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प्रधानमंत्री ने जे. जयललिता की जयंती पर उन्हें याद किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जे. जयललिता को उनकी जयंती पर आज याद किया।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘जयललिता जी की जयंती पर उनका स्मरण कर रहा हूं। उन्हें उनकी लोकोन्मुखी नीतियों और गरीबों को सशक्त बनाने के लिए किए गए प्रयासों के लिए व्यापक रूप से सराहना मिली। उन्होंने हमारी नारी शक्ति के सशक्तीकरण के लिए भी बहुत प्रयास किए। उनके साथ कई बार हुए विचार-विमर्श को मैं बहुत याद करता हूं।’

भारत सरकार और विश्व बैंक ने नागालैंड में भारत की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की परियोजना पर हस्ताक्षर किए

भारत सरकार, नागालैंड सरकार और विश्व बैंक ने आज नागालैंड के स्कूलों के प्रशासनिक कामकाज में सुधार के साथ ही चुनिंदा स्कूलों में शिक्षा की प्रक्रियाओं और पढ़ाई के माहौल को बेहतर बनाने के लिए 6.8 करोड़ डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए।

“नागालैंड : कक्षा शिक्षण और संसाधन सुधार परियोजना” से कक्षा में पढ़ाई में सुधार होगा; शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए अवसर पैदा होंगे; और विद्यार्थियों व शिक्षकों को उपलब्ध कराने के लिए तकनीक प्रणाली बनाई जाएंगी, जिससे मिलीजुली व ऑनलाइन शिक्षा तक व्यापक पहुंच के साथ ही नीतियों और कार्यक्रमों की बेहतर निगरानी सुनिश्चित होगी। इस तरह का एकीकृत दृष्टिकोण पारम्परिक डिलिवरी मॉडलों का पूरक होगा और इससे कोविड-19 से पैदा हुई चुनौतियों से पार पाने में भी मदद मिलेगी। स्कूलों में राज्यव्यापी सुधारों से नागालैंड में सरकारी शिक्षा प्रणाली में लगभग 1,50,000 विद्यार्थियों और 20,000 शिक्षक लाभान्वित होंगे।

आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव श्री सी. एस. महापात्रा ने कहा कि विकास की किसी भी रणनीति में मानव संसाधनों का विकास एक अहम भूमिका निभाता है और भारत सरकार ने भारत में शैक्षणिक परिदृश्य में बदलाव के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नागालैंड में इस शिक्षा परियोजना से विद्यार्थियों और शिक्षकों के सामने मौजूद कई गंभीर समस्याओं का समाधान होगा तथा यह परियोजना राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाएगी।

इस समझौते पर भारत सरकार की तरफ से श्री महापात्रा; नागालैंड सरकार की तरफ से मुख्य निदेशक, स्कूली शिक्षा विभाग श्री शानवास सी; और विश्व बैंक की तरफ से कंट्री निदेशक, भारत श्री जुवैद अहमद ने हस्ताक्षर किए।

आज, नागालैंड को कमजोर स्कूली अवसंरचना, शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए अवसरों की कमी और स्कूल व्यवस्था के साथ प्रभावी भागीदारी के लिए समुदायों की सीमित क्षमता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 महामारी ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है और राज्य की स्कूली शिक्षा प्रणाली में अतिरिक्त संकट पैदा कर दिया है व व्यवधान बढ़ा दिए हैं

भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक श्री जुनैद अहमद ने कहा कि भले ही पिछले कुछ साल के दौरान भारत में स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है, लेकिन श्रम बाजार की बढ़ती मांगों को पूरा करने और भावी विकास को गति देने के लिए शिक्षा के परिणामों में सुधार की आवश्यकता बढ़ रही है। यह परियोजना सुधार और राज्य में ज्यादा लचीली शिक्षा प्रणाली के विकास की दिशा में नागालैंड सरकार के प्रयासों को समर्थन देने के लिए तैयार की गई है।

नागालैंड के शिक्षा प्रबंधन और सूचना प्रणाली (ईएमआईएस) को मजबूत बनाने से शिक्षा संसाधनों तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित होगी; शिक्षकों और शिक्षा प्रबंधकों के लिए व्यावसायिक विकास और प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणालियों को समर्थन मिलेगा; स्कूल नेतृत्व सुविधाजनक और प्रबंधन बेहतर होगा; परीक्षा सुधारों को समर्थन मिलेगा।

शिक्षा विशेषज्ञ और इस परियोजना के लिए विश्व बैंक के टास्क टीम लीडर श्री कुमार विवेक ने कहा कि यह परियोजना राज्य के सुधार और स्कूलों में पढ़ाई के माहौल में सुधार के प्रयासों को समर्थन देगी जिससे वह बच्चों पर केंद्रित; आधुनिक, तकनीक कुशल शिक्षण और पढ़ाई के दृष्टिकोण में सहयोगी; और भावी झटकों के लिए लचीली हो सके।

इस रणनीति के तहत, नागालैंड के 44 उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में से 15 को ऐसे स्कूल परिसरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां परियोजना अवधि के दौरान परिकल्पित सीखने के माहौल को तैयार किया जा सकता हो।

अंतर्राष्ट्रीय पुनर्गठन एवं विकास बैंक से मिलने वाला 6.8 करोड़ डॉलर के कर्ज परिपक्वता अवधि 14.5 वर्ष होगी, जिसमें 5 साल की ग्रेस अवधि शामिल है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन पर वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

नमस्कार।

ये जो कार्यक्रम थोड़ा आपको विशेष लगता होगा, इस बार बजट के बाद हमने तय किया कि बजट में जो चीजें तय की गई हैं उन्हीं चीजों को ले करके अलग-अलग सेक्‍टर जिनका इस बजट के प्रावधानों से सीधा संबंध है, उनसे विस्‍तार से बात करें और एक अप्रैल से जब नया बजट लागू हो तो उसी दिन से सारी योजनाएं भी लागू हों, सारी योजनाएं आगे बढ़ें और फरवरी और मार्च, इसका भरपूर उपयोग इस तैयारी के लिए किया जाए।

बजट जब हमने पहले की तुलना में करीब एक महीना prepone किया हुआ है तो हमारे पास दो महीने का समय है। उसका maximum लाभ हम कैसे लें और इसलिए लगातार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से बात हो रही है। कभी infrastructure के संबंधित सबसे बात हुई, कभी defence sector से सं‍बंधित सबसे बात हुई। आज मुझे हेल्‍थ सेक्‍टर के लोगों से बात करने का मौका मिला है।

इस वर्ष के बजट में हेल्थ सेक्टर को जितना बजट आवंटित किया गया है, वो अभूतपूर्व है। ये हर देशवासी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बीता वर्ष एक तरह से देश के लिए, दुनिया के लिए, पूरी मानवजाति के लिए और खास करके हेल्थ सेक्टर के लिए एक प्रकार से अग्निपरीक्षा की तरह था।

मुझे खुशी है कि आप सभी, देश का हेल्थ सेक्टर, इस अग्निपरीक्षा में हम सफल हुए हैं। अनेकों की जिंदगी बचाने में हम कामयाब रहे हैं। कुछ महीनों के भीतर ही जिस तरह देश ने करीब ढाई हज़ार लैब्स का नेटवर्क खड़ा किया, कुछ दर्जन टेस्ट से हम आज करीब 21 करोड़ टेस्ट के पड़ाव तक पहुंच पाए, ये सब सरकार और प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर काम करने से ही संभव हुआ है।

