छह मई को केदारनाथ आ सकते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा संचालन की व्यवस्था पर उठाए सवाल

प्रधानमंत्री मोदी इस बार भी छह मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर यहां आ सकते हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री धामी के केदारनाथ के प्रस्तावित दौरे और वहां यात्रा की तैयारियों का जायजा लिए जाने के कार्यक्रम को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। यही नहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर भी सोमवार को केदारनाथ जा सकते हैं।

शासन में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अभी तक प्रधानमंत्री का कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं मिला है, लेकिन यदि वह आते हैं तो शासन-प्रशासन की ओर से तैयारियां पूरी हैं।

चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा संचालन की व्यवस्था पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने खुद सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि हेली सेवा से जाने वाले तीर्थ यात्रियों के साथ क्या होता है, सबको पता है। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि हेली सेवा में टिकटों की ब्लैक मेलिंग पर निगरानी रखी जाए। साथ ही हेलीपैड पर यात्रियों को किसी तरह की असुविधा या ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं तो इसके लिए शिकायत नंबर जारी किए जाएं।

सचिवालय में चारधाम यात्रियों की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक में पर्यटन मंत्री ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं और उनके साथ अच्छा व्यवहार का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण(यूकाडा) के अधिकारियों से केदारनाथ हेली सेवा संचालन के बारे में जानकारी ली। 6 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं, लेकिन अभी तक हेली सेवा के पायलटों का वैरिफिकेशन नहीं हुआ है।

इस पर महाराज ने नाराजगी जताई। बैठक में गढ़वाल मंडल विकास निगम की प्रबंध निदेशक स्वाति एस भदौरिया ने अवगत कराया कि 20 मई तक केदारनाथ हेली सेवा की बुकिंग फुल हो चुकी है। इसके बाद 21 मई से पांच जून तक के लिए हेली सेवा की बुकिंग जल्द शुरू की जाएगी।

चारधाम यात्रा के लिए एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कराया ऑनलाइन पंजीकरण, केदारनाथ धाम के लिए सबसे अधिक पंजीकरण 

उत्तराखण्ड स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ चारों धामों सहित सिक्खों के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराने वाले श्रद्धालुओं की संख्या नित्य प्रति बढ़ती जा रही है।

प्रदेश में तीन मई से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण ने रफ्तार पकड़ ली है। अब तक एक लाख से अधिक तीर्थयात्री ऑनलाइन पंजीकरण करा चुके हैं। इसमें केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए सबसे अधिक यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। इस बार चारधाम यात्रा में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों के आने की उम्मीद है।

विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 03 मई को, केदारनाथ धाम के कपाट 06 मई और बदरीनाथ धाम के कपाट 08 मई को खोले जाएंगे। पर्यटन विभाग ने इस बार चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण की व्यवस्था अनिवार्य की दी है।

बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा करने के लिए तीर्थयात्री और श्रद्धालु पर्यटन विभाग की वेबसाइट registrationtouristcare.uk.gov.in पर आनलाइन पंजीकरण कर रहे हैं। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस बार पंजीकरण के साथ ही यात्रियों को क्यूआर कोड जारी किया जा रहा है। इससे न केवल यह पता लग सकेगा कि पंजीकरण करने वाले यात्री ने दर्शन किए हैं या नहीं। बल्कि तीर्थयात्रियों और उनके वाहनों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। क्यूआर कोड यात्रियों को दिये जाने वाले रिस्ट बैंड में रहेगा, जिसे प्रत्येक धाम में स्कैन किया जाएगा। इससे पर्यटन विभाग को यह पता रहेगा कि कौन सा यात्री कहां पर है। जब से प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की है तब से तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हर दिन पंजीकरण करने वालों की संख्या बढ़ रही है।

राज्य के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि 03 मई से 31 मई तक के लिए श्री यमुनोत्री धाम के लिए 15829, श्री गंगोत्री धाम के लिए 16804, श्री केदारनाथ धाम के लिए 41107 और श्री बद्रीनाथ – 29488 समेत 102508 तीर्थयात्री पंजीकरण कर चुके हैं।

