अफसरों के सामने जिंदा जलीं मां-बेटी: हंगामे के बीच लेखपाल पर कुल्हाड़ी से हमला, DM बोलीं- खुद को बंद कर लगाई आग

कानपुर देहात से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मैथा तहसील की मड़ौली पंचायत के चाहला गांव में ग्राम समाज की जमीन से कब्जा हटाने पहुंचे प्रशासनिक अफसरों के सामने ही मां-बेटी जिंदा जल गई। मां-बेटी की मौत के बाद जमकर हंगामा हुआ। लेखपाल पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया गया।

कानपुर देहात के मैथा तहसील की मड़ौली पंचायत के चाहला गांव में ग्राम समाज की जमीन से कब्जा हटाने पहुंची पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की टीम के सामने ही झोपड़ी के भीतर मां-बेटी जिंदा जल गए। दोनों को बचाने के प्रयास में गृहस्वामी व रुरा इंस्पेक्टर भी झुलस गए। आक्रोशित लोगों ने आग लगाने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

लेखपाल पर कुल्हाड़ी से हमला कर घायल कर दिया। अफसरों की टीम को दौड़ा लिया। भीड़ का गुस्सा देख टीम के अन्य लोग भाग खड़े हुए। बाद में गुस्साए लोगों ने एसडीएम, रुरा इंस्पेक्टर, तहसीलदार व लेखपाल समेत गांव के 10 लोगों पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज किए जाने की मांग करते हुए शवों को नहीं उठने दिया। देर रात तक मंडलायुक्त और आईजी, डीएम लोगों को समझाने में जुटे रहे।सोमवार को जनसुवाई में डीएम नेहा जैन से मड़ौली गांव के कुछ लोगों ने ग्राम समाज की भूमि पर गांव के ही कृष्ण गोपाल दीक्षित उर्फ राघव का कब्जा होने की शिकायत की। इस पर डीएम ने एसडीएम को कार्रवाई के निर्देश दिए। दोपहर तीन बजे एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक, राजस्व व रुरा इंस्पेक्टर के साथ मौके पर पहुंचे।
राजस्व विभाग की टीम ने बुलडोजर से कब्जा हटना शुरू किया। तभी अचानक वहां बनी कृष्ण गोपाल की झोपड़ी में आग लग गई। घर में मौजूद कृ्ष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला (54) और बेटी शिवा (22) लपटों के बीच फंस गईं। उन्हें बचाने दौड़े कृष्ण गोपाल व रुरा इंस्पेक्टर दिनेश गौतम झुलस गए। इस बीच मां-बेटी के जिंदा जलने से गुस्साए परिवार व गांव के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया।

लेखपाल अशोक सिंह पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। कब्जा हटाने पहुंची टीम के अन्य लोगों ने अपने वाहनों को वहीं छोड़कर मौके से भागकर जान बचाई। इसके बाद लोगों ने एसडीएम मैथा, तहसीलदार लेखपाल व गांव के 10 लोगों पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज किए जाने की मांग शुरू कर दी।

पुलिस को मां-बेटी के शव नहीं उठाने दिए। मंडलायुक्त डॉ.राजशेखर, आईजी प्रशांत कुमार, डीएम नेहा जैन व एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने लोगों को मामले में कार्रवाई का भरोसा देकर समझाने का प्रयास किया। लेकिन देर रात तक लोगों ने शव नहीं उठने दिया।
झोपड़ी में आग लगाने का आरोपशवों के अंतिम संस्कार से इनकार
कृष्ण गोपाल दीक्षित का कहना है कि टीम के कब्जा हटाने के दौरान गांव के कुछ लोगों ने झोपड़ी में आग लगा दी। पत्नी प्रमिला और बेटी शिवा भीतर सो रही थी। आग से दोनों जिंदा जल गईं। आरोप है कि राजस्व विभाग की टीम ने कब्जा हटाने के दौरान हैंडपंप और धार्मिक चबूतरा भी तोड़ डाला है। राजस्व व पुलिस अफसरों के साथ ही गांव के कुछ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज न होने तक शवों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।

