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CLAT 2022 New Exam Date: कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट की तारीख में हुआ बदलाव अब 19 जून 2022 को आयोजित होगी परीक्षा, अभ्यर्थी अब परीक्षा के लिए 9 मई तक कर सकते हैं आवेदन

कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (CNLU) द्वारा कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट 2022 (CLAT 2022) की परीक्षा की नई तारीख की घोषणा कर दी गई है। सीएनएलयू के मुताबिक अब यूजी और पीजी दोनों प्रोग्राम में एडमिशन के लिए CLAT 2022 परीक्षा 19 जून, 2022 को दोपहर 2 से शाम 4 बजे तक आयोजित की जाएगी। इससे पहले यह परीक्षा 8 मई 2022 को आयोजित की जाने वाली थी। यूनिवर्सिटी द्वारा रजिस्ट्रेशन की तारीख भी बढ़ा दी गई है।

ऑफिशियल वेबसाइट पर लॉग इन करें

CNLU ने परीक्षा स्थगित करने के साथ-साथ, क्लैट परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन की समय सीमा भी बढ़ाने का फैसला किया है। नए नोटिफिकेशन के मुताबिक अभ्यर्थी अब परीक्षा के लिए 9 मई 2022 तक रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इससे पहले रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख 31 मार्च 2022 थी। ऐसे में जिन अभ्यर्थियों ने अभी तक इस परीक्षा के लिए आवेदन नहीं किया है, वे 9 मई 2022 से पहले अपना आवेदन पूरा कर लें। आवेदन करने के लिए अभ्यर्थियों को सीएनएलयू की ऑफिशियल वेबसाइट consortiumofnlus.ac.in पर जाना होगा।

CLAT एग्जाम पैटर्न और सिलेबस
पीजी कोर्सेज के लिए क्लैट एग्जाम में 120 ऑब्जेक्टिव टाइप सवाल (150 अंक) और यूजी कोर्स के लिए 150 सवाल (150 अंक) होंगे। परीक्षा की अवधि 120 मिनट की होती है। परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग के तौर पर प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 0.25 अंक काटा जाएगा। अंग्रेजी भाषा में से 28-32 सवाल या लगभग 20% पेपर, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान से 35-39 सवाल होते हैं, या पेपर का लगभग 25% वेटेज होता है। जबकि, लीगल रीजनिंग सेक्शन में 35-39 सवाल शामिल होते हैं, या लगभग 25% पेपर और लॉजिकल रीजनिंग सेक्शन में 28-32 सवाल होते हैं, या लगभग 20% पेपर। मात्रात्मक तकनीकों में 13-17 सवाल होते हैं, या लगभग 10% पेपर।

महत्वपूर्ण तारीख

  • रजिस्ट्रेशन प्रोसेस खत्म होने की तारीख- 9 मई, 2022
  • CLAT 2022 परीक्षा तिथि का आयोजन-19 जून, 2022

ऐसे करें आवेदन

  • उम्मीदवारों को कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज की ऑफिशियल वेबसाइट – consortiumofnlus.ac.in पर जाना होगा।
  •  होम पेज पर, CLAT 2022 पर क्लिक करें।
  • यहां मांगी गई जरूरी डिटेल्स की मदद से लॉग इन क्रेडेंशियल जनरेट करें।

  •  लॉग इन करें और एप्लीकेशन फॉर्म भरकर संबंधित डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें।
  •  फीस जमा करने के साथ ही आपका क्लैट फॉर्म जमा हो जाएगा
  • कंफर्मेशन पेज डाउनलोड करें और आगे के लिए प्रिंटआउट लेकर अपने पास रखें।आवेदन शुल्क
    क्लैट 2022 आधिकारिक अधिसूचना में बताया गया है कि अनारक्षित श्रेणी के लिए आवेदन शुल्क 4000 रुपये और एससी और एसटी वर्ग के तहत आवेदन करने लिए 3,500 रुपये फीस देनी होगी। परीक्षा के बारे में अधिक अपडेट के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर नजर रखें।

