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प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित किया Transparency, Predictability और Ease of Doing Business के साथ हम रक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं – प्रधानमंत्री रक्षा क्षेत्र में विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है – नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री ने आज रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में कैसे आत्मनिर्भर बने, इस संदर्भ में आज का ये संवाद बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले हमारे यहां सैकड़ों ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां होती थीं। दोनों विश्व युद्धों में भारत से बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर भेजे गए थे। लेकिन आजादी के बाद अनेक वजहों से इस व्यवस्था को उतना मजबूत नहीं किया गया, जितना किया जाना चाहिए था।

प्रधानमंत्री ने बताया कि हमारी सरकार ने अपने इंजीनियरों-वैज्ञानिकों और तेजस लड़ाकू विमान की क्षमताओं पर भरोसा किया है और आज तेजस शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही तेजस के लिए 48 हजार करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2014 से ही हमारा प्रयास रहा है कि transparency, predictability और ease of doing business के साथ हम इस sector में आगे बढ़ रहे हैं। De-Licensing, de-regulation, export promotion, foreign investment liberalization, आदि के साथ हमने इस sector में एक के बाद एक कदम उठाए हैं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत ने डिफेंस से जुड़े ऐसे 100 महत्वपूर्ण डिफेंस आइटम्स की लिस्ट बनाई है, जिन्हें हम अपनी स्थानीय इंडस्ट्री की मदद से ही मैन्यूफैक्चर कर सकते हैं। इसके लिए टाइमलाइन इसलिए रखी गई है ताकि हमारी इंडस्ट्री इन ज़रूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य हासिल करने के लिए प्लान कर सकें।

सरकारी भाषा में ये Negative list है लेकिन आत्मनिर्भरता की भाषा में ये Positive List है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसके बल पर हमारी अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो भारत में ही रोज़गार निर्माण का काम करेगी। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता को कम करने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है, जिसकी वजह से भारत में बने प्रॉडक्ट्स की, भारत में बिकने की गारंटी है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि रक्षा के capital budget में भी domestic procurement के लिए एक हिस्सा reserve कर दिया गया है। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि manufacturing के साथ-साथ design और development में भी निजी क्षेत्र आगे आये और भारत का विश्व भर में परचम लहराएँ।

उन्होंने कहा कि MSMEs तो पूरे मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर के लिए रीढ़ का काम करती हैं। आज जो रिफॉर्म्स हो रहे हैं, उससे MSMEs को ज्यादा आजादी मिल रही है, उनको Expand करने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आज जो डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, वो भी स्थानीय उद्यमियों, लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को मदद करेंगे। यानि आज हमारे डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को हमें ‘जवान भी और नौजवान भी’, इन दोनों मोर्चों के सशक्तिकरण के रूप में देखना होगा।

 

प्रधानमंत्री 23 फरवरी को आईआईटी ,खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 फरवरी, 2021 को 12.30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आईआईटी, खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री भी उपस्थित रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने किया हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय फैडरेशन वेब पोर्टल का विधिवत लोकार्पण

हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय फैडरेशन द्वारा संचालित वेब पोर्टल www.himalayankart.in का विधिवत लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा सर्किट हाउस में किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय द्वारा संचालित वेब पोर्टल में यथा संभव सहयोग किया जायेगा जिससे महिलाओं में इस कार्य क्षेत्र में अधिक रूचि होगी और अन्य महिलाऐं भी इस पोर्टल के माध्यम से अपने उत्पादों को आमजन तक पहुचा पायेंगी, इससे महिलाओं का आर्थिक विकास होगा तथा वे आत्मनिर्भर भी बनेंगी तथा पोर्टल के जरिये महिलाओं द्वारा उत्पादित उत्पादों की पहुच जन-जन तक हो सकेगी। मुख्यमंत्री द्वारा सभी जनप्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं तथा फैडरेशन के पदाधिकारियों को इस वेब पोर्टल के संचालन के लिए बधाई दी।

मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए मुख्य विकास अधिकारी नरेन्द्र सिंह भण्डारी ने बताया कि कोविड-19 से पूर्व स्वयं सहायता समूह के उत्पादों को बाजार में आसानी से बेचा जा रहा था, लेकिन कोविड-19 में लाॅकडाउन के कारण स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बनाये गये उत्पादों को बाजार में लाना मुश्किल था, जिस कारण इन उत्पादों को बाजार में लाने के लिए ई-मार्केटिंग से जोड़ने के लिए ई-कामर्स वेब पोर्टल बनाया गया, जिसमें स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के द्वारा बनाये गये उत्पादों को आनलाईन मार्केट के माध्यम से बेचा जायेगा। जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा बताया गया कि ई-मार्केटिंग के द्वारा महिलाओं में तकनीकी क्षेत्र के बारे में जानकारी के साथ-साथ अपने उत्पादों को बेहतर गुणवत्ता के साथ बनाकर पूरे देश में बेचा जा सकता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और वर्तमान के प्रतिस्पर्धा के दौर में खुद को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

लोकार्पण समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत, विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष भाजपा बंशीधर भगत, विधायक संजीव आर्य, नवीन दुम्का, राम सिंह कैड़ा, जिला अध्यक्ष भाजपा प्रदीप बिष्ट, मण्डलायुक्त अरविन्द सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के अलावा फैडरेशन पदाधिकारी श्रीमती विनीता आर्य, इन्दिरा देवी, सरीता जोशी आदि उपस्थित थे।

उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को मिली नए सत्र में प्रवेश की अनुमति

उत्तराखंड में निजी क्षेत्र में 2001 से स्थापित प्रथम आयुर्वेदिक कॉलेज राजपुर रोड स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को बीएएमएस एवं एमडी आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु 60 सीटों के प्रवेश हेतु आयुष मंत्रालय ने मान्यता प्रदान कर दी है। जिसमें आयुर्वेद, स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अभ्यर्थियों को प्रवेश का मौका मिलेगा।
उक्त जानकारी देते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्य मानव दयाल शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में भविष्य बनाने के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ा है। सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भवन अस्पताल एवं सुरम्य घाटी में स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रवेश हेतु अभ्यर्थी उत्साहित है। नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को संस्था में नियमानुसार प्रवेश की कार्यवाही 28 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाएगी। कॉलेज को द्वितीय चरण की काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया है।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुरेश चौबे ने दी जानकारी में बताया कि राज्य में आयुर्वेदिक कॉलेजों में प्रवेश हेतु प्रथम चरण की काउंसिलिंग पूर्ण हो चुकी है एवं द्वितीय चरण की काउंसिलिंग अंतिम चरण में है। मोप अप राउंड काउंसलिंग 24 से अनंतिम निर्धारित है। डॉ. चौबे ने बताया कि राज्य में 3 राजकीय व निजी क्षेत्र के 9 आयुर्वेदिक कॉलेजों को आगामी सत्र में प्रवेश हेतु मान्यता प्राप्त हुई है।
एक कॉलेज को मान्यता मिलने की संभावना है। अगले प्रवेश प्रक्रिया की घोषणा जल्द ही की जाएगी। विश्ववविद्यालय ने काउंसलिंग शेडयूल में आंशिक फ़ेरबदल किया है। डॉ. चौबे ने बताया कि द्वितीय चरण की काउंसलिंग के उपरांत विगत दिवस विश्वविद्यालय द्वारा मेरिट लिस्ट जारी कर दी जायेगी। जिसमें अभ्यर्थियों को नीट की मेरिट के आधार पर राज्य के विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले का मौका मिलेगा। 19 व 20 को अभ्यर्थी अपनी सूची के अनुसार महाविद्यालयों का चयन (choice filling) कर सकेंगे। उपलब्ध सीटों के आधार पर 22 को विश्वविद्यालय द्वारा सीटें आवंटित कर परिणाम घोषित किया जाएगा। आवंटित सीटों पर अभ्यर्थी 23 व 24 फरवरी को प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के एमडी एवं उत्तराखंड मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ अश्विनी काम्बोज ने आयुष मंत्रालय एवं सी.सी.आई.एम नई दिल्ली का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस वर्ष को महामारी के चलते आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम का सत्र विलंबित हुआ है। प्रतिवर्ष 30 अक्टूबर उक्त प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती थी, परंतु कोरोना के चलते इस वर्ष आयुष कॉलेजों में नए सत्र का शिक्षण-प्रशिक्षण मार्च 2021 से प्रारंभ होगा। डॉ. कांबोज ने बताया कि राज्य के कुछ कॉलेजों को अभी भी प्रवेश की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। उनको भारत सरकार द्वारा शीघ्र अनुमति मिलने की संभावना है। ऐसे कॉलेजों में रिक्त सीटों के लिए अलग से काउंसलिंग हेतु भारत सरकार को एसोसिएशन के माध्यम से पत्र प्रेषित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एवं केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद नई दिल्ली द्वारा उत्तराखंड के आयुष कॉलेजों में नए सत्र में प्रवेश हेतु निजी क्षेत्र के 9 कॉलेजों को मान्यता प्रदान करते हुए सूची जारी कर दी है। इनके अतिरिक्त राज्य के तीन राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज व गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (हरिद्वार) एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय मैन केंपस हर्रावाला देहरादून को भारत सरकार ने पूर्व में ही मान्यता प्रदान कर दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के जिन 9 निजी कॉलेजों को मान्यता मिली है, उनमें पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज (100 सीट), उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज (60), हिमालय आयुर्वेदिक कॉलेज (60) दून इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (60), क्वाड्रा इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद(30), मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज(60), शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद एंड रिसर्च (60), मंजीरा देवी आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज (30), चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज (50) सीट शामिल है।
देवभूमि मेडिकल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद को भी जल्द मान्यता मिलने की संभावना है। राज्य के तीन कॉलेजों हरिद्वार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उत्तरांचल युनानी मेडिकल कॉलेज एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को कोर्ट के आदेश से मान्यता प्राप्त होने की जानकारी मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन कॉलेजों बिहाइव मेडिकल कॉलेज, विशंभर सहाय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं परम हिमालयन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज को मान्यता मानक (टीचिंग फैकल्टी) पूरे न किए जाने पर रद्द कर दी गई है।

प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, “मां भारती के अमर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उनके अदम्य साहस, अद्भुत शौर्य और असाधारण बुद्धिमत्ता की गाथा देशवासियों को युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी। जय शिवाजी।”

विश्व-भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ

पश्चिम बंगाल के गवर्नर श्रीमान जगदीप धनखड़ जी, विश्व भारती के वाइस चांसलर प्रोफेसर बिद्युत चक्रबर्ती जी, शिक्षक गण, कर्मचारी गण और मेरे ऊर्जावान युवा साथियों !

गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी है, उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुड़ना मेरे लिए प्रेरक भी है, आनंददायक भी है और एक नई ऊर्जा भरने वाला है। अच्‍छा होता मैं इस पवित्र मिट्टी पर खुद आ करके आपके बीच शरीक होता। लेकिन जिस प्रकार के नए नियमों में जीना पड़ रहा है और इसलिए मैं आज रूबरू न आते हुए, दूर से ही सही, आप सबको प्रणाम करता हूं, इस पवित्र मिट्टी को प्रणाम करता हूं। इस बार तो कुछ समय के अंतराल पर मुझे दूसरी बार ये मौका मिला है। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता-पिता को, गुरुजनों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

 

साथियों,

आज एक और बहुत ही पावन अवसर है, बहुत ही प्रेरणा का दिन है। आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म जयंती है। मैं सभी देशवासियों को, छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी ने भी शिबाजि-उत्सब नाम से वीर शिवाजी पर एक कविता लिखी थी। उन्होंने लिखा था-

 

कोन्‌ दूर शताब्देर

कोन्‌-एक अख्यात दिबसे

नाहि जानि आजि, नाहि जानि आजि,

माराठार कोन्‌ शोएले अरण्येर

अन्धकारे बसे,

हे राजा शिबाजि,

तब भाल उद्भासिया ए भाबना तड़ित्प्रभाबत्

एसेछिल नामि–

“एकधर्म राज्यपाशे खण्ड

छिन्न बिखिप्त भारत

बेँधे दिब आमि।’’

 

यानि एक शताब्दी से भी पहले, किसी एक अनाम दिन, मैं उस दिन को आज नहीं जानता किसी पर्वत की ऊंची चोटी से, किसी घने वन में, ओह राजा शिवाजी, क्या ये विचार आपको एक बिजली की रोशनी की तरह आया था? क्या ये विचार आया था कि छिन्न-भिन्न इस देश की धरती को एक सूत्र में पिरोना है? क्या मुझे इसके लिए खुद को समर्पित करना है? इन पंक्तियों में छत्रपति वीर शिवाजी से प्रेरणा लेते हुए भारत की एकता, भारत को एक सूत्र में पिरोने का आह्वान था। देश की एकता को मजबूत करने वाली इन भावनाओं को हमें कभी भूलना नहीं है। पल-पल, जीवन के हर कदम पर देश की एकता-अखंडता के इस मंत्र को हमें हमें याद भी रखना है, हमें जीना भी है। यही तो टैगोर का हमें संदेश है।

 

साथियों,

आप सिर्फ एक विश्विद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा के वाहक भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसको Global University

या कोई और नाम भी दे सकते थे। लेकिन उन्होंने, इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया। उन्होंने कहा था- ‘’Visva-Bharati acknowledges India’s obligation to offer to others the hospitality of her best culture and India’s right to accept from others their best.’’

 

गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सीखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा। गुरुदेव का ये मॉडल ब्रह्म, त्याग और आनंद, के मूल्यों से प्रेरित था। इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सीखने का एक ऐसा स्थान बनाया, जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे, उस पर शोध करे और गरीब से गरीब की समस्याओं के समाधान के लिए काम करे। ये संस्कार मैं पूर्व में यहां से निकले छात्र-छात्राओं में भी देखता हूं और आपसे भी देश की यही अपेक्षा है।

 

साथियों,

गुरुदेव टैगोर के लिए विश्व भारती, सिर्फ ज्ञान देने वाली, ज्ञान परोसोन वाली एक संस्था मात्र नहीं थी। ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का, जिसे हम कहते हैं- स्वयं को प्राप्त करना। जब आप अपने कैंपस में बुधवार को उपासना के लिए जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करते हैं। जब आप गुरुदेव द्वारा शुरू किए गए समारोहों में जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करने का एक अवसर प्राप्‍त होता है। जब गुरुदेव कहते हैं-

आलो अमार

आलो ओगो

आलो भुबन भारा

तो ये उस प्रकाश के लिए ही आह्वान है जो हमारी चेतना को जागृत करती है। गुरुदेव टैगोर मानते थे, विविधताएं रहेंगी, विचारधाराएं रहेंगी, इन सबके साथ ही हमें खुद को भी तलाशना होगा। वो बंगाल के लिए कहते थे-

बांगलार माटी,

बांगलार जोल,

बांगलार बायुबांगलार फोल,

पुण्यो हौक,

पुण्यो हौक,

पुण्यो हौक,

हे भोगोबन..

 

लेकिन साथ ही वो भारत की विविधता का भी उतना ही गौरवगान बड़े भाव से करते थे। वो कहते थे-

हे मोर चित्तो पुन्यो तीर्थे जागो रे धीरे,

 भारोतेर महामनोबेर सागोरोतीरे

हेथाय दाराए दु बाहु बाराए नमो

नरोदेबोतारे,

और ये गुरुदेव का ही विशाल विजन था कि शांतिनिकेतन के खुले आसमान के नीचे वो विश्वमानव को देखते थे।

 

एशो कर्मीएशो ज्ञानी,

ए शो जनकल्यानीएशो तपशराजो हे!

