विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का बड़ा फैसला- UG-PG में दाखिले के लिए CET और पीएचडी(PHD) में एडमिशन के लिए NET है जरूरी

अब देश के सभी केंद्रीय विश्विद्यालयों में दाखिले के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा होगी। यूजीसी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।यूजीसी के मुताबिक, नई शिक्षा नीति के तहत सभी केंद्रीय विश्विद्यालयों में यूजी और पीजी दाखिलों के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति की रिपोर्ट आने के बाद 22 नवम्बर 2021 को देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी की बैठक बुलाई गई।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देश भर के केंद्रीय सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों में रिसर्च (PHD), अंडर-ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट दाखिले को लेकर बड़े फैसले किये हैं। बैठक में तय किया गया है कि सत्र 2022-2023 से देश की सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कॉमन एग्जाम होगा। इस एग्जाम से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कॉर्सेज में एडमिशन मिलेगा। आयोग ने पीएचडी (PHD) में दाखिले लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा यानि, नेट (Net ) परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी कर दिया है, तो वहीं, इन केंद्रीय सहायता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों में विभिन्न स्नातक और परास्नातक पाठयक्रमों में दाखिले सामान्य प्रवेश परीक्षा यानि (CET) के माध्यम से लिए जाने के निर्देश जारी कर दिये हैं। यूजीसी द्वारा पीएचडी, पीजी और यूजी दाखिले के लिए जारी किये नये नियम अगले शैक्षणिक सत्र यानि 2022-23 से लागू होंगे।

केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए केंद्रीय पात्रता परीक्षा या सीईटी राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) द्वारा कम से कम 13 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। प्रवेश के लिए सीईटी स्कोर पर विचार करने के लिए निजी और अन्य डीम्ड विश्वविद्यालयों को भी यूजीसी ने सुझाव दिये हैं। बता दें कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए सीईटी इस साल से शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था।

यूजीसी ने कहा-कॉमन इंट्रेंस टेस्ट के लिए करें उपाय

यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को लिखे पत्र में लिखा है, ” सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक सत्र 2022-2023 से कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के लिए उचित उपाय करने की सलाह दी जाती है।इसके मुताबिक ये परीक्षाएं कम से कम 13 भाषाओं में आयोजित की जाएंगी। जो एनटीए पहले से ही जेईई और एनईईटी परीक्षा आयोजित कर रहा है। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट को इच्छुक राज्य / निजी विश्वविद्यालयों / डीम्ड यूनिवर्सिटीज द्वारा भी अपनाया जा सकता है।” परिवर्तन राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनईपी 2020 के अनुसार प्रस्तावित किए गए हैं।”

एनईपी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए एक केंद्रीय परीक्षा का प्रस्ताव रखा था। जिससे बोर्ड परीक्षाओं पर निर्भरता कम हो गई। सीईटी से सभी छात्रों के लिए एक समान प्लेटफॉर्म प्रदान करने की भी उम्मीद है। वहीं, अब शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से लागू होने की उम्मीद है, जो अगले वर्ष के छात्रों के लिए है।

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ओमिक्रॉन को लेकर उत्तराखंड सरकार ने बचाव के लिए जारी की एसओपी, पड़ोसी राज्यों से आने वालों की उत्तराखंड बॉर्डर पर कोरोना जांच, विदेश से आने वाले क्वारंटाइन

दुनिया के कई देशों में आतंक फैला रहे कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर उत्तराखंड सरकार सतर्क हो गई है। केंद्र के निर्देशों के तहत मंगलवार को ओमिक्रॉन को लेकर एसओपी जारी की गई। सभी स्वास्थ्यकर्मियों एवं फ्रंटलाइन वर्कर्स की कोविड जांच की जाएगी। जिसके तहत प्रदेश के  सभी डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, एग्रीकल्चर कॉलेज, यूनिवर्सिटीज व अन्य शिक्षण संस्थानों में 18 वर्ष से ऊपर के छात्र-छात्राओं की रैंडम सैंपलिंग सहित कई प्रावधान किए गए हैं।

उत्तराखंड में शासन ने कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन  से बचाव और संक्रमण पर नियंत्रण के लिए मानक प्रचालन कार्यविधि (एसओपी) जारी की है। इसमें सभी जिलाधिकारियों से राज्य के एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बार्डर चेक पोस्ट  पर्यटन स्थल और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर रैंडम सैंपलिंग कराने और संक्रमित पाए गए व्यक्तियों को कोरोना प्रोटोकाल के तहत चिकित्सा सुविधा प्रदान करने को कहा गया है। एसओपी में राज्य के सभी महाविद्यालय, मेडिकल व नर्सिंग कालेज, व शैक्षिक संस्थानों में कोविड सैंपलिंग के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही राज्य की सीमा से लगे नेपाल से आवाजाही के समय कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगाने का प्रमाणपत्र रखना अनिवार्य किया गया है। कोविड गाइडलाइंस का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मुख्य सचिव एसएस संधु द्वारा मंगलवार को जारी एसओपी में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमिक्रोन को वायरस आफ कंसर्न घोषित किया है। इसमें संक्रमण तेजी से फैलता है। इसे देखते हुए राज्य में टीकाकरण कार्य में तेजी लाई जाए।

