पेपर लीक मामले में आयोग ने की बड़ी कार्रवाई, 180 अभ्यर्थियों पर लगा पांच साल का बैन

News web media uttarakhand : आयोग ने पेपर लीक मामले में आरोपी 180 अभ्यर्थियों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है। आरोपी अभ्यर्थी अब पांच साल तक आयोग की किसी भी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे।

प्रदेश में एक के बाद एक पेपर लीक के मामले सामने आने के बाद लोगों में आक्रोश था। जिसके बाद नकल रोधी कानून लाकर सरकार ने आरोपियों पर सख्त कार्रवाई शुरू की। इस मामले में अब आयोग ने बड़ी कार्रवाई की है। आयोग ने चार भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल के आरोपी 180 अभ्यर्थियों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है।

अभ्यर्थियों को जारी किया गया था कारण बताओ नोटिस

पेपर लीक मामले में आरोपी इन अभ्यर्थियों को इस से पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा 2021, वन दरोगा ऑनलाइन परीक्षा 2021, सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा 2021 और वीपीडीओ भर्ती परीक्षा 2016 में पेपर लीक में संलिप्त 180 अभ्यर्थियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

कुछ अभ्यर्थियों के तो नोटिस डाक के माध्यम से वापस आ गए थे। जिनके लिए आयोग ने फिर से 29 अप्रैल को वेबसाइट पर अलग से सूची जारी करते हुए जवाब मांगा था।

अब तक इतने अभ्यर्थी हुए डिबार

अब तक प्रदेश में स्नातक स्तरीय परीक्षा में 112 अभ्यर्थी, वन दरोगा ऑनलाइन परीक्षा में 20 अभ्यर्थी, सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा में 14 अभ्यर्थी और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी परीक्षा में 34 अभ्यर्थी डिवार किए गए हैं। डिबार हुए सभी अभ्यर्थी अब आयोग की किसी भी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे।

19 अभ्यर्थियों पर भी लटकी तलवार

प्रदेश में 19 अभ्यर्थियों पर भी तलवार लटकी हुई है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की एलटी भर्ती के साथ ही कई अन्य परीक्षाओं के 19 और अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन 19 अभ्यर्थियों से भी 17 मई की शाम छह बजे तक जवाब मांगा गया था। जल्द ही आयोग इन सभी पर भी कार्रवाई कर सकता है।

कितने की स्पीड से चलेगी ट्रेन कैसे तय करता है लोको पायलट! जानिए

News web media Uttarakhand : लोको पायलट को ये कैसे पता चलता है कि ट्रेन को कितने की स्पीड पर लेकर आगे जाना है. आपने देखा ही होगा कि कई बार ट्रेन अचानक तेज चलने लगती है और फिर थोड़ी ही देर में बिलकुल धीमी हो जाती है. वैसे तो इसमें सिग्नल के ग्रीन, येलो या रेड होने का अहम /योगदान होता है. लेकिन फिर भी एक सवाल मन में रह जाता है कि ट्रेन की एग्जेक्ट स्पीड आखिर कैसे तय होती है. बहुत कम ही लोग इस बारे में जानते होंगे कि आखिर ट्रेन की अधिकतम स्पीड लोको पायलट कैसे तय करता है.

मुख्यत: 2 बातों पर निर्भर करता है कि कोई ट्रेन किसी सेक्शन में अधिकतम कितने की स्पीड से चलेगी. ये दोनों ही बातें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. सबसे पहले ट्रेन की स्पीड इस बात से इस बात पर निर्भर करती है कि उस सेक्शन में अधिकतम कितनी गति से चलने की अनुमति दी गई है. मान लीजिए किसी सेक्शन में ट्रेन की अधिकतम स्पीड 90 किलोमीटर प्रति घंटा ही हो सकती है. तो ट्रेन ज्यादा से ज्यादा उतनी स्पीड तक ही चलेगी. भले ही ट्रेन की खुद की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा ही क्यों न हो. इस बारे में सारी जानकारी लोको पायलट को ट्रेन ले जाने से पहले टाइम टेबल में दी जाती है