एशो हे धीशक्ति शंपद मुक्ताबोंधो शोमाज हे !

हे श्रमिक साथियों, हे जानकार साथियों, हे समाज सेवियों, हे संतों, समाज के सभी जागरूक साथियों, आइए समाज की मुक्ति के लिए मिल करके प्रयास करें। आपके कैंपस में ज्ञान प्राप्ति के लिए एक पल भी बिताने वाले का ये सौभाग्य है कि उसे गुरुदेव का ये विजन मिलता है।

 

साथियों,

विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गई। ज्ञान की, क्रिएटिविटी की कोई सीमा नहीं होती है, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। आपको ये भी हमेशा याद रखना होगा कि ज्ञान, विचार और स्किल, static नहीं हैं, पत्‍थर की तरह नहीं है, स्थिर नहीं हैं, जीवंत हैं। ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें Course Correction की गुंजाइश भी हमेशा रहेगी, लेकिन Knowledge और Power, दोनों Responsibility के साथ आते हैं।

 

जिस प्रकार, सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, रहना जरूरी होता है, उसी प्रकार हर विद्वान को, हर जानकार को भी उनके प्रति ज़िम्मेदार रहना पड़ता है जिनके पास वो शक्ति नहीं है। आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं बल्कि समाज की, देश की, अरे भावी पीढ़ियों की भी वो धरोहर है। आपका ज्ञान, आपकी स्किल, एक समाज को, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है और वो समाज को बदनामी और बर्बादी के अंधकार में भी धकेल सकती है। इतिहास और वर्तमान में ऐसे अनेक उदाहरण हैं।

 

आप देखिए, जो दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, जो दुनिया में हिंसा फैला रहे हैं, उनमें भी कई Highly Educated, Highly Learned, Highly Skilled लोग हैं। दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए दिन-रात अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। अस्‍पतालों में डटे रहते हैं, प्रयोगशालाओं में जुटे हुए हैं।

 

ये सिर्फ विचारधारा का प्रश्न नहीं है, मूल बात तो mindset की है। आप क्या करते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपका माइंडसेट पॉजिटिव है या नेगेटिव है। स्कोप दोनों के लिए है, रास्ते दोनों के लिए ओपेन हैं। आप समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या फिर समाधान का, ये तय करना हमारे अपने हाथ में होता है। अगर हम उसी शक्ति, उसी सामर्थ्‍य, उसी बुद्धि, उसी वैभव को सत्‍कार्य के लिए लगाएंगे तो परिणाम एक मिलेगा, दुष्‍कर्मों के लिए लगाएंगे तो परिणाम दूसरा मिलेगा।  अगर हमीं सिर्फ अपना हित देखेंगे तो हम हमेशा चारों तरफ मुसीबतें देखते आएंगे, समस्‍याएं देखते आएंगे, नाराजगी देखते आएंगे, आक्रोश नजर आएगा।

 

लेकिन अगर आप खुद से ऊपर उठ करके, अपने स्‍वार्थ से ऊपर उठ करके Nation First की अप्रोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो आपको हर समस्‍या के बीच में भी Solution ढूंढने का मन करेगा, Solution नजर आएगा। बुरी शक्तियों में भी आपको अच्‍छा ढूंढने का, उसमें से अच्‍छाई का  परिवर्तन का मन करेगा और आप स्थितियां बदलेंगे भी, आप स्‍वयं भी अपने-आप में एक Solution बनकर उभरेंगे।

 

अगर आपकी नीयत साफ है और निष्ठा मां भारती के प्रति है, तो आपका हर निर्णय, आपका हर आचरण, आपकी हर कृति किसी ना किसी समस्‍या के समाधान की तरफ ही बढ़ेगा। सफलता और असफलता हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं करती है। हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए। एक युवा के रूप में, एक मनुष्य के रूप में, जब कभी हमें फैसला लेने से डर लगने लगे तो वो हमारे लिए सबसे बड़ा संकट होगा। अगर फैसले लेने का हौसला चला गया तो मान लीजिएगा कि आपकी युवानी चली गई है। आप युवा नहीं रहे हैं।

जब तक भारत के युवा में नया करने का, रिस्क लेने का और आगे बढ़ने का जज्बा रहेगा, तब तक कम से कम मुझे देश के भविष्य की चिंता नहीं है। और मुझे जो देश युवा हो, 130 करोड़ आबादी में इतनी बड़ी तादाद में युवा शक्ति हो तो मेरा भरोसा और मजबूत हो जाता है, मेरा विश्‍वास और मजबूत हो जाता है। और इसके लिए आपको जो सपोर्ट चाहिए, जो माहौल चाहिए, उसके लिए मैं खुद भी और सरकार भी…इतना ही नहीं, 130 करोड़ का संकल्‍पों से भरा हुआ, सपनों से लेकर जीने वाला देश भी आपके समर्थन में खड़ा है।

 

साथियों,

विश्व भारती के 100 वर्ष के ऐतिहासिक अवसर पर जब मैंने आपसे बात की थी, तो उस दौरान भारत के आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता के लिए आप सभी युवाओं के योगदान का जिक्र किया था। यहां से जाने के बाद, जीवन के अगले पड़ाव में आप सभी युवाओं को अनेक तरह के अनुभव मिलेंगे।

 

साथियों,

आज जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का हमें गर्व है वैसे ही मुझे आज धर्मपाल जी की याद आती है। आज महान गांधीवादी धरमपाल जी की भी जन्म जयंती भी है। उनकी एक रचना है- The Beautiful Tree- Indigenous Indian Education in the Eighteenth Century.

