देहरादून : नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) दिल्ली में अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए आयोजीत होने वाले ऑल इंडिया लॉ एंट्रेंस टेस्ट की परीक्षा तिथि में बदलाव किया गया है । यहाँ परीक्षा 20 जून 2021 को आयोजित की जाएगी । यह परीक्षा पहले 2 मई को होनी थी ।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) दिल्ली की और से जारी अधिसूचना के अनुसार इस परीक्षा के लिए आवेदन जनवरी के तीसरे सप्ताह से शुरू हो गयी हैं ।
ऑल इंडिया लॉ एंट्रेंस टेस्ट 3 कोर्स में दाखिले के लिए आयोजित की जाती है , जिसमे पांच वर्षीय
BA .LLB (Honours) , एक वर्षीय LLM और PH.D शामिल है , लॉ प्रेप टूटोरियल देहरादून की निर्देशक (अकादमिक) दिशा उपाध्याय ने बताया की BA .LLB के लिए प्रवेश परीक्षा 150 अंको की होती हैं । जिसमे 10 अंको का गणित और अंग्रेजी , जनरल नॉलेज , रीज़निंग और लीगल एप्टीटुड के 35 -35 अंक के सेक्शन होंगे।
परीक्षा पेपर और पेन मोड में होगा । परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग भी होगी । एक प्रश्न का उत्तर गलत होने पर अभ्यर्थी के 0.25 अंक काट लिए जायँगे । यानि चार गलत जवाब पर उनका एक नंबर काट जाएगा । नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) दिल्ली द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार इच्छुक छात्र परीक्षा सम्बंधित जानकारी nludelhi.ac.in पर लेते रहे ।
Category: शिक्षा
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रगतिशील होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी है उन्होंने प्रसिद्ध कॉटन यूनिवर्सिटी के परिसर में नए छात्रावासों की आधारशिला रखी
केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रगतिशील होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी है। उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने के बाद यह शिक्षा नीति परिवर्तनकारी बनने जा रही है। इस शिक्षा नीति के सकारात्मक परिणाम अगली पीढ़ी में दिखाई देंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह प्रसिद्ध कॉटन यूनिवर्सिटी के परिसर में नए छात्रावासों की आधारशिला रखने के बाद इस अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। यह विश्वविद्यालय पूर्ववर्ती कॉटन कॉलेज का विस्तार है। यह कॉलेज ब्रिटिश राज के दौरान 1901 में पूर्वोत्तर में स्थापित होने वाला पहला डिग्री कॉलेज है। कॉलेज का नाम ब्रिटिश गवर्नर श्री कॉटन के नाम पर रखा गया था। सात मंजिले छात्रावास भवनों के निर्माण की पूरी लागत पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) द्वारा वहन की जाएगी। यह परिषद पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय से संबद्ध है। छात्रावास भवनों के निर्माण के लिए लगभग 40 करोड़ रुपये की राशि पहले ही आवंटित कर दी गई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और पूर्वोत्तर परिषद पिछले छह वर्षों के दौरान बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से अलग भी अपनी गतिविधियों में विविधता लाए हैं और शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक योगदान दे रहे हैं। उन्होंने दो वर्ष पूर्व बैंगलोर विश्वविद्यालय के परिसर में पूर्वोत्तर परिषद द्वारा निर्मित नॉर्थईस्ट गर्ल्स हॉस्टल और नॉर्थईस्ट स्टूडेंट्स हॉस्टल का जिक्र किया। नॉर्थईस्ट स्टूडेंट्स हॉस्टल का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) नई दिल्ली के परिसर में निर्माण कार्य प्रगति पर है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसी प्रकार स्वास्थ्य क्षेत्र में भी पूर्वोत्तर परिषद ने परमाणु ऊर्जा विभाग और टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल मुंबई के सहयोग से गुवाहाटी के डॉ. बी बरूआ अस्पताल को अपग्रेड करके सुपर स्पेशियलिटी कैंसर शिक्षण अस्पताल में परिवर्तित कर दिया है। इस अस्पताल में डीएम ऑन्कोलॉजी और एमसीएच ऑन्कोलॉजी पाठ्यक्रमों की शुरूआत की गई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस शिक्षा नीति में कुछ क्रांतिकारी प्रावधान शामिल किए गए हैं जो वैश्विक भारत की जरूरतों के अनुरूप हैं। उन्होंने किसी शिक्षा संस्थान में प्रवेश और निकासी के प्रावधान का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे छात्र को अपनी योग्यता के आधार पर अपना अध्ययन पाठ्यक्रम छोड़ने की अनुमति से साथ-साथ बाद में पाठ्यक्रम में दोबारा शामिल होने का विकल्प भी उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति युवा प्रतिभाओं और कौशल को पोषित करने और संवारने में भी एक बड़ी मददगार साबित होने जा रही है।
