प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया, पीएम मोदी बोले- डबल इंजन की सरकार उत्तराखंड में विकास की गंगा बहा रही है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड में हैं। यहां उन्होंने हजारों करोड़ की कई परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। उन्होंने हजारों लोगों की मौजूदगी में भाषण भी दिया। मोदी ने कहा, “जो परियोजनाएं भाजपा सरकार में शुरू हुईं, वे यहां तस्वीर बदल रही हैं। ये परियोजनाएं इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने में एक अहम भूमिका निभाएंगी। यहां निवेश आ रहा है। और यह केवल उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि पूरा भारत आज आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश के इरादे से आगे बढ़ रहा है।

इससे पहले उन्‍होंने एक ट्वीट कर कहा था कि:- देवभूमि उत्तराखंड की विकास यात्रा में कल एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ेगा। देहरादून में दोपहर 1 बजे मुझे 18 हजार करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास का सौभाग्य प्राप्त होगा। इनमें दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा समेत कई प्रोजेक्ट शामिल हैं।

पीएम मोदी ने उत्‍तराखंड को विकास की नई सौगात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड पर खास फोकस रहा। पिछले तीन माह के भीतर उनका यह उत्तराखंड का तीसरा दौरा होगा। मोदी ने शनिवार 04 दिसंबर को उत्तराखंड को कई सौगात दी। केदारनाथ पुनर्निर्माण और चारधाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल हैं। राजनीतिक पारी की शुरूआत से पहले मोदी का देवभूमि को लेकर अटूट रिश्ता रहा है।

उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव-2022 से पहले देहरादून पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में भाजपा के लिए शनिवार को चुनावी रण का शंखनाद कर दिया। उन्होंने दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा (ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे जंक्शन से देहरादून तक), चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट देहरादून का शिलान्यास किया। दून में अत्याधुनिक इत्र और सुगंध प्रयोगशाला (सुगंधित पौधों के लिए केंद्र) का भी उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने उत्तराखंड को कुल 18,000 हजार करोड़ रुपये की सौगात दी।

विरोधियों पर तंज कसते हुए मोदी ने कहा, “जो लोग पूछते हैं कि डबल इंजन की सरकार का फायदा क्या है? वे लोग यहां देख सकते हैं कि डबल इंजन की सरकार उत्तराखंड में कैसे विकास की गंगा बहा रही है।” मोदी ने दिल्ली-देहरादून इकॉनॉमिक कॉरिडोर का शिलान्यास करते हुए कहा कि, आज मुझे बहुत खुशी है कि दिल्ली-देहरादून इकॉनॉमिक कॉरिडोर का शिलान्यास हो चुका है। जब ये बनकर तैयार हो जाएगा तो, दिल्ली से देहरादून आने-जाने में जो समय लगता है, वो करीब-करीब आधा हो जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी बोले, “इस शताब्दी की शुरुआत में, अटल बिहारी वाजपेई जी ने भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाने का अभियान शुरू किया था। लेकिन उनके बाद 10 साल तक देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर घोटाले हुए, घपले हुए। उससे देश का जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई के लिए हमने दोगुनी तेजी से मेहनत की और आज भी कर रहे हैं।

उत्तराखंड में पीएम मोदी,दिल्ली-दून आर्थिक गलियारे काे ग्रीन सिग्नल,जानें इकनोमिक कॉरिडोर की पूरी खासियत

मोदी ने कहा, ‘बीते 5 सालों में हमारी सरकार ने उत्तराखंड के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा लागत से की परियोजनाएं स्वीकृत कीं। यहां की सरकार इन्हें तेजी से ज़मीन पर उतार रही है। इसी को आगे बढ़ाते हुए आज 18 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया गया है।

