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उत्तराखंड में भी तेजी से फैला रहा कोरोना, देहरादून के दून स्कूल के 5 छात्र और 7 शिक्षक कोविड पॉजिटिव

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित प्रसिद्ध दून स्कूल के पांच छात्र और सात शिक्षक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट आशीष श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि की और बताया कि प्रशासन स्कूल में स्थिति से निपटने के लिए एहतियाती कदम उठा रहा है।

अधिकारी ने कहा, “सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, दून स्कूल सभी आवश्यक कदमों और गाइडलाइन्स का पालन सुनिश्चित कर रहा है। स्कूल ने महामारी को फैलने से रोकने के लिए आवासीय डॉक्टर की देखरेख में अपने सभी छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए कार्य योजना लागू की थी।”

जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि सभी कर्मचारी और छात्र अनिवार्य आरटी-पीसीआर परीक्षण से गुजरेंगे। उन्होंने कहा, “टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने वालों को क्वारंटीन कर दिया गया है। वे सरकारी दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। उनके संपर्क में आने वालों से संपर्क शुरू किया गया है।”

उत्तराखंड में देहरादून में 303 मामले और हरिद्वार में 185 मामले सहित कुल 791 नए मामलों की पुष्टि हुई है। प्रदेश में कुल मामलों की संख्या 1,03,602 हो चुकी है।

उत्तराखंड में हुआ बड़ा प्रशासनिक उलटफेर,सचिवालय में तैनात 24 आईएएस समेत 30 अफसरों में फेरबदल

देहरादून| मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में तैनात 24 आईएएस समेत 30 अफसरों में फेरबदल किया है। पहले फेरबदल में सीएम की तरफ से कोई बड़ा उलट-फेर नहीं किया गया है। सोमवार देर शाम सीएम की हरी झंडी के बाद कार्मिक विभाग ने यह आदेश किए हैं। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से सैनिक कल्याण हटा कर आयुक्त समाज कल्याण और प्रमुख सचिव आरके सुधांशू से खनन वापस लेकर ग्रामीण निर्माण की जिम्मेदारी दी है। प्रमुख सचिव एल फैनई को सैनिक कल्याण सौंपा गया है। सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम से महानिदेशक शिक्षा वापस लेकर उनका कद बढ़ाकर खनन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है।

सीएम ने अपने सचिव शैलेश बगोली का हल्का ही रखा है, उनसे परिवहन वापस ले लिया है। सचिव डी सैंथिल पांडियन को कौशल विकास एवं सेवायोजन अतिरिक्त दिए हैं, जबकि नितेश कुमार झा से सिंचाई व लघु सिंचाई वापस ले लिया है। डा. पंकज कुमार पांडेय को चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की नई जिम्मेदारी दी गई है। डा. रंजीत कुमार सिन्हा से कौशल विकास एवं सेवायोजन हटाकर परिवहन, एसए मुरुगेशन से सिडकुल व आयुक्त उद्योग हटाकर सिंचाई व लघु सिंचाई, बृजेश कुमार संत से ग्रामीण निर्माण हटा निदेशक खनन तो चंद्रेश कुमार को आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद की नई जिम्मेदारी दी है।

प्रभारी सचिव वी षणमुगम से सामान्य प्रशासन वापस लेकर नियोजन व निदेशक आडिट, नीरज खैरवाल को उरेडा व विनय शंकर को पांडेय को महानिदेशक (शिक्षा) की अतिरिक्त कार्यभार दिया है। सुरेंद्र नारायण पांडेय से ऊर्जा एवं उरेडा हटाकर आवास आयुक्त, अपर मुख्य प्रशासक, उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण सौंपा है। ये सभी विभाग विनोद कुमार सुमन से वापस लिए हैं।