बंशीधर भगत को राज्यपाल गुरमीत सिंह मान ने दिलाई प्रोटेम स्पीकर शपथ,पांचवीं विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायक आज लेंगे पद की शपथ

राज्यपाल गुरमीत सिंह ने प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत को सोमवार को राजभवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए चुने गए विधायकों को सोमवार को ही पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। विधानसभा मंडप में 11 बजे शपथ ग्रहण का कार्यक्रम तय किया गया है। शपथ ग्रहण के लिए निर्वाचित विधायक देहरादून पहुंच गए हैं। नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने के लिए राज्यपाल की ओर से भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सातवीं बार चुनाव जीते बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) भाजपा के वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाई। इस अवसर पर कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव डॉ एस एस संधू, प्रमुख सचिव  आनंद वर्धन, राज्यपाल के सचिव डॉ.रंजीत कुमार सिन्हा उपस्थित थे। इसके बाद अब पांचवीं विधानसभा में नवनिर्वाचित सभी विधायक को विधानसभा भवन में प्रोटेम स्पीकर शपथ दिलाएंगे।

विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा के 47, कांग्रेस के 19, बसपा के दो और निर्दलीय दो प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने के लिए राज्यपाल की ओर से भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सातवीं बार चुनाव जीते बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। संविधान के अनुच्छेद 188 के तहत प्रोटेम स्पीकर के माध्यम से विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जाती है।

11 बजे विधानसभा भवन देहरादून में सभी निर्वाचित सदस्यों को प्रोटेम स्पीकर के माध्यम से पद की शपथ दिलाई जाएगी। शपथ ग्रहण करने के बाद सदस्यों की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को चुना जाता है। शपथ ग्रहण के लिए निर्वाचित विधायक देहरादून पहुंच गए हैं। विधायी एवं संसदीय कार्य के प्रमुख सचिव हीरा सिंह बोनाल की ओर से प्रोटेम स्पीकर और निर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के संबंध में आदेश जारी किए गए हैं।

10 मार्च से ही शुरू हो चुका विधायकों का कार्यकाल

विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह भले ही 21 मार्च को आयोजित हो रहा है, लेकिन विधायकों का कार्यकाल जीत का प्रमाणपत्र मिलने के बाद से ही शुरू हो गया है। विधानसभा के पूर्व सचिव जगदीश चंद्र बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में जीत का प्रमाण पत्र मिलने के बाद से ही विधायकों का कार्यकाल शुरू हो गया है।

उन्होंने कहा कि शपथ की महत्ता यह है कि बिना शपथ के कोई भी विधायक विधानमंडप में नहीं बैठ सकते। इसलिए सभी सदस्यों को शपथ दिलाई जाती है। राज्य की पांचवीं विधानसभा का गठन 11 मार्च से हो गया है। राजभवन की ओर से 11 मार्च को चौथी विधानसभा के विघटन और पांचवीं विधानसभा के गठन की घोषणा की जा चुकी है।

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता हरीश रावत ने टिकटों के खरीद-फरोख्त पर कहा, ‘कांग्रेस मुझे पार्टी से बाहर कर दे’

उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव लगभग निपट ही गए हैं और जनता को नए मुख्‍यमंत्री का इंतजार है। लेकिन इन चुनावों में हार का सामना करने वाली कांग्रेस में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है।पांच राज्यों में कांग्रेस की भारी नाकामी के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान के चेहरे रहे हरीश रावत और अन्य कांग्रेसी नेताओं के बीच बहस ज़ोर पकड़ रही है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से खुद को बाहर निकाले जाने की बात कह डाली है।

