राज्य के स्कूल भी खुले गए , लेकिन कोविड कर्फ्यू भी बढ़ा गया , स्कूल खुलने के फैसले के खिलाफ मामला हाईकोर्ट में…

उत्तराखण्ड कैबिनेट के फैसले के अनुसार प्रदेश में 2 अगस्त 2021 से स्कूल खोल दिए गए हैं। वहीं दूसरी ओर देर शाम कोविड-19 के नियंत्रण हेतु कोविड कर्फ्यू के संबंध में नई गाइडलाइन भी जारी की गई है, जिसके तहत प्रदेश में अब कोविड कर्फ्यू 10 अगस्त 2021 तक बढा दिया गया है। नई गाइडलाइन के मुताबिक राज्य के समस्त शासकीय एवं निजी विद्यालय, विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार संचालित होंगे। प्रदेश के समस्त औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, पॉलीटेक्निक, महाविद्यालय, मेडिकल एवं नर्सिंग कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, समस्त विश्वविद्यालय एवं अन्य समस्त संस्थान को खोलने के लिए संबंधित विभाग द्वारा मानक प्रचलन विधि कोविड प्रोटोकॉल के साथ खोले जाने हेतु पृथक से जारी की जाएगी एवं उसकी संबंधित संस्थानों द्वारा कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाएगा।

वहीं राज्य में 2 अगस्त से स्कूल खोलने का मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया है। हाईकोर्ट में कैबिनेट के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है, कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कैबिनेट के निर्णय के बजाय संबंधित शासनादेश को चुनौती देने को कहा है, मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी।

देहरादून के विजय सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बीते दिनों कैबिनेट ने कक्षा 6 से बारह तक के विद्यालयों को खोलने का ऐलान किया, प्रदेश में कोरोना संकट जारी है। पहाड़ी क्षेत्रों में अब भी बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन की पहली डो़ज तक नहीं लगी है। ऐसे में सरकार का निर्णय गलत है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बतााय गया कि उन्होंने कैबिनेट के निर्णय को चुनौती देते हुए 29 जुलाई को याचिका दायार की है। सरकार से संबंधित जिओ 31 जुलाई को जारी किया गया ऐसे में उन्हें जनहित याचिका में संशोधन को समय दिया जाए, इस पर कोर्ट ने समय दे दिया। राज्य में कई अभिभावक संगठन भी सरकार के स्कूल खोलने के फैसले के खिलाफ हैं, अभिवावक संघों का कहना है कि स्कूलों के दबाव में सरकार ने यह फैसला लिया है। अभिभावकों से सहमति पत्र भरवाकर स्कूल जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं, स्कलों को बच्चों की कोई परवाह नहीं है।

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