अपर सचिव सबिन बंसल से चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा आयुक्त व एनएचएम निदेशक हटाकर सिडकुल व महानिदेशक उद्योग, युगल किशोर पंत से चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा हटा पर्यटन एवं धर्मस्व व अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पर्यटन विकास परिषद, रणवीर सिंह चौहान से परिवहन एवं प्रबंध निदेशक परिवहन, डा.अहमद इकबाल से निदेशक आडिट, सोनिका से पर्यटन, धर्मस्व एवं अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पर्यटन विकास परिषद वापस लिया है। सोनिका को एनएचएम निदेशक व आयुक्त स्वास्थ्य की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली है।

अपर सचिव आशीष कुमार चौहान को परिवहन निगम में प्रबंधक निदेशक, वंदना सिंह को निबंधक सहकारिता की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी है। पीसीएस व अपर सचिव डा. मेहरबान सिंह बिष्ट से खनन व निदेशक खनन वापस लेकर सिंचाई व लघु सिंचाई दिया है। ये दोनों विभाग उदय राज सिंह से वापस लिए हैं। झरना कामठान से बाल अधिकार संरक्षण आयोग में सचिव पद वापस लेकर आलोक कुमार पांडेय को दिय है। सचिवालय सेवा संवर्ग के अपर सचिव प्रदीप रावत से अपर सचिव सीएम की जिम्मेदारी लेकर मदन मोहन सेमवाल को दे दी है।

कोरोना महामारी को देखते हुए देहरादून और हरिद्वार की सभी अदालतों को दो सप्ताह के लिए बंद करने के आदेश नैनीताल हाइकोर्ट का बड़ा फैसला।

नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से कोरोना महामारी को देखते हुए देहरादून व हरिद्वार की सभी अदालतो को तत्काल प्रभाव से आगामी दो सप्ताह के लिये बन्द करने सभी अधिकारी कर्मचारियों के वेक्सिनेशन करने के आदेश नैनीताल हाई कोर्ट ने दिये है।। सोमवार रात हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार धनंजय चतुर्वेदी की ओर से जारी निर्देश के अनुसार देहरादून व हरिद्वार में नियमित रूप से कार्यरत जिला न्यायालयों में अस्थायी रूप से दो सप्ताह के लिए रेगुलर कामकाज नहीं होगा। जरूरी मामलों की ही सुनवाई होगी। न्यायालय के 30 फीसदी कर्मचारियों को ही ड्यूटी पर आने की अनुमति होगी। दोनों जिलों के जिला न्यायाधीशों और पारिवारिक न्यायाधीश से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र के निर्देश अनुसार 45 वर्ष से अधिक के सभी कर्मियों को टीकाकरण की सलाह देंगे। 55 वर्ष से अधिक आयु वाले स्टाफ को उपस्थित होने को बाध्य नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि उत्तराखंड में सोमवार को कोरोना के 547 नए मरीज मिले और दो संक्रमितों की मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 102811 हो गई है। जबकि मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 1729 हो गया है। स्वासथ्य विभाग के बुलेटिन के अनुसार सोमवार को देहरादून जिले में सर्वाधिक 224 नए मरीज मिले हैं। जबकि हरिद्वार में 194, अल्मोड़ा में दो, बागेश्वर में एक, चमोली में दो, चम्पावत में एक, नैनीताल में 33, पौड़ी में 21, रुद्रप्रयाग में दो, टिहरी में 16, यूएस नगर में 51 नए मरीज मिले हैं। राज्य के विभिन्न अस्पतालों से सोमवार को कुल 32 हजार के करीब सैंपल जांच के लिए भेजे गए।

कोरोना : रविवार रात तक 24 घंटों के दौरान मिले कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,03,764 पर पहुंच गई. महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक यह एक दिन में मिले कुल संक्रमितों की सर्वाधिक संख्या है.

