आज ब्राह्मण समाज उत्थान परिषद के तत्वावधान में महात्मा खुशीराम सार्वजनिक पुस्तकालय में होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया।

आज दिनांक २७.०३.२०२१ दिन शनिवार ब्राह्मण समाज उत्थान परिषद के तत्वावधान में महात्मा खुशीराम सार्वजनिक पुस्तकालय में होली मिलन समारोह आयोजित किया गया। उक्त अवसर पर भजन कीर्तन एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा रंगारंग होली मनाई गई। उक्त अवसर पर संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्ध नाथ उपाध्याय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एस पी पाठक, महासचिव डी पी पाण्डेय एवं प्रवक्ता तथा सचिव श्री वी डी शर्मा, दिनेश मिश्र एवं अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक उद्देश्य भारत को 21वीं सदी में वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाना है और एनआईटी राउरकेला जैसे संस्थानों को इस राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगीः राष्ट्रपति कोविंद राष्ट्रपति ने एनआईटी राउरकेला के 18वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में शिरकत की

भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक उद्देश्य भारत को 21वीं सदी में वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाना है और एनआईटी राउरकेला जैसे संस्थानों को इस राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। वह ओडिशा के राउरकेला में आज (21 मार्च, 2021) एनआईटी राउरकेला के 18वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वी भारत में सरकार द्वारा संचालित दूसरे सबसे बड़े प्रौद्योगिकी संस्थान, एनआईटी राउरकेला ने इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। छह दशकों से ज्यादा समय से यह संस्थान देश में तकनीकी पेशेवरों के समूह को समृद्ध कर रहा है।

राष्ट्रपति ने इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि एनआईटी राउरकेला में पूरे देश और अन्य देशों के छात्र भी हैं, कहा कि इस 700 एकड़ के कैम्पस में पढ़ रहे 7000 से अधिक छात्रों का समुदाय समृद्ध विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। यह सीखने की प्रक्रिया को समृद्ध करता है और विभिन्न संस्कृतियों के बीच तालमेल को प्रोत्साहित करता है। यह राष्ट्रों के बीच लोगों से लोगों के संबंधों को भी मजबूत करता है।

तकनीकी शिक्षा में महिलाओं की कम भागीदारी के मुद्दे को उठाते हुए राष्ट्रपति ने बताया कि पूरे देश के जिन दीक्षांत समारोह में वह शामिल हुए हैं, उनमें से ज्यादातर में देखा कि छात्राएं छात्रों को लिबरल आर्ट्स, मानविकी, चिकित्सा विज्ञान, विधि और अन्य क्षेत्रों में पछाड़ रही हैं। फिर भी यह पाया गया कि प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक विषयों में महिलाओं का नामांकन कम है। एक हालिया सर्वे के मुताबिक, पूरे देश के इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थानों में महिलाओं का नामांकन केवल 20 प्रतिशत है। उन्होंने जोर दिया कि लड़कियों को तकनीकी शिक्षा और उसमें विशिष्टता ग्रहण करने के लिए उसी तरह प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जैसे कि अन्य क्षेत्रों में वह कर रही हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की प्रगति और उत्कृष्टता राष्ट्रीय विकास में एक नया आयाम जोड़ेगी। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च स्तरों पर लैंगिक सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करेगी। यह महिलाओं को 21वीं सदी की दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक में मौजूदा बाधाओं से पार पाने में मदद करेगा।

“कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व” की तर्ज पर “विश्वविद्यालय के सामाजिक दायित्व” की आवश्यकता पर बात करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों और संस्थानों को अपने आसपास के समुदाय को सशक्त करने में योगदान अवश्य देना चाहिए। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि एनआईटी राउरकेला ने ‘उन्नत भारत अभियान’ के हिस्से के रूप में पांच गांवों को गोद लिया है और उन गांवों में कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ विज्ञान प्रयोगशालाओं को भी अपग्रेड कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस कैम्पस में स्थित पवार्टी एलिवेशन रिसर्च सेंटर, ओडिशा के कालाहांडी, बालांगिर और कोरापुट क्षेत्र के कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए काम कर रहा है। उन्होंने इन सराहनीय पहलों के लिए एनआईटी राउरकेला की प्रशंसा की।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वन का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि नीति में परिकल्पना की गई है कि इंजीनियरिंग संस्थानों को मानविकी और कला पर जोर देने के साथ समग्र और बहुविषयक शिक्षा की ओर बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआईटी राउरकेला कुछ हद तक इस दृष्टिकोण को अपना चुका है। उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि यह संस्थान इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अन्य प्रमुख विशेषताओं को लागू करने के लिए भी काम करेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक उद्देश्य भारत को 21वीं सदी में वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाना है और एनआईटी राउरकेला जैसे संस्थानों को इस राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