 

आज आपसे बात करते हुए मैं इस पवित्र धाम में आपसे बात कर रहा हूं तो मेरा मन करता है उसका जिक्र मैं जरूर करूं। और बंगाल की धरती, ऊर्जावान धरती के बीच जब बात कर रहा हूं तब तो मेरा स्‍वाभाविक मन करता है कि मैं जरूर धरमपाल जी के उस विषय को आपके सामने रखूं। इस पुस्तक में धरमपाल जी थॉमस मुनरो द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय शिक्षा सर्वे का ब्योरा दिया है।

 

1820 में हुए इस शिक्षा सर्वे में कई ऐसी बातें हैं, जो हम सबको हैरान भी करती हैं और गौरव से भर देती हैं। उस सर्वे में भारत की साक्षरता दर बहुत ऊंची आंकी गई थी। सर्वे में ये भी लिखा गया था कि कैसे हर गांव में एक से ज्यादा गुरुकुल थे। और जो गांव के मंदिर होते थे, वो सिर्फ पूजा-पाठ की जगह नहीं, वे शिक्षा को बढ़ावा देने वाले, शिक्षा को प्रोत्‍साहन देने वाले, एक अत्‍यंत पवित्र कार्य से भी गांव के मंदिर जुड़े हुए रहते थे। वे भी गुरुकुल की परम्‍पराओं को आगे बढ़ाने में, बल देने में प्रयास करते थे। हर क्षेत्र, हर राज में तब महाविद्यालयों को बहुत गर्व से देखा जाता था कि कितना बड़ा उनका नेटवर्क था। उच्च शिक्षा के संस्थान भी बहुत बड़ी मात्रा में थे।

 

भारत पर ब्रिटिश एजुकेशन सिस्टम थोपे जाने से पहले, थॉमस मुनरो ने भारतीय शिक्षा पद्धति और भारतीय शिक्षा व्यवस्था की ताकत को अनुभव किया था, देखा था। उन्होंने देखा था कि हमारी शिक्षा व्यवस्था कितनी vibrant है, ये 200 साल पहले की बात है। इसी पुस्तक में विलियम एडम का भी जिक्र है जिन्होंने ये पाया था कि 1830 में बंगाल और बिहार में एक लाख से ज्यादा Village Schools थे, ग्रामीण विद्यालय थे।

साथियों,

ये बातें मैं आपको विस्तार से इसलिए बता रहा हूं क्योंकि हमें ये जानना आवश्यक है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था क्या थी, कितनी गौरवपूर्ण थी, कैसे ये हर इंसान तक पहुंची हुई थी। और बाद में अंग्रेजों के कालखंड में और उसके बाद के कालखंड में हम कहां से कहां पहुंच गए, क्‍या से क्‍या हो गया।

गुरुदेव ने विश्वभारती में जो व्यवस्थाएं विकसित कीं, जो पद्धतियां विकसित कीं, वो भारत की शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने, भारत को आधुनिक बनाने का एक माध्यम थीं। अब आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, वो भी पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती है। ये शिक्षा नीति आपको अलग-अलग विषयों को पढ़ने की आजादी देती है। ये शिक्षा नीति, आपको अपनी भाषा में पढ़ने का विकल्प देती है। ये शिक्षा नीति entrepreneurship, self-employment को भी बढ़ावा देती है।

 

ये शिक्षा नीति Research को, Innovation को बल देती है, बढ़ावा देती है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में ये शिक्षा नीति भी एक अहम पड़ाव है। देश में एक मज़बूत रिसर्च और इनोवेशन इकोसिस्टम बनाने के लिए भी सरकार लगातार काम कर रही है। हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों Journals की फ्री एक्सेस अपने स्कॉलर्स को देने का फैसला किया है। इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।

 

साथियों,

भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार Gender Inclusion Fund की भी व्यवस्था की गई है। इस पॉलिसी में छठी क्लास से ही Carpentry से लेकर Coding तक ऐसे अनेक स्किल सेट्स पढ़ाने की योजना इसमें है, जिन स्किल्स से लड़कियों को दूर रखा जाता था। शिक्षा नीति बनाते समय, बेटियों में Drop-out Rate ज्यादा होने के कारणों को गंभीरता से स्टडी किया गया है। इसलिए, पढ़ाई में निरंतरता, डिग्री कोर्स में एंट्री और एग्जिट का ऑप्शन हो और हर साल का क्रेडिट मिले, इसकी एक नए प्रकार की व्यवस्था की गई।

 

साथियों,

बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया और ये गौरवपूर्ण बात है। बंगाल, एक भारतश्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है। शताब्दी समारोह में चर्चा के दौरान मैंने इस पर भी विस्तार से अपनी बात रखी थी। आज जब भारत 21वीं सदी की Knowledge economy बनाने की तरफ बढ़ रहा है तब भी नज़रें आप पर हैं, आप जैसे नौजवानों पर हैं, बंगाल की ज्ञान संपदा पर हैं, बंगाल के ऊर्जावान नागरिकों पर हैं। भारत के ज्ञान और भारत की पहचान को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने में विश्व भारती की बहुत बड़ी भूमिका है।

 