कांग्रेस पार्टी के ही एक वरिष्‍ठ नेता ने पूर्व मुख्‍यमंत्री हरीश रावत पर टिकट के लिए रुपये एकत्र करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर हमला बोला है। उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान के प्रमुख रहे रावत पर हाल में, कांग्रेस के ही एक बड़े नेता ने विधानसभा चुनाव के टिकट बेचने का आरोप लगाया है। इसी संदर्भ में सोशल मीडिया में एक बयान जारी करते हुए रावत ने लिखा कि होली में बुराइयों को जला दिया जाता है और अब कांग्रेस को भी हरीश रावत का होलिका दहन कर देना चाहिए।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘पद और पार्टी टिकट बेचने का आरोप अत्यधिक गंभीर है और यदि यह आरोप एक ऐसे व्यक्ति पर लगाया जा रहा हो, जो मुख्यमंत्री रहा है, जो पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष रहा है, जो पार्टी का महासचिव रहा है और कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य है और आरोप लगाने वाला व्यक्ति भी गंभीर पद पर विद्यमान व्यक्ति हो तो यह आरोप और भी गंभीर हो जाता है। यह आरोप मुझ पर लगाया गया है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि कांग्रेस पार्टी इस आरोप के आलोक में मुझे पार्टी से निष्कासित कर दे।

आखिर क्या है पूरा मामला?
उत्तराखंड में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी में नेताओं की तकरार का दौर जारी है। सीएम रहते हरीश रावत के बेहद करीब रहे रणजीत सिंह रावत ने हरीश रावत पर 2022 विधानसभा चुनाव के टिकटों में खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। रावत ने सोशल मीडिया पर साफ-साफ लिखा कि उन पर लगे हुए आरोप बेहद गंभीर हैं और लगाने वाला व्यक्ति भी कांग्रेस के आधिकारिक पद पर है। ऐसे में उन्होंने पार्टी से अपने निष्कासन की मांग की।

कितने गंभीर आरोप लगाए गए?
रणजीत सिंह रावत ने कहा कि हरीश रावत अपनी भोली भाली बातों और मासूम शक्ल के दम पर कई नेताओं का कैरियर बर्बाद कर चुके हैं और कई के सपनों से खेल चुके हैं। रणजीत का दावा है कि हरीश रावत ने टिकटों के वितरण में जबरदस्त पैसों का खेल खेला। हरीश रावत पर आरोप लगाने में वह यही नहीं रुके, उन्होंने यह भी कह दिया कि जिन लोगों से हरीश रावत ने पैसे की वसूली की वह अब पैसे वापस मांग रहे हैं।

हरीश रावत ने प्रीतम सिंह के आरोपों का जवाब देते हुए भी एक लंबा बयान लिखा था। उन्होंने साफ कहा था कि कांग्रेस ने उत्तराखंड में चुनाव उनकी अगुवाई में लड़ा इसलिए वह ज़िम्मेदारी ले चुके हैं और सभी साथियों को हार के लिए उन्हें खरी खोटी सुनाने का हक भी है।यही नहीं, रावत ने लालकुआं से हार जाने के लिए जो बयान जारी किया, उसमें पार्टी के टिकट वितरण सिस्टम को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा

‘पहले पार्टी ने मुझे रामनगर से चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की। मैं 2017 में भी इस सीट से ही चुनाव लड़ना चाहता था क्योंकि यहां मेरा आधार रहा है। यहां जो स्थानीय उम्मीदवार थे, उन्हें सल्ट सीट पर शिफ्ट किया गया। जब मैंने मन बना लिया और अपने कार्यालय तक का चयन कर लिया था, तब मुझे रामनगर से अचानक शिफ्ट कर लालकुआं से चुनाव लड़ने को कह दिया गया।’

उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव हार जाने के प्रकरण पर हरीश रावत ने यह भी ऐलान कर दिया है कि वह होली के बाद ​लालकुआं और हरिद्वार के साथ ही अन्य ज़िलों में जाकर मतदाताओं के साथ बातचीत करेंगे और उनका शुक्रिया अदा भी करेंगे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनकी बेटी अनुपमा का हरिद्वार ग्रामीण सीट से जीतना उनकी बड़ी उपलब्धि रही है।

हरीश रावत ने उत्तराखंड में कांग्रेस की करारी हार पर जताया दुख, रणजीत रावत ने हरीश रावत पर पैसे लेकर टिकट बांटने के लगाए गंभीर आरोप

उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने रविवार को विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत न दिला पाने पर पीड़ा और शर्मिंदगी व्यक्त करते हुए कहा कि वह पार्टी नेतृत्व की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाए जिन्होंने उन पर भरोसा जताया था।