 

प्रधानमंत्री ने श्री मन्नथु पद्मनाभन जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्री मन्नथु पद्मनाभन जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा,“श्री मन्नथु पद्मनाभन जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हम समाज कल्याण और युवा सशक्तीकरण में उनके लंबे समय तक दिए गए योगदान का भी स्मरण करते हैं। उनके उच्च विचार अनेक लोगों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं।”

मुख्यमंत्री ने किया हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय फैडरेशन वेब पोर्टल का विधिवत लोकार्पण

हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय फैडरेशन द्वारा संचालित वेब पोर्टल www.himalayankart.in का विधिवत लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा सर्किट हाउस में किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय द्वारा संचालित वेब पोर्टल में यथा संभव सहयोग किया जायेगा जिससे महिलाओं में इस कार्य क्षेत्र में अधिक रूचि होगी और अन्य महिलाऐं भी इस पोर्टल के माध्यम से अपने उत्पादों को आमजन तक पहुचा पायेंगी, इससे महिलाओं का आर्थिक विकास होगा तथा वे आत्मनिर्भर भी बनेंगी तथा पोर्टल के जरिये महिलाओं द्वारा उत्पादित उत्पादों की पहुच जन-जन तक हो सकेगी। मुख्यमंत्री द्वारा सभी जनप्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं तथा फैडरेशन के पदाधिकारियों को इस वेब पोर्टल के संचालन के लिए बधाई दी।

मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए मुख्य विकास अधिकारी नरेन्द्र सिंह भण्डारी ने बताया कि कोविड-19 से पूर्व स्वयं सहायता समूह के उत्पादों को बाजार में आसानी से बेचा जा रहा था, लेकिन कोविड-19 में लाॅकडाउन के कारण स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बनाये गये उत्पादों को बाजार में लाना मुश्किल था, जिस कारण इन उत्पादों को बाजार में लाने के लिए ई-मार्केटिंग से जोड़ने के लिए ई-कामर्स वेब पोर्टल बनाया गया, जिसमें स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के द्वारा बनाये गये उत्पादों को आनलाईन मार्केट के माध्यम से बेचा जायेगा। जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा बताया गया कि ई-मार्केटिंग के द्वारा महिलाओं में तकनीकी क्षेत्र के बारे में जानकारी के साथ-साथ अपने उत्पादों को बेहतर गुणवत्ता के साथ बनाकर पूरे देश में बेचा जा सकता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और वर्तमान के प्रतिस्पर्धा के दौर में खुद को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

लोकार्पण समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत, विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष भाजपा बंशीधर भगत, विधायक संजीव आर्य, नवीन दुम्का, राम सिंह कैड़ा, जिला अध्यक्ष भाजपा प्रदीप बिष्ट, मण्डलायुक्त अरविन्द सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के अलावा फैडरेशन पदाधिकारी श्रीमती विनीता आर्य, इन्दिरा देवी, सरीता जोशी आदि उपस्थित थे।

उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को मिली नए सत्र में प्रवेश की अनुमति