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 175 किमी होगी। करीब 8600 करोड़ रुपये की लागत से हाईवे बनाया जाएगा। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा एवं निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए हाईवे बनाया जा रहा है। दिल्ली-देहरादून के बीच सड़क से यात्रा का समय आठ घंटे से घटकर करीब ढाई घंटे का सफर हो जाएगा। वन्यजीवों के अवरोध रहि आवागमन के लिए यह एशिया का सबसे बड़ा 12 किमी वन्यजीव एलिवेटेड कॉरिडोर होगा।

500 मीटर के अंतराल पर 750 वे अधिक वर्षा जल संचयन तथा वाटर रिचार्ज प्वाइंट होंगे। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे से हरिद्वार की दूरी महज 51 किमी हो जाएगी, जो करीब 2082 होगी। इस रूट से दिल्ली के लिए हरिद्वार से कनेक्टिविटि आसान हो जाएगी, जिससे सफर का समय घटेगा। इसमें छह इंटरचेंज, चार फ्लाईओवर, छह प्रमुख पुल, 10 माइनर एवं दो आरओरी तथा 10 वीयूपी होंगे।

राज्य के विकास की नींव को और आगे बढ़ाने के लिए कई ऐलान भी किया। इसके साथ ही वे दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारा (ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे जंक्शन से देहरादून तक), चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट देहरादून का शिलान्यास करेंगे। दून में अत्याधुनिक इत्र और सुगंध प्रयोगशाला (सुगंधित पौधों के लिए केंद्र) का भी उद्घाटन करेंगे।

वन्यजीवों की क्रॉसिंग के लिए अंडर पास बनेंगे: आशारोड़ी से गणेशपुर तक तक वन्य जीव बाहुल क्षेत्र है। डाटकाली से गणेशपुर तक एक्सप्रेस-वे एलिवेटड है, इसलिए जंगली जानवरों को क्रासिंग में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। आशारोड़ी से डाटकाली तक 200 मीटर के दो अंडर पास, 15 से 20 मीटर के छह पुल भी बनेंगी, ताकि जंगली जानवर आसानी से आसानी से आर-पार कर सके।

गणेशपुर (सहारनपुर) से सवा किमी एक्सप्रेस-वे पुराने हाईवे के सामांतर बनेगा। इससे आगे डाटकाली तक 14 किमी का एलिवेटेड एक्सप्रेस-वे बरसाती नदी के ऊपर बनेगा। डाटकाली में एक और सुरंग बनेगी। छह लेन वाली यह सुरंग 340 मीटर की होगी। यह टनल पहले बनी टनल के सामांतर बनेगी। इस स्थान पर पहले से दो सुरंग बनी हुई है।

देहरादून से दिल्ली जाने में अभी लोगों को 250 किमी लंबे हाईवे का सफर करना पड़ता है। इसमें पांच से छह घंटे लगते हैं। नया एक्सप्रेस-वे बीच के कई शहरों को बाईपास करते हुए बनेगा। जाम की समस्या दूर हो जाएगी। इसकी लंबाई 200 किमी के करीब होगी।

एक्सप्रेस-वे का पहला पार्ट दिल्ली अक्षरधाम से बागपत के पास तक, दूसरा पार्ट बागपत से सहारनपुर बाईपास है। सहारनपुर से गणेशपुर तक पहले ही छह लेन एक्सप्रेस-वे बना है। गणेशपुर से आशारोड़ी तक तीसरा पार्ट है। इसका काम अगले महीने से शुरू हो जाएगा।

मोदी ने कहा कि, हमारी सरकार काम करती है। वन रैंक-वन पेंशन हो, नए-नए अस्त्र-शस्त्र हों या आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देना हो… उन लोगों (कांग्रेस सरकार) ने हर स्तर पर सेना को हतोत्साहित करने की जैसे कसम खा रखी थी। आज जो सरकार है वो दुनिया के किसी देश के दबाव में नहीं आ सकती। मोदी बोले, ‘हम राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम के मंत्र पर चलने वाले लोग हैं।

