11 दिवसीय मेले में 28 राज्यों के लगभग 500 आदिवासी कारीगर और कलाकार शामिल होंगे। जबकि 13 राज्यों के आदिवासी रसोइए मिलेट्स में जायके का तड़का लगाएंगे, जिसमें रागी हलवा, कोदो की खीर, मांडिया सूप समेत अन्य व्यंजनों का लुत्फ उठा सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार यानी 16 फरवरी को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रीय आदि महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। सरकार जनजातीय मास्टर शिल्प और महिलाओं को सीधे बाजार तक पहुंच उपलब्ध करवाने के मकसद से इस महोत्सव का आयोजन कर रही है। दर्शकों को 16 से 27 फरवरी तक आयोजित होने वाले इस महोत्सव में आदिवासी शिल्प, संस्कृति, व्यंजन और व्यापार से सीधे रूबरू होने का मौका मिलेगा।
खास बात यह है है कि 11 दिवसीय मेले में 28 राज्यों के लगभग 500 आदिवासी कारीगर और कलाकार शामिल होंगे। जबकि 13 राज्यों के आदिवासी रसोइए मिलेट्स में जायके का तड़का लगाएंगे, जिसमें रागी हलवा, कोदो की खीर, मांडिया सूप, रागी बड़ा, बाजरा की रोटी, बाजरा का चुरमा, मडुआ की रोटी,भेल, कश्मीरी रायता, कबाब रोगन जोश आदि का जायका खास तौर पर मिलेगा।
जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोमवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडिया गेट सर्कल पर आयोजित होने वाले ””आदि महोत्सव का आगाज करेंगे। आदिवासी व्यंजनों, जनजातीय समुदायों के कारीगरों और शिल्पकारों के प्रोडेक्ट को दर्शाती प्रदर्शनी भी देखेंगे। आत्मनिर्भर भारत मुहित के तहत जनजातीय समुदायों की पूर्ण भागीदारी और भागीदारी सुनिश्चित करने के मकसद से इसका आयोजन किया जा रहा है। जैविक उत्पादन को बढ़ावा देना मुख्य मकसद है। दिल्ली के अलावा देश के अन्य शहरों में भी इस प्रकार के महोत्सव आयोजित किए जा रहे हैं।
आदिवासी कारीगरों के डिजाइन कपड़े भी दिखेंगे
आदिवासी कारिगरों द्वारा तैयार कपड़ों में शीर्ष डिजाइनरों के डिजाइन दिखेंगे। देश समेत विदेशी मार्केट को देखते हुए केंद्र सरकार के संगठन ट्राइफेड जनजातीय उत्पादों में गुणवत्ता और समकालीन डिजाइन सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष डिजाइनरों के साथ काम कर रहा है। महोत्सव में आदिवासी हस्तशिल्प, हथकरघा, पेंटिंग, आभूषण, बेंत और बांस, मिट्टी के बर्तन, भोजन और प्राकृतिक उत्पाद, उपहार और वर्गीकरण, जनजातीय व्यंजन और 200 स्टालों के माध्यम से इसे प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी-सह-बिक्री की सुविधा होगी।
बाजरा पर मुख्य फोकस
महोत्सव में 13 राज्यों के आदिवासी रसोइय शामिल हो रहे हैं। बाजरा आदिवासी समुदायों का मुख्य आहार है और संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया है। इसी के तहत यहां पर जनजातीय बाजरा के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिए जनजातीय कारीगरों को बाजरा (श्री अन्ना) उत्पादों और व्यंजनों को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसके अलावा बाजरा से बने व्यंजन भी खास तौर पर मिलेंगेे। यहां पर तमिलनाडूृ, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर आदि के आदिवासी जायका का लुत्फ भी मिलेगा।