उत्तराखंड में निजी क्षेत्र में 2001 से स्थापित प्रथम आयुर्वेदिक कॉलेज राजपुर रोड स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को बीएएमएस एवं एमडी आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु 60 सीटों के प्रवेश हेतु आयुष मंत्रालय ने मान्यता प्रदान कर दी है। जिसमें आयुर्वेद, स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अभ्यर्थियों को प्रवेश का मौका मिलेगा।
उक्त जानकारी देते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्य मानव दयाल शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में भविष्य बनाने के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ा है। सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भवन अस्पताल एवं सुरम्य घाटी में स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रवेश हेतु अभ्यर्थी उत्साहित है। नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को संस्था में नियमानुसार प्रवेश की कार्यवाही 28 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाएगी। कॉलेज को द्वितीय चरण की काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया है।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुरेश चौबे ने दी जानकारी में बताया कि राज्य में आयुर्वेदिक कॉलेजों में प्रवेश हेतु प्रथम चरण की काउंसिलिंग पूर्ण हो चुकी है एवं द्वितीय चरण की काउंसिलिंग अंतिम चरण में है। मोप अप राउंड काउंसलिंग 24 से अनंतिम निर्धारित है। डॉ. चौबे ने बताया कि राज्य में 3 राजकीय व निजी क्षेत्र के 9 आयुर्वेदिक कॉलेजों को आगामी सत्र में प्रवेश हेतु मान्यता प्राप्त हुई है।
एक कॉलेज को मान्यता मिलने की संभावना है। अगले प्रवेश प्रक्रिया की घोषणा जल्द ही की जाएगी। विश्ववविद्यालय ने काउंसलिंग शेडयूल में आंशिक फ़ेरबदल किया है। डॉ. चौबे ने बताया कि द्वितीय चरण की काउंसलिंग के उपरांत विगत दिवस विश्वविद्यालय द्वारा मेरिट लिस्ट जारी कर दी जायेगी। जिसमें अभ्यर्थियों को नीट की मेरिट के आधार पर राज्य के विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले का मौका मिलेगा। 19 व 20 को अभ्यर्थी अपनी सूची के अनुसार महाविद्यालयों का चयन (choice filling) कर सकेंगे। उपलब्ध सीटों के आधार पर 22 को विश्वविद्यालय द्वारा सीटें आवंटित कर परिणाम घोषित किया जाएगा। आवंटित सीटों पर अभ्यर्थी 23 व 24 फरवरी को प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के एमडी एवं उत्तराखंड मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ अश्विनी काम्बोज ने आयुष मंत्रालय एवं सी.सी.आई.एम नई दिल्ली का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस वर्ष को महामारी के चलते आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम का सत्र विलंबित हुआ है। प्रतिवर्ष 30 अक्टूबर उक्त प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती थी, परंतु कोरोना के चलते इस वर्ष आयुष कॉलेजों में नए सत्र का शिक्षण-प्रशिक्षण मार्च 2021 से प्रारंभ होगा। डॉ. कांबोज ने बताया कि राज्य के कुछ कॉलेजों को अभी भी प्रवेश की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। उनको भारत सरकार द्वारा शीघ्र अनुमति मिलने की संभावना है। ऐसे कॉलेजों में रिक्त सीटों के लिए अलग से काउंसलिंग हेतु भारत सरकार को एसोसिएशन के माध्यम से पत्र प्रेषित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एवं केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद नई दिल्ली द्वारा उत्तराखंड के आयुष कॉलेजों में नए सत्र में प्रवेश हेतु निजी क्षेत्र के 9 कॉलेजों को मान्यता प्रदान करते हुए सूची जारी कर दी है। इनके अतिरिक्त राज्य के तीन राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज व गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (हरिद्वार) एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय मैन केंपस हर्रावाला देहरादून को भारत सरकार ने पूर्व में ही मान्यता प्रदान कर दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के जिन 9 निजी कॉलेजों को मान्यता मिली है, उनमें पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज (100 सीट), उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज (60), हिमालय आयुर्वेदिक कॉलेज (60) दून इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (60), क्वाड्रा इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद(30), मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज(60), शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद एंड रिसर्च (60), मंजीरा देवी आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज (30), चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज (50) सीट शामिल है।
देवभूमि मेडिकल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद को भी जल्द मान्यता मिलने की संभावना है। राज्य के तीन कॉलेजों हरिद्वार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उत्तरांचल युनानी मेडिकल कॉलेज एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को कोर्ट के आदेश से मान्यता प्राप्त होने की जानकारी मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन कॉलेजों बिहाइव मेडिकल कॉलेज, विशंभर सहाय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं परम हिमालयन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज को मान्यता मानक (टीचिंग फैकल्टी) पूरे न किए जाने पर रद्द कर दी गई है।

विश्व-भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ

पश्चिम बंगाल के गवर्नर श्रीमान जगदीप धनखड़ जी, विश्व भारती के वाइस चांसलर प्रोफेसर बिद्युत चक्रबर्ती जी, शिक्षक गण, कर्मचारी गण और मेरे ऊर्जावान युवा साथियों !

गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी है, उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुड़ना मेरे लिए प्रेरक भी है, आनंददायक भी है और एक नई ऊर्जा भरने वाला है। अच्‍छा होता मैं इस पवित्र मिट्टी पर खुद आ करके आपके बीच शरीक होता। लेकिन जिस प्रकार के नए नियमों में जीना पड़ रहा है और इसलिए मैं आज रूबरू न आते हुए, दूर से ही सही, आप सबको प्रणाम करता हूं, इस पवित्र मिट्टी को प्रणाम करता हूं। इस बार तो कुछ समय के अंतराल पर मुझे दूसरी बार ये मौका मिला है। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता-पिता को, गुरुजनों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

 

साथियों,

आज एक और बहुत ही पावन अवसर है, बहुत ही प्रेरणा का दिन है। आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म जयंती है। मैं सभी देशवासियों को, छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी ने भी शिबाजि-उत्सब नाम से वीर शिवाजी पर एक कविता लिखी थी। उन्होंने लिखा था-

 

कोन्‌ दूर शताब्देर

कोन्‌-एक अख्यात दिबसे

नाहि जानि आजि, नाहि जानि आजि,

माराठार कोन्‌ शोएले अरण्येर

अन्धकारे बसे,

हे राजा शिबाजि,

तब भाल उद्भासिया ए भाबना तड़ित्प्रभाबत्

एसेछिल नामि–

“एकधर्म राज्यपाशे खण्ड

छिन्न बिखिप्त भारत

बेँधे दिब आमि।’’