उन्होंने बताया कि कोरोना से सामान्य होती स्थिति के बाद इस बार बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है। पहली बार तीर्थयात्रियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से पंजीकरण और सत्यापन की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है।

उन्होंने बताया कि पंजीकरण कराने वाले तीर्थयात्रियों के डेटा को संबंधित जिले के जिलाधिकारी और एसएसपी के साथ साझा किया जा रहा है। इससे स्थानीय प्रशासन को इस बात की जानकारी रहेगी कि किस दिन कितने तीर्थयात्री वहां पहुंच रहे हैं। इससे उन्हें स्थानीय स्तर पर व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी और तीर्थयात्री भी बिना किसी परेशानी के मंदिरों में दर्शन कर सकेंगे।

क्यूआर कोड दिए जाने के फायदे

यात्रियों को क्यूआर कोड जारी होने  से न केवल यह पता लग सकेगा कि पंजीकरण करने वाले यात्री ने दर्शन किए हैं या नहीं, बल्कि तीर्थयात्रियों और उनके वाहनों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। क्यूआर कोड यात्रियों को दिए जाने वाले रिस्ट बैंड में रहेगा। जिसे प्रत्येक धाम में स्कैन किया जाएगा। इससे पर्यटन विभाग को यह पता रहेगा कि कौन सा यात्री कहां पर है। पर्यटन विभाग के अनुसार चारधाम यात्रा में तीन से 31 मई तक के लिए एक लाख से अधिक यात्रियों ने पंजीकरण किया है।

श्री जावलकर ने बताया कि चारधाम यात्रा से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) की ओर से टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, मध्यप्रदेश समेत सुदूर भारत से तीर्थयात्री टोल फ्री नंबर 1364 अथवा 0135-1364 (अन्य प्रदेशों हेतु), 0135-2559898, 0135-2552627 और 0135-3520100 पर मौजूद कर्मचारी से पंजीकरण, यात्रा मार्गों की स्थिति, मौसम की जानकारी, बुकिंग की स्थिति, आनलाइन बुकिंग और हेलीकाप्टर सेवा आदि तमाम जानकारी ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा को तीर्थयात्रियों में इस बार कितना उत्साह है इसका अंदाजा कंट्रोल रूम में आने वाली फोन कॉल्स की संख्या से लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में रोजाना करीब 450-500 के बीच तीर्थयात्री कंट्रोल रूम में संपर्क कर रहे हैं।

 उत्तराखण्ड में तीन मई से चारधाम यात्रा होगी शुरू, जानिए केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री मंदिरो के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त

उत्तराखण्ड में तीन मई से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू किए गए प्रतिबंधों के कारण बेहद सीमित संख्या में श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए आए। इस वर्ष सरकार ने सभी प्रतिबंध हटा लिए हैं। ऐसे में इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके लिए तैयारियां भी जोरों पर हैं।

रोहणी नक्षत्र और कर्क लग्न में तीन मई को यमुनोत्री धाम के कपाट शुभ मुहूर्त में खुल जाएंगे। वहीं, केदारनाथ के कपाट 06 मई तो बद्रीनाथ के 08 मई कपाट दर्शन के लिए खुल जाएंगे। तीर्थ पुरोहितों ने आज (07 अप्रैल) को यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त निकाला है। पुरोहितों का कहना है कि 03 मई को 12 बजकर 15 मिनट पर कपाट भक्तों के खुलेंगे।

विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट आगामी 3 मई को अक्षय तृतीया के पर्व पर खोल दिए जाएंगे। कपाट खुलने का समय सुबह 11.15 बजे निकाला गया है। 2 मई को मां गंगा अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से डोली में सवार होकर दोपहर 12:15 पर गंगोत्री धाम के लिए रवाना होंगी और मार्कंडेय मंदिर, देवी मंदिर होते हुए रात्रि विश्राम के लिए भैरव घाटी पहुंचेंगी। जहां भैरव मंदिर में ही रात्रि विश्राम करेंगी। अगले 3 तीन मई को मां गंगा की डोली यात्रा सुबह 5:30 पर गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी। जहां गंगोत्री धाम पहुंचने पर सर्व प्रथम गंगा लहरी, गंगा सहस्त्रनाम के पाठ व हवन पूजन तथा गंगा आरती करने के बाद शुभ मुहूर्त पर ठीक 11:15 मिनट पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जायेंगे।

