Rishikesh News: शिवपुरी गंगा घाट पर नहाते समय बहे बीटेक के दो छात्र, होली के दिन आए थे देहरादून से घूमने

News Web Media uttarakhand rishikesh : देहरादून डीआईटी से बीटेक कर रहे दो छात्र शिवपुरी स्थित नमामि गंगे घाट पर नहाते समय गंगा में बह गए। दोनों छात्र होली के दिन देहरादून से ऋषिकेश घूमने आए थे। इनमें से एक छात्र आदित्य राज (22) कोलकाता निवासी और उत्कर्ष (22) उत्तरप्रदेश के आगरा निवासी था।

उधर लक्ष्मण झूला में पटना वॉटर फॉल के पास एक युवक गंगा में बह गया। उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद निवासी शोभित यादव (30) दोस्तों के साथ ऋषिकेश आया था। गंगा  में नहाते समय पैर फिसलने से गंगा की तेज लहरों की चपेट आ गया। एसडीआरएफ प्रभारी कविंद्र सजवाण ने बताया कि गंगा में बहे तीनों युवकों को तलाश के लिए अभियान चलाया जा रहा है।

उत्तराखंड में बिजली संकट के आसार, आज CM धामी दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से करेंगे मुलाकात

देहरादून: उत्तराखंड में अगले महीने से बिजली का संकट गहरा सकता है। इससे पार पाने के लिए राज्य सरकार अब केंद्र से मार्च 2024 तक के लिए 400 मेगावाट (96 लाख यूनिट) बिजली की मांग करने जा रही है। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि इस बार बारिश कम होने से गर्मी में बिजली की ज्यादा मांग के आसार हैं। फिलहाल 31 मार्च तक के लिए तो केंद्र ने अपने विशेष कोटे से 72 लाख यूनिट बिजली दे दी है लेकिन एक अप्रैल से फिर कमी शुरू हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि गर्मियों के सीजन में बिजली की मांग पिछले वर्षों में पांच करोड़ यूनिट प्रतिदिन तक पहुंची है। इस साल भी यह मांग इतनी जाने की संभावना है। बताया कि गर्मियों के सीजन में सामान्य तौर पर 400 मेगावाट (96 लाख यूनिट) और पीक आवर्स में 800 मेगावाट (1.92 करोड़ यूनिट) तक बिजली की किल्लत हो सकती है। लिहाजा, सरकार अब केंद्र सरकार से मार्च 2024 तक 96 लाख यूनिट बिजली की आपूर्ति गैर आवंटित कोटे से करने की मांग की जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस संबंध में शुक्रवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से मुलाकात करेंगे।
राज्य में दो गैस आधारित बिजली प्लांट काशीपुर में हैं। इन दोनों ने 321 मेगावाट बिजली मिलती है। गैस महंगी होने की वजह से ये बंद पड़े हुए थे। 28 फरवरी को केंद्र की बैठक के बाद तय हुआ है कि इन प्लांटों को चलाया जा सकता है। दोनों बिजली प्लांट मालिकों ने बिडिंग में हिस्सा लिया था, जिसमें गैस की कीमत 16 डॉलर के आसपास आ रही है, जिससे राज्य को बिजली करीब 12 रुपये यूनिट मिलेगी। राज्य ने 15 डॉलर तक की सहमति दी हुई है, जिससे बिजली 10 रुपये यूनिट तक मिलेगी। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि कम कीमत पर गैस उपलब्ध होने की उम्मीद प्रबल हो रही है। जिससे गैस आधारित प्लांट चल सकेंगे। इनसे राज्य को 77 लाख यूनिट मिलने लगेगी।
यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि प्रदेश में बिजली संकट को देखते हुए वह लघु अवधि (शॉर्ट टर्म) के साथ ही मध्यम अवधि (मीडियम टर्म) की निविदा से बिजली खरीद कर रहे हैं। बताया कि इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर एनर्जी एक्सचेंज से भी बिजली खरीदी जाती है।