हरीश रावत कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली रवाना होने से पहले अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा कि उन्हें नहीं पता कि वह पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का सामना कैसे करेंगे। विधानसभा चुनाव परिणामों में कांग्रेस जहां 70 में से केवल 19 सीट तक सिमट गई। रावत लालकुआं सीट से चुनाव हार गए। प्रदेश में बीजेपी 47 सीट पर विजय प्राप्त कर लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई है।

कांग्रेस की इस हार पर 73 वर्षीय रावत ने लिखा, ‘दिल्ली की ओर जाने की कल्पना मात्र से मेरे पांव मन-मन भर भारी हो जाएं, कैसे सोनिया जी की चेहरे की तरफ देखूंगा। कितना विश्वास था उनका मुझ पर। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी कुछ कमियां रही होंगी जो वह उनके इतने बड़े विश्वास को कायम नहीं रख पाए। उन्होंने कहा कि अब वास्तविकता यह है कि हम हारे ही नहीं हैं, बल्कि हमारी हार और कई चिंताजनक संकेत दे रही है।

उत्तराखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत ने हरीश रावत पर लगाए गंभीर आरोप

उत्तराखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत ने इस दौरान हरीश रावत पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। यहां उन्होंने कहा कि हरीश रावत के कहने पर ही उन्होंने 2017 का चुनाव रामनगर से लड़ा था, लेकिन उन्होंने इसी को अपनी कर्मभूमि बना लिया। उन्होंने कहा कि इस बात के गवाह कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडेय भी हैं, जिनके सामने उन्होंने यह बात कही थी।

रणजीत रावत ने कहा, ‘हरीश रावत ने मुझसे कहा था कि सल्ट क्षेत्र का इतना विकास करने के बाद भी वहां की जनता ने तुम्हें हरा दिया, इसलिए तुम रामनगर से चुनाव लड़ो। उन्होंने हरीश रावत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस विधानसभा चुनाव में उन्होंने पैसे लेकर टिकट बांटे हैं और जिन्हें टिकट नहीं मिला वह अब अपने पैसे वापस मांगने के लिए उनके चक्कर लगा रहे हैं।’

रणजीत रावत कहते हैं, ‘कुछ लोगों के पैसे उनके मैनेजर ने लौटा दिए हैं, जबकि कुछ लोग अपने पैसों के लिए अभी भी चक्कर लगा रहे हैं। यह बात भी जल्द ही खुल जाएगी।’ उन्होंने कहा कि हरीश रावत नए लोगों को अपने सम्मोहन में बांध लेते हैं।

भाजपा के वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया, विधायकों को दिलाएंगे शपथ

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने नये विधानसभा अध्यक्ष के चयन की कार्यवाही होने तक कालाढूंगी से भाजपा विधायक बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। विधानसभा प्रभारी मुकेश सिंघल ने आदेश से सम्बंधित अधिसूचना जारी की।

उत्तराखंड में वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। भगत पांचवी विधानसभा के लिए चयनित हुए विधायकों को शपथ दिलाने के लिए। जिसके आदेश जारी कर दिए गए है। बता दें कि  राजभवन के निर्देश पर विधानसभा सचिवालय की तरफ से आदेश जारी किए गए हैं।बंशीधर भगत प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ लेने के बाद सभी नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे। इसके साथ ही उत्तराखंड की नई विधानसभा का गठन हो जाएगा।

प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) का चुनाव कराना होता है। सबसे सीनियर मोस्ट विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। विधानसभा सचिवालय की तरफ से राज्यपाल को सीनियर मोस्ट विधायकों के नाम भेजे जाते हैं और राज्यपाल उनसे से एक सीनियर मोस्ट विधायक को चुनता है। ये राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वो किसे चुने। इस बार राज्यपाल ने नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी की जिम्मेदारी भगत को सौंपी गई है। भगत ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने के बाद कैबिनेट मंत्री के रूप में 2022 के चुनाव में सातवीं बार कालाढूंगी से इस बार भी जीत दर्ज की है।

उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए विगत 14 फरवरी को चुनाव हुए थे। 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पाया और सरकार बनाने की तैयारियों में जुट गई है। चर्चा है कि होली के बाद नई सरकार का गठन होगा। बीजेपी की सत्ता में जोरदार वापसी के बाद जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का दौर जारी है, वहीं नई कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों को लेकर भी चर्चा का दौर शुरू हो गया है।

होली के बाद होगा उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का ऐलान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक बोले- 20 मार्च को होगा शपथ ग्रहण

उत्तराखंड में बीजेपी विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद अब नए मुख्यमंत्री की तलाश कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी नेतृत्व होली के बाद अगले मुख्यमंत्री को लेकर घोषणा करेगा।सूत्रों ने बताया कि19 मार्च को विधायक दल की मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें नए मुख्यमंत्री के नाम पर आधिकारिक मुहर लग जाएगी और फिर 20 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह होगा।

उत्तराखंड बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का दिल्ली पहुंचना भी शुरू हो चुका है। शनिवार को सबसे पहले कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज दिल्ली रवाना हुए। इसके बाद देर शाम कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल भी दिल्ली पहुंच गए। सूत्रों के अनुसार दोनों की दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हुई है। वहीं केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने राष्ट्रीय महासचिव-संगठन बीएल संतोष से मुलाकात की।

उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक ने इन सभी चर्चाओं पर विराम लगा दिया है। उन्होंने कहा कि “प्रदेश के नए सीएम के नाम पर 20 मार्च तक फैसला होगा। बीजेपी संगठन द्वारा नवनिर्वाचित विधायकों को होली के बाद देहरादून में रहने का निर्देश दिया गया है।”

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष नेतृत्व किसी विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में है, जिसमें से पहला नाम कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और दूसरा नाम में धन सिंह रावत का है। दोनों ही नाम अगले मुख्यमंत्री के तौर पर राजनीतिक गलियारों में तैर रहे हैं, लेकिन सबकी निगाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा की पसंद पर टिकी हुई हैं, क्योंकि अंतिम फैसला उन्हें ही करना है।

उत्तराखंड में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में कुल 70 विधानसभा सीटों में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके साथ एक बार फिर पूर्ण बहुमत हासिल कर ली है। हालांकि पार्टी के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद खटीमा सीट से चुनाव हार गए। जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल से मिलकर सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में बीजेपी में सूबे के मुख्यमंत्री को लेकर मंथन का दौर चल रहा है।

उत्तराखंड का लोकपर्व फूलदेई उत्सव आज से शुरू, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मनाया फूलदेई पर्व

उत्तराखंड में आज से फूलदेई का उत्सव शुरू हो गया है।उत्तराखंड में फूल संक्रांति फूलदेई पर्व उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार को चैत की संक्रांति के मौके पर राज्‍यभर में यह पर्व मनाया जा रहा है। देहरी पूजन के लिए बच्‍चे घर-घर पहुंच रहे हैं।

उत्तराखण्ड यूं तो देवभूमि के नाम से दुनिया भर में जाना जाता है, इस सुरम्य प्रदेश की एक और खासियत यह है कि यहां के निवासी बहुत ही त्यौहार प्रेमी होते हैं। जटिल परिस्थितियों, रोज एक नई परेशानी से रुबरु होने, जंगली जानवरों के आतंक और दैवीय आपदाओं से घिरे रहने के बाद भी यहां के लोग हर महीने में एक त्यौहार तो जरुर ही मना लेते हैं। इनके त्यौहार किसी न किसी रुप में प्रकृति से जुड़े होते हैं। प्रकृति ने जो उपहार उन्हें दिया है, उसके प्रति आभार वे अपने लोक त्यौहारों में उन्हें अपने से समाहित कर चुकाने का प्रयास करते हैं।

इसी क्रम में चैत्र मास की संक्रान्ति को फूलदेई  के रुप में मनाया जाता है, जो बसन्त ऋतु के स्वागत का त्यौहार है। इस दिन छोटे बच्चे सुबह ही उठकर जंगलों की ओर चले जाते हैं और वहां से प्योली/फ्यूंली, बुरांस, बासिंग आदि जंगली फूलो के अलावा आडू, खुबानी, पुलम के फूलों को चुनकर लाते हैं और एक थाली या रिंगाल की टोकरी में चावल, हरे पत्ते, नारियल और इन फूलों को सजाकर हर घर की देहरी पर लोकगीतों को गाते हुये जाते हैं और देहरी का पूजन करते हुये गाते हैं-

