योग विभाग पहाड़ी उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए अलग निर्यात डिविजन बनाए। उन्होंने कहा कि बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए हमें हिमाद्रि के उत्पादों के लिए बड़े स्तर पर मार्केटिंग करनी होगी। बुनकरों को कच्चे माल में सरकार के स्तर से रियायत देने का भी सुझाव दिया।इस मौके पर उद्योग सचिव राधिका झा, सिडकुल के महानिदेशक रोहित मीणा, उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता आदि मौजूद रहे।

NDA में शामिल होने के लिए सरकार ने महिलाओं को शामिल करने की अनुमति देने का फैसला किया, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) परीक्षा में लड़कियों को शामिल करने का बड़ा ऐलान किया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy, NDA) में लड़कियों को भी शामिल करने का फैसला किया है।

केंद्र ने कहा कि NDA में लड़कियों को शामिल करने की अनुमति देने का फैसला कल (मंगलवार) लिया गया है। केंद्र का कहना है कि तीन सेना प्रमुखों से सलाह मशविरा करने के बाद यह फैसला लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूरी प्रक्रिया और टाइम लाइन देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे उम्मीद है कि रक्षा बल उस महत्वपूर्ण भूमिका को महत्व देंगे जो महिलाएं निभा रही हैं। मामले पर 22 सितंबर को फिर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए 18 अगस्त को पात्र महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश के लिए पांच सितंबर को होने वाली परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी थी। साथ ही न्यायालय ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को इस आदेश के मद्देनजर एक उपयुक्त अधिसूचना जारी करने और इसका उचित प्रचार करने का भी निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने, हालांकि कहा था कि परीक्षा का परिणाम याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कुश कालरा की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया था। इस याचिका में संबंधित अधिकारियों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा में योग्य महिला उम्मीदवारों को शामिल होने और एनडीए में ट्रेनिंग की अनुमति देने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को एक याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा था, जिसमें योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने से केवल लैंगिक आधार पर बाहर करने का मुद्दा उठाया गया था। याचिका में कहा गया था कि यह समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र, यूपीएससी और अन्य को नोटिस जारी कर उस याचिका पर जवाब मांगा था, जिसमें कहा गया था कि पात्र महिला उम्मीदवारों को एनडीए में प्रवेश करने से स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया है और यह केवल उनके लैंगिक आधार पर किया गया है।

चयन आयोग की विश्वसनीयता पर आंच, बेरोजगार संघ कह रहा की ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया हेतु चयनित कंपनी ब्लैक लिस्टेड है, सरकार कराए जांच- मोर्चा

प्रदेश में बेरोजगारों के साथ इस तरह के विरोधाभास के चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई है तथा बेरोजगारों में अपने भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है |

चयन आयोग कह रहा सब कुछ है ठीक ! बेरोजगारों की शंका दूर कर उनके रोजगार संबंधी मार्ग प्रशस्त करने का काम करे शीघ्र करे सरकार |

जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि कुछ दिनों से बेरोजगार संघ अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की कार्यप्रणाली एवं उसके द्वारा ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया हेतु चयनित कंपनी को लेकर विवाद चल रहा है, जो कि अपने आप में बहुत कुछ बयान कर रहा है | कहीं ऐसा तो नहीं कि भर्ती करने वाली कंपनी एवं चयन आयोग की जुगलबंदी युवा बेरोजगारों को छलने का काम तो नहीं कर रही | नेगी ने कहा कि एक तरफ बेरोजगार संघ कह रहा है कि भर्ती करने वाली कंपनी ब्लैक लिस्टेड है तथा दूसरी ओर चयन आयोग के सचिव का कहना है कि पूरी पारदर्शिता के साथ भर्ती प्रक्रिया संपन्न कराई जा रही है तथा कंपनी कहीं भी ब्लैक लिस्टेड नहीं है | नेगी ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारों के साथ इस तरह के विरोधाभास के चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई है तथा बेरोजगारों में अपने भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है | मोर्चा सरकार से मांग करता है कि उक्त मामले में शीघ्र ही बेरोजगारों की शंका दूर कर उनके रोजगार संबंधी मार्ग प्रशस्त करने का काम करे |

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने निवेशकों को निवेश करने से पहले निधि कंपनियों की स्थिति का सत्यापन करने की सलाह दी

संशोधित कंपनी अधिनियम 2013 और निधि नियमावली 2014 के तहत कंपनियों को फॉर्म एनडीएच-4 में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) को आवेदन करते हुए स्वयं को अपडेट (वे कंपनियां जिन्हें पहले कंपनी अधिनियम 1956 के तहत निधि कंपनी के रूप में घोषित किया गया था) करने या निधि कंपनी (वे कंपनियां जिन्हें 01-04-2014 के बाद निधि कंपनी के रूप में निगमित किया गया था) के रूप में घोषित करने की जरूरत है। फॉर्म एनडीएच-4 में आवेदनों की जांच करते हुए यह देखा गया है कि ये कंपनियां नियमों के प्रावधानों का ठीक तरह अनुपालन नहीं कर रही हैं। इस कारण अपनी घोषणा के संबंध में कंपनियों द्वारा प्रस्तुत किए गए आवेदनों को रद्द कर दिया गया है क्योंकि ये कंपनियां निधि कंपनी के रूप में घोषित होने के योग्य नहीं पाई गई हैं।

निवेशकों को यह सलाह दी जाती है कि वे ऐसी कंपनियों का सदस्य बनने और अपनी मेहनत की कमाई का निवेश करने से पूर्व, विशेष रूप से केन्द्र सरकार द्वारा निधि कंपनी के रूप में उनकी स्थिति की घोषणा के साथ-साथ उनके पूर्ववृतों / स्थिति का अच्छी तरह सत्यापन कर लें।