कोविड संक्रमण की निगरानी एवं नियंत्रण व्यवस्था को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए। सभी सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षित शारीरिक दूरी, मास्क पहनना व सैनिटाइजेशन का सख्ती से अनुपालन कराया जाए। सार्वजनिक स्थानों पर थूकना गैरकानूनी होगा। इसका उल्लंघन करते पाए जाने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

सार्वजनिक स्थानों पर पान, गुटखा व तंबाकू का सेवन प्रतिबंधित किया गया है।

एसओपी में कहा गया है कि आमजन को नए वैरिएंट के बारे में जागरूक करने को अभियान चलाया जाए।

राज्य के शिक्षण संस्थानों से लेकर सभी स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन वर्कर का कोविड टेस्ट किया जाए। संक्रमित पाए जाने वाले व्यक्तियों को कोविड प्रोटोकाल के तहत चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाएगी।

अंतर राष्ट्रीय बार्डर चेक पोस्ट पर भी रैंडम टेस्ट किए जाएं। इसके साथ ही शासन ने केंद्र के उस पत्र का भी जिक्र किया है, जिसमें विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि विदेश से आए जो यात्री होम क्वारंटाइन हैं, उनकी सतत निगरानी की जाए। उनमें कोरोना संक्रमण के किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर कोविड प्रोटोकाल के अनुसार इलाज किया जाए।

  • COVID-19 प्रबंधन के लिए सामान्य निर्देश:
    ● राज्य में कोविड-19 प्रबंधन के निम्नलिखित निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया
    ● सार्वजनिक स्थानों, कार्यस्थल एवं सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने वाले व्यक्तियों को मास्क पहनना अनिवार्य होगा।
    ● सार्वजनिक स्थानों पर व्यक्तियों को सामाजिक दूरी का पालन करते हुए 6 फिट की दूरी बनाए रखना अनिवार्य होगा।
    ● सार्वजनिक स्थानों पर थूकना गैरकानूनी होगा जिसके लिए निर्धारित जुर्माने के साथ दंड का प्रावधान होगा। सार्वजनिक स्थानों पर पान, गुटखा, तंबाकू आदि का सेवन प्रतिबंधित होगा।

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड भंग करने का किया एलान,सरकार के फैसले से तीर्थ पुरोहितों और साधु-संतों में खुशी की लहर

उत्तराखंड में देवास्थानम बोर्ड पर जारी विवाद के बीच राज्य सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग करने का फैसला किया है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर त्रिवेंद्र सरकार का फैसला पलट दिया। धामी ने बड़ा फैसला लेते हुए देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का एलान किया। दो साल पहले त्रिवेंद्र सरकार के समय चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अस्तित्व में आया था। तीर्थ पुरोहितों, हकहकूकधारियों के विरोध और कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बोर्ड को मुद्दा बनाने से सरकार पर दबाव था।

देवास्थानम बोर्ड का साधु-संत लगातार विरोध कर रहे थे, जिसके बाद सरकार ने इसे भंग करने का फैसला किया है। पुरोहितों का कहना था कि इससे उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन होगा।उत्तराखंड सरकार ने देवस्थानम बोर्ड पर बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में बना देवास्थानम बोर्ड को रद्द कर दिया गया है। चारधाम हकहकूधारी तीर्थ पुरोहित महापंचायत के अध्यक्ष केके कोठियाल ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि देवस्थानम बोर्ड को कैंसिल करने के लिए पिछले दो सालों से संघर्ष किया जा रहा था। इससे पहले देवस्थानम बोर्ड पर फैसला लेने के लिए धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब कमेटी ने रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप थी।

मनोहरकांत ध्यानी कमेटी की रिपोर्ट के अध्ययन के लिए मुख्यमंत्री धामी ने महाराज की अध्यक्षता में सब कमेटी बनाई गई थी। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और यतीश्वरानंद को भी कमेटी का सदस्य बनाया गया। सब कमेटी ने कुछ ही घंटों में सिफारिश सीएम को सौंप दी थी । मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि पंडा, पुरोहितों और पुजारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा है। उधर, सीएम ने कहा कि एक-दो दिन में इस संदर्भ में निर्णय ले लिया जाएगा। कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद ने कहा कि सरकार तीर्थ पुरोहितों को निराश नहीं करेगी।