नई दिल्ली: महाराष्ट्र समेत दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे 10 राज्यों में कोरोना संक्रमण पेशानी पर बल लाने वाला साबित हो रहा है. कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू समेत सख्त कोरोना गाइडलाइंस  का विभिन्न राज्य अपने-अपने स्तर पर पालन कर रहे हैं. इस बीच देश में कोरोना के कहर ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. कोरोना संक्रमण पर नजर रखने वाले वर्ल्डोमीटर के मुताबिक रविवार रात तक 24 घंटों के दौरान मिले कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,03,764 पर पहुंच गई. महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक यह एक दिन में मिले कुल संक्रमितों की सर्वाधिक संख्या है. इस आंकड़े के साथ ही अमेरिका के बाद भारत  दूसरा देश बन गया है जहां एक दिन में कोविड-19 के एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं. इससे पहले 17 सितंबर 2020 को भारत में एक दिन में 98,795 नए मामले मिले थे, जो महामारी की पहली लहर का सर्वोच्च आंकड़ा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दौरान 24 घंटों में देश में 513 कोरोना मरीजों की मौत हुई.…

उत्तराखंड: मौसम विभाग ने राज्य में सोमवार से बारिश, ओलावृष्टि को लेकर तीन दिन का येलो अलर्ट जारी किया है।

मौसम विभाग ने राज्य में सोमवार से बारिश, ओलावृष्टि को लेकर तीन दिन का येलो अलर्ट जारी किया है। पांच, छह, सात और आठ अप्रैल को राज्य में अनेक हिस्सों में बारिश हो सकती है। मौसम केन्द्र द्वारा रविवार को जारी पूर्वानुमान के मुताबिक सोमवार को उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ में कहीं कहीं गर्जन के साथ आकाशीय बिजली, बारिश गिरने की संभावना है। रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, देहरादून में हल्की से हल्की बारिश, बर्फबारी, जबकि मैदानी क्षेत्रों में 30 से 40 किलोमीटर की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। 6 को उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून व पिथौरागढ़ में कहीं कहीं ओलावृष्टि, हल्की से मध्यम बारिश, बिजली चमकने की संभावना है। 32 सौ मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो सकती है। मैदानी क्षेत्रों में तेज रफ्तार की झोंकेदार हवाएं चल सकती हैं।

सात अप्रैल को उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिले में कहीं कहीं ओलावृष्टि, बारिश, आकाशीय बिजली चमक सकती है। उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ में कहीं कहीं भारी बारिश व 3200 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी की भी चेतावनी है। जबकि मैदानी क्षेत्रों में 40 से 50 किलोमीटर की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। आठ को भी पर्वतीय क्षेत्र में हल्की से मध्यम बारिश, बर्फबारी हो सकती है। लेकिन इन दिन के लिए अलर्ट नहीं है। नौ व दस को बारिश की स्थिति में कमी आ सकती है। विभाग के अनुसार चार व छह को एक के बाद एक दो पश्चिमी विछोब हिमालय रीजन से टकरा रहे हैं। जिस वजह से मौसम में बदलाव नजर आ रहा है।

सुबह दिन के तापमान पर करीब बीस डिग्री का फर्क
देहरादून में पिछले कुछ दिनों से सुबह शाम व दिन के तापमान में बीस डिग्री के आसपास का फर्क दिख रहा है। रविवार को दून का अधिकतम तापमान 33.8 व न्यूनतम 12.5 डिग्री दर्ज किया गया। अधिकतम तापमान सामान्य से 4 डिग्री अधिक है तो न्यूनतम सामान्य से 2 डिग्री कम है। इसी तरह पंतनगर में अधिकतम तापमान 33.9 व न्यूनतम 7, मुक्तेश्वर में अधिकतम 24.2, न्यूनतम 7.4, नई टिहरी में अधिकतम 24.4, न्यूनतम 10.6, पिथौरागढ़ में अधिकतम 26.1 व न्यूनतम 7.2 रहा। मौसम निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, मौसम धीरे-धीरे गर्मी की ओर जा रहा है। इसलिए अधिकतम तापमान बढ़ रहा है।

उत्तराखंड में जंगलों के जलने की घटनाएं थम नहीं रही हैं।फॉरेस्ट फायर का अलर्ट जारी।