साथियों,

कोरोना ने हमें ये सबक दिया है कि हमें सिर्फ आज ही महामारी से नहीं लड़ना है बल्कि भविष्य में आने वाली ऐसी किसी भी स्थिति के लिए भी देश को तैयार करना है। इसलिए हेल्थकेयर से जुड़े हर क्षेत्र को मजबूत करना भी उतना ही आवश्यक है। Medical equipment से लेकर medicines तक, Ventilators से लेकर vaccines तक, Scientific research से लेकर surveillance infrastructure तक, Doctors से लेकर एपीडेमयोलोजिस्ट तक, हमें सभी पर ध्यान देना है ताकि देश में भविष्य में किसी भी स्वास्थ्य आपदा के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहे।

पीएम- आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के पीछे मूलत: यही प्रेरणा है। इस योजना के तहत रिसर्च से लेकर Testing और Treatment तक देश में ही एक आधुनिक इकोसिस्टम विकसित करना तय किया गया है। PM आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना, हर spectrum में हमारी क्षमताओं में वृद्धि करेगी। 15वें वित्त आयोग, इसकी सिफारिशे स्वीकार करने के बाद हमारी जो लोकल बॉडीज हैं उनको स्वास्थ्य सेवाओं की व्‍यवस्‍थाओं के लिए 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त मिलने वाला है। यानि सरकार का जोर सिर्फ हेल्थ केयर में निवेश पर ही नहीं है बल्कि देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक हेल्थ केयर को पहुंचाने का भी है। हमें ये भी ध्यान रखना है कि हेल्थ सेक्टर में किया गया निवेश, स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाता है।

साथियों,

कोरोना के दौरान भारत के हेल्थ सेक्टर ने जो मजबूती दिखाई है, अपने जिस अनुभव औऱ अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, उसे दुनिया ने बहुत बारीकी से नोट किया है। आज पूरे विश्व में भारत के हेल्थ सेक्टर की प्रतिष्ठा और भारत के हेल्थ सेक्टर पर भरोसा, एक नए स्तर पर पहुंचा है। हमें इस भरोसे को ध्यान में रखते हुए भी अपनी तैयारियां करनी हैं। आने वाले समय में भारतीय डॉक्टरों की डिमांड विश्व में और ज्यादा बढ़ने वाली है और कारण है ये भरोसा। आने वाले समय में भारतीय नर्सेस, भारतीय पैरा मेडिकल स्टाफ की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ेगी, आप लिख करके रखिए। इस दौरान भारतीय दवाइयों और भारतीय वैक्सीनों ने एक नया भरोसा हासिल किया है। इनकी बढ़ती डिमांड के लिए भी हमें अपनी तैयारी करनी होगी। हमारे मेडिकल एजुकेशन सिस्टम पर भी स्‍वाभाविक रूप से लोगों का ध्‍यान जाएगा, उस पर भरोसा बढ़ेगा। आने वाले दिनों में दुनिया के और देशों से भी मेडिकल एजुकेशन के लिए, भारत में पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों के आने की संभावना भी बढ़ने वाली है। और हमें इसे प्रोत्‍साहित भी करना चाहिए।

कोरोना के दौरान हमने वेंटिलेटर और अन्य सामान बनाने में भी महारत हासिल कर ली है। इसकी वैश्विक डिमांड पूरी करने के लिए भी भारत को तेजी से काम करना होगा। क्‍या भारत ये सपना देख सकता है कि दुनिया को जिस-जिस आधुनिक medical equipment  की आवश्‍यकता है वो cost effective कैसे बने? भारत ग्‍लोबल सप्‍लायर कैसे बने? और affordable व्‍यवस्‍था होगी, sustainable व्‍यवस्‍था होगी, user friendly technology होगी; मैं पक्‍का मानता हूं दुनिया की नजर भारत की तरफ जाएगी और health sector में जरूर जाएगी।

साथियों,

सरकार का बजट निश्चित तौर पर एक कैटेलेटिक एजेंट होता है। लेकिन बात तभी बनेगी, जब हम सब मिल करके काम करेंगे।

साथियों,

स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार की अप्रोच, पहले की सरकारों की सोच से जरा अलग है। इस बजट के बाद आप भी ये सवाल देख रहे होंगे जिसमें स्‍वच्‍छता की बात होगी, पोषण की बात होगी, वेलनेस की बात होगी, आयुष का हेल्थ प्लानिंग होगा। ये सारी चीजें एक holistic approach के साथ हम आगे बढ़ा रहे हैं। यही वो सोच है जिसकी वजह से पहले हेल्थ सेक्टर को आमतौर पर टुकड़ों में देखा जाता था और टुकड़ों में ही उसको हैंडल किया जाता था।

हमारी सरकार Health Issues को टुकड़ों के बजाय Holistic तरीके से, एक integrated approach की तरह से और एक focus तरीके से देखने का प्रयास कर रही है। इसलिए हमने देश में सिर्फ Treatment ही नहीं Wellness पर फोकस करना शुरु किया है। हमने Prevention से लेकर Cure तक एक Integrated अप्रोच अपनाई है। भारत को स्वस्थ रखने के लिए हम 4 मोर्चों पर एक साथ काम कर रहे हैं।

पहला मोर्चा है, बीमारियों को रोकने का, मतलब कि Prevention of illness और Promotion of Wellness. स्वच्छ भारत अभियान हो, योग पर फोकस हो, पोषण से लेकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को समय पर सही केयर और ट्रीटमेंट हो, शुद्ध पीने का पानी पहुंचाने का प्रयास हो, ऐसे हर उपाय इसका हिस्सा हैं।

दूसरा मोर्चा, गरीब से गरीब को सस्ता और प्रभावी इलाज देने का है। आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जैसी योजनाएं यही काम कर रही हैं।

तीसरा मोर्चा है, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की Quantity और Quality में बढ़ोतरी करना। बीते 6 साल से AIIMS और इस स्तर के दूसरे संस्थानों का विस्तार देश के दूर-सुदूर के राज्यों तक किया जा रहा है। देश में ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज बनाने के पीछे भी यही सोच है।

चौथा मोर्चा है, समस्याओं से पार पाने के लिए मिशन मोड पर, focus तौर पर और समय सीमा में हमें काम करना है। मिशन इंद्रधनुष का विस्तार देश के आदिवासी और दूर-दराज के इलाकों तक किया गया है।

देश से टीबी के खिलाफ जंग और टीबी को खत्म करने के लिए दुनिया ने 2030 का टारगेट रखा है, भारत ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है। और मैं टीबी की तरफ इस समय विशेष ध्‍यान देने के लिए इसलिए कहूंगा कि टीबी भी infected person के droplets से ही फैलती है। टीबी की रोकथाम में भी मास्क पहनना, Early diagnosis और treatment, ये सारी बातें अहम हैं।