केदारनाथ मंदिर के कपाट 6 मई को खुलेंगे। श्रद्धालुओं के लिए 6 मई 2022 को सुबह 6 बजकर 25 मिनट अमृत बेला पर मंदिर के कपाट खुलेंगे। ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से 2 मई को बाबा केदारनाथ की डोली केदार धाम के लिए प्रस्तान करेगी। 2 मई को डोली गुप्तकाशी, 3 मई को फाटा, 4 मई को गौरीकुंड पहुंचेगी। यहां रात्रि विश्राम होगा. केदारनाथ की डोली 5 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी। इसके बाद 6 मई को सुबह 6.25 बजे केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे।

बद्रीनाथ धाम के कपाट इस साल 8 मई को खुलेंगे। शास्त्रों के मुताबिक विधि-विधान से 8 मई की सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल जाएंगे। मंदिर के कपाट खुलने के बाद श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचकर दर्शन-पूजन कर सकेंगे।

मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने चारधाम यात्रा की तैयारियों के संबंध में कहा कि यात्रा को सुगम व सुरक्षित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं। चारधाम यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए। हर जगह विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती सुनिश्चित की जाए। मार्गो पर दुर्घटना रोकने के लिए क्रैश बैरियर और साइनेज की व्यवस्था की जाए। पर्वतीय मार्गो पर यातायात प्रबंधन और पार्किंग पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा नए पार्किंग स्थल विकसित किए जाएं।

उन्होंने चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन काउंटर बढ़ाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वेबसाइट और मोबाइल एप भी विकसित किए जाएं, ताकि यात्रियों के रजिस्ट्रेशन में अधिक समय न लगे। उन्होंने सड़क चौड़ीकरण के कारण खराब हुए हैंडपंप को फिर से दुरुस्त कर इस्तेमाल योग्य बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा मोबाइल एप पर यात्रा के साथ ही मौसम की जानकारी भी दी जाए और इसका उचित प्रचार-प्रसार किया जाए।

देहरादून ​का ऐतिहासिक झंडा मेला आज श्रीझंडे जी के आरोहण के साथ शुरू होगा 

देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला दुनियाभर से आए श्रद्धालुओं की आस्‍था का प्रतीक है। प्रेम, सद्भाव और आस्था का प्रतीक देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला 90 फीट ऊंचे श्रीझंडे जी के आरोहण के साथ आज मंगलवार से शुरू हो जाएगा। देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटेंगे। दरबार साहिब में मंगलवार को सुबह सात बजे पूजा-अर्चना के बाद पुराने श्रीझंडे जी को उतारा जाएगा। इसके बाद नए श्रीझंडे जी को गंगाजल और पंचगव्य से स्नान कराया जाएगा। तत्पश्चात उनकी पूजा-अर्चना और फिर अरदास होगी।

इस बार ध्वजदंड भी बदला जाएगा। मेला प्रबंधन समिति को प्रशासन की गाइडलाइन का इंतजार है। बीते 2 वर्षों से कोविड गाइडलाइन के चलते मेले को संक्षिप्त किया जा रहा था। झंडा मेले में हर तीन वर्ष में झंडेजी के ध्वजदंड को बदलने की परंपरा रही है। इससे पूर्व वर्ष 2020 में ध्वजदंड बदला गया था।

श्रीझंडे जी में इस बार दिल्ली के रवि नगर एक्सटेंशन निवासी बलजिंदर सिंह सैनी दर्शनी गिलाफ चढ़ाएंगे। पेशे से व्यापारी बलजिंदर इसके लिए मां कुलदीप कौर के साथ दून पहुंच चुके हैं। उनके दादा अक्षर सिंह ने 100 साल पहले दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए बुकिंग कराई थी।