ध्यानी समिति ने रविवार शाम को अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिस पर उन्होंने इसकी जांच कर जल्द निर्णय लेने की बात कही थी। इस विधेयक के जरिए राज्य सरकार अपने दायरे में चारों धाम – बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री और गंगोत्री सहित राज्य के 51 मंदिरों को लाना चाहती थी।

देवास्थानम बोर्ड का साधु-संत लगातार विरोध कर रहे थे, जिसके बाद सरकार ने इसे भंग कर दिया।सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा- आप सभी की भावनाओं, तीर्थपुरोहितों, हक-हकूकधारियों के सम्मान और चारधाम से जुड़े सभी लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मनोहर कांत ध्यानी जी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है।

सरकार की इस मंशा की भनक लगते ही चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के साथ-साथ बाकी साधु-संत भी इस बिल के विरोध में उतर आए थे। राज्य में पिछले कई महीनों से इस बोर्ड के खिलाफ आंदोलन चलाया जा रहा था। पुरोहितों का कहना था कि इस बिल से उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन होता है। विधानसभा चुनाव से पहले संतों ने आंदोलन को और तीव्र करने की चेतावनी दी थी।

राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव और आंदोलन के तीव्र होने की आशंका के कारण धामी सरकार ने इस बोर्ड को लेकर एक समिति का गठन किया था। इस समिति की अध्यक्षता भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी कर रहे थे। जिसकी रिपोर्ट के बाद ही सरकार ने इस बिल को वापस लेने का फैसला किया है।

तीर्थ पुरोहितों ने 30 नवम्बर तक फैसला न होने पर मोदी की रैली के विरोध का निर्णय लिया गया है। चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने 30 नवंबर के बाद आंदोलन तेज करने का ऐलना किया था। तीन दिसंबर को रुद्रप्रयाग में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। चार दिसंबर को देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की होने वाली रैली का विरोध किया जाएगा। इसके लिए विरोध रैली निकाली जाएगी। महापंचायत ने देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ सरकार की घेरेबंदी तेज कर दी है।

विधेयक को पहली बार 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पेश किया था। उत्तराखंड विधानसभा ने दिसंबर 2019 में इस विधेयक को पारित कर दिया था। विधेयक के पारित होने के बाद से ही संत इसे वापस लेने की मांग कर रहे थे।

  • कब क्या हुआ
  • 27 नवंबर 2019 को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी।
  • 5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम प्रबंधन विधेयक पारित हुआ।
  • 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी।
  • 24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया।
  • 24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों का धरना प्रदर्शन
  • 21 जुलाई 2020 को हाईकोर्ट ने राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करने फैसला सुनाया।
  • 15 अगस्त 2021 को सीएम ने देवस्थानम बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी को बनाने की घोषणा की।
  • 30 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति में चारधामों से नौ सदस्य नामित किए।
  • 25 नवंबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी
  • 27 नवंबर 2021 को तीर्थ पुरोहितों ने बोर्ड भंग करने के विरोध में देहरादून में आक्रोश रैली निकाली।
  • 28 नवंबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री को अंतिम रिपोर्ट सौंपी।
  • 29 नवंबर 2021 को मंत्रिमंडलीय उप समिति ने रिपोर्ट का परीक्षण कर

 

कोरोना का नया वेरिएंट: देशभर में नया वैरिएंट ओमिक्रॉन का खौफ बढ़ा, उत्तराखंड में बाहर से आने वालों की सीमाओं पर होगी कोरोना जांच

उत्तराखंड में एक बार फिर से कोरोना वायरस के मरीज बढ़ने लगे हैं। एक दिन पहले राष्ट्रपति की सुरभा में तैनात सात पुलिसकर्मी और भारी संख्या में सेना के जवान कोविड संक्रमित पाए गए हैं। इसके बाद राज्य में हड़कंप मच गया है। शासन ने राज्य के लिए फिर से दिशा निर्देश जारी किए हैं। पर्यटकों से लेकर नागरिकों को नियमों का पालन करना जरूरी होगा।

उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉ पंकज कुमार पांडेय ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बाहर से आने वाले लोगों की निगरानी के साथ ही कोविड-19 वैरिएंट ओमाइक्रोन के खिलाफ एहतियात के तौर पर सघन जांच भी करें।

  • उत्तराखंड में बढ़ने लगे कोविड-19 वायरस के मरीज
  • एक साथ सेना के कई जवान और पुलिसकर्मी मिले संक्रमित
  • ओमिक्रॉन वैरिएंट का भी बढ़ने लगा है खौफ, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
  • बाहर से आने वाले यात्रियों की जांच उत्तराखंड के बॉर्डर पर ही होगी

उत्तराखंड के डीजी स्वास्थ्य डॉ. तृप्ति भगुना ने कहा कि उत्तराखंड सीएमओ को राज्य के बाहर से आने वाले सभी यात्रियों की जांच के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए राज्य के हर बॉर्डर पर आरटी-पीसीआर कोविड-19 परीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं।