उत्तराखंड में जंगलों के जलने की घटनाएं थम नहीं रही हैं। पिछले 24 घंटों में जंगल जलने की 40 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे 63 हेक्टेयर जंगल जल गए।  मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि मान सिंह ने बताया कि पिछले चौबीस घंटे में गढ़वाल में 23 और कुमाऊं में 16 वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गईं। जिसमें 63 हेक्टेयर जंगल जल गया। एक अक्टूबर से अब तक 964 घटनाओं में 1264 हेक्टेयर जंगल जल चुके हैं। 12 हजार वनकर्मी और फायर वाचर आग बुझाने के लिए तैनात किए गए हैं। वहीं,पीसीसीएफ ने कहा कि जिस तरह तापमान बढ़ रहा है उससे आग बांज के जंगलों तक पहुंचने की आशंका है। इसलिए पहले से इसकी तैयारी  करनी होगी।  संबंधित खबर

फॉरेस्ट फायर का अलर्ट 
पीसीसीएफ राजीव भर्तरी ने आग की घटनाओं को लेकर अलर्ट जारी कर सभी डीएफओ और वन संरक्षकों को क्षेत्र में रहने के निर्देश दिए हैं। सभी वन कर्मी और फायर वाचर वनाग्नि को लेकर मॉक ड्रिल करेंगे। वन अफसरों और कर्मचारियों को विशेष परिस्थितियों में ही छुट्टी दी जाएगी।

चिंताजनक: जिम कॉर्बेट पार्क के पास पहुंची जंगलों में लगी आग
रामनगर।
 कॉर्बेट नेशनल पार्क में दावाग्नि का खतरा बढ़ रहा है। शनिवार को रामनगर वन प्रभाग के मोहान के पास जंगल में आग लग गई। तराई पश्चिम वन प्रभाग के सावल्दे, हल्दुआ और काशीपुर रेंज के जंगल जल गए। यह इलाके कॉर्बेट पार्क से सटे हैं। इससे पार्क प्रशासन में हड़कंप मच गया। पार्क प्रशासन ने कर्मचारियों को अलर्ट कर दिया है।कॉर्बेट पार्क से सटे रामनगर वनप्रभाग एवं तराई पश्चिम वन प्रभाग में गर्मियां शुरू होते ही आग लगने की घटनाएं होने लगी हैं। रामनगर वन प्रभाग में अब तक कई हेक्टेयर जंगल जल चुका है। तराई पश्चिम वन प्रभाग का भी यही हाल है। दोनों प्रभाग की सीमाएं कॉर्बेट से लगती हैं। अफसरों के अनुसार, इन घटनाओं के लिए कई क्रू स्टेशन बनाए हैं। इन पर ऑनलाइन नजर भी रखी जा रही है।

2016 में धधका था कॉर्बेट : वर्ष 2016 में पार्क के बिजरानी जोन में भीषण आग लगी थी। इसे काबू में करने में एक सप्ताह से ज्यादा समय लगा था। यह आग कॉर्बेट पार्क की अब तक की सबसे भीषण आग बताई जाती है।

ऐसे रखी जाती है आग की घटनाओं पर नजर 
कार्बेट पार्क के निदेशक राहुल ने बताया कि कॉर्बेट में आग की घटनाओं पर नजर रखने के लिए 100 से अधिक क्रू स्टेशन बनाए गए हैं। 500 से अधिक कर्मचारी लगाए गए हैं। ऑनलाइन भी नजर रखी जा रही है। ड्रोन से भी नजर रखने का काम किया जा रहा है।

आग की घटनाओं पर नजर रखी जा रही है। प्रभाग में आग की कई घटनाएं सामने आई हैं। कर्मचारियों को ऐसी घटनाओं पर नजर रखने को कहा गया है।
चंद्रशेखर जोशी, डीएफओ, रामनगर। 

आग की घटनाएं होते ही लोगों को जानकारी देने को कहा जाता है। इसके अलावा फायर को लेकर कर्मचारियों को अलर्ट किया गया है। मैं खुद आग की घटनाओं पर नजर रख रहा हूं।
हिमांशु बागरी, डीएफओ, तराई पश्चिम। 