फूल देई, छम्मा देई,

देणी द्वार, भर भकार,

ये देली स बारम्बार नमस्कार,

फूले द्वार……फूल देई-छ्म्मा देई।

फूलदेई छम्मा देई, दैणी द्वार भर भकार। यानी यह देहरी फूलों से सजी रहे। घर खुशियों सेली भरा हो। सबकी रक्षा हो। अन्न के भंडार सदैव भरे रहे। सोमवार (आज) को चैत की संक्रांति है। उत्तराखंड में इसे फूल संक्रांति के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन घरों की देहरी को फूलों से सजाया जाता है। घर-मंदिर की चौखट का तिलक करते हुए ‘फूलदेई छम्मा देई’ कहकर मंगलकामना की जाती है। यह सब करते हैं घर व आस-पड़ोस के बच्चे। जिन्हें फुलारी कहा गया है। फुलारी यानी जो फूल लिए आ रहे हैं।

उत्तराखंड में आज से फूलदेई का उत्सव शुरू हो गया है। सुबह-सुबह ही बच्चे हाथों में फूलों की टोकरी लेकर लोगों के घरों की देहरी में फूल डालने निकल पड़े हैं। राजधानी में कुछ बच्चे सीएम आवास पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में बच्चों के साथ उत्तराखंड का लोकपर्व फूलदेई मनाया।

पुष्कर सिंह धामी ने बच्‍चों के साथ मनाया लोकपर्व
मुख्यमंत्री ने प्रकृति का आभार प्रकट करने वाले फूलदेई पर्व की प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी और प्रदेश की सुख- समृद्धि की कामना की। उन्होंने अपने आवास पर पहुंचे बच्चों को उपहार भेंट किये। शशिभूषण मैठाणी एवं पर्वतीय संस्कृति संरक्षण समिति के सहयोग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि फूलदेई उत्तराखंड की संस्कृति एवं परंपराओं से जुड़ा प्रमुख पर्व है। कहा कि किसी भी राज्य की संस्कृति एवं परंपराओं की पहचान में लोक पर्वों की अहम भूमिका होती है। हमें अपने लोक पर्वों एवं लोक परम्पराओं को आगे बढ़ाने की दिशा में लगातार प्रयास करने होंगें।

चैत्र की संक्रांति से पूरे माह तक बच्चे घरों और मंदिरों की देहरी पर रंग-बिरंगे फूलों को बिखरेंगे। भारतीय सनातन संस्कृति में प्रत्येक संक्रांति को पर्व के रूप में मनाया जाता है, लेकिन चैत्र संक्रांति के दिन प्रकृति संरक्षण को समर्पित फूल देई का पर्व मनाने की परंपरा है। फूलों का यह पर्व पूरे मास चलेगा।

लोकगीतों में मिलती है पर्व की छलक

फूलदेई की झलक लोकगीतों में भी दिखती है। उत्तराखंडी लोकगीतों का फ्यूजन तैयार करने वाले पांडवाज ग्रुप ने फुल्वारी गीत में फुलारी को सावधान करते हुए लिखा है- चला फुलारी फूलों को, सौदा-सौदा फूल बिरौला। भौरों का जूठा फूल ना तोड्या। म्यारयूं का का जूठा फूल ना लायां। अर्थात चलो फुलारी, ताजा फूल चुनने चलते हैं। ध्यान रखना भौंरों के जूठे किए व मधुमक्खी की चखे फूलों को न तोडऩा।

लोक पर्व फूलदेई वसंत ऋतु के आगमन का संदेश देता है। नौकरी, पढ़ाई व दूसरे वजहों से अलग होते परिवारों में प्रकृति संरक्षक से जुड़े इस पर्व को मनाने की परंपरा पिछले कुछ वर्षों में कम हुई है। विशेषकर नगरीय क्षेत्रों में पर्व अब परंपरा निभाने तक सीमित होता जा रहा है।