ट्रेन की खुद की स्पीड
दूसरा फैक्टर होता है ट्रेन की खुद की अधिकतम स्पीड. अगर किसी सेक्शन की अनुमति प्राप्त अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर है लेकिन ट्रेन की अपनी सर्वोच्च स्पीड केवल 90 किलोमीटर प्रति घंटा है तो फिर वह ट्रेन उतनी ही गति से चल पाएगाी. ट्रेन की स्पीड को कब अधिकतम और न्यूनतम पर ले जाना है यह सिग्नल से पता चलता है. ग्रीन सिग्नल होने पर ट्रेन फुल स्पीड से निकल सकती है. वहीं, येलो सिग्नल का मतलब होता है कि स्पीड को घटा दें और अगले सिग्नल पर स्टॉप (रेड सिग्नल) के लिए तैयार रहें.

येलो सिग्नल पर कितनी गिरानी होती है स्पीड
भारतीय रेलवे के अनुसार, जहां ऑटोमैटिक सिग्नल काम कर रहे होते हैं वहां पीला सिग्नल देखते ही लोको पायलट को स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटे घटा देनी चाहिए. उसे तब तक ट्रेन को उसी स्पीड पर चलाना चाहिए जब तक की आगे सिग्नल ग्रीन नहीं मिल जाता. अगर धुंध व कोहरा है तो ऑटोमैटिक सिग्नल वाले रास्ते पर ट्रेन की स्पीड ग्रीन सिग्नल होने पर भी 60 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए.

CBSE 10th Result 2023: नतीजे घोषित होते ही झूम उठे छात्र-छात्राएं

News web media Uttarakhand : सीबीएसई बोर्ड ने शुक्रवार को 10वीं का रिजल्ट जारी कर दिया है । इस साल 10वीं में 93.12% विघार्थी पास हुए हैं। रिजल्ट देखने के बाद छात्र-छात्राएं काफी खुश हैं।

93.12 % विघार्थी 10वीं में पास

इस साल सीबीएसई कक्षा 10वीं में 93.12% प्रतिशत छात्र-छात्राएं पास हुए है। पिछले साल की तुलना में इस साल पास प्रतिशत में 1.28% की कमी आई है। वहीं लड़कियों का पास प्रतिशत 94.25% है, जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 92.27% है। इंटरमीडिएट की ही तरह 10वीं में भी त्रिवेंद्रम क्षेत्र का पास प्रतिशत सबसे अधिक 99.91% है ।

10वीं में देहरादून रीजन के 90.61 % पास

देहरादून में 10वीं के रिजल्ट में देहरादून रीजन के 90.61 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं। परीक्षा परिणाम घोषित होते ही छात्र-छात्राओं के साथ ही अभिभावकों व शिक्षकों ने भी खुशी जाहिर की। काफी समय से सभी विघार्थी अपने रिजल्ट का इतंजार कर रहे थे और आज नतीजे आने के बाद सभी के चेहरे खिल गए।

देहरादून में 12 वीं में 80.26% छात्र हुए पास

इस बार देहरादून में 12वीं में पास प्रतिशत 87.33 रहा है। देहरादून रीजन में  80.26% छात्र पास हुए हैं। सीबीएसई के 38 लाख छात्र अपने परीक्षा परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। पहले 10 मई को नतीजे जारी होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन आज छात्रों को इंतजार खत्म हुआ।

सीबीएसई ने नहीं की मेरिट लिस्ट जारी

शुक्रवार को सीबीएसई की ओर से 10वीं और 12वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा परिणाम जारी कर दिए गए हैं, लेकिन इस बार सीबीएसई की ओर से मेरिट लिस्ट जारी नहीं की है। इस साल टॉपर छात्र का चुनाव नहीं किया जा सकेगा। हालांकि स्कूल टॉपर की जानकारी स्कूलों से मिल सकती है। लेकिन सीबीएसई ने स्कूलों को भी दिशा निर्देश जारी किए हैं।

मेघालय के वैज्ञानिक खनन के लिए लंबे समय से किए जा रहे अथक प्रयासों को मिली उम्मीद की किरण