कुंभ:हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर 11 अप्रैल से ट्रेनों पर रहेगी रोक, जानें कब तक रहेगा प्रतिबंध, शाही स्नान को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर 11 अप्रैल से ट्रेनें नहीं आएंगी। ट्रेनों को ज्वालापुर, रुड़की और लक्सर के रेलवे स्टेशन पर रोका जाएगा। 12 और 14 अप्रैल के शाही स्नान को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। 14 अप्रैल तक यह व्यवस्था रहेगी। एसपी जीआरपी मंजूनाथ टीसी ने शुक्रवार को ब्रीफिंग में जवानों को बताया कि इस दौरान श्रद्धालुओं को ज्वालापुर रेलवे स्टेशन पर उतारा जाएगा। ज्वालापुर स्टेेशन फुल होने पर लक्सर और रुड़की में ट्रेनों को रोका जाएगा। यहां से शटल बसों से यात्रियों को लाया जाएगा पर वापसी हरिद्वार स्टेशन से होगी। जीआरपी ने मुरादाबाद मंडल में पत्र भेज अपील की है कि 11 से 14 अप्रैल के बीच देहरादून और ऋषिकेश जाने वाली ट्रेनों को ज्वालापुर में ही रोका जाए। लेकिन अभी तक इसकी अनुमति नहीं मिल पाई है।

बता दें कि कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बीच उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को 12 राज्यों से आने वाले लोगों के लिए आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य कर दिया है। यह रिपोर्ट 72 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने परामर्श जारी करते हुए कहा कि यह नियम महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान से सड़क, हवाई मार्ग और रेलगाड़ियों से आने वाले लोगों पर एक अप्रैल से लागू होगा। कुंभ मेले में हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल तैयार कर लिया गया है। रजिस्ट्रेशन के लिए कुंभ की ऑफिसियल वेबसाइट www.haridwarkumbhmela2021.com ऑनलाइन आवेदन प्रकिया को पूरा करना होगा। अनुमति मिलने के बाद ही हरिद्वार की सीमा से एंट्री हो सकेगी।

हरिद्वार कुंभ 2021 के शाही स्नान
पहला शाही स्नान: 11 मार्च, दिन गुरुवार, महाशिवरात्रि के दिन हो चुका है।
दूसरा शाही स्नान: 12 अप्रैल, दिन सोमवार, सोमवती अमावस्या के दिन।
तीसरा मुख्य शाही स्नान: 14 अप्रैल, दिन बुधवार, मेष संक्रांति के दिन।
चौथा शाही स्नान: 27 अप्रैल, दिन मंगलवार, बैसाख पूर्णिमा के दिन।

झंडा जी का ऐतिहासिक आरोहण आज पूरी धार्मिक रीति-रिवाज के साथ किया जाएगा।झंडारोहण के चलते झंडे जी मेला इलाके में आज ट्रैफिक डायवर्ट रहेगा।

कोरोना के कारण लगातार दूसरे साल झंडा जी मेला नगर परिक्रमा के बाद संपन्न हो जाएगा। झंडा जी का ऐतिहासिक आरोहण शुक्रवार को पूरी धार्मिक रीति-रिवाज के साथ किया जाएगा। श्री दरबार साहिब मेला प्रबंधन का दावा है कि बड़ी संख्या में दून से संगतें नाराजगी के साथ वापस लौटी हैं।  प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, मानवता, श्रद्धा और आस्था का प्रतीक श्री झंडा जी मेला इस साल धार्मिक अनुष्ठानों को पूरा कर सूक्ष्म स्वरूप में किया जाएगा। शुक्रवार सुबह सात बजे से पुराने श्री झंडा जी को उतारने का कार्यक्रम शुरू होगा, जो दोपहर तक जारी रहेगा। अपराह्न 3 बजे से पूर्व श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज की अगुवाई में श्री झंडा जी का आरोहण होगा। मेला व्यवस्थापक कैलाश चंद्र जुयाल ने बताया कि चार अप्रैल को नगर परिक्रमा होगी। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इस साल नगर परिक्रमा का रूट छोटा व परिवर्तित रहेगा। नगर परिक्रमा के साथ इस वर्ष के श्री झंडा जी मेले का समापन हो जाएगा।