सुबह करीब 10 बजे श्रीझंडे जी को गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू होगी। दोपहर में दो से चार बजे के बीच दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुआई में श्रीझंडे जी का आरोहण किया जाएगा। इसके साथ ही झंडा मेला शुरू हो जाएगा। इस पल की साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से संगतें दरबार साहिब पहुंची हैं।

प्रेम, सद्भावना और आस्था का प्रतीक झंडा मेला होली के पांचवें दिन देहरादून स्थित श्री दरबार साहिब में झंडेजी के आरोहण के साथ शुरू होता है। इस दौरान देश-विदेश से संगतें मत्था टेकने पहुंचती हैं। इस मेले में पंजाब, हरियाणा और आसपास के कई इलाकों से संगतें आती हैं। जो कि गुरूराम राय जी के भक्त होते हैं। श्री गुरु राम राय ने वर्ष 1676 में दून में डेरा डाला था। उनका जन्म 1646 में पंजाब के होशियारपुर जिले के कीरतुपर में होली के पांचवें दिन हुआ था। इसलिए दरबार साहिब में हर साल होली के पांचवें दिन उनके जन्मदिवस पर झंडा मेला लगता है। गुरु राम राय ने ही लोक कल्याण के लिए विशाल ध्वज को यहां स्थापित किया था।

दरबार साहिब में शीश नवाने और श्री गुरु राम राय महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने को देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों के साथ ही हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान से संगतें सोमवार को दून पहुंच गईं।

गुरुवार को सुबह 7:30 बजे नगर परिक्रमा शुरू होगी। श्री दरबार साहिब, श्रीझंडा जी मेला आयोजन समिति के व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया कि श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुआई में 25 हजार से अधिक श्रद्धालु नगर परिक्रमा में शामिल होंगे।

केदारनाथ धाम के कपाट 6 मई को खुलेंगे, बाबा केदार की डोली दो मई को ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी

केदारनाथ धाम के कपाट 6 मई को सुबह 6.25 बजे बृष लग्न में खोले जाएंगे। इसके बाद आराध्य की 6 माह की पूजा-अर्चना धाम में ही होगी। बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से दो मई को अपने धाम केदारनाथ के लिए प्रस्थान करेगी।

पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में केदारनाथ रावल ने घोषणा की है। प्राचीन परपंरा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन हर साल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का दिन निकाला जाता है। केदारनाथ धाम के कपाट खोलने के लिए भगवान भैरवनाथ की 2 मई को पूजा-अर्चना की जाएगी।

बाबा केदार की चल विग्रह डोली पहले ऊखीमठ से प्रस्थान कर 3 मई को फाटा विश्राम के लिए पहुंचेगी। जबकि 4 मई को को गौरीकुंड और 5 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी, जहां 6 मई को सुबह 6.25 बजे भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल फिर अप्रैल-मई में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।

बाबा केदार की डोली प्रस्थान का कार्यक्रम

2 मई को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से प्रस्थान करते हुए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में रात्रि प्रवास।
3 मई को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान करते हुए फाटा में रात्रि प्रवास।
4 मई को फाटा से प्रस्थान करते हुए सोनप्रयाग होते हुए गौरीकुंड में रात्रि प्रवास।
5 मई को गौरीकुंड से प्रस्थान करते हुए जंगलचट्टी, लिनचोली, रुद्रा प्वाइंट होते हुए केदारनाथ पहुंचेगी।

बदरीनाथ धाम:आठ मई को खुलेंगे कपाट

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 8 मई को प्रात: 6 बजकर 15 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। बसंत पंचमी के पावन पर्व पर नरेंद्रनगर स्थित राजदरबार में राजपुरोहितों ने महाराजा मनुज्येंद्र शाह की जन्म कुंडली देखकर धाम के कपाट खोलने की तिथि घोषित की।

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जलपाईगुड़ी में गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस के दुर्घटना स्थल का दौरा किया, मरने वालों की संख्या बढ़कर 9 हुई

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी स्थित दोमहनी के पास गुरुवार शाम पांच बजे के करीब बीकानेर एक्सप्रेस की 12 बोगियां बेपटरी होने से मरने वालों की संख्या अब 9 पहुंच गई है। इस हादसे में चार-पांच बोगी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी।

