विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा अब मुख्यमंत्री के नाम को लेकर मंथन में जुट गई है। इस सिलसिले में विधायकों का मन टटोलने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। माना जा रहा है कि चुनाव हारने के बावजूद कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फिर से पार्टी अवसर दे सकती है।
उत्तराखंड में मोदी-शाह और नड्डा की तिकड़ी मुख्यमंत्री के चुनाव के मामले में किसी भी चेहरे पर दांव लगाकर सबको चौंका सकती है। यह जानते हुए भाजपा में सीएम की कुर्सी के लिए दौड़ शुरू हो गई है। बेशक सीएम पद के लिए कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है, लेकिन अरमान तकरीबन हर कद्दावर नेता के जोर मार रहे हैं।
भाजपा ने चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है, लेकिन चुनाव में पार्टी का चेहरा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हार गए। ऐसे में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह प्रश्न राजनीतिक गलियारों में तैर रहा है। साथ ही भाजपा भी मुख्यमंत्री के नाम पर विचार करने में जुट गई है। चर्चा है कि चुनाव हारने के बावजूद धामी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पिछली सरकार में उन्हें कार्य करने को केवल छह माह का ही समय मिल पाया। इस दौरान वह निर्विवादित रहे।
भाजपा के दो नव निर्वाचित विधायकों ने अलग-अलग घोषणा की कि वह अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। डोईवाला विधानसभा सीट से चुने गए विधायक बृजभूषण गैरोला का बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को पार्टी मुख्यमंत्री बनाती है तो वह अपनी सीट उनके लिए खाली कर देंगे। चंपावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी ने कार्यवाह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट खाली करने का एलान किया।