डीएम की सफाईमांबेटी ने खुद को बंद कर झोपड़ी में लगाई आग
डीएम नेहा जैन ने बताया कि कृष्ण गोपाल का ग्राम समाज की गाटा संख्या 1642 की जमीन पर कब्जा था। गांव के लोगों की शिकायत पर एसडीएम को मामले की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। एसडीएम पुलिस की टीम के साथ कब्जा हटवाने गए थे। तभी मां-बेटी वहां बनी झोपड़ी में भीतर गईं और खुद को आग लगा ली। झोपड़ी से लपटें निलकती देख रुरा इंस्पेक्टर व कृष्ण गोपाल ने दोनों को बचाने के प्रयास में दोनों झुलस गए। पूरे मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

 

Turkey: भूकंप के चलते तुर्किये के 10 प्रांतों में भारी तबाही 

ऐसे में रेसेप तैयप एर्दोगन के सामने इन प्रांतों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने और पुनर्निर्माण की बड़ी चुनौती होगी।

विस्तार

तुर्किये में बीते हफ्ते आए विनाशकारी भूकंप से हजारों लोग असमय इस दुनिया से विदा हो गए लेकिन अब इस भूकंप को लेकर तुर्किये के लोगों में जो गुस्सा है, वह तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की सत्ता से विदाई का कारण बन सकता है! बता दें कि तुर्किये में आए भूकंप से अब तक 24,500 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल हैं। अभी मौतों का यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। इस भूकंप से तुर्किये के इतिहास के ताकतवर नेताओं में से एक रेसेप तैयर एर्दोगन के राजनीतिक किला भी हिल गया है। दरअसल भूकंप में हजारों इमारतें ताश के पत्तों की तरह बिखर गईं, जिसे लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है।

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ सकता है एर्दोगन का राजनीतिक करियर

साल 1999 में भी तुर्किये में जबरदस्त भूकंप आया था। उस भूकंप ने भी तुर्किये में काफी तबाही मचाई थी और 17 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। 1999 के भूकंप के बाद सरकार ने एक नियम बनाया था कि नई इमारतों को भूकंप रोधी तकनीक से बनाया जाएगा और इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा। हालांकि तुर्किये के लोगों का मानना है कि उनकी सरकार इस नियम को सख्ती से लागू नहीं करा पाई, जिसकी वजह से ठेकेदारों ने भ्रष्टाचार कर लोगों के लिए असुरक्षित इमारतें तैयार की।

इसके अलावा तुर्किये की सरकार ने मौजूदा इमारतों को मजबूत बनाने के लिए एक खास टैक्स भी लोगों पर लगाया था। इस टैक्स से सरकार के पास करीब 17 बिलियन यूएस डॉलर इकट्ठा हुए थे लेकिन सरकार ने इस फंड में से थोड़ा ही फंड पुरानी इमारतों को मजबूत करने में खर्च किया, बाकी सारा पैसा अन्य कामों में खर्च कर दिया गया। यही वजह है कि लोगों में एर्दोगन सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है क्योंकि तुर्किये में बीते 20 सालों से एर्दोगन ही सत्ता पर काबिज हैं।

सत्ता बचाने की एर्दोगन के सामने बड़ी चुनौती

भूकंप के चलते तुर्किये के 10 प्रांतों में भारी तबाही हुई है। ऐसे में रेसेप तैयप एर्दोगन के सामने इन प्रांतों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने और पुनर्निर्माण की बड़ी चुनौती होगी। बीते दिनों जब एर्दोगन ने भूकंप प्रभावित इलाकों का दौरा किया था तो उन्हें लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। जिसके बाद एर्दोगन ने एलान किया था कि वह एक साल में ही  फिर से इमारतों का पुनर्निर्माण करेंगे और लोगों को उनका घर देने की बात कही थी लेकिन जिस पैमाने पर तुर्किये में तबाही हुई है, उससे उबरने के लिए तुर्किये को अरबों डॉलर की जरूरत होगी और एक साल में ही सारे घर बनाना भी लगभग असंभव काम है। यही वजह है कि एर्दोगन के लिए भूकंप की इस चुनौती से पार पाना बेहद मुश्किल हो सकता है।