ऐसे में कोरोना काल में जो हमें अनुभव मिला है, जो एक प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान के common man तक पहुंच चुका है, अब उसी हमारी practices को हम टीबी के क्षेत्र में भी उसी मोड में काम करेंगे तो टीबी से जो हमें लड़ाई लड़नी है, बहुत आसानी से हम जीत सकेंगे। और इसलिए कोरोना का experience, कोरोना के कारण जन-सामान्‍य में जो जागृति आई है वो,  बीमारी से बचने में भारत के सामान्‍य नागरिक ने जो योगदान दिया है, उन सारी चीजों को देख करके लगता है कि इसी मॉडल को आवश्‍यक सुधार के साथ, addition-alternation के साथ अगर हम टीबी पर भी लागू करेंगे तो 2025 का टीबी मुक्‍त भारत का सपना हम पूरा कर सकते हैं।

इसी तरह आपको याद होगा, हमारे यहां खास करके उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर वगैरह जो क्षेत्र हैं जिसे पूर्वांचल भी कहते हैं, उस पूर्वांचल में दिमागी बुखार से हर वर्ष हजारों की तादाद में बच्चों की दुखद मृत्यु हो जाती थी। संसद में भी उसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए हमारे वर्तमान उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगीजी बहुत रो पड़े थे, उन बच्‍चों की मरने की स्थिति देख करके। लेकिन जब से वो वहां के मुख्‍यमंत्री बने, उन्‍होंने एक प्रकार से focus activity की। पूरी तरह जोर लगाया। आज हमें बहुत आशास्‍पद परिणाम मिल रहे हैं। हमने दिमागी बुखार को फैलने से रोकने पर जोर दिया, इलाज की सुविधाएं बढ़ाईं तो इसका अब असर भी दिख रहा है।

साथियों,

कोरोना काल में आयुष से जुड़े हमारे नेटवर्क ने भी बेहतरीन काम किया है। ना सिर्फ human resource को लेकर बल्कि immunity और scientific research को लेकर भी हमारा आयुष का infrastructure देश के बहुत काम आया है।

भारत की दवाओं और भारत की वैक्‍सीन के साथ-साथ हमारे मसालों, हमारे काढ़े का भी कितना बड़ा योगदान है, ये दुनिया आज अनुभव कर रही है। हमारी traditional medicine ने भी विश्‍व मन पर अपनी एक जगह बनाई है। जो  traditional medicine से जुड़े हुए लोग हैं, जो उसके उत्‍पादन के साथ जुड़े हुए लोग हैं, जो आयुर्वेदिक परम्‍पराओं से परिचित लोग हैं; हमारा फोकस भी ग्‍लोबल रहना चाहिए।

विश्‍व जिस प्रकार से योग को आसानी से स्‍वीकार कर रहा है, वैसे ही विश्‍व holistic health care की तरफ गया है। साइड इफेक्‍ट से मुक्‍त health care की तरफ विश्‍व का ध्‍यान गया है। उसमें भारत की traditional medicine बहुत काम आ सकती है। भारत की जो traditional medicine है, वो मुख्‍यत: herbal based हैं और उसके कारण विश्‍व में उसका आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ सकता है। Harm के संबंध में लोग निश्चिन्त होते हैं कि इसमें कुछ harmfull नहीं है। क्‍या हम उसको भी जोर लगा सकते हैं? हमारे हेल्‍थ के बजट को और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग मिलकर कुछ कर सकते हैं?

कोरोना के दौरान हमारी परंपरागत औषधियों की ताकत देखने के बाद हमारे लिए खुशी का विषय है और आयुर्वेद में traditional medicine में विश्‍वास करने वाले भी सभी और उससे अलग हमारे medical profession से जुड़े हुए लोगों के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य सेंटर- WHO, भारत में अपना Global Centre of Traditional Medicine भी शुरू करने जा रहा है। Already उन्होंने announcement कर दिया है। भारत सरकार उसकी प्रक्रिया भी कर रही है। ये जो मान-सम्‍मान मिला है इसको दुनिया तक पहुंचाना हमारा दायित्‍व बनता है।

साथियों,

Accessibility और Affordability को अब नेक्स्ट लेवल पर ले जाने का समय है। इसलिए अब हेल्थ सेक्टर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल हेल्थ मिशन, देश के सामान्य नागरिकों को समय पर, सुविधा के अनुसार, प्रभावी इलाज देने में बहुत मदद करेगा।

साथियों,

बीते सालों की एक और अप्रोच को बदलने का काम तेज़ी से किया गया है। ये बदलाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत ज़रूरी है। आज हम Pharmacy of the World, इस बात पर गर्व करते हैं, लेकिन आज भी कई बातों के लिए जो Raw Material है उसके लिए हम विदेशों पर निर्भर हैं।

दवाओं और Medical Devices के Raw Material के लिए देश की विदेशों पर निर्भरता, विदेशों पर गुजारा करना हमारी इंडस्ट्री के लिए कितना बुरा अनुभव रहा है, ये हम देख चुके हैं।  ये सही नहीं है। इसलिए गरीबों को सस्ती दवाएं और उपकरण देने में भी ये बहुत बड़ी कठिनाई पैदा करते हैं। हमें इसका रास्‍ता खोजना ही होगा। भारत को हमें इन क्षेत्रों में आत्‍मनिर्भर बनाना ही होगा। इसके लिए चार विशेष योजनाएं इन दिनों शुरू की गई हैं। बजट में भी उसका उल्‍लेख है, आपने भी अध्‍ययन किया होगा।

इसके तहत देश में ही दवाओं और मेडिकल उपकरणों के Raw Material के उत्पादन के लिए Production Linked Incentives दिए जा रहे हैं। इसी तरह, दवाएं और Medical Devices बनाने के लिए मेगा पार्क्स के निर्माण को भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

साथियों,

देश को सिर्फ last mile health access ही नहीं चाहिए बल्कि हमें हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में, दूर-दराज के क्षेत्रों में…जैसे हमारे यहां जब इलेक्‍शन होता है तो रिपोर्ट आती है, एक मतदाता था वहां भी पोलिंग बूथ लगा; मुझे लगता है कि हेल्‍थ सेक्‍टर में भी और एजुकेशन दो विषय हैं कि जहां एक नागरिक होगा, तो भी हम पहुंचेंगे। ये हमारा मिजाज होना चाहिए और हमें इस पर जोर देना है। उस पर हमें पूरी कोशिश करनी है। और इसलिए सभी क्षेत्रों में health excess पर भी हमें जोर देना है। देश को wellness centres चाहिए,  देश को district hospitals चाहिए, देश को critical care units चाहिए, देश को health surveillance infrastructure चाहिए, देश को आधुनिक labs चाहिए, देश को telemedicine चाहिए, हमें हर स्तर पर काम करना है, हर स्तर को बढ़ावा देना है।

हमें ये सुनिश्चित करना है कि देश के लोग, चाहे वो गरीब से गरीब हों, चाहे वो सुदूर इलाकों में रहते हों, उन्हें best possible treatment मिले और समय पर मिले। और इन सभी के लिए जब केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और देश का प्राइवेट सेक्टर, मिलकर काम करेंगे, तो बेहतर नतीजे भी मिलेंगे।

प्राइवेट सेक्टर, PM-JAY में हिस्सेदारी के साथ-साथ public health laboratories का नेटवर्क बनाने में PPP मॉडल्स को भी सपोर्ट कर सकता है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, नागरिकों के डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड और दूसरी Cutting Edge Technology को लेकर भी साझेदारी हो सकती है।