दरबार साहिब से लौटी पूरब की संगत: झंडा आरोहण से पहले ही परंपरागत तरीके से पूरब की संगत ने दरबार साहिब से विदाई ले ली है। गुरुवार को श्रीमहंत देवेन्द्र दास ने पूरब की संगत को पगडी, ताबीज, प्रसाद देकर विदा किया। कोविड के कारण पूरब की संगत के लौटने की प्रक्रिया एक दिन पहले शुरू हुई है। उधर, कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच आयोजन समिति की ओर से झंडा जी आरोहण के दौरान कड़ी व्यवस्था की गई है।

गुरु मंत्र पाकर धन्य हुईं संगतें
श्री गुरु राम राय दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज ने श्री झंडा जी मेला की पूर्व संध्या पर संगतों को गुरुमंत्र दिया। गुरु मंत्र पाकर संगत धन्य-धन्य हो गईं। संगतों ने गुरुमंत्र को आत्मसात करते हुए श्री गुरु महाराज का आशीर्वाद लिया। श्रीमहंत देवेन्द्र दास महाराज ने गुरु महिमा को समझाया। कहा कि जो व्यक्ति गुरु के बताए मार्ग पर चलता है, उसे पृथ्वी पर स्वर्ग की अनुभूति मिल जाती है।

झंडा मेला इलाके में ट्रैफिक डायवर्ट
देहरादून। झंडारोहण के चलते झंडे जी मेला इलाके में आज ट्रैफिक डायवर्ट रहेगा। एसपी ट्रैफिक एसके सिंह ने बताया कि इसके लिए बैरिकेडिंग लगाकर पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सहारनपुर चौक, गऊघाट तिराहा,  दर्शनी गेट,  तालाब के चारों ओर, भंडारी चौक (गुरुद्वारे की ओर आने वाले सभी मार्गों) पर बैरियर लगाकर वाहनों का प्रवेश रोका जाएगा।  यातायात का भारी दबाव होने पर निरंजन पुर मण्डी से सहारनपुर चौक की ओर कमला पैलेस तिराहे कि ओर व बल्लीवाला से सहारनपुर चौक की ओर आने वाले यातायात को बल्लीवाला चौक से डायवर्ट किया जाएगा। उन्होंने कहा कि झंडे जी मेले में आने वाले लोग भी अपना निजी वाहन लाने से बचें। इससे पहचान से बच पाएंगे। मेला स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र कड़े इंतजाम किए गए हैं। गुरुवार को एडीएम वित्त वीर सिंह बुदियाल साहब, एसपी सिटी सरिता डोभाल, सिटी मजिस्ट्रेट कुशुम चैहान, एसडीएम सदर, सीओ सिटी शेखर सुयाल, एसएचएओ कोतवाली एसएस नेगी ने परिसर का निरीक्षण किया

राज्य गठन के बीस वर्ष बीतने के बाद भी राज्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से वंचित क्यों?