News web media uttarakhand : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने अप्रैल 2014 में मेघालय राज्य में कोयला खनन और परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। 2014-15 में स्थिर कीमतों पर GSDP के आंकड़े बताते हैं कि, इस फैसले की वजह से खनन उद्योग को (-) 59.36% की नकारात्मक वृद्धि का सामना करना पड़ा। इसने समग्र रूप से GSDP को बुरी तरह प्रभावित किया, जिसमें (-) 2.82% की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। GSDP में आई कमी की वजह से मेघालय के राजस्व संग्रहण लक्ष्यों को प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा को बड़ा झटका लगा अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के अलावा, इस प्रतिबंध ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खनन क्षेत्र पर आश्रित हजारों नागरिकों की जिंदगी को बुरी तरह से तबाह कर दिया। कई लोगों का रोजगार छिन गया और उन्हें अपने परिवार का पेट पालने के लिए छोटी-मोटी नौकरी का सहारा लेना पड़ा।

माननीय मुख्यमंत्री, श्री कोनराड के. संगमा के नेतृत्व वाली एमडीए सरकार ने इन सभी बातों को ध्यान में रखकर राज्य में कोयला खनन को नया जीवन देने के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास किया है। इन्हीं प्रयासों के परिणामस्वरूप 3 जुलाई, 2019 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय आया, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों पर मेघालय के लोगों के अधिकारों को बरकरार रखा गया। इस ऐतिहासिक फैसले की वजह से नागरिकों का भारतीय न्यायपालिका पर विश्वास और मजबूत हुआ है, साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि मेघालय सरकार अपने नागरिकों के अधिकारों, उनकी संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि, निजी और सामुदायिक भूस्वामियों के पास जमीन के ऊपर और सतह के नीचे, दोनों का अधिकार होता है इसलिए खनिजों का स्वामित्व निजी और सामुदायिक भूस्वामियों के पास होना चाहिए।

माननीय मुख्यमंत्री, श्री कोनराड के. संगमा की अगुवाई में वैज्ञानिक तरीके से कोयला खनन शुरू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य सरकार ने मार्च 2021 में कोयले के लिए पूर्वेक्षण लाइसेंस तथा खनन हेतु लीज प्राप्त करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं की मंजूरी हासिल कर ली है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, 25 अप्रैल, 2023 को कोयला मंत्रालय, भारत सरकार ने 17 पूर्वेक्षण लाइसेंस आवेदकों में से 4 आवेदकों को खनन हेतु लीज के लिए पूर्व स्वीकृति प्रदान की है।

 

देश के अंतिम गांव कहे जाने वाले गांव माणा में लगा देश के पहले गांव का साइन बोर्ड

News web media uttarakhand : उत्तराखंड के चमोली जिले में सीमा पर बसे सीमांत गांव माणा के प्रवेश द्वार पर ‘भारत का प्रथम गांव’ होने का साइन बोर्ड लगा दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, ‘अब माणा देश का आखिरी नहीं बल्कि प्रथम गांव के रूप में जाना जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमांत गांव माणा में उसे देश के प्रथम गांव के रूप में संबोधित किया था और हमारी सरकार सीमांत क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास हेतु सदैव समर्पित है.’ इक्कीस अक्टूबर 2022 को माणा में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री द्वारा माणा को भारत का अंतिम गांव की बजाय देश का पहला गांव कहे जाने पर मुहर लगाते हुए कहा था कि अब तो उनके लिये भी सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है.

बद्रीनाथ से लगभग 5 किमी दूर है माणा गांव
उत्तराखंड में 3200 मीटर की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित माणा गांव बद्रीनाथ से लगभग 5 किमी दूर है. यह खूबसूरत गांव भारत-चीन सीमा से 24 किमी दूर है. इस गांव को भारत में ट्रेकिंग के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक माना जाता है.

Amarnath Yatra 2023: 1 जुलाई से शुरू होगी 62 दिनों की अमरनाथ यात्रा, 17 अप्रैल से से शुरू होगा रजिस्ट्रेशन,

News web media Uttarakhand : 1 जुलाई से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा जिसके लिए 17 अप्रैल से ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड के माध्यम से रजिस्‍ट्रेशन शुरू होगा. जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा  ने यह जानकारी दी. उन्‍होंने कहा कि सरकार तीर्थयात्रियों के लिए सभी प्रकार के इंतजाम कर रही है. इस बार यात्रा 62 दिन तक चलेगी. मनोज सिन्‍हा ने कहा कि यात्रा सरल और आसान हो, साथ ही तीर्थयात्रियों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए तैयारियां पूरी होंगी. आने वाले सभी यात्रियों को बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य और अन्‍य सेवाएं मिलेंगी. इस बार और बेहतर दूरसंचार सेवाएं उपलब्‍ध कराया जाएगा.

