उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव शुरू होते ही राजनीतिक गहमा गहमी तेज हो गई।उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पर कार्रवाई की गई है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को सभी पदों से हटा दिया है। उनको लेकर पिछले कुछ दिनों से बीजेपी नेताओं के संपर्क में होने की चर्चाएं चल रही थीं। किशोर उपाध्याय पिछले कई दिनों से बीजेपी नेताओं के संपर्क में हैं। इसके लिए उन्हें पार्टी की तरफ से लगातार कई वॉर्निंग भी दी गई थी। बावजूद इसके वो अभी भी बीजेपी नेताओं से मिल रहे थे।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने चार जनवरी की रात भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार से मुलाकात की थी। इस दौरान वहां केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी भी मौजूद थे। इस मुलाकात के बाद किशोर उपाध्याय के भाजपा में जाने की चर्चाएं तेज हो गईं थीं।
किशोर उपाध्याय ने अटकलों को किया खारिज हालांकि किशोर उपाध्याय ने बीजेपी में जाने की खबरों को सिर्फ अफवाह करार दिया था और इन्हें खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वो अपने वनाधिकार आंदोलन को लेकर अलग-अलग नेताओं से मुलाकात कर रहे थे, क्योंकि वह चाहते थे कि उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव पहाड़ी राज्य की चिंताओं पर लड़ा जाए।
किशोर उपाध्याय ने कहा था कि ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं दिया जाए कि मैं बीजेपी में जा रहा हूं। भले ही किशोर उपाध्याय ने इन खबरों को खारिज कर दिया हो, लेकिन चुनावी मौसम में भाजपा नेताओं के साथ उनकी मुलाकात राज्य के सियासी पारे को बढ़ा चुकी है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच भी कई तरह के मतभेद चल रहे थे। उनकी गतिविधियों को देखते हुए बुधवार को कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को चुनाव संबंधित समितियों समेत सभी पदों से हटा दिया है। इस संबंध में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने आदेश जारी कर दिया है। इस कार्रवाई के बाद कांग्रेस के भीतर हलचल तेज हो गई है।संगठन की ओर से भी पार्टी के प्रति निष्ठा से काम न करने वालों को सचेत कर दिया गया है।
उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने बागी तेवर दिखाकर पहले ही कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं। पिछले महीने हरीश रावत ने ट्विटर पर लगातार कई सारे ट्वीट किए थे, जिसमें उन्होंने बागी तेवर दिखाए थे। हालांकि बाद में उन्होंने अपने ट्वीट पर सफाई दी थी और कहा था कि वो कांग्रेस में ही हैं और रहेंगे। हालांकि हरीश रावत के ट्वीट को लेकर ये भी कहा गया था कि वो राजनीति से संन्यास ले सकते हैं।