उत्तर प्रदेश से अलग होकर पृथक प्रदेश के रूप में उत्तराखंड का गठन हुए 20 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। उत्तराखंड को राज्य घोषित करने के लिए व्यापक आंदोलन चलाया गया क्योंकि पहाड़ की जनता उत्तर प्रदेश मैं खुद को उपेक्षित महसूस कर रही थी। अपने सपनों के उत्तराखंड की मांग को लेकर जनान्दोलन चलाया गया और शहादत भी दी गई परंतु आज 20 वर्ष बाद यहां की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। राज्य गठन के बाद पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को लगता था छोटा राज्य होने के कारण इसका समुचित विकास होगा लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया। 20 वर्ष बाद भी एक नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना तक नहीं हो पाई जिसके कारण विधि की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों का रुख करना पड़ रहा है जिससे इस राज्य के विद्यार्थियों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उक्त संबंध में वर्ष 2011 में उत्तराखंड विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का गठन करने की घोषणा की गई।उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भवाली में उत्तराखंड विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया परंतु यह केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया और धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ।उक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में सन 2014 में दो जनहित याचिका प्रस्तुत की गई जिसमें उत्तराखंड में विधि विश्वविद्यालय के गठन  सम्बंधी समुचित आदेश पारित करने का निवेदन किया गया परंतु कुछ नहीं हुआ।तदोपरान्त सन् 2018 में राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 3(4) मैं संशोधन किया गया जिसके अनुसार उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का मुख्यालय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों के चयन के बाद सुनिश्चित करने का निर्णय किया गया। उक्त संबंध में दिनांक 13-04-2018 को राज्य के आफिसियक गजट में उक्त संशोधन को घोषित किया गया उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 के 7 वर्ष के बाद भी राज्य सरकार द्वारा मुख्यालय के लिए स्थल चयन का कार्य नहीं पूर्ण हो सका। इन परिस्थितियों के मध्य नजर माननीय उच्च न्यायालय ने 2014 में दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिनांक 19-06-2018 को निम्न आदेश पारित किए गये-

  1. यह कि राज्य सरकार उक्त आदेश के 3 महीने के अन्दर राज्य विधि विश्वविद्यालय प्रारंभ करें।
  2. यह कि राज्य सरकार को निर्देश दिए गए कि वह उक्त विश्वविद्यालय किसी सरकारी बिल्डिंग में या किसी प्राइवेट भवन में समुचित किराए पर लेकर भी विश्वविद्यालय प्रारंभ कर सकता है।
  3. यह कि राज्य सरकार तराई क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए उधम सिंह नगर या अन्य तराई क्षेत्र में 1800 एकड़ भूमि का चयन करके निर्माण कार्य प्रारंभ करें।
  4. कि उक्त विश्वविद्यालय में सितंबर 2018 से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ कर दिया जाए और इसके लिए आवश्यक अनुमति यों को बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया शीघ्राति शीघ्र प्राप्त कर लिया जाए।
  5. यह के आदेश की तिथि के 1 महीने के अंदर विश्वविद्यालय अधिनियम का विनियमन तैयार करें क्योंकि अभी तक उक्त अधिनियम हेतु आवश्यक विनियमन तक नहीं पारित किए गए हैं इसके लिए 1 महीने की समय सीमा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई।

इसके अतिरिक्त यह भी निर्देश दिए गए कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अधीन सभी नियुक्तियां जिसमें शैक्षणिक और प्रशासनिक शामिल हैं आदेश के 3 महीने के अंदर पूरी कर ली जाये।परंतु दुर्भाग्यवश 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक उक्त संबंध में कोई समुचित कार्यवाही नहीं की गई हालांकि माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा दिनांक 13-02-2019 को एक अधिसूचना जारी करते हुए यह कहा कि उत्तराखंड के देहरादून जिले में रानी पोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का मुख्यालय बनाया जाए।

माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन न करने के कारण माननीय उच्च न्यायालय में सन 2019 को न्यायालय की अवमानना के बाद दायर किया गया जिस के परीक्षण के बाद न्यायालय ने यह स्थापित किया कि 19-06-2018 को पारित आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया मात्र 13-02-2018 को माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा अधिसूचना जारी कर दिया गया लेकिन कोई कार्य नहीं किया गया।

उक्त अवमानना  याचिका के विरुद्ध में राज्य सरकार सुप्रीम न्यायलय में समीक्षा याचिका दायर की जिसके परीक्षण के उपरान्त सर्वोंच्च न्यायलय ने उच्च न्यायलय नैनीताल के आदेश पर स्थगनादेश पारित किया।