हांगकांग और दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रान मिलने के बाद देशभर में अलर्ट जारी किया गया है। इसके बाद अब उत्तराखंड में भी हर स्तर पर सतर्कता बरती जा रही है। कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करने के साथ ही अस्पतालों में भी पूरी तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। डीजी हेल्थ डा. तृप्ति बहुगणा ने सभी जिलों को निर्देश कि अगर राज्य के बाहर से आने वाले सभी यात्रियों की कोविड जांच की जाए। अगर संक्रमण की पुष्टि होती है तो 14 दिनों त क्वारंटाइन रखा जाए। उन्होंने बार्डर पर कोविड जांच के भी निर्देश दिए।

स्वास्थ्य सचिव ने उचित रोकथाम के लिए जिला स्तर पर निगरानी दल गठित करने के भी निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य सचिव के निर्देश के बाद देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट आर राजेश कुमार ने अधिकारियों को बाजारों में औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया कि यह देखने के लिए कि क्या कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है या नहीं।

क्या है ओमिक्रॉन वैरिएंट
ओमिक्रॉन संस्करण (बी.1.1.529), कोरोनावायरस का एक नया संस्करण, पहली बार बोत्सवाना में 11 नवंबर, 2021 को रिपोर्ट किया गया था, और 14 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में दिखाई दिया।

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा ने रविवार को निदेशक गढ़वाल और निदेशक कुमाऊं के साथ ही सभी जिलों के मुख्य चिकित्सधिकारियों के साथ वीडियोकांफ्रेंसिंग की। इस दौरान उन्होंने वायरस के नए स्वरूप को फैलने से रोकने के लिए कड़े उपाय करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सभी सीएमओ को बाहर से आए लोगों की कांट्रेक्ट ट्रेसिंग करने के साथ ही टेस्टिंग करने को कहा गया है। साथ ही सैंपलिंग बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही महानिदेशक ने सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं।

राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक्सपर्ट कमेटी ने टेस्टिंग बढ़ाने, कान्टैक्ट ट्रैसिंग व रोकथाम के अन्य उपायों पर जोर दिया है। इसके अलावा बार्डर, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट आदि पर भी पुन: सैंपलिंग शुरू करने की बात कही है। कहा कि राज्य में बाहर से आ रहे हर व्यक्ति की जांच अनिवार्य की जाए। वहीं, तमाम आयोजनों में भीड़भाड़ से बचा जाए। राज्य में कोरोना की रोकथाम के लिए गठित एक्सपर्ट कमेटी के अध्यक्ष एवं एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति डा. हेमचंद्र पांडेय ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में कोविड अनुरूप व्यवहार व कुछ प्रतिबंधों को पुन: लागू करना समय की मांग है।

इस समय पूरा ध्यान टेस्टिंग व ट्रैसिंग पर देना होगा। इसके अलावा किसी भी बड़े आयोजन या भीड़भाड़ से बचना चाहिए। आमजन के लिए जरूरी है कि वह मास्क, शारीरिक दूरी, सैनिटाइजेशन आदि का पालन करें। इसके लिए उन्हें खुद जिम्मेदार होना होगा। पुलिस-प्रशासन को भी अब इसे लेकर सख्ती बरतनी होगी। जरा भी लापरवाही कोरोना के फैलाव की आशंका को और बढ़ा सकती है।

कोरोना के लगातार आ रहे नए वेरिएंट को देखते हुए देहरादून में भी शासन-प्रशासन ने जांच की सुविधाओं को बढ़ाना शुरू कर दिया है। दून मेडिकल कॉलेज की लैब में जीनोम सिक्वेंसिंग की जांच शुरू कर दी गई है। इससे पहले जीनोम सिक्वेंसिंग जांच के लिए सैंपल दिल्ली भेजे जा रहे थे। उत्तराखंड में शनिवार को 14 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। हालांकि, किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है। राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या अब 150 हो गई है।

ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम में महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनके परिवार की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पहुंचे सात पुलिस कर्मी कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। पुलिस कर्मियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पौड़ी स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।

दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रान को विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने ‘वैरिएंट आफ कंसर्न’ की कैटेगरी में रखा हुआ है। इसके खतरे को देखते हुए हुए कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया। वैरिएंट आफ कसंर्न वह वैरिएंट्स हैं, जो तेजी से फैलते हैं और गंभीर लक्ष्‍ण दिखाते हैं।

उत्तराखंड में कोरोना के मामले बढ़े, राष्ट्रपति कोविंद की सुरक्षा ड्यूटी पर आए 12 पुलिसवालों समेत 19 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव, मचा हड़कंप

