सरकार द्वारा देश में सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 19 चीजों पर प्रतिबंध लग गया है. आज से इन चीजों को बनाने, बेचने, इस्तेमाल करने, स्टोर करने और एक्सपोर्ट करने पर प्रतिबंध लग गया है. ये प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है, ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके. इनमें थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक होता है, जिसे सिर्फ एक बार इस्तेमाल करने के लिए बनाया जाता है या जिसे एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है. ऐसे प्लास्टिक न तो डि-कंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है. इनके टुकड़े पर्यावरण में जहरीले रसायन छोड़ते हैं, जो इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक होते हैं. इसके अलावा, सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा बारिश के पानी को जमीन के नीचे जाने से रोकता है, जिससे ग्राउंड वॉटर लेवल में कमी आती है.
अगस्त 2021 में अधिसूचित नियम और 2022 के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने के भारत के प्रयासों के तहत 31 दिसंबर, 2022 तक प्लास्टिक कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई को मौजूदा 75 माइक्रोन से 120 माइक्रोन में बदल दिया जाएगा। मोटे कैरी बैग सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के उद्देश्य से लाए जाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे और अधिकारियों की टीम को प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के अवैध उत्पादन, आयात, वितरण, बिक्री रोकने का काम सौंपा जाएगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगभग चार साल पहले अनुमान लगाया था कि भारत प्रतिदिन लगभग 9,200 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, या एक वर्ष में 3.3 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक। उद्योग के एक वर्ग ने दावा किया है कि देश में लगभग 70 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे को रिसायकल किया जाता है।
500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा
1 जुलाई से आम लोगों पर प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा। वहीं, औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा। ऐसे लोगों पर 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर पांच साल की जेल या दोनों सजा भी दी जा सकती है।