Ayushman Card: आयुष्मान कार्ड धारकों का आंकड़ा 50 लाख पार, देहरादून जिले में सबसे अधिक 10.47 लाख

Dehradun: प्रदेश में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 23 सितंबर 2018 से लागू हुई और अटल आयुष्मान योजना का संचालन 25 दिसंबर 2018 से शुरू हुआ था। पांच लाख तक निशुल्क इलाज की सुविधा देने के लिए प्रदेश के 50 लाख से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और राज्य सरकार की अटल आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश में कार्ड धारकों का आंकड़ा 50 लाख पार हो गया है। देहरादून जिले में सबसे अधिक 10.47 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। जल्द ही शत प्रतिशत लाभार्थियों के कार्ड बनाने का लक्ष्य हासिल किया जाएगा।

पांच लाख तक निशुल्क इलाज की सुविधा देने के लिए प्रदेश के 50 लाख से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। प्रदेश में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना 23 सितंबर 2018 से लागू हुई और अटल आयुष्मान योजना का संचालन 25 दिसंबर 2018 से शुरू हुआ था। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए विशेष अभियान चलाए गए। जिससे वर्तमान में 50 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं।

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं अपर सचिव अरूणेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आयुष्मान योजना के तहत अभी तक 50 लाख से अधिक कार्ड बनाए जा चुके हैं। सभी लोगों को आयुष्मान योजना से जोड़ने के लिए विशेष अभियान भी चलाया जाएगा। जिन लोगों ने अभी तक अपने कार्ड नहीं बनाए हैं वे जन सेवा केंद्रों पर जाकर आयुष्मान कार्ड बना सकते हैं।

जिलावार आयुष्मान कार्ड की संख्या

जनपद      आयुष्मान कार्ड
अल्मोड़ा       254045
बागेश्वर         111287
चमोली         193018
चंपावत         110608
देहरादून       1047988
हरिद्वार         840402
नैनीताल        469620
पौड़ी            363698
पिथौरागढ़    199094

Uttarakhand : बाल विवाह के पूर्व सूचना देने वालों को मिलेगा इनाम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ऐलान

देहरादून: उत्तराखंड में महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ होने वाली मानसिक एवं शारीरिक हिंसा की घटनाओं को रोकने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को महिला सुरक्षा प्रहरी के तौर पर जाना जाएगा। साथ ही बाल विवाह की पूर्व सूचना पुलिस को देने वाले या रोकने की कोशिश करने वाले व्यक्ति या संस्था को दस हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। 

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा सप्ताह का शुभारंभ एवं महिला हिस्सेदारी को प्रोत्साहन कार्यक्रम में ये दो ऐलान किए। इन कार्यों में विशेष योगदान देने वाले कर्मचारियों एवं अफसरों को भी प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि महिला एवं बाल सुरक्षा में सहयोग करने वाले लोगों और संस्थाओं को वे स्वयं भी वक़्त-वक़्त पर सम्मानित करेंगे।

Uttarakhand: 50 हजार रुपये में डॉक्टर बनने के बाद कइयों ने जुर्माना देकर पहाड़ से नाता तोड़

News web media Uttarakhand : पहाड़ के प्रति डॉक्टरों की बेरुखी के बाद सरकार बॉन्ड की शर्त को और सख्त बनाने जा रही है। बॉन्ड तोड़ने वाले ऐसे डॉक्टरों से सरकार दो करोड़ रुपये तक जुर्माना वसूलने की तैयारी में हैं। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता के लिए सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बॉन्ड व्यवस्था लागू की थी।

प्रदेश में 50 हजार रुपये में डॉक्टर बनने के बाद कइयों ने जुर्माना देकर पहाड़ से नाता तोड़ लिया। बॉन्ड की शर्त के हिसाब से मेडिकल की पढ़ाई पूरी होने के बाद ऐसे डॉक्टरों को पहाड़ में सेवाएं देनी थीं। लेकिन उन्होंने जुर्माना देकर बॉन्ड तोड़ने का विकल्प चुना।