उत्तराखंड में एक बार फिर कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है और राज्य में ढाई महीने बाद कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज सामने आए हैं। रविवार को प्रदेश में एक ही दिन में 36 नए मरीज मिले हैं और इसमें 19 वो कर्मचारी भी शामिल हैं। जो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यक्रम में ड्यूटी के लिए तैनात किए गए थे। जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगमन को लेकर वीआईपी ड्यूटी पर आए 12 पुलिसवालों समेत 19 कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटव मिलने से हड़कंप मच गया। हालांकि, राष्ट्रपति के आगमन से पहले ही सभी को ड्यूटी से हटा दिया गया।शनिवार को वीआईपी ड्यूटी पर परमार्थ निकेतन पहुंचने पर चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून, टिहरी और पौड़ी के करीब 400 पुलिसकर्मियों और कर्मचारियों की कोरोना जांच कराई गई थी। रविवार सुबह इनमें से बारह पुलिसवालों समेत कुल उन्नीस कर्मचारियों में कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हुई। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया। हालांकि इनमें से कोई भी पुलिसकर्मी और कर्मचारी रविवार को वीआईपी ड्यूटी में तैनात नहीं रहा।

रविवार सुबह 19 पुलिसवालों में कोविड संक्रमण  की पुष्टि हुई। टेस्ट रिपोर्ट आते ही पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया। राहत देने वाली बात यह थी कि पॉजिटिव आया कोई भी पुलिसकर्मी रविवार को वीआईपी ड्यूटी में तैनात नहीं रहा। यमकेश्वर ब्लॉक के कोविड नोडल अधिकारी डा. राजीव कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमितों में चमोली, रुद्रप्रयाग, देहरादून और पौड़ी जनपद के 19 पुलिस कर्मी शामिल हैं। विभाग ने संक्रमित जवानों को ड्यूटी से वापस भेज दिया है। सभी जवान अगले 14 दिनों तक होम आइसोलेशन में रहेंगे।
वीआईपी ड्यूटी के लिए आए ये पुलिसकर्मी और कर्मचारी अन्य कर्मचारियों, परमार्थ आश्रम के कर्मचारियों और स्वर्गाश्रम बाजार के दुकानदारों समेत अन्य लोगों के संपर्क में आए थे। स्वास्थ्य विभाग इनके संपर्क में आए लोगों की सूची तैयार कर रहा है। इन सभी की कोरोना जांच कराई जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 24 घंटे में निजी और सरकारी लैब से पांच हजार 372 नमूनों की जांच रिपोर्ट आई है और इनमें पांच हजार 336 नमूनों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। नए मामलों में सबसे अधिक 19 नए मरीज पौड़ी जिले में मिले हैं।जबकि नैनीताल में सात, देहरादून में पांच, हरिद्वार में दो, अल्मोड़ा में दो और यूएस नगर जिले में एक मरीज में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है।

कोरोना के नए वेरिएंट की दस्तक के बाद उत्तराखंड सरकार एक्टिव हो गई है और राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार पूरी तरह से गंभीर है। सीएम धामी ने कहा कि उन्होंने शनिवार को ही सभी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और इस संबंध में सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी के श्री सेमनागराजा त्रिवार्षिक मेला सेममुखेम में प्रतिभाग किया, मुख्यमंत्री धामी ने कहा उत्तराखंड सरकार नागतीर्थ सेम मुखेम को छठें धाम के रूप में विकसित करेगी 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टिहरी के प्रतापनगर के सेम- मुखेम स्थित गड़वागीसौड़ मैदान में आयोजित श्री सेमनागराजा त्रिवार्षिक मेला, जात्रा सेममुखेम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने श्री सेमनागराजा को नमन करते हुए सेम-मुखेम छठे धाम के रुप में विकसित करने की बात की है। उन्होंने कहा कि जब से नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने है तब से भारत का पूरे विश्व में वर्चस्व बढ़ा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा हमारे राज्य में भी धार्मिक पर्यटन सहित राज्य की आर्थिकी को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्य किये जा रहे है।

उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चारधाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। चारधाम की वजह से इसे देवभूमि भी कहते हैं। अब सरकार धामों के विस्तार को लेकर भी योजना बना रही है। पर्यटन और तीर्थाटन की दृष्टि से भी राज्य सरकार कई फैसले ले रही है। इसी कड़ी में राज्य सरकार पांचवें धाम के रुप में सैन्य धाम और छठे धाम के रूप में नागतीर्थ सेम मुखेम को विकसित करने का ऐलान कर चुकी है। जो कि नागतीर्थ और सेमनागराजा के नाम से भी विख्‍यात हैा