विपक्ष भी एर्दोगन को घेरने की कोशिश कर रहा है और विपक्षी नेता भ्रष्टाचार के लिए एर्दोगन सरकार को कोस रहे हैं। ऐसे में एर्दोगन भी चाहेंगे कि इस साल मई में होने वाले चुनाव को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए ताकि तब तक लोगों का गुस्सा

India-US: विदेश संबंधों पर अमेरिकी कमेटी की पहली बैठक में ही भारत बना चर्चा का केंद्र, चीन पर कही गईं ये बातें

इसी हफ्ते रिपब्लिकन कांग्रेसी माइकल मैककॉल की अध्यक्षता में कमेटी की 118वीं बैठक हुई। इस दौरान कमेटी ने अपनी प्राथमिकता और निगरानी वाले मुद्दों को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया।

विस्तार

अमेरिका ने दुनिया के बाकी देशों के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए नई हाउस फॉरेन रिलेशंस कमेटी बनाई है। इस कमेटी ने भारत-अमेरिका के रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है। कहा गया है कि अमेरिका-भारत के द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर विशेष रूप से कमेटी की नजर है। खासतौर पर दोनों देशों रक्षा-आर्थिक क्षेत्रों, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए काम करेंगे। इसी हफ्ते रिपब्लिकन कांग्रेसी माइकल मैककॉल की अध्यक्षता में कमेटी की 118वीं बैठक हुई। इस दौरान कमेटी ने अपनी प्राथमिकता और निगरानी वाले मुद्दों को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया।

कमेटी ने भारत को लेकर क्या-क्या कहा?
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के रैंकिंग सदस्य डेमोक्रेट ग्रेगरी मीक्स ने इस बैठक के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘समिति भारत के प्रति अमेरिकी नीति और द्विपक्षीय सहयोग के निरंतर विस्तार की समीक्षा करेगी। सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग, विस्तारित भूमिकाओं के अवसर, मिशन और क्षमताओं और आतंकवाद विरोधी प्रयासों सहित अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।’

कमेटी ने कहा, ‘हम अमेरिका-भारत आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे। जिसमें प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल उद्योगों में द्विपक्षीय प्रयासों पर चर्चा शामिल है। इसके अलावा चतुर्भुज सुरक्षा संवाद प्रयासों में भारत की भागीदारी और भारत-प्रशांत क्षेत्र में इसकी उपस्थिति को बढ़ाने के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।’ समिति ने आगे कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांगों के प्रभावों की भी समीक्षा होगी।

चीन के प्रभाव को कम करने की होगी कोशिश
कमेटी ने चीन की दुनिया में बढ़ती शक्तियों को लेकर भी मंथन करने को कहा। इसमें बताया गया है कि चीन जिस तरह से दुनिया में अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा है, वो खतरे की आहट है। चीन ने 2013 में एक बुनियादी ढांचा परियोजना शुरू किया है, जो बिजिंग के वैश्विक प्रभाव को बढ़ा रहा है। इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है। ये अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में परिवर्तन का एक खतरनाक माध्यम है। इसके जरिए चीन पूरी दुनिया को काबू करने की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में अब चीन के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों और संधियों की भी समीक्षा होगी।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय पुरातन छात्र परिषद का अधिवेशन इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स सभागार में धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय पुरातन छात्र परिषद का अधिवेशन इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स सभागार में धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। अधिवेशन में उत्तराखंड के साथ ही देश के कई राज्यों के पुरातन छात्र पहुंचे थे। इस दौरान जहां पुरातन छात्रों ने विवि के गौरवशाली इतिहास के साथ ही छात्र जीवन के यादगार पलों को याद किया, वहीं विवि में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताने के साथ ही गौरवशाली इतिहास को दोबारा स्थापित करने का संकल्प लिया।

अधिवेशन के मुख्य अतिथि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायमूर्ति एवं उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष वीके बिष्ट ने कहा कि जीवन में सफलता का मूल मंत्र समयबद्धता है। प्रयागराज सिर्फ तीन नदियों का संगम नहीं, बल्कि विचारधाराओं का भी संगम है। विवि ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के साथ देश के विकास में अहम योगदान दिया है। प्रयागराज की पवित्र भूमि पर ही चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया। विवि महान साहित्यकारों, लेखकों, कवियों, वैज्ञानिकों और प्रशासनिक अधिकारियों की कर्मस्थली रही है।