इस वर्ष हम अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। विश्व भारती के प्रत्येक विद्यार्थी की तरफ से देश को सबसे बड़ा उपहार होगा कि भारत की छवि को और निखारने के लिए हम सब मिल करके और विशेष करके मेरे नौजवान साथी ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें। भारत जो है, जो मानवता, जो आत्मीयता, जो विश्व कल्याण की भावना हमारे रक्त के कण-कण में है, उसका ऐहसास बाकी देशों को कराने के लिए, पूरी मानव जाति को कराने के लिए विश्व भारती को देश की शिक्षा संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए।

 

मेरा आग्रह है, अगले 25 वर्षों के विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। जब आजादी के 100 साल होंगे, वर्ष 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह बनाएगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रखे जा सकते हैं। आप अपने गुरुजनों के साथ चिंतन-मनन करें, लेकिन कोई न कोई लक्ष्य अवश्य तय करें।

 

आपने अपने क्षेत्र के अनेक गांवों को गोद लिया हुआ है। क्या इसकी शुरुआत, हर गांव को आत्मनिर्भर बनाने से हो सकती है? पूज्‍य बापू ग्रामराज्‍य की जो बात करते थे, ग्राम स्‍वराज की बात करते थे। मेरे नौजवान साथियो गांव के लोग, वहां के शिल्पकार, वहां के किसान, इन्हें आप आत्मनिर्भर बनाइए, इनके उत्पादों को विश्व के बड़े-बड़े बाजारों में पहुंचाने की कड़ी बनिए।

विश्व भारती तो, बोलपुर जिले का मूल आधार है। यहाँ के आर्थिक-भौतिक, सांस्कृतिक सभी गतिविधियों में विश्वभारती रचा-बसा है, एक जीवंत इकाई है। यहां के लोगों को, समाज को सशक्त करने के साथ ही, आपको अपना बृहद दायित्व भी निभाना है।

आप अपने हर प्रयास में सफल हों, अपने संकल्पों को सिद्धि में बदलें। जिन उद्देश्‍यों को ले करके विश्‍व भारती में कदम रखा था और जिन संस्‍कारों और ज्ञान की संपदा को लेकर आज जब आप विश्‍वभारती से कदम दुनिया की दहलीज पर रख रहे हैं, तब दुनिया आपसे बहुत कुछ चाहती है, बहुत कुछ अपेक्षाएं रखती है। और इस मिट्टी ने आपको संवारा है, आपको संभाला है। और आपको विश्‍व की अपेक्षाओं को पूर्ण करने योग्‍य बनाया है, मानव की अपेक्षाओं को पूर्ण करने योग्‍य बनाया है। आप आत्म विश्वास से भरे हुए हैं, आप संकल्‍पों के प्रति प्रतिबद्ध हैं, संस्‍कारों से पुलकित हुई आपकी जवानी है। ये आने वाली पीढ़ियों को काम आएगी, देश के काम आएगी। 21वीं सदी में भारत अपना उचित स्‍थान प्राप्‍त करे, इसके लिए आपका सामर्थ्‍य बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरेगा, ये पूरा विश्‍वास है और आप ही के बीच में आप ही का एक सहयात्री होने के नाते मैं आज इस गौरवपूर्ण क्षण में अपने-आप को धनवान मानता हूं। और हम सब मिल करके इस गुरुदेव टैगोर ने जिस पवित्र मिट्टी से हम लोगों को शिक्षित किया है, संस्‍कारित किया है, हम सब मिलके आगे बढ़ें, यही मेरी आपको शुभकामनाएं हैं।

मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आपके माता-पिता को मेरा प्रणाम, आपके गुरुजनों को प्रणाम।

मेरी तरफ से बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

15 राज्यों ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधार प्रक्रिया पूरी की गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सुधार प्रक्रिया को पूरा करने वाले राज्यों में नवीनतम इन्हें 9,905 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई

‘कारोबार में सुगमता’ (ईओडीबी) सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है।

तीन और राज्य गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने व्यय विभाग द्वारा निर्धारित ’ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधारों को पूरा करने की सूचना दी है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) से सिफारिश प्राप्त होने पर व्यय विभाग ने इन तीन राज्यों को खुले बाजार से 9,905 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दी है।

इससे पहले, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना ने भी इस सुधार के पूरा होने की सूचना दी थी, जिसकी पुष्टि डीपीआईआईटी द्वारा की गई थी।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सहायता प्रदान करने वाले सुधारों को पूरा करने पर इन 15 राज्यों को 38,088 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई है। अनुमति दी गई अतरिक्त ऋण की राज्यवार राशि इस प्रकार है:-

क्र.सं. राज्य राशि (करोड़ रुपये में)
1. आंध्र प्रदेश 2,525
2. असम 934
3. गुजरात 4,352
4. हरियाणा 2,146
5. हिमाचल प्रदेश 438
6. कर्नाटक 4,509
7. केरल 2,261
8. मध्य प्रदेश 2,373
9. ओडिशा 1,429
10. पंजाब 1,516
11. राजस्थान 2,731
12. तमिलनाडु 4,813
13. तेलंगाना 2,508
14. उत्तर प्रदेश 4,851
15. उत्तराखंड 702