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जलपाईगुड़ी में गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस के दुर्घटना स्थल का दौरा किया। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। जांच शुरू कर दी गई है। प्रधानमंत्री लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह लगातार प्रधानमंत्री को जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह दुर्घटना स्थल पर इसलिए आए हैं ताकि मामले के मूल कारण का पता चले और इस तरह की घटना की कभी पुनरावृत्ति न हो।

प्रधानमंत्री ने बंगाल की सीएम से ली हादसे की जानकारी                                                          प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बातचीत कर घटना की जानकारी ली थी। वहीं, मुख्यमंत्री ममता ने अधिकारियों को घायलों को जल्द से जल्द उपचार मुहैया कराने का निर्देश दिया था। जानकारी के अनुसार अंधेरा व घने कोहरे की वजह से राहत व बचाव कार्य में मुश्किल आई। एनडीआरएफ की दो टीमों को इसमें तैनात किया गया था।

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में बीकानेर-गुवाहाटी ट्रेन दुर्घटना में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस रेल हादसे में 31 लोगों के घायल होने की सूचना है। गुरुवार को शाम करीब पांच बजे बीकानेर से गुवाहाटी जा रही इस एक्सप्रेस ट्रेन के करीब 12 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इससे पहले उत्तर बंगाल के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) डीपी सिंह ने कहा था कि कुछ यात्री देर रात तक बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के दो डिब्बों के अंदर फंसे हुए थे। हालांकि, उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था।

केंद्रीय मंत्री जॉन बारला ने नौ यात्रियों के मरने की सूचना दी है। उन्होंने कहा, ”बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस दुर्घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 9 हो गई है। बचाव कार्य समाप्त हो गया है।

36 घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। यात्रियों को विशेष ट्रेन से गुवाहाटी भेजा गया। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है, जिला अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है।

इस हादसे में कम से कम 40 अन्य घायलों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। सात यात्रियों की हालत गंभीर बताई जा रही है। उन्हें सिलीगुड़ी के उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।

इस बीच केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के आज सुबह करीब नौ बजे न्यू मयनागुरी में दुर्घटनास्थल पर पहुंचने की संभावना है। वह गुरुवार देर रात हावड़ा पहुंचे और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक विशेष ट्रेन से उत्तर बंगाल के लिए रवाना हुए।

जलपाईगुड़ी जिले की जिला मजिस्ट्रेट मौमिता गोदारा बसु ने कहा, “आठ लोग मारे गए हैं। सात यात्रियों की हालत नाजुक बचाव कार्य पूरा कर लिया गया है और पटरियों की मरम्मत का काम जारी है। विशेष ट्रेनों और बसों की व्यवस्था की गई ताकि शेष यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।”

प्रधानमंत्री ने इससे पहले स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने दुर्घटना में मारे गए लोगों के लिए अनुग्रह राशि बढ़ाने की भी घोषणा की। रेल मंत्री अश्विणी वैष्ण आज घटनास्थल पर जाएंगे। इसकी जानकारी उन्होंने कल खुद दी थी।

रेल हादसे में मुआवजे की घोषणा
भारतीय रेलवे ने डोमोहानी के पास हुई इस घटना में जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों के लिए 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है। वहीं गंभीर रूप से घायलों को एक लाख रुपए और जिन्हें कम चोटें आई हैं, उन्हें 25 हजार रुपए की आर्थिक मदद की जाएगी।आपको बता दें घायलों को जलपाईगुड़ी जिला अस्पताल और न्यू मोइनागुडी जिला अस्पताल ले जाया गया था।

एऩडीआरएफ और बीएसएफ ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने जलपाईगुड़ी जिले में गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस (15633) के कई डिब्बे पटरी से उतरने के बाद फंसे यात्रियों को बचाने के लिए दो टीमों के साथ रेक्स्यू ऑपरेशन चलाया जो देर रात करीब 2:30 बजे तक चली। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बीएसएसफ को भी मदद के लिए मौके पर भेजा गया।