न्यायमूर्ति एमएम घिल्डियाल ने कहा कि विवि  महान साहित्यकारों महादेवी वर्मा, डॉ. रामकुमार वर्मा, भगवती चरण वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फिराक गोरखपुरी, डॉ. हरिवंश राय बच्चन जैसे लोगों की कर्मस्थली रही है और शिक्षा के क्षेत्र में विवि ने जो योगदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इस दौरान पुरातन छात्रों ने विवि में पढ़ाई के दौरान बिताए गए पलों को याद करते हुए कई संस्मरण भी सुनाए। इस मौके पर आयोजक मंडल के अध्यक्ष रवींद्र गोडबोले, प्रवीण टंडन, मनीष तिवारी, अपर सचिव ओंकार सिंह, अधिवक्ता सिद्धनाथ उपाध्याय और हंसादत्त (कमिश्नर सुगरकेन उत्तराखंड आदि मौजूद थेे। कई दशक बाद मिले तो आंखें डबडबा गईं।

अधिवेशन में तमाम ऐसे पुरातन छात्र शामिल हुए जो विवि में पढ़ाई के चार दशक बाद मिले। कई पुरातन छात्र अपने साथियों को पहचान ही नहीं पाए। जान पहचान होने के बाद एक-दूसरे के गले मिलकर पुराने दिनों को याद किया।  कई ऐसे पुरातन छात्र भी मिले जिन्होंने विवि में पढ़ाई करने के साथ ही नौकरी की, लेकिन कभी मिल नहीं पाए।
कई ने 40 साल बाद समोसे और जमीन की नमकीन का जमकर लुत्फ उठाया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कलाकारों ने गीत गाकर समा बांध दिया, जिसका पुरातन छात्रों ने जमकर आनंद उठाया। इस दौरान हास्य व्यंग का भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। हास्य कलाकार बलबीर सिंह खिचड़ी ने पुरातन छात्रों को जमकर गुदगुदाया।

भारत में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 19 चीजों का नहीं होगा इस्तेमाल, बेचने और बनाने वालों को दंड का प्रावधान

सरकार द्वारा देश में  सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 19 चीजों पर प्रतिबंध लग गया है. आज से इन चीजों को बनाने, बेचने, इस्तेमाल करने, स्टोर करने और एक्सपोर्ट करने पर प्रतिबंध लग गया है. ये प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है, ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके. इनमें थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक होता है, जिसे सिर्फ एक बार इस्तेमाल करने के लिए बनाया जाता है या जिसे एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है. ऐसे प्लास्टिक न तो डि-कंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है. इनके टुकड़े पर्यावरण में जहरीले रसायन छोड़ते हैं, जो इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक होते हैं. इसके अलावा, सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा बारिश के पानी को जमीन के नीचे जाने से रोकता है, जिससे ग्राउंड वॉटर लेवल में कमी आती है.

अगस्त 2021 में अधिसूचित नियम और 2022 के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने के भारत के प्रयासों के तहत 31 दिसंबर, 2022 तक प्लास्टिक कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई को मौजूदा 75 माइक्रोन से 120 माइक्रोन में बदल दिया जाएगा। मोटे कैरी बैग सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के उद्देश्य से लाए जाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे और अधिकारियों की टीम को प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के अवैध उत्पादन, आयात, वितरण, बिक्री रोकने का काम सौंपा जाएगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगभग चार साल पहले अनुमान लगाया था कि भारत प्रतिदिन लगभग 9,200 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, या एक वर्ष में 3.3 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक। उद्योग के एक वर्ग ने दावा किया है कि देश में लगभग 70 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे को रिसायकल किया जाता है।

500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा
1 जुलाई से आम लोगों पर प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा। वहीं, औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा। ऐसे लोगों पर 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर पांच साल की जेल या दोनों सजा भी दी जा सकती है।