किसी भी राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य में मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें। जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा और आजीविका अनिवार्य क्षेत्र हैं परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा इस नवगठित राज्य में होता नहीं दिख रहा है।शिक्षा के क्षेत्र में यह राज्य पिछड़ता चला जा रहा है अन्य राज्यों से तुलना करें तो उत्तराखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एक्ट 2011 में विधानसभा में पारित किया गया तब से अन्य राज्यों में 9 एन एल यू स्थापित किए जा चुके हैं जिनमें नव गठित राज्य छत्तीसगढ़ झारखंड और हिमाचल अपने राज्य में इसकी स्थापना कर चुके हैं।

 

किसी भी राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना कितनी महत्वपूर्ण है इसका वर्णन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय अधिनियम में किया गया है।

  1. राष्ट्रीय विकास के लिए कानून कानूनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए।

2.सामाजिक परिवर्तन के लिए एक माध्यम के रूप में कानूनी प्रक्रिया बनाने के लिए कानून के ज्ञान को प्रोत्साहित करना।

  1. विधिक क्षेत्र में सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए एक भावना विकसित करने और कानूनी क्षेत्र में छात्रों और शोधों को अमल में लाने के लिए विधिक कौशल को विकसित करना।

इन उद्देश्यों को विकसित करने में उत्तराखंड की सरकार विफल रही है जनहित की अपेक्षा करके केवल अपने हितों की पूर्ति मैं संलग्न होने की राजनेताओं की प्रवृत्ति इस राज्य के विकास की सबसे बड़ी बाधा है।

राज्य में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसके गठन से इस राज्य के विद्यार्थियों को अपने राज्य के विश्वविद्यालय में आरक्षण मिलता है इसके अतिरिक्त गुणवत्ता पूर्व कानूनी शिक्षा मिलने से यहां के युवाओं को रोजगार के अतिरिक्त सरकार समाज और कंपनियों के लिए भी सक्षम नेतृत्व प्रदान करने का अवसर मिलेगा जो इस दुर्गम और पिछड़े प्रदेश के लिए प्राथमिकता समझा जाना चाहिए परंतु इस क्षेत्र में इस संबंध में सार्थक पहल अभी तक इंतजार है।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कुंभ मेला क्षेत्र में कोविड जांच की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये।

कुंभ मेले में कोरोनावायरस के मामले बढ़ने की आशंका को देखते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट लगातार गंभीर है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार को कुंभ मेला क्षेत्र में रोजाना 50 हजार कोविड जांचें कराने के दिशानिर्देश दिए। साथ ही संबंधित रिपोर्ट को नियमित रूप से सरकारी वेबसाइट पर भी अपलोड करने के निर्देश दिए। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने दो सप्ताह बाद की तिथि निर्धारित की है। बुधवार को क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कुंभ मेला क्षेत्र में कोविड जांच की संख्या बढ़ाकर रोजाना 50 हजार करने के निर्देश दिये।

इसके अलावा हाईकोर्ट ने कुंभ मेला क्षेत्र अंतर्गत रोडवेज, बस स्टैंड समेत अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जांच शिविर लगाने को कहा। साथ ही ऋषिकेश, बेस अस्पताल, गौरीशंकर हॉस्पिटल समेत बैरागी कैंप में सुविधाएं सुधारने और आवश्यक स्थानों पर स्वागत द्वार लगाने के भी निर्देश दिए।  हाईकोर्ट बीते दिनों भी मुख्यमंत्री की घोषणा के उलट कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोरोना जांच की नेगेटिव रिपोर्ट की अनिवार्यता का फैसला सुना चुका है।

राज्य सरकार ने भी कोर्ट में रखा पक्ष
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की तरफ से भी कुंभ मेले को लेकर पक्ष रखा गया। सरकार ने बताया कि स्वर्गाश्रम के छह घाटों के लिए 30 लाख और नीलकंठ स्वर्गाश्रम रोड के सौन्दर्यीकरण के लिए 3.35 करोड़ स्वीकृत कर दिए गए हैं। जिसमें प्राथमिक कार्य कुंभ से पूर्व शेष बाद में किए जाएंगे। इससे पूर्व याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि अभी भी कई घाटों में कार्य पूरा नहीं हुआ है। शौचालयों की हालत भी अच्छी नहीं है।