मुझे विश्वास है कि हम  सभी मिलकर एक मजबूत साझेदारी के रास्ते निकाल पाएंगे, स्वस्थ और समर्थ भारत के लिए आत्मनिर्भर समाधान तलाश कर पाएंगे। मेरा आप सबसे आग्रह है कि हम जो stake holders के साथ, इस विषय के जो ज्ञाता लोग हैं उनके साथ चर्चा कर रहे हैं…बजट जो आना था वो आ गया। बहुत सी आपकी अपेक्षाएं होंगी, वो शायद इसमें नहीं होगा। लेकिन उसके लिए ये कोई आखिरी बजट नहीं है…अगले बजट में देखेंगे। आज तो जो बजट आया है इसका तेज गति से ज्‍यादा से ज्‍यादा और जल्‍दी से जल्‍दी हम सब मिलकर implementation कैसे करें, व्‍यवस्‍थाएं कैसे विकसित करें, सामान्‍य मानवी तक पहुंचने में हम तेजी कैसे लाएं। मैं चाहूंगा कि आप सबका अनुभव, आपकी बातें आज भारत सरकार को बजट के बाद…हम पार्लियामेंट में तो चर्चा करते हैं। पहली बार बजट की चर्चा संबंधित लोगों से हम कर रहे हैं। बजट की पूर्व चर्चा करते हैं तब सुझाव की होती हैं…बजट के बाद चर्चा करते हैं तब समाधान की होती हैं।

और इसलिए आइए हम मिल करके समाधान निकालें, हम मिल करके बहुत तेज गति से आगे बढ़ें और हम सब मिल करके चलें। सरकार और आप अलग नहीं हैं। सरकार भी आप ही की है और आप भी देश के लिए ही हैं। हम सब मिल करके देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को ध्‍यान में रखते हुए हेल्‍थ सेक्‍टर का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य, तंदुरूस्‍त भारत के लिए हम सब इस बात को आगे बढ़ाएंगे। आप सबने समय निकाला है। आपका मार्गदर्शन बहुत काम आएगा। आप की सक्रिय भागीदारी बहुत काम आएगी।

मैं फिर एक बार…आपने समय निकाला, इसके लिए आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं और आपके मूल्‍यवान सुझाव हमें आगे ले जाने में बहुत काम आएंगे। आप सुझाव भी देंगे, साझेदारी भी करेंगे। आप अपेक्षाएं भी करेंगे, जिम्‍मेदारी भी उठाएंगे। इसी विश्‍वास के साथ…

 

बहुत-बहुत धन्यवाद !

दिल्ली: सरकार ने नर्सरी में दाखिले के लिए उम्र सीमा में छूट दी

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों को नर्सरी में दाखिल के लिए उम्र सीमा में बच्चों को 30 दिनों की छूट देने का निर्देश दिया है। शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने स्कूलों को भेजे एक पत्र में कहा है, ‘‘एक बार फिर से यह कहा जा रहा है कि स्कूलों में न्यूनतम एवं अधिकतम उम्र सीमा में प्रधानाध्यापकों के स्तर से 30 दिनों की छूट दी जा सकती है। यदि किसी अभिभावक को अपने बच्चे के लिए उम्र सीमा में छूट चाहिए तो वे स्कूल के प्रधानाध्यपक से एक आवेदन के जरिए संपर्क कर सकते हैं और उनसे इस पर विचार करने का अनुरोध कर सकते हैं।’’ बता दें कि शिक्षा निदेशालय 31 मार्च के आधार पर आयु की गणना करता है।

आवेदन प्रक्रिया चार मार्च को समाप्त हो जाएगी

शिक्षा निदेशालय 2018 से प्रत्येक वर्ष उम्र सीमा निर्धारित कर रहा है। नर्सरी, केजी और पहली कक्षा में दाखिले के लिए एक ऊपरी उम्र सीमा है। नर्सरी में दाखिले के लिए 31 मार्च को बच्चे की उम्र चार साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं, केजी में दाखिल के लिए यह पांच साल और पहली कक्षा में दाखिले के लिए छह साल साल से अधिक उम्र नहीं होनी चाहिए। नर्सरी में दाखिले की प्रक्रिया 18 फरवरी से शुरू हो गई है और आवेदन प्रक्रिया चार मार्च को समाप्त हो जाएगी। चयनित उम्मीदवारों की पहली सूची 20 मार्च को और फिर अगली लिस्ट 25 मार्च को जारी की जाएगी।

जानिए उम्र में कितनी मिलेगी छूट

नर्सरी में एडमिशन के लिए 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 3 वर्ष से अधिक, लेकिन 4 वर्ष से कम होनी चाहिए। केजी (KG) में 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 4 वर्ष से अधिक, लेकिन 5 वर्ष से कम होनी चाहिए। वहीं क्लास 1 में 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 5 वर्ष से अधिक, लेकिन 6 वर्ष से कम होनी चाहिए। इसी न्यूनतम और अधिकतम आयु सीमा में 30 दिन की रियायत दी गई है।

बता दें कि नर्सरी दाखिले को लेकर ‘पहले आओ- पहले पाओ’ जैसे 50 मानदंड दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय ने प्रतिबंधित किए हुए हैं। स्‍कूलों को मैनेजमेंट कोटे पर दाखिला लेने की भी पाबंदी है। स्‍कूल कई मानदंडों पर बच्‍चों/अभिभावकों को अंक देते हैं जिसके आधार पर बच्‍चे को दाखिला मिलता है। यह भी देखा गया है कि कई स्‍कूल आवेदन के दौरान स्‍कूल बस का चुनाव करने पर अतिरिक्‍त अंक देते हैं। ऐसे सभी मानदंडों पर प्रतिबंध है और ऐसे मानकों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय सख्‍त है।

प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित किया Transparency, Predictability और Ease of Doing Business के साथ हम रक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं – प्रधानमंत्री रक्षा क्षेत्र में विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है – नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री ने आज रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में कैसे आत्मनिर्भर बने, इस संदर्भ में आज का ये संवाद बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले हमारे यहां सैकड़ों ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां होती थीं। दोनों विश्व युद्धों में भारत से बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर भेजे गए थे। लेकिन आजादी के बाद अनेक वजहों से इस व्यवस्था को उतना मजबूत नहीं किया गया, जितना किया जाना चाहिए था।

प्रधानमंत्री ने बताया कि हमारी सरकार ने अपने इंजीनियरों-वैज्ञानिकों और तेजस लड़ाकू विमान की क्षमताओं पर भरोसा किया है और आज तेजस शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही तेजस के लिए 48 हजार करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2014 से ही हमारा प्रयास रहा है कि transparency, predictability और ease of doing business के साथ हम इस sector में आगे बढ़ रहे हैं। De-Licensing, de-regulation, export promotion, foreign investment liberalization, आदि के साथ हमने इस sector में एक के बाद एक कदम उठाए हैं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत ने डिफेंस से जुड़े ऐसे 100 महत्वपूर्ण डिफेंस आइटम्स की लिस्ट बनाई है, जिन्हें हम अपनी स्थानीय इंडस्ट्री की मदद से ही मैन्यूफैक्चर कर सकते हैं। इसके लिए टाइमलाइन इसलिए रखी गई है ताकि हमारी इंडस्ट्री इन ज़रूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य हासिल करने के लिए प्लान कर सकें।