यूक्रेन पर कब्जे के लिए रूस ने हमले किए तेज, 9 लोगों की मौत, 57 घायल

रूस यूक्रेन युद्ध का आज 18वां दिन है। रूस-यूक्रेन की जंग थमने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। युद्ध के 18वें दिन रूसी सेना लगातार हमले कर रही है। रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के खिलाफ अपने हमले और तेज कर दिए हैं। इस बीच यूक्रेन ने कहा है कि रूसी सैनिकों के हमले में कीव के पास एक बच्चे सहित 9 लोगों को मौत हो गई है। यूक्रेन ने रूसी बलों पर कीव के पास लड़ाई के बीच भागने की कोशिश कर रही महिलाओं और बच्चों पर फायरिंग करने का आरोप लगाया है। ये लोग पेरेमोहा गांव से भागकर आए थे। यूक्रेनी अधिकारियों ने बाद में कहा कि काफिला रूस के साथ सहमत ‘ग्रीन कॉरिडोर’ से होकर नहीं जा रहा था, जब उन पर गोलियां दागी गईं। हालांकि यूक्रेन की ओर से पहले कहा गया था कि ये लोग इसी कॉरिडोर पर यात्रा कर रहे थे।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ फोन पर बातचीत में यूक्रेनी सैनिकों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघनों की बात कही। पुतिन ने यूक्रेनी सुरक्षा बलों की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के खुले तौर पर उल्लंघन के कई तथ्यों का हवाला दिया। इसमें नागरिकों को बंधक बना लेना और उन्हें ढाल के रूप में उपयोग करना, आवासीय क्षेत्र में भारी तोपखाना तैनात करना इत्यादि शामिल हैं।

रूस के हवाई हमले में 9 की मौत

यूक्रेन पर रूस के हमले लगातार जारी है। इसी बीच समाचार एजेंसी एएफपी ने एक स्थानीय अधिकारी के हवाले से बताया कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के पश्चिमी शहर ल्वीव के बाहर एक सैन्य प्रशिक्षण केंद्र पर कई हवाई हमले किए। इस हमले में नौ लोगों की मौत हो गई है। जबकि, 57 लोग घायल हुए है।

यूक्रेन के कई शहरों में हवाई हमले की चेतावनी

वहीं यूक्रेन ने शनिवार को मानवीय कॉरिडोर से 13,000 नागरिकों को बाहर निकाला है. इस बीच यूक्रेन के लगभग हर क्षेत्र में हवाई हमले की चेतावनी सुनी जा रही है।
यूक्रेन के लगभग हर क्षेत्र में हवाई हमले की चेतावनी जारी कर दी गई है। उमान, खार्किव, क्रामाटोर्स्क, स्लोवियनस्क, विन्नित्सिया, कीव, पोल्टावा, ज़ाइटॉमिर, खमेलनित्स्की, ल्विव, ओडेसा, वोलिन, ज़ापोरिज़्झा, बेरेज़िव्का, इज़मेल, किलिया, युज़्ने, चेर्नोमोर्स्क, बिलाइव्का, कीव, रिव्ने और चेर्नोमोर्स्क में सायरन सक्रिय कर दिए गए हैं।

जेलेंस्की ने कहा, रूस नहीं जीत सकता है यह युद्ध

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूसी सैनिक यह युद्ध नहीं जीत सकता है। हालांकि जेलेंस्की ने कहा है कि वह रूस के व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन केवल तभी जब युद्ध विराम हो। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने शनिवार को दावा किया कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से लगभग 1,300 यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं। इस बीच, रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने सरकारी टेलीविजन को बताया कि उसके सैनिक पश्चिमी देशों द्वारा भेजे गए हथियारों की आपूर्ति को निशाना बना सकते हैं। दूसरी ओर, ब्रिटेन की नवीनतम रक्षा खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, सैटेलाइट तस्वीरों में यह दिखाई दे रहा है कि रूसी सेना राजधानी कीव से लगभग 25 किमी दूर है।

 

प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की के बाद राष्ट्रपति पुतिन से 50 मिनट तक बात, यूक्रेन के हालात पर की चर्चा

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से बातचीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी  ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की। पीएम मोदी ने युद्ध हालात को लेकर पुतिन से चर्चा की। इस बीच मोदी-पुतिन के बीच 50 मिनट तक बातचीत हुई। इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम से बातचीत का ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि रूसी आक्रमण का मुकाबला करने को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को सूचित किया गया। भारत ने युद्ध के दौरान अपने नागरिकों की मदद और उच्चतम स्तर पर शांतिपूर्ण वार्ता के लिए यूक्रेन की प्रतिबद्धता की सराहना  की है। उन्होंने कहा, यूक्रेन के लोगों के समर्थन के लिए आभारी हूं।

गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज 12वां दिन है। भारत सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा चला रही है। अभी भी बड़ी संख्या में भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए हैं। इनकी सुरक्षित वापसी को लेकर सरकार रूस और यूक्रेन से बातचीत कर रही है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से सोमावार को 35 मिनट बातचीत के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से फोन पर बात की। दोनों नेताओं के बीच करीब 50 मिनट तक बात हुई। इस दौरान दोनों ने यूक्रेन में उभरती स्थिति पर चर्चा की। राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन और रूस की टीमों के बीच वार्ता की स्थिति के बारे में पीएम मोदी को जानकारी दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के संग उनकी टीमों के बीच सीधी बातचीत का आग्रह किया। पीएम मोदी ने युद्धविराम की घोषणा और यूक्रेन के कुछ हिस्सों में मानवीय गलियारों की स्थापना की सराहना की। मोदी ने सूमी से भारतीय नागरिकों को जल्द सुरक्षित निकालने पर जोर दिया। राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को भारतीयों की सुरक्षित निकासी में हर संभव सहयोग का वादा किया।

रूस-यूक्रेन के बीच आज शाम होगी दूसरे दौर की वार्ता

रूस ने यूक्रेन के साथ बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है। दोनों देशों के बीच बुधवार की शाम दूसरे दौर की वार्ता होगी। सोमवार को पहले दौर की वार्ता में युद्ध विराम को लेकर कुछ बिंदुओं पर सहमति बनी थी। क्रेमलिन के प्रवक्ता का कहना है कि रूसी प्रतिनिधिमंडल बुधवार शाम यूक्रेनी अधिकारियों के साथ युद्ध के बारे में बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है।

दोनों देशों के बीच पहले दौर की शांती वार्ता सोमवार को हुई थी, जो करीब पांच घंटों तक चली थी। बैठक के दौरान कुछ अहम बिंदुओं पर सहमति बनी थी। पहली दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल वार्ता परिणामों की जानकारी देने के लिए मास्को और कीव लौट गए थे।यूक्रेन-रूस के बीच हुई पहली दौर की वार्ता में रूस के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्‍व राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के सहयोगी व्लादिमीर मेडिंस्की ने किया था। साथ ही इस प्रतिनिधिमंडल में उप विदेश मंत्री एंड्री रुडेंको, उप रक्षा मंत्री एलेक्जेंडर फोमिन और अंतरराष्ट्रीय मामलों की राज्य ड्यूमा समिति के अध्यक्ष लियोनिद स्लटस्की भी शामिल थे।

यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने के लिए स्पाइसजेट स्पेशल निकासी उड़ाने संचालित करेगा। विमानन कंपनी तीन और चार मार्च को स्लोवाकिया के कोशिशें से उड़ान संचालित करेगी। जिसके बाद चार और छह मार्च को रोमानिया के बुखारेस्ट पहंचे भारतीयों को वापस लाने के लिए उड़ान संचालित होगी। एयरलाइन इन उड़ानों के लिए अपने बोइंग 737 मैक्स विमान का इस्तेमाल करेगी।

 

अन्य देशों के मुकाबले भारत का ज्यादा सफल रहा आपरेशन गंगा, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों ने यूक्रेन में अपने लोगों को उनके हाल पर छोड़ा, लेकिन भारत ने पूरी ताकत झोंकी

रूस के हमले से यूक्रेन में कई देशों के नागरिक फंस गए हैं। कुछ मुल्क तो ऐसे हैं, जिन्होंने अपने नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया है और कहा है कि वे खुद वहां से निकलने की कोशिश करें।लेकिन भारत ने अपने नागरिकों को यूक्रेन से लाने में पूरी ताकत झोंक दी है और उन्हें स्वदेश वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान शुरू किया है।

