महात्मा गांधी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोबाइल ऐप ‘हर घर जल’ तथा राष्ट्रीय जल जीवन कोष का शुभारंभ किया, कहा- पानी बचाने के प्रयास जरूरी; लोगों को अपनी आदतें बदलनी होंगी

आज महात्मा गांधी की जयंती है, जिसे अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। 2 अक्टूबर को हर वर्ष गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म  2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महात्मा गांधी का विशेष योगदान रहा है। महात्मा गांधी को बापू के नाम से भी जाना जाता है।

2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती के अलावा देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी होती है। आज गांधी जयंती के मौके पर बापू को पूरा देश नमन कर रहा है।महात्‍मा गांधी की जयंती के खास अवसर पर आज राजघाट स्थित गांधी समाधि स्थल पर सर्व-धर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला, दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजघाट पहुंचकर राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।

महात्मा गांधी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जल जीवन मिशन एप को लांच किया। इस दौरान उन्होंने जल जीवन कोष (राष्ट्रीय जल कोष) भी लांच किया। उन्होंने इस दौरान जल जीवन मिशन के लाभार्थियों से बातचीत भी की। पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड, मणिपुर और गुजरात सहित देश के पांच राज्यों में जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के लाभार्थियों के साथ बातचीत की। पीएम मोदी ने इस दौरान पानी समितियों और ग्राम पंचायतों के साथ संवाद भी किया।

मोदी ने हर घर नल जल योजना को विकेन्द्रीकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उभारने का बहुत बड़ा आंदोलन बताते हुए आज कहा कि गांवों और महिलाओं द्वारा संचालित इस मिशन से महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज को साकार किया जा रहा है।

मोदी ने आज यहां जल जीवन मिशन के मोबाइल ऐप ‘हर घर जल’ तथा राष्ट्रीय जल जीवन कोष का शुभारंभ किया और कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता देश के ग्रामीण क्षेत्रों के हर घर को नल से जल पहुंचाना है। उनका कहना था कि गांव की महिलाएं हर दिन कई किलो मीटर दूर जाकर पोखड़ों और नदियों से पानी लाती हैं, इस पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन उन्होंने जो जल जीवन मिशन शुरू किया है, उससे गांव के इन लोगों का जीवन बहुत आसान हो जाएगा।

प्रधानमंत्री से बातचीत में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की बबेरू तहसील के एक गांव के प्रधान गिरिजा कांत तिवारी, गुजरात के बनासकांठा जिले के एक गांव के प्रधान रमेश भाई पटेल, उत्तराखंड से कौशल्या, तमिलनाडु में के. सुधा, मणिपुर से एल. सरोजिनी देवी ने अपने अपने क्षेत्र में नल से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति से आये बदलावों की जानकारी दी और सरकार का आभार व्यक्त किया।

मोदी ने इस मौके पर अपने संबोधन में महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को याद किया। उन्होंने कहा कि पूज्य बापू और लाल बहादुर शास्त्री जी इन दोनों महान व्यक्तित्वों के हृदय में भारत के गांव ही बसे थे। यह खुशी की बात है कि आज के दिन देशभर के लाखों गांवों के लोग ‘ग्राम सभाओं’ के रूप में जल जीवन संवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जल जीवन मिशन का विजन, सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाने का ही नहीं है। ये विकेंद्रीकरण का भी बहुत बड़ा आंदोलन है। ये गांवों एवं महिलाओं द्वारा संचालित आंदोलन है। इसका मुख्य आधार, जनआंदोलन और जनभागीदारी है।’’ उन्होंने कहा कि जनता की भागीदारी से ही सरकार का कोई भी कार्यक्रम सफल हो सकता है चाहे जल जीवन मिशन हो या कोविड का टीकाकरण।

मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह तो गुजरात जैसे राज्य से हैं जहां अधिकतर सूखे की स्थिति दिखायी देती है। उन्होंने ये भी देखा है कि पानी की एक-एक बूंद का कितना महत्व होता है। इसलिए गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए, लोगों तक जल पहुंचाना और जल संरक्षण, उनकी प्राथमिकताओं में रहे। प्रधानमंत्री बनने के लिए उन्होंने देश भर में इस काम को प्राथमिकता दी।

उन्होंने कहा, ‘‘आजादी से लेकर 2019 तक, हमारे देश में सिर्फ 3 करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था। 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से, 5 करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। यानी पिछले सात दशकों में जो काम हुआ था, आज के भारत ने सिर्फ 2 साल में उससे ज्यादा काम करके दिखाया है।उन्होंने कहा कि देश में पानी के प्रबंधन एवं कृषि ंिसचाई को खड़ा करने का बड़े स्तर पर काम चल रहा है। गंगा के अलावा कई अन्य नदियों के जल को प्रदूषण मुक्त करने और भूजल स्तर उठाने का प्रयास चल रहा है।

प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की, ‘‘मैं देश के हर उस नागरिक से कहूंगा जो पानी की प्रचुरता में रहते हैं, कि आपको पानी बचाने के ज्यादा प्रयास करने चाहिए और निश्चित तौर पर इसके लिए लोगों को अपनी आदतें भी बदलनी ही होंगी।’’ हर घर जल को ग्रामीण भारत एवं महिला सशक्तीकरण का बहुत प्रभावी औजार बताते हुए मोदी ने कहा कि गांव की महिलाओं का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। बीते वर्षों में बेटियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। घर और स्कूल में टॉयलेट्स, सस्ते सैनिटेरी पैड्स से लेकर, गर्भावस्था के दौरान पोषण के लिए हजÞारों रुपए की मदद और टीकाकरण अभियान से मातृशक्ति और मजबूत हुई है। भारत का विकास गांवों के विकास पर ही निर्भर है। गांव में रहने वाले लोगों,युवाओं, किसानों के साथ सरकार ऐसी योजनाओं को प्राथमिकता दे रही है, जो गांवों को और अधिक सशक्त बनाए।

उन्होंने कहा कि गांव के लोगों को गांव में ही बेहतर उपचार मिले, इसके लिए 1.5 से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के पांच वर्षों में जितनी मदद सरकार ने बहनों के लिए भेजी, बीते सात वर्षों में उसमें लगभग 13 गुना बढ़ोतरी की गई है। लगभग पौने चार लाख करोड़ रुपये का ऋण भी स्वयं सहायता समूह की माताओं-बहनों को उपलब्ध कराया गया है।

इस मौके पर शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में पानी की सुलभता का बड़ा प्रयोग करके जनजीवन में बड़ा परिवर्तन लाने में कामयाबी पायी थी। अब पूरे देश में हर गांव हर घर में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का संकल्प लिया गया है। उनकी प्रेरणा से हम नयी ऊर्जा और शक्ति से इसे क्रियान्वित करने के लिए आगे बढ़ेंगे।

उल्लेखनीय है कि मोदी ने प्रत्येक परिवार को स्वच्छ नल-जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 के लिए एक लाख 42 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। मिशन की शुरुआत के समय, केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास नल-जल आपूर्ति की सुविधा थी।

कोविड-19 महामारी के बावजूद, पिछले दो वर्षों में 5 करोड़ से अधिक परिवारों को नल-जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। अब तक लगभग 8.26 करोड़ (43 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के लिए उनके घरों में नल-जल की आपूर्ति की जा रही है। देश के 78 जिलों, 58 हजार ग्राम पंचायतों और 1.16 लाख गांवों में प्रत्येक परिवार को नल-जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। अब तक 7.72 लाख (76 प्रतिशत) स्कूलों तथा 7.48 लाख (67.5 प्रतिशत) आंगनवाड़ी केंद्रों में नल-जल आपूर्ति की सुविधा प्रदान की गई है। करीब दो हजार पानी गुणवत्ता जांच प्रयोगशालायें स्थापित की है और सात लाख महिलाओं को पानी की गुणवत्ता की जांच करने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

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