केदारनाथ रोपवे विश्व के सबसे लंबे रोपवे की लिस्ट में होगा शामिल, घंटों का सफर मिनटों में होगा पूरा 

देहरादून :- केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बहुत जल्द रोपवे बनने जा रहा है। इस रोपवे की लंबाई करीब 11.5 किमी होगी। इसके बनने से सोनप्रयाग से केदारनाथ तक महज 25 मिनट में पहुंचा जा सकेगा। बता दें कि निर्माण उपरांत केदारनाथ रोपवे दुनिया के सबसे लंबे रोपवे की लिस्ट में शामिल हो जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने के अनुरूप नए कलेवर में निखर रहे केदारनाथ धाम  का सफर निकट भविष्य में और आसान होगा।इसके लिए सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे  निर्माण के मद्देनजर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है।न सिर्फ केदारनाथ, बल्कि हेमकुंड साहिब के लिए भी रोपवे की कसरत शुरू की गई है।इन रोपवे के निर्माण में निजी क्षेत्र भी रुचि दिखा सके, इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई है।

सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर के अनुसार केदारनाथ रोपवे के आकार लेने पर यह विश्व के सबसे लंबे रोपवे में शामिल हो जाएगा।इसकी लंबाई लगभग 11.5 किलोमीटर होगी और 25 मिनट में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पहुंचा जा सकेगा।केदारनाथ धाम समुद्रतल से करीब साढ़े ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। धाम में बाबा केदार के दर्शन करने आने के लिए श्रद्धालुओं को गौरीकुंड  से करीब 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। वहीं हेमकुंड साहिब तक पहुंचने को घांघरिया से लगभग पांच किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। अब सुगमता के लिए रोपवे निर्माण की तैयारी शुरू हो गई हैं।

पांच नवंबर को केदारनाथ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे पर काम होने की बात कही थी। इसी तरफ अब कवायद तेज कर दी गई है। पीएम मोदी के सपने के अनुरूप केदारनाथ धाम का सफर आने वाले समय में आसान होने वाला है। बता दें कि केदारनाथ के साथ ही हेमकुंड साहिब के लिए भी रोपवे की कोशिशें तेज हो गई हैं।

सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर के अनुसार प्रदेश में रोपवे निर्माण के मद्देनजर सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से एमओयू किया हुआ है। प्राधिकरण ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के रोपवे निर्माण के लिए डीपीआर बनाने का जिम्मा एक कंपनी को सौंपा है। इसके अलावा इस तरह की निविदा भी आमंत्रित की गई है, जिससे निजी क्षेत्र इन परियोजनाओं के लिए आगे आए। यदि ऐसा नहीं होता है तो सरकार इन दोनों रोपवे का निर्माण कराएगी।

उत्तराखंड के छह हेलीपैड पर हेलीपोर्ट निर्माण के लिए, बजट जारी

त्तराखंड सरकार ने छह हेलीपैड़ पर हेलीपोर्ट बनाने के लिए बजट जारी कर दिया है। उत्तराखंड सरकार मौजूदा हेलीपैड़ को अपग्रेड करते हुए हेलीपोर्ट के रूप में विकसित करने में जुटी हुई है। ज्यादातर हेलीपैड पर सिर्फ हवाई पट्टी उपलब्ध है। अब इन्हें एक से अधिक हेलीकॉप्टर की पार्किंग के लायक बनाया जा रहा है। इन हेलीपैड पर नियमित हवाई सेवा संचालन के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

उत्तराखंड सरकार हवाई सेवाओं के विस्तार का प्रयास दुर्गम भूगोल को देखते हुए कर रही है।हवाई सेवाओं के विस्तार  के  साथ ही हैंगर, यात्री टर्मिनल, फायर बिल्डिंग, वॉच टॉवर और बाउंड्री वाल का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए नागरिक उड्डयन विभाग ने बजट जारी कर दिया है। इसी वित्तीय वर्ष में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

  •  उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी बजट

 

