News web media Uttarakhand : 12 मार्च को झंडे जी के आरोहण के साथ ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू हो जाएगा। इसमें शामिल होकर पुण्यलाभ कमाने के लिए देश के कोने-कोने से संगतें दरबार साहिब पहुंच रही हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान आदि से संगतों का आना जारी है। दरबार साहिब के सज्जादानशीन महंत देवेंद्र दास महाराज संगतों को आशीर्वाद दे रहे हैं।
करीब एक माह तक चलने वाले देहरादून के ऐतिहासिक झंडा मेला की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। संगतों के ठहरने से लेकर भोजन आदि का पूरा इंतजाम किया गया है। विभिन्न धर्मशालाओं में रुकने की व्यवस्था है। मेला कमेटी और पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
सीसीटीवी कैमरों से हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। वहीं, इस बार झंडा रोहण की पूर्व संध्या पर श्री महाकाल सेवा समिति की ओर से श्री महंत इंदिरेश अस्पताल ब्लड बैंक के सहयोग से रक्तदान शिविर लगेगा। संस्था के अध्यक्ष रोशन राणा ने बताया कि महंत देवेंद्र दास ने रक्तदान शिविर के बैनर का विमोचन किया है। साथ ही क्षेत्रवासियों और श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया गया।
गुरु रामराय महाराज के दून आगमन की खुशी में लगता है मेला
सिखों के सातवें गुरु हरराय महाराज के ज्येष्ठ पुत्र गुरु रामराय महाराज के देहरादून आगमन की खुशी में हर साल झंडा मेला लगता है। वर्ष 1675 में चैत्र मास कृष्ण पक्ष की पंचमी को गुरु रामराय महाराज ने दून में कदम रखा था। इसके बाद 1676 से यह उत्सव मनाया जाता है। मेले में झंडे जी पर गिलाफ चढ़ाया जाता है।
चैत्र में कृष्ण पक्ष की पंचमी के दिन पूजा-अर्चना कर पुराने झंडे जी को उतारकर ध्वजदंड में बंधे पुराने गिलाफ, दुपट्टे आदि हटाए जाते हैं। दरबार साहिब के सेवक दही, घी और गंगाजल से ध्वज दंड को स्नान कराते हैं। इसके बाद झंडे जी को गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू होती है। सबसे ऊपर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है।
पवित्र जल छिड़कने के बाद श्रद्धालु रंगीन रुमाल, दुपट्टे आदि बांधते हैं। कहा जाता है कि पहले पंजाब और हरियाणा से ही संगतें दरबार साहिब पहुंचती थीं। इसके बाद झंडे जी की ख्याति देश-दुनिया में फैलने लगी। अब लाखों श्रद्धालु झंडे जी के दर्शन करने पहुंचते हैं। दरबार साहिब के आंगन में सद्भाव के सांझा चूल्हे से रोजाना हजारों लोग एक ही छत के नीचे भोजन ग्रहण करते हैं। अलग-अलग स्थानों पर भी लंगर चलते हैं।