इस बार यात्रा का समापन 31 अगस्‍त को होगा.  अमरनाथ की पवित्र गुफा 3,880 मीटर की उंचाई पर स्थित है. यात्रा पहलगाम ट्रैक और गांदरबल जिले के बालटाल से एक साथ शुरू होगी. श्राइन बोर्ड सुबह- शाम को होने वाली आरती का सीधा प्रसारण करेगा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ही जम्मू-कश्मीर को लेकर सुरक्षा की समीक्षा की थी. इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. इस बैठक के एक दिन बाद यात्रा की घोषणा की गई है.

अमरनाथजी यात्रा-2023 के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा
श्री अमरनाथजी यात्रा-2023 के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की, जिसमें पंजीकरण, हेलीकाप्टर सेवाओं का प्रावधान, सेवा प्रदाता, शिविर, लंगर और यात्रियों के लिए बीमा कवर शामिल हैं. इधर, अनंतनाग के डीसी डॉ. बशारत कयूम ने श्री अमरनाथ यात्रा की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक ली.. बीआरओ के प्रतिनिधि ने कहा कि 200 से अधिक मजदूर, मशीनरी के अलावा अमरनाथ जाने वाले मार्ग को साफ करने के लिए काम पर हैं. इसके अलावा पवित्र गुफा के रास्ते में बर्फ हटाने का काम चल रहा है.

Sainik School counselling 2023: प्रवेश के लिए दूसरे चरण की काउंसलिंग शुरू, ऐसे करें अप्लाई

Sainik School counselling 2023: परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था ऑल इंडिया स्कूल एडमिशन काउंसलिंग (AISSAC) 2023 ने आधिकारिक वेबसाइट pesa.ncog.gov.in/sainikschoolecounselling पर सैनिक स्कूल की काउंसलिंग प्रक्रिया का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। ऐसे में जो पैरेंट्स अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन का स्टेप्स ऑफिशियल वेबसाइट पर दिया गया है।

AISSAC 11 अप्रैल, 2023 तक सैनिक स्कूल काउंसलिंग रजिस्ट्रेशन आयोजित करेगा. सैनिक स्कूल काउंसलिंग 2023 राउंड 2 उन उम्मीदवारों के लिए पंजीकरण खुला है. जिन उम्मीदवारों को राउंड 1 में कोई सैनिक स्कूल अलॉट नहीं किया गया था या जिन उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और राउंड 1 के दौरान चॉइस फिलिंग नहीं की है. छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे बची हुई सीटों के बारे में जानने के लिए AISSAC पोर्टल पर सीट मैट्रिक्स पर जाकर चेक कर सकते हैं.

How to Apply for Sainik School Counselling 2023

  • आधिकारिक वेबसाइट-pesa.ncog.gov.in/sainikschoolecounselling पर जाएं.
  • दिखाई देने वाले होमपेज पर सैनिक स्कूल काउंसलिंग 2023 लिंक पर क्लिक करें.
  • रजिस्टर करें और पूछे गए क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके लॉग इन करें.
  • काउंसलिंग के लिए आवेदन करें और च्वाइस फिलिंग करें.
  • विकल्प सबमिट करें और भविष्य के संदर्भों के लिए पेज को सेव करें.

 

सत्ता के सामने सच बोलना प्रेस का कर्तव्य, मजबूत लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस जरूरी

News web media Uttarakhand : सुप्रीम कोर्ट ने ‘राष्ट्रविरोधी’ मामले में चल रही एक सुनवाई के दौरान कल केंद्र सरकार को जबरदस्त फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करना न्याय और उसके सिद्धांतों के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मलयालम समाचार चैनल से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए उक्त गंभीर टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मीडिया का स्वतंत्र रहना जरूरी है और सरकार की नीतियों की आलोचना करना राष्ट्र विरोधी नहीं करार दिया जा सकता है।