सरकारी भाषा में ये Negative list है लेकिन आत्मनिर्भरता की भाषा में ये Positive List है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसके बल पर हमारी अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो भारत में ही रोज़गार निर्माण का काम करेगी। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता को कम करने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है, जिसकी वजह से भारत में बने प्रॉडक्ट्स की, भारत में बिकने की गारंटी है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि रक्षा के capital budget में भी domestic procurement के लिए एक हिस्सा reserve कर दिया गया है। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि manufacturing के साथ-साथ design और development में भी निजी क्षेत्र आगे आये और भारत का विश्व भर में परचम लहराएँ।

उन्होंने कहा कि MSMEs तो पूरे मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर के लिए रीढ़ का काम करती हैं। आज जो रिफॉर्म्स हो रहे हैं, उससे MSMEs को ज्यादा आजादी मिल रही है, उनको Expand करने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आज जो डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, वो भी स्थानीय उद्यमियों, लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को मदद करेंगे। यानि आज हमारे डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को हमें ‘जवान भी और नौजवान भी’, इन दोनों मोर्चों के सशक्तिकरण के रूप में देखना होगा।

 

प्रधानमंत्री 23 फरवरी को आईआईटी ,खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 फरवरी, 2021 को 12.30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आईआईटी, खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री भी उपस्थित रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने किया हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय फैडरेशन वेब पोर्टल का विधिवत लोकार्पण

हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय फैडरेशन द्वारा संचालित वेब पोर्टल www.himalayankart.in का विधिवत लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा सर्किट हाउस में किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय द्वारा संचालित वेब पोर्टल में यथा संभव सहयोग किया जायेगा जिससे महिलाओं में इस कार्य क्षेत्र में अधिक रूचि होगी और अन्य महिलाऐं भी इस पोर्टल के माध्यम से अपने उत्पादों को आमजन तक पहुचा पायेंगी, इससे महिलाओं का आर्थिक विकास होगा तथा वे आत्मनिर्भर भी बनेंगी तथा पोर्टल के जरिये महिलाओं द्वारा उत्पादित उत्पादों की पहुच जन-जन तक हो सकेगी। मुख्यमंत्री द्वारा सभी जनप्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं तथा फैडरेशन के पदाधिकारियों को इस वेब पोर्टल के संचालन के लिए बधाई दी।

मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए मुख्य विकास अधिकारी नरेन्द्र सिंह भण्डारी ने बताया कि कोविड-19 से पूर्व स्वयं सहायता समूह के उत्पादों को बाजार में आसानी से बेचा जा रहा था, लेकिन कोविड-19 में लाॅकडाउन के कारण स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बनाये गये उत्पादों को बाजार में लाना मुश्किल था, जिस कारण इन उत्पादों को बाजार में लाने के लिए ई-मार्केटिंग से जोड़ने के लिए ई-कामर्स वेब पोर्टल बनाया गया, जिसमें स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के द्वारा बनाये गये उत्पादों को आनलाईन मार्केट के माध्यम से बेचा जायेगा। जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा बताया गया कि ई-मार्केटिंग के द्वारा महिलाओं में तकनीकी क्षेत्र के बारे में जानकारी के साथ-साथ अपने उत्पादों को बेहतर गुणवत्ता के साथ बनाकर पूरे देश में बेचा जा सकता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और वर्तमान के प्रतिस्पर्धा के दौर में खुद को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

लोकार्पण समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत, विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष भाजपा बंशीधर भगत, विधायक संजीव आर्य, नवीन दुम्का, राम सिंह कैड़ा, जिला अध्यक्ष भाजपा प्रदीप बिष्ट, मण्डलायुक्त अरविन्द सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के अलावा फैडरेशन पदाधिकारी श्रीमती विनीता आर्य, इन्दिरा देवी, सरीता जोशी आदि उपस्थित थे।

उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को मिली नए सत्र में प्रवेश की अनुमति

उत्तराखंड में निजी क्षेत्र में 2001 से स्थापित प्रथम आयुर्वेदिक कॉलेज राजपुर रोड स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को बीएएमएस एवं एमडी आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु 60 सीटों के प्रवेश हेतु आयुष मंत्रालय ने मान्यता प्रदान कर दी है। जिसमें आयुर्वेद, स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अभ्यर्थियों को प्रवेश का मौका मिलेगा।
उक्त जानकारी देते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्य मानव दयाल शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में भविष्य बनाने के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ा है। सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भवन अस्पताल एवं सुरम्य घाटी में स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रवेश हेतु अभ्यर्थी उत्साहित है। नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को संस्था में नियमानुसार प्रवेश की कार्यवाही 28 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाएगी। कॉलेज को द्वितीय चरण की काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया है।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुरेश चौबे ने दी जानकारी में बताया कि राज्य में आयुर्वेदिक कॉलेजों में प्रवेश हेतु प्रथम चरण की काउंसिलिंग पूर्ण हो चुकी है एवं द्वितीय चरण की काउंसिलिंग अंतिम चरण में है। मोप अप राउंड काउंसलिंग 24 से अनंतिम निर्धारित है। डॉ. चौबे ने बताया कि राज्य में 3 राजकीय व निजी क्षेत्र के 9 आयुर्वेदिक कॉलेजों को आगामी सत्र में प्रवेश हेतु मान्यता प्राप्त हुई है।
एक कॉलेज को मान्यता मिलने की संभावना है। अगले प्रवेश प्रक्रिया की घोषणा जल्द ही की जाएगी। विश्ववविद्यालय ने काउंसलिंग शेडयूल में आंशिक फ़ेरबदल किया है। डॉ. चौबे ने बताया कि द्वितीय चरण की काउंसलिंग के उपरांत विगत दिवस विश्वविद्यालय द्वारा मेरिट लिस्ट जारी कर दी जायेगी। जिसमें अभ्यर्थियों को नीट की मेरिट के आधार पर राज्य के विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले का मौका मिलेगा। 19 व 20 को अभ्यर्थी अपनी सूची के अनुसार महाविद्यालयों का चयन (choice filling) कर सकेंगे। उपलब्ध सीटों के आधार पर 22 को विश्वविद्यालय द्वारा सीटें आवंटित कर परिणाम घोषित किया जाएगा। आवंटित सीटों पर अभ्यर्थी 23 व 24 फरवरी को प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के एमडी एवं उत्तराखंड मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ अश्विनी काम्बोज ने आयुष मंत्रालय एवं सी.सी.आई.एम नई दिल्ली का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस वर्ष को महामारी के चलते आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम का सत्र विलंबित हुआ है। प्रतिवर्ष 30 अक्टूबर उक्त प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती थी, परंतु कोरोना के चलते इस वर्ष आयुष कॉलेजों में नए सत्र का शिक्षण-प्रशिक्षण मार्च 2021 से प्रारंभ होगा। डॉ. कांबोज ने बताया कि राज्य के कुछ कॉलेजों को अभी भी प्रवेश की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। उनको भारत सरकार द्वारा शीघ्र अनुमति मिलने की संभावना है। ऐसे कॉलेजों में रिक्त सीटों के लिए अलग से काउंसलिंग हेतु भारत सरकार को एसोसिएशन के माध्यम से पत्र प्रेषित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एवं केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद नई दिल्ली द्वारा उत्तराखंड के आयुष कॉलेजों में नए सत्र में प्रवेश हेतु निजी क्षेत्र के 9 कॉलेजों को मान्यता प्रदान करते हुए सूची जारी कर दी है। इनके अतिरिक्त राज्य के तीन राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज व गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (हरिद्वार) एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय मैन केंपस हर्रावाला देहरादून को भारत सरकार ने पूर्व में ही मान्यता प्रदान कर दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के जिन 9 निजी कॉलेजों को मान्यता मिली है, उनमें पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज (100 सीट), उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज (60), हिमालय आयुर्वेदिक कॉलेज (60) दून इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (60), क्वाड्रा इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद(30), मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज(60), शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद एंड रिसर्च (60), मंजीरा देवी आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज (30), चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज (50) सीट शामिल है।
देवभूमि मेडिकल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद को भी जल्द मान्यता मिलने की संभावना है। राज्य के तीन कॉलेजों हरिद्वार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उत्तरांचल युनानी मेडिकल कॉलेज एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को कोर्ट के आदेश से मान्यता प्राप्त होने की जानकारी मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन कॉलेजों बिहाइव मेडिकल कॉलेज, विशंभर सहाय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं परम हिमालयन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज को मान्यता मानक (टीचिंग फैकल्टी) पूरे न किए जाने पर रद्द कर दी गई है।