 

यानि एक शताब्दी से भी पहले, किसी एक अनाम दिन, मैं उस दिन को आज नहीं जानता किसी पर्वत की ऊंची चोटी से, किसी घने वन में, ओह राजा शिवाजी, क्या ये विचार आपको एक बिजली की रोशनी की तरह आया था? क्या ये विचार आया था कि छिन्न-भिन्न इस देश की धरती को एक सूत्र में पिरोना है? क्या मुझे इसके लिए खुद को समर्पित करना है? इन पंक्तियों में छत्रपति वीर शिवाजी से प्रेरणा लेते हुए भारत की एकता, भारत को एक सूत्र में पिरोने का आह्वान था। देश की एकता को मजबूत करने वाली इन भावनाओं को हमें कभी भूलना नहीं है। पल-पल, जीवन के हर कदम पर देश की एकता-अखंडता के इस मंत्र को हमें हमें याद भी रखना है, हमें जीना भी है। यही तो टैगोर का हमें संदेश है।

 

साथियों,

आप सिर्फ एक विश्विद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा के वाहक भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसको Global University

या कोई और नाम भी दे सकते थे। लेकिन उन्होंने, इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया। उन्होंने कहा था- ‘’Visva-Bharati acknowledges India’s obligation to offer to others the hospitality of her best culture and India’s right to accept from others their best.’’

 

गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सीखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा। गुरुदेव का ये मॉडल ब्रह्म, त्याग और आनंद, के मूल्यों से प्रेरित था। इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सीखने का एक ऐसा स्थान बनाया, जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे, उस पर शोध करे और गरीब से गरीब की समस्याओं के समाधान के लिए काम करे। ये संस्कार मैं पूर्व में यहां से निकले छात्र-छात्राओं में भी देखता हूं और आपसे भी देश की यही अपेक्षा है।

 

साथियों,

गुरुदेव टैगोर के लिए विश्व भारती, सिर्फ ज्ञान देने वाली, ज्ञान परोसोन वाली एक संस्था मात्र नहीं थी। ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का, जिसे हम कहते हैं- स्वयं को प्राप्त करना। जब आप अपने कैंपस में बुधवार को उपासना के लिए जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करते हैं। जब आप गुरुदेव द्वारा शुरू किए गए समारोहों में जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करने का एक अवसर प्राप्‍त होता है। जब गुरुदेव कहते हैं-

आलो अमार

आलो ओगो

आलो भुबन भारा

तो ये उस प्रकाश के लिए ही आह्वान है जो हमारी चेतना को जागृत करती है। गुरुदेव टैगोर मानते थे, विविधताएं रहेंगी, विचारधाराएं रहेंगी, इन सबके साथ ही हमें खुद को भी तलाशना होगा। वो बंगाल के लिए कहते थे-

बांगलार माटी,

बांगलार जोल,

बांगलार बायुबांगलार फोल,

पुण्यो हौक,

पुण्यो हौक,

पुण्यो हौक,

हे भोगोबन..

 

लेकिन साथ ही वो भारत की विविधता का भी उतना ही गौरवगान बड़े भाव से करते थे। वो कहते थे-

हे मोर चित्तो पुन्यो तीर्थे जागो रे धीरे,

 भारोतेर महामनोबेर सागोरोतीरे

हेथाय दाराए दु बाहु बाराए नमो

नरोदेबोतारे,

और ये गुरुदेव का ही विशाल विजन था कि शांतिनिकेतन के खुले आसमान के नीचे वो विश्वमानव को देखते थे।

 

एशो कर्मीएशो ज्ञानी,

ए शो जनकल्यानीएशो तपशराजो हे!

एशो हे धीशक्ति शंपद मुक्ताबोंधो शोमाज हे !

हे श्रमिक साथियों, हे जानकार साथियों, हे समाज सेवियों, हे संतों, समाज के सभी जागरूक साथियों, आइए समाज की मुक्ति के लिए मिल करके प्रयास करें। आपके कैंपस में ज्ञान प्राप्ति के लिए एक पल भी बिताने वाले का ये सौभाग्य है कि उसे गुरुदेव का ये विजन मिलता है।

 

साथियों,

विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गई। ज्ञान की, क्रिएटिविटी की कोई सीमा नहीं होती है, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। आपको ये भी हमेशा याद रखना होगा कि ज्ञान, विचार और स्किल, static नहीं हैं, पत्‍थर की तरह नहीं है, स्थिर नहीं हैं, जीवंत हैं। ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें Course Correction की गुंजाइश भी हमेशा रहेगी, लेकिन Knowledge और Power, दोनों Responsibility के साथ आते हैं।

 