कारोबार में सुगमता से देश में निवेश के अनुकूल कारोबार के माहौल का महत्वपूर्ण सूचक है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार राज्य अर्थव्यवस्था की भविष्य की प्रगति तेज करने में समर्थ बनाएंगे। इसलिए भारत सरकार ने मई, 2020 में यह निर्णय लिया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में मदद हेतु सुधार करने वाले राज्‍यों को अतरिक्त ऋण जुटाने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस श्रेणी में निर्धारित सुधार इस प्रकार हैं:

(i)          जिला  स्तर व्यापक सुधार कार्य योजना के पहले आकलन को पूरा करना।

(ii)        विभिन्न अधिनियमों के तहत प्राप्त किए गए प्रमाण पत्रों, अनुमोदनों, लाइसेंसों के नवीनीकरण की जरूरतों को समाप्त करना।

(iii)       कम्पयूटरीकृत केंद्रीय औचक निरीक्षण प्रणाली को लागू करना। अधिनियमों के तहत जहां निरीक्षकों की तैनाती केन्द्रीय रूप से होती है उस निरीक्षक को बाद के वर्षों में उसी इकाई में कार्य न सौंपा जाए। बिजनेसमैन को निरीक्षण से पूर्व सूचना उपलब्ध कराई जाए और निरीक्षण के 48 घंटों के अंदर निरीक्षण रिपोर्ट अपलोड करना जरूरी होगा।

कोविड-19 महामारी के दौरान पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए संसाधन जरूरतों को देखते हुए भारत सरकार ने 17 मई, 2020 को राज्यों की ऋण लेने की सीमा उनके जीएसडीपी की 2 प्रतिशत बढ़ा दी थी। इस‍ विशेष विधान की आधी राशि राज्यों द्वारा किए गए नागरिक केन्द्रित सुधारों से जुड़ी थी। सुधारों के लिए चार नागरिक केन्द्रित क्षेत्रों की पहचान की गई थी जो इस प्रकार हैं – (ए) एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली लागू करना, (बी) ईज और डूइंग बिजनेस सुधार (सी) अर्बन लोकल बॉडी/यूटिलिटी सुधार (डी) ऊर्जा क्षेत्र सुधार।

अभी तक 18 राज्यों ने इन चार निर्धारित सुधारों में से कम-से-कम एक सुधार किया है और उन्हें सुधार से जुड़ी ऋण अनुमति प्रदान की गई है। इनमें से 13 राज्यों ने एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली लागू की है। 15 राज्यों ने ईज और डूइंग बिजनेस सुधार लागू किया है। 6 राज्यों ने स्थानीय निकाय सुधार लागू किए हैं और 2 राज्यों ने ऊर्जा क्षेत्र सुधार लागू किए हैं। अभी तक इन राज्‍यों को 86,417 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई है।

जल जीवन मिशन के तहत एक उपलब्धि हासिल करते हुए 3.5 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए 1 जनवरी, 2021 तक 50 लाख से ज्यादा कनेक्शन मुहैया कराए गए

वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को जल नल कनेक्शन मुहैया कराने के लक्ष्य के साथ 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित जल जीवन मिशन ने एक और उपलब्धि हासिल कर 3.53 करोड़ ग्रामीण परिवारों को जल नल कनेक्शन मुहैया करा दिए हैं। 15 अगस्त, 2019 को कुल 18.93 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से मात्र 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) परिवारों के पास यह कनेक्शन थे। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अथक प्रयासों के बाद जल जीवन मिशन के तहत 3.53 करोड़ परिवारों को यह कनेक्शन दिए गए। इसके साथ ही 52 जिलों और 77 हजार गांवों में रहने वाले हर परिवार को अपने घरों में यह कनेक्शन दिए गए हैं। अब 6.76 करोड़ (35.24 प्रतिशत) यानि एकतिहाई से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को नल से पेयजल मिल रहा है। गोवा देश का पहला राज्य बन गया है,जहां शत-प्रतिशत परिवारों को जल नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसके बाद तेलंगाना का स्थान है। विभिन्न राज्य/केंद्रशासित प्रदेश अब इस मामले में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश के हर परिवार को सुरक्षित पेयजल प्रदान किया जाए। यह कार्य समानता और समावेशिता के सिद्धान्त के आधार पर किया जा रहा है।

जल जीवन मिशन राज्यों के साथ भागीदारी में चलाया जा रहा है और इसका उद्देश्य प्रत्येक परिवार को पर्याप्त मात्रा में और उचित गुणवत्ता वाला पेयजल नियमित और दीर्घकालिक आधार पर मुहैया कराया जाना है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने प्रारंभिक दृष्टिकोण के अनुरूप व्यापक योजना तैयार की और इसी के अनुरूप प्रत्येक ग्रामीण परिवार को जल नल कनेक्शन मुहैया कराने की कार्य योजना तैयार की गई। इस योजना को लागू करते समय राज्य शुद्ध पेयजल रहित इलाकों, सूखा प्रभावित और रेगिस्तानी इलाकों के गांवों, अनूसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति बहुल गांवों महत्वाकांक्षी जिलों और सांसद आदर्श ग्राम योजना वाले गांवों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