प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, “मां भारती के अमर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उनके अदम्य साहस, अद्भुत शौर्य और असाधारण बुद्धिमत्ता की गाथा देशवासियों को युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी। जय शिवाजी।”

विश्व-भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्‍बोधन का मूल पाठ

पश्चिम बंगाल के गवर्नर श्रीमान जगदीप धनखड़ जी, विश्व भारती के वाइस चांसलर प्रोफेसर बिद्युत चक्रबर्ती जी, शिक्षक गण, कर्मचारी गण और मेरे ऊर्जावान युवा साथियों !

गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी है, उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुड़ना मेरे लिए प्रेरक भी है, आनंददायक भी है और एक नई ऊर्जा भरने वाला है। अच्‍छा होता मैं इस पवित्र मिट्टी पर खुद आ करके आपके बीच शरीक होता। लेकिन जिस प्रकार के नए नियमों में जीना पड़ रहा है और इसलिए मैं आज रूबरू न आते हुए, दूर से ही सही, आप सबको प्रणाम करता हूं, इस पवित्र मिट्टी को प्रणाम करता हूं। इस बार तो कुछ समय के अंतराल पर मुझे दूसरी बार ये मौका मिला है। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता-पिता को, गुरुजनों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

 

साथियों,

आज एक और बहुत ही पावन अवसर है, बहुत ही प्रेरणा का दिन है। आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म जयंती है। मैं सभी देशवासियों को, छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी ने भी शिबाजि-उत्सब नाम से वीर शिवाजी पर एक कविता लिखी थी। उन्होंने लिखा था-

 

कोन्‌ दूर शताब्देर

कोन्‌-एक अख्यात दिबसे

नाहि जानि आजि, नाहि जानि आजि,

माराठार कोन्‌ शोएले अरण्येर

अन्धकारे बसे,

हे राजा शिबाजि,

तब भाल उद्भासिया ए भाबना तड़ित्प्रभाबत्

एसेछिल नामि–

“एकधर्म राज्यपाशे खण्ड

छिन्न बिखिप्त भारत

बेँधे दिब आमि।’’

 

यानि एक शताब्दी से भी पहले, किसी एक अनाम दिन, मैं उस दिन को आज नहीं जानता किसी पर्वत की ऊंची चोटी से, किसी घने वन में, ओह राजा शिवाजी, क्या ये विचार आपको एक बिजली की रोशनी की तरह आया था? क्या ये विचार आया था कि छिन्न-भिन्न इस देश की धरती को एक सूत्र में पिरोना है? क्या मुझे इसके लिए खुद को समर्पित करना है? इन पंक्तियों में छत्रपति वीर शिवाजी से प्रेरणा लेते हुए भारत की एकता, भारत को एक सूत्र में पिरोने का आह्वान था। देश की एकता को मजबूत करने वाली इन भावनाओं को हमें कभी भूलना नहीं है। पल-पल, जीवन के हर कदम पर देश की एकता-अखंडता के इस मंत्र को हमें हमें याद भी रखना है, हमें जीना भी है। यही तो टैगोर का हमें संदेश है।

 

साथियों,

आप सिर्फ एक विश्विद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा के वाहक भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसको Global University

या कोई और नाम भी दे सकते थे। लेकिन उन्होंने, इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया। उन्होंने कहा था- ‘’Visva-Bharati acknowledges India’s obligation to offer to others the hospitality of her best culture and India’s right to accept from others their best.’’

 

गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सीखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा। गुरुदेव का ये मॉडल ब्रह्म, त्याग और आनंद, के मूल्यों से प्रेरित था। इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सीखने का एक ऐसा स्थान बनाया, जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे, उस पर शोध करे और गरीब से गरीब की समस्याओं के समाधान के लिए काम करे। ये संस्कार मैं पूर्व में यहां से निकले छात्र-छात्राओं में भी देखता हूं और आपसे भी देश की यही अपेक्षा है।

 

साथियों,

गुरुदेव टैगोर के लिए विश्व भारती, सिर्फ ज्ञान देने वाली, ज्ञान परोसोन वाली एक संस्था मात्र नहीं थी। ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का, जिसे हम कहते हैं- स्वयं को प्राप्त करना। जब आप अपने कैंपस में बुधवार को उपासना के लिए जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करते हैं। जब आप गुरुदेव द्वारा शुरू किए गए समारोहों में जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करने का एक अवसर प्राप्‍त होता है। जब गुरुदेव कहते हैं-

आलो अमार

आलो ओगो

आलो भुबन भारा

तो ये उस प्रकाश के लिए ही आह्वान है जो हमारी चेतना को जागृत करती है। गुरुदेव टैगोर मानते थे, विविधताएं रहेंगी, विचारधाराएं रहेंगी, इन सबके साथ ही हमें खुद को भी तलाशना होगा। वो बंगाल के लिए कहते थे-

बांगलार माटी,

बांगलार जोल,

बांगलार बायुबांगलार फोल,

पुण्यो हौक,

पुण्यो हौक,

पुण्यो हौक,

हे भोगोबन..

 

लेकिन साथ ही वो भारत की विविधता का भी उतना ही गौरवगान बड़े भाव से करते थे। वो कहते थे-

हे मोर चित्तो पुन्यो तीर्थे जागो रे धीरे,

 भारोतेर महामनोबेर सागोरोतीरे

हेथाय दाराए दु बाहु बाराए नमो

नरोदेबोतारे,

और ये गुरुदेव का ही विशाल विजन था कि शांतिनिकेतन के खुले आसमान के नीचे वो विश्वमानव को देखते थे।

 

एशो कर्मीएशो ज्ञानी,

ए शो जनकल्यानीएशो तपशराजो हे!

