उत्तराखंड की सत्ता में वापसी कर बीजेपी ने नया इतिहास रचा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट हार गए हैं। इसके बावजूद राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर उन्होंने बीजेपी की प्रतिबद्धता दोहराई है। विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी ने सत्ता में लौटने पर इसे लागू करने का वादा किया था।
मुख्यमंत्री आवास के बाहर मीडिया से बातचीत में पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय नेतृत्व, पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह का दोबारा भरोसा जताने पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि मेरे जैसे सामान्य कार्यकर्ता, एक सैनिक के बेटे को मुख्य सेवक के रूप में काम करने का मौका मिला है।
इस दौरान नेता सदन पुष्कर धामी ने मीडिया से खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान जो वादे किए गए थे, वह पूरे किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी घोषणा उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की हुई थी, जिसकी प्रक्रिया का है जल्द शुरू कर देंगे। समान नागरिक संहिता अभी तक केवल गोवा में लागू है।
नतीजों के बाद देहरादून में धामी ने जनता का आभार जताते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा, “सरकार बनाने के बाद हम एक उच्च स्तरीय समिति बनाएँगे। समिति एक ड्राफ्ट तैयार करेगी और हम इसे उत्तराखंड में लागू करेंगे, जैसा कि हमने राज्य के लोगों से वादा किया है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि शपथ ग्रहण के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कमेटी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इस कमेटी में न्यायविदों, सेवानिवृत्त लोगों और प्रबुद्धजन को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद किसी भी धर्म व जाति के लोगों के साथ अन्याय नहीं होगा। सभी को समान नागरिकता का अधिकार मिलेगा।
विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन रुद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से इसका वादा किया था। उन्होंने कहा था कि राज्य में भाजपा के दोबारा सत्ता में आने के बाद सबसे पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा। इससे सभी धर्मों के नागरिकों के लिए समान कानून लागू हो जाएगा।
समान नागरिक आचार संहिता यानी Uniform Civil Code के बारे में संविधान के अनुच्छेद-44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी है इस कानून को लागू करना पर अभी ये लागू नहीं हो पाया है। इस बारे में संविधान का भी कहना है कि सरकार विचार विमर्श करें। गोवा राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। देश में कई मामलों के लिए भी यूनिफॉर्म कानून है। लेकिन अगर बात शादी, तालाक जैसे मुद्दों की करें तो अब भी पर्सनल लॉ के अनुसार ही फैसला होता है।