सेम-मुखेम नागराज उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिला में स्थित एक प्रसिद्ध नागतीर्थ है। श्रद्धालुओं में यह सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में नागराज फन फैलाये हैं और भगवान कृष्ण नागराज के फन के ऊपर वंशी की धुन में लीन हैं। मन्दिर में प्रवेश के बाद नागराजा के दर्शन होते हैं। मन्दिर के गर्भगृह में नागराजा की स्वयं भू-शिला है। ये शिला द्वापर युग की बतायी जाती है। मन्दिर के दांयी तरफ गंगू रमोला के परिवार की मूर्तियां स्थापित की गयी हैं। सेम नागराजा की पूजा करने से पहले गंगू रमोला की पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण कालिया नाग का उधार करने आये थे। इस स्थान पर उस समय गंगु रमोला का अधिपत्य था, श्री कृष्ण ने उनसे यंहा पर कुछ भू भाग मांगना चाहा लेकिन गंगु रमोला ने यह कह के मना कर दिया कि वह किसी चलते फिरते राही को जमीन नही देते। फिर श्री कृष्ण ने अपनी माया दिखाई, जिसके बाद गंगु रमोला ने शर्त के साथ कुछ भू भाग श्री कृष्ण को दे दिया। जिस शर्त के अनुसार एक हिमा नाम की राक्षस का वध किया।

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहित आज देहरादून में निकालेंगे जन आक्रोश रैली,करेंगे सचिवालय कूच

देवस्थानम बोर्ड के विरोध में शनिवार को चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत आक्रोश रैली निकालेगी। गांधी पार्क से रैली निकाल कर सचिवालय कूच किया जाएगा।देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी महापंचायत का आंदोलन तेज होता जा रहा है। आज तीर्थपुरोहित जन आक्रोश रैली निकाल काला दिवस मनाएंगे।

महापंचायत के प्रवक्ता डॉ. बृजेश सती ने बताया कि कैबिनेट में 27 नवंबर 2019 को श्राइन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसे आज दो साल पूरे होंगे। बोर्ड के प्रस्ताव के विरोध में आज गांधी पार्क से सचिवालय के लिए जन आक्रोश रैली निकाली जाएगी। रैली में चारों धामों के तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी शामिल होंगे।बोर्ड के विरोध में चारों धामों के तीर्थपुरोहित व हकहकूकधारी काला दिवस मनाकर आक्रोश रैली निकालेंगे।

इसके अलावा चारों धामों के शीतकालीन पूजा स्थलों में भी तीर्थ पुरोहित व मंदिरों से जुड़े हकहकूकधारी प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करेंगे। बताया जा रहा है कि राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी रैली को दूरभाष के माध्यम से संबोधित कर सकते हैं।

प्रवक्ता ने बताया कि शनिवार को देहरादून के गांधी पार्क से सचिवालय तक आक्रोश रैली निकाली जाएगी। जिसमें चारों धामों के तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारी शामिल होंगे। गुप्तकाशी में केदार सभा के अध्यक्ष व चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष विनोद शुक्ला के नेतृत्व में विशाल रैली निकाली जाएगी।

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर बीते दिनों तीर्थ पुरोहितों ने कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया। इस दौरान उन्होंने मांग पर मिल रहे आश्वासन पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि सरकार कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ आश्वासन देकर उन्हें गुमराह कर रही है। इस बीच तीर्थ पुरोहितों की कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल से नोकझोंक भी हुई। बाद में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल व बिशन सिंह चुफाल ने उन्हें किसी तरह समझाया।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कोरोना-महामारी का प्रकोप फिर बढ़ने लगा है, (एफआरआई और तिब्बती कॉलोनी) दोनों क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन किया घोषित 

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कोरोना-महामारी का प्रकोप फिर बढ़ने लगा है। यहां एफआरआई ओल्ड हॉस्टल में 11 आईएफएस (IFS) अफसर कोरोना संक्रमित मिले। इसके बाद सहस्त्रधारा रोड स्थित तिब्बती कॉलोनी में भी 6 लोगों की जांच रिपोर्ट कोविड ​-19 पॉजिटिव आई। जिसके बाद इन दोनों क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। यह जानकारी  देहरादून के जिलाधिकारी आर राजेश कुमार ने दी।

 

 

उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि, राज्य में कोविड ​​-19 टेस्ट में कोई कमी नहीं होगी और सरकार एक बार फिर पुनर्विचार करेगी कि सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थापित टेस्टिंग बूथों को हटाया जाए या नहीं। उत्तराखंड के मुख्य सचिव द्वारा राज्य की सीमा और रेलवे स्टेशनों पर पर्यटकों के कोविड 19 टेस्ट को बंद करने का आदेश पारित करने के बाद स्वास्थ्य मंत्री का बयान आया है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य कर्मचारियों को दिया गोल्डन कार्ड का तोहफा, क्या उत्तराखंड का सियासी पासा “गोल्डन कार्ड” के जरिए पलट सकते हैं सीएम धामी

सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार ने चुनाव में जाने से पहले राज्य कर्मचारियों को साधने के लिए एक बड़ी सौगात दी है। चुनावी साल में कर्मचारियों ने शिक्षक और कर्मचारियों के साथ मिलकर समन्वय समिति बनाकर आंदोलन कर रहे हैं। जो कि लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। ऐसे में राज्य कर्मचारियों की एक मांग पूरी कर सरकार राज्य कर्मचारियों को ये भरोषा दिलाने में कामयाब हुई है कि वे कर्मचारियों की अन्य मांगों पर भी जल्द सकारात्मक कदम उठाएंगे।बीते फरवरी माह से कर्मचारी आंदोलन कर रहे थे, जिसमें गोल्डन कार्ड की खामियों को दुुरुस्त करने की मांग की थी। 11 माह से अंशदान कटौती हो रही है लेकिन खामियों की वजह से उपचार नहीं मिल पा रहा था। जिससे लंबे समय से आंदोलन कर रहे कर्मचा​रियों की लंबित मांग पूरी हो गई है।

उत्तराखंड सचिवालय संघ ने गोल्डन कार्ड का शासनादेश जारी होने के बाद कहा कि आज उनके संघर्ष के बाद आखिरकार मुराद पूरी हो गई है। वहीं उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने गोल्डन कार्ड का शासनादेश आने के बाद बैठक बुलाई।चुनावी सीजन में जिस तरह से उत्तराखंड सरकार, वोटरों को लुभाने के लिए फैसले ले रही है, वैसे ही इन फैसलों पर कर्मचारी संगठन भी अपनी राजनीति चमका रहे हैं। गुरुवार को जैसे ही सरकार ने गोल्डन कार्ड पर शासनादेश जारी किया तो वैसे ही कर्मचारी संगठनों ने भी इस श्रेय लेने का मौका बना लिया। कई संगठनों ने खद को श्रेय देते हुए मुख्यमंत्री का आभार जताया।

उत्तराखंड सचिवालय संघ और उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति अपने-अपने स्तर से बड़े निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। राजनैतिक दल की तरह कर्मचारी संगठन भी इसे अपनी जीत बता रहे हैं। जो कि चुनावी साल में लाभ लेने में पीछे नहीं हैं। जिससे सरकार के सामने खुद के संगठनों को मजबूत साबित दिखा सकें। चुनाव से पहले प्रदेश के सभी कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनरों की मांगों के लिए उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति दोबारा से आंदोलन लड रही हैा जिसमें विभिन्न विभागों, निगमों की 14 सूत्री मांगों पर यह समिति एकजुट होकर लड़ाई लड़ रही हैा कर्मचारियों की एक जैसी मांगों को लेकर वर्ष 2019 में इस समन्वय समिति ने आंदोलन किया था, जिसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री स्व. प्रकाश पंत के साथ लिखित समझौता हुआ था। अब चुनाव से पहले सभी कर्मचारी और शिक्षक एक जुट होकर फिर से आंदोलन कर रहे हैा इस बार सचिवालय संघ अपने स्‍तर से अलग से पैरवी कर रहा हैा सीएम बनने केे बाद से पुष्कर सिंह धामी कर्मचारियों की मांगों को खुद सुलझा रहे हैं। जिसका असर दिख रहा हैा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद कर्मचारियों से वार्ता कर मामले को लेकर आश्वासन दे चुके थे। अब शासन ने आदेश भी जारी कर दिया है। राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों की अटल आयुष्मान योजना से बाहर कैशलेस इलाज की व्यवस्था करने की मांग सरकार ने पूरी कर दी है।कर्मचारियों की मांग पूरी विधानसभा चुनाव में जाने से पहले सरकार हर वर्ग को साधने में जुटी है। ऐसे में राज्य कर्मचारियों की भी बड़ी मांग को धामी सरकार ने पूरा कर दिया है। जिससे कर्मचारियों का गुस्सा काफी हद तक ठंडा होना तय है।

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने गोल्डन कार्ड का शासनादेश आने के बाद बैठक बुलाई। बैठक में राज्य सरकार के गोल्डन कार्ड सुधारों से संबंधित शासनादेश जारी होने पर स्वागत किया गया। समिति के प्रवक्ता अरुण पांडेय व प्रताप पंवार ने बताया कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने जो आश्वासन समन्वय समिति को दिया था, उसे आखिर पूरा कर दिया है।उन्होंने कहा कि योजना के तहत चिकित्सालयों की एक दो चिकित्सा सुविधा को ही पंजीकृत किया गया था जबकि समन्वय समिति पूरी चिकित्सा व्यवस्था का लाभ कैशलेस देने की मांग कर रही थी, जिसे मांग लिया गया है। उन्होंने अब इस योजना के सुचारू संचालन के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में शिकायत एवं निगरानी प्रकोष्ठ का गठन करने की मांग की है।

