उत्तराखंड हाइकोर्ट ने चारधाम यात्रा के श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए जाने के मामले को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की।उत्तराखंड हाई कोर्ट ने यात्रियों की सीमित संख्या को खत्म कर दिया है।कोर्ट ने चारधाम में अपर लिमिट हटा दी है लेकिन कोर्ट ने साफ किया है कि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और यात्रा में आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य होगी। कोर्ट ने सरकार से कहा कि यात्रा के दौरान मेडिकल सुविधाओं की कोई भी कमी यात्रियों के लिए न हो और महिलाओं व बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाए। चीफ जस्टिस कोर्ट ने चारों धामों में मेडिकल एमरजेंसी के लिए हेलीकॉप्टर व्यवस्था करने को कहा और यात्रियों को इसकी सुविधा के संबंध में पूरी जानकारी देने को कहा। इससे पहले सरकार ने कोर्ट में केदारनाथ बद्रीनाथ समेत सभी धामों में यात्रियों की संख्या को बढ़ाने की मांग की थी।
हाइकोर्ट नैनीताल ने बदरीनाथ-केदारनाथ सहित चारधाम यात्रा के श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए जाने के मामले को लेकर दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई।कोर्ट ने साफ किया कि शासन को कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित कराना होगा। कोर्ट के आदेश से सरकार को बड़ी राहत मिली है।मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि चारधाम यात्रा करने के लिए कोविड को देखते हुए कोर्ट ने पूर्व में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित कर दी थी, लेकिन वर्तमान समय मे प्रदेश में कोविड के केस ना के बराबर आ रहे हैं, इसलिए चारधाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं की निर्धारित संख्या के आदेश में संशोधन किया जाए।
चारधाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या को लेकर उत्तराखंड सरकार को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अब असीमित संख्या में तीार्थयात्री चारधाम यात्रा कर सकेंगे। हाइकोर्ट में आज चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाने के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने चारधाम में तीर्थयात्रियों की संख्या को लेकर फैसला सुनाया। बता दें कि पूर्व में कोर्ट ने केदारनाथ धाम के लिए प्रतिदिन 800, बदरीनाथ धाम के लिए 1000, गंगोत्री के लिए 600, यमुनोत्री के लिए 400 श्रद्धालुओं की ही अनुमति दी थी।