 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का बड़ा फैसला- UG-PG में दाखिले के लिए CET और पीएचडी(PHD) में एडमिशन के लिए NET है जरूरी

अब देश के सभी केंद्रीय विश्विद्यालयों में दाखिले के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा होगी। यूजीसी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।यूजीसी के मुताबिक, नई शिक्षा नीति के तहत सभी केंद्रीय विश्विद्यालयों में यूजी और पीजी दाखिलों के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद 22 नवम्बर 2021 को देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी की बैठक बुलाई गई।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देश भर के केंद्रीय सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों में रिसर्च (PHD), अंडर-ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट दाखिले को लेकर बड़े फैसले किये हैं। बैठक में तय किया गया है कि सत्र 2022-2023 से देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कॉमन एग्जाम होगा। इस एग्जाम से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कॉर्सेज में एडमिशन मिलेगा। आयोग ने पीएचडी (PHD) में दाखिले लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा यानि, नेट (Net ) परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी कर दिया है, तो वहीं, इन केंद्रीय सहायता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों में विभिन्न स्नातक और परास्नातक पाठयक्रमों में दाखिले सामान्य प्रवेश परीक्षा यानि (CET) के माध्यम से लिए जाने के निर्देश जारी कर दिये हैं। यूजीसी द्वारा पीएचडी, पीजी और यूजी दाखिले के लिए जारी किये नये नियम अगले शैक्षणिक सत्र यानि 2022-23 से लागू होंगे।

केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए केंद्रीय पात्रता परीक्षा या सीईटी राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा कम से कम 13 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। प्रवेश के लिए सीईटी स्कोर पर विचार करने के लिए निजी और अन्य डीम्ड विश्वविद्यालयों को भी यूजीसी ने सुझाव दिये हैं। बता दें कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए सीईटी इस साल से शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था।

यूजीसी ने कहा-कॉमन इंट्रेंस टेस्ट के लिए करें उपाय

यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को लिखे पत्र में लिखा है, ” सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक सत्र 2022-2023 से कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के लिए उचित उपाय करने की सलाह दी जाती है।इसके मुताबिक ये परीक्षाएं कम से कम 13 भाषाओं में आयोजित की जाएंगी। जो एनटीए पहले से ही जेईई और एनईईटी परीक्षा आयोजित कर रहा है। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को इच्छुक राज्य / निजी विश्वविद्यालयों / डीम्ड यूनिवर्सिटीज द्वारा भी अपनाया जा सकता है।” परिवर्तन राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनईपी 2020 के अनुसार प्रस्तावित किए गए हैं।”

एनईपी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए एक केंद्रीय परीक्षा का प्रस्ताव रखा था। जिससे बोर्ड परीक्षाओं पर निर्भरता कम हो गई। सीईटी से सभी छात्रों के लिए एक समान प्लेटफॉर्म प्रदान करने की भी उम्मीद है। वहीं, अब शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से लागू होने की उम्मीद है, जो अगले वर्ष के छात्रों के लिए है।

Cucet 2022

उत्तराखंड में कोरोना के मामले बढ़े, राष्ट्रपति कोविंद की सुरक्षा ड्यूटी पर आए 12 पुलिसवालों समेत 19 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव, मचा हड़कंप

उत्तराखंड में एक बार फिर कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है और राज्य में ढाई महीने बाद कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज सामने आए हैं। रविवार को प्रदेश में एक ही दिन में 36 नए मरीज मिले हैं और इसमें 19 वो कर्मचारी भी शामिल हैं। जो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यक्रम में ड्यूटी के लिए तैनात किए गए थे। जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगमन को लेकर वीआईपी ड्यूटी पर आए 12 पुलिसवालों समेत 19 कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटव मिलने से हड़कंप मच गया। हालांकि, राष्ट्रपति के आगमन से पहले ही सभी को ड्यूटी से हटा दिया गया।शनिवार को वीआईपी ड्यूटी पर परमार्थ निकेतन पहुंचने पर चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून, टिहरी और पौड़ी के करीब 400 पुलिसकर्मियों और कर्मचारियों की कोरोना जांच कराई गई थी। रविवार सुबह इनमें से बारह पुलिसवालों समेत कुल उन्नीस कर्मचारियों में कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हुई। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया। हालांकि इनमें से कोई भी पुलिसकर्मी और कर्मचारी रविवार को वीआईपी ड्यूटी में तैनात नहीं रहा।