हालांकि, कोर्ट ने मीडिया को भी नसीहत देते हुए कहा कि प्रेस की जिम्मेदारी बनती है कि वो सच को सामने रखे। लोकतंत्र मजबूत रहे, इसके लिए मीडिया का स्वतंत्र रहना जरूरी है। उससे ये उम्मीद नहीं की जाती है कि वो सिर्फ सरकार का पक्ष रखे। सुप्रीम कोर्ट ने चैनल की याचिका पर अपना अंतरिम पैâसला सुनाते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर लाइसेंस रिन्यू करने का आदेश देते हुए कहा कि एक मजबूत लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने मलयालम समाचार चैनल ‘मीडियावन’ पर केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रसारण प्रतिबंध के खिलाफ पैâसला सुनाया। ‘मीडियावन’ चैनल को सुरक्षा मंजूरी के अभाव में प्रसारण लाइसेंस को नवीनीकृत करने से इनकार करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आदेश को सुप्रीम ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कल ‘मीडियावन’ को सुरक्षा मंजूरी देने से केंद्र के इनकार को रद्द कर दिया और राष्ट्रीय सुरक्षा के दावे को हवा में उठाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की खिंचाई की। सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अहम पैâसला सुनाते हुए कहा कि एक मजबूत लोकतंत्र के लिए एक स्वतंत्र प्रेस आवश्यक है।

सरकार की नीतियों की आलोचना व अभिव्यक्ति की आजादी को प्रतिबंधित करने का आधार नहीं हो सकता। प्रेस की सोचने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। किसी मीडिया संगठन के आलोचनात्मक विचारों को प्रतिष्ठान विरोधी नहीं कहा जा सकता है। जब ऐसी रिपोर्ट लोगों और संस्थाओं के अधिकारों को प्रभावित करती हैं, तो केंद्र जांच रिपोर्ट के खिलाफ पूर्ण छूट का दावा नहीं कर सकता है। लोगों को उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को उठाया नहीं जा सकता। पीठ ने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के दावे हवा में नहीं किए जा सकते, इसके समर्थन में भौतिक तथ्य होने चाहिए। केवल ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का आह्वान करके सभी सामग्री को गुप्त नहीं बनाया जा सकता है।

अदालतें एक दस्तावेज से संवेदनशील हिस्सों को हटा सकती हैं और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करने के लिए न्यायिक कार्यवाही के दौरान इसे दूसरे पक्ष को बता सकती हैं। मीडिया द्वारा सरकार की नीतियों की आलोचना को राष्ट्रविरोधी नहीं करार दिया जा सकता है। बता दें कि केंद्र सरकार ने जनवरी में ‘सुरक्षा कारणों’ का हवाला देते हुए मलयालम न्यूज चैनल ‘मीडियावन’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिलने के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इस चैनल के ब्रॉडकास्ट लाइसेंस को रिन्यू करने से इनकार कर दिया था।

Pharma Company License: सरकार का 18 फार्मा कंपनियों पर एक्शन, खराब क्वालिटी को लेकर लाइसेंस किए रद्द

News web media uttarakhand भारत सरकार ने मंगलवार (28 मार्च) को नकली और खराब क्वालिटी की दवाओं के निर्माण के लिए 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए हैं. इन कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग बंद करने को कहा गया है. ये आदेश नकली दवा और खराब गुणवत्ता वाली दवा बनाने वाली फार्मा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत आया है. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कई दवा कंपनियों का निरीक्षण किया था.

केंद्र और राज्य की टीमों ने 20 राज्यों में औचक निरीक्षण किया और फिर ये कार्रवाई की गई. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को ये जानकारी दी. नकली दवाओं के निर्माण से संबंधित देश भर की फार्मा कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई चल रही है. करीब 15 दिन से अभियान चल रहा है.

इन राज्यों में की गई कार्रवाई

सूत्रों के हवाले से बताया है कि नकली दवाओं के निर्माण से जुड़ी देश भर की फार्मा कंपनियों पर भारी कार्रवाई की जा रही है. यह आदेश नकली दवा और खराब गुणवत्ता वाली दवा बनाने वाली फार्मा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत आया है. सूत्रों ने कहा, “हिमाचल प्रदेश में 70 कंपनियों और उत्तराखंड में 45 और मध्य प्रदेश में 23 कंपनियों पर सरकारी कार्रवाई के दौरान नकली दवाएं बनाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की गई.” 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. इसके अलावा, 26 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.