जिस प्रकार, सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, रहना जरूरी होता है, उसी प्रकार हर विद्वान को, हर जानकार को भी उनके प्रति ज़िम्मेदार रहना पड़ता है जिनके पास वो शक्ति नहीं है। आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं बल्कि समाज की, देश की, अरे भावी पीढ़ियों की भी वो धरोहर है। आपका ज्ञान, आपकी स्किल, एक समाज को, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है और वो समाज को बदनामी और बर्बादी के अंधकार में भी धकेल सकती है। इतिहास और वर्तमान में ऐसे अनेक उदाहरण हैं।

 

आप देखिए, जो दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, जो दुनिया में हिंसा फैला रहे हैं, उनमें भी कई Highly Educated, Highly Learned, Highly Skilled लोग हैं। दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए दिन-रात अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। अस्‍पतालों में डटे रहते हैं, प्रयोगशालाओं में जुटे हुए हैं।

 

ये सिर्फ विचारधारा का प्रश्न नहीं है, मूल बात तो mindset की है। आप क्या करते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपका माइंडसेट पॉजिटिव है या नेगेटिव है। स्कोप दोनों के लिए है, रास्ते दोनों के लिए ओपेन हैं। आप समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या फिर समाधान का, ये तय करना हमारे अपने हाथ में होता है। अगर हम उसी शक्ति, उसी सामर्थ्‍य, उसी बुद्धि, उसी वैभव को सत्‍कार्य के लिए लगाएंगे तो परिणाम एक मिलेगा, दुष्‍कर्मों के लिए लगाएंगे तो परिणाम दूसरा मिलेगा।  अगर हमीं सिर्फ अपना हित देखेंगे तो हम हमेशा चारों तरफ मुसीबतें देखते आएंगे, समस्‍याएं देखते आएंगे, नाराजगी देखते आएंगे, आक्रोश नजर आएगा।

 

लेकिन अगर आप खुद से ऊपर उठ करके, अपने स्‍वार्थ से ऊपर उठ करके Nation First की अप्रोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो आपको हर समस्‍या के बीच में भी Solution ढूंढने का मन करेगा, Solution नजर आएगा। बुरी शक्तियों में भी आपको अच्‍छा ढूंढने का, उसमें से अच्‍छाई का  परिवर्तन का मन करेगा और आप स्थितियां बदलेंगे भी, आप स्‍वयं भी अपने-आप में एक Solution बनकर उभरेंगे।

 

अगर आपकी नीयत साफ है और निष्ठा मां भारती के प्रति है, तो आपका हर निर्णय, आपका हर आचरण, आपकी हर कृति किसी ना किसी समस्‍या के समाधान की तरफ ही बढ़ेगा। सफलता और असफलता हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं करती है। हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए। एक युवा के रूप में, एक मनुष्य के रूप में, जब कभी हमें फैसला लेने से डर लगने लगे तो वो हमारे लिए सबसे बड़ा संकट होगा। अगर फैसले लेने का हौसला चला गया तो मान लीजिएगा कि आपकी युवानी चली गई है। आप युवा नहीं रहे हैं।

जब तक भारत के युवा में नया करने का, रिस्क लेने का और आगे बढ़ने का जज्बा रहेगा, तब तक कम से कम मुझे देश के भविष्य की चिंता नहीं है। और मुझे जो देश युवा हो, 130 करोड़ आबादी में इतनी बड़ी तादाद में युवा शक्ति हो तो मेरा भरोसा और मजबूत हो जाता है, मेरा विश्‍वास और मजबूत हो जाता है। और इसके लिए आपको जो सपोर्ट चाहिए, जो माहौल चाहिए, उसके लिए मैं खुद भी और सरकार भी…इतना ही नहीं, 130 करोड़ का संकल्‍पों से भरा हुआ, सपनों से लेकर जीने वाला देश भी आपके समर्थन में खड़ा है।

 

साथियों,

विश्व भारती के 100 वर्ष के ऐतिहासिक अवसर पर जब मैंने आपसे बात की थी, तो उस दौरान भारत के आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता के लिए आप सभी युवाओं के योगदान का जिक्र किया था। यहां से जाने के बाद, जीवन के अगले पड़ाव में आप सभी युवाओं को अनेक तरह के अनुभव मिलेंगे।

 

साथियों,

आज जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का हमें गर्व है वैसे ही मुझे आज धर्मपाल जी की याद आती है। आज महान गांधीवादी धरमपाल जी की भी जन्म जयंती भी है। उनकी एक रचना है- The Beautiful Tree- Indigenous Indian Education in the Eighteenth Century.