एशो हे धीशक्ति शंपद मुक्ताबोंधो शोमाज हे !

हे श्रमिक साथियों, हे जानकार साथियों, हे समाज सेवियों, हे संतों, समाज के सभी जागरूक साथियों, आइए समाज की मुक्ति के लिए मिल करके प्रयास करें। आपके कैंपस में ज्ञान प्राप्ति के लिए एक पल भी बिताने वाले का ये सौभाग्य है कि उसे गुरुदेव का ये विजन मिलता है।

 

साथियों,

विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गई। ज्ञान की, क्रिएटिविटी की कोई सीमा नहीं होती है, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। आपको ये भी हमेशा याद रखना होगा कि ज्ञान, विचार और स्किल, static नहीं हैं, पत्‍थर की तरह नहीं है, स्थिर नहीं हैं, जीवंत हैं। ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें Course Correction की गुंजाइश भी हमेशा रहेगी, लेकिन Knowledge और Power, दोनों Responsibility के साथ आते हैं।

 

जिस प्रकार, सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, रहना जरूरी होता है, उसी प्रकार हर विद्वान को, हर जानकार को भी उनके प्रति ज़िम्मेदार रहना पड़ता है जिनके पास वो शक्ति नहीं है। आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं बल्कि समाज की, देश की, अरे भावी पीढ़ियों की भी वो धरोहर है। आपका ज्ञान, आपकी स्किल, एक समाज को, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है और वो समाज को बदनामी और बर्बादी के अंधकार में भी धकेल सकती है। इतिहास और वर्तमान में ऐसे अनेक उदाहरण हैं।

 

आप देखिए, जो दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, जो दुनिया में हिंसा फैला रहे हैं, उनमें भी कई Highly Educated, Highly Learned, Highly Skilled लोग हैं। दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए दिन-रात अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। अस्‍पतालों में डटे रहते हैं, प्रयोगशालाओं में जुटे हुए हैं।

 

ये सिर्फ विचारधारा का प्रश्न नहीं है, मूल बात तो mindset की है। आप क्या करते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपका माइंडसेट पॉजिटिव है या नेगेटिव है। स्कोप दोनों के लिए है, रास्ते दोनों के लिए ओपेन हैं। आप समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या फिर समाधान का, ये तय करना हमारे अपने हाथ में होता है। अगर हम उसी शक्ति, उसी सामर्थ्‍य, उसी बुद्धि, उसी वैभव को सत्‍कार्य के लिए लगाएंगे तो परिणाम एक मिलेगा, दुष्‍कर्मों के लिए लगाएंगे तो परिणाम दूसरा मिलेगा।  अगर हमीं सिर्फ अपना हित देखेंगे तो हम हमेशा चारों तरफ मुसीबतें देखते आएंगे, समस्‍याएं देखते आएंगे, नाराजगी देखते आएंगे, आक्रोश नजर आएगा।

 

लेकिन अगर आप खुद से ऊपर उठ करके, अपने स्‍वार्थ से ऊपर उठ करके Nation First की अप्रोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो आपको हर समस्‍या के बीच में भी Solution ढूंढने का मन करेगा, Solution नजर आएगा। बुरी शक्तियों में भी आपको अच्‍छा ढूंढने का, उसमें से अच्‍छाई का  परिवर्तन का मन करेगा और आप स्थितियां बदलेंगे भी, आप स्‍वयं भी अपने-आप में एक Solution बनकर उभरेंगे।

 

अगर आपकी नीयत साफ है और निष्ठा मां भारती के प्रति है, तो आपका हर निर्णय, आपका हर आचरण, आपकी हर कृति किसी ना किसी समस्‍या के समाधान की तरफ ही बढ़ेगा। सफलता और असफलता हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं करती है। हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए। एक युवा के रूप में, एक मनुष्य के रूप में, जब कभी हमें फैसला लेने से डर लगने लगे तो वो हमारे लिए सबसे बड़ा संकट होगा। अगर फैसले लेने का हौसला चला गया तो मान लीजिएगा कि आपकी युवानी चली गई है। आप युवा नहीं रहे हैं।

जब तक भारत के युवा में नया करने का, रिस्क लेने का और आगे बढ़ने का जज्बा रहेगा, तब तक कम से कम मुझे देश के भविष्य की चिंता नहीं है। और मुझे जो देश युवा हो, 130 करोड़ आबादी में इतनी बड़ी तादाद में युवा शक्ति हो तो मेरा भरोसा और मजबूत हो जाता है, मेरा विश्‍वास और मजबूत हो जाता है। और इसके लिए आपको जो सपोर्ट चाहिए, जो माहौल चाहिए, उसके लिए मैं खुद भी और सरकार भी…इतना ही नहीं, 130 करोड़ का संकल्‍पों से भरा हुआ, सपनों से लेकर जीने वाला देश भी आपके समर्थन में खड़ा है।

 

साथियों,

विश्व भारती के 100 वर्ष के ऐतिहासिक अवसर पर जब मैंने आपसे बात की थी, तो उस दौरान भारत के आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता के लिए आप सभी युवाओं के योगदान का जिक्र किया था। यहां से जाने के बाद, जीवन के अगले पड़ाव में आप सभी युवाओं को अनेक तरह के अनुभव मिलेंगे।

 

साथियों,

आज जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का हमें गर्व है वैसे ही मुझे आज धर्मपाल जी की याद आती है। आज महान गांधीवादी धरमपाल जी की भी जन्म जयंती भी है। उनकी एक रचना है- The Beautiful Tree- Indigenous Indian Education in the Eighteenth Century.

 

आज आपसे बात करते हुए मैं इस पवित्र धाम में आपसे बात कर रहा हूं तो मेरा मन करता है उसका जिक्र मैं जरूर करूं। और बंगाल की धरती, ऊर्जावान धरती के बीच जब बात कर रहा हूं तब तो मेरा स्‍वाभाविक मन करता है कि मैं जरूर धरमपाल जी के उस विषय को आपके सामने रखूं। इस पुस्तक में धरमपाल जी थॉमस मुनरो द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय शिक्षा सर्वे का ब्योरा दिया है।

 

1820 में हुए इस शिक्षा सर्वे में कई ऐसी बातें हैं, जो हम सबको हैरान भी करती हैं और गौरव से भर देती हैं। उस सर्वे में भारत की साक्षरता दर बहुत ऊंची आंकी गई थी। सर्वे में ये भी लिखा गया था कि कैसे हर गांव में एक से ज्यादा गुरुकुल थे। और जो गांव के मंदिर होते थे, वो सिर्फ पूजा-पाठ की जगह नहीं, वे शिक्षा को बढ़ावा देने वाले, शिक्षा को प्रोत्‍साहन देने वाले, एक अत्‍यंत पवित्र कार्य से भी गांव के मंदिर जुड़े हुए रहते थे। वे भी गुरुकुल की परम्‍पराओं को आगे बढ़ाने में, बल देने में प्रयास करते थे। हर क्षेत्र, हर राज में तब महाविद्यालयों को बहुत गर्व से देखा जाता था कि कितना बड़ा उनका नेटवर्क था। उच्च शिक्षा के संस्थान भी बहुत बड़ी मात्रा में थे।