भारत सरकार और विश्व बैंक ने नागालैंड में भारत की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की परियोजना पर हस्ताक्षर किए
भारत सरकार, नागालैंड सरकार और विश्व बैंक ने आज नागालैंड के स्कूलों के प्रशासनिक कामकाज में सुधार के साथ ही चुनिंदा स्कूलों में शिक्षा की प्रक्रियाओं और पढ़ाई के माहौल को बेहतर बनाने के लिए 6.8 करोड़ डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए।
“नागालैंड : कक्षा शिक्षण और संसाधन सुधार परियोजना” से कक्षा में पढ़ाई में सुधार होगा; शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए अवसर पैदा होंगे; और विद्यार्थियों व शिक्षकों को उपलब्ध कराने के लिए तकनीक प्रणाली बनाई जाएंगी, जिससे मिलीजुली व ऑनलाइन शिक्षा तक व्यापक पहुंच के साथ ही नीतियों और कार्यक्रमों की बेहतर निगरानी सुनिश्चित होगी। इस तरह का एकीकृत दृष्टिकोण पारम्परिक डिलिवरी मॉडलों का पूरक होगा और इससे कोविड-19 से पैदा हुई चुनौतियों से पार पाने में भी मदद मिलेगी। स्कूलों में राज्यव्यापी सुधारों से नागालैंड में सरकारी शिक्षा प्रणाली में लगभग 1,50,000 विद्यार्थियों और 20,000 शिक्षक लाभान्वित होंगे।
आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव श्री सी. एस. महापात्रा ने कहा कि विकास की किसी भी रणनीति में मानव संसाधनों का विकास एक अहम भूमिका निभाता है और भारत सरकार ने भारत में शैक्षणिक परिदृश्य में बदलाव के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नागालैंड में इस शिक्षा परियोजना से विद्यार्थियों और शिक्षकों के सामने मौजूद कई गंभीर समस्याओं का समाधान होगा तथा यह परियोजना राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाएगी।
इस समझौते पर भारत सरकार की तरफ से श्री महापात्रा; नागालैंड सरकार की तरफ से मुख्य निदेशक, स्कूली शिक्षा विभाग श्री शानवास सी; और विश्व बैंक की तरफ से कंट्री निदेशक, भारत श्री जुवैद अहमद ने हस्ताक्षर किए।
आज, नागालैंड को कमजोर स्कूली अवसंरचना, शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए अवसरों की कमी और स्कूल व्यवस्था के साथ प्रभावी भागीदारी के लिए समुदायों की सीमित क्षमता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 महामारी ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है और राज्य की स्कूली शिक्षा प्रणाली में अतिरिक्त संकट पैदा कर दिया है व व्यवधान बढ़ा दिए हैं
भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक श्री जुनैद अहमद ने कहा कि भले ही पिछले कुछ साल के दौरान भारत में स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है, लेकिन श्रम बाजार की बढ़ती मांगों को पूरा करने और भावी विकास को गति देने के लिए शिक्षा के परिणामों में सुधार की आवश्यकता बढ़ रही है। यह परियोजना सुधार और राज्य में ज्यादा लचीली शिक्षा प्रणाली के विकास की दिशा में नागालैंड सरकार के प्रयासों को समर्थन देने के लिए तैयार की गई है।
नागालैंड के शिक्षा प्रबंधन और सूचना प्रणाली (ईएमआईएस) को मजबूत बनाने से शिक्षा संसाधनों तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित होगी; शिक्षकों और शिक्षा प्रबंधकों के लिए व्यावसायिक विकास और प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणालियों को समर्थन मिलेगा; स्कूल नेतृत्व सुविधाजनक और प्रबंधन बेहतर होगा; परीक्षा सुधारों को समर्थन मिलेगा।
शिक्षा विशेषज्ञ और इस परियोजना के लिए विश्व बैंक के टास्क टीम लीडर श्री कुमार विवेक ने कहा कि यह परियोजना राज्य के सुधार और स्कूलों में पढ़ाई के माहौल में सुधार के प्रयासों को समर्थन देगी जिससे वह बच्चों पर केंद्रित; आधुनिक, तकनीक कुशल शिक्षण और पढ़ाई के दृष्टिकोण में सहयोगी; और भावी झटकों के लिए लचीली हो सके।
इस रणनीति के तहत, नागालैंड के 44 उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में से 15 को ऐसे स्कूल परिसरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां परियोजना अवधि के दौरान परिकल्पित सीखने के माहौल को तैयार किया जा सकता हो।