 

आज आपसे बात करते हुए मैं इस पवित्र धाम में आपसे बात कर रहा हूं तो मेरा मन करता है उसका जिक्र मैं जरूर करूं। और बंगाल की धरती, ऊर्जावान धरती के बीच जब बात कर रहा हूं तब तो मेरा स्‍वाभाविक मन करता है कि मैं जरूर धरमपाल जी के उस विषय को आपके सामने रखूं। इस पुस्तक में धरमपाल जी थॉमस मुनरो द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय शिक्षा सर्वे का ब्योरा दिया है।

 

1820 में हुए इस शिक्षा सर्वे में कई ऐसी बातें हैं, जो हम सबको हैरान भी करती हैं और गौरव से भर देती हैं। उस सर्वे में भारत की साक्षरता दर बहुत ऊंची आंकी गई थी। सर्वे में ये भी लिखा गया था कि कैसे हर गांव में एक से ज्यादा गुरुकुल थे। और जो गांव के मंदिर होते थे, वो सिर्फ पूजा-पाठ की जगह नहीं, वे शिक्षा को बढ़ावा देने वाले, शिक्षा को प्रोत्‍साहन देने वाले, एक अत्‍यंत पवित्र कार्य से भी गांव के मंदिर जुड़े हुए रहते थे। वे भी गुरुकुल की परम्‍पराओं को आगे बढ़ाने में, बल देने में प्रयास करते थे। हर क्षेत्र, हर राज में तब महाविद्यालयों को बहुत गर्व से देखा जाता था कि कितना बड़ा उनका नेटवर्क था। उच्च शिक्षा के संस्थान भी बहुत बड़ी मात्रा में थे।

 

भारत पर ब्रिटिश एजुकेशन सिस्टम थोपे जाने से पहले, थॉमस मुनरो ने भारतीय शिक्षा पद्धति और भारतीय शिक्षा व्यवस्था की ताकत को अनुभव किया था, देखा था। उन्होंने देखा था कि हमारी शिक्षा व्यवस्था कितनी vibrant है, ये 200 साल पहले की बात है। इसी पुस्तक में विलियम एडम का भी जिक्र है जिन्होंने ये पाया था कि 1830 में बंगाल और बिहार में एक लाख से ज्यादा Village Schools थे, ग्रामीण विद्यालय थे।

साथियों,

ये बातें मैं आपको विस्तार से इसलिए बता रहा हूं क्योंकि हमें ये जानना आवश्यक है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था क्या थी, कितनी गौरवपूर्ण थी, कैसे ये हर इंसान तक पहुंची हुई थी। और बाद में अंग्रेजों के कालखंड में और उसके बाद के कालखंड में हम कहां से कहां पहुंच गए, क्‍या से क्‍या हो गया।

गुरुदेव ने विश्वभारती में जो व्यवस्थाएं विकसित कीं, जो पद्धतियां विकसित कीं, वो भारत की शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने, भारत को आधुनिक बनाने का एक माध्यम थीं। अब आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, वो भी पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती है। ये शिक्षा नीति आपको अलग-अलग विषयों को पढ़ने की आजादी देती है। ये शिक्षा नीति, आपको अपनी भाषा में पढ़ने का विकल्प देती है। ये शिक्षा नीति entrepreneurship, self-employment को भी बढ़ावा देती है।

 

ये शिक्षा नीति Research को, Innovation को बल देती है, बढ़ावा देती है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में ये शिक्षा नीति भी एक अहम पड़ाव है। देश में एक मज़बूत रिसर्च और इनोवेशन इकोसिस्टम बनाने के लिए भी सरकार लगातार काम कर रही है। हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों Journals की फ्री एक्सेस अपने स्कॉलर्स को देने का फैसला किया है। इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।

 

साथियों,

भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार Gender Inclusion Fund की भी व्यवस्था की गई है। इस पॉलिसी में छठी क्लास से ही Carpentry से लेकर Coding तक ऐसे अनेक स्किल सेट्स पढ़ाने की योजना इसमें है, जिन स्किल्स से लड़कियों को दूर रखा जाता था। शिक्षा नीति बनाते समय, बेटियों में Drop-out Rate ज्यादा होने के कारणों को गंभीरता से स्टडी किया गया है। इसलिए, पढ़ाई में निरंतरता, डिग्री कोर्स में एंट्री और एग्जिट का ऑप्शन हो और हर साल का क्रेडिट मिले, इसकी एक नए प्रकार की व्यवस्था की गई।

 

साथियों,

बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया और ये गौरवपूर्ण बात है। बंगाल, एक भारतश्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है। शताब्दी समारोह में चर्चा के दौरान मैंने इस पर भी विस्तार से अपनी बात रखी थी। आज जब भारत 21वीं सदी की Knowledge economy बनाने की तरफ बढ़ रहा है तब भी नज़रें आप पर हैं, आप जैसे नौजवानों पर हैं, बंगाल की ज्ञान संपदा पर हैं, बंगाल के ऊर्जावान नागरिकों पर हैं। भारत के ज्ञान और भारत की पहचान को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने में विश्व भारती की बहुत बड़ी भूमिका है।