रविवार सुबह 19 पुलिसवालों में कोविड संक्रमण  की पुष्टि हुई। टेस्ट रिपोर्ट आते ही पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया। राहत देने वाली बात यह थी कि पॉजिटिव आया कोई भी पुलिसकर्मी रविवार को वीआईपी ड्यूटी में तैनात नहीं रहा। यमकेश्वर ब्लॉक के कोविड नोडल अधिकारी डा. राजीव कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमितों में चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून और पौड़ी जनपद के 19 पुलिस कर्मी शामिल हैं। विभाग ने संक्रमित जवानों को ड्यूटी से वापस भेज दिया है। सभी जवान अगले 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में रहेंगे।
वीआईपी ड्यूटी के लिए आए ये पुलिसकर्मी और कर्मचारी अन्य कर्मचारियों, परमार्थ आश्रम के कर्मचारियों और स्वर्गाश्रम बाजार के दुकानदारों समेत अन्य लोगों के संपर्क में आए थे। स्वास्थ्य विभाग इनके संपर्क में आए लोगों की सूची तैयार कर रहा है। इन सभी की कोरोना जांच कराई जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 24 घंटे में निजी और सरकारी लैब से पांच हजार 372 नमूनों की जांच रिपोर्ट आई है और इनमें पांच हजार 336 नमूनों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। नए मामलों में सबसे अधिक 19 नए मरीज पौड़ी जिले में मिले हैं।जबकि नैनीताल में सात, देहरादून में पांच, हरिद्वार में दो, अल्मोड़ा में दो और यूएस नगर जिले में एक मरीज में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है।

कोरोना के नए वेरिएंट की दस्तक के बाद उत्तराखंड सरकार एक्टिव हो गई है और राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार पूरी तरह से गंभीर है। सीएम धामी ने कहा कि उन्होंने शनिवार को ही सभी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और इस संबंध में सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द लेंगे भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड की सलामी, 11 दिसंबर को 387 जेंटलमैन कैडेट परेड में करेंगे कदमताल 

भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड 11 दिसंबर को होगी। परेड की सलामी इस बार राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द लेंगे। । इस बार 319 भारतीय और 68 विदेशी कुल 387 जेंटलमैन कैडेट परेड में कदमताल करेंगे। आईएमए प्रशासन पीओपी की तैयारियों में जुटा है। राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

आगामी 11 दिसंबर को होने वाली इंडियन मिलिट्री एकेडमी(आईएमए) में पासिंग आउट परेड (पीओपी) की सलामी इस बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ले सकते हैं। हालांकि, अभी इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। इधर, आईएमए में पीओपी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। जैंटलमैन कैडेट्स रोजाना रिहर्सल में पसीना बहा रहे हैं। लंबे अंतराल के बाद इस बार पीओपी में जेंटलमैन कैडेट्स के परिजनों को आने की अनुमति मिल गई है।

आईएमए की जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत ने बताया कि पीओपी से पहले तीन दिसंबर को ग्रेजुएशन सेरेमनी, आठ दिसंबर को कमांडेंट अवाॅर्ड सेरेमनी, 09 दिसंबर को कमांडेंट परेड, 10 दिसंबर को मल्टीएक्टीविटी डिस्प्ले व साउंड व लाइट शो का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद 11 दिसंबर को मुख्य परेड का आयोजन किया जाएगा। परेड में बतौर रिव्यूंग अफसर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद परेड की सलामी लेंगे। पीओपी को लेकर आईएमए प्रशासन ने तैयारियां लगभग पूरी कर ली है।