यूक्रेन पर कब्जे के लिए रूस ने हमले किए तेज, 9 लोगों की मौत, 57 घायल

रूस यूक्रेन युद्ध का आज 18वां दिन है। रूस-यूक्रेन की जंग थमने की बजाय बढ़ती ही जा रही है। युद्ध के 18वें दिन रूसी सेना लगातार हमले कर रही है। रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के खिलाफ अपने हमले और तेज कर दिए हैं। इस बीच यूक्रेन ने कहा है कि रूसी सैनिकों के हमले में कीव के पास एक बच्चे सहित 9 लोगों को मौत हो गई है। यूक्रेन ने रूसी बलों पर कीव के पास लड़ाई के बीच भागने की कोशिश कर रही महिलाओं और बच्चों पर फायरिंग करने का आरोप लगाया है। ये लोग पेरेमोहा गांव से भागकर आए थे। यूक्रेनी अधिकारियों ने बाद में कहा कि काफिला रूस के साथ सहमत ‘ग्रीन कॉरिडोर’ से होकर नहीं जा रहा था, जब उन पर गोलियां दागी गईं। हालांकि यूक्रेन की ओर से पहले कहा गया था कि ये लोग इसी कॉरिडोर पर यात्रा कर रहे थे।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ फोन पर बातचीत में यूक्रेनी सैनिकों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघनों की बात कही। पुतिन ने यूक्रेनी सुरक्षा बलों की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के खुले तौर पर उल्लंघन के कई तथ्यों का हवाला दिया। इसमें नागरिकों को बंधक बना लेना और उन्हें ढाल के रूप में उपयोग करना, आवासीय क्षेत्र में भारी तोपखाना तैनात करना इत्यादि शामिल हैं।

रूस के हवाई हमले में 9 की मौत

यूक्रेन पर रूस के हमले लगातार जारी है। इसी बीच समाचार एजेंसी एएफपी ने एक स्थानीय अधिकारी के हवाले से बताया कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के पश्चिमी शहर ल्वीव के बाहर एक सैन्य प्रशिक्षण केंद्र पर कई हवाई हमले किए। इस हमले में नौ लोगों की मौत हो गई है। जबकि, 57 लोग घायल हुए है।

यूक्रेन के कई शहरों में हवाई हमले की चेतावनी

वहीं यूक्रेन ने शनिवार को मानवीय कॉरिडोर से 13,000 नागरिकों को बाहर निकाला है. इस बीच यूक्रेन के लगभग हर क्षेत्र में हवाई हमले की चेतावनी सुनी जा रही है।
यूक्रेन के लगभग हर क्षेत्र में हवाई हमले की चेतावनी जारी कर दी गई है। उमान, खार्किव, क्रामाटोर्स्क, स्लोवियनस्क, विन्नित्सिया, कीव, पोल्टावा, ज़ाइटॉमिर, खमेलनित्स्की, ल्विव, ओडेसा, वोलिन, ज़ापोरिज़्झा, बेरेज़िव्का, इज़मेल, किलिया, युज़्ने, चेर्नोमोर्स्क, बिलाइव्का, कीव, रिव्ने और चेर्नोमोर्स्क में सायरन सक्रिय कर दिए गए हैं।

जेलेंस्की ने कहा, रूस नहीं जीत सकता है यह युद्ध

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि रूसी सैनिक यह युद्ध नहीं जीत सकता है। हालांकि जेलेंस्की ने कहा है कि वह रूस के व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन केवल तभी जब युद्ध विराम हो। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने शनिवार को दावा किया कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से लगभग 1,300 यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं। इस बीच, रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने सरकारी टेलीविजन को बताया कि उसके सैनिक पश्चिमी देशों द्वारा भेजे गए हथियारों की आपूर्ति को निशाना बना सकते हैं। दूसरी ओर, ब्रिटेन की नवीनतम रक्षा खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, सैटेलाइट तस्वीरों में यह दिखाई दे रहा है कि रूसी सेना राजधानी कीव से लगभग 25 किमी दूर है।

 