ऐसे डॉक्टरों की संख्या अब तक 193 हो चुकी है। पहाड़ के प्रति डॉक्टरों की इस बेरुखी के बाद सरकार बॉन्ड की शर्त को और सख्त बनाने जा रही है। बॉन्ड तोड़ने वाले ऐसे डॉक्टरों से सरकार दो करोड़ रुपये तक जुर्माना वसूलने की तैयारी में हैं।प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता के लिए सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बॉन्ड व्यवस्था लागू की थी। इसमें सस्ती फीस पर एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए छात्रों से बॉन्ड भराया जाता है।

बॉन्ड की शर्तें यह हैं कि पढ़ाई पूरी होने के बाद डॉक्टरों को पांच साल तक पहाड़ में सेवाएं देनी होती हैं, लेकिन पढ़ाई पूरी होने के बाद बॉन्ड धारी डॉक्टर पहाड़ों में सेवाएं देने से इनकार करते हैं। यहां तक की विभाग की ओर से तैनाती देने बाद अस्पतालों से गायब हो जाते हैं। बॉन्ड तोड़ने पर सरकार ने कार्रवाई की तो डॉक्टर लाखों रुपये जमा करने को तैयार हो गए।

श्रीनगर और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में बॉन्ड की व्यवस्था

बॉन्ड धारी डॉक्टरों के पहाड़ों में जाने से इन्कार करने पर सरकार दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में बॉन्ड व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। वर्तमान में राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर और अल्मोड़ा में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए बॉन्ड की व्यवस्था है। बॉन्ड भरने वाले डॉक्टरों से सरकार 50 हजार फीस लेती है। जबकि बिना बॉन्ड वाले डॉक्टरों की फीस चार लाख तक होती है।

सरकार सख्त, बॉन्ड तोड़ने पर होगी दो करोड़ की वसूली

बॉन्ड व्यवस्था में एमबीबीएस, पीजी और यूजी की पढ़ाई सस्ती दरों की जाती है। पूर्व में बॉन्ड की शर्तों का पालन न करने वाले डॉक्टरों से पूरी फीस की वसूली की जाती थी। इसमें एमबीबीएस डॉक्टरों से 20 से 25 लाख और पीजी बॉन्ड धारक से एक करोड़ की वसूली की जाती है। अब सरकार ने जुर्माने के रूप में दो करोड़ वसूलने की तैयारी कर रही है।

नोटिस देने के बाद ड्यूटी पर नहीं लौटेबॉन्ड धारी डॉक्टरों को सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस जारी किए गए। बावजूद इसके वे ड्यूटी पर नहीं लौटे। इसके बाद सरकार ने मेडिकल कॉलेजों के माध्यम से डॉक्टरों को आरसी जारी कर वसूली की कार्रवाई की है।

33 लाख तक भरा जुर्माना

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से बॉन्ड व्यवस्था से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले दो डॉक्टर ने बॉन्ड तोड़ने के लिए 33-33 लाख तक जुर्माना भरा है।

बॉन्ड तोड़ने वाले डॉक्टरों पर सरकार सख्ती बरती रही है। अब यदि कोई डॉक्टर बॉन्ड की शर्तों का पालन नहीं करता है तो उससे दो करोड़ तक वसूली की जाएगी बॉन्ड व्यवस्था के तहत मेडिकल की पढ़ाई करने वाले डॉक्टर को पांच साल पहाड़ में सेवाएं देना अनिवार्य

जिला तैनात बॉन्ड धारी डॉक्टर अनुपस्थित

नैनीताल

55 05
बागेश्वर 03  05
चंपावत 45 04
पिथौरागढ़ 62 04
अल्मोड़ा 61 12
यूएसनगर – 00 20
देहरादून 04 10
पौड़ी 64 13
उत्तरकाशी 30 06