अंतर्राष्ट्रीय पुनर्गठन एवं विकास बैंक से मिलने वाला 6.8 करोड़ डॉलर के कर्ज परिपक्वता अवधि 14.5 वर्ष होगी, जिसमें 5 साल की ग्रेस अवधि शामिल है।
दिल्ली: सरकार ने नर्सरी में दाखिले के लिए उम्र सीमा में छूट दी
दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों को नर्सरी में दाखिल के लिए उम्र सीमा में बच्चों को 30 दिनों की छूट देने का निर्देश दिया है। शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने स्कूलों को भेजे एक पत्र में कहा है, ‘‘एक बार फिर से यह कहा जा रहा है कि स्कूलों में न्यूनतम एवं अधिकतम उम्र सीमा में प्रधानाध्यापकों के स्तर से 30 दिनों की छूट दी जा सकती है। यदि किसी अभिभावक को अपने बच्चे के लिए उम्र सीमा में छूट चाहिए तो वे स्कूल के प्रधानाध्यपक से एक आवेदन के जरिए संपर्क कर सकते हैं और उनसे इस पर विचार करने का अनुरोध कर सकते हैं।’’ बता दें कि शिक्षा निदेशालय 31 मार्च के आधार पर आयु की गणना करता है।
आवेदन प्रक्रिया चार मार्च को समाप्त हो जाएगी
शिक्षा निदेशालय 2018 से प्रत्येक वर्ष उम्र सीमा निर्धारित कर रहा है। नर्सरी, केजी और पहली कक्षा में दाखिले के लिए एक ऊपरी उम्र सीमा है। नर्सरी में दाखिले के लिए 31 मार्च को बच्चे की उम्र चार साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं, केजी में दाखिल के लिए यह पांच साल और पहली कक्षा में दाखिले के लिए छह साल साल से अधिक उम्र नहीं होनी चाहिए। नर्सरी में दाखिले की प्रक्रिया 18 फरवरी से शुरू हो गई है और आवेदन प्रक्रिया चार मार्च को समाप्त हो जाएगी। चयनित उम्मीदवारों की पहली सूची 20 मार्च को और फिर अगली लिस्ट 25 मार्च को जारी की जाएगी।
जानिए उम्र में कितनी मिलेगी छूट
नर्सरी में एडमिशन के लिए 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 3 वर्ष से अधिक, लेकिन 4 वर्ष से कम होनी चाहिए। केजी (KG) में 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 4 वर्ष से अधिक, लेकिन 5 वर्ष से कम होनी चाहिए। वहीं क्लास 1 में 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 5 वर्ष से अधिक, लेकिन 6 वर्ष से कम होनी चाहिए। इसी न्यूनतम और अधिकतम आयु सीमा में 30 दिन की रियायत दी गई है।
बता दें कि नर्सरी दाखिले को लेकर ‘पहले आओ- पहले पाओ’ जैसे 50 मानदंड दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित किए हुए हैं। स्कूलों को मैनेजमेंट कोटे पर दाखिला लेने की भी पाबंदी है। स्कूल कई मानदंडों पर बच्चों/अभिभावकों को अंक देते हैं जिसके आधार पर बच्चे को दाखिला मिलता है। यह भी देखा गया है कि कई स्कूल आवेदन के दौरान स्कूल बस का चुनाव करने पर अतिरिक्त अंक देते हैं। ऐसे सभी मानदंडों पर प्रतिबंध है और ऐसे मानकों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय सख्त है।
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को मिली नए सत्र में प्रवेश की अनुमति
उत्तराखंड में निजी क्षेत्र में 2001 से स्थापित प्रथम आयुर्वेदिक कॉलेज राजपुर रोड स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को बीएएमएस एवं एमडी आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु 60 सीटों के प्रवेश हेतु आयुष मंत्रालय ने मान्यता प्रदान कर दी है। जिसमें आयुर्वेद, स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अभ्यर्थियों को प्रवेश का मौका मिलेगा।
उक्त जानकारी देते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्य मानव दयाल शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में भविष्य बनाने के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ा है। सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भवन अस्पताल एवं सुरम्य घाटी में स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रवेश हेतु अभ्यर्थी उत्साहित है। नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को संस्था में नियमानुसार प्रवेश की कार्यवाही 28 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाएगी। कॉलेज को द्वितीय चरण की काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया है।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुरेश चौबे ने दी जानकारी में बताया कि राज्य में आयुर्वेदिक कॉलेजों में प्रवेश हेतु प्रथम चरण की काउंसिलिंग पूर्ण हो चुकी है एवं द्वितीय चरण की काउंसिलिंग अंतिम चरण में है। मोप अप राउंड काउंसलिंग 24 से अनंतिम निर्धारित है। डॉ. चौबे ने बताया कि राज्य में 3 राजकीय व निजी क्षेत्र के 9 आयुर्वेदिक कॉलेजों को आगामी सत्र में प्रवेश हेतु मान्यता प्राप्त हुई है।