इसके साथ ही भारत ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए पश्चिमी शहर क्राकोविक के साथ ही हंगरी में जहोनी सीमा चौकी, पोलैंड में शेयनी-मेदिका सीमा चौकियों, स्लोवाक गणराज्य में विसने नेमेके तथा रोमानिया में सुकीवा पारगमन चौकी पर अधिकारियों का दल तैनात किया है। यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ राजनयिक पहुंच का इस्तेमाल करते हुए भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हमारे नागरिक सुरक्षित घर लौट रहे हैं।

युद्धग्रस्त देश यूक्रेन से अपने लोगों को निकालने में अब तक भारत का आपरेशन गंगा सबसे आगे दिख रहा है। ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका ने अपने-अपने नागरिकों को निकालने में परोक्ष रूप से असमर्थता जता दी है। चीन ने अपने नागरिकों को निकालने का आपरेशन स्थगित कर दिया है। मिस्त्र, नाइजीरिया और मोरक्को जैसे देशों ने अपने छात्रों को निकालने के लिए अब तक कोई आपरेशन शुरू नहीं किया है। यूक्रेन में 80 हजार से अधिक विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें भारतीय छात्रों की संख्या सर्वाधिक है।

भारतीय दूतावास पूरी तरह से काम कर रहा है और छात्रों व नागरिकों को हर संभव मदद उपलब्ध करा रहा है।अब तक लगभग छह हजार लोग वापस भारत आ चुके हैं जिनमे से आपरेशन गंगा के तहत 1396 छात्रों को वापस लाया गया है। मंगलवार को फिर से तीन फ्लाइट आने की संभावना जताई जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने द्विपक्षीय वार्ता के लिए हैदराबाद हाउस में मुलाकात,फ्रेडरिक्सन नौ से 11 अक्टूबर तक तीन दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंची

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिक्सन की अगवानी की, जहां उनका औपचारिक स्वागत किया गया। अब दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई है। फ्रेडरिक्सन नौ से 11 अक्टूबर तक तीन दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंची हैं। विदेश राज्य मंत्री (MoS) मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली हवाई अड्डे पर फ्रेडरिक्सन का स्वागत किया, जो भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा पर हैं।पीएम फ्रेडरिकसन अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आई हुई हैं, इस दौरान वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात करेंगी।  कोरोना काल में बीते 20 महीनों के दौरान यह किसी प्रधानमंत्री की पहली भारत यात्रा है। पीएम मोदी के साथ पीएम मेट फ्रेडरिक्सन की इस द्विपक्षीय वार्ता में विदेश मंत्री जयशंकर भी शामिल रहे।

प्रधानमंत्री मोदी के रिसीव करने के बाद राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन का औपचारिक स्वागत किया गया।डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेट फ्रेडरिक्सन ने इस दौरान कहा, ‘हम भारत को एक बहुत करीबी पार्टनर मानते हैं। मैं इस यात्रा को डेनमार्क-भारत द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक मील के पत्थर के रूप में देखती हूं।’ उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल मैंने और पीएम मोदी ने हरित रणनीतिक साझेदारी (ग्रीन स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप) पर हस्ताक्षर किए और सहमति व्यक्त की। जब भारत और बाकी दुनिया में हरित संक्रमण की बात आती है तो हम एक महत्वाकांक्षी भारतीय सरकार को बड़ी जिम्मेदारी लेते हुए देखते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की पीएम मेटे फ्रेडरिकसेन के बीच हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता शुरू हो गई है। इस बैठक में ‘हरित सामरिक गठजोड़’ के क्षेत्र में प्रगति की समीक्षा करने के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर चर्चा होगी। दोनों देशों के बीच पुरूलिया हथियार कांड के आरोपी किम डेवी के प्रत्यर्पण के मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है।

डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन रविवार को ताजमहल और आगरा किला का दीदार करेंगी। उनके दौरे के कारण रविवार सुबह ताजमहल और आगरा किला पर्यटकों के लिए बंद किया जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद ने शुक्रवार को ताज और किला बंद करने की सूचना जारी कर दी। इसके मुताबिक रविवार सुबह 8.30 बजे से 10.30 बजे तक ताजमहल पर्यटकों के लिए बंद रहेगा, जबकि आगरा किला को सुबह 9.50 बजे से 11.50 बजे तक बंद रखा जाएगा।