आईएमए की जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हिमानी पंत ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के दृष्टिगत पूर्व में पीओपी को सीमित दायरे में आयोजित किया जा रहा था। लेकिन इस बार जैंटलमैन कैडेट्स के परिजनों को अनुमति दी जा रही है। हालांकि मीडिया कवरेज का दायरा सीमित रखा गया है। पीओपी कार्यक्रम घर बैठे देखा जा सकेगा।कोरोना संक्रमण को देखते हुए पिछले जून में हुए पासिंग आउट परेड में परिजनों को परेड में आमंत्रित नहीं किया गया था। लेकिन इस बार आईएमए प्रशासन ने परिजनों को भी पीओपी में शामिल होने की अनुमति दे दी है। पिछले बार परिजनों के शामिल न होने से सैन्य अफसरों और उनके परिजनों ने जेंटलमैन केडेट्स के कंधों पर पीप्स, सितारे सजाए थे, लेकिन इस बार परिजन अपने लाडलों के कंधों पर पीप्स सजाएंगे। हालांकि इस दौरान कोविड गाइड लाइन का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

इसके लिए परेड का लाइव प्रसारण किया जाएगा। उधर, भारतीय सैन्य अकादमी में परेड़ के लिए तमाम तैयारियां की जा रही है। आईएमए की ऐतिहासिक चैटवुड बिल्डिंग के समीप फाइनल परेड की रिहर्सल चल रही है। आईएमए पीओपी को लेकर देहरादून जिला प्रशासन और देहरादून पुलिस सहित एलआईयू भी अलर्ट मोड पर आया गया है। पीओपी को लेकर यातायात पुलिस की ओर से ट्रैफिक डायवर्जन प्लान भी तैयार किया गया है।

भारतीय नौसेना में निकली नेवी अप्रेंटिस के 275 पदों पर भर्ती, जल्द करें ऑनलाइन आवेदन 

रक्षा मंत्रालय (नौसेना) ने अप्रेंटिस पदों के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए हैं। योग्य उम्मीदवार जो पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे अप्रेंटिसशिप इंडिया की आधिकारिक साइट apprenticeshipindia.org के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यह भर्ती अभियान नेवल डॉकयार्ड अपरेंटिस स्कूल में अपरेंटिस के 275 पदों को भरेगा।ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तारीख 5 दिसंबर, 2021 तक है।

योग्यता

जो उम्मीदवार अपरेंटिस पदों के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके पास 50 प्रतिशत अंकों के साथ SSC / मैट्रिक / 10वीं कक्षा होनी चाहिए और 65 प्रतिशत अंकों के साथ ITI सर्टिफिकेट होना चाहिए।

सिलेक्शन प्रोसेस

चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और इंटरव्यू शामिल हैं। योग्य उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा के लिए कॉल लेटर जारी किया जाएगा। लिखित परीक्षा ऑब्जेक्टिव टाइप प्रकार की होगी जिसमें 50 प्रश्न (मैथ के 20, जनरल साइंस के 20, जनरल नॉलेज के 10) होंगे, प्रत्येक प्रश्न में डेढ़ (1½) अंक होंगे

लिखित परीक्षा की योग्यता के क्रम में उम्मीदवारों को विभिन्न आरक्षण श्रेणियों और ट्रेडों में साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। साक्षात्कार उनके संबंधित ट्रेड में उम्मीदवारों के तकनीकी कौशल पर आधारित है। साक्षात्कार में अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों को एक चिकित्सा परीक्षा से गुजरना होगा।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