बृहस्पतिवार को स्वास्थ्य सचिव अमित सिंह नेगी ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। जिसमें कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों का कैशलेस सुविधा को अटल आयुष्मान योजना से अलग कर दिया गया है। कर्मचारियों व पेंशनरों को राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) के तहत इलाज की सुविधा मिलेगी। साथ ही केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की दरों पर कैशलेस इलाज किया जाएगा। योजना का संचालन राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के माध्यम से किया जाएगा, लेकिन गोल्डन कार्ड और आईटी सिस्टम की व्यवस्था पहले की तरह लागू रहेगी। योजना में कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए असीमित व्यय पर कैशलेस इलाज की सुविधा है। जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के माध्यम से सूचीबद्ध 2700 से अधिक अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा रहेगी। कर्मचारी संगठनों को मिली संजीवनी राज्य सरकार के निर्णय के बाद राज्य कर्मचारियों में नया उत्साह नजर आ रहा है।

उत्तराखंड नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बनाने के लिए आदेश जारी,(देहरादून जिले के रानी पोखरी में 10 एकड़ भूमि में निर्माण के लिए 50 लाख अवमुक्त किया गया)

उत्तराखंड राष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापना के लिए विधेयक 18 अप्रैल 2011 को पारित हुआ था। उक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल उत्तराखंड सन 2014 व 2018 में दो जनहित याचिका उत्तराखंड राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के गठन में हो रही देरी के संबंध में समुचित आदेश पारित करने के लिए दायर की गई थी। जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को 3 महीने के अंदर मैं विधि विश्वविद्यालय उधम सिंह नगर जिले के पंतनगर में शुरू करने का आदेश दिया था। जिसके फलस्वरूप फरवरी 2019 में राज्य के देहरादून जिले के रानीपोखरी में उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गयी।

22 अप्रैल 2019 द्वारा जिला देहरादून के अंतर्गत स्थित राजकीय रेशम फार्म रानी पोखरी ‌( लिस्ट्रबाद ) सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग ( MSME ) की 10 एकड़ भूमि आवंटित की गई है विश्वविद्यालय के भवन निर्माण के हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में 5.90 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।

13 फरवरी 2019 को माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा दिनांक 19 जून 2018 को पारित अपने आदेश को अवमानना माना था। तदोपरांत राज्य सरकार माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध माननीय उच्चतम न्यायालय में 23 अप्रैल 2019 को SLP दाखिल की थी। इस क्रम में माननीय उच्चतम न्यायालय ने पारित अवमानना आदेश को स्टे कर दिया था। इस संबंध में 28 फरवरी 2019 को यह भी निर्णय लिया गया कि ब्रिडकुल को उत्तराखंड राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु कार्यदाई संस्था नामित किया जाय।

इस संबंध में 9 जुलाई 2021 को सिद्धनाथ उपाध्याय देहरादून द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत उत्तराखंड राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शुरू होने की स्थिति के बारे में उच्च शिक्षा विभाग अनुभाग उत्तराखंड सरकार से सूचना मांगी गई थी। इसी क्रम में टीपे एवं आज्ञाएं पत्रावली द्वारा अवगत अवगत कराया गया की 16 नवंबर 2021 को माननीय मंत्री उच्च शिक्षा सहकारिता प्रोटोकॉल उत्तराखंड द्वारा सहमति/अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया तदुपरांत 17 नवंबर 2021 को उच्च शिक्षा सचिव दीपेंद्र चौधरी की तरफ से राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना निर्माण के लिए आदेश जारी कर दिया गया। इस क्रम में शासन ने प्रथम किस्त 50 लाख रुपए की धनराशि अवमुक्त कर दी। उत्तराखंड  राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय निर्माण के लिए पूर्व में आरक्षित 10 एकड़ भूमि रानीपोखरी देहरादून में उपलब्ध कर दी गई है। उत्तराखंड राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के निर्माण हेतु ब्रिडकुल (उत्तराखंड की सरकारी संस्था) को कार्यकारी संस्था बनाया गया है।

आपको बताना है कि इस समय देश में कुल 23 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय है। उत्तराखंड  राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के गठन के बाद देश में कुल 24 राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय हो गए हैं। इसमें क्लेट (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) के माध्यम से दाखिले होते हैं यह परीक्षा वर्ष में एक बार 5 वर्षीय विधि स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए आयोजित की जाती है।

क्लैट 2022 -2023 की परीक्षा वर्ष 2022 में आयोजित की जाएगी। जिससे की सत्र को नियमित किया जा सके। इस व्यवस्था से छात्रों को फायदा होगा। क्लैट (CLAT) 2022 परीक्षा की तारीख 8 मई 2022 निर्धारित की गई है। जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जनवरी में शुरू होगी। क्लैट (CLAT) 2022 परीक्षा की तारीख 8 मई 2022 निर्धारित की गई है। जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जनवरी में शुरू होगी।