उत्तराखंड: कौन बनेगा मुख्यमंत्री, मंथन में जुटी भाजपा, धामी को फिर सौंपी जा सकती है कमान, रेस में कई दिग्गज

विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा अब मुख्यमंत्री के नाम को लेकर मंथन में जुट गई है। इस सिलसिले में विधायकों का मन टटोलने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। माना जा रहा है कि चुनाव हारने के बावजूद कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फिर से पार्टी अवसर दे सकती है।

उत्तराखंड में मोदी-शाह और नड्डा की तिकड़ी मुख्यमंत्री के चुनाव के मामले में किसी भी चेहरे पर दांव लगाकर सबको चौंका सकती है। यह जानते हुए भाजपा में सीएम की कुर्सी के लिए दौड़ शुरू हो गई है। बेशक सीएम पद के लिए कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है, लेकिन अरमान तकरीबन हर कद्दावर नेता के जोर मार रहे हैं।

भाजपा ने चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है, लेकिन चुनाव में पार्टी का चेहरा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हार गए। ऐसे में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह प्रश्न राजनीतिक गलियारों में तैर रहा है। साथ ही भाजपा भी मुख्यमंत्री के नाम पर विचार करने में जुट गई है। चर्चा है कि चुनाव हारने के बावजूद धामी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पिछली सरकार में उन्हें कार्य करने को केवल छह माह का ही समय मिल पाया। इस दौरान वह निर्विवादित रहे।

भाजपा पुष्कर सिंह धामी को ही सत्ता की कमान सौंप सकती है। पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हारने के मिथक को नहीं तोड़ पाए। हालांकि उनके चेहरे पर लड़े गए इस चुनाव में भाजपा दो तिहाई बहुमत हासिल करने में कामयाब रही। यही तर्क धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना के पक्ष में गढ़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट के नाम भी चर्चा में है। माना जा रहा कि अनुभव को तरजीह देने की स्थिति में पार्टी नेतृत्व इनके नाम पर विचार कर सकता है। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री रहे सतपाल महाराज, डा धन सिंह रावत के नाम भी चर्चा में चल रहे हैं।
त्रिवेंद्र और धामी के लिए सीट छोड़ने को तैयार
भाजपा के दो नव निर्वाचित विधायकों ने अलग-अलग घोषणा की कि वह अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। डोईवाला विधानसभा सीट से चुने गए विधायक बृजभूषण गैरोला का बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी मुख्यमंत्री बनाती है तो वह अपनी सीट उनके लिए खाली कर देंगे। चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने कार्यवाह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट खाली करने का एलान किया।

पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, नई सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज

चुनाव परिणाम आने के बाद अब भाजपा सरकार बनाने की प्रक्रिया में लग गई है, जिसके तहत मुख्यमंत्री धामी ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है । राजभवन में राज्यपाल लेफि्टनेंट जनरल गुरमीत सिंह को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं को बताया कि नया जनादेश मिलने और पुरानी सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्होंने राज्यपाल को अपना और अपने मंत्रिमंडल का त्यागपत्र सौंप दिया है ।निवर्तमान सरकार के कैबिनेट सहयोगी, सतपाल महाराज, गणेश जोशी और स्वामी यतीश्वरानंद भी इस दौरान धामी के साथ थे ।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को दोपहर 1:30  बजे राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह से भेंट कर मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र सौंपा।  पुष्कर सिंह धामी का इस्तीफ़ा स्वीकार करते हुए राज्यपाल ने उनसे राज्य में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति होने एवं पदभार ग्रहण करने की अवधि तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है।

विधानसभा चुनाव परिणाम के अनुसार भाजपा ने 70 में 47 सीटें अपने नाम कर दो तिहाई से ज्यादा बहुमत हासिल किया लेकिन पार्टी को जीत तक ले जाने वाले मुख्यमंत्री धामी स्वयं अपनी सीट बरकरार रखने में विफल रहे । तीसरी बार विधायक बनने का प्रयास कर रहे धामी को खटीमा सीट पर प्रदेश कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भुवनचंद्र कापडी के हाथों शिकस्त मिली ।