 

इस वर्ष हम अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। विश्व भारती के प्रत्येक विद्यार्थी की तरफ से देश को सबसे बड़ा उपहार होगा कि भारत की छवि को और निखारने के लिए हम सब मिल करके और विशेष करके मेरे नौजवान साथी ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें। भारत जो है, जो मानवता, जो आत्मीयता, जो विश्व कल्याण की भावना हमारे रक्त के कण-कण में है, उसका ऐहसास बाकी देशों को कराने के लिए, पूरी मानव जाति को कराने के लिए विश्व भारती को देश की शिक्षा संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए।

 

मेरा आग्रह है, अगले 25 वर्षों के विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। जब आजादी के 100 साल होंगे, वर्ष 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह बनाएगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रखे जा सकते हैं। आप अपने गुरुजनों के साथ चिंतन-मनन करें, लेकिन कोई न कोई लक्ष्य अवश्य तय करें।

 

आपने अपने क्षेत्र के अनेक गांवों को गोद लिया हुआ है। क्या इसकी शुरुआत, हर गांव को आत्मनिर्भर बनाने से हो सकती है? पूज्‍य बापू ग्रामराज्‍य की जो बात करते थे, ग्राम स्‍वराज की बात करते थे। मेरे नौजवान साथियो गांव के लोग, वहां के शिल्पकार, वहां के किसान, इन्हें आप आत्मनिर्भर बनाइए, इनके उत्पादों को विश्व के बड़े-बड़े बाजारों में पहुंचाने की कड़ी बनिए।

विश्व भारती तो, बोलपुर जिले का मूल आधार है। यहाँ के आर्थिक-भौतिक, सांस्कृतिक सभी गतिविधियों में विश्वभारती रचा-बसा है, एक जीवंत इकाई है। यहां के लोगों को, समाज को सशक्त करने के साथ ही, आपको अपना बृहद दायित्व भी निभाना है।

आप अपने हर प्रयास में सफल हों, अपने संकल्पों को सिद्धि में बदलें। जिन उद्देश्‍यों को ले करके विश्‍व भारती में कदम रखा था और जिन संस्‍कारों और ज्ञान की संपदा को लेकर आज जब आप विश्‍वभारती से कदम दुनिया की दहलीज पर रख रहे हैं, तब दुनिया आपसे बहुत कुछ चाहती है, बहुत कुछ अपेक्षाएं रखती है। और इस मिट्टी ने आपको संवारा है, आपको संभाला है। और आपको विश्‍व की अपेक्षाओं को पूर्ण करने योग्‍य बनाया है, मानव की अपेक्षाओं को पूर्ण करने योग्‍य बनाया है। आप आत्म विश्वास से भरे हुए हैं, आप संकल्‍पों के प्रति प्रतिबद्ध हैं, संस्‍कारों से पुलकित हुई आपकी जवानी है। ये आने वाली पीढ़ियों को काम आएगी, देश के काम आएगी। 21वीं सदी में भारत अपना उचित स्‍थान प्राप्‍त करे, इसके लिए आपका सामर्थ्‍य बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरेगा, ये पूरा विश्‍वास है और आप ही के बीच में आप ही का एक सहयात्री होने के नाते मैं आज इस गौरवपूर्ण क्षण में अपने-आप को धनवान मानता हूं। और हम सब मिल करके इस गुरुदेव टैगोर ने जिस पवित्र मिट्टी से हम लोगों को शिक्षित किया है, संस्‍कारित किया है, हम सब मिलके आगे बढ़ें, यही मेरी आपको शुभकामनाएं हैं।

मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आपके माता-पिता को मेरा प्रणाम, आपके गुरुजनों को प्रणाम।

मेरी तरफ से बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के तीसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन जारी

चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के तीसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन पूरे दिनभर जारी रहा। आपदा मे सडक पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हैलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी जा रही है। गांवों मे फसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री हैली से भेजी जा रही हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना के बाद 32 शव मिल गए हैं जबकि 174 लोग अभी लापता हैं। प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 190, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन, लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं। एक हेलीकाप्टर द्वारा एनडीआरएफ की टीम औश्र 03 वैज्ञानिकों को भेजा गया है। स्टैंडबाई के तौर पर आईबीपी के 400, आर्मी के 220 जवान, स्वास्थ्य विभाग की 4 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 39 फायरमैन रखे गए हैं। आर्मी के 03 हेलीकाप्टर जोशीमठ में रखे गए हैं।

आपदा से 05 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। 13 गांवों में बिजली प्रभावित हुई थी, इनमें से 11 गांवों में बिजली बहाल कर दी गई है। शेष 2 गांवों में अभी लाईन क्षतिग्रस्त है। इसी प्रकार 11 गांवों में पेयजल लाईन क्षतिग्रस्त हुई थीं, इनमें से 8 गांवों में पेयजल आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। शेष 03 पर भी काम चल रहा है।

