मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहली कैबिनेट बैठक में लिया बड़ा फैसला, उत्तराखंड में लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड

भारतीय जनता पार्टी देश में समान नागरिक संहिता की जो कवायद लंबे समय से चला रही है, उसे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरा करने चले हैं। हालांकि राह आसान नहीं है क्योंकि गोवा को छोड़कर देश के किसी भी राज्य या केंद्र के स्तर से समान नागरिक संहिता अभी तक लागू नहीं हो पाई है।

वर्ष 1989, 2014, 2019 के आम चुनाव में भाजपा घोषणा पत्र में लाई थी समान नागरिक संहिता। गोवा में पहले से लागू है पुर्तगाल सिविल कोड 1867, अब उत्तराखंड ने मचाई देश में हलचल। कानूनविदों के मुताबिक, आसान नहीं है देश के किसी भी राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करना।

उत्तराखंड विधान सभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद राज्य की भाजपा सरकार ने आज गुरुवार को बड़ा फैसला लिया है। राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लागू करने का फैसला लिया है। सीएम धामी ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से समान नागरिक संहिता को मंजूरी दी है। अब जल्द से जल्द समिति गठित की जाएगी और इसे राज्य में लागू किया जाएगा. उत्तराखंड समान नागरिक संहिता को लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा।

सत्ता में आते ही धामी सरकार का बड़ा फैसला

बता दें कि उत्तराखंड में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद आज गुरुवार को पहली कैबिनेट बैठक हुई. बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी और उनके मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर यह फैसला लिया। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लिए गए फैसले के बारे में जानकारी देते हुए सीएम धामी ने कहा कि सरकार गठन के बाद आज मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई।

सीएम धामी ने जनता से किया वादा निभाया

उन्होंने कहा कि 12 फरवरी 2022 को हमने जनता से कहा था कि राज्य में हमारी सरकार के गठन के बाद हम यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे। आज हमने तय किया है कि इसे हम जल्द ही लागू करेंगे। इसके लिए हम एक उच्च स्तरीय समिति बनाएंगे। समिति इस कानून के लिए ड्राफ्ट तैयार करेगी और हमारी सरकार उसे लागू करेगी। उन्होंने अन्य राज्यों से भी अपील की है कि वे अपने यहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करें।

सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट भी कर चुके टिप्पणी

समान नागरिक संहिता पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट तक सरकार से सवाल कर चुकी है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कोई कोशिश नहीं की गई। वहीं, पिछले साल जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा था कि समान नागरिक संहिता जरूरी है।

क्या होती है समान नागरिक संहिता?

यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नारिकता संहिता आखिर क्या होती है। समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड सभी धर्मों के लिए एक ही कानून है। अभी तक हर धर्म का अपना अलग कानून है, जिसके हिसाब से व्यक्तिगत मामले जैसे शादी, तलाक आदि पर निर्णय होते हैं। हिंदू धर्म के लिए अलग, मुस्लिमों का अलग और ईसाई समुदाय का अलग कानून है। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून होगा।

समान नागरिक संहिता का अर्थ है सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून किसी भी मजहब या जाति के लिए कोई अलग कानून नहीं होगा। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद हर मजहब के लोग एक कानून के दायरे में आ जाएंगे। अभी देश में हर धर्म के लोग शादी, तलाक, जायदाद का बंटवारा और बच्चों को गोद लेने जैसे मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के हिसाब से करते हैं। लेकिन उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद सभी धर्म एक ही कानून का अनुसरण करेंगे। देश में मुस्लिम, ईसाई और पारसी का पर्सनल लॉ है। वहीं, हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौध आते हैं। संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है। ये अभी तक देश में कहीं लागू नहीं हो पाया है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी।

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