  •  गौचर             – 16.98 करोड़
  •  चिन्यालीसौड  – 6.40  करोड़
  •  अल्मोड़ा         – 14.90 करोड़
  •  हल्द्वानी          – 9.49   करोड़
  •  कोटि कॉलोनी  – 11.88  करोड़
  •  सहस्रधारा        – 34.28 करोड़

 

उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण ने  देहरादून से वाया अल्मोड़ा होते हुए पिथौरागढ़ के लिए राज्य सरकार की हेलीसेवा शुरू करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इस रूट पर सेवा देने के लिए दो ऑपरेटर ने आवेदन किया है। चूंकि यह सेवा राज्य सरकार संचालित करेगी, इसलिए इसका किराया अधिकतम पांच हजार तक रहेगा, जो मौजूदा सेवा के मुकाबले कम है।

उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण ने अल्मोड़ा हेलीपैड के निरीक्षण के लिए डीजीसीए को पत्र लिखा है। अपर मुख्य कार्यधिकारी कमलेश मेहता के मुताबिक इस सप्ताह डीजीसीए का निरीक्षण होने की उम्मीद है। इसके बाद कभी भी सेवा शुरू हो सकती है। इसी के साथ पवनहंस लिमिटेड भी अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ के लिए एक और हेलीसेवा शुरू करने की तैयारी कर रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी के श्री सेमनागराजा त्रिवार्षिक मेला सेममुखेम में प्रतिभाग किया, मुख्यमंत्री धामी ने कहा उत्तराखंड सरकार नागतीर्थ सेम मुखेम को छठें धाम के रूप में विकसित करेगी 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी के प्रतापनगर के सेम- मुखेम स्थित गड़वागीसौड़ मैदान में आयोजित श्री सेमनागराजा त्रिवार्षिक मेला, जात्रा सेममुखेम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने श्री सेमनागराजा को नमन करते हुए सेम-मुखेम छठे धाम के रुप में विकसित करने की बात की है। उन्होंने कहा कि जब से नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने है तब से भारत का पूरे विश्व में वर्चस्व बढ़ा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा हमारे राज्य में भी धार्मिक पर्यटन सहित राज्य की आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्य किये जा रहे है।

उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। चारधाम की वजह से इसे देवभूमि भी कहते हैं। अब सरकार धामों के विस्तार को लेकर भी योजना बना रही है। पर्यटन और तीर्थाटन की दृष्टि से भी राज्य सरकार कई फैसले ले रही है। इसी कड़ी में राज्य सरकार पांचवें धाम के रुप में सैन्य धाम और छठे धाम के रूप में नागतीर्थ सेम मुखेम को विकसित करने का ऐलान कर चुकी है। जो कि नागतीर्थ और सेमनागराजा के नाम से भी विख्‍यात हैा

सेम-मुखेम नागराज उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिला में स्थित एक प्रसिद्ध नागतीर्थ है। श्रद्धालुओं में यह सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में नागराज फन फैलाये हैं और भगवान कृष्ण नागराज के फन के ऊपर वंशी की धुन में लीन हैं। मन्दिर में प्रवेश के बाद नागराजा के दर्शन होते हैं। मन्दिर के गर्भगृह में नागराजा की स्वयं भू-शिला है। ये शिला द्वापर युग की बतायी जाती है। मन्दिर के दांयी तरफ गंगू रमोला के परिवार की मूर्तियां स्थापित की गयी हैं। सेम नागराजा की पूजा करने से पहले गंगू रमोला की पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण कालिया नाग का उधार करने आये थे। इस स्थान पर उस समय गंगु रमोला का अधिपत्य था, श्री कृष्ण ने उनसे यंहा पर कुछ भू भाग मांगना चाहा लेकिन गंगु रमोला ने यह कह के मना कर दिया कि वह किसी चलते फिरते राही को जमीन नही देते। फिर श्री कृष्ण ने अपनी माया दिखाई, जिसके बाद गंगु रमोला ने शर्त के साथ कुछ भू भाग श्री कृष्ण को दे दिया। जिस शर्त के अनुसार एक हिमा नाम की राक्षस का वध किया।