  • आवेदन करने की अंतिम तिथि: 5 दिसंबर, 2021
  • भरे हुए आवेदन भेजने की अंतिम तिथि: 14 दिसंबर, 2021
  • सभी ट्रेडों के लिए लिखित परीक्षा: 27 जनवरी, 2022
  • परिणाम की घोषणा: 29 जनवरी, 2022
  • साक्षात्कार की तिथि: 31 जनवरी, 1, 2 और 3 फरवरी, 2022
  • मेडिकल जांच : 7 फरवरी से 15 फरवरी, 2022

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र से किया सम्मानित

मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को जम्मू-कश्मीर में एक ऑपरेशन के लिए शौर्य चक्र (मरणोपरांत) दिया गया।शहीद मेजर विभूति को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। जिसे उनकी पत्नी लेफ्टिनेंट नितिका कौल और मां सरोज ढौंडियाल ने प्राप्त किया। मेजर विभूति जिस ऑपरेशन में शहीद हुए उसमें उन्होंने पांच आतंकवादी मारे गए और 200 किलो विस्फोटक बरामद किया गया।

दून निवासी विभूति ढौंडियाल जम्मू-कश्मीर में हुए 2019 में हुए सैन्य अभियान में शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ चले ऑपरेशन में शहीद हुए मेजर विभूति ढौंडियाल ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया था।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों से लोहा लेने के दौरान एनकाउंटर में शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को भारत सरकार ने उनकी वीरता का इनाम दिया है। 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले में शहीद हुए सेना के मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को सोमवार को एक सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल ने पुलवामा आतंकी हमले के गुनहगार आतंकियों से लोहा लिया था और एक ऑपरेशन के दौरान पांच खूंखार आतंकियों को मारने के बाद देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।

 

तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करते हुए बोले पीएम मोदी- मैं क्षमा मांगता हूं, किसानों को समझा नहीं पाया, तपस्या में कमी रह गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यह बड़ा ऐलान देश के नाम अपने संबोधन में किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। मोदी सरकार पिछले पिछले साल कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लाई थी। लेकिन कई किसान संगठन इन कानूनों का लगातार विरोध कर रहे थे।केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज में देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्‍चे मन और पवित्र हृदय से यह कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्‍या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिये के प्रकाश जैसा सत्‍य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। ।उन्होंने कहा कि सरकार ने नाराज किसानों को समझाने का हरसंभव प्रयास किया। कई मंचों से उनसे बातचीत हुई, लेकिन वो नहीं माने। इसलिए, अब तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया गया है।

मोदी ने कहा, ‘आज गुरु नानकदेव जी का प्रकाश पर्व है। यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको, पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।

पीएम मोदी ने कहा, ‘कृषि में सुधार के लिए तीनों कानूनों का देश के किसानों, संगठनों ने इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं। साथियों हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए देश के कृषि जगत के हित में, गांव, गरीब के हित में पूर्ण समर्थन भाव से, नेक नियत से ये कानून लेकर आई थी। लेकिन इतनी पवित्र बात पूर्ण रूप से किसानों के हित की बात हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। भले ही किसानों का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा था। हमने बातचीत का प्रयास किया। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया।

प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान करते हुए आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर लौटने का आग्रह किया। मोदी ने कहा, ‘मैं आज अपने सभी आंदोलनरात किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि गुरुपर्व के पवित्र दिन आप अपने-अपने घर लौटें, अपने खेतों में लौटें, अपने परिवार के बीच लौटें। आइए, एक नई शुरुआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।’

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह जानकारी भी दी कि जीरो बजट खेती की तरफ प्रभावी कदम बनाने के लिए एक कमिटी के गठन का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा, ‘आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और फैसला लिया है। जीरो बजट खेती, यानी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर, क्रॉप पैटर्न के वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा।’

क्लैट (CLAT) की अगले वर्ष दो परीक्षाएं आयोजित की जाएगी

देश के राष्ट्रीय कानून विधि विश्वविद्यालय के लिए आयोजित कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) की विधि प्रवेश परीक्षा 2022 -23 सत्र की अगले साल आयोजित की जाएगी।

कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज की एग्जीक्यूटिव कमेटी और जनरल बोर्ड की मीटिंग में यह तय किया गया कि क्लैट 2022 और क्लैट 2023 की परीक्षा का आयोजन अगले साल 2022 में ही किया जायेगा। इस तरह वर्ष 2022 में क्लैट की दो परीक्षाएं आयोजित की जाएगी।

क्लैट (CLAT) 2022 परीक्षा की तारीख 8 मई 2022 निर्धारित की गई है। जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जनवरी में शुरू होगी। विगत सालो में क्लैट (CLAT) परीक्षा मई में होती थी, COVID-19 के कारण कई बार स्थगित किया गया था। लेकिन इस बार क्लैट की परीक्षा 8 मई 2022 को आयोजित की जाएगी।इस वर्ष क्लैट परीक्षा का आयोजन की जिम्मेदारी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रायपुर को दी गई है। क्लैट (CLAT) 2023 की परीक्षा इसी वर्ष 18 दिसंबर, 2022 को आयोजित की जाएगी।इसके लिए जून में ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

क्लैट कंसोर्टियम ने  काउंसलिंग फीस को लेकर बड़ा फैसला लिया है।अब जनरल कैटेगरी के कैं‌डिडेट्स को कांउसलिंग फीस 50 हजार के जगह 30 हजार रुपये देने होंगे। और एससी(SC), एसटी(ST), ओबीसी(OBC),  ईडब्ल्यूएस(EWS), बीसी(BC) तथा दिव्यांग कैंडिडेट्स को 20 हजार रुपये शुल्क देना होगा।

लॉ प्रेप टुटोरिअल दून के निर्देशक एस. एन. उपाध्याय ने बताया कि क्लैट 2022 -2023 की परीक्षा वर्ष 2022 में आयोजित की जाएगी। जिससे की सत्र को नियमित किया जा सके। इस व्यवस्था से छात्रों को फायदा होगा।

पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड को तीन श्रेणियों में पुरस्कार, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा तीन श्रेणियों में पुरस्कार मिलने से उत्तराखंड का मान बढ़ा

उत्तराखंड ने पर्यटन के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता साबित करते हुए शुक्रवार को तीन श्रेणियों में राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल किए। इसमें राज्य को बेस्ट वाइल्डलाइफ, बेस्ट एडवेंचर और बेस्ट स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन का अवॉर्ड मिला है।नयी दिल्ली में केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को ये पुरस्कार प्रदान किए गए है।पर्यटन सर्वेक्षण और पुरस्कार कार्यक्रम में देश के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों को नौ श्रेणियों में अलग-अलग पुरस्कार दिए गए। इनमें से उत्तराखंड को तीन पुरस्कार मिले हैं। भारत के बेहतरीन पर्यटन स्थलों को नौ श्रेणियों में दिए गए पुरस्कारों में से उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान को सर्वश्रेष्ठ वन्यजीव गंतव्य, ऋषिकेश को सर्वश्रेष्ठ साहसिक खेल गंतव्य और केदरानाथ को सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक गंतव्य पुरस्कार मिला ।

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा कि कोविड-19 के बाद उत्तराखंड पर्यटन, ‘वेलनेस टूरिज्म’ और आयुष के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा, ‘‘तीन श्रेणियों में पुरस्कार मिलने से उत्तराखंड का मान बढ़ा है और इससे हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं।’’सरकार एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा दे रही है। महाराज ने कहा कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क वन्यजीव प्रेमियों के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक बेहतरीन डेस्टिनेशन है। जहां सैलानी रोमांच के साथ-साथ एक अलग ही जोश और उत्साह का अनुभव करते हैं। पर्यटन क्षेत्र में तीन श्रेणियों में पुरस्कार मिलना उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है। पर्यटन मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशों के अनुसार केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. जिससे केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं को भविष्य में सुविधा मिलेगी। सरकार ने विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। जिससे चारधाम यात्रा के बंद होने के बाद उनके वैकल्पिक तीर्थ स्थलों को शीतकालीन चारधाम के रूप में विकसित करना पड़ रहा है।

केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में देश के पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कोरोना के बाद से उत्तराखंड पर्यटन, स्वास्थ्य पर्यटन और आयुष के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता से सदियों से देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। उत्तराखंड एडवेंचर लवर्स की पसंदीदा जगहों में से एक बनता जा रहा है।

लखीमपुर हिंसा:सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के अनुरोध पर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर 15 नवंबर तक का समय दिया 

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड में आज होने वाली सुनवाई को टाल दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अगली सुनवाई होनी थी, लेकिन इसे सोमवार यानी 15 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया है। बताया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर सुनवाई को आगे के लिए टाला गया है। यूपी की ओर से पेश वकील ने सोमवार तक का समय मांगा था। उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की निगरानी किसी अन्य ‘अलग उच्च न्यायालय’ के एक पूर्व न्यायाधीश से दैनिक आधार पर कराने के सुझाव पर शीर्ष अदालत को अवगत कराने के लिए शुक्रवार को उप्र को 15 नवंबर का समय प्रदान कर दिया। लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ”क्या आप मुझे सोमवार तक का समय देंगे? मैंने इसे लगभग पूरा कर लिया है।

पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए कहा, ”मामले को सोमवार को सूचीबद्ध किया जाए।”शीर्ष अदालत ने 8 नवंबर को जांच पर असंतोष व्यक्त किया था। पीठ ने सुझाव दिया था कि जांच में ”स्वतंत्रता और निष्पक्षता” को बढ़ावा देने के लिए, एक ”अलग उच्च न्यायालय” के एक पूर्व न्यायाधीश को दैनिक आधार पर इसकी निगरानी करनी चाहिए।

पीठ ने यह भी कहा था कि उसे कोई भरोसा नहीं है और वह नहीं चाहती कि राज्य द्वारा नियुक्त एक सदस्यीय न्यायिक आयोग मामले की जांच जारी रखे।राज्य सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई हिंसा की जांच के लिए नामित किया था।राज्य सरकार को एक अन्य उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश द्वारा जांच की निगरानी के सुझाव पर अपने रुख के बारे में सूचित करने के लिए कहा गया था।

पीठ ने कहा था कि यह जांच उसकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं चल रही है और उसने अभी तक की जांच के संबंध में विशेष जांच दल से संबंधित कुछ मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। पीठ ने कहा था, ‘‘पहली नजर में ऐसा लगता है कि एक आरोपी विशेष (किसानों को कुचले जाने के मामले में) को किसानों की भीड़ द्वारा राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पिटाई संबंधी दूसरे मामले में गवाहों से साक्ष्य हासिल करने के नाम पर लाभ देने का प्रयास हो रहा है।’’

शीर्ष अदालत ने गिरफ्तार किए गए 13 आरोपियों में से एक आशीष मिश्रा का मोबाइल फोन जब्त करने इस मामले में विशेष जांच दल की काफी आलोचना की थी। इस मामले में जब्त किए गए बाकी फोन किसानों को कथित रूप से कुचले जाने की घटना के गवाहों के थे।न्यायालय ने कहा था, “हम दैनिक आधार पर जांच की निगरानी के लिए एक भिन्न उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने के पक्ष में हैं और फिर देखते हैं कि अलग-अलग आरोप पत्र कैसे तैयार किए जाते हैं।”

पीठ ने सुनवाई के दौरान ही पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति रंजीत सिंह और न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन के नामों का सुझाव दिया था। पीठ का कहना था कि दोनों न्यायाधीश आपराधिक कानून के क्षेत्र में अनुभवी हैं और मामलों में आरोपपत्र दाखिल होने तक एसआईटी की जांच की निगरानी करेंगे।