 

भारत पर ब्रिटिश एजुकेशन सिस्टम थोपे जाने से पहले, थॉमस मुनरो ने भारतीय शिक्षा पद्धति और भारतीय शिक्षा व्यवस्था की ताकत को अनुभव किया था, देखा था। उन्होंने देखा था कि हमारी शिक्षा व्यवस्था कितनी vibrant है, ये 200 साल पहले की बात है। इसी पुस्तक में विलियम एडम का भी जिक्र है जिन्होंने ये पाया था कि 1830 में बंगाल और बिहार में एक लाख से ज्यादा Village Schools थे, ग्रामीण विद्यालय थे।

साथियों,

ये बातें मैं आपको विस्तार से इसलिए बता रहा हूं क्योंकि हमें ये जानना आवश्यक है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था क्या थी, कितनी गौरवपूर्ण थी, कैसे ये हर इंसान तक पहुंची हुई थी। और बाद में अंग्रेजों के कालखंड में और उसके बाद के कालखंड में हम कहां से कहां पहुंच गए, क्‍या से क्‍या हो गया।

गुरुदेव ने विश्वभारती में जो व्यवस्थाएं विकसित कीं, जो पद्धतियां विकसित कीं, वो भारत की शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने, भारत को आधुनिक बनाने का एक माध्यम थीं। अब आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, वो भी पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती है। ये शिक्षा नीति आपको अलग-अलग विषयों को पढ़ने की आजादी देती है। ये शिक्षा नीति, आपको अपनी भाषा में पढ़ने का विकल्प देती है। ये शिक्षा नीति entrepreneurship, self-employment को भी बढ़ावा देती है।

 

ये शिक्षा नीति Research को, Innovation को बल देती है, बढ़ावा देती है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में ये शिक्षा नीति भी एक अहम पड़ाव है। देश में एक मज़बूत रिसर्च और इनोवेशन इकोसिस्टम बनाने के लिए भी सरकार लगातार काम कर रही है। हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों Journals की फ्री एक्सेस अपने स्कॉलर्स को देने का फैसला किया है। इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।

 

साथियों,

भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार Gender Inclusion Fund की भी व्यवस्था की गई है। इस पॉलिसी में छठी क्लास से ही Carpentry से लेकर Coding तक ऐसे अनेक स्किल सेट्स पढ़ाने की योजना इसमें है, जिन स्किल्स से लड़कियों को दूर रखा जाता था। शिक्षा नीति बनाते समय, बेटियों में Drop-out Rate ज्यादा होने के कारणों को गंभीरता से स्टडी किया गया है। इसलिए, पढ़ाई में निरंतरता, डिग्री कोर्स में एंट्री और एग्जिट का ऑप्शन हो और हर साल का क्रेडिट मिले, इसकी एक नए प्रकार की व्यवस्था की गई।

 

साथियों,

बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया और ये गौरवपूर्ण बात है। बंगाल, एक भारतश्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है। शताब्दी समारोह में चर्चा के दौरान मैंने इस पर भी विस्तार से अपनी बात रखी थी। आज जब भारत 21वीं सदी की Knowledge economy बनाने की तरफ बढ़ रहा है तब भी नज़रें आप पर हैं, आप जैसे नौजवानों पर हैं, बंगाल की ज्ञान संपदा पर हैं, बंगाल के ऊर्जावान नागरिकों पर हैं। भारत के ज्ञान और भारत की पहचान को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने में विश्व भारती की बहुत बड़ी भूमिका है।

 

इस वर्ष हम अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। विश्व भारती के प्रत्येक विद्यार्थी की तरफ से देश को सबसे बड़ा उपहार होगा कि भारत की छवि को और निखारने के लिए हम सब मिल करके और विशेष करके मेरे नौजवान साथी ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें। भारत जो है, जो मानवता, जो आत्मीयता, जो विश्व कल्याण की भावना हमारे रक्त के कण-कण में है, उसका ऐहसास बाकी देशों को कराने के लिए, पूरी मानव जाति को कराने के लिए विश्व भारती को देश की शिक्षा संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए।

 

मेरा आग्रह है, अगले 25 वर्षों के विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। जब आजादी के 100 साल होंगे, वर्ष 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह बनाएगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रखे जा सकते हैं। आप अपने गुरुजनों के साथ चिंतन-मनन करें, लेकिन कोई न कोई लक्ष्य अवश्य तय करें।

 

आपने अपने क्षेत्र के अनेक गांवों को गोद लिया हुआ है। क्या इसकी शुरुआत, हर गांव को आत्मनिर्भर बनाने से हो सकती है? पूज्‍य बापू ग्रामराज्‍य की जो बात करते थे, ग्राम स्‍वराज की बात करते थे। मेरे नौजवान साथियो गांव के लोग, वहां के शिल्पकार, वहां के किसान, इन्हें आप आत्मनिर्भर बनाइए, इनके उत्पादों को विश्व के बड़े-बड़े बाजारों में पहुंचाने की कड़ी बनिए।

विश्व भारती तो, बोलपुर जिले का मूल आधार है। यहाँ के आर्थिक-भौतिक, सांस्कृतिक सभी गतिविधियों में विश्वभारती रचा-बसा है, एक जीवंत इकाई है। यहां के लोगों को, समाज को सशक्त करने के साथ ही, आपको अपना बृहद दायित्व भी निभाना है।

आप अपने हर प्रयास में सफल हों, अपने संकल्पों को सिद्धि में बदलें। जिन उद्देश्‍यों को ले करके विश्‍व भारती में कदम रखा था और जिन संस्‍कारों और ज्ञान की संपदा को लेकर आज जब आप विश्‍वभारती से कदम दुनिया की दहलीज पर रख रहे हैं, तब दुनिया आपसे बहुत कुछ चाहती है, बहुत कुछ अपेक्षाएं रखती है। और इस मिट्टी ने आपको संवारा है, आपको संभाला है। और आपको विश्‍व की अपेक्षाओं को पूर्ण करने योग्‍य बनाया है, मानव की अपेक्षाओं को पूर्ण करने योग्‍य बनाया है। आप आत्म विश्वास से भरे हुए हैं, आप संकल्‍पों के प्रति प्रतिबद्ध हैं, संस्‍कारों से पुलकित हुई आपकी जवानी है। ये आने वाली पीढ़ियों को काम आएगी, देश के काम आएगी। 21वीं सदी में भारत अपना उचित स्‍थान प्राप्‍त करे, इसके लिए आपका सामर्थ्‍य बहुत बड़ी ताकत के रूप में उभरेगा, ये पूरा विश्‍वास है और आप ही के बीच में आप ही का एक सहयात्री होने के नाते मैं आज इस गौरवपूर्ण क्षण में अपने-आप को धनवान मानता हूं। और हम सब मिल करके इस गुरुदेव टैगोर ने जिस पवित्र मिट्टी से हम लोगों को शिक्षित किया है, संस्‍कारित किया है, हम सब मिलके आगे बढ़ें, यही मेरी आपको शुभकामनाएं हैं।

मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आपके माता-पिता को मेरा प्रणाम, आपके गुरुजनों को प्रणाम।

मेरी तरफ से बहुत-बहुत धन्‍यवाद।