होली : उत्तराखंड के बॉर्डरों पर रहेगी पुलिस की पैनी नजर, सीएम धामी ने दिए अलर्ट रहने के निर्देश

News web media uttarakhand : सीएम धामी ने कहा कि पुलिस अधिकारी सुनिश्चित करें कि प्रदेश में होली पर्व के दौरान किसी भी प्रकार की कोई अव्यवस्था या अप्रिय घटना न हो।

होली पर उत्तराखंड के बॉर्डरों पर पुलिस की पैनी नजर रहेगी। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गृह और पुलिस विभाग को प्रदेश में होली को लेकर कानून व्यवस्था पर विशेष निगरानी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि होली को लेकर पुलिस विभाग पुख्ता इंतजाम करे। प्रदेश की सीमा से लगे जनपदों में विशेष सतर्कता बरती जाए। उन्होंने डीजीपी को भी सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों से इस संबंध में तैयारियों की समीक्षा के निर्देश दिए।

सीएम धामी ने कहा कि पुलिस अधिकारी सुनिश्चित करें कि प्रदेश में होली पर्व के दौरान किसी भी प्रकार की कोई अव्यवस्था या अप्रिय घटना न हो। कहा कि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आसामाजिक तत्वों व संदिग्ध लोगों पर विशेष निगरानी रखी जाए। पुलिस तंत्र फील्ड पर सतर्क एवं सक्रिय रहें।
ऋषिकेश में होली पर पहली बार नहीं होगी राफ्टिंग

ऋषिकेश में पहली बार होली पर राफ्टिंग नहीं होगी। पुलिस के साथ बैठक के बाद राफ्टिंग एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया। होली के दिन यातायात का दबाव, नशे में हुड़दंग और डूबने की घटनाओं की आशंका के चलते पुलिस ने राफ्टिंग संचालकों से राफ्ट का संचालन न करने की अपील की थी। राफ्टिंग एसोसिएशन की ओर से इसके लिए एसडीएम नरेंद्रनगर को एक सहमति पत्र भी भेज दिया गया है।

उत्तराखंड : मेडिकल की पढ़ाई में काम आएंगे लावारिस शव, उत्तराखंड सरकार कर रही नियमावली बनाने पर विचार

देहरादून  : प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस छात्रों की पढ़ाई के लिए अब लावारिस शव काम आएंगे। इसके लिए सरकार नियमावली बनाने पर विचार कर रही है। जल्द ही इस संबंध में पुलिस, गृह, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी।

प्रदेश में चार राजकीय मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं। इसमें देहरादून, हल्द्वानी, श्रीनगर और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में चार सौ से अधिक छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन एमबीबीएस छात्रों को मानव शरीर की संरचना का अध्ययन के लिए पार्थिक देह की कमी है।

वर्तमान में मेडिकल कॉलेजों के पास 5 से 6 पार्थिक देह है जबकि मेडिकल शिक्षा ग्रहण कर रहे प्रत्येक 10 छात्रों के लिए एक पार्थिक देह (कैडेवर) की आवश्यकता होती है।मेडिकल कॉलेजों में पार्थिक देह की कमी को दूर करने के लिए सरकार लावारिस शव उपलब्ध कराने के लिए नियमावली बना रही है। सरकार की यह पहल कामयाबी होती है तो मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों के अध्ययन के लिए कैडेवर की समस्या नहीं रहेगी।

विशेष शपथ लेने के उपरांत ही सम्मान के साथ प्रयोगात्मक कार्य करते हैं शुरू

विशेषज्ञों के मुताबिक मेडिकल कॉलेजों में मृत देह को सम्मान के साथ सुरक्षित रखा जाता है। शोध एवं अध्ययन कार्य शुरू करने से पहले मेडिकल छात्र-छात्राएं व फैकल्टी पार्थिव शरीर के समक्ष एक विशेष शपथ लेने के उपरांत ही सम्मान के साथ प्रयोगात्मक कार्य शुरू करते हैं।