जौनसार बावर के आराध्य देव चालदा महासू महाराज की डोली यात्रा में शामिल हुए पर्यटन मंत्री, 67 वर्षों बाद खत पट्टी समाल्टा में विराजमान होंगे चालदा महासू महाराज

देहरादून जौनसार बावर:- जौनसार बावर के आराध्य देव चालदा महासू देवता का 67 वर्षों बाद खत पट्टी समाल्टा में 23 नवम्बर को नवनिर्मित मन्दिर में विराजमान होंगे।आज समाल्टा खत के सभी ग्रामीण महिला पुरूष ने पारंपरिक वेशभूषा में हारूल नृत्य किया। देवता को लाने के लिए 400 लोगों ने महासू मंदिर के लिए प्रस्थान किया। इस दौरैान सभी ग्रामीण और श्रद्धालुओं ने महासू देवता के जयकारे लगाये।

आज 22 नवंबर को मोहना गांव से महासू देवता समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। वह चकराता के पास ठाणा गांव में (बागड़ी) रात्रि प्रवास करेंगे। 23 नवंबर को महासू देवता ठाणा गांव से खत समाल्टा के लिए चलेंगे। जिसके बाद नवनिर्मित मंदिर समाल्टा गांव में चालदा महासू देवता विराजमान होंगे। देव दर्शन को हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

चकराता स्थित जौनसार बावर क्षेत्र के मोहना धाम में सोमवार को श्री चालदा महासू महाराज के दर्शनों और उनकी पावन डोली यात्रा में शामिल होने के लिए भक्तों का जनसमूह दिखाई दिया।प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज सोमवार को जौनसार बावर क्षेत्र स्थित मोहना धाम पहुंच कर चालदा महासू महाराज के दर्शन करने के साथ-साथ डोली यात्रा में भी शामिल हुए।

सतपाल महाराज ने कहा कि महासू देवता जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश तक माने जाने वाले देवों के देव इष्ट देव हैं। उन्होंने बताया कि चार भाई महासू में से चालदा महासू महाराज पवित्र मोहना धाम के भवन में विराजमान थे जो कि अब यहां से समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।

प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को जौनसार बावर क्षेत्र स्थित मोहना धाम पहुंच कर चालदा महासू महाराज के दर्शन किए और डोली यात्रा में भी शामिल हुए। चकराता स्थित जौनसार बावर क्षेत्र के मोहना धाम में सोमवार को चालदा महासू महाराज के दर्शन और उनकी पावन डोली यात्रा में शामिल होने के लिए भक्तों का अपार जनसमूह दिखाई दिया। इस अवसर पर सतपाल महाराज ने कहा कि महासू देवता जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश तक माने जाने वाले देवों के इष्ट देव हैं।

सतपाल महाराज ने बताया कि चार भाई महासू में से चालदा महासू महाराज पवित्र मोहना धाम के भवन में विराजमान थे जो कि अब यहां से समाल्टा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं। चालदा महाराज का आगमन मोहना गांव में 36 साल के बाद 23 नवम्बर 2019 में हुआ था। लगभग 2 वर्ष मोहना में रहने के पश्चात सोमवार को चालदा महासू महाराज की पावन डोली ने समाल्टा के लिए प्रस्थान किया।

उन्होंने कहा कि उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि उन्हें भी इस धार्मिक अनुष्ठान और चालदा महासू महाराज की पावन डोली यात्रा में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ है। मोहना गांव सात खतों मोहना, द्वार, विशलाड, बोन्दूर, तपलाड, अटगांव और बंणगांव का मुख्य केन्द्र है।

मोहना गांव सात खतों मोहना, द्वार, विशलाड, बोंदूर, तपलाड, अटगांव और बंणगांव का मुख्य केंद्र है। धार्मिक मान्यता है कि हूंणा भाट ब्राह्मण द्वारा खेत में चौथी सींह (हल की रेखा) लगते ही चालदा महाराज स्वयं ही प्रकट हुए थे। चालदा महाराज हमेशा क्षेत्र भ्रमण पर रहते हैं। वह एक स्थान पर अधिक समय तक निवास नहीं रहते, इसलिए उन्हें चालदा महाराज कहा जाता है।