उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज हरीश रावत के ट्वीट से हिली कांग्रेस, पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली बुलाया, हरीश रावत और प्रीतम सिंह कल बैठक में शामिल होंगे

विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही उत्तराखंड कांग्रेस में भी कलह के संकेत मिलने लगे हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस का सबसे प्रमुख चेहरा और पूर्व सीएम हरीश रावत ही कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व से उनकी नाराजगी इस कदर बताई जाने लगी है कि वह पार्टी से नाता भी तोड़ सकते हैं। हरीश रावत प्रभारी देवेंद्र रावत से भी नाराज बताए जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि नाराजगी दूर न होने पर हरीश कांग्रेस से नाता तोड़ सकते हैं।

उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर चल रही अंतरकलह ने पूरे सूबे में सियासी हलचल बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के प्रभारी की तरफ से एक दूसरे खेमे को ज्यादा तरजीह देने से हरीश रावत नाराज हैं। नाराजगी दूर न होने पर हरीश रावत बड़ा ऐलान कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि वह कांग्रेस छोड़ने या फिर राजनीतिक से ही संन्यास का ऐलान कर सकते हैं।

हरीश रावत को लेकर इस तरह की अटकलें उनके ट्वीट के कारण और भी तेज हो गई हैं। अपने ट्वीट में हरीश रावत ने ‘विश्राम’ शब्द का ज़िक्र किया है. वह नए साल में कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत ने कांग्रेस पार्टी के आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने लगातार तीन ट्वीट कर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा है। रावत ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं।

साथ ही उन्होंने कहा कि अब लग रहा है कि समय आ गया है. उनकी ये बातें कई सियासी मायनों से भरी हुई नजर आती हैं। अब हरीश रावत के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें भी तेज हो गई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि वो जल्द ही कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ सकते हैं। अगर ऐसा करते हैं तो उत्तराखंड में कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका लग सकता है।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।’

उन्होंने आगे लिखा, ‘जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश_रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्” बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे।मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।’

कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत को उत्तराखंड चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया है। साथ ही उनके करीबी माने जाने वाले गोदियाल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान भी सौंपी है।इसके बावजूद वो पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

उनके इन बयानों को सियासी गलियारों में अलग-अलग तरीके से देखा जा रहा है। कुछ लोग उनकी बातों को रिटायरमेंट से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं कुछ इसे उनका बगावती तेवर बता रहे हैं। अगले कुछ ही महीनों में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में हरीश रावत की ये बातें कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं।

उत्‍तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीत‍िक उठापठक तेज हो गयी है। एक तरफ जहां दूसरे राजनीति‍क दल चुनाव की तैयारी में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस दूसरी मुसीबतों का सामना कर रही है, और मुश्‍क‍िल बढ़ी पूर्व मुख्यमंत्री के उस ट्वीट के बाद जिसमें उन्‍होंने संंगठन के कामकाज को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। इसे लेकर कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल शपाल आर्य और हरीश रावत को शुक्रवार 24 दिसंबर को पार्टी ने नई दिल्‍ली बुलाया है।

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