भारतीय कंपनियों के खिलाफ मिल रही थी शिकायतें

इसके अलावा नोएडा में एक फार्मास्युटिकल फर्म के तीन कर्मचारियों को पिछले साल उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर खांसी की दवाई के कारण 18 बच्चों की मौत के बाद गिरफ्तार किया गया था. उन पर मिलावटी दवा बनाने और बेचने का आरोप था. वहीं बीते फरवरी के महीने में ही चेन्नई स्थित एक दवा कंपनी ने आई ड्रॉप की खेप को वापस मंगाया था. यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने संभावित संक्रमण के कारण एजरीकेयर आई ड्रॉप्स खरीदने या उपयोग नहीं करने को लेकर चेतावनी जारी की थी.

 

 

NDRI में जन्मी दुनिया की गिर नस्ल की गाय की पहली क्लोन ‘गंगा’, बढ़ेगा दुग्ध उत्पादन

एएनआई : पशु क्लोनिंग के क्षेत्र में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) ने देश की पहली गाय की क्लोन एवं दुनिया की पहली गिर नस्ल की गाय की क्लोन पैदा की है। जिसका नाम सोमवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने गंगा रखा है। इसे जलवायु परिवर्तन के बीच दुग्ध उत्पादन के लिए क्रांति माना जा रहा है।

कैसे होती है गिर गाय की क्लोनिंग
इस प्रोजेक्ट में शामिल वैज्ञानिकों की टीम ने कहा कि गिर का क्लोन बनाने के लिए ओसाइट्स (अंडक) को  अल्ट्रासाउंड वाली सूइयों का उपयोग करके जीवित जानवरों से अलग किया जाता है और फिर नियंत्रण स्थितियों में 24 घंटे के लिए परिपक्व किया जाता है. इसके बाद बढ़िया किस्म की गायों के शरीर की कोशिकाओं का उपयोग दाता जीनोम के रूप में किया जाता है, जो ओपीयू-व्युत्पन्न एनुक्लाइड ओसाइट्स के साथ जुड़े होते हैं. रासायनिक सक्रियता और इन-विट्रो कल्चर के बाद विकसित ब्लास्टोसिस्ट को गिर बछड़े को जन्म देने के लिए प्राप्तकर्ता माताओं में स्थानांतरित किया जाता है.

‘काफी चुनौतीपूर्ण था क्लोनिंग का काम’
(DARE) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक हिमांशु पाठक और एनडीआईआर के निदेशक और कुलपति धीर सिंह ने इस उपलब्धि के लिए वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी. पाठक ने जानकारी साझा करने हुए कि NDRI  ने कहा कि  उत्तराखंड पशुधन विकास बोर्ड (ULDP) देहरादून के सहयोग से डॉ. एमएस चौहान, पूर्व निदेशक, एनडीआरआई के नेतृत्व में  गिर, साहीवाल और रेड शिंडी जैसी देशी गायों की क्लोनिंग का काम शुरू किया और सफलता प्राप्त की. उन्होंने कहा कि कुछ व्यावहारिक और परिचालन कठिनाइयों के कारण गायों की क्लोनिंग का यह प्रयोग काफी चुनौतीपूर्ण था.

‘क्लोन से अच्छी गिर नस्लों की गायों की कमी होगी पूरी’
उन्होंने कहा कि इस तकनीक में भारतीय डेयरी किसानों के लिए अधिक दूध का उत्पादन करने वाली देशी नस्ल की गायों की आवश्यकता को पूरा करने की क्षमता है. NDRI के डायरेक्टर धीर सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक की टीम  दो सालों से अधिक समय से क्लोन पशुओं का उत्पादन करने का देशी तरीके इजाद करने पर काम कर रही थी.

दुनिया भर में मशहूर हैं गिर नस्ल की गायें
उन्होंने कहा कि गुजरात की  देशी नस्ल गिर अपने विनम्र स्वभाव और दूध की गुणवत्ता को लेकर डेयरी किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है. उन्होंने कहा कि भारत के बाहर गिर मवेशी बहुत लोकप्रिय हैं  और ज़ेबू गायों के विकास के लिए ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको और वेनेजुएला को निर्यात किए गए हैं. गौरतलब है कि संस्थान ने 2009 में दुनिया की पहली क्लोन भैंस का उत्पादन किया था.