लावारिस शव को मेडिकल की पढ़ाई के लिए उपलब्ध कराने के लिए नियमावली बनाई जाएगी। इसके लिए जल्द ही पुलिस, गृह और विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। – डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री

अभी ये है अड़चन

बरामद लावारिस शव का पुलिस तत्काल पोस्टमार्टम कर देती है। जिसके बाद मृतक के वारिस का आने का इंतजार किया जाता है। जब वारिस नहीं आता है तो शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। अब सरकार का प्रयास है कि नियमावली बनाकर ऐसे नियम बनाए जाएं कि पुलिस लावारिस शव को बिना पोस्टमार्टम के रखे। यदि मृतक के वारिश नहीं आते है तो शव मेडिकल कॉलेजों को सौंपा जाए।

Uttarakhand Cabinet: पुलिस दूरसंचार में डीएसपी बनने के लिए अब शारीरिक अर्हता एवं चिकित्सा परीक्षा का भी प्रावधान,जानिए ये नए अपडेट

News Web media Uttarakhand: उत्तराखंड प्रांतीय पुलिस सेवा के समान शारीरिक अर्हता एवं चिकित्सा परीक्षा का भी प्रावधान होगा। आयु सीमा 21 से 27 वर्ष के स्थान अब 21 से 35 वर्ष की गई है। अब शत-प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाएंगे।

पुलिस उपाधीक्षक (पुलिस दूरसंचार) बनने के लिए प्रांतीय पुलिस सेवा के समान शारीरिक अर्हता भी जरूरी होगी। साथ ही चिकित्सा परीक्षण भी होगा। ये दोनों प्रावधान अभी तक नहीं थे। सीधी भर्ती के इस पद के लिए शैक्षिक अर्हता इंजीनियरिंग के समकक्ष की गई है। उत्तराखंड पुलिस दूर संचार राजपत्रित अधिकारी सेवा नियमावली 2023 में यह प्रावधान किया गया है। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में नियमावली को मंजूरी दी गई।

नई सेवा नियमावली न होने से अभी तक उप्र पुलिस रेडियो सेवा नियमावली 1979 लागू थी। नई सेवानियमावली में पुलिस उपाधीक्षक पद पर सीधी भर्ती के लिए लिए अब किसी विवि से इलेक्ट्रानिक में एक अनिवार्य विषय के रूप में भौतिकी में स्नातकोत्तर उपाधि या किसी विवि से इलेक्ट्रानिक्स, या इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन या इलेक्ट्रिकल अभियंत्रण या इन्फार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, या इलेक्ट्राक्सि और इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि आवश्यक होगी।

इसके अलावा उत्तराखंड प्रांतीय पुलिस सेवा के समान शारीरिक अर्हता एवं चिकित्सा परीक्षा का भी प्रावधान होगा। आयु सीमा 21 से 27 वर्ष के स्थान अब 21 से 35 वर्ष की गई है। अब शत-प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाएंगे। पुलिस दूरसंचार में पुलिस उपमहानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक व अपर पुलिस अधीक्षक के पदों पर लोक सेवा आयोग के माध्यम से पदोन्नति हो जाती थी। लेकिन अब पदोन्नति के लिए राज्य सरकार समिति गठित करेगी।

इन सभी पदों पर पदोन्नति के लिए अर्हकारी सेवा का प्रावधान नहीं था। लेकिन नियमावली में पुलिस उपमहानिरीक्षक पद पर पदोन्नति के लिए 20 वर्ष की सेवा, पुलिस अधीक्षक के लिए 12 वर्ष की सेवा और अपर पुलिस अधीक्षक पद पर पदोन्नति के लिए सात वर्ष की सेवा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा कैबिनेट ने उत्तराखंड अन्वेषण प्रक्रिया नियमावली-2022 को भी मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री ने इसे पूर्व विचलन से अनुमति दे दी थी। इस नीति के तहत जिन वादों में जांच चल रही है, उनकी फोटो और वीडियोग्राफी भी करनी होगी।