पटना में जांच के दौरान अड़ी लड़की बोली, नहीं खोलने दूंगी डिक्की;

बिहार में शरबबंदी है। ऐसा सरकार कहती है। कानून तोड़ने पर कार्रवाई भी होती है। सजा का प्रावधान भी है। इसके बाद तस्कर पुलिस को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। बस, ट्रेन, ट्रक, कार, बाइक और स्कूटी से शराब की सप्लाई होने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बिहार की सीमा पर लगातार शराब पकड़े जाने के साथ घर के अंदर गाड़ी गई शराब भी मिल रही है। पुलिस थोड़ी सख्त हो रही है तो तस्करों ने नए हथकंडे अपना लिए हैं। अब शराब सप्लाई में लड़कियां उतर आई हैं। पटना में शनिवार को ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां शराबबंदी को पुलिस की सख्ती भी फेल होती दिखी। पीरबहोर थाना क्षेत्र की पुलिस ने शराब के साथ एक लड़की को गिरफ्तार किया है। उसके पास से स्कूटी में रखी शराब की 18 बोतलें मिली हैं। आरोपित लड़की को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उससे पूछताछ की जा रही है।

बोनी कपूर और राजामौली की ‘फाइट’ में पीसमेकर बने अजय देवगन,

फिल्म प्रोड्सर बोनी कपूर और ‘बाहुबली’ डायरेक्टर एसएस राजामौली के बीच पिछले कुछ दिनो से तल्ख़ी देखी जा रही है। जब से राजामौली ने अपनी अपकमिंग फिल्म ‘आरआरआर’ की रिलीज़ डेट अनाउंस की है उसके बाद से बोनी कपूर उनसे सख़्त नाराज़ नज़र आ रहे हैं। बीते दिनों बॉलीवुड हंगामा से बात करते हुए बोनी कपूर ने कहा भी था कि, ‘राजामौली के अनाउंसमेंट के बाद मैं बहुत ज्यादा अपसेट हूं। ये बहुत ही अनैतिक बात है’।

अब बोनी और राजामौल की नराज़गी दूर करने के लिए अजय देवगन बीच में आ गए हैं। स्पॉटब्वॉय की खबर के मुताबिक अजय दोनों के बीच पीसमेकर का काम कर रहे हैं। एक्टर दोनों के बीच मीटिंग फिक्स कराने की कोशिश कर रहे हैं ताकी बात हो सके’। हालांकि अजय के सामने मुश्किल इस बात की है कि ना राजामौली मानने के लिए तैयार हो रहे हैं और न ही बोनी कपूर। वेबसाइट से बात करते हुए एक सूत्र ने बताया, ‘बोनी कपूर को लगता है कि वो सही नाराज़ हैं क्योंकि उन्होंने अपनी फिल्म ‘मैदान’ की रिलीज़ डेट 6 महीने पहले ही अनाउंस कर दी थी। वहीं राजामौली को लगता है कि दोनों फिल्में एक दूसरे से बिल्कुल अलग है, इसलिए दोनों के बीच कोई मुकाबला ही नहीं है। आरआरआर और मैदान में अजय के बिल्कुल अलग-अलग रोल हैं’। बताते चलें कि अजय देवगन ‘आरआरआर’ और ‘मैदान’ दोनों ही फिल्मों में नज़र आने वाले हैं।

केंद्रीय रक्षा मंत्री ने किया LCA की दूसरी प्रोडक्शन लाइन का उद्घाटन,

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) मंगलवार को बेंगलुरु पहुंचे। उन्होंने यहां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के दूसरे LCA  (Light Combat Aircraft ) के प्रोडक्शन लाइन का  उद्घाटन किया।  डील के तहत वायुसेना को तेजस LCA की डिलिवरी मार्च 2024 में शुरू होगी। उन्होंने इसकी जानकारी अपने ट्विटर पर दी।

इस मौके पर रक्षामंत्री ने कहा, ‘हम कब तक देश की सुरक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहेंगे, हम लंबे समय तक​ निर्भर नहीं रह सकते। हम सभी का ये संकल्प है जो भी बनाना होगा उसे खुद बनाने की कोशिश करेंगे और सीमा और अपने स्वाभिमान की सुरक्षा करेंगे।’

उन्होंने दिल्ली से बेंगलुरु के लिए रवाना होने से पहले लिखा, ‘आज HAL के दूसरे LCA  के के प्रोडक्शन लाइन उद्घाटन के लिए बेंगलुरु जा रहा हूं और वहां 3 से 5 फरवरी तक आयोजित होने वाले एयरो इंडिया शो में शामिल होउंगा।’