एक कॉलेज को मान्यता मिलने की संभावना है। अगले प्रवेश प्रक्रिया की घोषणा जल्द ही की जाएगी। विश्ववविद्यालय ने काउंसलिंग शेडयूल में आंशिक फ़ेरबदल किया है। डॉ. चौबे ने बताया कि द्वितीय चरण की काउंसलिंग के उपरांत विगत दिवस विश्वविद्यालय द्वारा मेरिट लिस्ट जारी कर दी जायेगी। जिसमें अभ्यर्थियों को नीट की मेरिट के आधार पर राज्य के विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले का मौका मिलेगा। 19 व 20 को अभ्यर्थी अपनी सूची के अनुसार महाविद्यालयों का चयन (choice filling) कर सकेंगे। उपलब्ध सीटों के आधार पर 22 को विश्वविद्यालय द्वारा सीटें आवंटित कर परिणाम घोषित किया जाएगा। आवंटित सीटों पर अभ्यर्थी 23 व 24 फरवरी को प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के एमडी एवं उत्तराखंड मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ अश्विनी काम्बोज ने आयुष मंत्रालय एवं सी.सी.आई.एम नई दिल्ली का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस वर्ष को महामारी के चलते आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम का सत्र विलंबित हुआ है। प्रतिवर्ष 30 अक्टूबर उक्त प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती थी, परंतु कोरोना के चलते इस वर्ष आयुष कॉलेजों में नए सत्र का शिक्षण-प्रशिक्षण मार्च 2021 से प्रारंभ होगा। डॉ. कांबोज ने बताया कि राज्य के कुछ कॉलेजों को अभी भी प्रवेश की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। उनको भारत सरकार द्वारा शीघ्र अनुमति मिलने की संभावना है। ऐसे कॉलेजों में रिक्त सीटों के लिए अलग से काउंसलिंग हेतु भारत सरकार को एसोसिएशन के माध्यम से पत्र प्रेषित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एवं केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद नई दिल्ली द्वारा उत्तराखंड के आयुष कॉलेजों में नए सत्र में प्रवेश हेतु निजी क्षेत्र के 9 कॉलेजों को मान्यता प्रदान करते हुए सूची जारी कर दी है। इनके अतिरिक्त राज्य के तीन राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज व गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (हरिद्वार) एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय मैन केंपस हर्रावाला देहरादून को भारत सरकार ने पूर्व में ही मान्यता प्रदान कर दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के जिन 9 निजी कॉलेजों को मान्यता मिली है, उनमें पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज (100 सीट), उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज (60), हिमालय आयुर्वेदिक कॉलेज (60) दून इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (60), क्वाड्रा इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद(30), मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज(60), शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद एंड रिसर्च (60), मंजीरा देवी आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज (30), चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज (50) सीट शामिल है।
देवभूमि मेडिकल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद को भी जल्द मान्यता मिलने की संभावना है। राज्य के तीन कॉलेजों हरिद्वार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उत्तरांचल युनानी मेडिकल कॉलेज एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को कोर्ट के आदेश से मान्यता प्राप्त होने की जानकारी मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन कॉलेजों बिहाइव मेडिकल कॉलेज, विशंभर सहाय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं परम हिमालयन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज को मान्यता मानक (टीचिंग फैकल्टी) पूरे न किए जाने पर रद्द कर दी गई है।