Uttarakhand: : आम आदमी को बड़ा झटका, होली के पहले रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी

News Web media uttarakhand : बुधवार से रसोई गैस सिलिंडर की नई कीमतें लागू हो गई हैं। अभी तक व्यावसायिक गैस सिलिंडर की कीमत दून में 1812 रुपये थी। बढ़ोतरी के बाद यह अब 2162 रुपये में मिलेगा।

पेट्रोलियम कंपनियों ने होली से पहले रसोई गैस सिलिंडर की कीमतों में इजाफा कर आम आदमी को बड़ा झटका दिया है। कंपनियों ने घरेलू गैस के साथ ही व्यावसायिक गैस सिलिंडर की कीमतों में भी बढ़ोतरी की है। राजधानी दून में घरेलू गैस की कीमतों में 50 रुपये का इजाफा हुआ है।

पहले यहां सिलिंडर 1072 रुपये में मिलता था, लेकिन बढ़ोतरी के बाद कीमत 1122 हो गई है। वहीं, पांच किलो वाले गैस सिलिंडर में 51 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। पहले पांच किलो का सिलिंडर 521 रुपये में मिलता था लेकिन अब यह 572 रुपये में मिलेगा। 10 किलो के सिलिंडर में 35 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। पहले इसकी कीमत 764 रुपये थी लेकिन अब यह 799 रुपये में मिलेगा।

इसके अलावा व्यावसायिक गैस के दाम में भी 350 रुपये की भारी बढ़ोतरी की गई है। अभी तक व्यावसायिक गैस सिलिंडर की कीमत दून में 1812 रुपये थी। बढ़ोतरी के बाद यह अब 2162 रुपये में मिलेगा। उत्तराखंड एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चमन लाल ने बताया कि यह कीमतें बुधवार से लागू हो गई हैं।

Uttarakhand earthquake : उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल समेत कई इलाकों में महसूस किए गए भूकंप के झटके, 2.4 रही तीव्रता

News web uttarakhand : उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए। मिली जानकारी के अनुसार पौड़ी गढ़वाल में आए भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल 2.4 मापी गई है। भूकंप के झटके से लोग भयभीत हैं। हालांकि कोई नुकसान नहीं हुआ है।

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 2.4 मापी गई है। इससे पहले 20 फरवरी को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में तड़के भूकंप का हल्का झटका महसूस किया गया था। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.5 मापी गई थी।

रिस्क जोन में आता है पहाड़ी राज्य
दरअसल, उत्तराखंड का ज्यादातर इलाका भूकंप के जोखिम वाले जोन में आता है. पहले भी टिहरी, चमोली समेत कई इलाकों में विनाशकारी भूकंप आ चुके हैं. ताजा झटकों के बाद लोगों में यह डर बना हुआ है कि यह किसी बड़े भूकंप के पहले का संकेत हो सकता है. उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें यहां ऐसी आपदाओं के दौरान बेहद सक्रिय रहती हैं.

जोशीमठ में जमीन धंसने की हालिया घटनाओं के बाद ये झटके आए हैं. ऐसे में लोगों में नई आपदा आने की दहशत भर गई है. हालांकि पुष्कर सिंह धामी सरकार की ओर से ताजा भूकंप के झटकों के बाद अभी किसी भी प्रकार का कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है. लेकिन भूकंप की मार का डर देखते हुए उत्तराखंड वासी हमेशा ऐसे संकट के लिए खुद को तैयार रखते हैं.

उत्तरकाशी का भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 20 अक्टूबर 1991 को 6.8 रिक्टर स्केल का भूकंप (Uttarkashi Earthquake)आया था. इसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी. इस भूकंप ने भी उत्तराखंड में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों पर नए सिरे से सोचने को मजबूर कर दिया था. उस आपदा में