जल जीवन मिशन की यह यात्रा अभी तक चुनौतियों और कोविड-19 महामारी के चलते बाधाओं से जूझती रही है। देश के ज्यादातर हिस्सों में लॉकडाउन के कारण सभी प्रकार के विकास और निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। महामारी के खिलाफ जंग में लोगों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से लगातार हाथ धोते रहना सबसे महत्वपूर्ण काम बन गया है। फिर भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सामाजिक दूरी और मास्क पहनने जैसी एहतियातों का पालन करते हुए जल आपूर्ति अवसंरचना तैयार करने के काम में लगे हुए हैं। कोविड-19 के बावजूद लगातार जारी यह काम ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए काफी लाभप्रद रहा है, क्योंकि इसने कोविड के कारण अपने गांवों को लौटे लोगों को रोजगार मुहैया कराया है। जो मजदूर लॉकडाउन के कारण अपने घरों को लौटे वे निर्माण कार्य में कुशल थे। उन्होंने पिछले वर्षों में शहरों में राजमिस्त्री, प्लंबर, फिटर, पंप ऑपरेटर आदि का काम किया था।

जल जीवन मिशन के तहत ऐसे गांवों और इलाकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना उच्च प्राथमिकता है, जिन इलाकों में शुद्ध जल कि उपलब्धता बहुत कम है। मिशन के तहत प्रयास किया जा रहा है कि ऐसे गांवों और इलाकों में जहां शुद्ध जल की अनुपलब्धता है और जो खासतौर से आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रभावित हैं, उनमें शुद्ध और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाए। जल जीवन मिशन पेयजल की शुद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है, जिससे लोगों में जल जनित बीमारियां कम होती हैं और उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं को उन्नत बनाने और उन्हें जनता के लिए खोलने का काम कर रहे हैं ताकि बहुत कम शुल्क पर आम लोग अपने पेयजल के नमूनों की जांच करा सकें।

बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख घोषित, जानें अन्य धामों को खोलने की तिथि कब होगी तय

उत्तराखंड के चारों धामों में से बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख तय हो गई है। चमोली जिले स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। धाम के कपाट विधि-विधान के साथ प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खोले जाएंगे। बता दें कि मंगलवार को आज बसंत पंचमी के अवसर पर नरेन्द्रनगर राजदरवार में आयोजित समारोह में बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हुई है। जबकि, केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि के दिन उखीमठ में तय की जाएगी। जबकि, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट हर वर्ष अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं।

गौरतलब है कि चारधाम यात्रा पर विगत साल कोरोना का बड़ा असर पड़ा। सभी धामों में पहुंचने वाले कुल श्रद्धालुओं की संख्या 4.48 लाख रही। जबकि यही संख्या पिछली बार रिकॉर्ड 34.10 लाख रही। यही स्थिति धामों की कमाई की भी रही। सालाना 55 करोड़ की कमाई इस बार आठ करोड़ पर सिमट गई है। धामों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की कम संख्या की स्थिति ये रही कि यमुनोत्री धाम में तो आंकड़ा दस हजार के पास भी नहीं पहुंचा।

यहां इस साल सिर्फ आठ हजार श्रद्धालु ही पहुंचे। जबकि पिछले साल यहां 4.66लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। कोरोना के कारण पहले तो इस बार कपाट समय पर नहीं खुले। कपाट खुले, तो श्रद्धालुओं को दर्शन की मंजूरी नहीं दी गई। सिर्फ पूजा पाठ तक गतिविधि सीमित रही। पहले चरण में सिर्फ जिले के भीतर के लोगों को मंजूरी दी गई। दूसरे चरण में राज्य के भीतर के श्रद्धालुओं ने ईपास के जरिए दर्शन किए।

तीसरे चरण में राज्य से बाहर के लोगों को तमाम शर्तों के साथ मंजूरी दी गई। इन बंदिशों और कोरोना के कारण श्रद्धालुओं की संख्या सीमित ही रही। श्रद्धालुओं की इस सीमित संख्या के कारण मंदिरों में दान दक्षिणा, भेंट, चढ़ावा भी सीमित रहा। 55 करोड़ की कमाई का आंकड़ा आठ करोड़ तक सीमित रहा।

धाम 2020 2019 2018 (वर्ष)
गंगोत्री 0.23 4.48 5.30
यमुनोत्री 0.08 4.66 3.94
केदारनाथ 1.35 9.97 7.32
बदरीनाथ 2.75 11.74 10.48
हेमकुंड 0.65 2.40 1.59 (श्रद्धालुओं की संख्या लाख में)

18 फरवरी को किसानों की ‘रेल रोको आंदोलन’ की तैयारी में

ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्ला ने सोमवार को NDTV से बातचीत में कहा कि किसान 18 तारीख को शांतिपूर्ण आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा, ‘रेल रोको आंदोलन भारत के इतिहास में कोई नया आंदोलन नहीं है. यह भी विरोध का एक तरीका है. ये सबकी नजरें खींचता है. सरकार से लेकर देशवासियों तक का. हम यह आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से करेंगे. हमने कल मसाल जुलूस भी पूरे देश में निकाला.’

उन्होंने कहा कि ’18 तारीख को हज़ारों किसान दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक रेल पटरी पर बैठेंगे.’ उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की बात कोई नहीं सुन रहा है, जबकि किसान लगातार खुदकुशी कर रहे हैं. मुल्ला ने कहा, ‘हमारे 240 लोग अब तक मर चुके, कोई बात नहीं सुन रहा है. रोज हर दो घंटे में दो किसान खुदकुशी कर रहे हैं. हम सबको खिलाते हैं. हम बिना खाए मर रहे हैं. कोई देखने वाला नहीं है.’